गो गो गोआ
गो गो गोआ
पिछले 18-20 वर्षों पुरानी बात है। बच्चों के स्कूल का ग्रीष्मकालीन अवकाश था।
हमारे तीनों पुत्रों ने संयुक्त रूप से मुझसे कहा "पापाजी हमें गोआ देखना हैं। मित्रों से सुना है कि बड़ा अच्छा और प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है।वहां देखने और जानने के लिए, बहुत सी वस्तुयें और स्थान है।आप प्लान कीजिए। जब भी संभव हो,हमें गोआ दिखा दीजिये। "
मैंने बच्चों से वादा किया कि जब भी अवसर मिलेगा, हम सभी गोआ घूमने जरूर जायेंगे।मेरी भी बहुत दिनों से गोआ घूमने की इच्छा थी ही।
वह अवसर जल्दी ही आ गया। हमारी एल एफ सी बैंक ने स्वीकृत कर दी थी।
गोआ जाने के पूर्व होटल,ट्रेन, स्थलों का हमने पूर्व ही आरक्षण करवा लिया था। तिथि के अनुसार प्रोग्राम सेट कर लिया था।
पत्नि से हमने कहा"गोआ में ठंड बहुत रहेगी।गोआ अरब सागर के तट पर स्थित है। अन्य सामान के अलावा गर्म कपड़े भी तुम याद से रख लेना। ताकि बच्चों को कोई परेशानी ना हो।"
पत्नि ने कहा "आप कोई टेंशन ना लीजिए। सभी व्यवस्था समय में हो जायेगी।मैं कोई शिकायत का मौका नहीं दूंगी।"
मैं निश्चित हो गया। योजना के मुताबिक हम ट्रेन से, परिवार सहित गोआ पहुँच गए और सीधे पणजी के होटल में ठहरै।वहां पहुंच कर आराम किया।
फ्रैश होकर मैंने होटल के मैनेजर से बात की और कहा "आपके पास गोआ के बारे में टूरिस्ट लिटरेचर तो होगा ही। दिखाईये। "
मैनेजर ने उपलब्ध करवा दिया। गोआ राज्य की राजधानी पणजी है।यही सबसे बड़ा और विख्यात शहर भी है।
होटल में बच्चों ने मुझसे पूछा "पापाजी गोआ के बारे में बताइये। हमें भी प्रारंभिक जानकारी, हमसे मिल जायेगी।"
मैंने उनसे कहा "गोआ में पहले पुर्तगालियों का शासन था। 450 वर्षों तक। भारतीय सेना द्वारा आपरेशन विजय के तहत 1961 में गोआ स्वतंत्र करवाया गया और गोआ को भारत का 26वां राज्य बनाया गया। यह विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल है और सभी देशों से,सैलानी यहां प्राकृतिक सौंदर्य, शांति, समुद्र तटों का आनंद लेने गोआ आते हैं। यहां का कार्निवाल फेस्टिवल बहुत प्रसिद्ध है। यहां चर्च ,पुस्तकालय, गोआ दूल्हा,वास्तुकला,देवालय का बड़ा नाम है।हमें मात्र 3दिनों में, जितना हो सकेगा देखेंगे, घूमेंगे। "
बच्चों ने कहा "पापाजी इतना ही बहुत है परंतु हम समुद्र तट (बीच) को पहले देखना चाहेंगे। "
हम सभी समुद्र के तट पर, देखने चले गये। यूँ तो गोआ में 10 प्रसिद्ध बीच हैं। परंतु हमने मात्र दो ही बीच देखा और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लिया।
हम दुनिया के आठवाँ आश्चर्य के नाम से प्रसिद्ध चर्च देखने गये। यह चर्च 1605 में बना था और इस चर्च में सेंट फ्रांसिस जेवियर का पार्थिव शरीर, 450वर्षों से सुरक्षित रखा गया है।
कहा जाता है कि इसे बिना रसायन और मसाले का लेप लगाये,अभी तक सुरक्षित रखा गया है। जिसे वर्षों में एक बार ,दर्शकों के लिए खोला जाता है।
हमारे बच्चे उस ममी को देखकर डर गये थे और आश्चर्य में पड़ गये थे। हमने बच्चों से कहा "ये ममी वर्षों से अभी भी सुरक्षित है और यही बात वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं के लिए आश्चर्य का कारण है।यहाँ रिसर्च का काम अनेक वर्षों से किया जा रहा है। "
चर्च देखकर हमारा परिवार प्रसन्न हो गया। पत्नि ने कहा "आश्चर्य है कि हमारी विरासत, हमारी संस्कृति इतनी गौरवशाली थी और है भी। स्थापत्य कला, बनावट,डिजाइन आज भी अद्भुत है।"
मैंने पत्नि से कहा "यही तो विशेषता है। इतने वर्षों से बनी वस्तुयें, लेशमात्र भी नहीं बदली। जस की तस है। तभी तो पूरे विश्व से लोग आते हैं, देखते हैं, समझते है, सीखते हैं और इन्ही चीजों का अपने देश में जाकर प्रसार-प्रचार करते हैं। "
हमने मंगेशी का प्रसिद्ध शिव मंदिर भी देखा,जो कि पणजी से 21 किमी दूरी पर है। मव्य और आकर्षक। सुना है कि पाश्वगायिका लता मंगेशकर जी का यह पैतृक गांव है।
मंदिर में पूजा अर्चना करके मन भावपूर्ण हो गया था।और भी विख्यात चीजें देखी हमने जैसे प्राकृतिक सौंदर्य, बॉलीवुड की शूटिंग वगैरह। बच्चों ने जमकर खरीदारी की।
आज भी पत्नि और बच्चे गोआ टूर की याद करते हैं तो प्रसन्न हो जाते हैं और मुझसे कहते भी हैं कि 'गो गो गोआ '
मेरी भी तो गोआ घूमने की तमन्ना पूरी हुई थी। मैं अब भी याद करते रहता हूँ।
