anil kumar

Horror Romance Thriller

4.5  

anil kumar

Horror Romance Thriller

मानव भेड़ियाँ और रोहिणी

मानव भेड़ियाँ और रोहिणी

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अब मुझे ठीक से तो याद नहीं कि बात कितनी पुरानी हैं, पर जो कुछ हुआ वो एक एक बात आज भी ज़ेहन में अपना घर बनाए बैठी हैं ।

हम चार लोगों ने मिलकर पहाड़ की ठंडी वादियों के नजदीक पिकनिक मनाने की योजना बनाई। यह जगह हमारे शहर से 4 मील की दूरी पर थी। यह जगह हिमालय के नजदीक के जंगलों के पास थी। पहाड़ियों से भरी हुई जगह।

सर्दियों की शुरुआत होने के कारण कम मात्रा में बर्फ पड़ रही थी। उस रात को चांद पूरा निकलने वाला था और हम जानते थे कि इससे वहाँ का दृश्य और भी सुंदर होगा। इस सफर में, मैं ,राजेश, मनोज और विकास शामिल थे। हम लोगों ने कुछ बीयर्स और कुछ नशे की चीजें अपने साथ में ली थी, ताकि हम पूरी रात एन्जॉय कर सकें। तकरीबन रात के 10:00 बज रहे थे, जब हम निकले। जिस जगह हम जा रहे थे। वह एक मनोरंजन की जगह थी, जहां पर लोग मजे कर सकते थे ,कैंप लगा सकते थे और वहां पर पास में एक छोटी सी नदी में नाव चला सकते थे।

उस जगह जाने के लिए हमें मेन रोड को छोड़ना था। सब कुछ सही चल रहा था। चांद की रोशनी इतनी थी जिससे कि रोड और आसपास की चीजें साफ दिखाई दे रही थी। हमने एक जगह पर कार को पार्क किया। राजेश ने सिगरेट जलाई और मेरी ओर बढ़ा दी। हम दोनों आगे वाली सीट पर बैठे थे। मनोज और विकास पीछे वाली सीट पर बैठे हुए थे ,जैसे ही मैं सिगरेट पीने वाला था कि तभी मैंने अपनी कार के सामने लगभग 20 मीटर की दूरी पर किसी चीज को हिलते हुए देखा। पहली बार देखने पर तो वो मुझे एक हिरण के जैसा लगा। मैं सीट में आराम से पसरकर बैठ गया पर तभी मैंने उस चीज को अपनी कार के बाएं और आते हुए देखा। विकास भी यह जान चुका था कि कार के बाएं और कोई चीज तो है। वह बस पूछने ही वाला था कि क्या हो रहा हैं? तभी उसने, उस चीज को गाड़ी के पीछे की ओर जाते हुए देखा।

मुझे याद हैं कि मैंने मुश्किल से ही एक बार सिगरेट पी थी। विकास तो हम चारों में सबसे छोटा था वो अभी 15 वर्ष का ही होगा, वो ना तो स्मोक करता हैं और ना ही कोई ड्रिंक करता हैं और हमें इतना समय भी नहीं हुआ था कि हम यह काम कर सकते थे। हम सब चुपचाप बैठे हुए थे।

हम दोनों ने कहा-क्या है वो ?

 उन लोगों ने कहा - क्या ?

हम लोगों ने कहा कि-बाहर कोई तो हैं?

वो दोनों हंसने लगे, पर इसके बाद उन्होंने भी उस चीज को कार के दाएं ओर हिलते हुए देखा। उस समय मेरे रोंगटे खड़े हो गए और मुझे किसी अनहोनी के होने की आशंका हुई। वह फिर से हमारी कार के पास से गुजरा पर पहले से काफी ज्यादा पास से। इस समय तक मैं चाहता था कि हम वहां से जल्द से जल्द निकल चलें। हम सब पूरी तरह से डर चुके थे और हम जानना चाहते थे कि वह चीज क्या है?

