anil kumar

Romance

4.5  

anil kumar

Romance

प्रेम गाथा

प्रेम गाथा

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 कनिका को अभी बारहवीं किये हुए एक साल ही हुआ था, वो अपनी पढ़ाई पत्राचार के माध्यम से कर रही थी।इसलिए वह रोजाना कॉलेज नहीं जा सकती थी । पत्राचार की कक्षाएं सप्ताह में एक दिन ही लगा करती थी ।

         

इसी कारण कुछ विषय को समझने में उसे बड़ी कठिनाई हो रही थी । विशेषतः इकोनॉमिक्स उसके लिए काफी मुश्किल बन चुका था । वो भी अन्य बच्चों की तरह रोजाना कॉलेज जाना चाहती थी । और ऐसा भी नहीं था कि पढ़ाई में कमजोर हो । बारहवीं कक्षा में उसे लगभग 85% अंक प्राप्त हुए थे । कॉलेज में उसका दाखिला आराम से हो रहा था ।परंतु वो घर में सबसे बड़ी थी, उससे छोटे उसके भाई बहन थे । वो सभी स्कूल में शिक्षा प्राप्त कर रहे थे बड़ी होने के नाते वो घर के हालात को भी समझती थी और अपनी जिम्मेदारियों को भी ।

उसके पिताजी एक प्राइवेट नौकरी किया करते थे । जिसमें बहुत ज्यादा आमदनी नहीं थी । पर जैसे तैसे गुजारा चल रहा था एक कमरे के किराए के मकान में अपनी बसर कर रहे थे । और कुछ पैसे जोड़कर अपने मकान के लिए जमीन लेने की सोच रहे थे ।इसलिए कनिका ने भी कॉलेज ना जाकर बारहवीं के बाद ही एक छोटी सी प्राइवेट नौकरी पकड़ ली थी । साथ में पत्राचार से अपनी पढ़ाई भी कर रही थी ।

उस समय भारत में लोगों के पास इंटरनेट और ऐंड्रोइड फ़ोन की सुविधा बहुत अधिक नहीं हुआ करती थी । क्योंकि वो दौर भारत में ऐंड्रोइड फोन की शुरुआत भर थी । लोग कंप्यूटर के माध्यम से एक दूजे से जुड़े होते थे । सोशल मीडिया के नाम पर फेसबुक ही एकमात्र सहारा थी, वो दौर भारत में फेसबुक की शुरुआत का दौर था । इसलिए लोगों को जब मौका मिलता फेसबुक के माध्यम से नए नए दोस्त बनाने की कोशिश करते ।

कनिका का काम ऑफिस में कंप्यूटर के माध्यम से होता था, जिसमें इंटरनेट भी लगा हुआ था । उत्सुकता वश कनिका ने भी फेसबुक पर अपनी एक प्रोफाइल बना ली थी । उसके कई दोस्त सगे संबंधी फेसबुक के माध्यम से उससे जुड़ चुके थे । जब भी ऑफिस में उसे खाली समय मिलता वो झट से अपनी फेसबुक प्रोफाइल खोल कर बैठ जाती और अपने दोस्तों की पोस्ट पर कुछ ना कुछ कमेंट करती रहती ।

         एक दिन ऐसे ही उसने अपने चचेरे भाई की फोटो पर एक कमेंट लिख दिया । वो कनिका से काफी छोटा था ।उसके कमेंट को सभी लोगों ने पढ़ा, जो भी उसके भाई की फ्रेंड लिस्ट में था सभी ने ।

     

 कनिका को नहीं मालूम था कि जो कमेंट उसने किया हैं, उसका, उसके जीवन पर बहुत गहरा असर होने वाला था । उस कमेंट के बदले में थोड़ी देर बाद ही एक रिप्लाई आता हैं, जिसमें कनिका अपनी रुचि दिखाती हैं, और फिर दोनों में बहस शुरू हो जाती है । अब दोनों प्रोफाइल को छोड़कर, पर्सनल चैट में आ चुके थे । कनिका को फिर इस तरह बात करना अच्छा लगने लगा । 4, 5 दिन ये सिलसिला ऐसे ही चलता रहा। । जब भी कनिका अपनी प्रोफाइल खोलती तो उसे रोजाना एक मैसेज मिलता जिसका जवाब उसको देना पड़ता । और फिर बातचीत शुरू हो जाती । लेकिन ये काम कनिका सिर्फ ऑफिस के खाली टाइम में ही कर पाती क्योंकि घर पर तो उसके पास इंटरनेट की कोई सुविधा नही थी बस एक फोन जरूर था जिससे मैसेज और कॉल के अलावा और कुछ हो नहीं सकता था । उसका मन तो करता कि काश घर पर भी बात हो पाती तो कितना मजा आता ।

      

 एक दिन कनिका ने सोचा जिससे रोजाना बात होती है, उसके बारे में पता तो कर लूं ये है कौन ?

