हरि शंकर गोयल

Romance

4  

हरि शंकर गोयल

Romance

बदलते रिश्ते

बदलते रिश्ते

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रिश्ते भी एक धाराप्रवाह नदी की तरह होते हैं । नदी पहले बहुत आवेग के साथ बहती है । फिर उसमें प्रगाढ़ता आ जाती है और फिर वह धीरे धीरे मंथर गति से बहने लगती है । फिर अचानक एक मोड़ आ जाने पर जिस तरह नदी अपना रास्ता बदल लेती है उसी तरह रिश्ते भी जाने कहां, किस मोड़ पर अचानक बदल जाते हैं , पता ही नहीं चलता है । जब पता चलता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है और उन रिश्तों को सहेजने में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता है । यह कलयुग है और कलयुग में रिश्तों की उम्र ही कितनी होती है ? चीनी माल की तरह । चले तो जिंदगी भर और टूटे तो एक मिनट ना लगे ।

पहले सामाजिक बंधन और नैतिक मूल्यों का दवाब होता था जिससे रिश्ते जिंदगी भर चलते थे । जिंदगी क्या पीढियों तक चलते थे । समाज और बड़े बुजुर्गों के प्रभाव से व्यक्ति रिश्ते बदलने से पहले सौ बार सोचता था । मगर अब तो आदमी सब्जी लेने में भले ही कुछ सोच ले परन्तु रिश्ते बदलने में एक पल को भी नहीं सोचता है । आजकल रिश्ते कपडों की तरह बदले जाते हैं । और ताज्जुब की बात यह है कि रिश्ते बदलने पर लोगों को अफसोस तक नहीं होता है ।इसका कारण क्या हो सकता है ? मेरी समझ में तो एक ही कारण है और वह है मतलब । रिश्ता तभी तक जीवित है जब तक किसी को किसी से कोई मतलब है । मतलब निकलने के बाद तू कौन और मैं कौन ? इस बात को बहुत पहले एक फिल्मी गीत में समझाया गया था 

मतलब निकल गया है तो पहचानते नहीं 

यूं जा रहे हैं जैसे हमें जानते नहीं 

आओ , आज बदलते रिश्तों को सीमा की कहानी से समझते हैं । 

सीमा की बुआ सास अंजना की बेटी गुंजन की शादी थीसीमा का पति महेंद्र दुकान करता था इसलिए शादी में जाने के लिए वह दुकान ज्यादा दिन बंद नहीं कर सकता था । गुंजन का विशेष आग्रह था कि शादी में सीमा थोड़ा पहले आ जाये जिससे शादी का माहौल जम जाये । सीमा भी इसके लिए तैयार थी । इसलिए सीमा अपने दोनों बच्चों मोहित और अल्पना को लेकर गुंजन की शादी में आ गई । अंजना और गुंजन ने उसका बहुत स्वागत किया । पूरे परिवार ने सीमा को सिर आंखों पर बिठा लिया । गुंजन के परिवार में सीमा इस तरह घुलमिल गई जैसे पानी में दूध घुलमिल जाता है । बच्चे अपनी उम्र के बच्चों में मस्त हो गये । शादी का माहौल बढिया जम गया था ।

अंजना रोज अपने संग में सभी लेडीज को साथ लेकर "बन्ना बन्नी" गीत गाती थीं  मौहल्ले की औरतें भी गीत गाने आ जाती थीं । गीत गाने से शादी का सा माहौल लगता था । आस पड़ौस में पता चलता था कि "फलां" की शादी हो रही है । 

आज भी संगीत की महफिल सजी हुई थी । सब लोग "बन्ना बन्नी , बढावा, खयाल" आदि गीत गा रहे थे मगर सीमा चुपचाप बैठी थी , वह केवल सुन रही थी । गुंजन ने सीमा से आग्रह किया कि वह भी कुछ सुनाये । सीमा को बन्ना बन्नी वगैरह शादी के गीत तो आते नहीं थे मगर कुछ फिल्मी गीत जरूर आते थे तो उसने अवसर के अनुरूप यह गाना गाया 

"बन्नो तेरी अंखियां सुरमेदानी" 

सीमा ने इस गीत को इतने मस्त अंदाज में गाया कि सब औरतें वाह वाह कर उठीं । सीमा की आवाज कोयल से भी अधिक मीठी थी और अंदाज तो कमाल का था । लय ताल में अनोखा संगम था । आरोह , अवरोह का तो कहना ही क्या था । पूरी महफिल लूट ली थी अकेली सीमा ने । सबने मुक्त कंठ से उसकी गायकी की प्रशंसा की और सबने उसे और गाना गाने का आग्रह किया। तब सीमा ने एक गीत और सुनाया 

"सात फेरों के सातों वचन प्यारी दुल्हनियां भूल न जाना" ।

इस गाने ने उसकी गायकी स्थापित कर दी थी । सब औरतों ने उस पर 11-21 रुपए "उसार कर" ढोलक वाली को दे दिए । सीमा डांस भी अच्छा कर लेती थी इसलिए वह गुंजन की शादी में जी भरकर नाची थी । उसके डांस से सब लोग बड़े प्रभावित हुए । सीमा के आ जाने से शादी में चार चांद लग गये थे और पूरी रौनक हो गई थी । 

संगीत की महफिल खत्म होने के बाद गुंजन ने कहा "भाभी, आपकी आवाज बहुत प्यारी है । बिल्कुल लता मंगेशकर की तरह । सच में , ऐसी मीठी आवाज तो मैंने पहले कभी नहीं सुनी है । आप क्या कहीं गाती हैं" ? 

