Ravi Kumar

Drama Fantasy Romance

3.3  

Ravi Kumar

Drama Fantasy Romance

वो बारिश की बूंदे…

वो बारिश की बूंदे…

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उस दिन वो खोया सा रहा, मानो किसी ख्वाब से जागा हो पर ये कैसा ख्वाब था जो हकीकत सा लगा। उसका मन भटका हुआ सा था पर क्यो, वो ये चाहकर भी समझ नहीं पाया। भीड़ की आगोश में सिमटा हुआ रायन का अस्तित्व खुद के ही वजूद से झगड़ता रहा, न जाने किसकी तलाश में उसका दिल बैचेन था। आखिर वो कैसे एक अनजानी सड़क पर आ पहुंचा, ये उसे याद नहीं था पर लोगों और गाड़ियों के बीच खुद को खड़ा पाकर वो हैरान और परेशान जरुर था। जैसे भी करके उसने खुद को सतुंलित किया और अपनी काली लेदर जैकेट वाली हुड मे अपना चेहरा छिपाकर वो सड़क से दूर जाकर फुटपाथ पर जा खड़ा हुआ जहां उसने सड़क के मुंहाने पर जबरदस्त भीड़ को एकत्र पाया। इससे पहले की वो वजह पूछ पाता कि तभी पास गुजरते अनजान लोगो की बातचीत से पता लगा कि एक कार हादसा हुआ है जिसमे दो लोग बुरी तरह से जख्मी हो गए है और उन्हे फौरन अस्तपताल ले जाया गया है। रायन ने एक पल सोचा कि वो खुद घटनास्थल पर जाकर वहां का मुआयना कर आए पर अगले ही पल जेहन में उठे एक नाम ने उसके कदमो को बढ़ने से पहले ही रोक लिया। 

” कैथरीन ” हां, यही तो वो नाम था जिसे उसका मन, इन उलझे पलो में तलाश रहा था। रायन ने झट से अपने जैकेट की जेबो में हाथ डालकर अपना मोबाइल ढूंढा पर ये क्या, उसकी हथेलियां उन जेबो से खाली बाहर लौटी। रायन भी हैरान था कि हर वक्त साए की तरह उसके साथ रहने वाला मोबाइल फोन, आज उसके साथ क्यों नहीं था। कहां छोड़ आया था वो फोन ? कही गिरा तो नहीं था या फिर कही चोरी तो नहीं हुआ ? अफसोस रायन इनमे से किसी भी सवाल का जवाब सोच नहीं पाया। न जाने ये कैसी बैचेनी सी मचल उठी उसके सीने में कि कैथरीन के अलावा उसे कोई ओर दूसरी चीज जरुरी लगी ही नहीं और वो फौरन उससे मिलने को चल पड़ा। धुंधली यादो के साथ लड़ते हुए वो 22 साल का नौजवान अपने तेज़ कदमो से उस अनजानी सड़क के फुटपाथ पर चलता गया और इस दौरान सिर्फ और सिर्फ कैथरीन का ही चेहरा उसकी नजरो के आगे नाचता रहा। आखिरी बार वो कब कैथरीन से मिला था ? अजीब था पर वो याद नहीं कर पाया। दिमाग पर जोर देते हुए उसने रास्ता बदला और फिर ये क्या ? अचानक उसने खुद को एक अपार्टमेंट की बिल्डिंग के सामने खड़ा पाया। 

कुछ पल उसने गर्दन उठाकर उस अपार्टमेंट की बिल्डिंग को ऊपर से नीचे तक हैरानी से देखा और फिर मानो यादो से उलझन का कोई कोहरा छंटा हो जैसे, उसे याद आया कि ये अपार्टमेंट कैथरीन का था पर बिना कुछ जाने- समझे वो इतनी जल्दी यहां कैसे आ पहुंचा, ये वो समझ नहीं सका। कैथरीन को देखने की बेताबी में बगैर कोई वक्त जाया वो झट से बिल्डिंग में घुसा और सीधा थर्ड फ्लोर पर आकर थमा। वही सामने दरवाजे पर एक नाम गुदा था - ”कैथरीन डिसूजा”। 

इसी नाम को तलाशते हुए वो यहां भटकते- भटकते आ पहुंचा पर उसके दिल को सुकुन अब तक न मिला था। रायन ने बढ़कर दरवाजे पर उभरे उस नाम के अक्षरो को अपनी अंगुलियो से छुआ और अचानक कैथरीन की मुस्कान भरी एक ताजा तस्वीर रायन के दिलोदिमाग में बिजली की तरह कौंध उठी। मोमबत्तियो की सुनहरी रोशनी के बीच दमकता कैथरीन का चेहरा खुशी से कितना चमक रहा था। वो कैसे भुला सकता था उस दिन था को ? बर्थ डे था शायद उसका। कितनी खुश थी वो उस दिन। बच्चो की तरह चहकते हुए, उसने पूरी शाम सिर्फ अपनी तस्वीरो को खींचवाने में ही बीता दिया। इसी शौक को देखकर रायन ने उसे मिस फोटोजेनिक ( जिसकी फोटो हमेशा अच्छी आए) पुकारना भी शुरु कर दिया था। उसकी मुस्कान थी ही इतनी प्यारी की जब वो उसे अपने होठो पर ले आती तो, उसकी हर तस्वीर खूबसूरत बन जाया करती थी। कैथरीन का सबसे खूबसूरत गहना उसकी मुस्कान थी, इसलिए रायन भी तो यही कहता उससे – ”इसे हमेशा अपने होंठो पर पहने रखना। अपनी इस प्यारी सी मुस्कान को अपने होंठो से कभी जुदा न करना वरना मेरी रुह मुझसे रुठ जाएगी ” और वो उसे ” पागल” कहकर फिर हंस पड़ती। रायन इससे ज्यादा उससे ओर कुछ मांग नहीं पाता। कैथरीन को क्या पता था कि उसकी मुस्कान मे रायन की पूरी दुनिया बसी थी जिसे वो उसे कभी चिढ़ाकर तो कभी बेवकूफी वाले सवाल करके पा लेता था।