यह जो भी था एक बार फिर से हमारी कार के चक्कर लगाने लगा, जैसे ही यह हमारे कार के सामने आया। राजेश ने कार की हेडलाइट ऑन कर दी ,पर जैसे ही लाइट उस जगह पर पड़ी, वहां पर कोई नहीं था। कुछ सेकंड पहले तक वह वहीं पर था। जब राजेश ने एक बार फिर से कार की हेडलाइट ऑन की, तो वह फिर से कार के बाएं ओर आ गया। पहले से भी बहुत ज्यादा पास में।

हम नहीं जानते थे कि वह क्या था? इस समय तक विकास काफी ज्यादा डर चुका था और साथ में, मैं भी। हम सभी राजेश पर चिल्लाये कि हम सबको यहां से निकालो। वह भी हमारी ही तरह डरा हुआ था।

 उसने गाड़ी को स्टार्ट किया और आगे जाने की बजाय वह गाड़ी को रिवर्स में ले गया ताकि हम पीछे होते हुए उस जगह से मेन रोड पर पहुंच सकें। हम किसी तरह से चलते-फिसलते हुए ऊपर चढ़ते हुए मेन रोड पर आ पहुंचे। हमने सोचा कि अब सब कुछ ठीक हैं पर तभी मैंने अपनी जिंदगी की सबसे डरावनी चीज का अनुभव किया ,जिसे शायद ही मैंने पहले कभी महसूस किया हो।

जैसे ही हम ऊपर चढ़े हमने देखा कि कार की हेडलाइट की रोशनी जहां पर जाकर खत्म हो रही थी उस जगह पर एक जानवर खड़ा था।

वह उस जगह पर एक ऐसे आदमी की तरह खड़ा था ,जो पूरी तरह से बड़े-बड़े बालों से ढका हुआ हो। तथा बहुत ही डरावना हो। जब उस पर लाइट पड़ी तो वह मुड़ा। अब हम उसको पूरी तरह से देख पा रहे थे, वह मेरी ही आंखों में देख रहा था और कसम से उस समय मेरी दिल की धड़कन बस रुकने ही वाली थी।

उसकी आंखों की जगह गहरे काले गड्ढे थे और उसकी आंखों में दहशत और पागलपन के सिवा और कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। ऐसा बस कुछ सेकंड के लिए ही हुआ था ,कि तभी राजेश ने कार की स्पीड बढ़ायी। वह उसको कार से टक्कर मारना चाहता था। पर वो जानवर वहां से बड़ी ही तेजी से गायब हो गया, मानो जैसे वह पहले कभी वहां था ही नहीं।

 वो हेडलाइट की रोशनी से क्यूँ डरता था।

 यह तो मैं नहीं जानता। पर जितनी तेजी से हो सके हम उतनी तेजी से उस जगह से निकल गए।

 बाहर बहुत ठंड थी और ठंड के इस समय में बाहर न तो कोई आदमी होता हैं और ना ही कोई दुकान खुली होती हैं और दूसरी बात वह इलाका बिल्कुल सुनसान था। और रात के इस समय में वहाँ

 मुश्किल से ही कोई गाड़ी दिखाई देती थी।

 हम नहीं जानते कि वो क्या था और वह कहाँ से आया था ?

खैर जैसे तैसे हम अपने पिकनिक वाले स्थान पर पहुँच गए।

 हमने अपना कैंप लगाया और एन्जॉय करने लगे, बियर की बोतल खोली और ठंडी रात में आग के आगे बैठकर बियर का मजा लेने लगे, विकास ने भी आज बियर की बोतल लेकर अपनी पहली बियर कुछ इस तरह पी जैसे वो अपने बड़े होने का सबूत दे रहा हो, हम मौज मस्ती करते रहे और बाते करते रहे, तभी दूर से कोई आता हुआ दिखाई दिया, हम घबरा गए कही, वो ही जानवर फिर से तो नहीं आ गया, हम ये सोचने लगे हुए थे, पर कुछ देर बाद हमें साफ साफ दिखने लगा वो हमारे काफी नजदीक आ चुका था।

हमने देखा कि एक नौजवान ठंड में कांपते हुए हमारे नजदीक आ रहा था ।

 उसने हम से कहा कि मैं कुछ देर के लिए यहाँ आग के पास बैठ सकता हूं, मुझे बहुत ठंड लग रही हैं। हमने उसे अपने पास बिठाया और पीने के लिए एक बियर की बोतल दी, उसने हमारा आग्रह स्वीकार किया और फिर हम बाते करने लगे ।

