STORYMIRROR

YUG PURUSH

Drama Romance Tragedy

4  

YUG PURUSH

Drama Romance Tragedy

फ्रेम ऑफ रियुनियन

फ्रेम ऑफ रियुनियन

23 mins
435

सोचने को तो मैं कुछ भी सोच लूं और मुझे कोई रोक भी नही सकता लेकिन सच तो वही रहेगा जो है, मेरे सोचने विचारने से सच तो नही बदल सकता ना... वैसे मेरी ज़िन्दगी मे कई ऐसे सच थे, जिन्हे बदलने के बारे मे मै अक्सर सोचा करता की.. काश ये चीज ऐसी हुई होती तो ठीक रहता.... वो चीज वैसी हुई रहती तो साला मजा ही आ जाता और मेरी इसी सोच मे दो और लोग शामिल थे.. मेरा दोस्त दीपक भगत और मेरे कॉलेज की सबसे खूबसूरत लड़की , साना सिद्दकी. मै चाहे जितनी कोशिश कर लूं , जितना भी अपने दिमाग़ मे जोर डाल लूं ... मै ये सच बिलकुल नही बदल सकता की मै साना से बहुत प्यार करता हु और दीपक भी.. शायद मुझसे भी ज्यादा... जो मै इस वक़्त दीपक की आँखों मे देख सकता था.

कहने को तो दीपक मेरा बहुत खास दोस्त था और वाकई मे खास था भी... क्यूंकि मेरे सभी दोस्तों मे सिर्फ वही एक ऐसा था जो हकलाता था. मैं उसे आज 8 साल बाद देख रहा था और यदि मैं या फिर वो... हम दोनों में से कोई एक भी रियूनियन में ना आया होता तो फिर शायद ही हमारी कभी मुलाकात हो पाती... रियूनियन के प्रोग्राम में कॉलेज पहुंचते ही कई दोस्त मिले. जिनमें से कुछ खास थे तो कुछ ऐसे ही फालतू मे फ्रेंड लिस्ट बढ़ाने वाले... जिनमें से अधिकतर के तो मैं नाम तक भूल चुका था, लेकिन फिर भी उनसे हाथ मिलाते वक्त ऐसे बर्ताव कर रहा था मानो मैं यहां सिर्फ उन्ही से मिलने आया हूं ल

 तो रियूनियन का प्रोग्राम शुरू हुआ खुद को इंट्रोडूस (introduce ) करने से और जो सबसे पहले मंच पर आया, उसने अपने बारे मे कुछ इस तरह से वहा मौज़ूद लोगो को चिर -परिचित कराया...

"Good evening, gentlemen and gentle women... Myself Arman... Sounds boring ? Ok ... call me Shri Arman... A-R-M-A-N not A-R-M-A-A-N.... मै आठ साल पहले यहाँ से पास आउट हुआ और मै जब यहाँ से पास आउट हुआ तो मेरे हाथ मे चार जॉब के offer थे.. जिसमे से एक तो विदेश मे जॉब करने का ऑफर था. और पिछले 8 सालो मे मै कहा से कहा पंहुचा.. मै ये तुम्हे नही बताऊंगा क्यूंकि तुम लोग मुझसे जलोगे, तुम्हारी भावनाये आहत होंगी... तुम्हारी बीविया मुझपे फ़िदा हो जाएंगी और..... छोडो भी, पर ये जरूर सोचना की 560 पूर्व छात्रों मे से मुझे ही सबसे पहले क्यु खुद को introduce करने के लिए बुलाया गया ? कुछ मेरी तरह ढंग का काम धाम करो बे... नल्ले.. बेरोजगारों... Bye और दिल पे मत लेना, मुँह मे लेना... The Name is Arman... Arrogant-Reputed MAN" 

"ये अब भी उतना ही घमंडी है जितना कॉलेज के दिनों मे हुआ करता था... "मैने खुद से कहा 

तो अंततः Arman के introduction से रीयूनियन का कार्यक्रम शुरू हुआ. उसके बाद पुरे महफ़िल ने जो समा बांधा उससे मुझे काफ़ी खुश होना चाहिए था, शर्ट उतर कर लंगर डांस करना चाहिए था.. भका भक दारू की कई बोतले ख़त्म कर देनी चाहिए थी, कॉलेज के लड़कियों से मेल मिलाप और फ्लरटिंग करनी चाहिए थी.. मंच पर जाकर नंगा नाच करना चाहिए था. लेकिन मेरे दिलो दिमाग़ को दो लोग इस समय जकड़े हुए थे जिसमे से एक थी साना सिद्दकी और दूसरा था दीपक भगत... जो मुझसे थोड़ी दूर मे अकेला खड़ा था, ठीक वैसे ही जैसे वो हमारे फेयरवेल पार्टी के दौरान था... पर ये हमेशा से ऐसा नही था. इसकी शुरुआत हमारे इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष मे उस दिन से हुई थी, जिस दिन दीपक भागते भागते हॉस्टल मे आया और हाफ्ते हुए मुझसे बोला.....