पर आज उसकी रुह सचमुच कही रुठ चली थी और ये कैथरीन को दोबारा देखने की चाहत ही थी कि वो आज उसके दरवाजे तक चला आया। चेहरे पर उदासी लिए उसने कुछ पल कैथरीन के नाम को निहारा और फिर दरवाजे पर सिर टिकाकर उसने अपनी आंखे आहिस्ते से बंद कर ली। अपनी अंगुलियो से दरवाजे को खटखटाकर, उसने अपनी दस्तक दी या फिर यूं कह लो, कैथरीन को देखने की दरख्वास्त रखी। मगर वो दरवाजा खामोश रहा। उसने कई बार वो दरवाजा खटखटाया पर बदले में उसे सिर्फ मायूसी हाथ लगी। अगर वो घर पर नहीं थी तो फिर कहां थी ? रायन ने अनुमान लगाना चाहा पर कोई खास उत्तर खोज न पाया। थक-हारकर रायन वही उसकी चौखट पर बैठ गया और इंतजार करने का विचार बनाया पर वो ऐसा ज्यादा पलो तक कर न पाया। 

अजीब सी घुटन में खुद को घिरता देख, रायन अपार्टमेंट की बिल्डिंग से बाहर आकर वही इर्द-गिर्द चक्कर लगाने लगा। शाम का कोहरा घना होने लगा था। खुद को जैकेट में समेटे, कोहरे की आड़ मे वो एक भटका हुआ धुंधले साए जैसा लगा जो अपनी मंजिल खोजता फिर रहा हो और ऐसे ही चलते-चलते वो कुछ ही दूर बढ़ा होगा कि अचानक उसके कदम ठिठककर यकायक रुक गए। 

वो कैसे एक कैफे के सामने आ पहुंचा, ये समझना नामुमकिन सा था पर उससे भी ज्यादा हैरान करने वाला वो चेहरा था जो इस वक्त कैफे के शीशे से झांक रहा था। वो चेहरा कैथरीन का था जो सिर झुकाए, खामोश निगाहो के साथ टेबल पर अकेले बैठे नजर आई। रायन को अपनी नजरो पर यकीन न हुआ और वो कुछ पल जैकैट मे हाथ डाले वही सड़क पर खड़ा उसे देखता रह गया। आस-पास दौड़ती गाड़ियो के बीच आंख-मिचौली खेलते कैथरीन के चेहरे को देखकर रायन इस कदर हतप्रभ रह गया कि वो पलके झपकाना तक भूल गया। कही वो उसकी नजरो का कोई धोखा तो नहीं थी। उड़ता कोहरा चाहे कितनी भी कोशिश करता उसके चेहरे को छिपाने की, पर एक पल के लिए भी उस चेहरे से अपनी नजरे हटा नहीं पाया। मन मे एक डर भी था कि कही वो खो न जाएं। चेहरे पर मायूसी लिए कैथरीन न जाने किस उलझन में खोई बैठी थी कि वो उस ओर देख भी नहीं पाई, जहां रायन बैचेन दिल की धड़कनो के साथ सिर्फ उसे ही देखे जा रहा था। शायद वो किसी का इंतजार कर रही थी पर किसका ? क्या वो रायन था जिसकी गैरमौजूदगी उसे परेशान कर रही थी या फिर कोई ओर ? 

बस, अब रायन से ये दूरी बर्दाश्त नहीं हुई और वो तेज़ कदमो से कैफे की ओर बढ़ गया। 

कैफे मे दाखिल होते ही रायन की नजरो ने सिर्फ कैथरीन को निहारा। अजब सा सूकून मिला उसे कैथरीन को देखकर, यहां तक की उसकी एक झलक पाकर उसके शिथिल पड़े होंठ भी मुस्कुराना सीख गए। कैथरीन ने भूरे रंग का हाफ स्लीव वाला कार्डिगन पहना था जो उस पर काफी फब रहा था। सिर पर ऊनी टॉपी लगाए वो एकटक टेबल पर रखी कॉफी से उठते धुएं को निहारती रही। शायद उसके ठंडे हो जाने के इंतजार में थी या फिर अपने ही ख्यालो में कही गुम थी। रायन अपने दूसरे अनुमान से ज्यादा सहमत दिखा और वो उससे मिलने को आतुर हो उठा। उसे चौंकाने के बहाने से वो धीमे कदमो से उसकी ओर बढ़ा पर वो जैसे ही उसके टेबल के करीब पहुंचा, कैथरीन ने निगाहे उठाकर उसके बढ़ते कदमो को थाम लिया। वो हैरान था कि कैसे उसने उसकी धीमी आहटो को पा लिया।

कैथरीन ने उसकी तरफ देखकर शिकायत की, ” तुम लेट हो, रायन ! पता है, मैं कितनी देर से तुम्हारा वेट कर रही हूं ”।

इस पर रायन ने जबाव देना चाहा ही था कि तभी पीछे से धमक पड़े एक अजनबी ने रायन को चौंका दिया जो उसके पास से गुजरते हुए कैथरीन के टेबल तक जा पहुंचा और बोल पड़ा, ” आई एम सॉरी, कैथी पर मीटिंग में फंस गया था यार ”।

उस शख्स को देख, रायन आश्चर्यचकित रह गया। और हो भी क्यो न ! आखिरकार वो शख्स हूबहू रायन जैसा जो दिखता था। 

एक बेहरुपिए जैसा ! 

कुछ पल के लिए तो रायन का दिमाग चकरा उठा मानो उसके पैरो तले जमीन खिसक गई हो। ये कैसे मुमकिन था ? यहां तक कि सिर्फ शक्ल ही नहीं बल्कि उसके कपड़े भी रायन जैसे ही थे। व्हाईट शर्ट, ब्लू जींस और ऊपर से वो हुड वाली ब्लैक जैकेट। कुछ भी अलग नहीं था दोनो के कपड़ो में और न ही दोनो की शख्सियत में और तभी रायन को एहसास हुआ कि कैथरीन की निगाहे भी सिर्फ उसी अजनबी को ही निहार रही थी, न कि उसे। यहां तक कि उस अजनबी को करीब पाकर उसके चेहरे की मायूसी भी अब नदारद थी जिसका दामन थामे वो कुछ पल पहले बैठी थी। एक सुकुन था कैथरीन की आंखो में जिसे रायन अपने लिए तलाश रहा था पर अफसोस वो उस अजनबी के लिए दिखा, जो कुर्सी खिसका कर कैथरीन के सामने जा बैठा था। रायन ने चाहा कि एक बार कैथरीन नजरे उठाकर उसे भी देखे मगर कैथरीन ने ऐसा नहीं किया। 

”कैथरीन ! ” रायन ने उसे पुकारा पर कैथरीन ने ऐसे दिखाया मानो उसने रायन को सुना ही नहीं।

  रायन उसके करीब खड़ा होकर कई बार उसे पुकारता रहा पर कैथरीन पर उसकी पुकार का कोई प्रभाव नहीं दिखा।

आखिर ये हो क्या रहा था ! सिर पर हाथ रख, अपने बाल नोचते हुए रायन ने बैचेनी से आस-पास की भीड़ को देखा। क्या पता कोई उसे देख रहा हो पर किसी का भी ध्यान उस पर नहीं था। तभी पास आते वेटर ने भी उसे अनदेखा किया और कैथरीन की टेबल के पास खड़ा होकर ऑर्डर पूछने लगा। रायन ने वेटर का भी ध्यान खिंचना चाहा पर उसकी आवाज़ वेटर तक भी नहीं पहुंची। उसने वेटर को कई बार छुआ भी पर न जाने क्यों उसके स्पर्श का एहसास उस वेटर तक नहीं पहुंचा। 

वेटर के जाते ही रायन भी झट से उस अजनबी के बगल वाली खाली कुर्सी पर जा बैठा और कैथरीन को पुकारते हुए बोला, ” कैथरीन, सुनो मुझे ! प्लीज एक बार, मेरी तरफ देख लो ”।   

कहने को तो कैथरीन के सामने इस वक्त एक ही शक्ल के दो शख्स बैठे दिखाई दिए जिनके कपड़े भी एक जैसे थे पर अफसोस कैथरीन का ध्यान सिर्फ रायन के हमशक्ल की तरफ था।

रायन की सारी फरियादो को नजरअदांज कर, कैथरीन ने धीमे स्वर में कहा, ” मुझे तुम्हे कुछ बताना है, रायन”।

अचानक रायन अपना नाम उसके मुंह से सुनकर अवाक् रह गया और अपनी सारी कवायदो को उस पल भुला बैठा। कैथरीन के स्वर से स्पष्ट था कि वो किसी ऐसी वजह को लेकर परेशान थी, जिसका हल सिर्फ रायन के पास था।

रायन ने कुछ कहना चाहा ही था कि उसके बगल में बैठे हमशक्ल ने उसके मुहं की बात छीन ली।

उसने पूछा, ” क्या बात है ?”। 

अगले ही पल उसने अपना दांया हाथ बढ़ाकर, टेबल पर रखी कैथरीन की हथेलियो को सहलाने लगा।

ये देख रायन मन ही मन झुझंला उठा। ऐसा तो वो भी किया करता था जब कभी कैथरीन बेहद परेशान हुआ करती थी। उसने भी चाहा कि वो भी कैथरीन को छुए पर वो जानता था कि उसका स्पर्श भी उसकी आवाज़ की तरह ही उस पर बेअसर होगा और कैथरीन भी तो उस बेहरुपिए के स्पर्श से सकुचाई नहीं।

कैथरीन की नजरो से दरकिनार हो चुका रायन अपनी बदकिस्मती पर स्वंय को कोसता रह गया। तभी उसने पाया कि वो भी उस बेहरुपिए को चाहती थी। कैथरीन ने उसके हाथो को अपने हाथो मे इस कदर भींचा मानो उसे खुद से कही दूर नहीं जाने देना चाहती थी। कैथरीन की भावुकता भरी नजरो में झलकते प्यार की परछाई में रायन ने जिसका चेहरा पाया वो भले उसके जैसा दिखता था पर वो उसका चेहरा नहीं था। 

ये कैसा मजाक खेला जा रहा था उसके साथ ? क्या वो किसी ख्वाब में तो कैद नहीं हो गया था ? कहां जाएं वो ? किससे मदद मांगे वो ? आखिर क्यो वो सबकी निगाहो से अछूता रह गया ? आखिर कोई उसे देख क्यूं नहीं पा रहा था ? रायन को कुछ नहीं सूझा। अपनी धुंधली यादो को टटोलते हुए रायन ने खुद के साथ-साथ, कैथरीन को भी उनमें तलाशने का प्रयास किया पर वो बीते घंटो के अलावा कुछ भी याद नहीं कर पाया। 

” मैं प्रेग्नेंट हूं ” कैथरीन ने अपनी उलझन जाहिर करते हुए कहा।

” क्या ?” उसके सामने बैठे दोनो शख्स हैरानी से एक साथ बोल पड़े।

”मुझे आज सुबह ही पता चला ” कैथरीन ने अजनबी की अगुंलियो को भींचते हुए कहा।

” तुम्हे सुबह पता चला और मुझे अब बता रही हो ? ” अजनबी ने शिकायत भरे लहजे में कहा।

” मै चाहती थी कि हम आमने-सामने रहकर बात करे और फैसला ले सके ”

” कैसा फैसला ?”

” यही कि क्या हम इसके लिए तैयार है या नहीं ?”

” ये कैसा सवाल है ?”  

कैथरीन ने हैरानी से उस शख्स को देखा और कहा,” हमारी शादी नहीं हुई है। लोग सवाल खड़े करेंगे। क्या तुम तैयार हो उन सवालो के लिए ? और तुम्हारे पेरेंट्स का क्या ? क्या वो हमारे रिश्ते को जायज ठहराएंगे ?”।

कैथरीन को प्रेग्नेंट जानकर रायन मूक रह गया। ये कैसे संभव था ? क्या वो सच में उसकी कैथरीन ही थी या फिर कोई छलावा ? 

रायन ने उलझन भरी निगाहो से एक पल कैथरीन को देखा और फिर दूसरे ही पल अपने बांए बैठे, हमशक्ल को।

कैथरीन की बातो से स्पष्ट था कि वो अपनी प्रेग्नेंसी को लेकर काफी चितिंत थी जिसे वो अजनबी झट से भांप गया।

वो फौरन कैथरीन की ओर झुका और मुस्कुराते हुए उससे बोला, ” लिव-इन में आने का फैसला हम दोनो का था। मुझे फर्क नहीं पड़ता कि लोग या फिर हमारे पेरेंट्स इस रिश्ते को क्या नाम देंगे पर मैं पीछे नहीं हटने वाला, कैथरीन। मुझे अपनी जिंदगी सिर्फ तुम्हारे साथ बितानी है। मानता हूं, कि कुछ चीजे शायद जल्दी हो गई ( वो हंसा ) पर इससे हमारा प्यार नहीं बदलने वाला और रही बात हमारी शादी की तो… ”।

अचानक वो अपनी टेबल से उठकर आनन- फानन मे आस-पास अपनी नजरे दौड़ाने लगा। 

” तुम यही रुकना, कही जाना मत” उसने कैथरीन को सख्त हिदायत दी जिसे कैथरीन ने खुशी-खुशी माना। 

वो कुछ पलो के लिए ओझल हो गया और कैथरीन चेहरे पर मुस्कान लिए उसकी राह ताकती रही। 

इस पल रायन ने खुद को बेहद अकेला महसूस किया। कैथरीन उसके करीब होकर भी पास नहीं थी। कितना कुछ था उसके मन में, जो वो कैथरीन से कहना चाहता था। कितने अनकहे शब्द थे रायन के होंठो पर जिन्हे वो कैथरीन के आगे रखना चाहता था पर अफसोस उसे उन शब्दो को अपने मन मे ही कही दफन करना पड़ा। कितना कुछ गढ़ा रह जाता है इंसान के मन में, वो अधूरी चाहते, वो अधूरी ख्वाहिशे। मन भी एक कब्रस्तान सा लगता है उन अधूरी चाहतो और ख्वाहिशो के साथ और उनके बीच रह जाती है हमारी रुह अकेली भटकते हुए। 

कितनी खलती है हमे उस इंसान की बेरुखी जो कभी हमारे दिल के करीब होते है। ये एहसास दिल को कचोटने जैसे होता है।

वो देख सकता था कि कैसे उस शख्स ने कैथरीन की सारी चिंताओ को पल भर में ही मिटा दिया और उसके चेहरे पर उस मुस्कान को ले आया जिसे कभी रायन पसंद किया करता था। रायन नहीं जानता था कि वो बेहरुपिया कौन था पर इतना तो तय था कि वो भी कैथरीन को उतना ही चाहता था जितना कि वो। रायन के मन में जहां एक तसल्ली थी कैथरीन की खुशी को देखकर, वही एक उलझन भी थी। 

आखिर वो यहां क्यो था ?

तभी रायन का हमशक्ल तेजी से चलते हुए कैथरीन के करीब आ खड़ा हुआ और उसकी कुर्सी के पास घुटनो के बल जा बैठा। हाथ में एक सफेद गुलाब का फूल थामे जिसे वो बाहर से कही तोड़ लाया था, उसने कैथरीन को प्रपोज कर डाला।

” विल यू मैरी मी, कैथरीन ?” उसने मुस्कुराते हुए पूछा।

आंखो में नमी लिए कैथरीन भी मुंह पर हाथ रख चौंक उठी और अगले ही पल उस फूल को थाम उसने उसका प्रपोज स्वीकार कर लिया। पूरा कैफे लोगो की तालियो की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। खुशी के इस पल में जहां सबके चेहरे मुस्कान से भरे थे, वही सिर्फ रायन चेहरा था जो खामोश था। कैथरीन अपनी जगह से उठ खड़ी हुई और उसने उस अजनबी को गले से लगा लिया और रायन मायूस भरी नजरो से उन्हे देखता रह गया। 

उनकी खुशी में खुद को घुटता देख, वो अपनी जगह से उठ खड़ा हुआ।

उलझनो को संभाले वो कैफे से बाहर आया और वही शीशे की आड़ से उसने उन दोनो को एक बार फिर देखा। न जाने कौन था वो शख्स ? रायन का चेहरा चुराकर वो कितनी आसानी से कैथरीन की बाहों में झूम रहा था और वही कैथरीन भी खुश थी उसकी बांहो में आसरा पाकर। हो न हो ये कोई अनजाने ही थे जिनके सिर्फ चेहरे ही जाने-पहचाने थे, दिल नहीं। 

थोड़ी देर बाद कैथरीन और वो शख्स भी एक साथ कैफे से बाहर निकले और पास खड़ी एक सफेद कार में दाखिल हुए। उनका पीछा करने के इरादे से रायन भी मौका पाकर उनकी कार के पीछे वाली सीट पर बैठ गया। 