सीमा ने बहुत सोच विचार कर कहा "हां" 

"अरे वाह ! ये तो बहुत अच्छी बात है । कहां गाती हैं आप" ? गुंजन की बड़ी बड़ी आंखों में बड़े बड़े प्रश्न कौंध रहे थे ।

सीमा ने बहुत ही गंभीर स्वर में कहा "बाथरूम में" 

इस जवाब पर दोनों जनी खूब हंसने लगीं । बहुत देर तक हंसने के बाद गुंजन सीरीयस होकर बोली "भाभी, मजाक छोड़ो , सच सच बताओ कि आप कहीं गाती हैं क्या" ? 

अब सीमा भी गंभीरता से बोली "नहीं । मैं कहीं नहीं गाती हूं" 

गुंजन ने सीमा के दोनों हाथ अपनी हथेलियों में लेकर कहा "आप मेरी एक बात मानोगे" ? 

सीमा ने भी गुंजन की बड़ी बड़ी आंखों में देखकर कहा "आप कहकर तो देखिए । हम अपनी जान भी कुर्बान कर देंगे आप पर" 

सीमा के इस अंदाज से गुंजन फिर हंस पड़ी । 

" आप मजाक बहुत करती हैं भाभी, मैं सीरियसली कह रही हूं" 

"मैं भी सीरियसली कह रही हूं दीदी , आप कहिए तो सही । फिर मैं आपकी बात नहीं मानूं तो कहना" 

गुंजन खुशी से उछल पड़ी "ये हुई ना बात । आप तो कमाल की हैं भाभी । आप में बहुत सारी प्रतिभाएं है जो छुपी हुई पड़ी है । आप "स्टारमेकर" ज्वाइन कर लीजिए, वहां आप छा जायेंगी" 

"क्या क्या क्या ? ये स्टारमेकर क्या है ? कोई कंपनी है क्या" ? 

गुंजन सीमा की अनभिज्ञता पर मुस्कुरा दी "ये एक "ऐप" है भाभी । इस ऐप पर गाने का म्यूजिक चलता रहता है और गायक कलाकार उस म्यूजिक के अनुसार गाता रहता है । ठहरो , मैं अभी दिखाती हूं" । और गुंजन ने स्टारमेकर एप पर कुछ अच्छे अच्छे कलाकारों के ऑडियो और वीडियो सीमा को दिखाये । उन्हें देखकर सीमा खुश हो गई। उसे बहुत पसंद आया यह एप । पर उसे इसमें गाना नहीं आता था । गुंजन ने अपनी प्रोफाइल में जाकर एक गाना सीमा से अपने निर्देशन में गवाया । तीन चार बार गाने के बाद वह गाना परफेक्ट बन गया । गुंजन और सीमा दोनों ही बड़े खुश थे । जब सफलता बहुत जल्दी मिल जाती है तो उसकी प्रसन्नता का कोई पारावार नहीं रहता है । सीमा के साथ भी यही हुआ ।

गुंजन ने सीमा के मोबाइल में स्टारमेकर एप डाउनलोड कर दिया और सीमा की एक प्रोफाइल स्टारमेकर पर बना दी । सीमा को उसे ऑपरेट करना सिखा दिया । गुंजन ने कहा "भाभी आपको एक हैडफोन भी लेना होगा । इससे आपके गाने की क्वालिटी एकदम परफेक्ट हो जाएगी । दोनों ननद भौजाई बाजार जाकर सोनी कंपनी का एक बढिया सा हैडफोन ले आईं । गुंजन ने अपने सामने एक गाना "कांटों से खींच के ये आंचल , तोड़ के बंधन बांधी पायल , कोई ना रोको दिल की उड़ान को, दिल ये चला , हा हा हा आ आ, आज फिर जीने की तमन्ना है" गवाया । सीमा ने भी इसे पूरी तल्लीनता से गाया था । समां बंध गया था वहां । 

ऐसा लगा जैसे यह गाना किसी गीतकार ने सीमा जैसी किसी लड़की के लिए ही लिखा हो । सीमा ने इसे गाया भी पूरी शिद्दत से था । स्टारमेकर पर सीमा छा गई ।गुंजन ने उसे कुछ हिदायतें भी दी कि यहां बहुत से "दिलफेंक" किस्म के गायक भी हैं जो हर लेडीज को "आई लव यू" कहने में देर नहीं लगाते हैं । उनसे दूर ही रहना । इस प्रकार गुंजन ने सीमा को इस ऐप के संबंध में बहुत सी बातें बताकर सावधान कर दिया । सीमा के कुछ गीत शादी में सुपर हिट होने पर सीमा आसमान में उड़ने लगी थी । 

