एफ. आई. आर. - 1

एफ. आई. आर. - 1

6 mins
2.1K


एफ. आई. आर.

सुबह का वक़्त था। मैं, वैसे तो रोजाना अपनी बाइक से जाता था, आज सोचा मौसम ठीक नहीं, बरसात होने वाली है और इसी रविवार नए कपडे लाया था। सारे कपडे ख़राब हो जाने के डर से अपनी पुरानी कार से जाना बेहतर समझा। दरवाजे के पीछे सारी चाबियाँ टंगी होती थी, पर आज वहां मेरी कार की चाबी नहीं थी, और घर में कोई चीज़ न मिले तो या तो आपकी माँ बता सकती है, या आपकी धर्म पत्नी। जी, हाँ, मेरी शादी हो चुकी है, तो मैं अपनी धर्म वाली पत्नी को ही आवाज़ देने वाला हूँ। मैं, रमन, पेशे से वकील, काम से इंटेलिजेंट ब्यूरों का होनहार ऑफिसर, वैसे आप मुझे लेखक ही समझे, हूँ भी वही।

( रमन को चाबी नहीं मिल रही थी, और ये आदमी बहुत जल्दी ही परेशान होने वालो में से है, बड़े ही गुस्से से अपनी पत्नी 'रिया' को आवाज़ लगता है।)   

रमन :  रिया, मेरी कार की चाबी कहाँ गई? यार, तुमसे कितनी बार कहा है, मेरी किसी चीज़ को इधर उधर मत किया करो।

(रिया उस वक़्त रसोई में रमन के लिए 'ब्रेक फ़ास्ट' तैयार कर रही थी और जैसे रमन की आवाज़ आई, रिया ब्रेक फ़ास्ट छोड़कर अपने रूम की तरफ आते हुए बोली।)

रिया : रमन, चाबी तो दरवाजे के पीछे ही है, ( बाइक की चाबी दरवाजे के पीछे से निकाल कर देती है।)

रमन : क्या यार, ये तो मुझे भी दिखाई दे रही है। मेरी कार की चाबी कहाँ है?

रिया : तो जनाब, आज कार से जायेंगे ? वो तो मैंने... मैंने अलमीरा में रख दी, सोचा आप कार को न तो खुद चलाते हो , और न किसी को हाथ लगाने देते हो। तो चाबी कंही गुम न हो जाये, इसी लिए सम्भाल कर रखी है। ( चाबी, अलमीरा से निकाल कर रमन को देती है।) ये लो अपने जहाज की चाबी।

रमन : थैंक्स यार, और सॉरी, मुझे लगा था, खो गई।

रिया : जनाब में खो सकती हूँ पर आपकी चीज़े नहीं।

( रमन सर हिला कर, हस्ते हुए चाबी लेता है, रिया के सर को धीरे से हिलता हुआ, घर से निकल जाता है। रमन अपनी कार तक पहुँचता ही है की बारिश शुरू हो जाती है. रमन ऊपर आकाश की तरफ देखता है और बोलता है।)

रमन : मुझे पता था, आज इन्द्रे देवता बहुत प्रसन्न होने वाले है, तभी आज कार ले जा रहा हूँ। बरसो और ज़ोर से बरसो।

( रमन अपनी कार में बैठता है और अपने ऑफिस की तरफ निकल, हाँ, जनाब ऑफिस अब इनका ऑफिस कहा है, चलो देखते है। रमन कार चलाते हुए फ़ोन निकलता है और नंबर मिलता है।)

रमन : जी, सर आपने कहा था। आज में बाइक से न जाऊ तो सर आज मैं कार से ही जा रहा हूँ।

( अब ये रमन किस से बात कर रहा है में भी अभी नहीं जनता।)

सर : अच्छा किया रमन जो तुमने आज मेरी बात मान ली। आज तुम एक बहुत बड़े हादसे से बच गए।

रमन : पर सर, मैं दुनियां की खबर आपको देता हूँ, आपको ऐसी क्या खबर मिल गई, की आपने मुझे देर रात फ़ोन करके कहा, की आज बाइक से मत जाना।

सर : मुझे अपने होनहार ऑफ़िसर का ख्याल रखना पड़ता है, फ़िलहाल तुम आज अपने ऑफिस जाओ, बाद में बात करते है।

रमन : ऑफिस, वो कोई ऑफिस है सारा दिन काम करो और मिलता कुछ नहीं, सभी तो परेशान है वहां।

(सर हस्ते हुए और फिर फ़ोन कट कर देते है, रमन ऑफिस पहुँचता है पर उसके दिमाग में कुछ बेचैनी सी रहती है, क्योकि कुछ अनहोनी होने का अंदेशा रमन को चैन नहीं लेने दे रहा था। रमन ऑफिस के लड़के को चाय बोलता है... )

रमन : रवि, एक कड़क चाय ले आ यार, आज बारिश भी बहुत तेज़ है।

रवि : सर आप ? आज बारिश हो रही है और आप आज भी टाइम से...