पूरे रास्ते कैथरीन खुशी से चहकती रही और एक पल के लिए भी उसने वो फूल अपने हाथो से अलग नहीं किया जो उस अजनबी ने प्रपोज करते वक्त उसे दिया था। फिर उसने कार को अपने अपार्टमेंट की तरफ घुमाने को कहा ताकि वो अपना कुछ सामान वहां से ले सके। पीछे की सीट पर बैठा रायन उनकी बातचीत से ऐसा कुछ भी पता नहीं लगा पाया जिससे वो अपनी उलझन को सुलझा पाता। इसी बीच कैथरीन अपना फोन निकालकर उस हमशक्ल के साथ सेल्फी लेने में व्यस्त हो गई जिस पर उस शख्स ने आपत्ति जताई। 

” माना कि तुम मिस फोटोजेनिक हो पर कार चलाते वक्त मुझे ये सब पंसद नहीं है ” उस शख्स ने कैथरीन को टोकते हुए कहा। 

” और तुम मिस्टर बोरिंग ” कैथरीन ने उसे चिढ़ाते हुए कहा और अपना फोन बंद कर लिया। 

’मिस फोटोजेनिक’ अचानक इस शब्द को सुन, पीछे बैठे रायन के माथे पर पड़ी शिकन सख्त हो गई। वो भी तो कैथरीन को यही पुकारा करता था पर ये बात उसे कैसे पता ? अचानक रायन का दिमाग चकरा उठा और उसके मन मे उठे एक ख्याल ने उसे सिहरने पर मज़बूर कर दिया। क्या वो शख्स जो उसके सामने है, वो कोई ओर नहीं बल्कि खुद रायन ही है ? नहीं, ये कैसे मुमकिन था ? पर रायन इस तर्क के अलावा ओर कुछ सोच भी तो नहीं पाया। उसकी यादे उसका साथ छोड़ चुकी थी। वो जितना अपने दिमाग पर जोर डालता, वो उतना ही खुद को उलझा हुआ पाता। न जाने किसने उसकी यादो के पहर में ये अनदेखी दीवारे खड़ी कर दी थी कि वो जितना उन्हे गिराने की कोशिश करता, वो उतना ही मुंह के बल गिरता। ऐसे में वो सिर्फ एक ही तर्क लगा पाया जिसे सोचते ही वो कांप उठा। 

रायन चीखा। 

उसने उन दोनो को कार रोकने को कहा पर उसकी आवाज़ उन तक नहीं पहुंची।

शायद नियति को भी इसी पल का इंतजार था कि अचानक उनकी कार, दूसरी लेन से आ रहे एक लापरवाह ट्रक से टकरा गई।  

वीभत्स टक्कर हुई उनके बीच ! 

एक ही पल में रायन की दुनिया उसकी आंखो के आगे नाच उठी। उनकी कार हवा में दो फीट तक उछल गई जिसके साथ-साथ कैथरीन का जिस्म भी कार की सीट से अलग होकर हवा में गुलाटियां खाता दिखा। ” चरर्र…” करते हुए कार सड़क पर रगड़ खाते हुए पलटी और उससे निकले काले धुंए के घने गुबार ने कार को पूरी तरह से निगल लिया। 

इससे पहले की रायन कुछ समझ पाता, उसने खुद को फिर से उसी सड़क पर खड़ा पाया जहां से उसने अपने दिन की शुरुआत की थी। ये ऐसा ही था मानो वो फिर से वक्त के पीछे आ गया हो। फर्क बस इतना था, इस बार वो जानता था कि वो वहां क्यो था ! 

वो दौड़ा और सड़क के मुंहाने पर एकत्र भीड़ को पीछे छोड़ते हुए फौरन उस कार के करीब आ खड़ा हुआ जिसमे कुछ पल पहले वो सवार था। उठते धुंए के गुबार मे कार का जर्जर रुप स्पष्ट होते देख रायन की रुह कांप उठी। कार सड़क पर पूरी तरह से पलट चुकी थी। कांपती धड़कनो से रायन ने कैथरीन को ढुंढ़ना चाहा। वो झुका और कार के प्रथम छोर पर टुटे हुए शीशे के टुकड़ो पर पड़े कैथरीन के लहुलुहान जिस्म को देख वो बैचेन हो उठा। उसके करीब ही उस हमशक्ल का भी जिस्म था जो अभी भी सीट बेल्ट में जकड़ा हुआ था पर उसका सिर लगातार खून के बहाव में इस कदर रिसता रहा कि सड़क का आधा हिस्सा उसके लहु से रक्तरंजित हो गया। उस दूसरे जिस्म को देख रायन को ये एहसास हुआ कि वो जिसे अब तक अजनबी मानता आया था वो कोई अजनबी था ही नहीं। वो रायन का ही जिस्म था जो बहते खून की धार में धीरे-धीरे अपनी सांसे खो रहा था पर रायन को अपने जीवन की परवाह नहीं थी। वो तो बस कैसे भी करके सिर्फ कैथरीन को बचाना चाहता था।

 रायन ने आगे बढ़कर कैथरीन के जिस्म को कार से बाहर निकालना चाहा पर अफसोस वो उसे छू नहीं पाया। बेबसी में वो चीख पड़ा और भीड़ से मदद की गुहार लगाई लेकिन कोई भी उसकी गुहार को सुन न सका। तमाशबीन भीड़ के आगे खुद को असहाय् पाकर रायन की आंखे भर आई। वो किसी भी तरह से कैथरीन को बचाना चाहता था। उसने घुटनो के बल बैठकर कैथरीन के जिस्म को बार-बार कार से बाहर निकालने का प्रयास किया मगर उसका प्रयास विफल रहा। ये ऐसा ही था मानो वो बंद मुठ्ठी से रेत को थामने की कोशिश कर रहा हो। इसी आनन-फानन में उसका ध्यान उस फूल पर गया जिसे पूरे सफर कैथरीन अपने हाथो में थामे रही थी, पर अब वो सफेद गुलाब का फूल रायन के अधमरे जिस्म के खून मे सनकर लाल हो रहा था। 

