Reena Srivastava

Horror Tragedy

4.5  

Reena Srivastava

Horror Tragedy

हॉन्टेड

हॉन्टेड

23 mins
331



  "कहानी शुरू होती है विशाल से जो कि एक लेखक है और फिल्म इंडस्ट्रीज के लिए कहानियां लिखा करता था इस बार डायरेक्टर को उसकी कहानी पसंद नहीं करते हैं।"


  " और कहते हैं कोई ऐसी कहानी लिखकर लाओ जिसमें रहस्य हो, डर हो, और लोग उसे पसंद करें विशाल उदास होकर घर वापस आ जाता है, और सोचने लगता है । ऐसी कहानी कहां से लाऊं क्या ? ऐसा लिखूं जो डायरेक्टर साहब को पसंद आए वह सोचते रहता है।"


 " तभी उसकी पत्नी सीमा आती है और पूछती है । विशाल क्या हुआ क्या सोच रहे हो, इतने उदास क्यों लग रहे हो तभी वह कहता है, मेरी कहानी रिजेक्ट हो गई है डायरेक्टर साहब को कुछ और चाहिए अब मैं कहां से ऐसी कहानी लिखूं ।"


  " फिर वो प्यार से कहती है....तो इस में टेंशन लेने वाली क्या बात है....मुझे पता है... तुम बहुत अच्छे लेखक हो... और बहुत अच्छी कहानी लिख सकते हो कोशिश करोगे तो बहुत अच्छा कहानी लिख लोगे 


  "फिर वो कहती है, ऐसा करते है... हम कुछ दिन के लिए कही एसी जगह चलते है जहाँ तुम्हें एक अच्छी कहानी मिल जाए, और घूमना का घूमना भी हो जाएगा


  " फिर विशाल कुछ सोचकर कहता है....ठीक है, हम चलते है कही....विशाल और सीमा के दो बच्चे भी रहते है, मोनी और सोनु ।"


" विशाल और सीमा अपने बच्चों को लेकर घुमने निकल जाते है, निकलते -निकलते सीम पूछती है, हम कहाँ जा रहे है....तो वो बोला....बस जहाँ किस्मत ले जाए....बोलकर तेजी से गाड़ी चलाने लगता है ।"


  "गाड़ी चलाते -चलाते, रात हो जाती है और वो शहर से काफी दूर निकल जाता है । तभी सीमा कहती है । लगता है हम काफी दूर निकल आए है....और रात भी हो रही है....ह में कही रूकना चाहिए...तो वो बोला ठीक है....जैसे ही कोई जगह दिखेगी हम वहां रूक जाएंगे ।"


  " उसकी गाड़ी चलते-चलते बंद हो जाती है, फिर विशाल उतरकर गाड़ी चेक करता है । गाड़ी में उसे कोई खराबी नजर नहीं आती है ।" 


  " वो सीमा से कहता है गाड़ी तो ठीक है, फिर गाड़ी बंद क्यु हो गई, बोलकर वो जैसे ही गाड़ी स्टाट करता है तो गाड़ी की लाईट जलते ही सामने कोई आदमी दिखता है, जिसे देखकर सीमा और विशाल डर जाते है...,, फिर वो आदमी गाड़ी के पास आकर कहता है क्या ?हुआ भाई साहब लग रहा है आप डर गए हो, डरो मत मैं आदमी हूं कोई भूत नहीं ...,, फिर उन लोग को थोड़ा चैन मिलता है।"


 " वो आदमी कहता है, भाई मैं यहाँ का इंस्पेक्टर हूं मेरी गाड़ी खराब हो गई थी ।इसलिए किसी गाड़ी के आने का इंतजार कर रहा था । क्या आप मुझे छोड़ देंगे ?


  " तो विशाल कहता है....क्यू नहीं ....फिर वो इंस्पेक्टर उनलोगो के साथ बैठकर जाने लगता है..., 

तभी वो इंस्पेक्टर उनसे पूछता है कि आपलोग कहाँ जा रहे है...,, तो वो बोला बस निकल पड़ा हूं कुछ ढूँढने के लिए... तो वो इंस्पेक्टर कहता है....कुछ ढूँढने मतलब समझा नहीं ....तो वो हंसते हुए बोला... सर मै एक लेखक हूं... बस कुछ अच्छा लिखने को नहीं मिल रहा था तो हमने सोचा की कहीं बाहर चलते है... ताकि वहां मुझे कुछ अच्छी कहानी लिखने को मिल जाए....तभी इंस्पेक्टर कहता है....अगर ऐसी बात है तो... यही पास में एक छोटा सा गाँव है....जिसका नाम श्रीपूरा है... 


