Rajeev Kumar

Romance

4  

Rajeev Kumar

Romance

गीतों भरी जिन्दगी

गीतों भरी जिन्दगी

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’’ तुझे रब न बनाया किसलिए

तू अकेला न रह जाए इसलिए। ’’ इस गीत को रजत और दिव्या ने गुनगुनाया तो मौसम की रंगत और भी हसीन हो गई। बसंती हवा उस पर कोयल की मघूर तान और उस पर रंगीन फूलों की मादक खुशबू, रजत और दिव्या के प्यार भरे एहसास को और भी गुदगुदा गई। दोनों की नजरें थीं कि झूकने का नाम ही नहीं ले रही थी, हाँ जुबां को कुछ भी बोलने की पाबंदी लग चुकी थी।

जाने का मन तु बिल्कूल भी नहीं कर रहा था लेकिन अपने-अपने घर जाने से पहले रजत और दिव्या ने अगले मिलन के वादे को पुख्ता किया। बहूत जरूरी काम कभी बोलकर नहीं आता है और अक्सर तभी आता है जब आपने किसी से वादा किया हो। मजबूर कर देता है आशिक को। वादे के हिसाब से रजत जब पार्क में नहीं पहूँचा तो दिव्या गुस्से से लाल हो गई। मिलने के समय में उलट-फेर हो सकता था लेकिन मिलने का स्थान तो एक ही था।

रजत को पार्क में बेताबी से टहलते देखकर दिव्या आते के साथ उस पर बरसी तो नहीं मगर कहा ’’ मैंने तुमसे पहले ही कहा था कि मिलने की तुम कोशिश करना वादा कभी न करना, वादा तो टूट जाता है। पर तुम नहीं समझे। ’’

रजत ने दिव्या का सिर अपने गोद में रखते हुए कहा ’’ सॉरी जानू क्या बताउं ? काम ही इतना अर्जेंट था कि मैं ना नुकूर करने के बाद भी चाहकर भी यहाँ नहीं आ पाया। आइन्दा से ख्याल रखूंगा। ’’ दिव्या की आँखें रजत को एकटक निहार रही थी और गुस्से का प्रदर्शन भी कर रही थी इसलिए रजत पूरे कन्फयुजन में था तभी दिव्या की खिलखिलाती हंसी ने रजत को रिलैक्स किया। दोनों प्रेमालाप करने लगे।

पता नहीं कब से कोई उन दोनों को वॉच कर रहा था, रजत और दिव्या इस बात से बेखबर थे। 

एक आवाज सूनाई पड़ी ’’ वाह क्या सीन है ? ’’ आवाज सूनकर दिव्या और रजत ने देखा कि उसकी गली का लफंगा लड़का बीट्टू अपने आवारा दोस्तों के साथ घेर कर खड़ा है। रजत तैश में आ गया।

रजत- कहता हूँ भाग जा।

बीट्टू - नहीं बाबा नहीं।

रजत- बड़ी मार खाएगा।

बीट्टू- कोई बात नहीं।

इतना कहते ही रजत ने बीट्टू का कॉलर पकड़कर दो चार मुक्का जड़ दिया तो बीट्टू के लफंगों ने भी रजत को मुक्के जड़ने शुरू कर दिए। वो भी गालियों के साथ। मगर रजत अकेला सब पर भारी पड़ा। अभी कुछ देर पहले दिव्या रजत को झगड़ा रोकने के इशारे कर रही थी अब वहील शाबासी से रजत का पीठ थपथपा रही थी।

थोड़ी ही देर में दिव्या को उदासियों ने घेर लिया तो रजत ने कहा ’’ कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना, छोड़ों इन बेकार की बातों में कहीं बीत न जाए रैना। ’’

बात फैलने से दोनों के घर में तनातनी का माहौल बन गया तो दिव्या ने रजत से कहा ’’ छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए, ये मुनासिब नहीं आदमी के लिए, प्यार से भी जरूरी काम हैं, प्यार सब कुछ नहीं जिन्दगी के लिए। ’’

रजत ने भी कहा ’’ तुझे भूलना तो चाहा, मगर भुला न पाया। ’’ 

न रजत को दिव्या के आँसू देखे गए और न ही दिव्या को रजत की आँखों में आँसू देखना मंजूर, दोनों पागल दिल मजबूर। रजत ने दिव्या का हाथ अपने हाथों में लेकर कहा ’’ तुम्हें अपने दिल से कैसे जुदा हम करेंगे। ’’

दिव्या ने भी कहा ’’ मर जाएंगे और क्या हम करेंगे। ’’

रजत ने कहा ’’ चलो चलें दुर कहीं प्यार के लिए ये जगह ठीक नहीं। ’’ और होना क्या था दोनों फरार। 

दिव्या के पिता ने केस दर्ज करवाया कि मेरे बेटी का अपहरण हुआ है, पुलिस हरकत में आई और हिरासत में ही रजत और दिव्या की शादी बड़ी मुश्किल और बहूत समझाने मनाने के बाद पुलिस वालों ने ही करवाई।

तनातनी तो अब भी है, तनातनी का माहौल भूल कर रजत गुनगुना रहा है ’’ सुहाग रात है घुंघट उठा रहा हूँ मैं। ’’ 

दिव्या शरमा कर रजत की बाहों में निढाल हो गई।



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