भीड़ मे खड़े लोगो को भले ही वहां जिंदगी से लड़ती दो जाने दिखी लेकिन वहां कोई तीसरा भी था जिसकी रुह की तड़प भी उतनी ही थी जितनी कार में कैद उन जिस्मो की।

शायद ये उसके सीने में उठी तड़प की आंधी ही थी जिसने उसकी धुंधली यादों को ऐसे झंझोड़ा कि उसके अंर्तमन की सारी दीवारें ध्वस्त हो चली और कैथरीन के साथ बिताए सारे पल उसके जेहनोदिल में ऐसे उतर गए मानो यादो का बांध टुटा हो जैसे। 

कैथरीन के खिलते होंठो पर चढ़ती वो मुस्कान। उसकी झपकती पलको से झड़ते वो ख्वाब। उसकी हंसी का वो स्वर जो उसके दिल से निकला करती थी। उसके स्पर्श का वो गर्म एहसास जिसे पाकर वो सुकुन पाता था। हर वो खुशी जो उसके साथ बांटने पर दुगुनी हो जाती। 

आज वही कैथरीन उसके हाथों में लहुलुहान पड़ी थी और वो चाहकर भी ऐसा कुछ नहीं कर पा रहा था जिससे की वो उसे एक बार फिर हंसता हुआ देख पाता। 

शायद ये उसकी बेबसी का ही असर था कि उसी पल भीड़ को तितर-बितर करते हुए, पुलिस और एक एंबुलेंस घटनास्थल पर आ पहुंची। उन्होने फौरन कैथरीन व रायन के जिस्म को एंबुलेंस में डाला और वही पास पड़े दुर्घटनाग्रस्त ट्रक का भी मुआयना किया जिसका चालक मौका देख फरार था। 

कैथरीन व रायन के जिस्म को जल्द ही अस्तपताल पहुंचा दिया गया और पुलिस द्वारा उनके परिजनो को भी उनके एक्सीडेंट की सूचना दी गई।

ये सब उस शख्स की आंखो के आगे हुआ जो दुनिया नजरो से ओझल था। एक साए की तरह जिसे कोई देख न पाया। अपने अंजाम से वो वाकिफ था, बस हर पल उसे कैथरीन की फिक्र रही। कैथरीन को बेहोशी की हालत में ऑपरेशन थिएटर ले जाते वक्त भी वो उसके साथ ही रहा। अफसोस, डॉक्टरो ने रायन के जिस्म को चंद मिनटो बाद ही मृत घोषित कर दिया जिसे जानकर वो भावहीन रहा लेकिन उसके परिजन नहीं। 

इन हालातो के बीच रायन सिर्फ यही सोचता रह गया कि आखिर वो वहां क्यो मौजूद रहा ? ये तो स्पष्ट था कि न तो वो हादसे को होने से रोक पाया और न ही वो वहां किसी प्रकार की मदद करने के लायक था। तो फिर क्यों उसकी रुह वहां ठहरी हुई थी ? क्यों वक्त ने उसे पीछे धकेला, जब उसे यही आना था जहां वो सिर्फ बेबस होकर अपनो को टुटता हुआ देख सकता था और कुछ नहीं। सवाल अभी भी बाकी थे पर उनके जवाब जानने की ताकत अब रायन में नहीं बची थी। भटकती रुह के जैसे आखिर वो कब तक यहां रहेगा ? 

इसी बीच ऑपरेशन थिएटर से बाहर निकले डॉक्टरो ने कैथरीन के परिजनो को उसकी स्थिति के बारे में सूचित किया। कैथरीन के मस्तिष्क के फ्रंटल लॉब में आई गहरी चोटो की वजह से उसकी स्ठिति गंभीर बन चुकी थी जिससे कि उसके कोमा में जाने का भी खतरा पैदा हो गया था। डॉक्टरो ने उन्हे ये भी बताया की कैथरीन गर्भवती है पर ऐसी स्थिति में शिशु के जीवित रहने की संभावना भी नाममात्र ही थी। वक्त रहते कैथरीन का होश में आना बेहद आवश्यक था। किसी को भी उसे देखने की इजाजत नहीं दी गई लेकिन रायन तो इन नियमो से अछुता था।   

रायन फौरन ऑपरेशन थिएटर के अंदर दाखिल हुआ और वहां कैथरीन को बेड पर बेहोश देख, वो फिर से खुद को टूटा हुआ महसूस करने लगा। कितना कुछ तो वो खो चुका था ! क्या वो सब काफी नहीं था कि अब उसे कैथरीन की उखड़ती सांसो का भी गवाह बनना था। नहीं, ये उसकी बर्दाशत के बाहर था। 

वो धीमे कदमों से उसके करीब आया और वही पास रखी कुर्सी पर बैठकर उसने कुछ पल उसे निहारने में ही बिता दिए। जान छिड़कता था वो कैथरीन पर। उसकी उदासी की वजह जाने बगैर चैन नहीं मिलता था उसे, पर आज वो खुद को लाचार सा महसूस कर रहा था।