जिन घरों में पति नौकरी करते हैं या व्यापार करते हैं तो वे प्रायः सुबह नौ बजे घर से निकल जाते हैं और रात को नौ बजे तक वापस आते हैं । उनकी पत्नियां दिन में फ्री रहती हैं । ऐसे में अपनी रुचि के अनुसार वे "प्रतिलपि", "लेखनी", "स्टोरीमिरर" या "स्टारमेकर" जैसे एप से अपना टाइम पास करती हैं और अपनी "हॉबीज" को आगे बढाती हैं । 

गुंजन की शादी से वापस आने के बाद सीमा स्टारमेकर ऐप में घुस गई । पति महेंद्र सुबह नौ दस बजे तक दुकान चले जाते थे । उनका लंच बॉक्स और बच्चों का लंच बॉक्स तैयार करके वह रख देती थी । बच्चे भी स्कूल से करीब पांच बजे तक आते थे । महेंद्र दुकान बंद कर रात में आठ नौ बजे तक आते थे । दोपहर में वह लगभग दो घंटे फ्री रहती थी । इस फ्री समय को उसने अब स्टारमेकर को दे दिया । पहले उसने "सोलो" गाने ही गाये थे । महज पंद्रह दिन में ही उसके हजारों फॉलोअर बन गये । उसके एक एक गाने पर हजारों लाइक और सैकड़ों कमेंट मिलने लगे । पंद्रह दिनों में ही वह स्टारमेकर की स्टार बन गई थी । 

जब कोई महिला सुंदर गाती हो और चेहरा भी सुंदर हो तो उसके पीछे लोगों की भीड़ लग जाती है । सीमा के पीछे भी भीड़ लग गई । भीड़ देखकर सीमा आह्लादित हो गई थी । उसे उम्मीद नहीं थी कि इतनी जल्दी उसे इतनी प्रसिद्धि मिल जायेगी । अपनी अप्रत्याशित सफलता से वह अभिभूत थी ।

एक दिन स्टारमेकर पर गाना गाने के बाद वह मैसेज बॉक्स चैक कर रही थी । उसके मैसेज बॉक्स में एक मैसेज था । उसने आश्चर्य से उस मैसेजको देखा 

"नमस्कार मैम, आप बहुत अच्छा गाती हैं" 

सीमा चौंकी । कौन है ये बंदा ? उसने उसकी प्रोफाइल चैक की तो पाया कि उसके तो लाखों फॉलोअर्स थे और वह एक प्रतिष्ठित गायक कलाकार "कुमार अविनाश" थे । सीमा ने उसके बहुत सारे गाये गीत सुने थे । आह ! क्या आवाज थी कुमार अविनाशकी ! सीमा खो सी गई थी उस आवाज की गहराई में । उसने कुमार अविनाश को फॉलो कर लिया । स्टारमेकर और प्रतिलपि एप पर कुछ इसी तरह जान पहचान होती है । 

थोड़ी देर में कुमार का मैसेज आ गया "बहुत बहुत आभार मैम, मुझे फॉलो करने के लिए" 

सीमा ने उन्हें धन्यवाद ज्ञापित किया । 

थोड़ी देर में कुमार का मैसेज आया "आप केवल सोलो ही गाती हैं । ड्यूट क्यों नहीं गातीं" ? 

अब इसका क्या जवाब दे सीमा ? "बस ऐसे ही" लिखकर स्माइली भेज दी उसने । 

कुमार का मैसेज था "क्या आप मेरे ड्यूट ज्वाइन करेंगी" ? 

"जी अवश्य" 

"तो ठीक है । मैं एक ड्यूट भेज रहा हूं , आप उसे ज्वाइन कीजिए" । कुमार के शब्दों में याचना के बजाय आदेश दिखाई दे रहा था । मगर सीमा तो गानों में डूब चुकी थी इसलिए वह ड्यूट गाने के लिए तैयार हो गई । 

और कुमार ने "अंदाज" फिल्म का एक गीत "किसी से तुम प्यार करो तो फिर इजहार करो , कहीं न फिर देर हो जाये , कहीं न फिर देर हो जाये" भेजा जो कुमार सानू जी ने और अल्का याज्ञनिक जी ने गाया था । 

सीमा ने पहले वह गाना यू ट्यूब पर अच्छी तरह सुना फिर उसे ज्वाइन किया । दोनों का गाना अद्भुत बन गया था । सीमा ने उसे पोस्ट कर दिया । थोड़ी देर में कुमार का मैसेज आ गया "कमाल की गायकी है सीमा जी आपकी । अद्भुत, अद्वितीय, अवर्णनीय, अकल्पनीय, अविस्मरणीय " । 

कुमार अविनाश जैसे मंझे हुए गायक कलाकार से इतनी प्रशंसा पाकर सीमा आत्म मुग्ध हो गई । उसने तो सपने में भी नहीं सोचा था कि कुमार जैसे प्रतिष्ठित गायक उसकी गायकी से इतने प्रसन्न होंगे ? वह आनंद के सागर में गोते लगाने लगी । अब उसे टिप्पणी का जवाब देना था । "क्या जवाब दे वह ? कुछ समझ में नहीं आया उसे तो वह बस इतना ही लिख बैठी "इतनी प्रशंसा करने के लिए आभार आपका आदरणीय" । 

