हरिया की बुद्धिमानी
हरिया की बुद्धिमानी
हरिया के गाँव में अनाज की पैदावार बहुत अच्छी हुई। हरिया के गाँव वालों ने सारा अनाज बोरियों में भरकर सामूहिक गोदाम में रखवा दिया, जिससे बाद वे मंडी जाकर सारे अनाज को बेच सकें।
हरिया ने कुछ किसानों को ट्रैक्टर और बैलगाड़ियों से अनाज को मंडी पहुंचाने के लिए रात को ही तैयार कर लिया। जब वे चलने लगे, तो हरिया अनाज की कुछ बोरियाँ अपने घर से लाया और सभी ट्रैक्टरों और बैलगाड़ियों पर सबसे ऊपर एक एक बोरी रख दी। सबने इसका कारण पूछा। लेकिन हरिया चुप रहा।
रास्ते में कुछ लुटेरों ने उन पर धावा बोल दिया और अनाज की बोरियाँ लूटकर ले जाने लगे।
तभी बुद्धिमान हरिया उनसे बोला, "देखो भाइयों, आप इन बोरियों के अनाज को अपने परिवार को मत खिलाना, वे सब बीमार हो जाएंगे। क्योंकि यह सारा अनाज ख़राब हो चुका है। हम लोग इसको गाँव से बाहर जंगल में फेंकने जा रहे हैं। आप चाहो तो ख़ुद देख लो।"
लुटेरों को हरिया की बात पर विश्वास नहीं हुआ। हरिया ने हर ट्रैक्टर और बैलगाड़ी पर अपने घर से लाई बोरियों का अनाज दिखा दिया। लुटेरे ख़राब अनाज को देखकर वहां से चले गए।
उनके जाने के बाद हरिया और साथियों ने ख़राब अनाज की बोरियाँ उतारकर, सारा अनाज मंडी ले जाकर अच्छे दामों में बेच दिया।
हरिया ने अपनी सूझ बूझ और समझदारी से गांव में आए एक बड़े संकट को टाल दिया। आज हरिया की वजह से गांव का हर व्यक्ति चैन की सांस ले रहा है।