Amit Joshi

Drama Inspirational Romance

2.1  

Amit Joshi

Drama Inspirational Romance

समय और एहसास

समय और एहसास

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यह एक आम दिन था  मेरे ऑफिस का, घडी दिन के १२ बजा रही थी  और रोज़ की तरह मेरी नज़रे अपने कंप्यूटर की स्क्रीन पर गडी हुई थी, एक मुश्किल प्रोजेक्ट में जो समय के साथ खिचता ही चला जा रहा है और खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है ।

‘कब तक हो जाएगा सुमित यह खत्म, आज दे देंगे क्या हम क्लाइंट को डिलीवरी ! बॉस ने मेरे केबिन में आते ही बड़ा ही बेहूदा सवाल पूछा ।

‘सर कल बताया था मैंने, अभी तो बहुत काम बाकी है इसमें, १ हफ्ते से पहले खत्म नहीं होने वाला, अभी तो आधा भी नहीं हुआ ।’

‘HURRY UP सुमित, HURRY UP, डिलीवरी देनी है, टाइम पर नहीं दी तो क्लाइंट आर्डर कैंसिल कर देगा ।’

‘सर हो जाएगा फिनिश नेक्स्ट मंडे तक ।’

‘हरी अप माय बॉय हरी अप ।’ कहकर बॉस अगले एम्प्लोयी की तरफ बड गया ।

बॉस के सामने मैंने हां में सर हिलाया और  उसके पीठ मेरी तरफ घुमाते ही सर गुस्से में झटका और फिर मैं अपने काम में व्यस्त हो गया ।

‘ओह अगले हफ्ते वैलेंटाइन है, हर वेबसाइट पर वैलेंटाइन के गिफ्ट बिकने शुरू हो गए है, वेब पेज पर नए नए गिफ्ट्स के खुलते पॉप अप्स मेरा ध्यान अपनी तरफ आकर्षित कर रहे थे  ।

तभी सोनिया के SMS की बीप ने मेरा ध्यान कंप्यूटर स्क्रीन से मोबाइल स्क्रीन की तरफ किया । लिखा था : ‘कब तक घर आओगे आज?

‘पिछले कई महीनो से इस प्रोजेक्ट की वजह से पिछले कई महीनो से मैं रात को 10 बजे के बाद ही घर पहुचता हूँ और उसे टाइम ही नहीं दे पा रहा हूँ, शायद आज उसे फिर उम्मीद होगी कि मैं जल्दी घर आऊंगा ।

‘कह नहीं सकता अभी से, शाम तक बताऊंगा, अभी बहुत काम है । मैंने तुरंत SMS का रिप्लाई किया ।

उधर से कोई रिप्लाई नहीं आया । पर मेरा दिल फिर भी जवाब पड़ सकता था ।

‘क्या ऐसे ही बीत जायेगी जिंदगी काम करते हुए? क्या अब मैं और सोनिया दुबारा चाहकर भी फुर्सत के पल नहीं बिता सकते?  क्या जिंदगी में हर चीज़ एक ही बार होती है? ऐसा क्यों होता है कि हम चाहकर भी पुराने लम्हे दुबारा नहीं जी सकते ? और अचानक से मेरा  दिल पुरानी यादो में बह गया ।

‘सच में वो भी क्या दिन थे शादी से पहले जब मैं और सोनिया मिलते थे ‘दिल्ली हाट’ में, वो और मैं अक्सर अपने-अपने ऑफिस से हाफ डे में किसी न किसी बहाने से बंक मारकर मिल ही लेते थे, वहा घंटो बैठे रहते थे, खूब खाते पीते थे और मौज मस्ती करते थे । बहुत मजा आता था, पर शादी के बाद पिछले 4 सालो से मैं दिल्ली हाट ही नहीं गया न अकेले और न ही सोनिया के साथ ।’ टाइम ही नहीं मिलता..... काश वो दिन वापस आ पाते !

‘काश फिल्मो की तरह मेरे पास भी एक टाइम मशीन होती जो मुझे दुबारा 4 साल पहले वाले टाइम में पंहुचा देती जब मेरी सोनिया से शादी नहीं हुई थी और हम दुबारा से उन लम्हों को जी पाते ।’ पर अफ़सोस टाइम मशीन सिर्फ फिल्मो और कहानियों में ही होती है, रियल लाइफ में नहीं । मैंने घड़ी की तरफ देखा और यह सोचकर और उदास हो गया ।

‘पर अगले ही पल मुझे एक ख्याल आया, क्यों नहीं आ सकता वो समय वापस ! कितना मुश्किल है ! मैं भी इसी धरती पर हूँ, सोनिया भी इसी धरती पर है और ‘दिल्ली हाट’ भी अपनी अपनी जगह है । करना क्या है आज भी तो पहले की तरह सिर्फ मुझे एक बहाना मारना है और ऑफिस से छुट्टी । पहले भी तो मैं ऐसे ही करता था ।

नहीं नहीं .....पर तब बात कुछ और हुआ करती थी तब मेरे पास खोने को कुछ ज्यादा नहीं था, आज मेरे उपर जिम्मेदारी है, अगर बॉस नाराज हो गया तो जॉब जा सकती है और फिर घर कैसे चलेगा नहीं नहीं मैं कही नहीं जाऊँगा, यह बचपना अच्छा नहीं लगता । मैंने घडी की तरफ देखा लंच टाइम होने में सिर्फ 20 मिनट बचे थे । तभी मोबाइल पर SMS की आवाज ने मेरा ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया, सोनिया का रोता हुआ इमोटी मेरी स्क्रीन पर फ़्लैश हो रहा था ।

