लवगुरु
लवगुरु


”सुन बेखुदी से… ये रात की खामोशी कहती है क्या।
बुदबुदाती ये धड़कने तेरे सीने में… कोई अफसाना गुनगुनाती है क्या।
मचलती तेरी रुह क्यों है.. उसके नाम पर।
क्यों एक अनजाना चेहरा रहता है तेरी पलकों पर…
और जब झपकाऊ जो इन्हे… क्यों बन जाता है वो ख़्वाब मेरा। ”
” हम्म… कितना अजीब है न ये एहसास। क्या आपको को भी ये एहसास हुआ है कभी ? एक भीनी सी गुदगुदाहट भरी है न इसमे। जिसमे सिर्फ आपका जिस्म ही नहीं बल्कि रुह भी मुस्कुराती है। किताबों के नीचे दबे हुए सूखे फूलों में उठती महक हर किसी को नहीं आती सिवाय उसके जिसने उन फूलों को अपनी मोहब्बत से सींचा होता है। ऐसी ही सौंधी सी महक में घुला रहता है मन हमेशा। क्या आपका भी यही हाल है ? अगर हां तो घबराइए नहीं, जनाब ! आपको तो इश्क हुआ है।"
वो हँसी। यूं लगा…एक साथ कई तितलियों ने पंख फैलाकर रंग बिखरा दिए हो कहीं।
”कहते है कुछ लोग नियति से बंधे हुए होते है। फिर वो चाहे एक-दूसरे से कितने ही दूर क्यों न हो पर एक अनदेखी डोर उन्हे हमेशा करीब ले ही आती है। क्या आप इस बात पर यकीन करते है ? ” माइक पर गूंजती शिखा की मधुर आवाज़ दिल्ली के लोगो से आज एक और नया सवाल कर रही थी। आधी रात की खामोशी को खुशनुमा बनाती उसकी आवाज़ उन तन्हा दिलो को सुकून पहुंचा रही थी जो किसी की यादों में मचलकर सीने मे करवटे बदल रहे थे।
”अगर हां, तो इंतजार कैसा। अभी कॉल कीजिए। नंबर याद है न आपको। आपके कॉल का इंतजार रहेगा मुझे… मैं आपकी शिखा, मिलती हूं आपसे इस प्यारे से गाने के बाद”
तभी शिखा की आवाज़ का किशोर कुमार के सुरीले स्वर ने पीछा किया और फिर उनके बोल सबके जहनो दिल पर छा गए, ” वादा करो… नहीं छोड़ोगे तुम मेरा साथ”।
साउंड डेस्क पर अंगुलियाँ फिराते हुए शिखा ने सामने अपनी नज़रे घुमाई जहां उसकी सहयोगी नेहा, श्रोताओं की आने वाली कॉल पर नजर रख रही थी। एक साथ कई फोन क़ॉल का तांता सा लग गया था और एक बड़े से कंट्रोल पैनल पर जलती बुझती लाइटे ये साफ दर्शा रही थी। शिखा ने भी कंट्रोल पैनल पर अपनी नजर फिराई और लोगो के रिस्पॉंस को देख मुस्कुरा उठी। अपने कान पर चढ़ाए हेडफ़ोन को ठीक करते हुए शिखा ने इशारे में नेहा से कुछ पूछा और जवाब में नेहा की आवाज़ उसके हेडफॉन में गूंजी, ” हजार से भी ज्यादा लोगो के फोन आ रहे है, शिखा”। ये सुन शिखा की आँखो में चमक आ गई।
वो शिखा ग्रोवर थी, उम्र होगी शायद यही 23 साल, साफ व गोल आकर्षक चेहरे वाली शिखा दिल्ली के मशहूर रेडियो शो की होस्ट थी जिसका नाम रात को रेडियो सुनने वाले हर श्रोताओ की जबान पर चढ़ा हुआ था – ” लवगुरु"।
प्यार भरी दास्तान से लेकर टूटे दिलो को सुकून पहुँचाते गानों के ताने-बाने से बुने गए इस रेडियो शो में शिखा की मस्ती भरी आवाज़ चार चाँद लगाने जैसी थी। वैसे तो इस तर्ज पर कई शो और भी थे जो अलग-अलग रेडियो स्टेशन पर अक्सर रात 11 से करीब 1 बजे तक प्रसारित हुआ करते थे पर लवगुरु जैसी लोकप्रियता किसी और शो को हासिल नहीं थी और इसका सारा श्रेय शिखा को जाता था जो न सिर्फ अपनी खूबसूरत आवाज़ से रात का समां बांधती थी बल्कि अपनी लेखनी से लोगो के दिलो को भी छूती थी। उसे इस शो से जुड़े हुए लगभग दो साल होने को आए थे और आलम अब ये हो चला था कि रात को कहीं न कहीं किसी कोने से उसकी आवाज़ सुनाई दे ही जाती थी। सवाल चाहे प्यार की उलझन का हो या फिर उसके मुकम्मल होने के जश्न का, उसे साझा करने के लिए सब लवगुरु को ही याद करते। ये शिखा की बुध्दिमता और बेबाकपन का ही असर था कि कॉलरो की जटिल समस्याओ का समाधान वो मिनटो में ही ढुंढ लिया करती थी। बचपन से ही गाने का शौक रखने वाली बातूनी शिखा को क्या पता था कि वो एक दिन अपने ही शहर की आवाज़ बनकर उनके दिलो में गूंजा करेंगी।
यूं ही बातो-बातो में कब रात के 1 बज गए, ये शिखा जान ही नहीं पाई। बाहर कंट्रोल पैनल के पास बैठी नेहा ने हाथ ऊपर उठाकर शिखा को ऑफ-ऐयर जाने का इशारा किया।
” अच्छा तो दोस्तों मेरा आपसे विदा लेने का वक्त आ गया है पर जाने से पहले उन दिलो को सलाम जो टूट कर भी मुस्कुराना नहीं भूले है और जो प्यार में डूब कर मदहोश हुए बैठे है, होश में आ जाइए जनाब, मंज़िल अभी दूर है। किसी खूबसूरत चेहरे को चाहना बेहद आसान होता है पर जो इंसान खुद से मोहब्बत कर बैठे मेरे लिए तो वो इंसान ज्यादा खास है इसलिए मेरे दोस्त खुद से प्यार कर, मोहब्बत झक मार के तेरे पीछे आएगी।"
वो हँसी और उसके होठों के साथ कई अनजान होठों पर भी मुस्कान आ गई जो अनदेखे रह गए थे।
” मिलती हूं आपसे कल इसी जगह, आपके पसंदीदा रेडियो स्टेशन सरगम पर तब तक के लिए शब्बा खैर, गुड नाइट और शुभ रात्रि। छोड़े जा रही हूं आपको इक खूबसूरत गाने के साथ, जरा गौर फरमाइयेगा ”
इतना कहकर शिखा ने अपने सामने रखे साउंड डेस्क पर फिर से अपनी अंगुलियाँ चलाई और आशा भोंसले की मधुर आवाज़ से सजे एक खूबसूरत गाने के साथ उसने अपने शो का समापन किया।
”छोटी सी कहानी से…बारिशों के पानी से”
…
स्टूडियो से बाहर आते ही शिखा ने बाथरुम की ओर रुख किया और वहां शीशे के सामने खड़े होकर उसने कुछ पल खुद को निहारा। न जाने क्यो वो खुद को कुछ दिनो से पहचान नहीं पा रही थी। चेहरा तो वही था पर उस चेहरे के पीछे बसा हुआ शख्स कहीं खोया सा लग रहा था। एक अजीब सा खालीपन पसरा हुआ उसके मन में जिसे वो चाह कर भी मिटा नहीं पा रही थी। उसके ब्रेक-अप को हुए दो हफ्ते बीत चुके थे पर अभी भी वो उस दर्द से उबर नहीं पाई थी जो कही उसके सीने में एक कांटे की तरह गड़कर रह गया था। हथेलियों में पानी भरकर उसने मुंह पर छींटे मारी और अपनी थकी आँखो से झांकती नींद को कुछ पलों के लिए छिपा लिया।
बाहर आते ही नेहा ने शिखा को उसका फोन थमाया।
” पांच मिस कॉल आ चुकी है तुम्हारी दोस्त शिवानी की ” नेहा ने कहा।
शिखा ने फोन चेक किया और फिर वॉयस मेल पर जाकर उसने फोन का लाउडस्पीकर ऑन कर दिया।
” हे शिखा, सॉरी यार डिस्टर्ब करने के लिए। सबको पता है कि तू कितनी बिजी है लेकिन फिर भी दोस्तों के लिए तो टाइम निकाल लिया कर। सुन, इस संडे को मेरा बर्थ-डे है, याद तो है न तुझे और तुझे पक्का आना है। वैसे भी संडे तेरा फ्री रहता है इसलिए शो का कोई बहाना-वहाना भी नहीं चलेगा। कॉलेज के सारे फ्रैंड्स आ रहे है, तू भी आएगी तो अच्छा लगेगा। मैसेज मिलते ही कॉल करना।"
मैसेज तो खत्म हो गया पर न जाने क्यों शिखा फोन को थामे बूत बनी खड़ी रह गई।
”तो क्या सोचा ? ” नेहा ने उसे टोकते हुए पूछा।
”किस बारे में ” शिखा ने फोन को जींस की पॉकेट में डालते हुए कहा।
”जा रही हो पार्टी में ?”
”पता नही। मेरा मन नहीं है किसी पार्टी-वार्टी में जाने का।”
”मन नहीं है या फिर जाना नहीं चाहती ”
” क्या मतलब तुम्हारा ?”
” क्या वो भी वहां आएगा ?”
” कौन ?”