और फिर उसने आज बातों का अंदाज बदला और पर्सनल सवालों की झड़ी लगा दी । कुछ इस तरह-

कनिका : " नाम क्या है तुम्हारा ?"

जवाब : "जो तुम्हे पसंद हो ।"

कनिका : "बड़ा अजीब नाम है, 'जो तुम्हे पसंद हो' और थोड़ा बड़ा भी है ।"

जवाब : "हाहाहाहा...... अमित नाम है मेरा ।"

कनिका : "ये तो फेसबुक पर दिख रहा है, पर असली नाम बताओ, फेसबुक पर सब ऐसे ही फर्जी नाम लिखते है ।"

अमित : "हां तो मेरा असली नाम है अमित कुमार .... हाहाहाहा...."

कनिका : "ठीक है समझ गयी, और मेरा नाम भी कनिका ही है।"

अमित : "मैंने कब कहा नकली है ।"

कनिका : "क्या करते हो ?"

अमित : "तुमसे बातें और क्या ?"

कनिका : "अरे ये तो मुझे भी पता हैं, काम धाम करते हो कि नहीं कुछ या ऐसे ही पूरा दिन फेसबुक पर लडकिया छेड़ते हो ।"

अमित : "लड़कियां नहीं छेड़ता, सिर्फ तुम्हें छेड़ता हो, वैसे सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा हूँ और साथ में ट्यूशन भी पढ़ा लेता हूँ ।"

कनिका : "अच्छा, पढ़े लिखे हो, चलो कुछ तो काम आओगे मेरे ।"

अमित : जी बन्दा हाज़िर है, हुक्म कीजिये ।

कनिका : "बिल्कुल, आज्ञा का इन्तेजार करें .... हाहाहा..... अच्छा मेरे चचेरे भाई को कैसे जानते हो ?"

अमित : "अरे उसने बताया नहीं तुम्हें वो मुझी से तो ट्यूशन पढ़ा हैं । बहुत अच्छा पढ़ाता हूँ, सच में ।"

कनिका : "हा, ठीक हैं अपनी तारीफ खुद ही किये जा रहे हो, क्या बात हैं !"

अमित : "अरे जब कोई ओर तारीफ ना करे तो खुद ही कर लेनी चाहिए ना ।"

कनिका : "चलो टाइम खत्म, चलती हूँ , बाय बाय...... "

अमित :" इतनी जल्दी क्या हैं...."

कनिका : "समय समाप्त ......"

अमित : "समय को रोक देते है, कभी खत्म ही नहीं होगा."

कनिका: "कैसे !"

अमित (फोन नम्बर देते हुए ) :" ये लो 999xxxxxx, ऐसे पूरा दिन बात करो समय ही समय है ।"

कनिका के मन में तो यही बात बहुत देर से चल रही थी पर खुद फ़ोन नम्बर नहीं मांग सकती थी शर्माती थी डरती थी पर अब मिल ही गया नम्बर और फिर कनिका का जवाब

कनिका : तो फिर ये लो 987xxxxxxx और कर लो समय को मुट्ठी में । बाय बाय ......

 अब कनिका बहुत खुश थी वो खुद नहीं जानती थी क्यों, पर वो खुश थी उसे बहुत अच्छा अनुभव हो रहा था । और ऐसे ही खुशी खुशी वो अपने घर पहुँची, चेहरे पर उसकी खुशी को हर कोई पढ़ सकता था, और वो इस खुशी को छिपाना भी नहीं जानती थी ।

  

 अब उसकी नज़र फोन पर ही थी, कब कोई मैसेज आये अमित का और वो रिप्लाई करे । खाना खाते वक़्त भी बार बार फ़ोन को देख रही थी, माँ से क्या छुपा हैं, माँ ने पूछ ही लिया कि क्या बात हैं आज बड़ा खुश हैं और बार बार फ़ोन को देखे जा रही हैं, ऐसा क्या हैं उसमें खाना तो सही से कहा ले ।कनिका बात को टालते हुए बोली कुछ नहीं माँ, बस ऐसे ही आज बहुत पुरानी दोस्त मिल गयी थी तो उससे बात हुई और उसको नम्बर दिया था तो देख रही थी कि उसका कोई मैसेज तो नहीं आया हैं,

 माँ : "तू आराम से खाना खा ले जब मैसेज आएगा तो पता चल जाएगा ।"

  

कनिका कुछ ना बोली और फिर चुपचाप खाना खाकर सोने चली गयी, तभी मोबाइल की मैसेज टोन बजने लगी और फिर कनिका ने लपक कर मोबाइल उठाया और स्क्रीन पर अमित का नाम देख कर चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान बिखेरते हुए मैसेज खोल कर पढ़ने लगी ।

 

      अमित ने काफी मजेदार मैसेज भेजा था, मैसेज कुछ इस तरह था- 

जाओ..

