भारती भानु

Romance

4  

भारती भानु

Romance

एक टुकड़ा प्यार का 4

एक टुकड़ा प्यार का 4

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"मेरी जैसी तो आपको मिलने से रही मैं तो एक ही पीस हूँ दुनियाँ में," चकोरी ने तुरंत बात संभालते हुए मजाक में टालने की कोशिश की।

"तो फिर तुमसे ही कर लेते है, बोलो शादी करोगी मुझसे?" प्रांजल के बातों के सिलसिले इस तरह थे जैसे वो सब कुछ सोच कर बैठा था लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं था। जिस तरह से बातें हो रही थी उसके दिल की बात कब उसकी जुबान पर आ गई उसे खुद पता नहीं चला।

प्रांजल के ऐसे सवाल पर चकोरी का दिल कुछ पल के लिए मानो धड़कना ही भूल गया। लेकिन इस वक़्त खामोश भी नहीं रहा जा सकता था।

"मैं तो नौकरी करती हूँ और आप एकलौते बेटे है अपने माता पिता के तो आपको उनकी सेवा करने के लिए कोई आदर्श बहु चाहिए होगी न!" चकोरी ने तुरंत बात पलटने की कोशिश की

"मेरे माता-पिता इतने बूढ़े भी नहीं है कि अपना ख्याल न रख सके। मुझे तो नौकरी करने वाली लड़की से ही शादी करनी है।" प्रांजल भी तुरंत बोला। उसकी बातों से लग रहा था आज वो हर हालत में चकोरी से हाँ करवा कर ही रहेगा। लेकिन चकोरी भी बातों की पोटली से ऐसी-ऐसी बातें निकाल सकती थी जिससे सामने वाला बस गोल-गोल ही घूम जाए। आज भी चकोरी ने अपनी बातों के ऐसे टेड़े मेढे तीर छोड़े कि उसे प्रांजल के सवाल का जवाब देना ही नहीं पड़ा और आज की बात भी खत्म हो गई।

रात हुई और रात से फिर सुबह। चकोरी जैसे ही वॉशरूम से बाहर निकली उसे अपने फोन की घंटी सुनाई दी। देखा तो प्रांजल का फोन था। कुछ सैकेंड चकोरी असमंजस की स्थिति में नंबर को देखती रही। उठाए या नहीं! आज से पहले उसे कभी इतना सोचना नहीं पड़ा लेकिन कल प्रांजल से हुई बात के बाद चकोरी थोड़ी नर्वस थी। आखिर थोड़ा सोचने के बाद चकोरी ने फोन उठा ही लिया।

नॉर्मल हाय हैलो के बाद प्रांजल ने फिर से कल वाला सवाल कर लिया। चकोरी एकदम से असहज हो उठी। अब तक प्रांजल की सामान्य बातों से उसे लगा कि शायद प्रांजल कल वाली बात को ज्यादा खींचना नहीं चाहता लेकिन अचानक से कल वाला सवाल दोहरा कर उसने चकोरी को मुश्किल में डाल दिया था। अगर प्रांजल ने सीधे-सीधे चकोरी से " आई लव यू " कहा होता तो चकोरी शायद तुरंत मना कर देती और फिर कभी शायद प्रांजल से बात भी नहीं कर पाती लेकिन प्रांजल ने शादी की बात करके चकोरी को मुश्किल में डाल दिया था। उससे भी ज्यादा मुश्किल कि उसे जवाब भी चकोरी के मुँह से ही सुनना था।


"इस बारे में आपको मेरे मम्मी-पापा से बात करनी चाहिए। उनकी हाँ है तो समझिए मेरी भी हाँ है।" चकोरी को बड़ी मुश्किल से जवाब सूझा। दरअसल चकोरी भी प्रांजल को पसंद करने लगी थी। ऊपर से प्रांजल ने सीधे शादी का ही प्रस्ताव रख दिया था जो कि चकोरी के लिए अच्छा था क्योंकि अगर उसने आई लव यू कहा होता तब चकोरी उसे मना ही करती। यूँ समझो ये चकोरी के ही मन की साध थी कि जिसे वो पसंद करती थी उसने बगैर जाने ही उसके मन की इच्छा पूरी कर दी थी। अपने प्यार का इजहार न करके शादी का प्रस्ताव रख कर। ऐसा नहीं था कि चकोरी प्यार या इजहार के खिलाफ थी बस उसे ये सब अपने लिए मुश्किल लगता था।

चकोरी ने बहाना ढूंढ़ तो लिया लेकिन प्रांजल भी पक्का जिद्दी था वो भी जिद पकड़ कर बैठ गया।

"पहले तुम अपने मन की बात बताओं, तुम्हें मुझसे शादी करनी है?" प्रांजल ने चकोरी का जवाब जानना चाहा

"मैंने आपसे कहा न, मेरे मम्मी पापा की हाँ तो मेरी भी हाँ।" चकोरी बोली। साफ जाहिर था मम्मी-पापा की हाँ की आड़ में वो अपना हाँ छुपा रही थी।

"मम्मी-पापा से तो बाद में बात होंगी पहले तुम अपनी इच्छा बताओ। क्या तुम मुझसे शादी करना चाहती हो?" प्रांजल भी चकोरी के मुँह से सीधे-सीधे हाँ सुनना चाहता था।

"ये भी न कैसा नासमझ है, मैं इशारे से समझा तो रही हूँ। मम्मी-पापा की हाँ में मेरी हाँ है लेकिन ये तो कुछ समझता ही नहीं।" चकोरी मन ही मन खुद से बोली