" अअअअअतुल, कन्फर्म... I laaaaa... Laaaa love her, i.. i.. I love Sssssaannaa.... उसे देखकर ही मेरा चेहरा लाल हो जाता है, मेरा दिल ऐसे धा.. धा... धा धड़कने लगता है, जैसे पहले कभी धा.. धा.. धड़का ही ना हो.. मै उससे बहुत कुछ कहना चाहता हु, पर उसे देख देखते ही इतना घबरा जाता हु की, को.. को.. को.. कॉरिडोर मे उसके बजबसे निकलने के हिम्मत नही होती... ऊपर से मै ठहरा एक हकला.... मुझे डर है की कही मै घबराहट मे पूरा.. I love you... भी बोल पाउँगा या नही..... "

" मैं पहले भी कहां कि तू इसके पीछे क्यों पड़ा है.. वह बहुत हाई लेवल की बंदी है, तेरे से नहीं पटेगी.. " अपने मोबाइल में साना के मैसेज का रिप्लाई देते हुए मैंने दीपक से कहा

" प.. प.. पर यार, मैं से प्यार करता हूं... तू तो देखा ही है की क.क.क. कैसे कैसे रात-रात भर मुझे नींद नहीं आती.. हर रात में उसके बारे में सोचता हूं, रात यह सोचता हूं कि वह कल क्या पहन कर आएगी, कल कैसे दिखेगी, औ. औ. औ और मैं कौन से कपड़े पहनु जिससे वह इंप्रेस हो जाए. मैं सच कह रहा हूं, यदि वो मुझसे एक बार उसके बाद भी कर ले तो बहुत है, मेरे लिए वही बहुत है. मैं जानता हूं कि मैं उसके लायक नहीं हूं, लेकिन क्या करें दिन रात दिमाग में वही छाई रहती है. यहां तक कि सोने के बाद भी उसी का स.. स.. स. सपना आता है. कभी-कभी तो ख. ख.. ख ख्याल आता है कि मैं किसी तरह कोमा में चले जाऊं और अपने सपने में उसके साथ रहा हूं. यदि वह मुझे आई लव यू बोल दे तो मम्मी कसम इंजीनियरिंग छोड़ दूंगा.. खुशी में"

" तेरे से जो हो तु वो कर ले, मेरे पास इतना टाइम नहीं है, वैसे भी मेरा कल इंटरव्यू है" मैंने दीपक से कहा और मोबाइल में गुड नाइट मैसेज लिख कर साना को चिपकाया और सोने चला गया. पर दीपक नहीं सुबह वह मुझे बहुत देर तक देखता रहा अभी लाइट बंद करके खिड़की के पास रखी है कुर्सी में बैठकर साना के बारे में सोचते हुए बाहर देखने लगा. और मैं ऐसा कह सकता हूं क्योंकि वह मेरा खास दोस्त भी था और रूम पार्टनर भी.


 वो हर रात यही करता था, वो ऐसे ही अपनी हर रात जागते हुए खिड़की के बाहर देख कर साना को सोचने में बिताया करता था. दीपक का यह एक तरफा प्यार हर दिन बढ़ते जा रहा था. हर किसी से हर वक्त... क्लास में, कैंटीन में, लैब में, लाइब्रेरी में यहां तक कि बाथरूम में नहाते वक्त भी साना के बारे मे हकलाते हुए पूछता. जिससे अक्सर लोग उसका मजाक उड़ाते थे. पर उसे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था, या वह साना के पीछे इतना पागल था कि ऐसे समझ ही नहीं आता था कि उसके दोस्त उसका मजाक उड़ा रहे हैं, और उसके उन दोस्तों में मैं भी एक था, जो उसका मजाक उड़ाता था. साना के प्यार में रात भर जागने के कारण उसकी कॉमन सेंस भी जवाब देने लगी थी. वो क्लास में अक्सर अपना अटेंडेंस देना भूल जाता था और फिर बीच में खड़ा होकर टीचर को दोष दिया करता था की उन्होंने उसका नाम जानबूझकर छोड़ दिया है. कई बार तो उसने इसी चक्कर में प्रोफेसर के साथ झगड़ा भी किया, वह भी हकला हकला के. इसकी वजह से उसे काफी परेशानी हो रही थी.

" ये ले मेरा पेन उसे दे कर "

" तू खुद क्यों नहीं दे देता उसे"

 "पागल है क्या, उससे मैं इतना घ.. घ.. घ.. घबराता हूं कि उसका नाम तक बिना हकलाए लिया नहीं जाता, उसे पेन क्या दूंगा. उसने मुझे थैंक्यू भी बोला तो, घबराहट में वेलकम भी नहीं कर पाऊंगा. तू दे दे.. वैसे तूने आज देखा, क्लास में वह पीछे मुड़ मुड़ कर मुझे देख रही थी. लगता है वह मुझे पसंद करने लगी है. तू. तू. तू तुझे क्या लगता है पटेगी ?"