जाओ...

मच्छर जाओ.. 

और मेरी उस दोस्त को काटो.. 

जो मुझे बिना गुड़ नाईट कहे सोने जा रही है।"

  

   ये मैसेज पढ़कर कनिका बहुत हंसी और उसके जवाब में अमित को लिखकर भेजा, कि हमें ऐसे दोस्त से बात नहीं करनी जो अपने दोस्त को मच्छर भेजकर डराते हैं । फिर मुस्कराते हुए मोबाइल रख कर सो गई और सोचने लगी कि अब देखती हूं अमित कैसे मनाता हैं मुझे ये सोचते सोचते उसे नींद आ गयी । अमित ने कई मैसेज किये पर उसने कोई जवाब नहीं दिया । नाराज होने का नाटक करने लगी ।

      

 अगली सुबह कनिका अपने ऑफिस पहुंची, और अपने काम मे लगी हुई थी तभी उसके मोबाइल की मैसेज टोन बजी, कनिका समझ गयी थी ये जरूर अमित का मैसेज होगा चेहरे पर वही शरमाई सी हंसी के साथ उसने मैसेज खोला और अमित का मैसेज पढ़ना शुरू किया—

आई लव यू....

आई लव यू....

आई लव यू....

ओह सॉरी..

रसना तो बोला ही नहीं

आई लव यू रसना ...

गर्मी हैं ना

पियो रसना और हर दम हँसना ।


 ये पढ़कर कनिका बहुत हंसी और जवाब में लिखा कि आई लव यू रसना क्यो हम मर गए है क्या ?

और इतना लिखकर उसने मैसेज अमित को भेज दिया । कनिका का मैसेज पढ़कर जैसे अमित को अवसर मिल गया हो उसने तुरंत जवाब में लिख भेजा-

    आई लव यू कनिका

  

 अब कनिका को लगा मामला गंभीर हो रहा है उसने पूछा कि यूँ ही बोल रहे हो क्या शादी भी करोगे या फिर ऐसे ही टाइम पास कर रहे हो ।

 

 अमित ने कहा कि अब इतने दिनों से बात कर रहा हूं तुमसे तो जो दिल की बात थी वो बोल दी और शादी नहीं करूँगा पर प्यार पूरे दिल से करूँगा ।

  

  क्योंकि अमित जानता था कि कनिका से शादी करना लगभग असंभव है वो अपने घर वालो की मानसिकता को जानता था कि उसके घरवाले नहीं मानेंगे, परंतु कनिका पर उसका दिल आ चुका था इसलिए उसने सोचा कि कोशिश कर के देख लूँगा पर कनिका को अंधेरे में नहीं रख रखूंगा इसलिए उसने शुरू में ही कह दिया कि प्यार तो कर सकता हूँ पर शादी नहीं कर सकता हूं ये बात उसने कनिका को साफ साफ बता दी ।

   

 अब ये कनिका को सोचना था कि क्या किया जाए । मन ही मन वो भी अमित को बहुत चाहती थी अपना दिल दे बैठी थी इसलिए बावजूद इसके की अमित ने शादी से मना किया है कनिका ने अमित का प्रेम प्रस्ताव स्वीकार कर लिया । और फिर दोनों दिन रात जब भी समय मिलता बाते कर लेते कभी फेसबुक पर तो कभी मैसेज के द्वारा ऐसे ही दोनों ने एक दूसरे को अपनी फोटो भी भेज दी, फिर बातो बातो में कनिका को पता चला कि अमित तो इकोनॉमिक्स का ट्यूशन देता हैं, बस फिर क्या था अब तो कनिका को अमित से मिलने का रूबरू होने का मौका भी मिल गया ।

     

  एक दिन कनिका ने अपने इकोनॉमिक्स की कमजोरी को बता ही दिया बस फिर क्या था, अमित ने ट्यूशन की पेशकश कर दी । पता नहीं ये ईश्वर की देन थी या अमित का पढ़ाने का तरीका जो भी बच्चा अमित से ट्यूशन पढ़ा वो कभी इकोनॉमिक्स में फेल नहीं हुआ चाहे वो कितना भी कमजोर क्यों ना रहा हो, बस यही बात सोचकर अमित ने कनिका को कह दिया अब मेरी गारन्टी हैं तुम्हें पास कराना ।

    

 अब ये तय हुआ कि अमित एग्जाम तक कनिका को रोजाना पढ़ाने आएगा, लेकिन कहा पर, अमित अपने घर पढ़ाता नहीं है कनिका का घर पहले ही बहुत छोटा हैं वह जगह नहीं है, तो ये तय हुआ कि उसी चचेरे भाई के घर पर पढ़ायेगा जिसको अमित ने पढ़ाया था जिसकी वजह से दोनों मिले हैं।