इस तरह कुमार और सीमा का टिप्पणियों के माध्यम से वावार्तालाप प्रारंभ हो गया था । अब वे दोनों एक दूसरे के ड्यूट ज्वाइन करने लगे । स्टारमेकर पर दोनों के ड्यूट्स ने तहलका मचा दिया था ।

सीमा की लोकप्रियता इस हद तक हो गई कि स्टारमेकर से सीमा के पास एक दिन एक मैसेज आया । उसकी प्रोफाइल डिटेल और बैंक डिटेल मांगी गई । सीमा असमंजस में पड़ गई कि वह ये निजी जानकारी शेयर करे या ना करे ? फिर उसे कुमार अविनाश का ध्यान आया । कुमार अविनाश से इस बारे में सलाह लेने के लिए उसने मैसेज किया तो कुमार ने अपना मोबाइल नंबर लिखकर दे दिया और कहा कि बात लंबी होगी इसलिए फोन पर बता दूंगा । सीमा फिर से असमंजस में पड़ गई कि बात करे या नहीं ? आखिर हिम्मत करके सीमा ने धड़कते दिल से कुमार अविनाश को फोन लगा ही दिया । 

फोन कुमार ने ही उठाया और "वेलकम सीमा जी" कहकर सीमा का स्वागत किया । सीमा ने किसी अजनबी आदमी से आज पहली बार बात की थी इसलिए झिझक और संकोच दोनों स्पष्ट नजर आ रहे थे । सीमा ने कुमार को "धन्यवाद" कहकर अपनी आशंका बताई कि स्टारमेकर को वह अपनी डिटेल दे या नहीं । तब कुमार ने उसे आश्वस्त किया और कहा कि स्टारमेकर आपके गानों की एवज में हर महीने कुछ रुपए आपके खाते में डालता रहेगा , बस और क्या ? कुमार के शब्दों में एक कशिश सी थी । सीमा उसमें बंधती चली गई । इस अमूल्य सलाह के लिए सीमा ने कुमार को एक बार फिर से धन्यवाद ज्ञापित किया और फोन बंद कर दिया । 

सीमा ने स्टारमेकर को अपने बैंक की सारी डिटेल शेयर कर दी । उसके खाते में पांच हजार रुपए आ गए थे । सीमा के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा कि गाने से प्रसिद्धि और पैसा दोनों ही मिल सकता है ? अब वह स्टारमेकर पर और ज्यादा टाइम देने लगी । स्टारमेकर उसका दिल उसकी जान बन गया था । 

धीरे धीरे व्हाट्सएप पर कुमार के गुड मॉर्निंग मैसेज आने लगे । सीमा भी जवाब में गुड मॉर्निंग मैसेज भेजने लगी । फिर दोनों में जोक्स शेयर होने लगे । सच में , कुमार बहुत मजेदार जोक्स भेजते थे । सीमा को हंसी रोकने के लिए बहुत मशक्कत करनी पड़ती थी । वह कुमार की बहुआयामी प्रतिभा से बहुत प्रभावित हो गई थी । अब दोनों में खूब चैटिंग होने लगी । इन सबसे वे दोनों एक दूसरे से बहुत अच्छी तरह से परिचित हो गए थे । कुमार भी शादीशुदा थे और उनके एक बेटी थी । कुमार शादी , पार्टियों में गाने का ही काम करते थे । 

पुरूष और स्त्री में दोस्ती बहुत दिनों तक नहीं चलती है । या तो किसी बात पर कुछ मनमुटाव हो जाता है और वह दोस्ती पल भर में टूट जाती है या फिर दोनों में प्यार हो जाता है । अक्सर महिला और पुरूष को शुरुआती दोस्ती के बाद प्यार के आलिंगन में निबद्ध होते हुए ही देखा है , अलग होते नहीं देखा । धीरे धीरे दोनों में अंतरंगता बढने लगी । सीमा और कुमार अब गाने कम गाते थे और बातें ज्यादा करते थे । अब तो वे सब तरह की बातें कर लिया करते थे । कुमार कभी कभी "एडल्ट जोक्स" भी भेज देता था सीमा को तो सीमा भी उस पर खूब मजे लेती थी और लॉफिंग इमोजी भेजकर कुमार का उत्साह वर्धन करती थी ।

अब तक दोनों ने अपने फोटो भी शेयर कर दिए थे । कुमार एक आकर्षक व्यक्तित्व के धनी थे । आंखें बोलती थी उनकी । पता नहीं क्या जादू था उन आंखों में कि सीमा की आंखों में बस गईं थी वे आंखें । उन आंखों को देखकर उसे एक गीत याद आ गया 

"ये आंखें देखकर हम सारी दुनिया भूल जाते हैं" 