  "मै वही रहता हूं... अगर आप कहे तो वहां के होटल में आपके रहने का इन्तजाम करवा देता हूं... और उस होटल के आसपास की जगह देखने लायक है... हो सकता है... आपको वहां कुछ लिखने को मिल जाए 


 " ठीक है सर... फिर चलते है आपके गाँव शायद मेरी मंजील वही गाँव है । इसलिए आप मुझसे टकराऐ हो... इस बात पर सब हंसने लगते है ।"

  

लगभग ऑधे घंटे के बाद वो लोग श्रीपूरा पहुँच जाते है... फिर थाने के पास उतर जाता है ।और कहता है... बस यहाँ से थोड़ी दूर पर ही वो होटल है... चले जाइए मेरा नाम लीजिएगा वो आपको कमरा दे, देगा... ठीक है आपलोग निकलिए... कहकर इंस्पेक्टर थाने के अंदर चला जाता है ।"


  "थोड़ी दूर जाने के बाद विशाल को वो होटल दिखता है वो होटल के सामने गाड़ी रोककर सभीलोग गाड़ी से बाहर आते है...,, तभी सीमा कहती है... विशाल ये थोड़ी अजीब सी जगह नहीं लग रही है । ये जगह इतना शांत क्यू है ।"

 

" विशाल हंसते हुए कहता है....तुम भी अजीब बात कर रही हो सीमा... अब इतनी रात को सब शांत ही नजर आएगा ना....चलो होटल के अंदर चलते है ।"


"वोलोग होटल के अंदर जाकर कमरा बूक करते है, और कमरे की चाभी लेके... कमरे में जाते है... कमरे में जब विशाल खिड़की से पर्दा हटाता है तो सामने उसे एक

बंगला दिखाई पढ़ता है, और बंगले के बाहर जो लाईट जल रही थी....जलते - जलते बंद हो जा रही थी, फिर जल जा रही थी, , और वो लाईट लगातार ऐसे ही जल रही थी...तो कभी बुझ रही थी....तभी सीमा आती है और कहती है... विशाल क्या देख रहे हो....तो वो कहता है...

मै उस बंगले को और उसके बाहर जल रही लाइट को देख रहा हूं....तो वो बोलती है, , क्यु उस लाईट में और उस बंगले में ऐसी क्या बात है... जो तुम उसे इतने गोर से देख रहे हो....तो वो कहता है....पता नहीं सीमा मुझे ऐसा लग रहा है... जैसे वो दोनो मुझसे कुछ कहना चाह रही हो...,फिर सीमा उसके बात पर हंसते हुए कहती है....तुम कहानी बनाने के चक्कर में कही पागल तो नहीं हो गए हो...फिर हंसते हुए वो वहां से चली जाती है...,, और कुछ देर तक खड़ा होकर उस बंगले को देखता रहता है... फिर सीमा आवाज लगाती है... चलो सोने आ जाव कल देखते रहना उस बंगले को... फिर विशाल खिड़की को पर्दे लगाकार सोने के लिए चला जाता है ।"


सुबह होते ही विशाल कमरे के बालकनी से आसपास का नाजरा देखने लगता है... उसकी नजर फिर उस बंगले में पड़ती है... और ठीक बंगले के पीछे एक बहता हुआ नदी नजर आता है...और आसपास पेड़ पौधे से भरे हुए थे... विशाल को बालकनी से वो बंगला बहुत खुबसुरत दिख रहा था....और ये नजारा देखकर वो खुश हो जाता है... और सोचता है... लगता है यहाँ एक अच्छी कहानी जरूर मिल जाएगी....फिर वो टहलने के लिए होटल से जैसे ही बाहर निकलता है... तो 

उसे ऐसा लगता है... जैसे उस बंगले की खिड़की से दो बच्चे उसे देख रहे है....फिर देखते-देखते वो बच्चे वहां से गायब हो जाते है...,, ये देखकर उसे बड़ा अजीब लगता है ।"


फिर जैसे ही वो जाने को होता है, उसी समय उसके पास एक बॉल आकर गिरती है...,, तभी वो बच्चे उससे बॉल मॉगते है....कहते है अंकल बॉल दिजीए ना प्लीज जैसे वो मुड़कर देखता है....तो सामने वही बच्चे खड़े नजर आते है, ये देखकर विशाल सोचने लगता है... अभी तो ये ऊपर खिड़की के पास खड़े थे... फिर तुरन्त यहाँ कैसे आ गए...विशाल को ये सब बड़ा अजीब लग रहा था....फिर वहां से वो वॉक के लिए निकल पड़ता है ।"


 उन बच्चो को देखने के बाद जैसे ही जाने लगता है

 तभी वो उसी इंस्पेक्टर से टकराता है..., इंस्पेक्टर भी वॉक के लिए निकला हुआ था... फिर वो कहता है...और सर होटल ठीक है ना... तो विशाल बोला... जी सर होटल तो ठीक है ही... साथ में यहाँ के नजारे भी बहुत अच्छे है, बोलते-बोलते दोनों साथ में वॉक करने लगते है... फिर बातों -बातों में उस बंगले की चर्चा निकलती है... 