मैं इमोशनल हो गया,  मैंने अचानक से सोनिया को आवेश में आकर SMS कर दिया । ‘आ जाओ मेट्रो पकड़कर २ बजे तक ‘दिल्ली हाट’ में बहुत साल हो गए हुए ।’

आ रही हूँ, तुमसे पहले पहुँच रही हूँ, बाय .. सोनिया का तुरंत रिप्लाई आ गया ।

‘ओह नो,  यह क्या किया मैंने, फंस गया, अब तो जाना ही पड़ेगा ।’ लेकिन बॉस से छुट्टी लेना वो भी इस प्रोजेक्ट की डेडलाइन के बीच ! ऐसा क्या बहाना बनाऊ कि, मेरे दिमाग में तरह तरह के आडिया आने लगे ।

‘सर वाइफ की तबियत ख़राब है, मुझे घर जाना पड़ेगा, मैं रोता सा मुह बनाकर बॉस के केबिन में जाकर खड़ा हो गया, साथ ही मैं मन ही मन मैं इस गलत काम के लिए भगवान् से माफ़ी भी मांग रहा था ।

‘क्या, क्या हुआ अचानक ? बॉस ने मुझे उपर से नीचे तक देखते हुए कहा ।

‘सर पता नहीं अभी अभी फ़ोन आया था घर से, मुझे जाना पड़ेगा ।’ मैंने चेहरा और बुरी तरह से लटका लिया ।

ह्म्म्म.....देख लो....काफी काम है...........अभी फिर ईमेल आया था क्लाइंट का वो काम की अपडेट पूछ रहा था ।

मैं चुप- चाप खड़ा रहा । मैंने कोई जवाब नहीं दिया ।

अच्छा ठीक है जाओ पर कोशिश करना जितना जल्दी वापस आ जाओ, बॉस ने मरे मन से कहा ।

‘मैं देखता हूँ सर.... तो मैं जाऊं क्या ? मैंने घडी की तरफ देखा, मेरे हिसाब से अब तक तो सोनिया आधे रास्ते तक पहुच गयी होगी ।

‘हम्म जाओ ।’ बॉस ने बेमन से सिर्फ इतना भर कहा और फिर अपने कंप्यूटर पर काम करने लगा ।

‘मैं फटाफट ऑफिस से बाहर निकला, अपनी गाडी स्टार्ट की और अगले 30 मिनट में गाडी  दिल्ली हाट के बाहर पार्किंग में लगा दी ।

‘गेट के बाहर पहुचते ही सोनिया का फ़ोन आया ।

‘मैं अन्दर पहुच चुकी हूँ, असाम स्टाल पर आ जाना ।

‘ठीक है ।’ कहकर मैंने टिकेट काउंटर से टिकेट ली और दिल्ली हाट के अन्दर प्रवेश किया ।

जैसे ही मैं गेट से अन्दर घुसा मैंने चारो तरफ नज़रे दौड़ाई, पता नहीं क्यों मैं भावुक हो गया, कहने को यह सिर्फ एक जगह भर है पर मैं चूंकि बहुत सालो बाद आ रहा था तो मैं नास्टैल्जिया फील कर रहा था । ‘कितनी सारी यादें जुडी है मेरी यहाँ से ।’ मैंने मन ही मन सोचा, कुछ भी तो नहीं बदला, मैंने देखा सब कुछ वही है जैसा पहले हुआ करता था, वही लाल रंग की दीवारे, वही हेंडीक्राफ्ट की दुकाने, वही सब राज्यों के फ़ूड पवेलियन ।’

मैं थोडा आगे बड़ा, हमेशा की तरह एक बूडा आदमी सारंगी बजा रहा था । उसके आगे चावल के दाने पर आपका पूरा नाम लिखने वाला और उसके पड़ोस में आपके लाइन स्केच बनाने वाला आर्टिस्ट बैठा था, सारे चेहरे वही थे । एक यंग कपल बैठकर स्केच आर्टिस्ट से अपने स्केचेस बनवा रहा था, मुझे याद आया कि कैसे एक दिन मैंने और सोनिया ने भी इसी आर्टिस्ट से अपने स्केचेस बनवाये थे ।

आगे से बाए मुड़ते ही सोनिया असम स्टाल के बाहर पत्थर की बेंच पर बैठी हुई थी, मुझे देखते ही हमेशा की तरह हल्का सा मुस्कुराई, पहले भी वो मुझे दिल्ली हाट में सबसे पहले इसी स्टाल पर बैठी मिलती थी, मैं जाकर उसके सामने वाली सीट पर बैठ गया ।

‘आज कैसे टाइम मिल गया तुम्हे और यह अचानक दिल्ली हाट कैसे याद आ गया ? मेरे बैठते ही सोनिया ने पहले बनावटी गुस्से और फिर मुस्कराहट के साथ सवाल किया ।