खामोशी के साए में बस घड़ी की टिक-टिक ही थी जो हर पल गूंजती सी प्रतीत हुई। कैथरीन का खूबसूरत चेहरा अब खरोंचो व चोटो से भरा हुआ था। शरीर का ऐसा कोई भी हिस्सा नहीं था जहां पट्टियां न बंधी हो। फिर भी आंखे मूंदे, वो न जाने ऐसे कौन से ख्वाब में खोई रही जहां से वापस लौटने का उसका मन ही नहीं किया। रायन ने भी चाहा कि काश वो भी उसी ख्वाब का हिस्सा होता, कम से कम वो अकेला तो नहीं होता। रायन ने हाथ बढ़ाकर कैथरीन के माथे को छुआ पर बदले में वो कुछ भी महसूस नहीं कर पाया। आखिर वो ये कैसी सजा से गुजर रहा था ? एक ठहरे वक्त की तरह क्यों उसका साया वहां पसरा हुआ था ? किसका इंतजार था उसे ? क्या वो कैथरीन थी ? क्या उसकी रुह को उसके मरने का इंतजार था ? नहीं, उसे कैथरीन की रुह का साथ नहीं चाहिए था। ये उसे मंजूर नहीं था, एक मासूम की जान की कीमत पर तो हरगिज नहीं जो इस वक्त कैथरीन की कोख में पल रही थी।   

रायन ने उसकी तरफ देखा और वो जानता था कि वो उसे सुन नहीं सकती लेकिन फिर भी उसने एक आखिरी कोशिश के तहत उससे कुछ कहना चाहा -

 ” उठ जाओ, कैथरीन ! प्लीज ! ” उसने सिर झुकाकर उससे विनती करी और फिर गुमराह निगाहों से दीवारों को ताकते हुए बोला,” तुम हमेशा मुझे परेशान करती हो। कभी अपनी शिकायतों से… तो कभी अपनी खामोशी से। तंग आ गया हूं मैं तुमसे। रिहाई चाहिए मुझे तुम्हारी मौहब्बत से। सुना तुमने ! नहीं रहना है मुझे तुम्हारे साथ। मत आना मेरे पास कैथरीन, क्योंकि मैं तुम्हें अब नहीं चाहता। सुन रही हो न तुम !”

न जाने कब आंसु रायन की आंखो से ढलककर उसके गालो पर तैर गए, ये वो जान न पाया। वो वही कुर्सी पर बैठा सुबकता रहा, बस यही विनती लिए कि कैथरीन उसके पास न आए। इस पल को जीना उसे सदियो के बराबर लगा जिसका कोई अंत दिखाई न दिया पर वो अपनी जगह से हिला तक नहीं। गिड़गिड़ाते हुए, उसके दिल ने सिर्फ कैथरीन की जिंदगी की ही गुजारिश की, न कि उसके साथ की। कहता रहा वो कैथरीन को वापस लौट जाने को, बस इसी उम्मीद में कि शायद कैथरीन भी कैद हो ऐसे ख्वाब में जहां वो कैद था और क्या पता वो उसे सुन ले… कही से। 

तीन साल बाद…

पतझड़ के मौसम का आगमन हो चुका था। तेज़ हवाओ के थपेड़ो में पत्ते यूं उड़ते दिखे मानो अपनी किसी नई मंजिल की तरफ उड़े चले जा रहे हो। कैथरीन के कदम भी उन्ही पत्तो की तरह अपनी मंजिल की तरफ बढ़ते दिखे। उसके कदमो की हर आहट पर राह पे बिछे सूखे पत्ते कराह उठते। सफेद रंग के टॉप के ऊपर एक काले रंग का महीन कोट पहने वो बेहद खूबसूरत लगी। तीन साल पहले हुए उस हादसे के घाव, वक्त के साथ भर चले थे पर उसके निशान उसके चेहरे पर वैसे ही रह गए थे जैसे उसके टुटे दिल पर वो चटक जो रह-रहकर उसे अधूरेपन का एहसास कराती थी। रायन के गुजरने के बाद वो पहले जैसी कैथरीन नहीं बन पाई। एक उदासी रायन के नाम की हमेशा उसकी आंखों में बसी रही जो हर बार अकेले में बरस पड़ती थी। उसके होंठो पर फिर वो मुस्कान कभी नहीं आई जो उसे रायन की याद नहीं दिलाती थी। उसके बगैर हंसना भी कैथरीन को बेईमानी सा लगता था। फिर भी एक थकी मुस्कान सिर्फ अपनो के लिए वो जुटा ही लेती थी। 

वो भले ही रायन से जुदा हो चली थी लेकिन उसकी यादो से नहीं। उसे आज भी वो ख्वाब सताता था जहां उसने रायन की विनती भरी आवाज़ सुनी थी, ये रायन की तड़प का ही असर था जिसने कैथरीन की रुह को झंझोड़ा और उसे उस ख्बाव से आज़ाद किया जहां वो भटक गई थी। आंखे खुलने पर कैथरीन ने खुद को अस्पताल के बेड पर पाया लेकिन वो रायन को वहां चाहकर भी ढुंढ नहीं पाई और जब उसे सच पता चला तो वो यकीन न कर पाई। उसे पूरा विश्वास था कि रायन वही था उसके पास जब वो बेहोश थी। वक्त भले ही बीतता गया पर उसका विश्वास कमजोर न हो पाया।

शायद यही वजह थी कि वो जब उससे मिलना चाहती तो वो इस राह चली आती। आज भी वो हाथो में सफेद गुलाबो के फूल थामे उसकी ओर ही बढ़ी चली आ रही थी और जब वो उसके करीब पहुंची तो थमकर, वही उसके सिरहाने के करीब जा बैठी। कहने को तो उसकी नजरो के आगे रायन की कब्र थी पर कैथरीन के लिए वो सिर्फ एक कब्र नहीं थी। वहां उसे अजब सा सुकुन मिलता था। रायन के करीब होने का एहसास गढ़ा था वहां, जिसे पाकर वो उस पल में अपने सारे ग़म भूल जाया करती थी। वो घंटो हाथो में फूल थामे वही उसकी कब्र के पास बैठी रहती। कभी उससे अपने वर्तमान जिंदगी के किस्से बांटती तो कभी आंसु बहाकर अनजाने में ही कब्र के पास उगे फूलो को सींचती रहती। ऐसे ही न जाने तीन साल कब बीत गए, ये तो वो भी जान नहीं पाई पर आज का दिन बेहद खास था। तभी तो आज कैथरीन आंखो में उदासी लेकर नहीं बल्कि होंठो पर एक हल्की मुस्कान लेकर उसके करीब जा बैठी। उसने हाथ बढ़ाकर कब्र पर बिछी मिट्टी को हटाया और रायन के गुदे हुए नाम के ऊपर आहिस्ते से फूल रख, भावुक हो उठी। कैथरीन ने उससे यूं बाते की मानो वो वही था उसके सामने -