उसने बताया कि वो इसी तरह नई नई जगह पर जाता रहता हैं और पर्वतों तथा जंगलों में घूमकर नई नई जड़ी बूटियों की खोज करता रहता हैं, आज उसे यहाँ ज्यादा देर हो गई ठंड भी बढ़ चुकी थी और मैं साथियों से भी बिछड़ चुका हु, अगर मैं थोड़ी देर में वापस नहीं लौटा तो वो मुझे जरूर ढूंढने आएंगे, तब तक मैं आप लोगों के साथ समय बिता लेता हूं ।

हमने कहा, क्यों नहीं, हमें भी एक नए व्यक्ति की बाते सुनने को मिलेगी, कब से चारों की बातें सुन सुनकर परेशान हो चुके थे ।

 फिर उसने पूछा आप लोग इतनी रात को क्या कर रहे हो यहाँ, क्या आप लोगों को नहीं पता कि यहाँ एक मानव-भेड़ियाँ घूमता रहता हैं ।

हम सब हंसने लगे और कहने लगे ऐसा कुछ नहीं होता हैं । सब किस्से कहानियों में होता हैं ।

उसने कहा मजाक नहीं हैं ये, मैं जानता हूं एक सच्ची कहानी की कैसे एक खूनी दरिंदा मानव भेड़ियाँ, एक खूनी भेड़ियाँ ना रहा और कैसे भेड़िया मानव को एक लड़की से सच्चा प्यार हो गया और वह उसके लिए कुछ भी करने को तैयार हो गया?

हम बोले चलो सुनाओ वो कहानी हमारा भी वक्त गुजर जाएगा । 

उसने कहानी सुनानी शुरू की-----

मेरी यह कहानी हैं एक भेड़िया की जो अपने अस्तित्व के लिए लड़ रहा हैं। वह कभी जीतता हैं तो कभी हारता हैं लेकिन कभी हिम्मत नहीं छोड़ता हैं। यह भेड़िया मनुष्यों की तरह जीवन व्यतीत करता हैं क्योंकि यह मनुष्य का भी रूप ले सकता हैं। लेकिन सच में यह पहले ऐसा नहीं था, उसे तो ऐसा एक घटना ने ऐसा कर दिया। जो मैं आपको बताने जा रहा हूं।

 बहुत समय पहले की बात हैं कि लकड़हारा था। वह जंगल में जाकर लकड़ियां लाता था और अपना खाना बनाता था। एक बार उसे जंगल में रात हो गई, वह डरने लगा कि कहीं कोई जंगली जानवर उसे काट ना ले। वह हिम्मत करके अपना काम करता रहा। लेकिन एक भेड़िया उसे बहुत दूर से घूर रहा था। वह उसका मांस खाना चाहता था। जब लकड़हारा जाने लगा तो भेड़िया ने पीछे से उस पर हमला कर दिया।

लकड़हारा पहले ही सतर्क हो गया था क्योंकि उसने भी भेड़िया को देख लिया था। उसने बचने की कोशिश की लेकिन वह नहीं बच पाया, भेड़िया ने उसकी गर्दन पर घाव कर दिया। फिर भी उसने हिम्मत दिखाई और वहां से बचकर भाग गया। घर जाकर उसने दवाई ली और कुछ दिनों में वह बिल्कुल ठीक हो गया। वह फिर से अपनी दिनचर्या में लग गया।

लेकिन वह भयानक रात आ ही गयी जो सब कुछ बदलने वाली थी। वह रात पूर्णिमा की रात थी। सुबह से ही उस लकड़हारे का मन किसी काम में नहीं लग रहा था ।उसे आभास हो गया था कि अब कुछ घटित होने वाला है।

 जब रात्रि के 12 बजे, तब उसका शरीर बिल्कुल सुन्न पड़ गया उसके शरीर का आकार बढ़ने लगा और देखते ही देखते वह एक विशालकाय भेड़िया बन गया। पूरे शरीर पर बाल उग आए, हाथ पाँव भयानक नुकीले नाखूनो से भर आये, आंखें हरी रंग की बन गयी, दांत भयंकर मांसाहारी जानवर की तरह बन गए वह पूरी तरीके से मानव भेड़ियाँ में बदल चुका था । 

