Pradeep Pokhriyal

Inspirational Classics Abstract

4.8  

Pradeep Pokhriyal

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हमारे रास्ते

हमारे रास्ते

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एक जंगल में एक सियार रहता था। सियार केवल इसलिए बदनाम था कि, वह सियार जाति का था। जब कभी किसी जानवर को वह मुसीबत में देखता, वह उसकी मदद को दौड़ पड़ता था। किन्तु किंवदंती के अनुसार सियार धूर्त होते है, बस इसी कारण वह शक की निगाहों से देखा जाता था।

एक रोज़ एक शिकारी जंगल में आया, उस जंगल का अध्ययन करने पर शिकारी को ज्ञात हुआ कि जंगल में पानी के दो तालाब हैं। एक उत्तर की और दूसरा पश्चिम की और। उत्तर के तालाब के पास फलों के पेड़ भी थे, जिस कारण जानवरों का उस ओर आना अधिक था। आसान रास्ता सभी चुनना चाहते है, सो शिकारी ने भी उत्तर दिशा वाले तालाब के किनारे जाल लगा दिया।

संयोग की बात है कि, सियार ने शिकारी को जाल लगाते देख लिया। जंगल में संकट को देख कर, वह बड़ा चिंतित हुआ। अपने स्वभाव के अनुसार, वह जंगल के जानवरों को सचेत करने लगा। जो भी जानवर उसे दिखाई देता। वह उसे उत्तर दिशा की ओर न जाने को कहता, लेकिन सियार धूर्त होते हैं इस धारणा के कारण कोई उस पर विश्वास नहीं करता।

जानवर जाते जाल में फंसते, अन्य जानवर उसे फंसा हुआ देखते, लेकिन सियार पर विश्वास न करते। एक खरगोश ने जाल में फंसे हिरन से पूछा, "आप को तो सियार ने सचेत किया था आप कैसे फंस गए ?" , हिरन ने उत्तर दिया " मेरा मानना था की सदियों चली आ रही मान्यता गलत नहीं हो सकती, कुछ करो मित्र, मुझे बचाओ"।

खरगोश ने उत्तर दिया, " तुम्हें बचाने के लिए सियार सभी जानवरों को कह रहा है, लेकिन कोई उस पर विश्वास नहीं करता।"

अब किम्वदंतियां यथार्थ से जीत रही हैं। खरगोश ने जंगल में आ कर शोर मचाया, " हिरन शिकारी के जाल में फंस गया है, उसकी मदद करो।", खरगोश की बात सुनकर, कुछ पशुओं ने हिरन की मदद करने की कवायद शुरू की। सभी खरगोश के साथ हिरन तक पहुंचना चाहते थे। खरगोश उन्हें लेकर तालाब की ओर चल पड़ा, तभी खरगोश ने कहा, " मैं तो पहले ही कहता था, कि सियार सच बोल रहा है।" , बस इतना सुनना था कि सभी जानवर वापस चल पड़े जंगल की ओर। 

शिकारी, हिरन को ले कर चला गया। फिर तो शिकारी आता रहा और उसे जानवर मिलते रहे।


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