” जानते हो.. आज कोई तुमसे मिलने आया है। अब तक तो मैंने तुम्हे सिर्फ उसके बारे में बताया था। याद है न, तुम्हे ! ” इतना कहते ही कैथरीन की आंखे नम हो गई। बहती हवा के साथ उसके खुले बाल भी मचल उठे। अपनी अंगुलियो से बेसब्री में मचलते उन बालो को अपने कानो के पीछे धकेलकर, उसने कहा, ” बहुत तंग करती है वो मुझे। वो तुम्हारी तरह दिखती जरुर है पर तुम्हारी एक भी आदत नहीं है उसमे…बहुत जिद्दी है वो। बहुत बाते करती है वो तुम्हारे बारे में। उसके हर दूसरे सवाल में सिर्फ तुम्हारा ही जिक्र रहता है। उसके सवालो से तंग आकर ही उसे यहां ले आई तुमसे मिलवाने। देखना चाहोगे उसे ? ”

इतना कहकर कैथरीन ने पीछे घुमकर किसी को पुकारा, ” ईधर आओ, रुमी ”। 

कैथरीन के पीछे ही, थोड़ी सी दूरी पर टी-शर्ट पहने एक सहमी हुई सी तीन साल की बच्ची खड़ी थी। हाथो में फूल थामे, अपने छोटे गोल-मटोल से चेहरे पर हैरानी लिए वो कैथरीन को ताकती रही और उसके दोबारा पुकारने पर धीमे कदमो से नजदीक चली आई। कैथरीन ने उसे अपनी गोद में बिठा लिया और नम आंखो से उसका परिचय रायन से करवाया। रुमी ने भी मां की तरह अपने हाथो में थामा हुआ फूल उस कब्र पर रखा। भीगी आंखे लिए कैथरीन जहां अपने आंसुओ पर काबू रखती दिखी, वही रुमी ने कब्र पर गिरी कुछ बूंदो की तरफ इशारा करते हुए कहा,” मम्मा, इट्स रैनिंग !”

कैथरीन ने जब उन गिरी बूंदो को देखा तो वो हैरान हो उठी। तेज़ हवा के झोंको के बीच बरसात का कही नामो – निशान तक नहीं था, फिर ये बूंदे कहां से आ गिरी। अफसोस, वो वजह जान नहीं पाई और न ही वो कह पाया जिसकी आंखो से वो आंसु गिरे थे। रायन वही था उन दोनो के पास। तेज़ हवाओ के बीच एक धुधंले साए की तरह। वो उन दोनो को जितना निहारता उतने ही आंसु उसकी आंखो से गिरकर उस कब्र पर बिछ जाते। शायद ये उसके एहसास की ताकत ही थी कि कुदरत के नियम भी उनके आगे आज कमजोर पड़ गए। 

कैथरीन ने बैचेनी में अपने आस-पास नजरें घुमाई पर वो उन बूंदो की वजह जान नहीं पाई। तभी अपनी हथेलियों पर एक गर्म एहसास को पाकर वो एक पल के लिए चौंक उठी पर वही अगले ही पल न जाने क्यों उसे वो एहसास जाना पहचाना सा लगा। ये एहसास ऐसा ही था मानो कोई उसकी अंगुलियां सहलाकर उसे सांत्वना दे रहा हो। ऐसा तो सिर्फ एक ही शख्स था जो उसकी हथेलियां सहलाकर उसकी सारी उलझनों को सुलझा लिया करता था। उस क्षण जो नाम कैथरीन के जेहन में गूंजा, उसे जान वो फफक कर रो पड़ी। हर बीतते पल के साथ वो एहसास गहराता गया और कैथरीन रायन का नाम बुदबुदाकर रोती चली गई। रायन भी आंखो में आंसू लिए, अपने हाथों में उसका हाथ थामे वही उसके सामने बैठा रहा। वो खुश था उसके एहसास को वापस पाकर। उसे सुकुन मिला ये देखकर की कैथरीन ने उसकी विनती को अनसुना नहीं किया और उसके बगैर, उसकी यादों से लड़कर भी अपनी जिंदगी से हार नहीं मानी। उसने कैथरीन का हाथ थामकर, शुक्रिया अदा किया कि उसने उनकी मोहब्बत की निशानी को एक नई जिंदगी दी, जिसे आज गोद में बैठा देख ऐसा लगा मानो उसने कोई उपलब्धि हासिल कर ली हो। 

कैथरीन, भले ही उसे देख नहीं पाई, पर वो एहसास काफी था उसे ये बताने के लिए कि रायन कभी भी उसकी जिंदगी से जुदा नहीं हुआ था। एक साए की तरह वो हमेशा से उसके साथ था। 

ठहरा हुआ था वो एक वक्त की तरह, और शायद हमेशा रहेगा सिर्फ उसके इंतजार में… पर फिलहाल ये लम्हा काफी था उन दोनो के दिलो के उस अधूरेपन को पूरा करने के लिए, जिसे थामे वो दोनो एक-दूसरे की तलाश में भटकते फिर रहे थे।

तभी, कब्र पर गिरते रायन के आंसुओं में कैथरीन के आंसु भी जा मिले और पास खिले हुए फूल भी उनमे भीगकर झूम उठे।


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