Dr Jogender Singh(jogi)

Romance

4  

Dr Jogender Singh(jogi)

Romance

गुपचुप

गुपचुप

3 mins
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”कॉफ़ी पीने चल सकती हो” ? तुम से कुछ बात करनी है। 

नहीं , मैं नहीं आ सकती। रितु ने घबराते हुए जवाब दिया। 

अरे , पन्द्रह मिनट की ही तो बात है। 

मेरी ट्यूशन है , फ़िज़िक्स की , नहीं आ सकती मैं।

तुम समझती क्यों नहीं ? अमन गिड़गिड़ाते हुए बोला। मैं तुम्हें कितना प्यार करता हूँ।” रितु I love you so much , try to understand . 

मैं यह सब नहीं करना चाहती , आप समझिये आप मेरे सीनियर है , मैं आप की इज्जत करती हूँ। पर प्यार / व्यार के चक्कर में मैं नहीं पड़ सकती।और आप भी अपने कैरियर पर ध्यान दीजिए। 

तुम हाँ कर दो , फिर मैं खूब मेहनत करूँगा। कुछ बन जाने के बाद ही तुमसे मिलूँगा। यह मेरा वादा है , प्लीज़। 

मुझे जाना होगा देर हो रही है। रितु तेज़ी से चली गयी।

अमन सिर पकड़ कर बैठ गया। “ दिल छोटा मत कर सब ठीक हो जायेगा ” विशाल ने अमन के कन्धे पर हाथ रखा।

कैसे ठीक होगा यार। समझती ही नहीं , पता नहीं क्यों ऐसा कर रही है ? 

यार ! होगी कोई मजबूरी ? पर वो तुमको पसंद करती है , मैंने देखा है annual function में , कितने प्यार से देख रही थी तुम्हें। “ थोड़ा इंतज़ार कर मेरे भाई , उसके दिल में तेरे लिए कुछ तो है ”। 

मेरा दिल रखने के लिए झूठ मत बोल विशाल। 

तू कामिनी से पूछ लेना। कैसी नज़रों से तुम्हें देख रही थी।

कामिनी से बात कर प्लीज़। मेरे भाई मुझे बस इतना पता चल जाये कि वो मेरा इंतज़ार करेगी। मैं कुछ बनने के बाद उस से मिल लूँगा।अमन की आँखों में आंसू थे।

बोर मत कर , देवदास बन कर। मैं बात करूँगा कामिनी से। “ पर एक वादा कर रितु हाँ बोले चाहे न तू अपनी स्टडीज़ पर पूरा ध्यान देगा ”। वादा कर। विशाल ने गम्भीरता से अमन की आँखों में झांका।

अभी तो तू कह रहा था , कि उसके दिल में मेरे लिए कुछ है। अब तू ऐसे क्यों बोल रहा है ? 

अरे देवदास के बापू , मैंने कहा अगर “ मान लो एक परसेंट चान्स हो ना का तो भी तू ठीक रहना ”। मैं बात करता हूँ कामिनी से।

भाभी जी आप ने कामिनी को जवाब दिया था , कि मोंटू भैया से पूछ कर बतायेंगी। यह सुनकर इस अमन का अमन / चैन सब ग़ायब। मोंटू भैया का क्या ज़लज़ला था ? अब आशिक़ बेचारे को डर के मारे नींद नहीं आ रही थी। विशाल हँसते हुए बोला।

“डर तो मैं गया था ” पर इसको खोने के डर से। मोंटू भैया से कैसा डर ? अमन सीना तानकर बोला।

रितु मुस्कुरा रही थी। 

“भाभीजी। मोंटू भैया आपकी बुआ जी के बेटे हैं ना ? ”। 

जी भाई साहब। चाय लीजिए।

चाय तो मोंटू भैया ने पिलाई थी समोसे के साथ। क्यों अमन याद है ? मेरी तो टाँगे काँप रही थी।पर हमारा देवदास डटा रहा।

डर तो रहा था अमन भी , पर एक रट लगाए था “ मैं रितु को बहुत प्यार करता हूँ ”। मोंटू भैया भी पिघल गये। 

मैं नहीं डरा था। डर तो एक ही था “ रितु न मिली तो मेरा क्या होगा ”? मोंटू भैया दिखते ख़तरनाक थे , दिल के बहुत अच्छे।क्यों रितु ? 

वो तो मैंने उनको क़सम दी थी कि आपको कोई नुक़सान नहीं पहुँचायेंगे। नहीं तो आप को पता चल जाता कितने अच्छे हैं मोंटू भाई।रितु शरारत से मुस्कुराई।

ओहो। तो हीर / रांझा गुपचुप मर रहे थे एक दूसरे पर। और बेवक़ूफ़ बना विशाल। विशाल ने माथे पर हाथ मारा। मैं बचपन से ही बेवक़ूफ़ हूँ। पिता जी सही कहते हैं। 

नहीं यार तू नहीं होता , तो हम दोनो कभी नहीं मिल पाते।

थैंक्स यार ,अमन बोला।

भाभी जी। पकोड़े बना लीजिए। आज तो पार्टी होगी।

जी भाई साहब।


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