"तुमने बताया नहीं! तुम्हें मुझसे शादी करनी है या नहीं?" प्रांजल ने फिर से अपना सवाल दोहराया। चकोरी को कुछ समझ नहीं आया कि वो क्या करें आखिर जब उसे लगा कि प्रांजल ऐसे नहीं मानने वाला तो उसे हाँ कहना ही पड़ा।

चकोरी की हाँ सुनकर प्रांजल खुशी से झूम उठा। उधर चकोरी भी शर्म और खुशी से लाल हो रही थी। " मेरे मुँह से हाँ बुलवाकर ही माना!" चकोरी ने अपने माथे पर हाथ मारते हुए कहा।

दोनों बहुत खुश थे अब बस उन्हें अपने घरवालों के कान में ये बात डालनी थी। दोनों को पूरा विश्वास था कि उनके घरवालों को इस रिश्ते से कोई परेशानी नहीं होंगी। होंगी भी क्यों भला। दोनों एक ही जगह से थे और परिवार भी दोनों का ठीक ठाक था। चकोरी ने अपनी छोटी बहन को पूरी बात बताई। वो खुद अपनी शादी की बात कैसे करती भला इसलिए उसने इस काम के लिए अपनी छोटी बहन को चुना। छोटी बहन ने तुरंत मम्मी-पापा को बता दिया।


पापा ने सीधे चकोरी से बात कर ली। हालांकि चकोरी को पापा से अपनी शादी के बारे में बात करने में शर्म तो बहुत आई लेकिन पापा ने पूछा था तो जवाब तो देने ही थे। पापा के आखरी सवाल ने चकोरी को थोड़ा डरा दिया था। वो जानती थी इसमें कोई बुरी बात नहीं है और न ही हो सकती है लेकिन न जाने क्यों उसका दिल घबराने लगा था।

"जाति क्या है उनकी?" पापा ने पूछा

"रावत! मतलब उसका पूरा नाम प्रांजल रावत है।" चकोरी ने बताया। न जाने क्यों चकोरी बेचैनी महसूस करने लगी थी।

"रावत तो ठीक है लेकिन जाति क्या है उनकी?" पापा ने अपना सवाल दोहराया।

"वो..." चकोरी को खामोश ही रहना पड़ा। क्योंकि असल में उसे नहीं पता था जाति का प्रश्न आएगा। उसने बस तीन ही जातियों को जाना था, पंडित, सामान्य और हरिजन। प्रांजल पंडित नहीं था और न ही हरिजन चकोरी इतना तो जानती थी लेकिन इसके अलावा भी कुछ होता है इसकी उसे खबर नहीं थी।

पापा से बात होने के बाद उसने तुरंत प्रांजल को फोन मिलाया।

"आपकी जाति क्या है?" चकोरी ने प्रांजल से सीधे सीधे पूछ लिया। प्रांजल थोड़ा अचकाया उसे भी शायद ऐसे किसी सवाल की उम्मीद नहीं थी।

"रावत !!" प्रांजल ने भी सीधा सा जवाब दिया।

"रावत तो आपका सरनेम है, जाति क्या है?" चकोरी ने बेचैनी से पूछा

प्रांजल समझ ही नहीं पाया आखिर जाति का सवाल कैसे पैदा हो गया? वैसे भी आजकल की पीढ़ी अपनी जाति के बारे में कहाँ कुछ जानती है और न ही उन्हें इस बात से कोई मतलब होता है लेकिन बड़े बूढ़ो के लिए तो जाति विशेष महत्व रखती है। बड़ी देर बाद प्रांजल को असल में चकोरी का सवाल समझ आया।

"ओबीसी!" प्रांजल ने बताया हालांकि उसकी आवाज कुछ कमजोर पड़ गई थी शायद मामले की गंभीरता कुछ कुछ उसे भी समझ आने लगी थी। दूसरी तरफ ओबीसी सुनते ही चकोरी की मानो सांस ही थम गई।

"ओबीसी हो! तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया।" चकोरी बिफर पड़ी उसे अब ध्यान आया ओबीसी नाम से भी एक श्रेणी होती है जिसे सामान्य से कम आँका जाता है।

"मुझे लगा इसकी कोई जरूरत नहीं!" प्रांजल चकोरी के बिफरने से टूटने लगा था। उसने सच में नहीं सोचा था ऐसा भी कुछ होगा।

"तुम ये तो जानते थे न मैं जनरल कैटेगरी से हूँ?" चकोरी अपना दर्द समेट कर बोली

"हाँ जानता था," प्रांजल ने जवाब दिया

"फिट तुमने मुझे क्यों नहीं बताया तुम ओबीसी हो?" चकोरी का दर्द बढ़ता ही जा रहा था। इस वक़्त उसके दिल की क्या हालत थी ये बस वही जानती थी

"मुझे नहीं पता था ऐसा भी होगा।" प्रांजल अब भी उम्मीद कर रहा था कि सब ठीक हो

"कुछ नही हो सकता, हमारी शादी नहीं हो सकती।" चकोरी ने कहा और फोन कट कर दिया। फोन को साईड में फेंक कर चकोरी फूट-फूट कर रोने लगी। प्रांजल उसे पसंद आने लगा था। प्रांजल की बातों ने चकोरी के दिल में उसके लिया प्यार जगा दिया था और उसकी शादी की बात ने चकोरी को कितने ही मीठे सपनों से भर दिया था लेकिन अब उन मीठे सपनों में जाति नाम की कड़वाहट फैल चुकी थी।

क्रमशः


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