Shelly Gupta

Abstract

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हाय मेरे अधूरे सपने

हाय मेरे अधूरे सपने

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हमेशा से ही इच्छा थी पीहू की कि कभी तो उसे भी गुलाब मिले पर इच्छा इच्छा बनके ही रह गई। कॉलेज में वो इतने दब्बू स्वभाव की थी कि उसकी नज़रें बोर्ड स इधर उधर जाती ही नहीं थी और शादी के बाद जीवनसाथी ऐसा मिला जिसे रोमांस का र भी नहीं आता था। हर बार टीवी पर हीरो हीरोइन को जब फूल देता था तो वो ठंडी सांस भर के रह जाती थी।


एक दिन यही ठंडी सांस गलती से उसने अपनी ननद के सामने छोड़ दी। अब ननद रानी तो लग गई पीछे कि बताओ क्या बात है? मरती क्या ना करती, पीहू ने ननद को अपनी अधूरी इच्छा के बारे में बता दिया। और जैसा कि उसे पता ही था, ननद रानी ठहाका मार के हंस दी और फौरन अपने भाई को आवाज़ देकर उन्होंने बाहर बुला लिया।


पीहू अपने पति को देख कर बड़ी शर्मिंदा हुई कि अब दीदी उन्हें भी बता देंगी और दोनों भाई बहन मिलकर उसपर हंसेंगे। दीदी ने बताया तो जरूर पर साथ ही साथ भाई को ये इच्छा तुरंत पूरी करने का हुक्म भी से दिया।


पीहू जहां हैरानी से अपनी ननद को देख रही थी वहीं उसके पति के होश ही उड़ गए बहन का फरमान सुन। उन्होंने फट से बहाना बनाया कि रात हो गई कल देखेंगे। पर सुबह दीदी को वापिस जाना था तो वो भी अड़ गई कि भाई को घुटनों पर लाकर ही छोड़ना है । फट से उन्होंने सोफे पर पड़ा दिल के आकार का कुशन उठा लिया और बोली कि अब आओ घुटनों पर और दो ये आई लव यू कहते हुए पीहू को।


मरता क्या न करता की तरह पीहू के पति देव एक घुटने के बल ज़मीन पर बैठ गए और पीहू को कुशन देते हुए आई लव यू बोलने लगे। पीहू का सपना तो उम्मीदों के परे पूरा हो गया। दीदी को थैंक यू बोलती हुई वो उनके गले से झूल गई और अचानक हुए इस हमले से ननद रानी लड़खड़ा कर पीहू के पति पर गिरते गिरते बची।


तब जाकर पीहू को याद आया कि कुशन लेकर उसे पति की आंखों में भी तो झांकना था फिल्मी हीरोइन की तरह पर तब तक पतिदेव घुटने को सहलाते खड़े हो गए और कमरे से निकल गए।


पीहू के अरमान फिर आधे अधूरे उसके मन में रह गए और वो मन ही मन रोने लगी कि हाय मेरे अधूरे सपने कभी पूरे होंगे भी कि नहीं।



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