भारती भानु

Romance

3  

भारती भानु

Romance

एक टुकड़ा प्यार का 6(अंतिम )

एक टुकड़ा प्यार का 6(अंतिम )

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प्रांजल अपने परिवार के साथ लड़की के घर पहुंचा। उसके पास कोई वजह नहीं थी मना करने की। सीधा-सरल प्रांजल  चकोरी के लिए किसी और को कैसे मना कर देता जबकि लड़की में कोई कमी थी ही नहीं या यूँ कहें प्रांजल को नजर ही नहीं आई। पहले भी वो कहाँ लड़कियों में मीनमेख निकालता था। अब तो वैसे भी उसके दिल में चकोरी थी उसके सिवा प्रांजल दूसरी लड़कियों को नजर भर देख ही नहीं पाता था तो पसंद या नापसंद का तो सवाल ही नहीं था।

यहाँ लड़की खुले विचारों की निकली। सीधा-सरल प्रांजल उसे पसंद नहीं आया और उसने सामने से मना कर दिया। न जाने क्यों लेकिन प्रांजल को लड़की का इंकार करना अच्छा लगा। शायद वो भी यही चाहता था लेकिन उसके पास ठोस कारण नहीं था मना करने का।


वहाँ से लौटने के बाद प्रांजल ने चकोरी को फोन करके पूरी बात बता दी।


"उस लड़की की किस्मत और अक्ल दोनों खराब है, जिसने तुम्हें मना कर दिया।" चकोरी ने प्रांजल से कहा। प्रांजल बस मुस्करा दिया। चकोरी को समझ नहीं आ रहा था उसे खुश होना चाहिए ये सोचकर कि लड़की ने प्रांजल से शादी के लिए मना कर दिया? या दुखी होना चाहिए ये सोचकर कि एक लड़की ने उस प्रांजल को ठुकरा दिया। जिसे चकोरी बेहद पसंद करती है और जो उसकी नजर में दुनिया का सबसे अच्छा इंसान है।


जो भी हो लेकिन चकोरी को लगने लगा था कि प्रांजल की बात वहाँ न बनना चकोरी के लिए एक संकेत था। उन दोनों ने एक बार भी अपने घरवालों से अपने बारे में बात ही नहीं की। ये ख्याल दिमाग में आते ही चकोरी ने सोचा उसे कम से कम एक कोशिश तो करनी ही चाहिए। प्रांजल ही वो इंसान है जिससे चकोरी शादी करना चाहती है तो फिर यही बात वो अपने मम्मी-पापा को क्यों नहीं बता सकती। लेकिन चकोरी के लिए सबसे बड़ी परेशानी वाली बात भी तो यही थी कि वो सीधे-सीधे अपने मम्मी-पापा से अपनी ही शादी की बात भला कैसे करें। ऐसा करने की इजाजत उसके संस्कार उसे नहीं देते थे लेकिन अगर बात ही न करें तो उसका प्यार बगैर कोशिश के ही दूर हो रहा था। चकोरी इसी उधेड़बुन में थी तभी उसे एक बार फिर अपनी छोटी बहन का ख्याल आया। हाँ! छोटी बहन, वो बात कर सकती है। इससे उसके संस्कार भी रह जायेंगे और मन में अपने प्यार के लिए कुछ न कर पाने की कसक भी नहीं रहेगी।

चकोरी ने अपनी बहन को पूरी बात समझाई, "देख तुझे मम्मी-पापा से कहना है। लड़का अच्छा है, दोनों एक-दूसरे को पसंद भी करते है। लड़के की नौकरी घर परिवार सब अच्छा है। ऐसे में सिर्फ जाति के जरा से अंतर से अगर ये रिश्ता न हुआ तो क्या गारंटी है कि अपनी जाति वाला लड़का अच्छा ही होगा। न जाने वो कैसा हो? परिवार कैसा हो?.... बस तुझे इतना मम्मी-पापा से बोलना ही होगा " चकोरी अपनी छोटी बहन को समझाते हुए बोली।


"ठीक है मैं बोल दूंगी लेकिन अगर बात बन गई तो मुझे क्या मिलेगा?" चकोरी की छोटी बहन बिंदी शरारत से होंठ गोल करती हुई बोलो


"बात बन गई तो... मोबाइल! मोबाइल दिलवा दूंगी तुझे तेरे होने वाले जीजू से।" चकोरी झट से बोली। चकोरी ने तो यूँ ही कह दिया था उसे यकीन नहीं था कि उसके मम्मी-पापा मान ही जायेंगे।


चकोरी ने बातों ही बातों में प्रांजल को भी ये बता दी। साथ ही ये भी कि बिंदी से उसने उसे मोबाइल देने का वादा किया है। प्रांजल तुरंत बोला, "अगर सच में तुम्हारे पापा-मम्मी मान गए तो हमारी शादी के बाद मैं पक्का उसे मोबाइल दिलवा दूंगा।" प्रांजल ने भी बड़ी सहजता से ये बात कह दी थी। वैसे भी कुछ नहीं से तो उम्मीद की एक छोटी सी कोशिश भी बहुत थी और अब चकोरी के साथ-साथ प्रांजल की भी उस पर नजर थी।

वो दिन भी आ ही गया जब बिंदी ने मम्मी-पापा का फैसला प्रांजल और चकोरी को बता दिया। वो मान चुके थे! एक पल को तो चकोरी इस बात पर विश्वास ही नहीं कर पाई लेकिन बिंदी के चेहरे पर खुशी की मुस्कान देख कर उसे विश्वास हो गया ये मजाक नहीं है।

चकोरी जानती थी बिंदी ने उन्हें घुट्टी बार-बार पिलाई होंगी। वरना मम्मी-पापा इतनी आसानी से जाति के भेद को नहीं भुला सकते थे। हो सकता है कुछ बातें भी सुनाई हो जमाने की बातें कहीं हो। लोग क्या कहेंगे? ये सवाल उठाया हो लेकिन जरूर बिंदी ने ही सारे जवाब दिए होंगे। बिंदी ने कैसे मम्मी-पापा को मनाया ये तो बिंदी ने चकोरी को नहीं बताया और न ही चकोरी ने पूछा लेकिन सबसे बड़ी खुशी की बात थी, वो मान गए थे।


बस फिर क्या था चकोरी के घरवालों की हाँ सुनते ही प्रांजल ने अपने घर पर भी बात की। दोनों परिवार आपस में मिले। सारी बातें तय हुई और वो दिन भी आ पहुंचा जब चकोरी दुल्हन के जोड़े में प्रांजल के सामने खड़ी थी और प्रांजल दूल्हे के लिबास में पलकें बिछाए, हाथ में वरमाला लिए अपनी तरफ आती चकोरी को अपलक देख रहा था।

बैकग्राउंड में म्यूजिक बज रहा था, "मेरी जिंदगी के मालिक मेरे दिल पे हाथ रख दे, तेरे आने की खुशी में मेरा दिल मचल न जाए।"


समाप्त



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