"पता नहीं" उसे देखकर मैंने कहा, सच कहूं तो मुझे दिल से बुरा लग रहा था दीपक के लिए, लेकिन मैं उसे यह कैसे बताता की साना आज क्लास में उसे नहीं बल्कि मुझे देख रही थी

 इतने में पूरे माहौल में तालियों की गूंज एक बार फिर से उठी, मेरे बैच की एक बेहद हॉट लड़की अपूर्वा खुद को इंट्रोड्यूस कराने के लिए स्टेज पर गई थी, जो भाभा एटॉमिक एंड रिसर्च सेंटर में बतौर साइंटिस्ट काम करती थी. उसने एकदम शालीन तरीके से अपने और अपने काम के बारे में बताया और जैसा किसने बताया था उसके अनुसार वह अगले महीने जापान जाने वाली थी. इसके बाद कोई और मंच पर गया और यह कदम ऐसे ही बढ़ता रहा और इस बढ़ते क्रम के साथ मैं फिर अपने अतीत में खो गया. जहां मुझे दीपक का पेन साना को देना था.

 "साना,तुम्हारा पेन... मेरा मतलब तुम्हारे लिए पेन. तुम्हारा पेन नहीं चल रहा था ना.."मुस्कुराते हुए सभी दोस्तों के बीच जाकर मैंने साना को पेन दीया.

" थैंक यू, तुम्हें कैसे पता चला.. की मेरा पेन नहीं चल रहा ?" अपने गालो पर डिंपल का कन्फॉर्मेशन करते हुए साना मुस्कुराई

" सिक्स्थ सेंस... साना जी" कॉलर ऊपर चढ़ाते हुए मैंने जवाब दिया

" थैंक यू अगेन, बाय"

 "बाय ? वह भी इतनी जल्दी ?"

 "इतनी जल्दी? तो क्या मेरा नोट्स लिखकर जाओगे ? " वह फिर से मुस्कुराई 

 "ओके बाय"

 यह बोलकर मैं वहां से दीपक के पास आया, वह इस समय इतना खुश हो रहा था, जैसे सा सा सा साना ने... इसकी तो, मैं दीपक की तरह क्यों हकला रहा हूं? यह साला दीपक के साथ रहने का असर है या फिर मैं भी साना से प्यार करने लगा हूं..? खैर, दीपक उस समय इतना खुश हुआ था जैसे साना ने उसका पेन नहीं बल्कि उसका प्रपोजल स्वीकार कर लिया हो 

 आए दिन रात भर ना सोने की वजह से दीपक की आंखों के नीचे काले धब्बे पड़ने लगे थे. अब वह मुश्किल से पूरे दिन मे सिर्फ दो-तीन घंटे सोता था. उसने सिगरेट बहुत ज्यादा पीनी शुरू कर दी थी, इतना ज्यादा कि कभी-कभी सुबह मुझे सिगरेट के दो तीन पैकेट फर्श पर मिलते थे और जब मैंने उसे सिगरेट बंद करने की सलाह दी तो वह बोला... 

 "मैं.मैं.मैं.मैं सिगरेट इसलिए नहीं पीता क्योंकि मुझे इसकी तलब है. मैं तो अपने सीने से सा.सा.सा. साना की यादें धुएँ में बदलकर बाहर फेंक रहा हूं, exhaust process"

 "तो तेरा दर्द कम हुआ ? मतलब तो उसकी यादों को भूल पाया ?"

" साला वही.... वही दर्द, वही याद ऑक्सीजन के रूप में वापस आ जाती है.. You know,Intake process"

 साना और सिगरेट के अलावा दीपक को एक और चीज का शौक लगा था, वह अक्सर लाइब्रेरी से पता नहीं कौन-कौन सी किताबें लाकर पढ़ता रहता था. मुझे भी ऐसा करने की सलाह देता लेकिन मैंने उसकी वह सलाह कभी नहीं मानी. वह अक्सर मुझे "frame of reference " के बारे में बताया करता था, तरह-तरह के उदाहरण देकर समझाया करता था. जिसमें दो चीजें, दो ऑब्जेक्ट आपस में बदल जाती है. जिससे मैं कभी-कभी इतना बोर और फ्रस्ट्रेट हो जाता कि मैं अपने रूम तक नहीं जाता था. इस तरह अब साना की याद और सिगरेट के अलावा वह पुरानी किताबें भी दीपक की विरानी रात का सहारा थी. दीपक की जिंदगी अब इतनी वीरान हो चली थी की वह अब रात भर जाकर पुरानी फाइल्स में से प्रैक्टिकल कॉपी करने लगा था. मोबाइल अपनी फाइल कंप्लीट करता और जब उसकी कंप्लीट हो जाती है तो वह क्लास के बाकी लड़कों की फाइल मांग मांग कर कंप्लीट करने लगता था. जिससे एक फायदा दीपक को यह हुआ कि अब उस पर बहुत ही कम लोग हंसते थे. पर मैं जानता था कि साना के कारण उसकी हालत दिन-ब-दिन बद से बदतर होती जा रही थी. उसका कॉमन सेंस तो अब बिल्कुल भी कॉमन नहीं था, वह कहीं भी, किसी से भी साना के बारे में पूछ लेता था. यहां तक की एक बार बीच क्लास में प्रोफेसर से पूछ लिया की आज साना क्यों नहीं आई ? उस समय तो मैंने कैसे भी करके बात को घुमा फिरा कर उसे बचा लिया. लेकिन वह यहीं नहीं रुका. उसकी असली दुर्गति तो अभी बाकी थी .

अरमान.... नाम याद है ? जिसने आज सबसे पहले अपना इंट्रोडक्शन दिया था. ARMAN... Arrogant Reputed MAN ? और खुद को introduce कराने के बाद बाकि सबको नल्ला कहकर बेइज़्ज़ती की थी ? दरअसल वो कॉलेज के दिनों से ही ऐसा था. कुल मिलाकर कहे तो वो अपने समय मे इस कॉलेज का गुंडा था, जो हॉस्टल के लड़को के सपोर्ट से आये दिन मार पीट करते रहता था. दीपक ने साना के बारे मे प्रोफेसर से पूछकर इतनी बड़ी गलती नही की थी, जितनी की उसने अब कर दी थी.  लंच मे मै दीपक के साथ कैंटीन मे बैठा था और साना आज कॉलेज नही आयी थी, जिसपर उसने मुझसे कई बार पूछा और उसके बार बार के सवाल से तंग आकर गुस्से मे मैने उसे कह दिया की साना मर गई है. पर प्रॉब्लम ये नही थी की मैने ऐसे कहा. प्रॉब्लम ये थी की उस हकले ने इस बात को सच मान लिया और अब जब से मैने कैंटीन मे उसे "  साना मर गई " कहा था वो वहा मौज़ूद हर किसी से यही पूछ रहा था की " साना सच मे मर गई क्या ? " और इसीलिए दौरान उसने कैंटीन मे एक लड़की के साथ बैठे अरमान को छेड दिया. मुझे अब भी याद है की अरमान जिसके साथ उस दिन कैंटीन मे बैठा था वो कुछ दिनों पहले ही अरमान से सेट हुई थी और अरमान उसके पीछे सालो से पागल था और इन महाशय ने अरमान को जाकर छेड दिया....

"अरररररर.... मान... सससससससससाना मर गई क्या ?"

"मर गई... Wow.. अच्छा हुआ. साली मुझे ताव दिखा रही थी एक बार. कही मैने ही तो उसे नही मार दिया ? और बाद मे भूल गया हूँ ...? खैर, चल खिसक ले.. अब यहाँ से..."

"तूने.. सससससससना को मारा... ससससससससससना को मारा... मारा तूने, सससससस साना को "गुस्से से थरथाराते  हुए दीपक ने अरमान का कॉलर पकड़ कर कहा, जिसके बाद मुश्किल से दो सेकंड ही बीते होंगे की अरमान ने दीपक की गर्दन को दबोच और बैक टू बैक दो तीन बार सामने रखी लोहे की टेबल पर उसका सर दे मारा.

दीपक का सर टेबल पर मारने के बाद अरमान वहा से चला गया और मै तुरंत भागकर दीपक के पास गया. दीपक अपना सर टेबल पर रखे हुए..  हाफते हुए.. रोते हुए वही कुर्सी पर बैठा था. उसके सर से खून निकल कर टेबल पर बहुत रहा था, इसके बावजूद वो रोते हुए सिर्फ एक ही लाइन बार-बार धीमे स्वर मे दोहराये जा रहा था.. की... "ससससससस साना मर गई.... साना मर गई..."

फिर थोड़ी देर बाद उसने रोना बंद किया और टेबल पर फ़ैलर खून मे अपनी उंगली डुबो डुबोकार टेबल पर साना का नाम लिखने लगा. उसकी इस हरकत ने मुझे अंदर से झकझोर के रख दिया की ये सब मेरी गलती है..... ना तो मैने उस दिन कुछ किया था और ना ही मै आज कुछ कर रहा था. मुझे ऐसा नही करना चाहिए था, पर मैने किया... पुरे दिल से किया.

इसी बीच तालियो की गूंज एक बार फिर पुरे वातावरण मे गूंज उठी, अबकी बार एक और शख्स स्टेज पर गया और जैसा की अभी तक सब अपने अपने बारे मे बता रहे थे उसने भी अपने बारे मे बताना शुरू किया और खुद की तारीफ कर रहे इन लोगो की बकवास पर ज्यादा ध्यान ना देते हुए मैने खुद से थोड़ी दूर खड़े दीपक की तरफ देखा. उसका ध्यान पीछे अपने दोस्तों के साथ बैठी साना सिद्दकी की तरफ था. वो बिना पलक झपकाये नॉनस्टॉप  साना को देखे जा रहा था. उसे आज भी साना से बहुत कुछ कहना था शायद... जो उसे उस दिन पार्किंग मे कहना था. वो उस दिन भी घबरा रहा था और आज भी उसकी घबराहट वैसी ही थी और मै ऐसा कह सकता हु क्यूंकि  उस दिन पार्किंग मे मै भी दीपक के साथ वहा था और दीपक की तरह मै भी साना के कॉलेज के मेन गेट से बाहर आने का बड़ी बेसब्री से इंतज़ार कर रहा था. क्यूंकि दीपाक के साथ- साथ मुझे बहुत कुछ साना से कहना था और हम दोनों की किस्मत अब साना के एक जवाब से निर्धारित होने वाली थी . मुझे ये तो पता था की दीपक वहा क्यों है, लेकिन दीपक को इसकी बिलकुल भी भनक नहीं थी की , कि .... मै वह क्यूँ हो... वो तो यही सोच रहा था की मै उसे यहाँ सपोर्ट करने आया हूँ . पर सच ये नहीं था... सच तो कुछ और ही था .. जो कि अब बाहर आने वाला था.

मै इस वक़्त दीपक और अपने दोस्तों के साथ पार्किंग मे खड़ा बात कर रहा था की साना अपनी सहेलियों के साथ कॉलेज से बाहर आयी और बाहर आते ही जब उसने मुझे देखा तो अपने सहेलियों के कान मे वो कुछ बोली, जिसके बाद वो अपनी सहेलियो के साथ हसते हुए वापस कॉलेज के अंदर चली गई. दरअसल साना को मैने ही कल रात मेसेज करके कॉलेज के बाद मिलने के लिए कहा था और उसने मेरी बात मान भी ली थी. ये फर्स्ट टाइम था जब मै पर्सनली  साना से मिलने वाला था. वैसे तो मै कई बार उससे फेस टू फेस बात कर चुका था लेकिन ये मुलाक़ात अलग ही थी.. ये मुलाक़ात ख़ास थी. मै नही चाहता था की दीपक वहा हो उसलिए मैने इनडायरेक्टली कई बार उसे हॉस्टल वापस जाने के लिए कहा, लेकिन वो नही माना और मुझसे चिपका रहा. उसे अलग ही विश्वास था अपने प्यार पर ... साना इस बार अकेले बाहर आई और कॉलेज के गार्डन की ओर बढ़ चली , साना को अकेले गार्डन मे जाते देख मैने अपने दोस्तों को इशारा किया की वो दीपक को वहा से ले जाए लेकिन साना को देखने के बाद दीपक तो मुझसे जैसे किसी जोंक की भाति चिपक गया और फिर पता नही उस हकले मे इतनी हिम्मत कहा से आयी की वो पार्किंग से गार्डन की तरफ दौड़ पड़ा.

 दीपक को ऐसा कार्टर देख मेरे बॉडी मे रक्त का प्रवाह दुगुना हो चला था. मेरा पूरा शरीर तपने लगा था की ये साना से क्या बोलेगा. पर ये हाल सिर्फ मेरा नही था, यही हाल दीपक का भी था और शायद साना का भी. मुझे डर था की दीपक, साना से i love you ना बोल दे.. वरना क्या करूँगा मै... क्या बोलूंगा साना से मै.... ?? की... एक तरफ तो मै उसके साथ जीने –मरने , प्यार मोहब्बत की बाते इतने दिनों से करता रहा और आज यहाँ बुलाया.. लेकिन उसे प्रपोज़ मै नहीं बल्कि मेरा दोस्त दीपक कर रहा है...??? साना की तरफ दौड़ते हुए दीपक ने बहुत ही विकत परिस्थिति उत्पन्न कर दी थी... साला हकला...... अब आगे क्या होगा, ये सोच –ससोच कर ही मेरा दिमाग घुम रहा था.

 दीपक को ऐसा करता देख मेरे बॉडी मे रक्त का प्रवाह दुगुना हो चला था. मेरा पूरा शरीर तपने लगा था की ये साना से क्या बोलेगा. पर ये हाल सिर्फ मेरा नही था, यही हाल दीपक का भी था और शायद साना का भी. मुझे डर था की दीपक, साना से i love you  ना बोल दे.. वरना क्या करूँगा मै... क्या बोलूंगा साना से मै.... ?? की... एक तरफ तो मै उसके साथ जीने –मरने , प्यार मोहब्बत की बाते इतने दिनों से करता रहा और आज यहाँ बुलाया.. लेकिन उसे प्रपोज़ मै नहीं बल्कि मेरा दोस्त दीपक कर रहा है...??? साना की तरफ दौड़ते हुए दीपक ने बहुत ही विकत परिस्थिति उत्पन्न कर दी थी... साला हकला......  अब आगे क्या होगा, ये सोच –ससोच कर ही मेरा दिमाग घुम रहा था.