अब वह शहर की तरफ भागा। उसने सबसे पहले एक

नौजवान को अपना शिकार बनाया जो सड़क पर जा रहा था। फिर वह जंगल में चला गया। अब हर रात वह भेड़िया बनने लगा, उसे भी इसमें मज़ा आने लगा और वह शिकार करने लगा।

धीरे धीरे पूरे शहर में दहशत फैल गई, और सभी लोग घर में छिपकर रहने लगे। सभी ने रात में घूमना बन्द कर दिया।

ये सिलसिला ऐसे ही चलता रहा ।

एक रात को एक बहुत ही सुंदर लड़की अपने घर की बालकनी में खड़ी हुई पूर्णिमा के चांद को निहार रही थी और अपने ख्यालों में गुम कुछ सोच रही थी, तभी उसको ये आभास हुआ कि जैसे कोई उसे छुपकर देख रहा है, वो पीछे मुड़कर देखने ही वाली थी कि उसकी माँ ने अंदर से आवाज दी रोहिणी अंदर आ जाओ खाना नहीं खाना हैं क्या ?

 वह तुरंत भाग के अंदर चली गई, और खाना खा कर सो गई । कुछ देर बाद उसे सोते हुए एक सपना आया, सपने में उसने देखा की वह अपने घर के पास वाले एक जंगल में और वह जंगल में टहल रही हैं आगे उसे दिखा की कहीं दूर एक पेड़ के पास कुछ अजीब सी आवाज आ रही हैं, उसने ध्यान से देखा तो उसे वहां एक जानवर की पूंछ दिखाई दे रही थी वह समझ नहीं पा रही थी कि यह किस जानवर की हैं।

शायद किसी कुत्ते की या भेड़िए की उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था, अजीब अजीब सी आवाजें भी सुनाई दे रही थी ।

वह उस पेड़ के नजदीक गई और उसने देखा वहां पर एक सुंदर युवक हरे रंग की आंखों वाला उसके सामने खड़ा है वह उसे देख कर चौंक गई और पूछने लगी कि तुम इस जंगल में क्या कर रहे हो ? कहां रहते हो ? वह नौजवान कुछ जवाब दे पाता इससे पहले ही घड़ी ने अलार्म की आवाज बजानी शुरू कर दी और रोहिणी की नींद टूट गई उसने घड़ी में समय देखा और उठकर जल्दी जल्दी कॉलेज के लिए तैयार हो गई।

 जब वह कॉलेज पहुंची तो वहां पर एक दो अध्यापक के अलावा अन्य कोई अध्यापक मौजूद नहीं था। इसलिए उसके सभी क्लासेस खाली ही जा रही थी।

तो वह पार्क में एक बेंच पर अकेली बैठकर रात वाले सपने के बारे में सोचने लगे तभी उसे एहसास हुआ कि जैसे कोई उसके पास आकर खड़ा हो गया हैं। उसने अपना सिर ऊपर करके देखा तो वह अचंभित रह गई, उसके सामने वही हरी आंख वाला लड़का खड़ा था। जिसको उसने सपने में देखा था।

लड़की ने उससे पूछा कि तुम कौन हो, यहां क्या कर रहे हो ?

 लड़के ने जवाब दिया की मेरा नाम आकाश हैं, मैं इस शहर में नया आया हूं। आज ही इस कॉलेज में एडमिशन लिया हैं मेरा कोई दोस्त नहीं है। तुम्हें यहां अकेले बैठा देखा तो सोचा की तुमसे बातें कर लू, फिर रोहिणी ने पूछा तुम कौन सी कक्षा में पढ़ते हो?

 आकाश ने जवाब दिया की मैं बी. कॉम. फर्स्ट ईयर का छात्र हूं रोहिणी झट से बोली, अरे मैं भी तो उसी क्लास में पढ़ती हूं फिर दोनों बातें करते रहे और कॉलेज की छुट्टी के बाद दोनों अपने अपने घर चले गए।

 अब वह दोनों रोज कॉलेज में मिलते और रोज बातें करते यह सिलसिला काफी दिनों तक ऐसे ही चलता रहा ।

धीरे धीरे दोनों एक दूजे के काफी नजदीक आ चुके थे अब दोनों एक दूसरे को बहुत प्यार करने लगे थे ।