    "विशाल... इंस्पेक्टर से पूछता है... सर होटल के सामने जो बंगला है... वो किसका है... बंगले का नाम सुनकर इंस्पेक्टर कहता है... आप उस बंगले के बारे में क्यू पूछ रहे है... तो विशाल कहता है... सर जब मै होटल से बाहर वॉक करने के लिए निकला तो... उस बंगले के छत पर दो बच्चे दिखाई दिये... वो बच्चे मेरी तरफ ही देख रही थे... फिर जैसे ही मै थोड़ा आगे बढा तो एक बॉल आकर मुझसे टकराया जब में पीछे मुड़ा तो वही बच्चे मेरे सामने नजर आऐ,,, उन्हे देखकर मै हैरान रह गया की... अभी तो ये छत पर थे... फिर तुरंत नीचे कैसे आ गए,,,,, 


   "इस बात को सुनकर इंस्पेक्टर कहता है... आपने सच्च  में उस बंगले में बच्चो को देखा....तो विशाल पूछता है... आप मुझसे एसे क्यू पूछ रहे है... मेने बच्चो को देखा... उस बंगले में बच्चे रहते होगे तभी तो वो मुझे दिखे ।"


    "यही तो बात है ना सर की उस बंगले में कोई नहीं रहता है... वो बंगला पिछले एक साल से बंद पड़ा है, ये बात सुनकर विशाल चौक जाता है... और कहता है... लेकिन सर मेने उन दो बच्चों को उस बंगले के अंदर देखा तो, ,


 " फिर इंस्पेक्टर कहता है... शायद आपके नजरों का कोई धोखा होगा....लेकिन मेरी बात मानिये उस बंगले में कोई नहीं रहता है... और उस बंगले को मैंने खुद बंद किया है... और उस बंगले की चाभी मेरे पास है ।


    "इंस्पेक्टर की बातों पर विशाल सोचने लगता है... क्या सही में मेरे आँखों का धोखा था....तभी इंस्पेक्टर कहता है... वैसे आप उस बंगले से दूर ही रहिएगा... सुना है वो बंगला "हॉन्टेड " है...,, इस बात पर विशाल हंसने लगा बोला आप भी इन सब बातों को मानते है..., तो इंस्पेक्टर बोला, नहीं मैं इन सब बातों को नहीं मानता था... लेकिन एक साल पहले जो हादसा इस बंगले में हुआ उसे देखकर मानने लगा ....

फिर विशाल कहता है... हादसा...कैसा हादसा... तो वो बोला...वैसे इस बंगले से जुड़ी बहुत सारी कहानियां है... जो यहाँ के लोग बताते है... मुझे कभी उनके बातो पर विश्वास कभी नहीं हुआ...लेकिन उन दो लाशो को देखने के बाद मै भी उनकी बातो पर विश्वास करने लगा..., 

इस पर विशाल कहता है... किसकी लाश थी वो... तो बोला लगभग एक साल पहले मुम्बई से एक कपल यहाँ रहने आऐ थे....बिल्कुल आप की तरह उन्हे भी कहानियॉ लिखने का शोक था... पर उनकी लिखी हुई कहानियॉ दुसरो की लिखी हुई कहानी की कॉपी रहती थी... और उनकी मौत कहानियो के वजह से हुई है..., 


फिर वो इंस्पेक्टर कहते है... सिर्फ उन्हीं की नहीं बल्कि आजतक जितने भी लोगो की मौत इस बंगले में हुई... वो सबके -सब लेखक ही थे... 


इस पर विशाल कहता है... तो इस हिसाब से आगर मै भी उस बंगले के अंदर गया तो मेरी मौत भी पक्की है... तो इंस्पेक्टर बोले... हो सकता है... अगर आप कहानीयॉ कॉपी करते होगे तो... 


फिर विशाल पूछता है... आपको पक्का यकीन है की इस बंगले के अंदर  किसी की आत्म हैं...और जितने भी खून हुए है... वो सब उस आत्मा ने किया है ।"


फिर इंस्पेक्टर कहता है... पता नहीं सच्च क्या है... आजतक मैं उसी की छानबीन कर रहा हूं... लेकिन आजतक कोई सबूत हाथ नहीं लगा है ।"


विशाल पूछता है... वैसे ये बंगला है किसका... तो इंस्पेक्टर बोला....ये बंगला राजबहादुर जी का है... वो यहाँ के बहुत बडे जमींदार थे...,, और उनके तीन बच्चे थे... दो बेटी और एक बेटा..., 


विशाल पूछा उन लोग कहाँ है....इंस्पेक्टर बोला पता नहीं सबलोग कहाँ गए अपने बंगले की चाभी अपने मुनिम जी के हाथ सौंपकर चले गए,...कहाँ गए इस बात का पता मुनिम जी को भी नहीं है...,, 


ये मुनिम जी कहाँ रहते है....यही पास में ही रहते है... फिर इंस्पेक्टर बोला... आज ही पूरी कहानी जान लेंगे सर कुछ कल के लिए बाकी रखिये... अब मै निकलता हूं... काफी लेट हो चुकी... बोलकर इंस्पेक्टर वहां से चला जाता है... लेकिन विशाल के मन में इंस्पेक्टर की बात घूमते रहती है... जितनी भी मौत हुई वो सबके सब एक लेखक थे... ऐसा क्यू....आखिर लेखकों से किसकी दुश्मनी हो सकती है... सोचते -सोचते वो होटल पहुंचकर सीमा को बंगले से जुड़ी सारी बात बताता है...,, 


मगर सीमा उसकी बातों पर विश्वास नहीं करती है और हंस कर चली जाती है मगर पीछे से विशाल इंस्पेक्टर की बातों पर सोचते रहता है ।"


