Pradeep Pokhriyal

Children Stories Inspirational Classics Abstract

4.8  

Pradeep Pokhriyal

Children Stories Inspirational Classics Abstract

लोकतन्त्र

लोकतन्त्र

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हर रात की भांति इस रात भी चूहों की सभा हुयी , विचार किया गया की बिल्ली के गले में घंटी कौन बंधेगा । अब समय बदल रहा था, सभा में अब सभी प्रकार के चूहे आ सकते थे । मोटे चूहे , पतले चूहे , काले चूहे , सफ़ेद चूहे , बुजुर्ग चूहे , नौजवान चूहे , उन्मादित और निष्क्रिय चूहे भी । 

 इस बार भी सन्नाटा हुआ , लेकिन ठहरा नहीं । एक अति उत्साहित चूहे ने घोषणा कर दी, कि बिल्ली के गले में वह घंटी बंधेगा । ऐसा पहले कभी हुआ नहीं था , ऐसा किसी ने सोचा नहीं था । यह क्रांति की पदचाप थी , सभी की भिन्न भिन्न प्रतिक्रियाएं थीं । चूहे ज्ञानी तो होते ही हैं , अतः विद्वानों में मतभेद भी अवश्यम्भावी था जो हुआ भी । लम्बे मंथन के बाद एक राय बनी, उस नौजवान चूहे को घंटी और जिम्मेदारी दे दी गयी ।

रात भी टली , सभा भी समाप्त हुयी । उत्साह हो या उन्माद सभी की उम्र होती है , इस नौजवान के साथ भी ऐसा ही हुआ । उन्माद के बीत जाने के बाद उसे अहसास हुआ की असंभव काम का बीड़ा उठा लिया है । करे तो मरे न करे तो मरे , अब क्या हो । इधर पूरा चूहा समाज टकटकी लगाए बैठा था , एक नए युग का आगाज होने वाला था । आखिर नौजवानों के कन्धों पर ही  भविष्य का भार शोभित होता है । 

एक और रात आयी , घंटी बांधने की रात , नौजवान को तिलक लगाया गया शपथ दिलाई गयी और पूरा समाज निश्चिन्त होकर सो गया । नौजवान चूहा जानता  था की बिल्ली और बिल्ली के प्रभाव को वह छू भी नहीं सकता । अब उसने घंटी उठाई और अपने ही एक साथी के गले में बांध दी । सुबह सभी ने एक दूसरे को बधाई दी आनन्द मनाया गया । 

सभी चूहे आश्वस्त थे , बिल्ली के गले में घंटी बांध दी गयी है । तभी घंटी की आवाज सुनायी दी , घंटी की आवाज़ का मतलब संकट । सभी मरे डर के इधर भागने लगे , उचित स्थान देख कर छुपने लगे । नौजवान जानता था कि , घंटी हमने ही बंधी है । वह जानता था कि जिसे घंटी बंधी है वह भी हम सभी में से एक है , लेकिन वह भी डर रहा था , वह भी छुप रहा था ।


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