     

 अब अमित तय समय पर पढ़ाने पहुँच गया, ये उनकी पहली मुलाकात थी फेसबुक से बाहर असल दुनिया में । पहली बार दोनों एक दूसरे को आमने सामने देखेंगे, यही सोच कर दोनों अजीब सा कुछ अलग सा महसूस कर रहे थे, जब दोनों सामने आए तो दोनों में से कोई भी कुछ नहीं बोल पा रहा था, नज़रें झुकाए एक दूसरे को देखे जा रहे थे दोनों ।

     

 तभी कनिका बोली अब पढ़ाओगे भी या ऐसे ही शरमाते रहोगे, अमित चौंक कर बोला हां शुरू करो किताब खोलो, फिर थोड़ी देर पढ़ाई हुई फिर दोनों की अपनी प्यार भरी बातें शुरू हो गई । लगभग 2 घण्टे बाद याद आया कि क्लास खत्म भी करनी हैं घर भी वापस जाना है, जाते समय कनिका ने अमित को एक पैन गिफ्ट दिया पहली मुलाकात की निशानी, अमित ने कनिका को गले लगाया और कल मिलते हैं कहकर दोनों अपने अपने घर चले गए ।

  

 फिर ये सिलसिला शुरू हो गया । अब दोनों पढ़ाई के बहाने रोज मिलते और ऐसा नहीं था कि पढ़ाई नहीं होती थी, अमित पढ़ाता और कनिका मन लगाकर पढ़ती । और बाद में जो समय बचता उसमें दोनों एक दूसरे को जी भर के देखते और बाते करते । घर जाकर भी कनिका पढ़ाये गए पाठ को दोहराती  और मैसेज के माध्यम से अमित से बाते भी करती जाती ।

  

इस तरह से दोनों प्यार में आगे बढ़ते गए लेकिन अपनी मर्यादाओं को ध्यान में रखते हुए । कनिका ये भूल चुकी थी कि अमित ने शादी का वादा नहीं किया हैं और अमित भी भूल चुका था कि दोनों की शादी होना असंभव हैं । अब दोनों एक दूजे के बिना रह नहीं सकते थे । प्यार दोनों बहुत आगे बढ़ चुके थे ।

  

 धीरे धीरे कनिका का एग्जाम भी पूरा हो गया और उसने आसानी से इकोनॉमिक्स का पेपर पास भी कर लिया । दोनों को इस बात की बहुत खुशी हुई । अब तक कनिका की नौकरी एक अच्छी कंपनी में लग चुकी थी, उसने नया ऐंड्रोइड फ़ोन भी ले लिया था, अमित अभी भी ट्यूशन पढ़ाकर अपना खर्चा निकाल रहा था और साथ में नौकरी की तैयारी भी कर रहा था ।

  

दोनों का प्यार आगे बढ़ता रहा, कनिका ने अगली कक्षा के लिए फिर से अमित से ट्यूशन शुरू कर दी थी । दोनों कई बार साथ साथ घूमने फिरने भी जाया करते थे परंतु जानकार लोगों की नजरों से बचते हुए, क्योंकि दोनों नहीं चाहते थे कि उनकी प्रेम कहानी का किसी को पता चले ।

   

 कुछ समय बाद अमित को बड़े अच्छे प्राइवेट स्कूल में नौकरी मिल जाती है । इधर कनिका भी अब अपने नए घर में शिफ्ट हो चुकी है जो अब अमित के घर से 10 किलोमीटर की दूरी पर है, कनिका के पिताजी और कनिका ने पैसे जोड़कर मिलकर एक छोटा सा प्लाट लेकर उस पर अपना मकान बना लिया हैं ।

   

 लेकिन ये दूरी भी उनके प्यार को कम नहीं कर पाई । अमित अभी भी कनिका को पढ़ा रहा हैं उसके नए घर में जाकर, हाँ ये बात जरूर है कि इसमें अमित का आने जाने का समय बहुत लग रहा हैं क्योंकि उसके पास अपना कोई साधन नहीं हैं । वो सार्वजनिक वाहन के माध्यम से ही आता जाता हैं ।

परंतु एक समस्या सामने आ रही थी फोन के नेटवर्क की, कनिका का नया घर जिस जगह पर था वहाँ नेटवर्क बहुत ही कम आया करते थे, घर से बाहर तो बात हो सकती थी घर के अंदर मुश्किल था । इसलिए कनिका ऑफिस जाते समय और ऑफिस से आते समय अमित से बात किया करती थी ।

   