सच में , सीमा तो उन आंखों में खो गई थी । वह घंटों कुमार की आंखों को ही देखती रहती थी । उसने अपने मन की बात इस गीत के माध्यम से भेजने का मानस बनाया । बस, फिर क्या था ? उसने उस गाने का कॉलैब बनाया और पोस्ट कर दिया । उस गाने को उसने कुमार को भी शेयर कर दिया । इस ड्यूट में सीमा के दिल के जज्बात उभर रहे थे इसलिए यह ड्यूट गजब का बन पड़ा था । कुमार भी सीमा के मन के तारों की झंकार को पहचान गया था । उसने भी उसी जजबात के साथ वह गाना पूरा किया और कंप्लीट करके उसे पोस्ट कर दिया । 

"मोहब्बत में जुबां चुप हो तो आंखें बात करती हैं" 

वाकई आंखें बात करने लगी थी अब उनकी । गानों के माध्यम से अपने दिल की बात करने लगे थे वे । अब तो फोन पर भी गानों के माध्यम से हाले-दिल सुनाते रहते थे दोनों । कुमार ने अपने दिल के हाल का एक ड्यूट बनाया 

"मेरे दिल में आज क्या है तू कहे तो मैं बता दूं" । और पोस्ट कर दिया । उधर सीमा को कुमार के दिल का हाल मिल चुका था और सीमा भी अपने दिल का हाल इस गाने के माध्यम से बताती है 

"ऐ दिल ए नादां , ऐ दिल ए नादां , आरजू क्या है" ।

और इसी तरह गानों के माध्यम से अपने दिल की बात करने लगे थे वे दोनों । मुहब्बत की आग लग चुकी थी । शोले भड़कने लग गये थे । उन शोलों में उनका चैन ओ करार जल रहा था । 

सीमा का मन अब घर में नहीं लगता था । अब तो उसे कुमार के सिवाय कुछ दिखाई नहीं देता था, कुछ सुनाई नहीं देता था । कई सारे वीडियो भेज रखे थे कुमार ने ड्यूट्स के । वह उन्हीं वीडियो को देखती रहती थी और कुमार की आंखों में खोई रहती थी । कुमार की आवाज मिसरी की तरह उसके कानों में घुलती रहती थी । वह उसी तरह भाव विभोर हो जाती थी जैसे श्रीकृष्ण की बांसुरी सुनकर राधारानी हो जाती थी । रातों में उसे अब नींद नहीं आती थी । और जब आती भी थी तो सपने भी कुमार के ही आते थे । इस स्थिति पर उसने एक कॉलैब बनाया 

"करवटें बदलते रहे सारी रात हम आपकी कसम आपकी कसम" 

कुमार भी कोई कम कलाकार थोड़ी था । उसे तो इस प्रकार की छेड़खानी में बहुत मजा आता था । उसने जवाब में एक सोलो बनाया 

"पल पल दिल के पास तुम रहती हो" । 

गानों के माध्यम से उनकी प्रेम कहानी सार्वजनिक रूप से परवान चढने लगी । आखिर एक दिन फोन पर कुमार ने "आई लव यू" बोल ही दिया । सीमा तो कब से ये तीन शब्द सुनने का इंतजार ही कर रही थी । उसने भी तुरंत ही "लव यू ठू" कहकर उसका प्यार स्वीकार कर लिया । 

कुमार ने लाइव बात करने की ख्वाहिश प्रकट की तो सीमा ने व्हाट्सएप कॉल कर ली । अब दोनों एक दूसरे को सामने देखकर खुश हो गये थे । सीमा का चमचम करता रूप कुमार को भा गया था । उसने "कुछ और" ख्वाहिश की तो सीमा शरमा गई । कुमार की याचना में ताकत बहुत थी । सीमा को "हां" कहना ही पड़ा । पर कुमार को तो एक मिनट का भी सब्र नहीं था । उसे तो तुरंत ही वह सब चाहिए था । प्यार में शायद यह ताकत होती है कि एक दूसरे की जायज नाजायज मांगों को भी मानना पड़ता है । सीमा कुमार की नाजायज मांग पर झुकने को मजबूर हो गई ।

सीमा ने बाथरूम में जाकर एक मिनट का वीडियो बनाया और कुमार को भेज दिया । कुमार को उसकी मंजिल मिल गई थी । कुमार ने कितनी तारीफ की थी उसके संगमरमरी बदन की । उस दिन सीमा को पता चला कि कुमार तो शायर भी है । सीमा गदगद हो गई थी । 

अब उन्हें यह दूरी काटने लगी । मिलन के लिए उनके बदन कसमसाने लगे थे । आखिर कब तक दूर रहते दोनों ? कुमार अपने दिल के हाथों मजबूर हो गया था और उसने सीमा के शहर में जाने का फैसला कर लिया था । एक दिन कुमार सीमा के शहर में आ गया । उसने सीमा को अपनी होटल में बुला लिया । सीमा भी जल बिन मछली की तरह तड़प रही थी । दो बदन एक हो गए थे उस दिन । सीमा और कुमार ने सारी सामाजिक और नैतिक सीमाओं को पार कर दिया था । अब उनके मध्य कुछ भी शेष बचा नहीं था । कुमार ने उसे अपने साथ रहने का प्रस्ताव दे दिया । 

