तेरा साथ
तेरा साथ


"रुक भी जाओ, ऐसे अकेला छोड़ कर कैसे जा सकते हो तुम मुझे ? किसके सहारे छोड़े जा रहे हो, कैसे ये पहाड़ सी ज़िन्दगी अकेले बिताऊंगी"? मृदुला सक्षम की अर्थी के पीछे-पीछे चलती-चलती बिलख बिलख कर रोते- रोते बोल रही थी।
घर की कुछ औरतों ने उसे जबरदस्ती पकड़ा कि 'हमारे यहाँ औरतें अर्थी के साथ नहीं जाती'| वापिस घर में आकर कुछ देर तो मृदुला बुत सी बानी बैठी रही, जब सब उससे पानी पीने का आग्रह करने लगे तो वो फूट-फूट कर रो पड़ी।सक्षम की तस्वीर के सामने बैठ कर ऐसे बोलने लगी जैसे सक्षम से बात कर रही हो और अभी सक्षम तस्वीर में से बाहर आ कर उससे बतियाने लगेगा।मृदुला शिकायती लहज़े में सक्षम से पूछ रही थी "तुम तो ऑफिस के लिए निकले थे।मैंने तुम्हें शाम को जल्दी आने के लिए कहा था क्यूंकि आज हमारी दूसरी एनिवर्सरी थी और मैं तुम्हारे साथ ज़्यादा से ज़्यादा वक़्त बिताना चाहती थी।तुमनें मुझसे जल्दी आने का वादा भी किया था, फिर क्यों अपना वादा तोड़ दिया ? एक्सीडेंट कैसे हो गया तुम्हारा, बताओगे तुम मुझे? तभी पास बैठी उसकी सास उसे गले लगाते हुए बोली "बेटा अचानक से सड़क पर खेलती-खेलती किसी मज़दूर की बच्ची उसकी गाड़ी के सामने आ गई।उसे बचाने के चक्कर में सक्षम की गाड़ी डिवाइडर पर चढ़ गई।सक्षम गाड़ी को संभाल ही नहीं पाया।उसकी गाड़ी उलट गई"|
मृदुला अपने को संभालती हुई फ़िर सक्षम की तस्वीर के सामने बैठ गई और उससे पूछने लगी "एक बार भी तुमने हमारे इस अजन्मे बच्चे का सोचा की तुम्हारे जाने के बाद उसका क्या होगा ? जब भी कभी मेरी और तुम्हारी बहस- बाजी होती थी और मैं गुस्से में दूसरे कमरे में जा कर सोने लगती थी, तो तुम भी तो मुझे कहते थे 'मान जाओ, ज़रा रुक भी जाओ, एक बार पलट कर तो देखो' तुम्हारे इतना सा कहने से मुझे हंसी आ जाती थी और मैं अपनी सारी नाराज़गी छोड़ कर
तुम्हारे पास चली जाती थी, तो फ़िर आज तुम मुझसे इतना क्यूँ नाराज़ हो गये की मेरे बार-बार बुलाने से भी नहीं आ रहे हो।देखो अगर तुम मुझसे नाराज़ हो मुझे बता दो, मैं आगे से ऐसा कुछ नहीं करुँगी जिससे तुम्हें बुरा लगे पर एक बार तो अपनी मृदुला पर तरस खा कर आ जाओ।मैं तो आज सब कुछ तुम्हारी पसंद का ही बनाने वाली थी।मैंने तो सब तैयारी भी कर ली थी।अब कौन खायेगा वो सब ? मैं तो आज तुम्हारी पसंद की ड्रेस भी पहनने वाली थी, आओ मेरे साथ तुम्हें सब दिखाती हूँ।मेरे लिये ना सही अपने होने वाले बच्चे के लिए तो आ जाओ, जिसके आने का तुम इतना बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे |मृदुला की बातें सुन वहां बैठा एक-एक शख्स अपने आंसुओं पर काबू नहीं कर पा रहा था।
"अच्छा तुम्हें मुझे सरप्राइज देने का बहुत शौक है ना, तुम ऊपर कमरे में चुपचाप आ कर बैठ गये होंगे" कहती-कहती मृदुला बदहवास सी अपने कमरे की तरफ भागी।इससे पहले कोई उसे पकड़ पाता, उसका सीढ़ियों पर बैलेंस बिगड़ गया और वो नीचे गिरती चली गई।उसका सातवां महीना चल रहा था।सब जल्दी से उठा कर उसे डॉक्टर के क्लिनिक में ले गए क्यूंकि वो बेहोश हो चुकी थी |
डॉक्टर ने तुरंत ऑपरेशन करने के लिए कहा क्यूंकि अंदुरनी चोटें आई थी।डॉक्टर ने कहा "हम बच्चे और माँ में से किसी एक को ही बचा पायेंगे" तो मृदुला के सास-ससुर बोले "आप हमारी बहु को बचा लो।उसने इन दो सालों में हमें बेटी बन कर सम्भाला है"|
ऑपरेशन के बाद डॉक्टर हाथ में मृदुला और सक्षम का बेटा लिए बाहर आई और माफ़ी मांगते हुए मृदुला के सास-ससुर से बोली "माफ़ कीजियेगा, हम मृदुला को नहीं बचा पाये।शायद उसका और सक्षम का प्यार इतना गहरा था कि दोनों एक-दूसरे के बिना रह नहीं पाये"| मृदुला की सास ने बहुत भारी मन से बच्चे को अपनी गोद में ले लिया |