 पर मेरी किस्मत अच्छी थी, दीपक उस दिन साना  से कुछ बोल ही नही पाया. वो,  साना के पास दौड़ कर गया तो था लेकिन उसके पास पहुंचते ही उसकी जो हालत खराब हुई उसे बयां करना मुश्किल है. क्योंकि दीपक की साना के सामने वह हालत देख मैं हंसने में इतना मशगूल था कि उस पर ज्यादा ध्यान ही नहीं दे पाया. दीपक, साना के पास गया तो बड़े जोश में था लेकिन अब वह पूरा पसीना पसीना हो चुका था और घबरा तो ऐसे रहा था जैसे किसी ने उसके कनपटी में गन तान रखी हो.. बेढन्गे तरीके से लंबी लंबी सांसे लेकर अपने माथे का पसीना पोछकर वो साना के पास कुछ देर खड़ा रहा

" What the hell are you doing and  why are you scratching your breast... I mean chest. That too, in front of me"

" Sssssssorry, ssssssaana... Aaaaaaaiiiiii.... Iiiiii"

" get out, loser" साना ने चिल्लाकर कहा, जिससे दीपक वही कांप उठा और रोते हुए हॉस्टल की तरफ ऐसा भागा की बीच में कहीं नहीं रुका... आई रिपीट...  रोते हुए कहीं नहीं रुका

" वो   तुम्हारा रूम पाटनर है? है ना.. ? " दीपक के जाने के बाद जब मै साना के पास पहुंचा तो पहला सवाल मुझ पर उसने यही दागा

" है नहीं..... था.. बहुत पहले , फर्स्ट इयर में. अब मैं रूम चेंज कर लिया हूं, वह थोड़ा पागल है,साइको टाइप"

" किसी लड़की के प्यार में पागल होगा, वैसे वह यहां क्यों आया था ?"

" तुमने फेसबुक में उसकी फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट नहीं की ना.... तो उदास है बेचारा " हंसते हुए मैंने कहा

 बस इतनी सी बात ? एक्सेप्ट कर लु उसके फ्रेंड रिक्वेस्ट ?”

" मत करना, सटका हुआ है. तुम्हें भी ना सटका दे कहीं.. खैर उसे छोड़ो.... "एक लंबी सांस भरकर मैंने अचानक कहां " आई लव यू ... "और फिर सांस छोड़ दी.

" सॉरी... "अपने दोनों हाथ हवा में फैला कर नाराजगी जाहिर करते हुए साना बोली...". तो इसलिए यहां बुलाया था ?"

" कम ऑन साना, अब तुम लड़कियों वाली हरकत मत करो की तुम मेरे दोस्त हो... मैं अपने मां-बाप के खिलाफ नहीं जा सकती. वगैरा-वगैरा... और रही बात यहां बुलाने की तो तुम्हें भी पता था कि मैंने तुम्हें यहां क्यों बुलाया. पर अब तुम भाव खा रही हो. तुम ही बताओ एक लड़का जो कि काफी कूल है, स्मार्ट है, डैशिंग है और जो इतने दिनों से कॉलेज की सबसे खूबसूरत लड़की, जिसे वह लाइन मार रहा है, उसे यहां अकेले पार्क में दिनदहाड़े क्यों बुलाएगा ?कैंडी क्रश खेलने ? यह तुम लड़कियों की आदत बहुत खराब है, पहले खुद लाइन दोगी और जब लड़का लाइन देने लगेगा तो भाव खाने लगोगी . जबरन छोटी-छोटी बातों में awww .. Awww करोगी. रोज जोरदार मेकअप करके आओगी और फिर जब कोई बोलेगा की मेकअप की हो तो ऐसे देखोगी जैसे.. जैसे कि उसने तुम्हारा फिगर पूछ लिया हो. अब तुम इतने दिन से मुझे कॉलेज में, कैंटीन में, लैब में पलट पलट कर देख रही हो या नहीं ? इसका क्या मतलब निकालूं मैं... कि तुम क्या देख रही हो ? हमारे पास तो ब्रैस्ट भी नहीं है, जो तुम पलट पलट के देख रही थी. इतने दिन से, रात-रात भर जागकर मुझसे चैटिंग कर रही हो.. रात के 2:00 बजे गुड नाइट बोलता हूं तो कहती हो कि... इतनी जल्दी गुड नाईट ? तुम लड़कियां सब जानती हो और सब समझती भी हो... लेकिन हम लड़कों को खाली फोकट में परेशान करती हो... ऊपर से.... "

"ओके ओके... आई लव यू टू..” मेरा मुंह पर हाथ रखते हुए साना बोली “अब इसके आगे एक लफ्ज भी कुछ मत कहना ...”

 "सच में..... सच में तुमने कहा या मेरे कान बजे हैं , एक बार और बोलके कन्फर्म करो ना ...”मै मुस्कुराया

 "आई लव यू टू और एक बात तुमने कहा कि मैं लड़कियों वाली हरकत ना करूं..? क्या मतलब है इसका...? मैं लड़की  हूं तो लड़कियों वाली हरकत करूंगी ना... तुम कहना क्या चाहते थे और तुमने मुझे समझ क्या रखा है.. जो इतनी देर से सुनाए जा रहे हो.. एक बात समझ लो, की.. वो लड़कियां होती होंगी जो सब कुछ चुपचाप से सुन लेती है , सह लेती है ... मैं कुछ भी नहीं सहूंगी, पहले से ही बता दे रही हूँ और यदि तुमने आज के बाद मुझसे एक और बार भी यह कहा कि...."

