Renu Poddar

Horror Tragedy

4.7  

Renu Poddar

Horror Tragedy

प्रेतवाधित पेड़

प्रेतवाधित पेड़

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तूफानी रात थी, चारों तरफ घनघोर अँधेरा छाया हुआ था ।सड़कों की बिजली भी गुल थी ।आज पीहू को अपने ऑफिस से निकलने में बहुत देर हो गई थी । उसके सभी सहकर्मी जा चुके थे इसलिए किसी का साथ मिलना भी मुश्किल था । कुछ देर उसने ऑफिस के बाहर ऑटो या टैक्सी का इंतज़ार किया पर जब उसे किसी भी वाहन के आने की संभावना ना के बराबर लगी, तो वो पैदल ही अपने घर की तरफ चल दी । उसने सोचा रास्ते में कोई ऑटो मिल जाएगा, तो कर लूंगी । उसके ऑफिस से उसका घर करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर था । देरी की हड़बड़ाहट में उसका मोबाइल उसके हाथ से गिर गया और अब वो ऑन ही नहीं हो रहा था । ऐसे मुश्किल समय में मोबाइल ख़राब होने से पीहू बुरी तरह घबरा गई क्यूंकि अब वो आपने घर से भी किसी को नहीं बुला सकती थी ।


वो तेज़-तेज़ क़दमों से अपने घर की तरफ लगभग दौड़ने लगी । उसका घर अब करीब आधा किलोमीटर की दूरी पर था । अंधेरे में उसका पैर किसी पत्थर से टकराया और वो गिर गई । वो घुटने के बल गिरी थी, उससे खड़ा ही नहीं हुआ जा रहा था । वो अपना घुटना सहलाने लगी, तो उसे अपने हाथ में कुछ चिपचिपा महसूस हुआ । अँधेरे में वो देख तो नहीं पाई पर उसे एहसास हुआ जैसे उसके घुटनों से खून बह रहा हो । वो अपने को संभाल पाती, तभी उसकी आँखों पर बहुत तेज़ रोशनी पड़ी । वहां से कुछ लड़कों की आवाज़ें आ रही थी । वो एक दूसरे से हँसते हुए कह रहे थे "आज तो मज़ा आ जायेगा, तूफानी रात और लड़की का साथ"।


यह सब सुनकर पीहू के कान खड़े हो गये । वो हिम्मत ज़ुटा कर वहां से भागी और ऐसी भागी कि उसने अपने घर में ही जाकर दम लिया । वो बिना किसी से कुछ बोले सीधा अपने कमरे में चली गई । उसके घर के बराबर में ही एक बरगद का पेड़ था, जो उसके कमरे की खिड़की से साफ़ दिखता था ।उसने हल्का सा पर्दा हटा कर देखा, वो सभी लड़के उस पेड़ के चारों तरफ उसे खोज रहे थे । पीहू खिड़की बंद करके अपने बैड पर लेट गई । वो पूरी तरह काँप रही थी ।


उसकी मम्मी (राधा जी) उसके कमरे में आई तो वो अपनी मम्मी को सब कुछ बता कर रोने लगी । राधा जी ने उसे खाना दिया और उसके ज़ख्मों पर मरहम लगाया । मम्मी के जाने के बाद पीहू का मन तो कर रहा था फिर से एक बार बाहर उन लड़कों को देखने का कि वो चले गए या वहीं खड़े हैं पर वो हिम्मत नहीं जुटा पाई । किसी तरह उसकी आँख लग गई और वो सो गई ।


सुबह घर में शोर-शराबे की आवाज़ से उसकी आँख खुली ।बाहर सड़क से भी बहुत आवाज़ें आ रही थी । पीहू को कोई असामान्य गतिविधि होने का अंदेशा हुआ। पीहू ने खिड़की खोल कर देखा तो चार लड़कों की लाशें ज़मीन पर पड़ी हुई थी । वहां का डरावना दृश्य देख पीहू की सांस उसके गले में ही अटक गयी। उन लड़कों के चेहरे बुरी तरह कुचले हुए थे और उनकी लाशों के आस-पास खून फैला हुआ था । पीहू कल रात को अँधेरे की वजह से उन्हें ठीक से देख तो नहीं पाई थी पर वहां पास में ही अपना दुपट्टा (जो एक लड़के के हाथ लग गया था, जब वो पीहू का पीछा कर रहे थे) पड़ा हुआ देख, पीहू समझ गई थी कि ये वो ही लड़के हैं । 


उनके आस-पास पुलिस खड़ी थी और लोगों की भीड़ लगी हुई थी । उन लड़कों के चेहरे बहुत ही डरावने लग रहे थे। पीहू ने ज़ोर से अपनी आँखें बंद कर ली क्यूंकि उससे यह सब देखा नहीं जा रहा था। कुछ देर बाद अपने को सँभालते हुए पीहू खिड़की के पास ही खड़ी हो कर सबकी बातें सुनने लगी । पुलिस कह रही थी "लड़कों का पूरा शरीर कस के दबाया हुआ लग रहा है । जिस वजह से उनके मुंह से खून बह निकला"।


