Priyanka Gupta

Abstract Drama Inspirational

4.5  

Priyanka Gupta

Abstract Drama Inspirational

हम ज़िन्दगी के साथ जो भी करते हैं ,ज़िन्दगी वह ब्याज समेत वापस लौटाती है।

हम ज़िन्दगी के साथ जो भी करते हैं ,ज़िन्दगी वह ब्याज समेत वापस लौटाती है।

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नेहा एक सरकारी अधिकारी थी। नेहा ने हाल ही लम्बी ट्रेनिंग के बाद अपना ऑफिस ज्वाइन किय था। नेहा के पापा ने उसे सलाह दी थी कि, " बेटा हमेशा सिक्के के दोनों तरफ देखकर ही कोई निर्णय लेना। सच हमेशा वही नहीं होता ;जो हमें दिखता है। सच कई बार ढूंढना पड़ता है। "

नेहा खुद एक ईमानदार अधिकारी थी ;लेकिन वह हमेशा सामने वाले क भी ईमानदार मानकर ही चलती थी। वह अपनी ईमानदारी का बोझ दूसरों पर नहीं डालती थी। "तुम अगर दूसरों को बेईमान मानकर चलोगी तो कभी किसी पर विश्वास नहीं का पाओगी और तुम्हारे कार्य भी लालफीताशाही के शिकार होंगे।अगर कोई बेईमानी करते हुए दिख जाए तो उस मत छोड़ना। ",नेहा ने पापा की यह सीख गाँठ बाँध ली थी। 

एक दिन ऑफिस में नेहा के सामने एक बड़ा ही इंटरेस्टिंग केस आया। एक आदमी आया और शिकायत करने लगा कि, "उसके १०-१५ लाख रूपये के परिपक्व(mature ) बचत पत्र चोरी हो गए थे और उनका भुगतान किसी और के द्वारा उठा लिया गया है।इसमें आपके ऑफिस क कर्मचारी की मिलीभगत है।"

नेहा ने पूछा, "आपने चोरी की रिपोर्ट दर्ज नहीं करवाई थी क्या ? "

उसने कहा, " करवाने जाने ही वाला था ;लेकिन उससे पहले ही भुगतान उठा लिया गया। "

नेहा ने फिर पूछा, "आपको कैसे पता चला कि भुगतान उठा लिया गया है। "

उसने जवाब दिया, "अपने अकाउंट स्टेटमेंट से। बचत पत्रों का भुगतान मेरे खाते में ही किया गया था और उसके बाद मेरे खाते से पैसे निकाल लिए गए। withdrawal slip पर मैंने तो साइन भी नहीं किये थे;तब भी आपके कर्मचारी ने रिश्वत लेकर भुगतान कर दिया। "

नेहा ने उन्हें शिकायत लिखित में देने के निर्देश दिए और कहाँ पर अकाउंट है ?कुल कितने रूपये के बचत पत्र चोरी हुए थे ?आदि सभी सूचना भी ले ली और उन्हें जाने को बोल दिया।

नेहा ने अपने कर्मचारी के विरुद्ध कोई भी कार्यवाही करने से पहले, एक बार उनकी शिकायत क्रॉस चेक करने की कोशिश की। वह सच तक पहुँचना चाहती थी। इसीलिए उसने सबसे पहले उनके खाते की डिटेल्स मंगवाई। नेहा ने देखा कि यह तो एक संयुक्त खाता (joint account )था और उन सज्जन ने यह बात तो बताई नहीं थी या जानबूझकर नेहा से छिपाई थी। गड़रिये की कहानी के जैसे एक बार का झूठा बार -बार झूठा ही समझा जाता है ;वैसे ही जब उन सज्जन का एक झूठ पकड़ा गया तो नेहा को उनकी पूरी कहानी से झूठ की बू आने लगी थी।फिर उसने withdrwal slip मंगवाई। withdrawl स्लिप पर दूसरे खाता धारक के साइन थे। यह साइन ऑफिस रिकॉर्ड में उपलब्ध साइन से मैच भी कर रहे थे।

तब नेहा ने भुगतान करने वाले अपने कर्मचारी को बुलाया और उससे पूछताछ की। भुगतान करने वाले का कहना था कि भुगतान उन सज्जन की बीवी को किया गया था। उनकी बीवी परिपक्व बचत पत्र लेकर आयी थी, जो कि उन सज्जन के नाम थे ;जब महिला को कहा गया कि, "जिसके नाम बचत पत्र हैं ;उन्हें एक बार तो आना पड़ेगा।"

तब महिला ने कहा कि, "उसके पति बीमार हैं और उन लोगों को पैसे की सख्त जरूरत है। वैसे भी भुगतान कैश में तो करना नहीं है, आप पैसे संयुक्त खाते में जमा करा दीजिये। Please help us ."