एक दिन रोहिणी अपने घर पर अकेली बैठी हुई बोर हो रही थी, उसने सोचा क्यों ना थोड़ी देर बाहर जंगल की ओर घूम कर आ जाऊँ और वह जंगल की ओर घूमने निकल गई।

थोड़ी दूर आगे चलकर उसने देखा कि कोई उसे काफी देर से टकटकी बांधे हुए देखे जा रहा है उसे लगा की जैसे कोई भेड़िया उसे घूर रहा है और उस पर हमला करने वाला हैं, परंतु वह भेड़िया सिर्फ उसे देखे जा रहा था और अपनी जगह से हिल भी नहीं रहा था। रोहिणी कुछ समझ नहीं पाई और वो काफी डर चुकी थी। डर के मारे उसकी कँपकँपी छूटने लगी थी और वह भागते भागते अपने घर पहुंची डरी सहमी सी वह अपने बिस्तर में जाकर लेट गई थोड़ी देर बाद उसकी मां ने उसको आवाज़ लगाई, परन्तु रोहिणी अभी भी डर से कांप रही थी, जब मां को रोहिणी का कोई भी उत्तर नहीं मिला तो माँ उसके कमरे में गई और उससे पूछा कि क्या हुआ बेटा?

माँ देख चुकी थी कि वह डरी हुई है, रोहिणी माँ के गले लगी और जोर जोर से रोने लगी रोते-रोते उसने बताया कि मां हमारे पास वाले जंगल में बहुत ही भयानक भेड़ियाँ है, बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचाकर आई हूं आज, माँ ने बोला तू घबरा मत मैं अभी वन विभाग को फोन करके भेड़िए के बारे में बताती हूं, वो उसको पकड़ कर ले जाएंगे या इसे कहीं और घने जंगल में दूर छोड़ आएंगे फिर रोहिणी आंखें बंद करके सो गई।

कुछ देर बाद माँ रोहिणी को जगाने आई, उठ जा बेटा देख तेरा कोई कॉलेज वाला दोस्त मिलने आया है।

रोहिणी ने बाहर आकर देखा तो सामने उसके आकाश खड़ा था।

आकाश में उससे से कहा चलो आओ आज हम कहीं बाहर घूमने चलते हैं, रोहिणी ने कुछ पल सोचा और सोचा चलो आकाश के साथ घूम कर आती हूँ, शायद मेरा मन हल्का हो जाए और मेरा मूड भी ठीक हो जाए ।

 फिर वह दोनों बाहर चले गए चलते चलते रोहिणी ने आकाश से पूछा कि हम कहां जा रहे हैं । आकाश ने बोला आज मैं तुम्हें अपने घर ले जा रहा हूं और वहां मैं तुम्हें अपने परिवार वालों से मिलवाऊंगा ।

 फिर वह दोनों बातें करते हुए आगे चलते रहे, आकाश उसे जंगल की तरफ ले जा रहा था। रोहिणी ने कहा यह कहां ले जा रहे हो इस रास्ते पर तो भयानक जंगल आता है। आकाश ने बोला कि मेरा घर इस तरफ ही है ।

मैं यहीं रहता हूं, फिर वह दोनों आगे चलते गए । फिर आकाश एक बड़ी सी गुफा के सामने आकर रुक गया।

 रोहिणी उसको देख कर बोली यह कहां ले आए यह तो किसी जानवर की गुफा लगती हैं और तब आकाश ने बोला मैं यहीं रहता हूं तुम अंदर तो चलो।

फिर आकाश और रोहिणी उसमें अंदर चले गए। अंदर जाने के बाद आकाश में अपने परिवार वालों को आवाज लगाई । बोला कि देखो मैं किसे लाया हूं मिलवाने के लिए, थोड़ी देर में वहां से भेड़ियों के गुर्राने की आवाजें आने लगी और दो भेड़िए बाहर निकल कर आए उन्हें देखकर रोहिणी डरने लगी।

डरते डरते बोली आकाश यह दोनों कौन है? मुझे बहुत डर लग रहा ।

आकाश ने कहा डरो नहीं यह मेरे माता-पिता है और फिर वह दोनों तुरंत ही मनुष्य रूप में रोहिणी के सामने आ गए ।

यह सब देखकर रोहिणी बहुत घबरा रही थी, कुछ बोल नही पा रही थी।

 आकाश ने रोहिणी से कहा मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं और मैं तुम्हें अपनी पत्नी बनाना चाहता हूं इसलिए मैं तुम्हें आज अपने माता-पिता से मिलवाने लाया हूं।

यह सुनकर रोहिणी दंग रह गई और बोली कि मैं जानवरों से शादी नहीं कर सकती मुझे जानवर बिल्कुल पसंद नहीं है।

तुम जानवर हो तुम्हारे माता-पिता भी जानवर है ।

यह कहकर रोहिणी वहां से चली गई।

 यह सब सुनकर आकाश के माता-पिता को बहुत गुस्सा आया और वह भेड़िए रूप में वापस आ गए और गुस्से में गुर्राते हुए रोहिणी के पीछे भागे ।

आकाश समझ चुका था कि उसके माता पिता रोहिणी को जीवित नहीं छोड़ेंगे, आकाश भी उनके पीछे भागा लेकिन जब तक आकाश वहाँ पहुँचा तब तक उन्होंने रोहिणी को मार दिया था ।

 रोहिणी को अपने सामने मरा हुआ देख आकाश बहुत दुखी हुआ, वो खुद को इस सब का जिम्मेदार मानने लगा, और फिर उसने अपनी शक्ति से खुद की बलि देकर रोहिणी को जीवित कर दिया ।

 थोड़ी देर बाद जब रोहिणी को होश आया तो उसने देखा कि उसके हाथ में एक कागज का टुकड़ा हैं ।

 उसने उसे खोला और पढ़ा तो उसमें लिखा था कि रोहिणी मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं, इसलिए मैं अपने प्राणों की आहुति देकर तुम्हारा जीवन लौटा रहा हूं, अब तुम इस शहर में मत रहना यहाँ से कही दूर जाकर रहना और अब मैं तुम्हें कभी नहीं मिल पाऊंगा । फिर उसने देखा कि वही पास ही में एक भेड़ियाँ है जिसमें अब प्राण नहीं बचे थे। वो समझ गई ये आकाश ही हैं ।

 रोहिणी थोड़ा विचलित हुई उसकी आंखें नम हुई पर वो सब कुछ भुलाकर अपने घर चली गई ।

कुछ दिनों बाद रोहिणी की माता जी का ट्रांसफर हो गया अब रोहिणी अपनी माताजी के साथ एक नए शहर में थी ।

उधर आकाश के माता पिता को भी अपने किये पर पछतावा हो रहा था कि उन्होंने अपने बेटे को खो दिया । इसलिए उन्होंने पूर्णिमा की रात का इन्तेजार किया इस दिन भेडियो की शक्तियाँ बहुत अधिक बढ़ जाती हैं और कुछ रूहानी शक्ति भी उन्हें मिलती हैं, इसी का फायदा उठाकर उन्होंने अपने बेटे आकाश को फिर से जीवित कर दिया ।

आकाश जीवित तो हुआ परंतु रोहिणी को अभी भी नहीं भुला पा रहा था । एक दिन उसने अपनी शक्ति का प्रयोग करके देखा कि रोहिणी कहाँ पर हैं, तो उसे पता चला कि वो एक नए शहर में हैं और फिलहाल एक नौकर की तलाश में हैं ।

आकाश ने अपना वेश बदला और रोहिणी के घर नौकर का काम करने के लिए उसके घर गया, उसकी माँ ने उसे अपने यहाँ नौकरी दे दी ।

क्योंकि उसने वेश बदला हुआ था तो रोहिणी उसको पहचान नहीं पाई ।

अब आकाश रोज रोहिणी को देखा करता और उसके प्यार को महसूस करता परंतु कुछ कह नहीं पाता, रोहिणी की माँ सुबह ही अपने ऑफिस चली जाती और शाम को घर वापस आती । तब तक रोहिणी अकेली रहती ।

एक दिन पड़ोस के आवारा लड़के रोहिणी के घर में घुस गए और लगे उसको छेड़ने, आकाश से ये सहन नहीं हुआ और अपने असली रूप में आकर सबको उठाकर बाहर फेंक दिया । रोहिणी ने तुरंत आकाश को पहचान लिया और डरती डरती बोली कि तुम तो मर चुके थे फिर यहाँ कैसे ?