लोग कह रहे थे "यह सब इस प्रेतवाधित पेड़ पर रहने वाली भूतनी ने किया होगा । ज़रूर वो लड़के किसी लड़की के पीछे भागते हुए इधर आये होंगे", तभी वहां खड़ा एक वृद्ध आदमी बोला "कितने सालों से इस पेड़ को कटवाने की सोच रहे हैं क्यूंकि ये बरगद का पेड़ इस सड़क की बहुत जगह घेरे रखता है ।जिस वजह से आने-जाने वालों को परेशानी का सामना करना पड़ता है पर जैसे ही कोई इस पेड़ को कटवाने की सोचता है, उसके साथ कोई ना कोई अनहोनी हो जाती है या तो उसके घर में कोई मर जाता है या वो स्वयं ही इस दुनिया से कूच कर जाता है इसलिए अब कोई भी इसे कटवाने की बात भी मन में नहीं लाता"। तभी सफ़ेद दाढ़ी वाला दूसरा व्यक्ति उसकी हाँ में हाँ मिलाता हुआ बोला "कुछ साल पहले एक अँधेरी रात में कुछ लड़कों ने इस पेड़ के नीचे एक लड़की का बलात्कार कर के उसे जान से मार दिया । तब से उस लड़की की आत्मा इसी पेड़ में भटकती रहती है । पहले भी दो-चार बार इस पेड़ के नीचे ऐसे ही बुरी हालत में कुछ मृत लड़के मिले थे । वो लड़की भूतनी बन के, आज भी जो भी आवारा लड़के इस पेड़ के नीचे आते हैं, उन्हें मार कर उनका खून पीती है"।पुलिस ने उन लड़कों के घर का पता लगा कर उनकी लाशें उनके घर वालों को सौंप दी ।


पीहू ने खिड़की बंद की और अंदर आ गई । वो अपने पापा के पास गई उस पेड़ पर रहने वाली भूतनी की सच्चाई जानने के लिये । उसके पापा ने कहा "हाँ बेटा मैंने भी उस मासूम से बारे में सुना है । आज से करीब दस साल पहले तब यहाँ आस-पास इतनी रिहाइश नहीं थी । बारिश के दिनों में तूफ़ान बहुत आते थे इसलिए हफ्ते-हफ्ते भर के लिए बिजली गुल हो जाती थी । पहाड़ी पर यहाँ के सरपंच जी का घर था उनकी एक ही बेटी थी जिसके ऊपर वो अपनी जान छिड़कते थे। किसी बात पर सरपंच जी की गाँव के कुछ लोगों से कहा सुनी हो गई, तो उन्होंने अपना बदला लेने के लिए उनकी मासूम बेटी के साथ इसी पेड़ के नीचे दुष्कर्म किया" कहते-कहते पीहू के पापा की आँखों में पानी आ गया ।


पीहू ने अपने पापा से उत्सुकतावश पूछा "जब आप इस पेड़ के बारे में सब जानते थे तो आप इस घर में क्यूँ रहते रहे? जिसके आस-पास किसी की आत्मा भटकती है"।सुधीर जी ने कहा "उस लड़की की आत्मा कभी भी किसी नेक आदमी को परेशान नहीं करती और तुझे तो कल ही उसने बचाया है"। यह सब बातें सुन कर पीहू का दिमाग चकरा गया ।उसने खिड़की से झाँक कर फिर से देखा...इतना शांत सा लगने वाला पेड़, कैसे इतना कुछ करता होगा । इसकी शाखायें उन हैवानों को जकड़ लेती होंगी और निम्बू की तरह निचोड़ देती होंगी"।


पीहू कुछ सोच कर वापिस सुधीर जी के पास गई और बोली "पापा हमें सरपंच जी से मिलकर उस पेड़ पर रहने वाली आत्मा की शान्ति के लिए कुछ करना चाहिए"।सुधीर जी ने बहुत भारी स्वर में कहा "बेटा सरपंच जी बेटी के गम में पागल से हो गए थे । उस लड़की की माँ तो पहले ही भगवान को प्यारी हो गई थी । शायद सरपंच जी के घर में उनका कोई भाई रहता है । हैं तो सब, एक ही कुनबे के । मैं आज ही जाकर उनसे उस प्रेत आत्मा की शान्ति के लिए हवन करवाने की कहता हूँ"।


सरपंच जी के भाई ने हवन करवाया तो उस पेड़ में से किसी के चीखने की आवाज़ें आने लगी । सबने ध्यान से सुना तो वो प्रेत आत्मा चीख-चीख कर कह रही थी "अभी तो मैं जा रही हूँ पर मैं फिर आऊंगी....जब भी कोई हैवान किसी मासूम की इज़्ज़त के साथ खेलेगा...उस मासूम को बचाने मैं बार-बार आऊंगी"। 


 


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