घर की इज़्ज़त

घर की इज़्ज़त

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पूरे घर में शोर मचा हुआ था... ईशा कहाँ गई? ईशा कहाँ गई? 

उसकी मम्मी ने पूरे घर में ढूंढ़ लिया। जब उसका कुछ पता नहीं चला तो उसकी मम्मी प्रीती ने उसके पापा, उसकी बहन और उसके भाई को फोन मिला कर सब बताया।

ईशा के पापा ने कहा "अरे घबराती क्यों हो? होने वाले दामाद जी के साथ कहीं गई होगी, तुम्हें बताना भूल गई होगी। तुमसे उसकी कुछ देर की दूरी सहन नहीं हो रही, तो चार दिन बाद उसे विदा कैसे करोगी? 

मम्मी-पापा की ट्रैन आने वाली है, मैं फोन रखता हूँ।" कहते हुए ईशा के पापा ने बिना उसकी मम्मी की आगे बात सुने फोन काट दिया।


उधर उसकी बहन मीशा ने यह कह कर फोन काट दिया कि "मम्मी अभी क्लास में हूँ। आज-आज और क्लास अटेंड कर लूँ फिर तो एक हफ़्ते की छूट्टी लेनी ही पड़ेगी। ईशा के भाई विशेष ने कहा मम्मी "अभी घर आकर देखता हूँ, रास्ते में हूँ, बाइक चला रहा हूँ।" ईशा की मम्मी ने उसकी सहेलियों को, उसके ऑफ़िस में सब जगह फोन कर के पूछ लिया पर कुछ पता नहीं चला।

आखिरकार डरते-डरते उन्होंने होने वाले दामाद नमन को फोन मिला कर पूछा। उसने बताया कि "उसकी बात तो ईशा से कल शाम के बाद हुई ही नहीं।" प्रीति ने हड़बड़ा के फोन रख दिया।


इतने में विशेष आ गया उसने कहा "मम्मी आप घबराओ नहीं, ईशा मार्किट गयी होगी। नेटवर्क की प्रॉब्लम आ रही होगी। इसलिए फोन नहीं उठा पा रही होगी। थोड़ी देर में ईशा के पापा उसके दादा-दादी को स्टेशन से लेकर आ गये। शाम को घर में कीर्तन था। कुछ देर बाद सब आने शुरू हो जाएंगे और ईशा का कुछ पता ही नहीं चल रहा। यही सब सोच कर अब तो सब परेशान हो रहे थे। प्रीती पूजा की तैयारी तो कर रही थी पर मन ही मन में एक अनजाना भय उसे सता रहा था।


प्रीती पूजा की थाली सजा रही थी, तभी फोन बजा वह हाथ में थाली लिए-लिए फोन उठाने गई। उसने देखा ईशा का फोन था। उसने जल्दी से फोन उठाया और बोली "कहाँ है तू? हम सब कितने परेशान हो रहे हैं। ऐसे बिना बताये कहाँ चली गई? तभी ईशा दूसरी तरफ से चिल्ला पड़ी "मेरी भी सुनोगी या अपनी बोलती रहोगी। मैं अब घर वापिस नहीं आऊँगी। मैं समर्थ से प्यार करती हूँ और अब उससे ही शादी करने जा रही हूँ।" यह सुन कर प्रीती के हाथ से पूजा की थाली छूट गयी। वह बोली "तूने हमें पहले क्यूँ नहीं बताया। हमने तुझसे पूछ कर ही यह रिश्ता पक्का किया था। अब सारे कार्ड बट चुके हैं, शादी के लिए सारी तैयारियाँ हो चुकी हैं। कल से सब रिश्तेदार रहने आ जायेंगे। एक बार भी तुझे घर की इज़्ज़त की परवाह नहीं हुई? अभी तक तो तू अपनी पसंद की शॉपिंग कर-कर के आ रही थी। लाखों रुपया बर्बाद होगा, तूने एक बार भी सोचा? तू एक बार तो हमें बताती, तेरे मन में क्या चल रहा है।"