आकाश ने उसको सारी बात बता दी । और बोला कि अब मुझे यहाँ से जाने के लिए मत कहना, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं, मैं बस तुम्हारे पास रहना चाहता हूँ, तुम्हारे बिना नहीं रहा जाता हैं, मैं तुम्हें तंग नहीं करूँगा, मुझे यही रहने दो, रोज तुम्हें देख लूँगा तो दिल को तसल्ली मिलती रहेगी ।

रोहिणी उसकी बातों से पिघल गई क्योंकि अंदर ही अंदर प्यार तो वो भी बहुत करती थी उसको पर उसका वो भेड़ियाँ वाला रूप उससे डरती थी और बोली ठीक हैं, तुम यहाँ रह सकते हो ।

 ऐसे दिन बीतते गए, आकाश घर का सारा काम करता रहता और रोहिणी को प्यार भरी नजरों से देखता रहता पर कुछ कहता नहीं ।

रोहिणी को भी उसके होने से सुरक्षा का भाव महसूस होता । एक दिन उसकी माँ ने बताया कि ऑफिस के काम से मैं कल 3, 4 दिन के लिए बाहर जा रही हूं पर क्या करूँ तेरी चिंता सता रही इस तरह तुझे अकेली छोड़ कर कैसे जाऊँ ।

रोहिणी बोली माँ घबराओ नहीं मेरी सुरक्षा के लिए हमारा ये नौकर हैं ना, मैंने तुम्हें बताया नहीं एक दिन कुछ आवारा लड़के घर में घुस आए थे तब इसने ही उनको बाहर उठाकर फेंका था और मेरी जान बचाई थी ।

ठीक है बेटी अब में निश्चिंत होकर जा सकती हूं, माँ बोली ।

 अगले दिन माँ ऑफिस के काम से दूसरे शहर चली गई ।

रोहिणी काफी दिन से आकाश से कुछ बात करना चाहती थी, रात में उसने आकाश को बुलाया और बोली कि आकाश प्यार तो मैं भी तुमसे बहुत करती हूँ मैं तुमसे शादी भी करना चाहती हूँ लेकिन अगर तुम ये भेड़ियाँ का रूप धारण करना छोड़ दो तो और हमेशा के लिए मनुष्य रूप में ही रहो तभी ।

आकाश ने रोहिणी को समझाया कि मैं भी यही चाहता हूँ, परंतु हमें एक श्राप मिला हुआ है, पूर्णिमा की रात को 12 बजे से लेकर 3 बजे तक हमें भेड़ियाँ का रूप अपने आप ही लेना पड़ता है इसको हम रोक नहीं सकते हैं । तुम ऐसा कर सकती हो कि 12 बजने से कुछ देर पहले ही मुझे एक रूम में बंद कर देना 3 बजे के बाद खोल देना ।

रोहिणी ने कुछ देर सोचा और कहा कि हां ये तो हो सकता है पर पहले तुम एक वचन दो की अगर तुमने किसी मनुष्य को मारा या खाया तो तुम्हें उसका प्रायश्चित करना होगा ।

आकाश ने पूछा कैसा प्रायश्चित ?

 रोहिणी बोली कि फिर तुम अपने हाथों से मुझे मार डालोगे और मुझे कभी वापस लाने की कोशिश भी नहीं करोगे ।

आकाश कुछ पल के लिए सहम सा गया और उसने रोहिणी को वचन दे दिया ये जानते हुए की उस पर जो श्राप हैं वो उससे बच नहीं सकता और एक छोटी सी भूल उसे रोहिणी का हत्यारा बना देगी ।

 कुछ देर बाद आकाश में धीरे धीरे परिवर्तन शुरू हो गए उसके शरीर पर बाल आने लग गए, उसने रोहिणी को कहा कि मुझे तुरंत कमरे में बंद कर दो, रोहिणी समझ गई की आज तो पूर्णिमा की रात है और 12 बजने में कुछ मिनट शेष है, उसने तुरंत ही आकाश को एक कमरे में बंद कर दिया ।

 कुछ ही देर में, दरवाजे की घंटी बजती हैं, रोहिणी सोचती हैं कि रात के 12 बजे कौन हो सकता हैं ,