सीमा कुमार को दिलोजान से चाहती तो थी मगर अभी इसके लिए तैयार नहीं थी वह । उसके दो बच्चे थे । उनका क्या होगा ? कुमार उन्हें अपने साथ रखने को तैयार था । मगर समस्या यह थी कि कुमार के भी एक बेटी थी । और कुमार को पता था कि उसकी पत्नी रिंकल उसे किसी भी कीमत पर कुमार के साथ रहने नहीं देगी । मामला पेचीदा था । सोचने को समय चाहिए, ऐसा कहकर सीमा अपने घर आ गई । 

रात को जब वह अपने पति महेंद्र के साथ सो रही थी तब उसे ऐसा लग रहा था कि वह किसी पराए मर्द के साथ सो रही है । उसके मन ने अब कुमार को अपना स्वामी मान लिया था और महेंद्र अब अजनबी सा बन गया था । उसके बदन पर महेंद्र के थिरकते हाथ "छिपकली" की तरह लिजलिजे से लग रहे थे । उसका मन चाह रहा था कि उन हाथों को वह काट कर फेंक दे जो उसके "स्वामी" के "क्षेत्राधिकार" में जबरन घुस आये थे एक आवारा सांड की तरह । महेंद्र जितने समय तक उसके साथ "छेड़छाड़" करता रहा सीमा एक मुर्दे की तरह निश्चेष्ट पड़ी रही । इस दौरान महेंद्र ने उसे एकाध बार टोका भी था मगर सीमा चुप ही रही । एक शब्द भी नहीं बोली । महेंद्र एक भूखे भेड़िए की तरह अपना "शिकार" करता रहा । 

सीमा की उलझन महेंद्र नहीं था, बल्कि बच्चे थे । दोनों बच्चों में उसकी जान बसती थी । उनसे अलग होने के बारे में सोचते ही उसे कंपकंपी सी होने लगती थी । उसकी ममता उसे "दहलीज" लांघने से रोक रही थी । लेकिन प्यार ? उसका प्यार उसका पल्लू पकड़कर उसे अपनी ओर खींच रहा था । जबरदस्त कशमकश चल रही थी मन में । इतना द्वंद्व कभी नहीं आया था उसकी जिंदगी में । शादी के समय भी नहीं । क्या करे क्या ना करे इसी भंवर में घिरी हुई रहती थी इन दिनों में वह । जब जब वह बच्चों को देखती उसकी ममता उसका रास्ता रोक लेती थी और जब जब कुमार की पिक देखती , उसकी आंखें उसे उधर खींच ले जाती थी । उस पर कुमार का रोज फोन करना और उसे अपने पास बुलाना आग में घी का काम कर रहा था । 

आखिर एक दिन ऐसा आ ही गया जब प्यार ममता पर भारी पड़ गया । कहते हैं कि पूत कपूत भले ही हो जाये मगर मां कभी कुमाता नहीं हो सकती थी । मगर ये कलयुग है साहब, यहां पूत अधिकतर कपूत ही हैं और माता ? उनमें भी "कुमाता" होने के संस्कार बड़ी तेजी से फैलते जा रहे हैं । 

 सीमा ने कुमार को साफ साफ कह दिया था कि "ना तो वह अपने बच्चों को लेकर आयेगी और ना ही कुमार अपनी बेटी को साथ रखेगा । दोनों किसी तीसरे शहर में "लिव इन रिलेशनशिप " में रहेंगे । खुद के बच्चे के बारे में फैसला सीमा का ही होगा । वह चाहेगी तो ही बच्चा पैदा होगा अन्यथा नहीं " । सीमा ने कुमार के समक्ष शर्तों का पुलिंदा सरका दिया था । मगर कुमार भी सीमा के इश्क में आकंठ डूब चुका था इसलिए कुमार को उसकी सारी शर्तें मंजूर थीं । 

अगले दिन जब सुबह महेंद्र जागा तो उसे सीमा घर में कहीं दिखाई नहीं दी । उसने आवाज लगाई "सीमा , सीमा" मगर उसकी आवाजें दीवारो से टकराकर लौट आईं , खाली हाथ । दोनों बच्चे भी जाग गए थे । महेंद्र की निगाह सामने पड़ी सेन्टर टेबल पर पड़ी । वहां पर एक कागज मुड़ा हुआ पड़ा था । उस पर लिखा था 

"महेंद्र जी, मैं आपके साथ वफा नहीं कर सकी । मैं आपकी अपराधी हूं मगर दिल के हाथों मजबूर हूं । इसलिए आपको और बच्चों को छोड़ने पर विवश हूं । मुझे ढूंढने की कोशिश मत करना । अब कुछ भी कहने का अधिकार तो नहीं है मगर फिर भी एक विनती है । मेरे बच्चों का ख्याल रखना" 

अपराधिनी 

सीमा" 