विशाल की नजर उस बंगले में पडती है....फिर से उस बंगले के छत पर वही दो बच्चे दिखते है...,,, उन बच्चो को देखने से एसा लग रहा था जैसे... वो उसे अपने पास बुला रहे हो...,, 


  फिर सीमा पूछती है... क्या हुआ विशाल क्या देख रहे हो उस बंगले की तरफ... तभी विशाल बोला... वो देखो सीमा वो बच्चे तो सीमा उस बंगले की तरफ देखती है... मगर उसे कोई बच्चे नहीं दिखाई देते है... तो वो कहती है... विशाल कहॉ कोई बच्चे मुझे दिखाई दे रहे है... तुम्हें कौन से बच्चे दिखाई दे रहे है...छत पर तो कोई नहीं है... फिर विशाल कहता है... नहीं सीमा मेने अभी बच्चो को छत पर देखा तो..., 

विशाल को इस तरह देखकर सीमा विशाल से कहती है... विशाल बहुत हो चुका हंसी-मजाक चलो जाकर फ्रेस हो जाव हम कही घुमने निकलेगे ।"


 " उस बंगले में बच्चो को देखकर विशाल को भय जैसा लगता है... फिर वो फ्रेस होने चला जाता है....फ्रेस होकर सभीलोग घूमने निकलते है....रास्ते में एक ढाबा ब दिखता है... फिर वहां विशाल गाड़ी रोकता है... ढाबे में कुछ खाने का ऑर्डर करते है....तभी विशाल की नजर फिर उन बच्चों पर पड़ती है... ये देखकर विशाल गुस्से से उस बच्चो के पास उठकर जाने लगा...,, तभी सीमा पूछती है... कहाँ जा रहे हो ।"


  "तो वो बोला मै आ रहा हूं "....बोलकर चला गया जब वो बच्चों के पास पहुंचने ही वाला था तभी वो बच्चे दौड़ते हुए भागने लगे, विशाल भी उनके पीछे-पीछे भागने लगा....उन बच्चों के पीछे भागते-भागते कब विशाल जंगल के अंदर चला गया उसे पता ही नहीं चला... अचानक से बच्चे वहां से गायब हो गए" विशाल उन बच्चों इधर-उधर ढूँढने लगा....मगर वो कही नजर नहीं आ रहे थे....फिर वो थक कर एक जगह बैठ जाता है"..., 

      "फिर वो आचानक चारो तरफ देखता है तो... सोचने लगता है की ये मै जंगल  में कैसे आ गया....फिर उसे समझ में नहीं आ रहा था की वो ढाबे से कितनी दुर निकल आया है... फिर वो इधर-उधर देखने लगता है... उसे रास्ता समझ में नहीं आ रहा था कि... वो किस रास्ते से जंगल के अंदर आया"..., 

   

   "और फिर सोच रहा था कि जिस बच्चे के पीछे वो भागा वो बच्चे भी दिखाई नहीं दे रहे है ,,,,फिर वो सोचने लगता है कि वो बच्चे मुझे जंगल में क्यू लेकर आए,,, क्या है इस जंगल मै....फिर वो आगे बढ़ने लगता है....तभी उसके पैर किसी चीज से टकराता है... और वो आचानक से गीर पढ़ता है... जब वो उठने के लिए हाथ जमीन पर रखता है तो उसे ऐसा लगता है, जैसे किसी ने उसका हाथ पकड़ लिया हो... और वो उसे जमीन के अंदर खींच रहा हो... फिर वो अपने हाथ जमीन से निकलने की कोशिश करने लगा। "... लेकिन उसका हाथ जमीन के अंदर धसते जा रही थी....ये देखकर उसने आवाज लगाना शुरू किया... इस जंगल में कोई है...,मेरी मदद करो,,, कहकर वो चिल्लाने लगा... और अपने हाथ निकलने की कोशिश करते रहा... फिर झटके से उसका हाथ मिट्टी से बाहर निकल जाता है... 

   "

   "उसके बाद वो तेजी से वहां से भागने लगता है...

फिर भागते -भागते वो किसी से टकराता है... जब उसकी तरफ देखता है तो वही इंस्पेक्टर रहता है....फिर इंस्पेक्टर कहता है... अरे सर आप... इस जंगल में क्या कर रहे है... कही इस जंगल मै तो कहानी लिखने का मुड़ नहीं बना रहे....विशाल हफ्ते-हफ्ते कहता है... सर आप भी क्या मजाक करते है... आप देख नहीं रहे है की मै भागता हुआ आ रहा हूं....तो वो बोले... लेकिन आप भाग क्यू रहे थे....और इस जंगल में क्या करने आए थे..., 


   " मैं खुद से नहीं आया बल्कि वो बच्चे मुझे लेकर आए,,, इस पर वो इंस्पेक्टर बोले... बच्चे,,, कौन से बच्चे... विशाल बोला, सर वही बच्चे जिन्हें मैंने उस बंगले में देखा था, इस बात को सुनकर इंस्पेक्टर हंसने लगते है...  जनाब क्या बात करते है...,, बंगले वाले बच्चे आपको यहाँ तक लेकर आए,,, कुछ समझ में नहीं आ रहा बात... एक तो बंगला खाली पड़ा है... और आपको उस में बच्चे दिखाई देते है... और वही बच्चे आपको इस जंगल में लेकर आते है... अब उस बंगले में ही जाकर पता करना पड़ेगा की आखिर माजरा क्या है ।"


    "फिर इंस्पेक्टर पूछते है, , वैसे आप इधर कहाँ आए थे, , तो वो बोला सर यहाँ पास में ही एक ढाबा है, वहां हमलोग कुछ खाने के लिए रूके... सर मेरी फैमिली वही है मुझे ढुड़ रही होगी... इंस्पेक्टर बोला... ठीक है चलिए मै आपको उस ढ़ाबे तक छोड़ देता हूं...,, फिर इंस्पेक्टर विशाल को उस ढ़ाबे तक पहुंचाकर चले जाते है...,, और कहते है मै कल आपसे मिलने आता हूं..., 


    "इधर जैसे ही विशाल ढाबे में जाता है तो सीमा उसे देखकर गुस्सा करने लगती है... और कहती है, , कहाँ चले गए थे तुम विशाल पता है हमलोग कितने परेशान हो रहे थे... कोई ऐसे बिना बताऐ जाता है क्या,,, और इतनी देर कहाँ लग गई ।"


विशाल जंग जंगल में हुई घटना के बारे में और उन दोनों बच्चों के बारे में सीमा को सारी बात बताता है सारी बात सुनने के बाद सीमा कहती है।"


 विशाल अगर ऐसी बात है तो जरूर उस बंगले में किसी की आत्मा है जो तुम्हें दिख रही है....और मैं नहीं चाहती की तुम इन आत्माओं के चक्कर में पड़ो... इसलिए हम यहाँ से वापस चलते है... 


    "विशाल कहता है... सीमा अगर ऐसी बात है तो सोचो की मैं कितनी अच्छी कहानी लिख सकता हूं...और वो आत्मा की कहानी सुपर डुपर हीट होगी, ।"


तो सीमा बोली कहानी के चक्कर  में मै इन आत्माओ के चक्कर  में नहीं पड़ना चाहती....इसलिए हम यहाँ से चल रहे है... और इसके आगे मुझे कुछ नहीं सुनना..., 


  " बोलकर सीमा जाकर पैकिंग करने लगती है ।तभी विशाल की नजर फिर उस बंगले पर पड़ती है । और खिड़की के पास जा कर उस बंगले को देखने लगता है। तभी अचानक से उसे उस बंगले में एक लड़की नजर आती है उसे देखकर वह फिर हैरान हो जाता है ।


   " कहता है सीमा जल्दी यहां आओ देखो एक लड़की दिखाई दे रही है मुझे ।"


  " सीमा कहती है विशाल पागल जैसी बातें मत करो तुम मुझे कुछ नहीं देखना और तुम खिड़की बंद करके इधर आओ हम सुबह निकल रहे हैं यहां से ।"


 " मगर विशाल की नजर फिर भी उस लड़की पर ही टिकी हुई थी और फिर अचानक से दोनों बच्चे भी दिखाई देने लगे मानो ऐसा लग रहा था कि उन लोग विशाल को अपने पास बुला रहे हो । फिर विशाल वहां से हट जाता है । जाकर कुर्सी में बैठते हुए सोचने लगता है ।क्या ? करूं क्या मैं पता करूं कि वो लोग कौन है । अगर मैं बिना पता किए चला गया तो भी मुझे चैन नहीं मिलेगा मुझे जानना है कि इस बंगले में हुआ क्या था ।


    "सीमा को समझाने की कोशिश करता है कहता है सीमा एक दिन का समय दो । बस मुझे जानने दो कि इस बंगले में हुआ क्या फिर हम यहां से निकल जाएंगे ।


  " सीमा मान जाती है और कहती है सिर्फ एक दिन और उसके बाद मै बिल्कुल नहीं रोकूंगी विशाल बोला हां बाबा बस मुझे सिर्फ कल का टाइम दो फिर हम निकल जाएंगे ।"


  " दूसरे दिन विशाल इंस्पेक्टर को लेकर मुनीम जी के पास मिलने जाता है पहले तो मुनीमजी उन लोग से नहीं मिलना चाह रहे थे । फिर इंस्पेक्टर के कहने पर मुनीम जी उन लोग से मिलने आते हैं और कहते हैं । साहब क्या जानना चाहते हैं आप ।"


  " विशाल कहता है देखिए मुनीम जी मैं उस बंगले के बारे में जानना चाहता हूं , जहां आप काम करते थे।"


  " बंगला का नाम सुनकर मुनीम जी कहते हैं मैं कुछ नहीं कहना चाहता आप लोग जाइए यहां से।"