 वो दरवाजा खोलती हैं तो देखती हैं कि वही उस दिन वाले आवारा लड़के हैं । वो रोहिणी को धक्का देते हुए घर में घुस जाते हैं, और कहते हैं कि तुम अपने आप को बहुत खूबसूरत समझती हो ना पर अब तुम खूबसूरत नहीं रहोगी और उसको जमीन पर पटक कर बालो से घसीटते है,

लातों से वार करने लगते हैं।

रोहिणी मदद के लिए चिल्लाने लगती हैं, आकाश कमरे में ये सब सुन रहा होता हैं और गुस्से में और भी खूंखार हो चुका होता हैं, वो बाहर आना चाहता हैं पर रोहिणी को दिया वचन उसको रोक रहा हैं ।

बहुत रोकने के बाद भी वो खुद को रोक नहीं पाता और दरवाजा तोड़कर बाहर आ जाता हैं, रोहिणी लहूलुहान फर्श पर पड़ी हुई हैं, आकाश रोहिणी के सामने जाकर हाथ जोड़कर उससे अपने वचन को वापस लेने की विनती करता हैं, परंतु तब तक रोहिणी बेहोशी में अपनी आंखें बंद कर चुकी होती हैं।

रोहिणी कि आंखें बंद देख आकाश बहुत ही भयंकर तरह से गर्जना करता हैं और उन लड़कों पर टूट पड़ता हैं । और थोड़ी ही देर में वो सबको टुकड़े टुकड़े करके मार डालता हैं ।

 अब उसे लगता हैं कि उसने रोहिणी को दिया वचन तोड़ दिया हैं अब उसको प्रायश्चित करना होगा, लेकिन वो अभी रोहिणी के पास नहीं जाना चाहता हैं, क्योंकि वो भेड़ियाँ मानव के रूप में हैं और यह रूप रोहिणी को भी नुकसान पहुँचा सकता है, लेकिन तब तक रोहिणी होश में आ जाती हैं, वह आकाश को समझाती हैं , पर आकाश को रोहिणी का वचन तोड़ने का बहुत गहरा आघात लग चुका था, उसे लगता हैं कि वो रोहिणी को दिए वचन को निभा नहीं पाया उसने अपने प्यार का भरोसा तोड़ दिया हैं, रोहिणी उसे समझाने का प्रयास करती हैं वो कहती हैं कि इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं हैं वो कुछ नहीं समझता जोर जोर से रोने लगता हैं और प्रायश्चित करने के लिए अपने ही हाथों से रोहिणी को मार डालता हैं ।

 और फिर बहुत ही भयंकर रूप से चांद को देखकर रोने लगता है उसकी आवाज सुनकर सभी जानवर रोने लगते हैं पूरा शहर उसकी गर्जना से थर्राने लगता हैं और फिर वो कही दूर जंगल में चला जाता हैं और फिर कभी किसी को नज़र नहीं आता हैं ।

कहते हैं कि वो अभी भी रोहिणी की यादों में भटक रहा हैं और अब भी खुद को ही दोषी मानता हैं। पूर्णिमा की रात को वो खुद को कैद कर लेता हैं । अब उसने मनुष्य का भक्षण छोड़ दिया हैं।

और इतनी कहानी सुनाने के बाद वह व्यक्ति रुक जाता है, चांद की और देखता हैं और कहता है कि रात बहुत हो चुकी हैं, शायद मेरे साथी मुझे ढूंढ रहे होंगे मुझे चलना होगा ।

फिर मैंने घड़ी की ओर देखा, 12 बजने में कुछ ही मिनट बाकी थे आधी रात होने वाली थी, इसलिए मैंने उससे कहा हमारे साथ यहीं रुक जाओ सुबह चले जाना ।

वो हमें देखकर मुसकुराया और अपनी हरी होती हुई आंखों से हमारी ओर देखते देखते जोरदार छलांग लगाकर वहाँ से गायब हो गया।

और उसके इस तरह जाते ही मेरे दिमाग में केवल एक ही शब्द याद आता है मानव-भेड़िया (वेयर वुल्फ )।

उस जगह पर बहुत सी ऐसी ही मानव-भेड़िये को देखे जाने वाली घटनाये हुई हैं ।

और सच बताऊँ तो अब मैं उस जगह पर कभी नहीं जाना चाहता हूँ।


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