 स्कूल में नौकरी लगने के बाद से अमित भी बहुत व्यस्त हो चुका था । वो सिर्फ कनिका के लिए ही समय निकाल पाता था ।अब तक कनिका अपनी स्नातक की पढ़ाई पूर्ण कर चुकी थी अब अमित के पास उसके घर जाने का कोई बहाना नही था । क्योंकि फिर कनिका के घर वाले पूछते की ये अमित अब क्यो आ रहा हैं अब तो तेरी स्नातक पूरी हो चुकी अब कौनसा ट्यूशन करना हैं। स्नातक के बाद कनिका अब और भी अच्छी कंपनी में लग चुकी थी सैलरी पहले से भी ज्यादा और व्यस्तता भी बढ़ गयी थी ।

    

 उन दोनों के बीच बातचीत चलती रही, कनिका घर पर बात बहुत ही कम कर पाती थी एक तो नेटवर्क की समस्या दूसरे घर पर सभी होते थे, घर से बाहर जाकर ज्यादा देर तक बात भी नहीं कर सकती थी, फिर घरवाले सौ सवाल करते । उधर अमित भी स्कूल में व्यस्त हो चुका था, उसे भी समय कम मिल पा रहा था और अब घरवाले भी उसके लिए रिश्ता ढूंढने लगे थे ।

स्कूल की व्यस्तता के कारण अमित कनिका को फ़ोन नहीं कर पाया , कुछ दिन बीत गए । कनिका भी व्यस्त थी इसी कारण वो भी फ़ोन नहीं कर पाई । एक दिन रविवार को कनिका ने अमित को फ़ोन किया, दोनों में बातचीत शुरू हुई कनिका थोड़ी भावुक हुई और बोली इतने दिन से बात क्यों नहीं की, अमित ने कहा स्कूल की व्यस्तता के कारण समय नहीं मिल पाया और बातों बातों में अमित के मुँह से निकल गया कि कनिका तुम्हारा अभी 2, 4 दिन में ही ये हाल हैं, आगे क्या होगा जब अकेले रहना पड़ेगा । अमित का इतना कहना भर था कि कनिका की अश्रु धारा आँखों से बहने लगी और रोते रोते कनिका ने फ़ोन काट दिया ।

     

 उसके बाद अमित को एहसास हुआ कि उसने ये क्या बोल दिया हैं । लेकिन फिर उसने सोचा कि ये एक दिन तो होना ही था, जब कनिका का मन शांत होगा तो उससे बात करूँगा, इससे बाद में कनिका को बिछड़ने का दर्द नहीं होगा । वो अभी सब सहन कर लेगी तो बाद में तकलीफ नहीं होगी । क्योंकि शादी होना तो बहुत मुश्किल था । दोनों ये बात पहले दिन से जानते थे ।

  

  लेकिन कनिका के मन मे कुछ और ही चल रहा था । उसने सोचा अमित उसको छोड़ना चाहता है । पता नहीं वो खुद को समझा नहीं पा रही थी । उसको लग रहा था कि अमित बदल चुका हैं । लेकिन दोनों का प्यार इतना गहरा था कि दोनों एक दूजे के बिना रह नहीं सकते थे । अमित बस यही सोच रहा था कि बाद में कनिका को जब छोड़ना पड़ेगा तब उसको बहुत दुख तकलीफ होगी शायद अभी उसको ये सब सहन करने की हिम्मत मिल जाएगी ।

  

      कई दिनों तक दोनों के बीच मे कोई बातचीत नहीं हुई । दोनों एक दूजे के फोन का इन्तेजार करते रहे । अमित सोच रहा था कि जब कनिका का मन शांत होगा तब वो बात करेगी । उधर कनिका का हाल बहुत बुरा था । उसको बहुत गहरा सदमा सा लग चुका था, वो खोई खोई उदास सी रहने लगी थी । ऑफिस जाती तो बस में बैठे बैठे अमित के ख्यालो में गुम होकर रोने लगती कई बार तो उसको पता ही नहीं चलता कि वो कितने स्टैंड आगे निकल चुकी हैं । घर पर भी रातो को सोते सोते रोने लगती वो लगभग डिप्रेसन की ओर जाने लगी थी । फिर उसने खुद को संभाला ऑफिस में अपने मित्रों के साथ मन लगाने का प्रयास किया पर मन तो अमित के पास था लगता कैसे, वो रोज इन्तेजार करती अमित के फ़ोन का ।

