Reena Srivastava

Abstract

3.6  

Reena Srivastava

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बारिश की यादें

बारिश की यादें

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पहली बारिश का पहला दिन।

आता है भीगने में बड़ा मजा।।


जब पड़ती है तन में बारिश की बूंदें।

तो प्रफुल्लित हो उठता है मन।।


नाच उठते हैं हम सारे।

झूम उठता है सारा गगन।।


निकलने लगती है स्वर से मीठी आवाज।

 गाने लगते हैं हम सब गीत बहार।।


लगी है आज ना जाने कैसी लगन।

 बरस बरस जा रहा है मन।।


रिमझिम बूंदों की बारिश में।

दिखाई देता हमें जब इंद्रधनुष।।


फिर झूम उठता बगिया में मोर।

चाहू दिशाओं में गूंजने लगती ।।


कोयल की मीठी आवाज।

कुहू कुहू करके जब वह गाती ।।


तब मन को बड़ा प्यारा लगता।

फिर हम भी मन विभोर होकर ।।


गाने लगते झूम उठते इस बारिश में।

हर मौसम का है अपना मजा।।


 पर बरसात में आता है सबसे मजा।

बारिश की यादें सालों भर मन में बस जाती है।।


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