" आई लव यू... "अबकी बार..... मैंने साना के मुंह पर हाथ रखा ठीक उसी तरह जैसे थोड़ी देर पहले उसने रखा था

" आई लव यू टू"

" कंफर्म ?"

" Hmmm "

" फिर से लड़कियों वाली हरकत... खैर छोड़ो, चलो किस करते हैं "

“ज्यादा होशियार मत बनो, समझे...”

 इधर एक तरफ मेरे और सिद्दकी जी  के प्यार ने उड़ान भरी, वहीं दूसरी तरफ उदासी और गम ने दीपक को जोर से जमीन पर ला पटका. साना मेरी गर्लफ्रेंड है, यह बात जब कॉलेज में फैली, जो की फैलनी ही थी तो मैं यह एक्सपेक्ट कर रहा था कि दीपक मेरे पास आएगा और चिल्लाते हुए मुझे धो.धो.धो. धोखेबाज, गद.गद ,गद ...गद्दार  कहेगा. लेकिन उसने ऐसा कुछ भी नहीं कहा, उसने ऐसा कुछ भी नहीं किया. उसने बस अपना रूम चेंज कर लिया और मुझसे बात करनी बिल्कुल बंद कर दी और मैं भी यही चाहता था. दीपक पहले लैब में मेरा पार्टनर था, पर फिर टीचर को बोल कर उसने अपना नाम हटवा लिया. जिसके बाद साना मेरी लैब पार्टनर बनी. वह हमें जहां भी साथ देखता... बस घूरता रहता. पता नहीं वह क्या सोचा करता था उन दिनों , पर वह हमें हर वक्त घूरता रहता था.. बस घूरता रहता और फिर वह वक्त आया जब हम कॉलेज छोड़ रहे थे. मैं और साना काफी खुश थे कि इस कॉलेज में हम एक दूसरे से मिले . हम दोनों का प्लेसमेंट भी हो चुका था और हमने यह भी डिसाइड कर लिया था कि लैब पार्टनर से अब हम लाइफ पार्टनर बन जाएंगे. मैं सच में बहुत खुश था, इतना खुश की कॉलेज छोड़ने का मुझे जरा भी गम नहीं था. पर उस दिन जब मैं हॉस्टल से बाहर खड़े ऑटो में अपना सामान रख रहा था तो पता नहीं दीपक बाहर कहीं से सिगरेट पीते हुए आया और उसकी नजर मुझ पर पड़ी. वह उस पल सारे गिले शिकवे भूलकर मेरे पास आया और मुझ से हाथ मिलाते हुए बोला...

" अतुल,  मुझे बहुत शानदार चीज पता चली है. जब भी मैं नशे में होता हूं तो बिल्कुल नहीं  हकलाता.. देख, क्या मैं अभी हकला रहा हूं ? नहीं... इसका इलाज संभव है... "

" बहुत अच्छा.. "उससे  हाथ मिलाते हुए मैंने कहा

 "तू और साना, बहुत अच्छे जीवनसाथी साबित होगे"

" थैंक यू"

 जिसके बाद हम दोनों ही हंस पड़े, पता नहीं क्यों, पर ऐसे ही हंस पड़े.. इसके बाद दीपक हॉस्टल की तरफ जाने लगा. पर थोड़ी दूर जाने के बाद वह पलटा और थोड़ी तेज आवाज में बोला...

" जिंदगी में  जब भी तुझे लगे की तुम दोनों के बीच में प्यार कम हो रहा है तो एक दूसरे की आंख में बिना पलक झपकाए कुछ देर तक देखते रहना, प्यार वापस आ जाएगा. मेरी इस सलाह को मेरी तरफ से शादी का तोहफा समझो... कोई शादी में तो मै नहीं आ पाउँगा... दिल दुखता है . Goodbye ... My…. Friend”

 इतना बोल कर दीपक चला गया और फिर वह दिन था और आज का दिन... मैं और साना खुशी खुशी अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे, पर..पर दिल में दीपक हमेशा एक जख्म की तरह रहा... मेरा मतलब, साना कभी जान तक नहीं पाएगी की दीपक उससे कितना प्यार करता है... उसे तो शायद दीपक याद भी ना हो.. दीपक का यह एक तरफा प्यार, मुझे और हिम्मत देता है की मै साना से और प्यार करूं. जो इस वक्त चिंगम चबाते हुए अपने दोस्तों के साथ पीछे बैठी हुई थी. मैं अपनी जगह से उठा और दीपक के पास गया.... जहा मुझे बहुत पहले ही चले जाना चाहिए था .

 पर... पर... यह कैसे मुमकिन है.. दीपक तो मैं था. अब यदि मै दीपक हूँ तो फिर मै दीपक के पास कैसे जा सकता हूं. मुझे तो यह कहना चाहिए  मैं वहां चुप –चाप खड़ा था और अपनी गलती का एहसास होने पर अतुल मेरे पास आया.... कन्फ्यूज्ड ? Well do you remember, the term.. frame of reference... ?? जो मैंने एक बार अतुल को बताया था , जिसमें दो चीजें आपस में बदल जाती है? Same concept...  