  उधर अमित का हाल भी वैसा ही था, वो भी रोज उसके फ़ोन का इन्तेजार करता, पूरा दिन उसके बारे में सोचता रहता और चुप चुप रहता । उसने कई बार कनिका को फ़ोन लगाने का प्रयास किया परंतु नेटवर्क समस्या के कारण उसका फ़ोन नही लग पाया । कनिका के ऑफिस आने जाने वाले टाइम पर उसका स्कूल और ट्यूशन होने लगा था इसलिये उस समय कॉल नहीं हो पा रही थी, बाकी टाइम पर कनिका का फ़ोन घर पर रहता था तो नेटवर्क के कारण लग नहीं पा रहा था । उसने मैसेज भी किये मगर नेटवर्क ना होने के कारण वो भी नहीं पहुँच पाए । उसने सोचा रविवार को तो कनिका घर ही रहेगी तब फ़ोन कर लूंगा पर किस्मत का खेल देखो रविवार को भी अब स्कूल में बुलाया जाने लगा दिन भर के लिए । अब रविवार को स्कूल में प्रतियोगी परीक्षाओं का पेपर होने लगा जिसमें सुबह से शाम तक कि ड्यूटी रहने लगी फिर भी उसने एक दो बार कोशिश की परंतु फ़ोन नहीं लगा ।

 

        ऐसे करते करते 2 से 3 महीने निकल गए फिर अमित ने एक दिन कनिका को ईमेल के माध्यम से सम्पर्क करने की कोशिश की पर शायद कनिका ईमेल चेक नहीं किया करती थी इसलिए अमित को कोई उत्तर नही मिला । फिर एक दिन रविवार को अमित के स्कूल में कोई परीक्षा नहीं होने के कारण अमित घर पर था, उसने अवसर जानकर कनिका को फ़ोन लगा दिया और फ़ोन लगते ही कनिका के फ़ोन की घंटी बजने लगी, ये सुन अमित का खुशी का ठिकाना नहीं था ।

  

और तभी उधर से कनिका की आवाज आई हेल्लो......

कुछ पल के लिए अमित मारे खुशी के बोल ही नहीं पाया, फिर उसने कनिका से कहा "मैं मिलना चाहता हूँ तुमसे, तुम कहाँ हो अभी ?"

कनिका : "मैं अभी बाहर आई हूँ घर पर नहीं हूँ"

अमित : "अकेले हो ना मैं आ जाता हूँ अभी बोलो "

कनिका : "नहीं, अभी अपने ऑफिस फ्रेंड के साथ हूँ ।"

अमित (मायूस सा होकर) : "ठीक है तुम अभी बिजी हो, जब समय हो बता देना ।"

 अमित को महसूस हुआ कनिका किसी और के साथ है शायद मिलना नहीं चाहती । काफी कहने के बाद कनिका ने अमित से मिलने को हां कर दी ।

फिर वो दोनों उसी जगह पर मिले जहाँ वो अक्सर मिला करते थे । अमित ने कनिका को सब बताया कि उसने कितना मिस किया कितनी कोशिश की मिलने की कनिका ने भी अपना हाल बताया और कहा कितनी मुश्किलों से मैंने खुद को संभाला है, तुम तो यूँ ही बीच मैं छोड़कर चले गए थे बिना कुछ कहे । कितना मुश्किल होता है अब मैं दुबारा खुद को उन्हीं परिस्थितियों में नहीं डालना चाहती हूँ।

  

      ये सुनकर एक तरफ अमित खुश भी था और दुखी भी । खुश इसलिए कि जब वो समय आएगा कि कनिका को हमेशा के लिए छोड़ना पड़ेगा तो कनिका खुद को संभाल लेगी और भटकेगी नहीं और ना ही कोई गलत कदम उठाएगी ।

  

    दुखी इसलिए हुआ कि शायद ये सब समझने में उसने बहुत ज्यादा समय खराब कर दिया और अब कनिका अमित के साथ पहले जैसे नहीं रहना चाहती है । फिर भी वो कनिका से बोलता है कि उसके बिना बहुत मुश्किल हो रही हैं उसको ऐसे मत छोड़ो । उसको दुखी देख कनिका का दिल पिघल जाता हैं और वो कहती हैं ठीक हैं पर मुझे खुद को संभालने के लिए कम से कम 2, 3 दिन का समय तो दो । ये सुनकर अमित बहुत खुश हुआ जो अश्रु धारा अभी तक दुख में बह रही थी वो अब खुशी में बहने लगी । कनिका ने अमित के आंसू पौंछते हुए उसको गले से लगा लिया ।

   