इस खत को पढकर महेंद्र के पैरों तले से जमीन खिसक गई । उसे समझ ही नहीं आया कि उसके प्यार में कहां कमी रह गई थी ? कितना प्यार करता था वह सीमा को ? अपनी जान से भी ज्यादा । मगर सीमा उसे छोड़कर चली गई । किसलिए ? यह भी नहीं बताया कभी उसने । यह अवश्य है कि दुकान के कारण वह उसे पूरा समय नहीं दे पाता था । पर पेट भरने के लिए कुछ न कुछ काम तो करना ही पड़ेगा । वह दुकान चलाता था । दिन रात मेहनत करता था तब जाकर कुछ पैसा मिलता था । उसने आज तक किसी पराई स्त्री की ओर देखा तक नहीं था । मगर ये क्या किया सीमा तूने ? एक सच्चे दिल को तोड़ा है तूने । और छोटे छोटे मासूम बच्चों को भी छोड़ गई तू ? क्या तू सुखी रह पाएगी ? महेंद्र के सूने दिल से बद्दुआएं विषधर की भांति निकल रही थीं । 

मगर जब महेंद्र का क्रोध शांत हुआ तब महेंद्र के दिल ने कहा "चाहे उसने मुझसे प्यार ना किया हो पर महेंद्र ने तो किया है सीमा से । तो क्या अपने प्यार को 'शाप' दे सकेगा वह" ? दिल के एक कोने से जवाब आ गया। " नहीं । वह ऐसा नहीं कर सकता है" । और महेंद्र ने सीमा को "माफ" करके कड़ा से कड़ा दंड दे दिया था । अब उसका हृदय शांत हो चुका था । सीमा के प्रति अब महेंद्र के मन में कोई दुर्भावना शेष नहीं रह गई थी ।

महेन्द्र के लिए बच्चों की देखभाल और उनकी व्यव्सथा करना एक बहुत ही दुष्कर कार्य था । उसने एक गवर्नेस और एक नौकरानी रख ली थी । बच्चों को समझा दिया था कि उनकी मम्मी को कोई "लुटेरा" पकड़कर ले गया है । महेंद्र के रिश्तेदारों ने उसे दूसरी शादी के लिए बहुत कहा मगर महेंद्र ने कहा "एक ने ही दिल तोड़कर रख दिया है । अब क्या जिंदा भी नहीं रहने दोगे" ? 

इसके बाद तो किसी ने हिम्मत ही नहीं की थी महेन्द्र से इस बारे में बात करने की । बच्चे भी अब अभ्यस्त हो गये थे गवर्नेस के साथ । दिन गुजरते गये । एक दिन महेंद्र को एक शादी में कानपुर जाना था । वह बच्चों को भी साथ ले गया । दो दिन रुकना था उसे । बच्चे खेलने में मस्त हो गये थे । 

थोड़ी देर बाद दोनों बच्चे उसके पास दौड़ते हुए आये । उनके साथ एक प्यारी सी लड़की थी । वह दौड़ते हुए बहुत अच्छी लग रही थी । पास आकर बड़ा वाला लड़का मोहित बोला "पापा , ये मिनी है । ये बता रही है कि इसके पापा को भी कुछ गुंडे ले गये थे और उन्होंने उन्हें आज तक नहीं छोड़ा है" । 

महेंद्र का माथा ठनक गया । क्या संयोग है । एक की मम्मी को लुटेरे ले गये तो दूसरे के पापा को गुंडे ..." उसे तार जोड़ने में एक मिनट भी नहीं लगा । मन में शंका सी उत्पन्न हुई "कहीं ये वो तो नहीं ? सीमा जिसके साथ भागी थी , कहीं ये उसकी बेटी तो नहीं" ? 

महेन्द्र ने उस लड़की से उसके पापा का नाम पूछा तो उसने कुमार अविनाश बताया । पर महेंद्र को पता नहीं था कि सीमा किसके साथ भागी थी । फिर उसने पूछा कि पापा क्या करते थे तो उसने बताया कि पापा गाना गाते थे । महेंद्र को याद आया कि पिछले कुछ दिनों से सीमा को गाने का बहुत शौक चर्राया था । हो सकता है कि वह इसी के पापा के साथ भागी हो । उसने उसकी मम्मी के बारे में पूछा तो उसने बता दिया कि वो जो पिंक साड़ी वाली हैं न वही उसकी मम्मी हैं । 

महेंद्र के दिल में धुकधुकी सी होने लगी । पुराने जख्म उभर आये थे । मन फिर से कसैला सा हो गया था । नफरत के कारण आंखों में शोले दहकने लगे । प्रतिहिंसा की भावना प्रबल हो उठी । महेन्द्र आश्वस्त होना चाहता था कि वह कौन था जिसके साथ सीमा भागी थी । यह सोचकर वह पिंक साड़ी वाली औरत के पास आ गया । 

"नमस्कार जी" महेंद्र ने अपना परिचय दिया 

पिंक साड़ी वाली औरत उसे आश्चर्य से देखने लगी । उसके लिए महेंद्र एक अजनबी आदमी था और अजनबी से बात करने में संकोच तो होता ही है । महेंद्र ने ही बात आगे बढाई 

"अगर आप बुरा ना मानें तो एक बात पूछ सकता हूं क्या" ? 