ईशा ने कहा "मुझे आपको यह सब बताने की हिम्मत नहीं हो रही थी। आप नमन की शादी मीशा से करा देना।" प्रीती ने कहा "तेरा दिमाग ख़राब हो गया है? मिशा अभी पढ़ रही है और वो नमन को जीजू की तरह देखती है। ऐसे कैसे में घर की इज़्ज़त के लिए उसकी भावनाओं के साथ खेलूँगी।" घर आ जा, अपनी माँ की बात मान ले।" प्रीती ने ईशा से गिड़गिड़ाते हुए कहा।


ईशा को अपनी मम्मी की बातों से कोई फर्क नहीं पड़ा। उसने कहा "अब मैं यह सिम फेंक रही हूँ। अब मुझे दोबारा फोन मत करना। सोच लो मैं आपके लिए मर गयी हूँ। कहते हुए ईशा ने बड़ी बेरुखी से फोन काट दिया, प्रीती को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह यह सब किस मुंह से सब को बताये। जिस बेटी पर उसे इतना गर्व था, जिसके खिलाफ़ वह किसी की एक बात नहीं सुनती थी। आज उसने घर की इज़्ज़त ख़ाक में मिला दी थी। प्रीती ने सारी बातें ईशा के पापा को बताई तो एकदम से बी.पी. हाई होने से वह बेहोश हो गए। होश में आने पर उन्होंने बड़ी हिम्मत जुटा कर लड़के वालों को सब बताया और उनसे माफ़ी मांगी। फिर उन्होंने सभी रिश्तेदारों को फोन कर के बताया। पूरी बिरादरी में बदनामी हो गयी। बहुत दिन लग गए उन सब को अपने को संभालने में।

एक दिन अचानक से ईशा का फोन आ गया की वो घर वापिस आना चाहती है। उस लड़के ने उसे धोखा दे दिया।

ईशा ने फोन पर कहा "मम्मी मैं घर वापिस आना चाहती हूँ। समर्थ मुझे धोखा दे कर भाग गया।"

प्रीती ने गुस्से में कहा "तेरी हिम्मत कैसे हुई मुझे फोन मिलाने की। तूने तो कहा था न, "यह समझ लो की तू मर गयी है, हमारे लिए।" तुझसे पूछ कर ही तेरा रिश्ता पक्का किया था। घर से भागने से पहले एक बार भी हमारी इज़्ज़त का ख्याल आया।" प्रीती ने गुस्से में ईशा को बताया "जिस नमन को छोड़ कर तू भाग गयी थी। उससे तेरी मौसी ने अपनी बेटी रिया की शादी कर दी थी। नमन ने उसे सर-आँखों पर रखा हुआ है। तूने तो खुद ही अपने लिए गड्डा खोदा था।"


ईशा ने कहा "मम्मी समर्थ को मुझ से प्यार ही नहीं था। वो तो अब रोज़-रोज़ मुझ से लड़ता है। कभी-कभी तो मार भी देता है। खुद तो पूरे दिन शराब पीने लगा है, और मुझसे कहता है "अपने बाप से पैसे लेकर आ, तुझे मुफ्त की रोटी नहीं खिलाता रहूँगा।" दो दिन से तो वो घर ही नहीं आया है। उसने मेरा फोन भी अपने पास रख लिया है। मैं मार्किट आई थी तो आपको फोन मिलाया है।" सब जगह उसके बारे में पता कर लिया पर कुछ पता नहीं चला। वो वापिस आकर फिर मेरा जीना मुश्किल करे, उससे पहले आप मुझे उससे बचा लो।