      अब फिर से दोनों में वही पहले की तरह बाते करना मिलना जुलना शुरू हो चुका था । कनिका की स्नातक तक हो चुकी थी अब अमित ने उसको कहा कि तुमने परास्नातक क्यों नहीं की, कनिका ने बोला कि कौन करवाता तुम थे क्या ? फिर अमित ने कनिका का एड्मिसन परास्नातक में करवा दिया कनिका आगे की पढ़ाई नहीं करना चाह रही थी क्योंकि उसके पास टाइम नहीं था फिर भी अमित ने जबरदस्ती एड्मिसन करवा दिया और कहा कि जितना मैं बोलू बस उतना पढ़ लेना मेरी गारंटी है पास हो जाओगे । फिर अमित के कहने पर कनिका ने पढ़ाई शुरू की और इस बार कनिका ने पूरे वर्ष ट्यूशन नहीं ली बल्कि एग्जाम से कुछ दिन पहले अमित जो पढ़ाता था वही पढ़ती थी । इसी में उसकी परीक्षाएं पास हो गयी । दोनों बड़ा खुश थे । ऐसे करते हुए 1 साल से ऊपर निकल गया ।

   

      दूसरी तरफ अमित के घरवाले अमित के लिए रिश्ता देख रहे थे । पर वो सभी रिश्तों को मना करता जा रहा था उसके मन में तो कनिका बसी थी । कनिका ने अमित से शादी के लिए कई बार पूछा पर अमित ने एक ही जवाब दिया जो पहली बार कहा था कि झूठ नहीं बोलूंगा शादी नहीं हो पाएगी हमारी । पर अमित शादी करना चाहता था कनिका से उसने ये बात कनिका को कभी नहीं बोली । उसने ये इसलिये नहीं कहा कनिका से कही शादी की बात सुनकर कनिका वो सपने ना सजोने लगे जो कभी पूरे नहीं हो सकते हैं ।

   

      कनिका भी कुछ बदल चुकी थी एक बार उसको धक्का लग चुका था इसलिए अब पहले कही ज्यादा मजबूत थी वो पर प्यार दोनों में पहले की तरह ही मजबूत था । पर रहीम जी के एक दोहे की झलक दिखने लगी थी –

        

       रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटखाये ।

      तोड़े से फिर ना जुड़े, जुड़े गांठ पड़ जाए ।।


       अब तक काफी रिश्ते मना करने पर अमित के घरवालों ने उसका रिश्ता बिना अमित का मन जाने तय कर दिया और अमित को बता दिया लड़की के बारे में उसकी फोटो दे दी । अमित का मन नहीं था फिर भी उसने कुछ नहीं कहा, एक दिन उसने उस लड़की की तस्वीर कनिका को दिखाई और कहा ये रिश्ता चुना हैं घरवालों ने मेरे लिए , ये सुनकर कनिका के चेहरे पर मायूसी छा गई, फिर भी उसने मायूसी छुपाते हुए अमित से कहा कि अच्छी जोड़ी हैं, कर लो शादी क्या खराबी हैं । पर प्यार तो दोनों का बहुत गहरा था इसलिए अमित उसके चेहरे की मायूसी को जान गया । और बिना कुछ ज्यादा बोले वहाँ से चला गया ।

      

        घर जाकर उसने बहुत सोचा और जिस लड़की से रिश्ता तय हुआ था उसको फ़ोन करके सब कुछ बता दिया फिर क्या था शाम तक अमित के पिताजी के पास रिश्ता तोड़ने का फ़ोन आ गया और रिश्ता टूट जाता है । अब अमित से सोचा की कनिका के लिए घर पर बात करनी चाहिए । उसे परिणाम पता था परंतु फिर भी वो प्रयास करना चाहता था । ताकि उसके मन में ये बात ना रहे कि उसने अपने प्यार को पाने की कोशिश भी नहीं की ।

   

       जैसे तैसे उसने हिम्मत जुटाकर अपने घरवालों से कनिका के बारे में बताया । ये भी कहा कि कनिका के घरवाले तैयार है कनिका ने कहा है कि उसके घरवाले मान जाएंगे । इसपर अमित के माता पिता ने पूछा कौन हैं वो किस जाति की है, क्योंकि अमित के माता पिता पुराने ख्यालो के थे वो अंतरजातीय विवाह के खिलाफ थे उनको समाज और रिश्तेदारी में अपनी इज्जत बहुत प्यारी थी ।

     अमित ने बता दिया कि वो हमारी बिरादरी की नहीं हैं इतना सुनते ही अमित के माता पिता उस पर भड़क गए और बोले कि ये शादी होनी संभव नहीं हैं । फिर जब अमित ने शादी के लिए जोर डालने की कोशिश की तो माता पिता ने कहा कि तुझे करनी है शादी तो कर ले, पर हमारी मौत देखने के बाद तब तुझे जो करना हैं कर लेना पहले हमें मार दे । अब अमित क्या बोलता वो सन्न सा रह गया और चुपचाप अपने कमरे में चला गया । जो उसे पता था वही हुआ, परिणाम मालूम था उसे । उसने ये बात कभी भी कनिका को नहीं बताई, कनिका यही सोचती थी कि अमित ने कभी कोशिश नहीं की होगी । और ना ही कनिका को कभी रिश्ता तोड़ने की बात बताई ।

   

     कुछ दिनों बाद अमित के घरवालों ने उसका फिर से एक नया रिश्ता तय कर दिया, अमित क्या करता उसने उसे स्वीकार कर लिया । पर इस बार कनिका को फिर से कुछ नहीं बताया, कनिका के दिमाग में यही बात थी कि जो रिश्ता पहले ही तय हो चुका हैं उसी से शादी हो रही हैं ।

                  अमित  प्यार की ऐसी परिस्थिति में था कि फिर वो अपने बारे में नहीं सोच रहा था, वो सिर्फ अपने प्यार के बारे में सोच रहा था । वो चाहता है कि वो ही जीवन भर उसके साथ रहे उसका ध्यान रखे, परंतु कई बार परिस्थितियां इतनी हावी हो जाती है, जब उसको लगता है कि यदि अपने प्यार को जीवन भर खुश देखना है तो उसको छोड़कर खुद दुखी होकर रहना ही होगा, अपने प्यार का त्याग करना ही होगा चाहे फिर उसका प्यार इसको गलत ही समझे ।

 

            प्यार की ऐसी परिस्थिति में वो ये नहीं समझ पाता कि वो अपने प्यार को जीवन भर खुश देखने की कोशिश में खुद जीवन भर दुखी रहेगा, सदा अपने प्यार से दूर रहेगा, और दुखी तो उसका प्यार भी होगा ही, पर फिर भी वो ऐसे फैसले लेता है क्योंकि वो अपने प्यार को ईश्वर बना चुका है, वो इतना गहरा है कि प्यार और ईश्वर दोनों एक ही है उसके लिए ।

 

         प्यार की इस परिस्थिति में, वो सब बातों को अपने प्यार से कह नहीं पाता क्योंकि वो डरता है कि उसका प्यार दुखी होगा, उसके लिए तड़पेगा, पर वो समझता है कि आज में इसको अब कुछ ना बता कर इससे दूर हो जाऊँ तो इसका जीवन मुझसे कही बेहतर हो जाएगा । वो बस अपने प्यार को बेहतर जीवन देने के लिए अपने गम को दिल में दबा लेता है । सामाजिक बंधनों में बंध जाता है ताकि उसका प्यार अपने जीवन में आगे बढ़ सके ।

   

         वो कनिका को अपनी शादी में आमंत्रित करता हैं , ये देखने के लिए कि कनिका खुद को संभाल पाती हैं या नहीं । और जिस दिन शादी थी उस दिन सभी लोग अमित से मिलने स्टेज पर आ रहे थे । अमित उन सब से मिल भी रहा था परंतु उसकी निगाह तो जैसे एक ही चेहरे की तलाश में थी, उसकी नज़रे आगमन द्वार पर टिकी हुई थी वो आते जाते लोगो मे बस कनिका को ढूंढ रहा था ।उसका ध्यान लोगो की बातों पर ना होकर कनिका के आगमन पर था । तभी कनिका ने प्रवेश किया अमित चेहरा खिल उठा । अमित की नज़र अब कनिका पर ही थी अब वो देख रहा था कि कनिका उससे मिलने आती हैं या नहीं ।

 

           कुछ ही देर में कनिका अमित से मिलने स्टेज पर पहुँच जाती हैं, अमित से हाथ मिलाती उसे मुस्कुराते हुए बधाई देती है । और चली जाती हैं । अमित को अपने हाथ मे कुछ महसूस होता हैं । वो उसको देखता नहीं हैं और मुट्ठी बन्द करके हाथ को जेब मे डाल लेता हैं और सोचता हैं कि घर जाकर देखूँगा क्या हैं । अमित कनिका के चेहरे की मुस्कुराहट के पीछे छिपे दिल के दर्द को महसूस कर पा रहा था और कनिका की दिलेरी पर खुश भी था, उसने शादी में आकर साबित कर दिया था कि वो एक मजबूत लड़की हैं वो खुद को संभाल सकती हैं ।

   

         अमित घर पहुंचा, घर पहुंच कर सबसे पहले उसने अपनी जेब से वो चीज निकाली जो कनिका उसको पकड़ा कर गयी थी । उसमें एक कागज़ के टुकड़े में लिपटे हुए कुछ रुपये थे । अमित ने कागज़ खोल के देखा तो कुछ लिखा हुआ था ।अमित ने उसे गौर से पढा –

             

                  प्रिय अमित,

                         शायद तुम्हें याद भी नहीं होगा, तुमने जो ट्यूशन मुझे पढ़ाया था उमसे बहुत सी फीस रह गई थी, वो फीस लौटा रही हूं, इसको स्वीकार करना । और हाँ, सदा खुश रहना ।

                                                                                                                                                          

    तुम्हारी,   

    कनिका



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