एक सुंदर सी लड़की
एक सुंदर सी लड़की
सुंदरता तो हर औरत का गहना होता है। जवानी से लेकर बुढ़ापे तक एक औरत न जाने क्या क्या कर जाती है सिर्फ सुंदर दिखने की ख्वाहिस में।
कभी ये पावडर, कभी ये फेस क्रीम, कभी ये उबटन ,कभी वो उबटन ,और न जाने क्या क्या। लाखो करोड़ो के सौंदर्य प्रसाधन इस्तेमाल कर लेती है एक औरत सिर्फ सुंदर दिखने के लिए।
लेकिन कुछ लड़कियां ऐसी भी होती है जिन्हें सुंदर दिखने के लिए कुछ करना नही होता। क्योकि भगवान ने खूबसूरती उन्हें उपहार में दी हुई होती है।
ऐसी ही एक लड़की है राधा ,जो अपनी दो बहनों में सबसे बड़ी है और सुंदरता का तो पूछो ही मत। उसे देख के लगता है भगवान ने उसे फुरसत से बनाया है। रंग रूप के साथ साथ गुणवान और संस्कारी भी है।
लेकिन उसकी बाकी की दो बहनें राधा जितनी सुंदर और गोरी नही है। शायद यही वजह है कि वो दोनों राधा से जलती है और उसे हमेशा नीचा दिखाने की कोशिश करती है। और उन लोगो ने अपनी माँ के कान भी राधा के लिए भर दिए है। जिससे वो माँ जो कल तक अपनी फूल सी बच्ची को अपने कलेजे का टुकड़ा समझती थी ।अब उससे नफरत करने लगी है।
राधा की जिंदगी तब तक बहुत अच्छी थी जब उसकी दोनो बहने इस दुनिया मे नही आई थी। माँ बाप का सारा प्यार राधा को ही मिलता था।
जब भी पिता जी शाम को घर आते थे राधा के लिए कुछ न कुछ जरूर लाते थे। राधा को भी पता होता था कि पिता जी उसके लिए कुछ जरूर लाये होंगे ।
तो वो दौड़ कर उनकी ओर जाती और उसके पिता जी उसे प्यार से गोद मे उठा लेते। और राधा झट से अपना हाथ उनके आगे की जेब मे डालती और अपनी पसंद की चीज लेके खुश हो जाती। पिताजी भी जान बुझ कर ऐसा करते थे।
माँ भी राधा को खूब सजा कर ,सवार कर रखती थी। एक तो वो पहले से गोरी और सुंदर थी। उस पर माँ उसे और सजा सवार कर सुंदर सी गुड़िया बना देती थी। पूरे घर की दुलारी थी राधा।
धीरे धीरे दिन बीतता गया।अब राधा की एक और बहन थी। अब तक जो प्यार अकेले राधा को मिल रहा था वो दो बेटियों में बट चुका था।
अब जब भी पिता जी शाम को आते तो कभी कभी एक ही बेटी के लिए खिलौने या टाफियां लाते थे। ऐसे में दूसरे को मन मार कर ही रहना पड़ता था। और वो मन होता था राधा का।
क्योकि वो बड़ी थी।मगर एक बच्ची क्या जाने बड़े और छोटे होने का मतलब । बच्चो का मन तो चंचल होता है। खिलौने और टाफियां तो बच्चो को वैसे ही अपनी ओर खिंचती है।
राधा की माँ, जो कम पढ़ी लिखी थी। वो ये बातशायद नही समझती थी। की राधा महज अभी 6 साल कीछोटी बच्ची है जिसे अभी प्यार और दुलार की जरूरत है ।
और हर बार वो राधा को ही अपना मन मार कर चुप रहने को बोलती। कभी कभी जब राधा जिद करती तो उसकी माँ जो भी हाथ मे होता उसी से उसे मार देती। बेचारी बच्ची भी कुछ न कहती बस सहती। कभी कभी मार के दर्द से रोते रोते सो जाती।
अब तो ये काम रोज रोज का हो गया था। जब भी पिताजी कुछ लाते तो सिर्फ उसकी बहन के लिए लाते। और सारा प्यार जो कल तक राधा को मिलता था अब उसकी छोटी बहन को मिलने लगा।
इसी अवहेलना में राधा का बाल मन कब धीरे धीरे बडा हो गया पता ही नही चला। अब राधा ने जिद करना भी छोड़ दिया था।वो किसी से बात भी नही करती थी। 6 साल की उम्र में वो एक बडी बच्ची सा बर्ताव करने लगी थी।
घर का सारा काम भी उसे ही करना होता था। क्योंकि माँ तो एक बार फिर पेट से थी। और ऊपर से उसकी छोटी बहन जो हमेशा रोती रहती थी। उसे देखने वाला घर मे कोई और बडा नही था तो ऐसे में सारा काम राधा को ही करना पड़ता था।
अगर राधा की मां पढ़ी लिखी होती तो शायद परिवार
की हालत इतनी खराब न होती। क्योंकि तब वो समझती की
जरूरी नही की घर मे लड़का हो तभी कुछ हो सकता है
लडकिया भी बहुत कुछ कर सकती है। लेकिन एक लड़के की
चाह में उसकी मां ने तीसरा बच्चा पैदा करने का सोच था।
इस उम्मीद से की शायद इस बार लड़का होगा।
इसमें उसकी मां की भी कोई गलती नही थी । गांव का
माहौल तो ऐसा ही होता है।
गांव के हर नियम अक्सर पुरुषो द्वारा बनाये जाते है
जो लगभग पुरुषो के हित में ही होते है। उस समाज मे औरते
भी है इस बात से उन्हें ज्यादा मतलब नही होता या यूं कहें कि
कोई मतलब नही होता ।
क्योंकि गांव के लोगो का ऐसा
सोचना है कि लड़कियां पढ़ के करेगी क्या? ज्यादा पढ़ भी
लेगी तो भी उनको घर का काम ही करना है । या फिर अगर
पढ़ के नौकरी करती है तो जो कमाएगी वो अपने ससुराल
वालों को देगी ,ऐसा सोच के भी कुछ लोग अपनी ही
लड़कियों की पढ़ाई पर पैसे खर्च नही करना चाहते है।
एक और वजह मर्दो की मानसिकता भी है। उन्हें
ऐसा लगता है अगर लडकिया ज्यादा पढ़ लेगी तो वो अपना
हक मांगेगी। बराबरी करेगी। शायद कही न कही ये बात गांव
के मर्दो को अपनी मर्दानगी के खिलाफ लगती है। तभी वहां
के बने नियमो में केवल लड़को की शिक्षा तक ही ध्यान दिया
जाता है।
यही वजह थी कि राधा की माँ भी अनपढ थी।
लेकिन राधा के पिता जो कि दिल के अच्छे आदमी थे। उनका
सपना था कि उनके बच्चे पढ़े लिखे। और फिर जमाना भी
बदल गया था। अब लड़कियों के लिए भी अलग स्कूल की
व्यवस्था थी ।तो राधा का दाखिला स्कूल में कर दिया गया
था। राधा बचपन से ही पढ़ने में अच्छी थी। वो हमेशा class
में प्रथम स्थान लाती थी।
जैसे हर कहानी में एक नया मोड़ आता है वैसे ही राधा
की जिंदगी में भी एक नया मोड़ आता है। अब तक जो माँ
और बहने राधा को बुरा भला कहती थी। हमेशा उसका
अपमान करती थी । और उसे ये एहसास दिलाती थी कि वो
सिर्फ बोझ है और घर वालो के लिए पैसे कमाने का जरिया ।
अचानक से उन लोगो मे बदलाव आ जाता है।
अब राधा और उसकी बहने काफी बड़ी हो गई है। और
वो हमेशा राधा को आगे बढ़ने में support करती है। वो जो
मन मे एक टिस थी वो भी कही गायब हो गई थी। शायद
इसकी एक वजह ये भी थी कि राधा के साथ साथ उसकी
बहनों ने भी उच्च शिक्षा ली थी। जिस वजह से उनमें भी
ज्ञान का वही संचार हुआ था जो राधा में था।
अब techonolgy भी इतनी विकसित हो गई है कि
काले को गोरे होने में समय नही लगता। राधा ने सोच रखा था
जब वो पैसे कमाने लगेगी तो सबसे पहले वो अपनी बहनों
को भी खुद जैसे गोरा बनाएगी। जिससे उनमे कोई हीन
भावना न रहे। राधा ने beautician का कोर्स कर रखा था।
कुछ समय बाद अपनी
माँ और बहनों की मदद से उसने अपना खुद का beauty
parlor खोल लिया । वो समय समय पर अपनी बहनों को
भी अलग अलग ब्यूटी treatrment देती रहती थी। जिससे
उसकी बहनों की रंगत में थोड़ा निखार आ गया था।
राधा ने अपने साथ साथ अपनी बहनों को भी अपने
parlor में लगा रखा था। तीनो बहन मिल के खूब मेहनत
करती। धीरे धीरे राधा के घर की हालत में सुधार आ गया।
और उनके आपसी संबंध भी अच्छे और एक दूसरे को
support देने वाले हो गए।
कहते भी है कि
" जहा चाह होती है वही राह होती है "
लेकिन राधा का सफर अभी खत्म नही हुआ था। वो
और आगे बढ़ना चाहती थी। अपनी जिंदगी में और भी बहुत
कुछ करना चाहती थी। इसलिए वो निरंतर आगे बढ़ रही थी।
जिससे वो अपने सपनो को पूरा कर सके।
To be continue.....