प्रीती ने कहा "तो अब तू हमसे यह उम्मीद लगा रही है, की हम तेरी रूपए-पैसे से मदद करें। तेरी शादी की तैयारी में हमने हर जगह जो भी बुकिंग की थी, उसमें कितना पैसा लगा था, कभी हिसाब लगाया है, तूने? लोगों ने हमारा इतना मज़ाक बनाया की तंग आकर हमने अपना घर ही शिफ्ट कर लिया। मीशा के पापा तो उसी दिन से बीमार रहने लगे हैं। अब यहाँ तो हमें चैन से रहने दे।" ईशा ने चौंकते हुए कहा "मीशा के पापा? अब आप मेरे मम्मी-पापा भी नहीं रहे हो क्या? जीते जी मार दिया क्या मुझे? ईशा ने गिड़गिड़ाते हुए आगे कहा "मुझे माफ़ कर दो, मेरे होने वाले बच्चे पर तो तरस खा लो।"


प्रीती ने कहा तू क्या चाहती है "मैं तेरी वजह से तेरे भाई-बहन का भी भविष्य बर्बाद कर दूँ।"

ईशा ने कहा "मम्मी मैं प्रेग्नेंट हो गयी थी, इसलिए मैं बहुत डर गयी थी। मुझे समझ ही नहीं आ रहा था, कि क्या करूँ।" 


तभी ईशा के पापा जो की प्रीती के पीछे खड़े हुए सब सुन रहे थे। उन्होंने प्रीती के हाथ से फोन लेकर कहा "तेरी मम्मी का ज़रूरत से ज़्यादा तेरे ऊपर भरोसा, आज हमारे दुःख का कारण बना है। एक-दो बार किसी ने कहा भी "कि उन्होंने तुझे किसी लड़के के साथ देखा है" पर प्रीती ने उन्हें ही गलत ठहरा दिया। वैसे तो मैंने तुझे मरा हुआ ही समझ लिया था। पर क्या करूँ बाप हूँ न। हम तुझे अपने साथ तो नहीं रखेंगे, यहाँ पास में ही मेरे एक दोस्त का एन.जी.ओ है। वो बेसहारा लड़कियों की मदद करते हैं। मैं उनसे तेरे लिए बात कर लूँगा। ईशा के पापा ने उसे एड्रेस देते हुए बताया कल वहाँ जाकर उनसे मिले।" कुछ समय बाद ईशा ने एक बेटे को जन्म दिया। प्रीती सब से छुपा कर कभी-कभी ईशा से मिल आती थी और थोड़ी बहुत उसकी मदद कर देती थी। एक बार समर्थ का एक दोस्त ईशा को मार्किट में मिल गया था तो उसने ईशा को बताया कि "समर्थ को चोरी और खून करने के इलज़ाम में उम्र कैद हो गयी है।"


एक दो-बार ईशा के पापा ने ईशा को बच्चे के साथ एन.जी.ओ में देखा तो उनका भी बच्चे के लिए प्यार उमड़ गया। वह उसे घर वापिस लाने को तैयार हो गए कि हम कोई अच्छा सा लड़का देखकर उसकी शादी कर देंगे। पड़ोसियों ने जब प्रीती से ईशा के बारे में पूछा तो उसने सब से कह दिया की "ईशा हमारी बड़ी बेटी है। इसकी शादी एक गाँव में हुई थी। इसका पति चल बसा, इसलिए हम इसे अपने पास ले आये। पड़ोसी आपस में काना-फुसी तो करते रहे पर ईशा के परिवार ने अब सबकी परवाह करनी बंद कर दी थी। ईशा के भाई-बहन तो उससे बहुत दिन तक नाराज़ रहे। पर जब ईशा उनके साथ रहने लगी तो उन्होंने भी धीरे- धीरे उसे अपना लिया। ईशा अब नौकरी भी करने लगी थी।


उसके पापा के एक मित्र का बेटा, जिसकी पत्नी मर गयी थी, एक छोटी सी बच्ची को छोड़ कर। वह ईशा से शादी करने को तैयार हो गया।

ईशा अब खुश थी, पर कहीं न कहीं वह पछतावे की अग्नि में जल रही थी। 


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