STORYMIRROR

Nandita Tanuja

Inspirational

2  

Nandita Tanuja

Inspirational

चरण-स्पर्श ....!!

चरण-स्पर्श ....!!

3 mins
69

   हमारी संस्कृति में चरण-स्पर्श करने की परम्परा है। व्यक्ति अपने से बड़े व्यक्ति के चरण-स्पर्श करता है , ये प्रायः पुरुष व महिलायें, बच्चे सभी वर्ग करते है। चरण-स्पर्श करने से हमारे शिष्टाचार व संस्कार को व्यक्त करता है। आज के युग में नयी पीढ़ी एक संकोच रखती है, बार- बार किसी बड़े के आगे झुकने में उनके स्वाभिमान को ठेस पहुँचती है। जबकि चरण- स्पर्श करने से हमारे संस्कार, हमें अपने से बड़ों के प्रति आदर भाव व हमारे शिष्टाचार को दर्शाता है। 

 मैंने अक्सर नई पीढ़ी को देखा है जो बहुत शर्माते है ,अपनों से बड़ो के पाँव छूने में कि हम अपने परिवार के लोगों के ही पाँव छूएंगे क्योंकि वो हमारे अपने है , और कुछ पाँव तो छूने चलते है लेकिन वो घुटने को ही छू कर अपने शिष्टाचार और अपने संस्कार को पूरा कर देते है।  

  जबकि ऐसा करना बिल्कुल गलत है क्योंकि ये शिष्टाचार नहीं, इससे बेहतर होगा कि आप किसी बड़े पर ये एहसान करे ही नहीं। चरण-स्पर्श एक ऐसी उपलब्धि है आज के युग में जहाँ आप अपनों से बड़ों से आशीर्वाद प्राप्त करते है , जिन भी बड़े के चरणों में हम झुकते है , उनका हाथ हमारे सिर पर होता है और तब वो जो भी शब्द अपने मुख से हमारे लिए बोलते है वो एक रक्षा कवच का कार्य करती है। चरण स्पर्श और चरण वंदना भारतीय संस्कृति में सभ्यता और सदाचार का प्रतीक है। चरण छूने का मतलब है पूरी श्रद्धा के साथ किसी के आगे नतमस्तक होना, इससे विनम्रता आती है और मन को शांति मिलती है. साथ ही चरण छूने वाला दूसरों को भी अपने आचरण से प्रभावित करने में सफल होता है।

  जब हम किसी आदरणीय व्यक्ति के चरण छूते हैं, तो आशीर्वाद के तौर पर उनका हाथ हमारे सिर के उपरी भाग को और हमारा हाथ उनके चरण को स्पर्श करता है, इससे उस पूजनीय व्यक्ति की पॉजिटिव एनर्जी आशीर्वाद के रूप में हमारे शरीर में प्रवेश करती है. इससे हमारा आध्यात्मिक तथा मानसिक विकास होता है। शास्त्रों में कहा गया है कि हर रोज बड़ों के अभिवादन से आयु, विद्या, यश और बल में बढ़ोतरी होती है।  

 इसका वैज्ञानिक पक्ष इस तरह है कि न्यूटन के नियम के अनुसार, दुनिया में सभी चीजें गुरुत्वाकर्षण के नियम से बंधी हैं। साथ ही गुरुत्व भार सदैव आकर्षित करने वाले की तरफ जाता है, हमारे शरीर पर भी यही नियम लागू होता है, सिर को उत्तरी ध्रुव और पैरों को दक्षिणी ध्रुव माना गया है। इसका मतलब यह हुआ कि गुरुत्व ऊर्जा या चुंबकीय ऊर्जा हमेशा उत्तरी ध्रुव से प्रवेश कर दक्षिणी ध्रुव की ओर प्रवाहित होकर अपना चक्र पूरा करती है, यानी शरीर में उत्तरी ध्रुव (सिर) से सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश कर दक्षिणी ध्रुव (पैरों) की ओर प्रवाहित होती है. दक्षिणी ध्रुव पर यह ऊर्जा असीमित मात्रा में स्थिर हो जाती है. पैरों की ओर ऊर्जा का केंद्र बन जाता है। पैरों से हाथों द्वारा इस ऊर्जा के ग्रहण करने को ही हम 'चरण स्पर्श' कहते है।

   कहने का अर्थ बस इतना है कि जो भी हमारे संस्कार है, वो कही न कही हमारे आंतरिक ऊर्जा का संचार करती है। 

 हेलो / हाय, करना बिल्कुल प्रोफेशन वर्क में आपको आगे ले जायेगी लेकिन सामाजिक और पारिवारिक रूप में अपने से बड़ों को चरण-स्पर्श करना हमें और हमारी पीढ़ी में शिष्टाचार व संस्कार को आगे तक ले जायेगी। इसलिए अपनी सफलता को बहुत दूर तक ले जाए किन्तु अपने संस्कार और शिष्टाचार को हर पीढ़ी में नींव का संचार डाले। हमारी संस्कृति व संस्कार कभी हमें पीछे नहीं धकेलती बल्कि उनके पीछे छुपे भावों को अनुभव कीजिये और सोचिये कि जब हम अपने बड़ों के सामने झुकते है तो वो समस्त ब्रह्माण्ड के सामने हम नतमस्तक होते है और उनके आशीर्वाद हमें कहीं न कहीं ख़ुशी व आंतरिक ऊर्जा का अनुभव देते है और बड़े अपने संस्कार व शिष्टाचार को देख-समझ आने वाली पीढ़ियों के लिए अपने संस्कारों के भाव के प्रति आस्था रखती है, कि जो उन्होंने आपको दिया वो धरोहर आप संभाल कर अपनी आने वाली पीढ़ी को अवश्य देंगे और उन संस्कारों की रक्षा करेंगे।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational