जाल
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"समीर, जल्दी से घर आ जाओ मुझे बहुत डर लग रहा है"। पूजा रोते रोते मोबाइल पर बोली
पूजा की बात और उसकी रुलाई सुनकर समीर घबरा गया। बदहवास सा बोला "क्यों क्या हुआ पूजा, जल्दी बताओ"। उसके स्वर में चिंता स्पष्ट झलक रही थी।
"नहीं, मैं फोन पर नहीं बताऊंगी। आप यहीं आ जाओ फिर बताऊंगी। और हां, इतना याद रखना कि यदि आप परसों तक यहां नहीं आये तो फिर मैं रहूंगी या नहीं, पता नहीं"। सुबकते हुए पूजा ने फोन काट दिया। समीर हैलो हैलो करता रह गया। उसने दो तीन बार पूजा को फोन मिलाया लेकिन पूजा ने फोन नहीं उठाया।
पूजा की बातों से समीर हिल गया था। "पता नहीं क्या बात है ? पूजा किस संकट में है , कुछ नहीं बताया उसने बल्कि किसी अनिष्ट की आशंका व्यक्त की थी उसने। यदि वह नहीं पहुंचा तो फिर वह पूजा को देख नहीं पायेगा"। समीर के पास कोई विकल्प नहीं था। समीर ने अपने बॉस ब्रिगेडियर होशियार सिंह से जैसे तैसे छुट्टी ली और घर आ गया।
समीर को देखकर पूजा उससे ऐसे लिपट गई जैसे एक लता किसी वृक्ष से लिपट जाती है। आंसुओं से उसने समीर का कंधा भिगो दिया। पूजा की सिसकियों से पूरा घर गूंजने लगा।
"क्या हुआ कुछ तो बोलो पूजा ? मैं पूरे रास्ते एक मिनट भी चैन से नहीं रह पाया हूं ? तुम ठीक तो हो ना ? और बाबूजी दिखाई नहीं दे रहे हैं , वे भी ठीक तो हैं ना" ?
"बाबूजी अपने दोस्तों की महफ़िल में गये हैं। पता नहीं कैसे कैसे दोस्त हैं उनके जो उन्हें उल्टे सीधे काम करने की सलाह देते हैं। उन्होंने आजकल मेरा जीना हराम कर रखा है। उन्हीं की करतूतें दिखाने के लिए मैंने यूं अर्जेंट बुलाया है आपको। आपको पता नहीं है मैं आजकल कितनी डर डर कर जी रही हूं। आप तो ठहरे फौजी , फौज में रहते हो, भारत माता की रक्षा करते हो। लेकिन अपनी बीवी की रक्षा कौन करेगा कभी सोचा है आपने ? और वह भी अपने ही बाप से" ? बोलते बोलते पूजा फिर फफक पड़ी।
समीर को अब कुछ कुछ समझ में आने लगा था लेकिन मन मानने को तैयार नहीं था। झट से बोल पड़ा "बाबूजी ऐसा नहीं कर सकते हैं पूजा ! तुम्हें जरूर कोई गलतफहमी हुई है शायद" ! समीर पशोपेश में पड़ा हुआ था।
समीर की बातों से पूजा बिफर पड़ी। "हां, आपके पिताजी तो राजा हरिश्चंद्र हैं और मैं एक कुलटा स्त्री। इसलिए मेरी बात क्यों मानोगे ? इसीलिए तो मैंने फोन पर नहीं बताई थी यह बात ! चलो, तुम्हें कुछ दिखाती हूं"। कहते कहते पूजा समीर का हाथ पकड़ कर बाबूजी के कमरे में ले गई।
"क क क क्यों लाई हो यहां मुझे" ? समीर की आंखों में अनेक प्रश्न थे
"वो तकिया हटाओ"। पूजा आदेश देते हुए बोली। समीर यंत्रवत तकिया हटाने लगा। जैसे ही उसने तकिया हटाया , वह चौंक पड़ा "ये क्या हैं" ?
"अपने बाप से ही पूछना ! यह भी पूछना कि यह यहां कैसे आई" ? पूजा तकिये के नीचे से अपनी पैंटी उठाकर समीर को पकड़ाते हुए बोली। समीर की बोलती बंद हो गई थी।
"बोलो, अब चुप क्यों हो गये ? है हिम्मत पूछने की अपने बाप से ? दिन भर मुझे भूखी आंखों से घूरते रहते हैं वे। मुझे ऐसा लगता है कि वे मुझे कच्चा चबा जायेंगे। मुझे डर के मारे नींद नहीं आती है आजकल। चलो , कुछ और दिखाती हूं"। पूजा समीर का हाथ पकड़ कर उसे अपने बाथरूम में ले गई। समीर चुपचाप चलता गया।
"देखो , बाथरूम का दरवाजा। ये छेद बाबूजी ने ही किया है। जब मैं नहाती हूं तो वे मुझे इसी छेद में से देखते रहते हैं। अब आप ही बताओ कि मैं क्या करूं" ?
बाथरूम के दरवाजे में छेद देखकर समीर अवाक् रह गया। बाबूजी इतना गिर जायेंगे, ऐसा नहीं सोचा था उसने। बाबूजी ने समीर और सरल को पालने पोसने में अपनी पूरी जिंदगी खपा दी थी। समीर की मां की मृत्यु बहुत पहले ही हो गई थी मगर समीर के पापा शैलेन्द्र ने दूसरा विवाह नहीं किया था। अब वो अपनी बहू के साथ ऐसी गिरी हुई हरकतें कर रहे हैं , यह सोचकर ही समीर के तन बदन में आग लग गई।
"शायद आपको अभी भी विश्वास नहीं हो रहा होगा। और देखो"। कहकर पूजा ने अपने मोबाइल पर व्हाट्सएप खोला और उसमें बाबूजी को सर्च किया और उसमें एक वीडियो ढूंढ कर चला दिया। उस वीडियो में पूजा कपड़े बदल रही थी।
"ये विडियो आपके पिताजी ने कब बनाया मुझे पता नहीं मगर उन्होंने इसे मुझे भेजकर कहा था 'पूजा , मैं तुझे पूरी देखना चाहता हूं', अब आप ही बताइए कि मैं क्या करूं" ? पूजा फिर रोने लग गई।
यह सब देखकर समीर की आंखों में खून उतर आया। मुठ्ठियां कस गईं थीं उसकी। वह अपने कमरे से बंदूक निकाल लाया "आज मैं जिंदा नहीं छोडूंगा बाबूजी को। आने दो उन्हें"। समीर की आंखों से अंगारे बरसने लगे। वह बंदूक तानकर दरवाजे के सामने इस तरह खड़ा हो गया कि जैसे ही बाबूजी घर में घुसें तो वह उन्हें गोली से उड़ा दे।
थोड़ी देर बाद डोरबेल बजी। समीर ने अपनी पोजीशन ले ली और दरवाजा पूजा ने खोला। गोली चलती इससे पहले ही आगंतुक लड़का बोला पड़ा "अरे भैया आप ! आप कब आये ? और ये बंदूक तानकर कैसे खड़े हो ? दुश्मन को मारने की प्रैक्टिस कर रहो क्या यहां भी ? खैर छोड़ो वह सब। मैं तो यह सूचना देने आया हूं कि आपके बाबूजी घर आ रहे थे कि कोई उन्हें टक्कर मारकर भाग गया। उनके दोस्तों ने उन्हें "राज अस्पताल" में भर्ती करा दिया है। आप चाहो तो मेरे साथ चलो या फिर आप अपनी व्यवस्था देख लेना"। कहकर वह लड़का जाने को मुड़ा और फिर चला गया।
क्रमशः