” इतनी जल्दी नाम भी भूल गई उसका ”
शिखा, नेहा के सवालों से चिढ़ उठी।
उसने खीझते हुए नेहा से कहा, ” ये क्या घुमा-फिराकर मुझसे सवाल करे जा रही हो। जो कहना है सीधे-सीधे क्यों नहीं कहती।"
ये सुनते ही नेहा खिलखिलाकर हँस पड़ी और शिखा मुंह फुलाए उसे देखती रही।
” पूरे शहर की लव-लाईफ सॉल्व करती फिरती हो पर खुद की लव प्रॉब्लम से दूर भाग रही हो। वाह लवगुरु जी वाह ” अपना वाक्य खत्म कर नेहा फिर हँस पड़ी।
नेहा की बातों का आशय् समझ, शिखा ने भी कहा, ” कभी ऐसे डॉक्टर के बारे में सुना है जो अपना ऑपरेशन खुद कर सकता है।"
” नही, सुना तो कभी नही”
”हम्म… ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसा कोई डॉक्टर है ही नहीं ”
”तो तुम कहना चाहती हो कि तुम्हारा हाल भी कुछ ऐसा ही है ”
”हां, काफी हद तक”
”चल झूठी ”
नेहा के आरोप पर शिखा ने अपनी कोहनी उसे दे मारी जिस पर नेहा झल्ला उठी। शिखा थक-हार कर पास रखे सोफे पर धराशायी हो गई।
” तुम मान क्यो नहीं लेती कि तुम पार्टी मे जाने से डर रही हो क्योंकि वहां ऋषभ भी होगा ” नेहा उसके पास खड़े होकर चिल्लाई।
ऋषभ का नाम सुनते ही शिखा ने अपना सिर पकड़ लिया और वो बोल पड़ी, ” जरुरी था उसका नाम लेना ? तुमसे रहा नहीं जा रहा था न ?”
”क्यो क्या हुआ ” नेहा ने आँखें तरेरते हुए कहा, ” तुम्हारी दुखती रग पर हाथ रख दिया क्या ?”
इस बार शिखा ने उसके सवाल का जवाब न देना ही बेहतर समझा और अपनी आँखो पर कोहनी रख, सोने का प्रयास किया।
शिखा को खामोश देख, नेहा घुटने मोड़कर उसके सोफे के पास जा बैठी।
” देख, मैं जानती हूं ब्रेक-अप को झेलना आसान नहीं होता पर तू कब तक उससे भागती रहेगी। ऐसा करके तो तू उसे अपनी ख़ुशियों पर और भी ज्यादा हावी होने देगी। उसका सामना कर, कायरों की तरह भाग मत”
शिखा ने कुछ कहा नहीं पर उसका हाथ अब उसकी आँखो पर से हट चुका था। उसने सिर घूमा कर नीचे बैठी नेहा को देखा जो उसे ही ताके जा रही थी।
” तेरी जगह अगर कोई और होता तो तू उसे क्या कहती…हम्म …मिस लवगुरु ?” नेहा ने पूछा,” यही कहती कि मुंह छिपाकर घर पर बैठ जाओ और जहां कहीं भी तुम्हें तुम्हारा एक्स दिखे, वहां से भाग जाओ।"
नेहा ने जिस मजाकिए लहजे से अपना वाक्य खत्म किया, शिखा की हँसी छूट पड़ी।
” दोस्त हूं तेरी” नेहा ने उसके हाथ पर अपना हाथ रखते हुए कहा,” सब दिखता है मुझे। खोई सी रहने लगी है, कम हँसने लगी है। ब्रेक-अप के बाद से ही तू कहीं ठहर सी गई है और मुझे तुझे वापस पाना है। वरना मैं भी तेरे साथ कहीं खो जाऊंगी।"
” ओए, बस भी कर। रुलाएगी क्या ” शिखा ने मुस्कुराते हुए कहा ,” कहां से चुराई इतनी अच्छी लाइनें।"
” और कौन है यहां पर जो लेखक बना घुमता फिरता है। तेरी संगत का तो असर है, कमीनी ”
दोनो एक साथ हँस पड़े।
...
नेहा के लिए कहना तो आसान था पर शिखा के लिए करना बेहद मुश्किल पर वो ये भी जानती थी कि नेहा सही थी। शिखा हर पल ऋषभ के डर से कहीं आना-जाना थोड़े ही न छोड़ सकती थी पर डर उसे ऋषभ का नहीं था बल्कि उसे डर था उस एहसास से, जो उसे ऋषभ के आगे कमजोर बना देता था। दिल का एक कोना अभी भी था उसके सीने में, जो चोट खाया बैठा था और ऋषभ के नाम पर गुस्से से भर जाता था।
कहने को तो उनका रिलेशनशिप महीने भर का ही था पर न जाने क्यो शिखा को ये लगने लगा था कि ऋषभ उस डोर का आखिरी पड़ाव था जिसका एक सिरा वो बरसों से थामे बैठी थी। सबकुछ तो बन चुका था वो उसका। सुबह के गुड मॉर्निंग के मैसेज से लेकर रात के गुड नाईट के मैसेज तक के सफर मे उसका नाम ही तो शामिल था।
बरसात भरी शामों में वो जिसका हाथ थाम कर कॉफी हाउस तक जाया करती थी, वो हाथ ऋषभ का ही तो था। जो बातें उसके होठों को हँसी से लबरेज किया करती थी, वो बाते ऋषभ ही तो करता था।
शिखा खुद नहीं जान पाई कि कब ये कैजुअल रिलेशनशिप, एक सीरियस रिलेशनशिप मे तब्दील हो गया और उसका भ्रम उस रात टूटा जब गुड नाइट के मैसेज की जगह ऋषभ ने उसे ” ईट्स ऑवर ” लिखकर भेजा। वजह वो कभी जान नहीं पाई और न ही उसने ऋषभ से पूछना ज़रुरी समझा। आखिर व्हाट्सअप पर कौन मैसेज करके ब्रैक-अप करता है ?
शिखा का दिल टूटा ज़रुर पर गुस्सा वो खुद पर हुई। एक बार फिर वो दिल के मामले मे मात जो खा गई थी और उसी पल उसने ऋषभ से जुड़े सभी मैसेज और तस्वीरों को अपने फोन से डिलीट से कर दिया। काश , वो ये सब अपने दिल के साथ भी कर पाती।
” You Have Deleted All The Memories And Feelings Of Rishabh From Your Heart ”
” Your Heart Is Free Now”
कुछ ऐसा ही मैसेज होता शायद।
...
उस शाम पार्टी के लिए शिखा ने खुद को बुझे मन से तैयार किया। सजने-संवरने का मन नहीं था उसका, इसलिए अलमारी में जो उसे पहले दिखा, वो ही पहन लिया। ब्लैक टॉप, जींस और ऊपर से डेनिम जैकेट डाले वो आईने के आगे खड़ी हो गई। इससे पहले की वो अपना मन बदल पाती, उसने झट से अपनी नज़रे आईने से फेरी और बाहर चली आई। काले स्याह से रंगा हुआ आकाश खुलकर बारिश की चेतावनी दे रहा था पर शिखा उसकी चेतावनी से बेखबर, अपनी मंज़िल की तरफ बढ़ चली।
पार्टी में पहुंचते ही शिवानी ने शिखा को घेर लिया और सिर्फ शिवानी ही नहीं बल्कि वहां आए सभी ने शिखा का एक सैलेब्रेटी की तरह स्वागत किया। सेल्फी और तारिफों की चमक में जहां उसके होंठ मुस्कुराते नहीं थक रहे थे, वही उसकी गुमराह नज़रे हर पल उसे तलाशती रही जो वहां मौजूद था ही नहीं। जब उसके मन को इस ख्याल से तसल्ली होने लगी कि वो शायद आए ही नहीं, तभी ऋषभ ने पार्टी में दाखिल होकर उसके इस ख्याल को हकीक़त बनने से रोक दिया। वो वहां आया तो था और अपने साथ उस सवाल के जवाब को भी लाया था, जिसे शिखा कभी उससे पूछ नहीं पाई थी।
अभी दो हफ्ते ही तो बीते थे उनके ब्रेक-अप को और आज वो किसी अनजान लड़की के साथ खड़ा था। क्या ये सब इतना आसान था ? शिखा ने सोचा। ऋषभ के लिए तो था, तभी तो वो कितनी आसानी से उस लड़की का हाथ थामे, सबसे हँसकर मिल रहा था।
दूर खड़ी शिखा से जब उसकी नज़रे मिली तो वो बस एक दबी मुस्कान होठों पर लाकर रह गया, मानो लफ्जो की अब कोई जरुरत ही नहीं थी उन दोनो के दरम्यान। शिखा ने उसी पल उन रातों के बारे में सोचा जो ब्रेक-अप के बाद से उसकी आँखो से अछूती रह गई थी पर वो उन रातों की परछाई को ऋषभ की नज़रों में तलाश नहीं पाई। महीने भर साथ बिताए गए सफर को तो ऋषभ पहले ही अधूरा छोड़ चला था, बस एक वो ही थी जो अभी भी ठहरी हुई थी उस राह में उन बातों और उन यादों के संग, जो अब उसे सताने लगे थे।
शिखा पार्टी में ज्यादा देर तक रुक नहीं पाई और शिवानी से मिले बगैर ही वहां से रुखसत होने लगी।
” इतनी जल्दी जा रही हो ?”
शिखा के बढ़ते कदम ठिठक कर रुक गए। वो आवाज़ थी ही इतनी जानी-पहचानी कि वो उस स्वर को अनसुना कर ही नहीं पाई।
शिखा मुड़ी और ऋषभ को सामने देख, थोड़ा अचरच रह गई।
हाथ में ड्रिंक में लिए वो मुस्कुराते हुए बोला, ”तुम्हारे बगैर तो ये पार्टी फीकी रह जाएगी, मिस आर जे”
”मुझे नहीं लगता” शिखा ने कहा,” तुम जो हो यहां पर।"
”नाराज़ हो मुझसे ?”
” किसलिए ?”
ऋषभ यूं हँसा, मानो शिखा ने कोई मज़ाक किया हो उससे।
”मुझे लगा कि तुम समझ जाओगी ?”
”इसमें समझने जैसा क्या था, ऋषभ ?”
शिखा के खीझे स्वर को भ
ांपकर, ऋषभ बगले झांकने लगा।
”कम ऑन, शिखा। यहां लोग फोन पर जब प्रपोज कर सकते है तो ब्रेक-अप क्यो नहीं ? और तुम तो एक्सपर्ट हो न प्यार-व्यार के मामले में ? मुझे लगा तुम समझ जाओगी ”
” शायद तुम्हें पता न हो, लेकिन किसी को प्रपोज करने में और किसी के साथ ब्रेक-अप करने में बहुत फर्क होता है” शिखा ने कठोर निगाहों से उसे देखते हुए जवाब दिया, ”और कोई कितना ही प्यार को समझ ही क्यूँ न ले, पर जब उसका दिल टूटता है तो उसे भी उतना ही दर्द होता है जितना कि औरों को ”
अचानक शिखा खुद पर ही झिड़की और फिर बोल पड़ी,” रहने दो। चलो छोड़ो, तुम ये बात कहां समझ पाओगे ? पर हां, अगली बार अगर किसी से ब्रेक-अप करना हो तो थोड़ी हिम्मत दिखा देना, कायरों की तरह छिपकर उसे मैसेज मत करना।"
ऋषभ हाथ में अपनी ड्रिंक थामे, अवाक् उसे देखता रह गया।
शिखा अपना वाक्य खत्म कर जैसे ही मुड़ी, उसका सामना ऋषभ की गर्लफ्रैंड से हो गया। शिखा बिना कुछ कहे पार्टी से निकल तो गई पर पीछे छोड़ गई उन सवालों को जो अब उस लड़की की नज़रों में झांकते दिखे और वो ऋषभ को।
...
सीने में दुखते दिल की चुभन भरी धड़कनो के साथ शिखा ने घर लौटना चाहा और पास बने मेट्रो स्टेशन की ओर बढ़ चली। तेज हवाओं के झोको ने उसके कदमों को लाख बार थामना चाहा पर वो उसे रोक नहीं पाए। जब इतना काफी न रहा तो आसमान बरस पड़ा और उसके दर्द के साथ कराह उठा। शिखा पल भर मे ही बारिश की बूंदों से लबालब हो गई और उसका भीगा हुआ चेहरा आती-जाती कारों की हेडलाईटो में रह-रहकर चमकता रहा पर कहीं रुकने के बजाय वो भीगते हुए आगे बढ़ती रही। कह पाना पाना नामुमकिन था कि उसके चेहरे पर लगातार ढलकती बूंदें बारिश की थी या फिर उसके आंसूओं की।
मेट्रो ट्रेन में लोगो की भीड़ के बीच खड़ी शिखा एकदम से ही उनके आकर्षण का बिंदु बन गई। उसके कपड़ों व बालों से रिसता हुआ बारिश का पानी आस-पास खड़े लोगो का ध्यान जो खींच रहे थे। बदहवास सी, शिखा ट्रेन मे मौजूद थके-हारे चेहरो के बीच मूर्ति की तरह डोलती दिखी।
तभी मेट्रो में लगे स्पीकरों ने गूंजती आवाज़ में आने वाले स्टेशन की सूचना देते हुए घोषणा की ,”अगला स्टेशन राजीव चौक है।"
भीड़ में रहकर भी शिखा ने खुद को बेहद अकेला महसूस किया। दरवाज़े के शीशे पर अपनी नाचती परछाई को देखकर शिखा के मन ने खुद के अस्तित्व पर ही सवाल खड़े कर दिए। स्वयं को भीगे हुए कपड़ों में देख, वो एक पल के लिए खुद को भी पहचान नहीं पाई। कौन थी वो ? एक रेडियो जॉकी ? एक लवगुरु या फिर एक असहाय सी पागल लड़की जिसका दिल कही किसी कोने से चटक खा बैठा था। ऐसा लगा मानो वो नाचती परछाईं पूछ रही हो उससे कि वो कैसे लोगो को प्यार की सलाहे बांटती फिर रही थी जब वो खुद का दिल टूटने से बचा नहीं पाई। किसे धोखा दे रही थी वो ? खुद को या उन हजारों-लाखों श्रौताओ को जो उसपर भरोसा करते थे ? मन में आया कि छोड़ दे इस ज़ॉब को। वो गुस्सा थी खुद पर। उसका उस ट्रेन के अंदर जोर से चीखने का मन किया।
” मैम ! आप आर जे शिखा हो न ? लवगुरु की हॉस्ट ?” एक 18 वर्षीय लड़की ने उसके करीब आकर पूछा।
शिखा उसके सवाल पर चौक उठी और अपने ख्यालों से बाहर आई।
तभी साथ में मौजूद, लड़की के दोस्त ने अपना सिर झटका और शिखा से बोला, ” मैम, ये पागल हो गई है। आप इसकी ग़लतफहमी दूर कर दो।"
” अरे यार ये वही है ” लड़की ने आवेश में लड़के को जवाब दिया।
” मैम, आप शिखा ग्रोवर हो न ? ” लड़की ने दोबारा शिखा से पूछा।
” यू हैव लॉस्ट योर मांइड, मालती” लड़के ने खीझते हुए कहा।
शिखा ने एक बार फिर शीशे पर मचलती अपनी परछाई की तरफ देखा और फिर उस लड़की की ओर जो जेब से फोन निकालकर सेल्फी लेने की तैयारी में लग गई।
”मैम, मुझे पता है आप वही हो। मैने आपको फेसबुक और इंस्टाग्राम, हर जगह फोलो कर रखा है ” मालती ने उत्सुकतावश कहा।
” मुझे लगता है कि तुम्हें कोई ग़लतफहमी हुई है ” शिखा ने थके स्वर मे उसे जवाब दिया।
शिखा का जवाब सुन मालती हैरान रह गई और फोन हाथ में लिए वहीँ थम गई।
”देखा, मैंने कहा था न !” लड़के ने झट से कहा,” चल अपना स्टेशन आने वाला है।"
मालती ने अनचाहे मन से दो कदम पीछे खींचे ही थे कि अचानक वो फिर शिखा की तरफ बढ़ी चली आई।
” मैं एक बार आपके चेहरे से धोखा खा सकती हूं, मैम ! पर आपकी आवाज़ से नही। मैं आपकी आवाज़ को दिल से पहचानती हूं ” मालती ने धीमे स्वर में उससे कहा।
पास बने हैंडल को पकड़े, शिखा शिथिल मुद्रा में खड़ी रही और मालती को चाहकर भी अनसुना नहीं कर पाई।
” आपका ज्यादा वक्त नहीं लूंगी, मैम। बस आपको थैंक्यू कहना चाहती थी, मेरी जिंदगी बचाने के लिए।"
अचानक शिखा सन्न रह गई और उसने फौरन मालती की तरफ मुड़कर देखा।
शिखा के चेहरे पर तैरते सवालों को देख, मालती मुस्कुरा उठी।
...
कुछ पल बाद वो दोनो, राजीव चौक मेट्रो स्टेशन की सीढ़ियों पर अकेले बैठे नज़र आए। बारिश की रिमझिम का स्वर एक संगीत की तरह उनके आस-पास गूंजता सा प्रतीत हुआ जिसमे वो दोनो खोए से लगे।
मालती ने उसे बताया कि दो साल पहले एक लड़के से वो अपना दिल तुड़वा बैठी थी जो उसके अलावा और भी कई लड़कियों के साथ रिलेशनशिप में था। मालती ने वक्त रहते उस लड़के से ब्रेक-अप तो कर लिया पर उसके बाद खुद को डिप्रेशन में आने से बचा नहीं पाई जो उस पर इस कदर हावी हो चला था कि वो हर पल सुसाइड के बारे में सोचने लगी थी।
”कहने को तो आंसूओं का कोई वजन नहीं होता पर जब ये आँखो से गिरते है तो ये दिल इतना भारी क्यों हो जाता है ” मालती ने अपनी अंगुलियों को टटोलते हुए कहा।
” ये 250-300 ग्राम का दिल क्यों उस पल सीने में 100 टन का लगने लगता है कि सांसे लेना तक मुश्किल हो जाता है” उसने पूछा।
शिखा खामोश रही पर वो जानती थी कि मालती के सवाल जितने वाजिब है, जवाब उतने ही कठिन।
खुद शिखा भी तो इस दौर से गुजर रही थी।
”मुझे आज भी वो शब्द याद है जो आपने मुझसे उस वक्त कहे थे जब मैंने आपके शो पर कॉल किया था ” मालती ने शिखा की ओर देखते हुए कहा।
शिखा उसके शब्दों का पीछा करते हुए दो साल पीछे खिंची चली गई और वो बातें उसके ज़हन मे भी गूंज उठी जो उसने उस वक्त मालती से कही थी…
दो साल पहले..
” तुम्हारी जिंदगी, तुम्हारी नहीं है बल्कि तुम्हें तो ये दी गई है और जो चीज़ तुम्हारी नहीं है, उसे खत्म करने का हक तुम्हें किसने दिया ?” शिखा ने सख़्त स्वर में मालती से कहा जो कॉल के दूसरे छोर पर थी।
” क्या वो लड़का तुम्हारे पेरेंट्स से बढ़कर है ? अगर है तो जाओ, कर लो सुसाइड। कोई नहीं रोकेगा, तुम्हें ”
ये सुनते ही मालती फोन पर ही सुबकने लगी। उसकी सिसकियां फोन पर गूंजती रही जो सुनने वाले हर शख्स को झंझोड़ती सी प्रतीत हुई।
शिखा की बातें सुन उस पल सभी स्टूडियो के बाहर हैरान व परेशान खड़े दिखे। सुसाइड जैसे गंभीर विषय को देख सबके माथे पर शिकन चढ़ गई थी और नेहा ने तो उसे ऑफ ऐयर जाने का इशारा तक कर दिया था पर शिखा ने उस वक्त उसके निर्देशों का पालन नहीं किया।
” आँसू पोंछ, पागल” शिखा ने माइक की तरफ झुककर कहा,” जिंदगी यहां थमी नहीं है, मालती। हम सबका दिल टूटता है। प्यार है ही ऐसी चीज़ जो हमे उस शख्स के आगे बेबस कर देता है जिसे हम बेइंतहा चाहते है पर अगर वो शख्स गलत निकले तो हमे उसे भुलकर आगे बढ़ जाना चाहिए। प्यार हमे पहचान नहीं देता, मालती। हमे पहचान मिलती अपने सपनों से। क्या तुम्हारा कोई ऐसा सपना है जिसे तुम बेहद चाहती हो।"
” डॉक्टर बनना है मुझे ” मालती ने अपने स्वर को संतुलित करते हुए कहा।
” तो उस सपने के लिए जी ले, यार। जिस दिन तू अपनी पहचान के लिए जीना शुरु कर देगी, उस दिन के बाद कोई तेरे दिल को तोड़ नहीं पाएगा। जिस खालीपन को तू इस वक्त अपने मन मे लिए बैठी है, उस खालीपन को अपनी ख्वाहिशों से भर दे, फिर देख क्या होता है ” शिखा ने एक भीनी मुस्कान से अपनी बात खत्म की।
शिखा से मीलों दूर होकर भी मालती उस पल अपने कमरे की खिड़की से झांकती अंधेरी रात में झिलमिलाते सितारों को देखना नहीं भूली। मोबाइल को कान में लगाए, शिखा की बातें सुन उसके बैचेन मन को सांत्वना मिली और उसके गालों पर खींची आंसूओं की लकीरें भी अब सूख चली।
उसने उसी पल शिखा से वादा किया कि वो अपने सपनों के लिए जियेगी और उन्हे पूरा कर दिखाएगी।
...
” तो अब तुम क्या कर रही हो ?” सीढ़ियों पर बैठे शिखा ने उससे पूछा।
” वही जो आपने कहा था। अपने सपनों के लिए जी रही हूं ” मालती ने मुस्कुराकर जवाब दिया,” एम्स मेडिकल कॉलेज की स्टूडेंट हूं, सैकंड ईयर।"
जवाब जानकर शिखा प्रभावित दिखी पर वो खामोश रही।
” लगता है कि आज आपका भी दिल टूटा है शायद” मालती ने उसकी ओर देखते हुए कहा।
” तुम्हें कैसे पता ?”
” आपकी आँखो को देखकर”
” तुम्हारे कॉलेज में आँखो को पढ़ना भी सिखाते है क्या ?”
” सिखाते तो नहीं है पर मुझे लगता है उन्हे सिखाना चाहिए। सोचो, लोगो को समझना कितना आसान हो जाएगा न तब ”
सीढ़ियों के पास लगे एस्क्लेटर पर चढ़ते- उतरते लोगो की नज़रे उन दोनो को ही घूरती दिखी। इस दौड़ती भागती रात में सिर्फ यही दो ऐसे लगे जो खिन थम से गए थे, या तो इन्हे मंज़िल की चाह नहीं थी या फिर ये उसे पा बैठे थे।
मालती के सवालों में न जाने क्यों शिखा को सुकून मिला। शायद दिल से निकले ख्यालों की यही खास बात होती है। उनमें खो जाने का मन करता है।
” पता है मैम, हमारी जैनेरेशन को आपकी कितनी जरुरत है ” मालती ने कहा।
शिखा ने गंभीर होकर उसकी ओर देखा।
” अब देखो न, हम अपने पेरेंट्स से हर चीज के बारे में बात कर सकते है पर प्यार नाम के टॉपिक पर हम सबकी बोलती बंद हो जाती है ” वो हँसी।
” प्यार करना तो सब सिखाते है पर इस रिश्ते को निभाना कैसे है, ये कोई नहीं सिखाता। हमे न तो इन रिश्तों की अहमियत के बारे में पता होता है और न ही ये कि कैसे इन रिश्तों से बाहर निकला जाए जब ये हमे गुमराह करने लगते है। ऐसे में हमें जरुरत पड़ती है एक लवगुरु की… यानि कि आपकी ” मालती ने कहा।
उसके आखिरी वाक्य को सुन शिखा भावुक हो उठी। मालती के शब्दों ने शिखा के मन मे उठे उस संशय को भी कमजोर कर डाला जो उसे कुछ पल पहले एक लवगुरु के तौर पर धिक्कार रहा था।