  " विशाल कहता है मुनीम जी अगर आप मुझे नहीं बताएंगे तो मुझे बहुत बेचैनी होगी क्योंकि उस बंगले में मुझे कुछ लोग दिख रहे हैं।" और मुझे क्यों दिख रहे हैं यह मुझे समझ में नहीं आ रहा है इसीलिए जब तक आप मुझे बताएंगे नहीं मैं कैसे कुछ उन लोगों के लिए कर पाऊंगा आखिर कौन है वो लोग क्या हुआ था उनके साथ, जब वह बंगला खाली पड़ा है तो कौन है वह दो बच्चे और वह लड़की जो मुझे दिखते हैं क्या वह जिंदा है या मर चुके हैं या उनकी आत्मा मुझे दिखती है।"


  " मुनीम जी लंबी सांस लेते हुए कहते हैं, साहब वो लोग जिंदा नहीं है, वो लोग तो एक साल पहले ही मर चुके हैं, और जो आपको दिख रही है यह उनकी आत्मा है लेकिन उन लोग आपको क्यों दिख रही है ।यह मुझे नहीं मालूम बस इतना बता सकता हूं कि उन लोगों को उस बंगले में बहुत भयानक मौत हुई है ।जिसके कारण उनकी आत्मा की मुक्ति नहीं मिली है । और उनकी आत्मा ही लोगों को मारती है जो उस बंगले में रहने जाते हैं हो सकता है ।।शायद आपके हाथों उन लोगों की मुक्ति हो । इसलिए वह लोग आपक दिख रही हो ।"


  " विशाल पूछता है मुनीमज अगर इन लोगों की मौत बंगले में हुई तो फिर कल मेरे साथ जो जंगल में हादसा हुआ वह क्या था।"


   "मुझे ऐसा लगा कि  किसी ने मेरा जोर से हाथ पकड़कर मिट्टी के अंदर डाल दिया वह क्या था फिर वह बच्चे अचानक से गायब हो गए वह बच्चे मुझे उस गड्ढे की तरफ क्यों लेकर गए थे।"


  " वह इसलिए कि उस गड्ढे के नीचे मेरे बेटे को जीते जी गाड़ दिया गया था और वहां मेरे बेटे की लाश दफन है शायद उसने आपका हाथ पकड़ा हो ।"


  " आपके बेटे की हत्या क्यों की गई मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है ।"


  "मुनीम जी कहते हैं मेरे बेटे और उस बंगले में आपको जो दिख रहे हैं सभी की हत्या एक ही आदमी ने किया है और उन लोगों की मुक्ति नहीं मिल पा रही है । इसीलिए उनकी आत्मा भटक रही है


  " इंस्पेक्टर साहब पूछते हैं अगर हत्या हुई भी थी तो इसकी कोई रिपोर्ट थाने में क्यों नहीं हुई।"


  " मुनीम जी बड़े लोगों की बड़ी बातें होती है साहब वह जुर्म करके चले जाते हैं, और कहीं पर कोई शिकायत उनके लिए नहीं किया जाता है यहां पर भी वही हुआ।"


 " जिस लड़के को आपने उस बंगले में देखा उसका नाम नैना है और वह दोनों बच्चे नैना के छोटे भाई बहन, नैना और मेरा बेटा रोहन एक दूसरे को चाहते थे मगर नैना के पिताजी जमीदार साहब बलवंत सिंह उन्हें यह रिश्ता मंजूर नहीं था ।"


  " वह अपने बराबरी में नैना का शादी करना चाहते थे इसलिए उन्होंने पास के जमींदार के बेटे सूर्यभान से नैना की शादी ठीक कर दी गई नैना को यह बात बिल्कुल पसंद नहीं थी।"


 "सूर्यभान भी नैना के पीछे मोहित था जब शादी का दिन नजदीक आया तो नैना हवेली छोड़ कर भाग गई और वह सीधे आकर मेरे बेटे से मिली। हम लोगों ने नैना को बहुत समझाने की कोशिश की कि वह सब ना करें वह वही शादी करें जहां उसके पिताजी चाहते हैं । मगर वह एक बात भी सुनने को तैयार नहीं थी फिर मजबूरन मुझे नैना को अपने घर में छुपा कर रखना पड़

जब मुझे यह बात पता चली कि सूर्यभान को पता लग गया है कि नैना मेरे घर में है तो मैंने दोनों बच्चों को घर से भगा दिया उसके बाद उन दोनों के साथ क्या हुआ यह मुझे भी नहीं मालूम ।"


  "  मुनीमजी फिर लंबी सांस लेते हुए कहते हैं कि ।कुछ दिनों के बाद मुझे पता चला कि सूरजभान ने मेरे बेटे को जंगल में मार कर कहीं गढ़ दिया । मैं यह बात सुनकर अपने बेटे को ढूंढने गया । लेकिन मुझे उसकी लाश कहीं नहीं मिली । फिर पता चला कि उस बंगले  के सारे लोग कहीं चले गए हैं । लेकिन मुझे मालूम है की उस सूर्यभान ने सभी को उस हवेली के अंदर ही कुछ किया पर । जरूर उसने सभी की हत्या कर उस हवेली में ही दफन कर दिया होगा ।तभी तो उनकी आत्मा दिख रही है । वर्ना वो लोग कैसे दिखते जो बंगला साल भर से बंद पड़ी है । आज उसमें से अचानक वो लोग कैसे दिखने लगे ।


 " इंस्पेक्टर मुनीमजी से पूछते हैं ।अच्छा एक बात बताइए मुनीम जी सूर्यभान हमें कहां मिलेगा ।क्योंकि आगे की कहानी तो वही बताएगा कि क्या हुआ है ?