अतः मानवीय दृष्टिकोण से बचत पत्रों का भुगतान दोनों के संयुक्त खाते में कर दिया गया और उसके बाद महिला ने पैसे निकाल लिए थे। नेहा ने अपने कहा कि, "कई बार हम भावनाओं में बहकर ;मानवता के नाम पर ;मदद क लिए नियमों क विरुद्ध काम कर देते हैं। उसी का चालाक लोग फायदा उठा लेते हैं। अतः कभी भी नियम विरुद्ध जाकर किसी की मदद मत करो ;उल्टा उससे हमें ही नुकसान होता है। यह तो हवन करते, हाथ जलाने वाली बात हो गयी। "

नेहा को समझ नहीं आ रहा था कि "उन सज्जन ने इतनी बड़ी बात क्यों छुपाई?" नेहा ने रिकॉर्ड में उपलब्ध पते की जांच करवाई तो पता भी सही था। दिए गए पते पर वह सज्जन और उनके भाई -भाभी रहते थे। संयुक्त खाता उनका और उनकी भाभी के नाम था। इसके अलावा उनके २ और बैंकों में संयुक्त खाते थे। जो महिला अपने आपको उनकी बीवी बता रही थी, वह तो दरअसल उन सज्जन की भाभी थी।

नेहा को इस मामले में दाल में काला नहीं, बल्कि पूरी दाल काली लग रही थी। नेहा ने मामले की तह तक जाने की कोशिश की। नेहा ने सज्जन पर पूरी नज़र रखवाई ;तब नेहा को पता चला कि इन सज्जन ने शादी नहीं की थी, क्यूंकि इनके अपनी भाभी से प्रेम सम्बन्ध थे। भैया बेरोज़गार थे और इन सज्जन की कमाई से ही घर चलता था। इसलिए सब जानकर भी इनके भाई खामोश थे। इन प्रेम संबंधों में ही देवर ने भाभी के साथ संयुक्त खाते खुलवा लिए थे। बचत पत्र भी चोरी नहीं हुए थे, बल्कि भाभी के पास ही थे। इन सज्जन को फुर्सत नहीं मिल रही थी ;इस कारण इन्होने ही भाभी को बचत पत्रों का भुगतान लेने भेजा था। लेकिन भाभी ने इन्हे बिना बताये खाते से पैसे निकाल लिए थे और खुद के निजी खाते में जमा करवा दिए थे।

असली लड़ाई पैसों की भी नहीं थी। भाभी अब अपने देवर से भी बोर हो गयी थी तथा भाभी के अब किसी और से प्रेम संबंध हो गए थे। इन सज्जन को प्रेम संबंधों और खाते से पैसे निकाले जाने का एक साथ ही पता चला। इन सज्जन ने पहले अपनी भाभी को नए प्रेम संबंध तोड़ने के लिए बहुत समझाया। इनके होते किसी और से भाभी के प्रेम संबंध ये सज्जन बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे।सीधी उंगली से घी निकलते न देख, इन्होने भाभी को जालसाजी के मामले में फंसा देने की धमकी दी ताकि भाभी प्रेम संबंध को तोड़कर इनके पास ही लौट आये ;लेकिन जब भाभी ने इनके हिसाब से चलने से साफ़ -साफ़ इंकार कर दिया तो इन्होने बचत पत्रों की चोरी और खाते से भुगतान उठाने की शिकायत दर्ज करवा दी।

नेहा के सामने मामला शीशे की तरह साफ़ था। अपनी निजी खुन्नस निकालने के लिए सज्जन झूठी शिकायत कर रहे थे। उनकी शिकायत नेहा ने रद्द कर दी। हम ज़िन्दगी के साथ जो भी करते हैं, ज़िन्दगी वह ब्याज समेत वापस लौटाती है। उन सज्जन ने अपने भैया की कमजोरी का फायदा उठाया। उनके हाथ से प्रेम और पैसा दोनों ही निकल गए। विवाहेत्तर संबंध किसी की निजी पसंद हो सकती है, लेकिन अंत में ऐसे संबंध हमेशा तकलीफ ही देते हैं।


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