” आपको अंदाजा भी है कि आपने कितने रिश्तों और कितने लोगो को टूटने से बचाया होगा ” मालती ने पूछा।
इस सवाल पर शिखा शब्दहीन रही। वो चाहकर भी कुछ कह नहीं पाई।
बरसात को थमता देख, मालती को उसके दोस्त ने टोका और चलने को कहा। मन मसोसकर उसने अपनी गोद में रखे बैग को हाथों मे थामा और बोली,” आपसे मिलकर अच्छा लगा मैम। मैं आपका शो रोज़ सुनती हूं , कल भी सुनूंगी।"
वो उठी और चलने को हुई।
” सेल्फी नहीं लोगी ? ” शिखा ने टोका।
ये सुनकर मालती हँस पड़ी
शिखा भी सीढ़ियों पर खड़ी हो गई और जब मालती ने उसका सामना किया तो वो हैरान रह गई। शिखा की आँखो पर जो नमी छाई हुई थी, उसमे मालती का प्रतिबिंब स्पष्ट दिखा।
” तुम कहती हो कि मैंने तुम्हारी जिंदगी बचाई है पर मुझे लगता है कि आज तुमने मुझे खत्म होने से बचाया है” शिखा ने कहा।
इससे पहले कि मालती कुछ समझ पाती, शिखा ने उसे बांहो में भर लिया।
स्टेशन पर मौजूद सभी लोगो की निगाहें उन पर रुक गई।
” कुछ पल पहले खुद को धीरे-धीरे खो रही थी मैं, पर तुमसे मिलकर यूं लगा मानो खुद को फिर से पा लिया हो मैने” शिखा ने उसे आहिस्ते से जकड़ते हुए कहा।
” थैंक्यू सो मच, मुझे खुद से मिलाने के लिए ” शिखा ने रुंधे हुए गले से कहा।
मालती हैरान दिखी पर शिखा के आलिंगन में बसकर वो भी मुस्कुरा उठी।
” अरे वो शिखा है ”
” अरे हां, रेडियो सरगम वाली आर जे”
अचानक रुके हुए लोगो के बीच से आवाजें आने लगी। सब भीड़ जमाए वहां खड़े होने लगे जहां मालती और शिखा थे।
” मुझे नहीं लगता मैम, अब हम सेल्फी ले पाएंगे ” मालती ने हंस कर कहा,” देखो न सब यही देख रहे है”।
शिखा ने भी सामने की तरफ नज़रे घुमाई और वो दंग रह गई। स्टेशन की सारी भीड़ उनकी तरफ ही देखे जा रही थी। कोई फोन हाथ में लिए शिखा को रिकॉर्ड कर रहा था तो कोई सेल्फी की दरकार लिए उसकी ओर बढ़ने की तैयारी में था।
पल भर मे ही शिखा लोगो की भीड़ से घिर गई। किसी ने उसकी आवाज़ की तारीफ की तो किसी ने उसके काम को सराहा पर उनमें से कुछ ऐसे भी थे जिन्होनें उसे लाइफ सेवर कहकर पुकारा और उसका शुक्रिया अदा किया।
” आपको अंदाजा भी है कि आपने कितने रिश्तो और कितने लोगो को टूटने से बचाया होगा ”
अचानक मालती का ये सवाल शिखा के मन में गूंज उठा। उस सवाल का जवाब अब उसके सामने था।
शिखा ने उसी पल नज़रे उठाकर भीड़ में मालती को तलाशा पर वो उसे कही नहीं दिखी। उसने अफरा-तफरी में अपने दाएं-बाएं भी देखा पर वो उसकी झलक ढूंढ नहीं पाई। उसे खोने के डर ने शिखा को बेचैन कर दिया और अचानक उसी पल भीड़ को पीछे छोड़, वो मालती को ढूंढने अकेले ही सीढ़ियों पर दौड़ पड़ी। भीड़ का कारवां हैरान होकर वही सीढ़ियों पर ही थम गया।
स्टेशन के बाहर बरसती बूंदों के बीच आकर शिखा हांफते हुए रुकी और वही उसने मालती को खड़ा पाया, भीगते हुए, उसका इंतजार करते हुए।
” मुझे लगा कि तुम चली गई” शिखा ने सांसों को संभालते हुए कहा।
” ऐसे कैसे चली जाती” मालती ने झट से जवाब दिया,” आपके साथ सेल्फी भी तो लेनी है।"
ये सुनते ही शिखा की हँसी छूट पड़ी। दोनो खिलखिलाते हुए बारिश में हँस पड़े।
...
अगली सुबह शिखा के सभी सोशल अंकाउट्स पर एक सेल्फी फोटो बेहद वायरल हुई। वो सेल्फी कुछ थी ही इतनी खास।
उस तस्वीर में कैद दो चेहरे शिखा और मालती के थे। बरसात में बेसुध भीगती शिखा के गले में हाथ डाले मालती को खड़ा देख यूं लगा मानो वो बरसों से एक-दूसरे को जानते हो। उनके चेहरो की खुशी से जाहिर था कि उनके लिए ये पल कितना खास था। तस्वीर के साथ ही शिखा ने कुछ शब्द भी लिखे थे जिसे लोगो ने काफी सराहा और शेयर किया।
वो शब्द थे- ”जिंदगी में हमे सारे रिश्ते बने बनाए मिलते है पर दोस्ती नहीं। इस रिश्ते के बगैर हम इस बाहरी दुनिया में अधूरे से है। मिलिए मेरी एक नई दोस्त से – मालती।
She is my saviour ।
......