  "मुनीम जी कहते हैं पास के गांव में ही उनकी हवेली है। वह आपको वही मिलेंगे ।


  " विशाल और इंस्पेक्टर वहां से सूर्यभान के से मिलने के लिए निकल पड़ते हैं ।वहां पहुंचकर जब वह सूर्यभान से मिलते हैं ।और पूछते हैं कि उस बंगले के बारे में आप क्या जानते हैं । क्या नैना और उसके परिवार वाले 1 साल से गायब है क्या आपको पता है कि वह लोग कहां गए हैं क्योंकि अंतिम बार आप ही उन लोगों के पास थे क्योंकि नैना से आपकी सगाई होने वाली थी तो इस बारे में आप कुछ बता सकते हैं।"

 

  " सूर्यभान बोले नैना से मेरी सगाई होने वाली थी लेकिन हुई नहीं थी "लेकिन वो तो किसी और के साथ भाग गई थी। तो फिर हमारे सगाई कैसे होती । हां मुझे इस बात से गुस्सा जरूर आया था ।लेकिन उसके बाद उन लोगों ने क्या किया नहीं किया मुझे नहीं मालूम हमारी सगाई नहीं हुई । मैं वापस अपने गांव आ गया उसके बाद मुझे नहीं पता कि वहां क्या हुआ । फिर कुछ दिनों के बाद सुनने को मिला कि सभी लोग कहीं चले गए हैं । मैंने जानना जरूरी नहीं समझा क्योंकि जिस घर से रिश्ता टूटा जिस गांव में जाकर मेरा अपमान हुआ वहां मैं दोबारा कैसे जाता इसलिए मुझे कुछ नहीं मालूम ।"


  " तभी विशाल कहता है सूर्यभान जी क्या आप आत्मा पर विश्वास करते हैं। सुना है कि उन लोगों की किसी ने बेदर्दी से हत्या कर दी ।और अब उन लोगों की आत्माएं सभी को दिख रही है। मुझे तो ऐसा लगता है कि वो लोग जरूर उसे मारने के लिए आए होंगे जिन्होंने उन्हें मारा है। क्योंकि आत्माएं अपना बदला लिए बगैर मुक्ति नहीं पाती है ।और वह अपना बदला जरूर लेगी जिसने भी उनकी हत्या की होगी ।


  " विशाल की बात पर सूर्यभान जोर जोर से हंसने लगते हैं और कहते हैं ।आप शहर वाले लोग भी इन आत्माओं की बातों पर विश्वास करते हैं । मैं इन बातों पर विश्वास नहीं करता हूं ।"

 

  "खैरआपने जो कहा अगर हुआ तो मैं जरूर विश्वास करूंगा अब जाकर देखें कि उन लोगों की आत्माएं किस से अपना बदला लेती हैं । ठीक है अब आप लोग जा सकते हैं मुझे कहीं जाना है बोलकर सूर्यभान चले जाते हैं।"


 " उनके जाने के बाद विशाल और इंस्पेक्टर साहब भी अपने गांव वापस आ जाते हैं । विशाल इंस्पेक्टर से कहता है। सर वह सूर्यभान इस बंगले में जरूर आएगा अपनी गलतियों को देखने के लिए ।"


  " इंस्पेक्टर कहते हैं यह आप इतना यकीन से कैसे कह सकते हैं ।"


 "विशाल कहता है मैंने उनके चेहरे के भाव को पढ़ लिया वो यहां जरूर आएंगे उसी समय हम लोग उनको पकड़ेंगे बस आप निगरानी करते रहना ।


  " दोनों सूर्यभान का आने का इंतजार करते रहते हैं। तभी उस बंगले के सामने आकर एक गाड़ी रूकती है। और उसमें से सूर्यभान नीचे उतरता है। और उसके साथ दो लोग और रहते हैं। तभी विशाल की नजर उस पर पड़ती है ।


  " और कहता है देखा इंस्पेक्टर साहब आ गया मैंने कहा था ना ।"


  " इस बात पर वो कहते हैं । वाकई में मानना पड़ेगा आपको सही में लोगों को बखूबी पढ़ना जानते हो ।

उसके बाद उन लोगों ने देखा कि सूर्यभान बंगले के दरवाजे से ताला तोड़ने की कोशिश कर रहा है फिर उन्होंने उस ताले को तोड़कर हटा दिया । और बंगले के अंदर चले गए । तभी पीछे से विशाल और इंस्पेक्टर भी उस बंगले के अंदर जाने लगे ।


  "तभी अचानक से जैसे मानो कोई तूफान आया । और जोर-जोर से हवाएं चलने लगी इंस्पेक्टर कहते है अचानक से हवा की इतनी जोर से क्यों चलने लगी ।