रमन : क्यों? क्या कोई अभी तक आया नहीं?

रवि : सर, वो बिना बारिश के टाइम से पहले नहीं आते, आज तो समझो की छुट्टी है, घूम रहे होंगे किसी की गर्ल फ्रेंड के साथ ?

(और रवि बड़ी ज़ोर से हस पड़ा, रमन को उसकी हसी से जैसे क्लू मिल गया और रवि के हाथो में ही चाय की प्याली छोड़ बोला।)

रमन : रवि, में अभी काम से बहार जा रहा हूँ । कोई पूछे तो कहना निकल गए, शाम मुश्किल ही आएंगे।

रवि : पर सर,... ओ के सर कह दूंगा।

(रमन जल्दी में अपनी पत्नी को फ़ोन लगता है और पूछता है।)

रमन : रिया कहाँ हो तुम इस वक़्त?

रिया : अब जनाब को क्या हुआ ? अब क्या खो गया जनाब का।

रमन : यार जो तुमसे पूछा जाये उसका जवाब दिया करो , तुम्हे पता है मुझे ऑफिस टाइम में जोक्स पसंद नहीं।

रिया : घर पर हूँ।

रमन : जल्दी से बहार जाकर देखो मेरी बाइक है या नहीं।

रिया : कार में गए हो तो बाइक,.... (रमन रिया की बात काट देता है और गुस्से में आ कर बोलता है।)

रमन : जल्दी से जा और बाइक देख कर बता, है या नहीं....

रिया : सॉरी, ( और कान पर फ़ोन लगाए, बहार निकलकर,...) नहीं, आपकी बाइक तो नहीं है।

रमन : जल्दी से देखो , बाइक की चाबी घर है क्या?

रिया : (घर में सब तरफ देखकर बोलती है) नहीं।

(रमन फ़ोन कट करता है.. और सीधे अपने किराएदार, अशोक को फ़ोन मिलता है)

रमन : अशोक, तुम कहाँ हो?

अशोक : भाई साहेब, में तो गांव जा रहा हूँ।

रमन : कल जो दो लड़के घर के बाहर खड़े थे, जो तुमसे बात कर रहें थे वो कौन थे?

अशोक :भाई साहेब, वो तो मकान देखने आये थे, मैं उन्हें नहीं जनता।

(रमन गुस्से में फ़ोन कट करता है और मन में सोचता है)

रमन : ये गलती मैंने कैसे कर दी, उस वक़्त मेरी बाइक की चाबी वंही थी।

(रमन जल्दी से कार में बैठता है, और घर की तरफ निकल जाता है, घर के पास पहुंच कर, वहां लगे सभी केमरो की फुटेज निकलवाता है और मोबाइल में रख लेता है। और फिर सर को फ़ोन करता है।)

रमन : सर, अगर में सही समझ रहा हूँ तो आप उन सबको जानते हो, क्योकि आप पहले से जानते थे की मेरी बाइक चोरी होने वाली है।

( सर बड़े ही आश्चर्यजनक होकर जवाब देते है)

सर : रमन ऐसा कुछ नहीं है, ये महज़ एक इत्तिफ़ाक़ है फिर भी में तुम्हे सलहा दूंगा तुम इसकी एफ.आई.आर. जरूर करा दो। बाकि मेरी तरफ से कोई हेल्प चाहिए तो बता देना।

रमन : सर, अगर आपको लगता है की मैं आप तक नहीं पहुंच सकता तो आपकी गलतफैमी है। अगर इस साजिश में आपका हाथ है तो आप भी जरुर्र फसोगे। ( कहकर रमन फ़ोन काट देता है।)

 (रमन पुलिस स्टेशन जाता है और वहां जाकर एफ.आई.आर. करता है वंही से उसे पता लगता है की वो दो लड़के पक्के चोर और बदमाश है, उनके नाम कई चोरी के और लड़कियों के साथ बतमीज़ी के कई केस दर्ज़ है।  और मकान देखने से बहाने से लोगो के घर से सामान चुरा लेते है और इसमें उनके साथ कई लोग मिले हुए है। जो उन्हें पकड़े जाने पर उनकी सहायता करते है)

रमन : (एक फ़ोन लगता है।) ... मेरा कोड नो. १००३ ,  मैं ड्यूटी ज्वाइन कर रहा हूँ.... (और एफ.आई.आर. का नंबर भी भेज देता है।) cont...

 


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Crime