पिंक साड़ी वाली ने मौन रहकर ही गर्दन हिलाकर अपनी स्वीकृति दे दी । 

"देखिए, बुरा ना मानिएगा । मेरी पत्नी मेरे दो छोटे छोटे बच्चों को छोड़कर लगभग साल भर पहले किसी के साथ चली गई थी । आपकी बिटिया कह रही थी कि उसके पापा भी ....." 

पिंक साड़ी वाली औरत रिंकल इस अप्रत्याशित प्रश्न के लिए तैयार नहीं थी । वह आश्चर्य से महेंद्र का मुंह देखती रह गई। एक बार तो उसे गुस्सा आया कि इसकी बीवी ही उसके शौहर को भगाकर ले गई थी । अब क्या ये उसे भगाने आया है " ? 

अपनी समस्त भावनाओं पर नियंत्रण स्थापित करती हुई वह आहिस्ता आहिस्ता बोली "ये तो नहीं कह सकती हूं कि कौन किसको भगाकर ले गया था । मगर जो भी हुआ वह अत्यंत दुखद है । पर अब किया भी क्या जा सकता है" ? 

"मैं आपकी बात से सहमत हूं कि अब किया भी क्या जा सकता है ? मगर मेरा मानना है कि अगर दो व्यक्ति एक ही कंपनी से लुटे हों तो उन दोनों व्यक्तियों में आपस में बहुत नजदीकी रिश्ता बन जाता है । दोनों एक दूसरे को सांत्वना तो दे ही सकते हैं और जख्मों पर मलहम लगा सकते हैं । 

रिंकल को बात पसंद आ गई । दोनों जने कुछ देर तक गप्पें लगाने लगे । बच्चे भी आपस में घुलमिल गये थे । दो तीन घंटे साथ रहने के बाद अब अलग होने की नौबत आ रही थी । महेंद्र ने अपना मोबाइल नंबर उसे बताया तो रिंकल ने उसे सेव कर लिया था और उस पर एक मिस कॉल मार दी । उस नंबर को महेंद्र ने सेव कर लिया था । इस तरह उस रात उन्होंने बुझे मन से एक दूसरे से बिदा किया । 

अगले दिन से दोनों में गुड मॉर्निंग का मैसेज शुरू हो गया । रिंकल और महेंद्र में कभी कभार फोन पर भी बात हो जाती थी । धीरे धीरे उनमें प्यार की चिंगारी सुलगने लगी । बात बढते बढते यहां तक आ गई थी कि वे रोज वीडियो कॉल करने लग गये थे । दोनों जने शादी करना चाहते थे । मगर बिना पहली शादी टूटे यह संभव कैसे हो सकता था ? 

दोनों ने एक अच्छा सा वकील कर लिया । उस वकील ने जल्दी ही तलाक दिलवा दिया था । तलाक के बाद दोनों ने कोर्ट में शादी कर ली थी । मुकद्दर भी कैसे कैसे खेल खेलता है । उसका लिखा वही जान सकता है । अब वे पांचों जने एक साथ रहने लगे थे । महेंद्र और रिंकल की दुनिया ही बदल गई थी । महेंद्र ने दुकान पर बैठना थोड़ा कम कर दिया था और रिंकल ने भी बात बात पर ताने मारने बंद कर दिए थे । गृहस्थ रूपी गाड़ी सरपट दौड़ने लगी थी । 

एक दिन बच्चे "इंडियन आईडीयल" नामक गानों का प्रोग्राम देख रहे थे कि अचानक गुड़िया जोर से चीखी "पापा , पापा" सबका ध्यान उस ओर गया जिधर गुड़िया देख रही थी । सब लोग उधर देखकर एकदम से चौंक पड़े थे । वहां पर कुमार अविनाश बैठे थे मंच पर विशिष्ट अतिथि के रूप में । बगल में ही सीमा भी बैठी थी । वो भी विशिष्ट अतिथि के रूप में । दोनों बड़े खुश लग रहे थे । उनका चेहरा ही उनका दर्पन था जिसमें सब कुछ साफ साफ दिखाई दे रहा था । 

अचानक आयोजकों ने कुमार अविनाश और सीमा से एक गाना गाने की फरमाइश कर दी थी । दोनों उठे और ये गाना गाने लगे 

क्या जाने कैसे पल में बदल जाते हैं 

ये दुनिया के बदलते रिश्ते । 

महेंद्र और रिंकल इस गाने की गहराइयों में खो गये और उनकी आंखें छलक उठी । पहला प्यार और पहली बेवफाई कभी भूली नहीं जाती है । आज जमाना कहां से कहां पहुंच गया है । जिन्हें हम अटूट रिश्ते समझते थे अब वे अचानक ही भरभरा कर एक दिन गिर पड़ते हैं । जमाना बदल गया है तो रिश्ते भी बदलेंगे ही । अब ये मनुष्य पर निर्भर करता है कि वह इन बदली हुई परिस्थितियों में, बदले हुए रिश्तों में खुद को कितना बदल पाता है । जो जितना जल्दी खुद को बदल लेता है वह आदमी उतना ही सफल कहलाता है । बदले जमाने में रिश्ते भी तेजी से बदल रहे हैं । 

 



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