  "विशाल कहता है इंस्पेक्टर साहब यह हवा का रुख नहीं है बल्कि उन आत्माओं की गूंज है । क्योंकि सूर्यभान के आते ही वह लोग जाग उठे हैं ।अब देखना है कि सूर्यभान के अंदर जाते ही ।वो आत्माएं उसके साथ क्या करती हैं ।अगर यह कातिल है तो आज यह जिंदा बचकर नहीं जा पाएगा ।"


  "इंस्पेक्टर कहते हैं आप इतने यकीन से कैसे कह सकते हैं विशाल कहता है आप देखते जाइए ।


  " सही में वही हुआ सूर्यभान के बंगले के अंदर जाते ही पूरे बंगले मैं ऐसा लगा जैसे मानो कोई तूफान आ गया हो । सारी चीजें अपने -आप इधर से उधर होने लगी हर चीज अपनी जगह से उठा कर इधर से उधर हो रही थी ।"


  " ऐसा लग रहा था कि कोई फेंक रहा हो ।और हवाओं के रुख इतनी तेज थी कि पूरा बंगला हिल रहा था ।और अजीब -अजीब आवाजें होने लगी यह सब देखकर सूर्यभान डर जाता है। और अपने लोगों से कहता है जाकर देखो कौन है यहां कैसी आवाजें हो रही है।"


  "सूर्यभान के लोग कहते हैं साहब जी लगता है कहीं वही आत्माएं तो नहीं है जिन्हें हमने यहां पर गाढ़ा था मुझे तो पूरा शक है।"


  " सूर्यभान डांटते हुए कहता है फालतू की बातें मत करो और डराने की कोशिश मत करो देखो क्या हुआ??


  " तभी अचानक से एक आवाज आती है। और कहती है तू आ गया सूर्यभान मैं तेरा ही इंतजार कर रही थी कि तू कब इस बंगले में आए और मैं तुझसे  अपनी बदला ले सकूं ।


 " अचानक सूर्यभान आवाज सुनकर डर जाता है। और कंपाते आवाज में पूछता है, को,, कौन...कौन बोल रही हो, ,कौन...,हो यहां किसकी आवाज है ।


  " इतनी जल्दी भूल गए कि मैं कौन बोल रही हूं जब तुमने मेरी हत्या की थी और मेरी लिखी हुई सारी किताबों को जलाकर राख कर दिया था यह सब तुम इतनी आसानी से भूल गए तुम्हारी वजह से ना जाने मैंने कितनी लेखकों को जान से मार दिया क्योंकि मुझे उनके चेहरे में तुम नजर आते थे ।"


  " तुमने क्या सोचा कि तूने जो कुछ किया उसके बाद तू शांति से रह पाएगा नहीं । जिस तरह से तूने हम सब भाई बहनों की हत्या की उसी तरह आज तू भी इस बंगले के अंदर अपनी जान देगा ।और इस बंगले के बाहर आज से तू नहीं निकल पाएगा ।बोलकर वह जोर-जोर से हंसने लगती है ।


  "उसकी हंसी सुनकर सूर्यभान डर जाता है ।और डर उसके बाद वह अपने लोगों से कहता है ।चलो भागो यहां से जैसे ही उन लोग बंगले से बाहर निकलने की कोशिश करता है ।बंगले की दरवाजा बंद हो जाती है और वह दरवाजा खोलने की काफी कोशिश करता है मगर दरवाजा नहीं खुलता है ।अंत में वह आत्मा सूर्यभान को मार -मार के पंखे से लटका देती है ।


  " और बाहर खिड़की से विशाल और इंस्पेक्टर ये सब नजारा देखते रहते हैं । जब सूर्यभान की मौत हो जाती है तब अचानक से बंगले का दरवाजा खुलता है ।


  "दरवाजा खुलते ही इंस्पेक्टर और विशाल जब बंगले के अंदर जाता है । तो वह आत्मा कहती है कि आज मुझे और मेरे भाई बहनों को मुक्ति मिल गई अब मैं यह बंगला छोड़कर हमेशा के लिए जा रही हूं । और विशाल से कहती है कि इस हत्यारे को यहां लाकर हम पर बड़ा उपकार किया अब हम चैन से यहां से जा पाऊंगी बोलकर वो अचानक से वो लोग गायब हो जाती हैं।


  " तभी विशाल इंस्पेक्टर से कहता है सर आज उन आत्माओं को मुक्ति मिल गई होगी। चलिए हमने कुछ ना सही कम से कम इन आत्माओं के लिए तो कुछ किया।


  "तभी इंस्पेक्टर कहते हैं तब हुजूर क्या आप इन पर कहानी लिखोगे ।"


 " सोच तो रहा हूं लेकिन यह नहीं कह सकता कि इन पर ही लिखूंगा हां लेकिन कुछ दिमाग में जरूर आ गया कि मैं अब एक अच्छी कहानी लिख लूंगा। चलिए सर आपसे मिलकर अच्छा लगा और आपकी वजह से मैं यहां आया और एक आत्मा को मुक्ति दिला पाया। यह मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी घटना होगी ।अब मैं भी यहां से निकलता हूं बोलकर विशाल सीमा और बच्चों को लेकर मुंबई के लिए निकल पड़ता है । इस तरह यह कहानी की समाप्ति होती है।"



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