‘अरे यार आज मैं तुम्हे मिस कर रहा था, मुझे पुराना वक़्त याद आ रहा था , तुम्हे तो पता है इस जगह से हमारी कितनी यादें जुडी हुई है, तुम यही एम्स में काम करती थी और दिन में यहाँ तक पैदल ही आ जाया करती थी, और मैं, मैं बस पकड़कर आता था कितनी दूर से  सब काम धाम छोड़कर, कितना मजा आता था न यहाँ, हम जितनी भी देर रहते थे, खूब खाते पीते थे, दिन कब गुजर जाता था पता ही नहीं लगता था तो मैं आज में सोच रहा था कि क्या वो समय दुबारा नहीं आ सकता फिर सोचा जा सकता है, कितना मुश्किल है ।’ इसलिए तुम्हे भी बुला लिया दरअसल मैं वो लम्हे दुबारा से जीना चाहता हूँ ।’ मैंने सोनिया की आँखों में देखते हुए कहा ।

‘हम्म तो यह बात है वही मैं सोचु कि आज तुम्हे क्या हो गया है कि अचानक दिल्ली हाट बुला रहे हो ! वैसे मैं भी इस जगह को बहुत दिनों से मिस कर रही थी पर तुम तो घर में टाइम नहीं दे पाते दिल्ली हाट तो बहुत दूर की बात है ।’

हम्म सही बोल रहे हो वैसे अच्छा लग रहा है यहाँ आकर ।’ सोनिया ने चारो तरफ नज़रे  घुमाते हुए कहा ।

अच्छा बताओ क्या खाओगे ? सोनिया ने पूछा ।

‘वही फ्रूट बियर पिला दो, इस स्टाल की तो वही मशहूर ड्रिंक है, तुम्हारी फेवरिट जो धीरे धीरे मुझे भी अच्छी लगने लगी थी ।’ मैंने मुस्कुराते हुए कहा ।

‘ओह तो तुम्हे अब तक याद है ।’ सोनिया ने कहा ।’

‘समय ही कितना बीता है? मुझे सब याद है । मैंने कहा ।

‘ठीक है मंगवा देते है ।’ सोनिया ने कहा ।

‘भैया इधर आना, सोनिया ने वेटर को आवाज लगाकर उसे अपनी तरफ बुलाने का इशारा किया, वेटर एक कस्टमर का आर्डर ले रहा था उसने कुछ देर में आने के लिए हाँ में सर को हिलाया ।

‘अरे सोनिया पहचाना इसे यह वही साउथ इंडियन वेटर है यह भी नहीं बदला ।’

‘हम्म सही कह रहे हो जब से यह भी यही नौकरी कर रहा है, देखे हमे पहचानता है कि नहीं ।’ सोनिया ने कहा ।

वेटर हमारे पास आकर खड़ा हो गया, वो हमे देखकर मुस्कुराया पर उसकी मुस्कराहट से यह अंदाज़ा लगाना मुश्किल था कि वो हमे पहचान कर खुश है या फिर वो हमे सिर्फ एक और कस्टमर समझकर मुस्कुरा रहा है ।’ खेर जो भी हो मुझे उसे हमारी पहचान याद दिलाने की जरुरत महसूस नहीं हुई ।

‘ऐसा करो २ फ्रूट बियर ले आओ । मैंने कहा ।

‘सर और कुछ ।’

‘नहीं अभी बस इतना ही ।

‘ठीक है ।’ कहकर वेटर चला गया ।

‘वैसे भी यहाँ की सिर्फ फ्रूट बियर ही अच्छी है ।’ उसके जाते ही सोनिया ने कहा ।

कुछ ही देर में वेटर ने हमारे सामने फ्रूट बियर रख दी ।

‘चियर्स’ दुबारा से यहाँ मिलने की ख़ुशी में ।’ मैंने सोनिया के गिलास से गिलास टकराते हुए कहा और पहला सिप पिया ।

‘म्मम्म.....मजा नहीं आया यार, वो स्वाद नहीं है पहले वाला, पहला घूँट पीते ही मैंने मुह बनाते हुए कहा ।

इससे पहले कि सोनिया कुछ जवाब देती, मैंने वेटर को हाथ के इशारे से अपनी तरफ बुलाया ।

‘जी सर । वेटर ने आते ही कहा ।

‘यार यह फ्रूट बियर बदल दी है क्या ? कडवी सी लग रही है, वो टेस्ट नहीं है ।’

‘नहीं सर वही है, हम तो पिछले 20 सालो से एक ही ब्रांड का माल रखते है, कभी कोई शिकायत नहीं आई आज तक ।’ देखिये उन कस्टमर को उनको भी दी है ।’ वेटर ने दूसरी बेंच पर बैठे एक यंग कपल की तरफ इशारा किया जो एक ही गिलास में एक ही स्ट्रॉ से फ्रूट बियर पी रहे थे ।

‘अरे भाई हम भी काफी टाइम से पी रहे है तुम्हारे स्टाल पर, पर वो पहले वाली बात नहीं है, तुम्हे याद हो अगर हम पहले भी आते थे यहाँ पर 6-7 साल पहले ।’ मैंने वेटर को अपनी शक्ल याद दिलाने की कोशिश की ।

‘हाँ सर मुझे याद है पर हमारी क्वालिटी भी सालो से वही है वो भी नहीं बदली ।’ वेटर ने नरम आवाज में पर भरोसे के साथ कहा ।

इससे पहले कि मैं कुछ और बोलता, सोनिया ने मुझे हल्की सी आँख झपका कर चुप रहने का इशारा किया ।

‘ठीक है यार जाओ ।’ मैंने बियर के गिलास में स्ट्रॉ से बर्फ घुमाते हुए कहा ।

‘ठीक तो है स्वाद तुम बेकार में शिकायत कर रहे हो,  वैसे भी तुम्हे पहले भी कौन सी अच्छी लगती थी यह बहुत, तुम्हे तो मैंने ही पीनी सिखाई थी ।’ सोनिया ने अपना सिप पीते हुए कहा ।

‘ह्म्म्म । मैंने बस इतना ही कहा और अपने आस पास देखने लगा, दूर कोने में एक प्रेमी जोड़ा एक दुसरे की आँखों में आँखें डालकर बैठा हुआ था ।

‘क्या हुआ अब उन्हें क्यों घूर रहे हो? सोनिया ने अपनी फ्रूट बियर का गिलास नीचे रखते हुए कहा ।

‘कुछ नहीं ।’ मैंने सोनिया की उंगलियों पर हल्का सा हाथ रखा ।

‘अच्छे से पकड़ लो, डर क्यों रहे हो, लो  ।’ सोनिया ने अपना हाथ मेरी तरफ बढ़ाते हुए कहा ।

मैंने सोनिया का हाथ पकड़ा और उसकी आँखों में आँखें डाली, पर मुझे वो बात नज़र नहीं आई ।

‘यार मजा नहीं आ रहा सोनिया ।’ मैंने सोनिया के हाथो पर अपने हाथ फेरते हुए कहा ।

‘तुम्हारे पास आकर बैठ जाऊ ? जैसे वो कपल बैठे हैं । सोनिया ने मुझे छेड़ते हुए कहा ।

‘नहीं नहीं ......मैं सच बोल रहा हूँ, मजा नहीं आ रहा ।’ यार पहले कितना मजा आता था न जब हम यहाँ बैठते थे और फ्रूट बियर पीते थे ।’ मैंने कहा ।

‘कहाँ पीते थे बियर ! तुम तो मुझे बस किसी तरह छूने की कोशिश में ही लगे रहते थे । कहकर सोनिया की हसी छूट पड़ी ।

‘ह्म्म्म....तब बात कुछ और थी जो मजा तब था वो आज नहीं है जब तुम मेरे पास हो और मुझे पूरी आज़ादी है फिर भी ।’ मैंने कहा ।

‘तुम्हे भूख लग रही है ।’ है न ।’ कहकर सोनिया अचानक जोर जोर से हंसने लगी ।

‘तुम गलत समझ रही हो, मैं तुम्हे कैसे समझाऊ? वो बात नहीं है, मुझे लगा था.....

‘कुछ समझाने की जरुरत नहीं है, चलो राजस्थानी स्टाल पर तुम्हे तुम्हारी वाली प्याज वाली कचोडिया खिलाती हूँ ।’ सोनिया ने अपना हाथ छुड़ाकर उठते हुए कहा ।

‘ह्म्म्म........ चलो चलते है .........बहुत साल हो गए उसे भी खाए ।’ मैंने बिल का पेमेंट किया और फिर हम राजस्थानी स्टाल की तरफ चल दिए ।

राजस्थानी स्टाल भी बिलकुल वैसा ही था जैसा मैं उसे सात साल पहले छोड़कर गया था स्टाल पर सारे राजस्थानी व्यंजन रखे हुए थे, मिर्ची का बड़ा, मूंग की दाल का हलवा, राजस्थानी थाली, आम पन्ना आदि, सारे वेटरो ने राजस्थान की पारंपरिक पोशाक पहनी हुई थी । हमने एक वेटर को हाथ के इशारे से अपने पास बुलाया ।

‘भैया एक प्लेट प्याज वाली कचोडी लाना, आलू की सब्जी के साथ ।’ वेटर ने हाँ में सर हिलाया ।

‘देखू तो अब कितना कर दिया इन्होने रेट कचोडी का.....सोनिया ने मेनू कार्ड में कचोडी को ढूँढ़ते हुए कहा ।

‘बाप रे 100/- रुपये की कर दी, सुमित हम 20/- रुपये में खाते थे, 1 सिंगल कचोडी इतनी महंगी कर दी इन्होने , रहने दे क्या? सोनिया ने परेशान होते हुए कहा ।

‘धीरे बोलो, पागल हो क्या? पैसे क्यों देख रही हो, हम खाने आये है, जितनी मर्ज़ी खानी है खाओ, बहुत पैसे है मेरे पास ।’ मैंने सोनिया को हल्का सा डांटते हुए कहा ।

‘थोड़ी देर में ही वेटर ने कचोडी हमारे सामने लाकर रख दी ।

‘लो तुम पहले खाओ, सोनिया ने कहा ।

‘मैंने कचोडी में से पहला पीस खाया फिर सोनिया ने खाया ।

‘कैसा है स्वाद ? सोनिया ने पूछा ।                                 

‘ठीक है पर..............

‘पर क्या ?

‘यार पता नहीं पर वो बात नहीं है, हां टेस्ट ठीक है पर मजा नहीं आ रहा, अब मैं तुम्हे कैसे बताऊ, तुम नहीं समझोगी ।’ कहकर मैं कही शून्य में देखने लगा । मुझे एहसास हो रहा था कि वो बात नहीं रही जो चार साल पहले हुआ करती थी, न मुझे खाना बहुत अच्छा लग रहा है और न ही सोनिया का साथ मुझे अति उत्साहित कर रहा है, आस पास की चीज़े पहले जैसे ही है पर मैं सोचकर आया था कि मुझे यहाँ बहुत मजा आएगा पर मुझे वैसा मजा नहीं आ रहा था अब यहाँ, ऐसा क्यों हो रहा है? मेरी समझ से परे था ।

‘क्या हुआ क्या सोच रहे हो ? खत्म करो कचोडी तुम तो खा ही नहीं रहे पहले तो तुम ही खत्म करते थे ।’ सोनिया ने एक छोटा सा कचोडी का टुकड़ा अपने चम्मच से तोड़ते हुए कहा ।

‘यार सोनिया मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा मैंने तो सोचा था कि इतने सालो बाद आये है हम दुबारा जियेंगे उन पलो को, खूब मस्ती करेंगे और इस जगह को खूब एन्जॉय करेंगे पर मुझे तो बहुत ही बनावटी लग रहा है सब कुछ ।’ ऐसा क्यों हो रहा है?

‘मुझे क्या पता? सोनिया ने कंधे उचकाते हुए कहा और कचोडी खाने लगी ।

‘कचोडी खाकर हम दोनों दिल्ली हाट में ही टहलने लगे, सोनिया की नज़रे आस पास की हेंडीक्राफ्ट के सामानों पर बार बार आकर रुक जा रही थी ।

‘खरीद लो कुछ? मैंने सोनिया से कहा ।

‘पैसे है जेब में ! या फिर आज भी पहले की तरह डेबिट कार्ड लेकर आये हो ? यहाँ डेबिट कार्ड नहीं चलते ।’ सोनिया ने ताना मारते हुए कहा ।

‘यह लो पर्स इसमें काफी केश है, जो मर्ज़ी चाहे खरीद लो ।’ मैंने झट से अपनी जेब से नोटों से भरा पर्स निकालकर सोनिया की तरफ बढाया, सोनिया एक पल के लिए मुस्कुराई और फिर मेरे हाथ से पर्स लेकर उसने उसे अपने बड़े वाले पर्स में डाल लिया और अकेले ही अर्तिफ़िशिअल ज्वेलरी की दुकानों की तरफ बड गयी । मैं हमेशा की तरह उसके पीछे पीछे चलने लगा ।

मुझे याद आया पहले मैं पहले सोनिया से मिलने जल्दबाजी में आता था तो अक्सर बिना ज्यादा केश लिए ही आ जाता था यह सोचकर कि रास्ते में एटीएम से केश निकाल लूँगा पर जल्दी मिलने के चक्कर में वो भी भूल जाता था और फिर जब भी कोई शौपिंग की नौबत आती तो मैं सोनिया को अपना डेबिट कार्ड दिखा देता, छोटी दुकान वाले डेबिट कार्ड नहीं लेते थे, एक दो बार सोनिया को लगा कि मैं गलती से केश लाना भूल गया पर बाद में उसे मेरा डेबिट कार्ड मेरा पैसे न खर्च करने का बहाना लगने लगा और फिर धीरे धीरे उसने मेरे सामने शौपिंग करने की डिमांड करनी छोड़ दी ।

सोनिया बहुत देर से  दुकानों पर माल टटोल रही थी पर उसे कुछ पसंद नहीं आ रहा था, थोड़ी देर बाद वो मेरी तरफ पलटकर बोली ।

‘कुछ नहीं लेना चलो यहाँ से ।’

‘क्यों, क्या हुआ पैसे है ले लो ।’

‘बात पैसो की नहीं है, पसंद भी तो आना चाहिए कुछ ! सोनिया ने कहा ।

ह्म्म्म....बड़ी अजीब सी बात है, पहले पैसे नहीं होते थे तो तुम बहुत कुछ खरीदना चाहती थी, आज पैसे है तो तुम्हारा मन नहीं है ।’ मैं हल्का सा नाराज होते हुए बोला ।

‘तुम तो बुरा मान गए सुमित ।’ मुझे वाकई में कुछ पसंद नहीं आ रहा वरना मैं खरीद लेती और वैसे भी मेरे पास सब कुछ है घर पर । और तुम्हे तो खुश होना चाहिए मैंने तुम्हारे पैसे बचा लिए ।’ सोनिया ने मुस्कुराते हुए मेरा पर्स मेरी तरफ वापस बढ़ाते हुए कहा ।

‘ह्म्म्म....जैसी तुम्हारी मर्ज़ी ।’ कहकर मैंने अपना पर्स अपनी जेब में रख लिया ।

‘अरे सुमित वो देखो स्केच वाला चलो स्केच बनवाते है, चार सालो में हमारी शक्ल कितनी बदल गयी है बनवा कर देखते है स्केच, घर जाकर मिलायेंगे अपने पुराने वाले स्केच से ।’ सोनिया ने स्केच आर्टिस्ट की तरफ इशारा करते हुए कहा ।

‘हाँ-हाँ चलो’

पहले तुम बनवाओ अपना स्केच ।’ मैंने कहा'

‘ठीक है’ सोनिया ने कहा और अपना पर्स मुझे पकडाया और स्केच आर्टिस्ट के सामने कुर्सी पर बैठ गयी, स्केच आर्टिस्ट सोनिया का स्केच बनाने लगा । मैं भी तब तक अपना  टाइम पास करने के लिए मोबाइल पर फेसबुक पर लॉग इन करके बैठ गया । तभी बॉस का sms आया, वो पूछ रहा है कि कब तक वापस ऑफिस आओगे, क्लाइंट का फ़ोन आ रहा है बार बार ।

क्या जवाब दूं, क्या जवाब दूं, काफी देर तक मैं सोचता रहा, मैंने कोई जवाब न देना ज्यादा बेहतर समझा ।’ पर अन्दर ही अन्दर मैं डर रहा था । मैं दुबारा से फेसबुक पर आ गया ।

‘देखो कैसा है? सोनिया ने अपना स्केच मेरी तरफ बढ़ाते हुए कहा । मैंने इन्टरनेट पॉज किया और स्केच की तरफ देखा ।

‘हम्म अच्छा है ।’ कितने पैसे हुए भैया? मैंने स्केच आर्टिस्ट से पूछा ।

300/- रुपये ।

अरे कोई सलाह नहीं दोगे? पहले तो बहुत देते थे कि नाक ठीक नहीं बनायी या फिर आँख छोटी बना दी । सोनिया ने मुझे टोकते हुए कहा ।

‘नहीं-नहीं अच्छा तो बना है, ऐसी ही दिखती हो तुम अब । मैंने पैसे स्केच आर्टिस्ट की तरफ बढ़ाते हुए कहा ।

‘अरे तुम भी तो बनवाओ अपना फिर एक साथ देना ।’ सोनिया ने कहा ।

नहीं यार मन नहीं है मेरा, फिर कभी । मैंने धीरे से कहा और उठकर चलने लगा ।

‘क्या हुआ सुमित? मैं देख रही हूँ जब से हम यहाँ आये है तुम एन्जॉय नहीं कर रहे तुम्हे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा । सोनिया ने मेरे साथ चलते हुए कहा ।

‘नहीं ऐसी बात नहीं है ’ मैंने अपने चेहरे पर आई उदासी को छुपाते हुए कहा ।

‘नहीं ऐसी ही बात है पहले तो तुम कितना एन्जॉय करते थे इस जगह को, इसकी हर चीज़ को । सोनिया ने कहा

‘हाँ मैं भी जबसे यहाँ आया हूँ यही सोच रहा हूँ कि वो बात नहीं है जैसा मैंने सोचा था, मुझे यहाँ की किसी भी चीज़ में वो मजा नहीं आ रहा जो पहले आया करता था, शादी से पहले जब हम यहाँ आया करते थे, ना खाने में मजा है और न ही किसी और चीज़ में ।

ऐसा इसलिए हो रहा है कि अब हमे मिले हुए 7 साल हो गए है और शादी हुए 4 साल अब तक हम एक दुसरे से बोर हो गए है ’ सोनिया ने हँसते हुए कहा ।

‘नहीं तुम उल्टा कह रही हो, हम आज एक दुसरे को पहले से ज्यादा प्यार करते है, अब हमारे बीच पहले की तरह छोटी छोटी बातो पर झगडा नहीं होता है । बात कुछ और है ।

‘नहीं यही बात है ऐसा हर शादी में होता है, मैंने सुना है अपनी सहेलियों से भी, सब यही बोलती हैं । सोनिया ने नाटकीय अंदाज़ में कहा ।

नहीं ऐसा नहीं है । मैंने दुबारा कहा ।

‘तो फिर कैसा है तुम ही बताओ’ सोनिया ने कहा ।

चलो वहाँ बात करते है छाया में बैठकर, यहाँ धूप है । मैंने कोने में छाया में लगी एक पत्थर की बेंच की तरफ इशारा करते हुए कहा ।

‘देखो जहा तक मुझे समझ में आ रहा है मेरे हिसाब से सब चीज़े वही हैं और अपनी जगह है, बस हमारा उन चीजों को देखने का नजरिया बदल गया है, उस नज़रिए पर  वक़्त की एक मोटी परत यानी कि लेयर भी चढ़ गयी है और यह परत काफी सारी चीजों से मिलकर बनी है अमूमन हमारे अनुभवों से ।’

हाँ यह सच है मुझे फ्रूट बियर अच्छी इसलिए लगने लगी थी क्योंकि वो तुम्हे अच्छी लगती थी, मैं फ्रूट बियर इसलिए पीता था ताकि मैं और तुम एक ही स्ट्रा से एक ही गिलास में पी सके, तुम्हारा साथ मिलता था पीने में ।

‘हाँ अब मुझे तुम्हे छूने का डर भी चला गया है यानी पहले भी तुम्हे छूने में जो मजा था वो डर की वजह से ही था और मुझे यह भी याद है कि मैं उस वक़्त चाहता था कि मुझे डर न लगे और न ही तुम मुझे ऐसा करने से टोको पर चूंकि दोनों चीज़े होती थी तो ज्यादा मजा आता था ।

अब आते है कचोडी पर, तब 20/- रुपये हमारे लिए आज के 100/- रुपये से ज्यादा महंगे थे, क्योंकि पैसे गिनती के जेब में होते थे तो खाने में ज्यादा मजा आता था इसलिए मन करता था कि और खाए पर आज मेरे लिए पैसे इतने मायने नहीं रखते इसलिए खाने में भी वो मजा नहीं आ रहा ।’

तुम उस वक़्त शौपिंग करना चाहती थी जब मेरे पास पैसे नहीं थे, इसलिए तुम्हे यहाँ की हर चीज़ पसंद आती थी क्योंकि वो तुम्हारी पहुच से दूर थी और पैसे न होने के बावजूद मेरा भी मन करता था कि मैं तुम्हे हर चीज़ दिला दूं ।’ आज मेरे पास पैसे है तो मैं तुम्हे पूरा पर्स पकड़ा देता हूँ पर अब चूंकि तुम्हारे पास पैसे है और खरीदने की पूरी आज़ादी है तो तुम्हे भी हर दुकान की हर चीज़ खरीदने का मन नहीं करता है ।

‘और अब आते हैं स्केच आर्टिस्ट पर, ‘हाँ मैं स्केच आर्टिस्ट से बहस करता था क्योंकि तब मैं स्केच बनते वक़्त कभी तुम्हे देखता था तो कभी स्केच पेपर पर, आज मेरा ध्यान तुम पर न होकर अपने मोबाइल पर था, बॉस के sms पर था जिसमे लिखा था कि कब वापिस ऑफिस आओगे? मैं अन्दर से घबराया हुआ था, मेरा ध्यान कही और था तो मैं क्या बताऊ कि तुम्हारा स्केच कैसा बना था ।’

और सोनिया सच में मुझे आज एहसास हुआ कि लम्हे दुबारा से क्रिएट तो किये जा सकते है और जीए भी जा सकते है पर हर बीतते समय के साथ-साथ हमारे अनुभव बदल जाते हैं जिससे हमारे उन लम्हों को महसूस करने का तरीका भी बदल जाता है । और फिर हम उन्हें उस तरीके से महसूस नहीं कर पाते जैसा पहले किया करते थे ।

ह्म्म्म.....‘मैं समझ तो रही हूँ पर फिर भी मैं ठीक से समझ नहीं पा रही कोई और उदारहण दो न । ’सोनिया ने कहा’

‘म्मम्मम........ मैं सोचता हूँ कभी कभी एक बात जो शायद यहाँ आज के हमारे अनुभव के  सन्दर्भ में काफी सटीक बैठती है वोह यह है कि क्या तुम दुबारा से अपने बचपन में जाना चाहती हो?

‘क्या बात कर दी तुमने, ऐसा कौन सा इंसान होगा इस दुनिया में जो अपने बचपन में नहीं जाना चाहेगा,  हाँ क्यों नहीं..........काश ऐसा संभव हो पाता । खासकर स्कूल के दिनों में बहुत अच्छे थे वो दिन ।’ कोई टेंशन नहीं थी’ सोनिया ने लगभग उछलते हुए कहा ।

अच्छा तो कैसे जाना पसंद करोगी तुम अपने बचपन में ?

कैसे मतलब ? सोनिया ने पूछा ।

मेरा कहने का मतलब है इसी प्रेजेंट स्टेट ऑफ़ माइंड और समझदारी के साथ यानी इसी CONCIOUSNESS  के साथ या फिर बचपन वाले CONCIOUSNESS  के साथ ।

‘क्या फर्क पड़ता है? सोनिया ने कहा ।

‘पड़ता है तुम बताओ तो ।’ मैंने कहा ।

हम्म....चलो माना इसी प्रेजेंट स्टेट ऑफ़ माइंड और CONCIOUSNESS के साथ । सोनिया ने कुछ पल सोचने के बाद कहा ।

तो फिर तुम एन्जॉय कैसे करोगी, एन्जॉय करने के लिए तो दिल और दिमाग से बच्चा होना जरुरी है, तुम्हे कहाँ पसंद आयेंगे बच्चो वाले खेल, वो छुपन छुपाई, और पकड़म पकड़ाई कुछ ही देर में तुम्हे शर्म आएगी वो खेल खेलने में, क्योकि दिमागी और अनुभव के स्तर पर तुम बड़ी हो इसलिए तुम्हे बच्चो के साथ खेलते हुए लगेगा कि तुम बचकानी हरकते कर रही हो ।  वैसे तुम आसानी से जीत भी जाओगी उन खेलो में बाकी बच्चो से क्योंकि तुम्हे पहले से आते है खेलने तो तुम्हे और मजा भी नहीं आएगा उन्हें खेलने में । तुम अपने साथ के बच्चो से दोस्ती कैसे करोगी, तुम्हारे लिए तो वो बच्चे होंगे, सबकी दोस्ती अपने जैसे विचारों और उम्र वाले लोगो से होती है कहा तुम 30 साल की और कहा वो बच्चे 5-6 साल के,  तुम्हारी दोस्ती हो पाएगी उनसे?

‘तुम स्कूल के टीचरों से भी बात बात में तर्क वितर्क करने लगोगी क्योंकि तुम्हारा और उनका मेंटल लेवल एक ही स्तर पर होगा । न तो तुम उनकी इज्जत करोगी और न ही तुम्हारे लिए उनके लिए मन में सम्मान होगा ।  

‘ह्म्म्म.........बात तो सही है तो फिर मैं बचपने वाले दिमाग और CONCIOUSNESS  के साथ जाना चाहूंगी फिर तो पक्का मजा आएगा । सोनिया ने पूरे विश्वास के साथ कहा ।

‘फिर भी किस बात का मजा फिर तो तुम समझदार नहीं हो, यानी तुम अब 30 साल की नहीं रही, तुम्हे कुछ नहीं पता, तुम अबोध हो, तुम्हे कोई एक्सपीरियंस नहीं है तुम वाकई में  बच्ची हो और बच्चो को तो फिर वही सारी दिक्कते होती है मसलन तुम हर छोटी छोटी बातो में रूठ जाओगी, तुम खिलोनो के लिए रोओगी, तुम स्कूल नहीं जाना चाहती, तुम्हे होमवर्क नहीं पसंद, तुम्हे टीचर से डर लगता है, तुम पूरी छुट्टी का इंतज़ार कर रही हो, तुम्हे माँ बाप की सीख पसंद नहीं, तुम हमेशा खेलना चाहती हो, एग्जाम से तुम्हे डर लगता है और सबसे बड़ी बात तुम जल्दी से बड़ी उम्र में जाना चाहती हो, बड़ा बनकर पैसे कमाना चाहती हो क्योंकि तुम्हे लगता है कि वो ज्यादा आसान है ।’

और चूंकि तुमने बचपने वाली CONCIOUSNESS चुनी है तो तुम्हारे दिल को यह नहीं पता कि तुम बड़े से बच्ची बनकर आई हो और तुम्हे यहाँ बचपन के मजे लूटने है । तुम फिर से बचपन की वही गलतिया दोहराओगी । मैंने कहा ।

‘पर फिल्मो में तो दिखाते है कि लोग टाइम मशीन से पीछे चले जाते है, कभी मजे लूटते है तो कभी कुछ गलत किया हुआ ठीक करके आ जाते है । यानी फिल्मो में गलत दिखाते है, हमे बेवकूफ बनाते है । सोनिया ने भोलेपन से कहा ।

मैं क्या बताऊ, तुम्हे खुद समझ नही आ गया आज ! और तुम्हे क्या मुझे भी आ गया कि अगर आज हमारी जिंदगी में कोई पल आता है तो उसे आज जिस रूप में महसूस किया जा सकता है उसी पल के कल दुबारा आने पर उसी रूप में महसूस नहीं किया जा सकता क्योंकि तब तक दिल और दिमाग पर वक़्त और अनुभवो की एक मोती परत चढ़ गयी होगी जिसकी वजह से हम उसे पहले वाले रूप में महसूस नहीं कर पायेंगे ।

‘ह्म्म्म...तुम ठीक कहते हो’ हर पल जा रहा है, हम रोक नहीं पायेंगे इसे जाने से । सोनिया ने मेरी आँखों में देखते हुए कहा ।

शाम होने लगी थी, हमारे सामने से वो कपल गुजरा जो असाम स्टाल पर एक ही ग्लास में फ्रूट बियर पी रहा था, वो अब आपस में झगड़ रहे थे, लड़का लड़की के पीछे पीछे उसका नाम पुकराते हुए चल रहा था पर लड़की उसे अनसुना करके आगे चली जा रही थी ।

‘अरे इन्हें क्या हो गया, बेचारे कितने खुश थे थोड़ी देर पहले । सोनिया ने उनकी तरफ देखते हुए कहा ।

‘फिर भूल गयी, तुम भी न लेने दो मजे इस पल के, माना थोडा तकलीफ वाला है पर इसका अलग मजा है, ज्यादा समझदारी आने पर यह रूठने मनाने के खेल चले जाते है..... है न ! मैंने कहा ।

‘ह्म्म्म...........चलो मैं भी रूठ जाती हूँ ।’ बहुत दिन हो गए’ कहकर सोनिया उठकर जाने लगी ।

पर किस बात पर यह तो बताती जाओ । मैंने सोनिया के पीछे चलते हुए कहा ।

बता दिया तो फिर मजा किस बात का ! चलो मान लो तुम बहुत दिनों से लेट घर आ रहे हो इसलिए । सोनिया ने कहा ।

चलो आज मैं 5 बजे घर पहुच जाता हूँ । मैंने कहा ।

‘क्या यानी आज अब यहाँ से ऑफिस नहीं जाओगे ! सोनिया ने पलट कर देखा उसके चेहरे पर एक बड़ी मुस्कराहट आ गयी थी जो काफी दिनों से मेरे लेट आने की वजह से कही गुम  हो गयी थी ।

‘नहीं’

क्यों ?

क्योंकि तुम बीमार हो इसलिए !

क्या ? सोनिया ने आश्चर्य के साथ तेज़ आवाज में पूछा ।

हाँ तुम्हारी बिमारी का बहाना बना कर आया हूँ ।’ मैंने धीरे से कहकर सर झुका लिया ।

तो इसमें शर्माने वाली क्या बात है, तुमने मेरी ख़ुशी के लिए झूट बोला, चलता है यह सब तो । सोनिया ने मेरा हाथ पकड़ते हुए कहा ।

मैंने सोनिया की आँखों में देखा आज वहाँ बहुत सारा प्यार उमड़ रहा था ।

 


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