मैंने खुद को अतुल की जगह रखा और यह सब सोचता रहा, की उसके अंतर्मन में उन दिनों मेरे लिए क्या चल रहा था , अभी क्या चल रहा है और जैसा की मैंने पहले भी कहा है.. सोचने को तो मैं कुछ भी सोच लु और कोई मुझे रोक भी नहीं सकता, लेकिन सच तो वही रहेगा, जो है.. मेरे सोचने विचारने से सच तो नहीं बदल सकता ना .. और सच तो यही है की मैं दीपक हूं और वो मैं ही हूं जो लोगों से बात करते वक्त हकलाता था , वो मैं ही हूं जो रात रात भर साना की याद में सिगरेट पीकर अपना दिल जलाया करता था , वो मैं ही हूं जो पार्क में  साना के  गरजने पर रोते हुए हॉस्टल भागा था. वो मैं ही हूँ , जिसके अंदर इतनी भी हिम्मत नहीं थी कि वह जिस लड़की से प्यार करता है उससे अआपने प्यार का इजहार तक कर सके... वो मैं ही था जिसने कॉलेज के आखिरी दिनों में अपना सब कुछ खो दिया था. पर इससे जिंदगी तो खत्म नहीं होती ना... इसलिए मैंने भी अपनी जिंदगी को नए सिरे से बुना. भले ही मेरी जिंदगी वैसी ना हो जैसा मैंने सोचा था... भले ही इसमें साना ना हो, भले ही मैं अकेला हूं... क्या फर्क पड़ता है. प्यार के नाम पर पूरी जिंदगी तो बर्बाद नहीं कर सकते ना... खैर,

 अतुल मेरे पास आया और मुझसे हाथ मिलाते हुए सॉरी बोला, जिसे सुनने के लिए मैं ना जाने कब से बेकरार था. जवाब में मैं सिर्फ मुस्कुराया और सिर्फ मुस्कुराया... लेकिन अतुल सॉरी पर सॉरी बोलता रहा....

" सॉरी यार.. सॉरी... मैंने तेरे साथ बहुत गलत किया.. मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था. सॉरी दीपक, प्लीज यार मुझे माफ कर दे. तुझे पता भी नहीं होगा कि इतने सालों में मैं कैसे घुट घुट कर जिया हूं , I am really sorry yar ,  सॉरी भाई, रियली सॉरी..."

 "अतुल.. अतुल... रिलैक्स... सवाल यह नहीं है की तूने क्या किया.. सवाल यह है कि यदि मैं तेरी जगह होता, तो क्या मैं भी वो सब करता..  जो तुमने किया....? और यदि सच कहूं तो.. मैं भी  वह सब करता जो तुमने किया और तेरे लिए कोई हीन भावना मेरे दिल में नहीं है और रही बात साना की.. तो उससे मैं इतना प्यार करता हूं कि उसके लिए मैं उसे भी छोड़ दूं.. वो खुश है, तू खुश है.. मैं भी खुश ही हूं, या नहीं भी हूँ तो...  लोगों के सामने खुश रहने का दिखावा तो कर ही सकता हूं.... जैसे अभी तेरे सामने कर रहा हूँ और अब मैं हकलाता भी नहीं, तीन साल लगे मुझे ... पर मै अब बिलकुल ठीक हूँ.

“wow, man.. that’s great…. But I’m really sorry bhai”

अतुल अब भी सॉरी बोले जा रहा था और मै उसकी सॉरी को इगनोर. मैंने साना की तरफ जो अब अपनी सहेलियों के मध्य किसी बात को लेकर खिलखिला कर हंस रही थी...मैंने हमेशा से ही साना को और खुद को कॉलेज के बाहर बने पार्क में नीचे घास में बैठते हुए इमेजिन किया था... जहा सूर्य क्षितिज पर दस्तक दे रहा हो और उसक उसकी किरने सीधे साना के चेहरे पर पड़कर चमक रही हो... मै हमेशा इस दृश्य में खुद को साना के बगल में बैठा हुआ पाटा, जहा वो मेरा हाथ थामे हुए मुझसे उलूल –जुलूल सवाल कर रही हो.... पर ये सिर्फ मेरी इमेजिनेशन थी... सच नहीं.... इसलिए जब अतुल ने एक बार और सॉरी कहा तो साना की तरफ देखते हुए मैंने अतुल को फाइनली उसके सॉरी का जवाब दिया ....

 “Atul , you can not change the past neither can i… but you always remember that there was a guy who would have done  anything…. Anything…. to get her, but he wasn 't as lucky as you are.. so take good care of her , because I still love her and........... Goodbye.... "

 इतना बोल कर मैं मुस्कुराया और स्टेज की तरफ बढ़..,.. जहां मेरा नाम लिया गया था और मुझे अंटार्कटिका में बतौर साइंटिस्ट मेरे एक्सपीरियंस को शेयर करने के लिए बुलाया जा रहा था. मैं मुस्कुराते हुए साना की तरफ एक और बार देखा और सीधे स्टेज की तरफ बढ़ गया।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama