Divyanjli Verma

Tragedy Inspirational

2.5  

Divyanjli Verma

Tragedy Inspirational

अनाथ बच्चे

अनाथ बच्चे

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श्रवण एक अनाथ लड़का है। जिसका बचपन बहुत ही कष्ट और मुसीबतों में बीता है। हर बच्चे की तरह उसने भी अपनी माँ की कोख से ही जन्म लिया था लेकिन माँ के आचल का दूध उसे नसीब ना हो सका। न ही उसे कभी भी बाप का प्यार नसीब हुआ। क्योंकि उसके जन्म के दूसरे दिन ही उसके माँ बाप कि कार accident में मौत हो गई थी।  

नवजात श्रवण भी उस समय उनके साथ ही था लेकिन भगवान कि कृपा से वो बच गया था। मगर श्रवण इसे भगवान की कृपा नहीं बल्कि श्राप मानता था। क्योंकि उसके पैदा होने के बाद भगवान ने उससे उसके माँ बाप छिन लिए थे और उसे हमेशा के लिए अनाथ कर दिया था। जहां पर कार का एक्सीडेंट हुआ था वहीं पास में एक खेत में एक किसान काम कर रहा था। जब उसने देखा कि एक्सीडेंट हुआ है तो पुलिस को खबर कर दी। थोड़ी देर मे वहां भीड़ इकट्ठा हो गई। अचानक से उन लोगों को एक बच्चे की रोने की आवाज आई तो देखा कि कार के अंदर एक बच्चा है जो अभी जिंदा है और सही सलामत है। पुलिस ने उसे बाहर निकाल लिया। लेकिन अब समस्या ये थी कि इस बच्चे को रखेगा कौन? इसका पालन पोषण कौन करेगा? तो उसी किसान ने उस बच्चे यानी श्रवण को पालने की जिम्मेदारी ले ली क्योंकि उस किसान के भी कोई औलाद नहीं थी। अब श्रवण को एक परिवार मिल गया था। उसका पालन पोषण अच्छे से हो रहा था। लेकिन शायद श्रवण के नसीब में ये खुशिया भी नहीं थी। श्रवण अभी 3 साल का ही हुआ था कि उसके नए माँ बाप कि भी उसी तरह मौत हो गई जैसे उसके असली माँ बाप कि मौत हुई थी। श्रवण एक बार फिर से अनाथ हो चुका था। और इस बार तो कोई उसे गोद लेने को भी तैयार नहीं था। तो उसे अनाथालय भेजना पड़ा। अनाथालय भी सिर्फ नाम का ही था। क्योंकि वहां बच्चों को वो प्यार नहीं मिलता था जो प्यार उन्हें माँ बाप से मिलता था। इसी तरह श्रवण के दिन भी बीत रहे थे। अब श्रवण 12 साल का हो गया था।और उस अनाथालय के वातावरण मे घुल मिल गया था। वो अनाथालय और उसके दोस्त ही अब उसकी दुनिया थे।

    एक दिन की बात है श्रवण अपने दोस्तों के साथ बीच के किनारे घूमने गया था। वहां उसके अलावा और भी बहुत से लोग थे। उन्हीं लोगों मे से एक थे मशहूर बिजनेस मैंन रंजीत। वो भी उस दिन उसी बीच पर अपने परिवार के साथ घूमने आए थे। अचानक से एक चोर उनकी बीवी का पर्स चुरा के भागने लगता है। तो श्रवण भी उस चोर के पीछे भागता है और उसे पकड लेता है। लेकिन उस चोर के पास हथियार था और वो अपने बचाव के लिए श्रवण पर हमला करता है।

मगर श्रवण अपनी जान पर खेल के चोर से पर्स छुड़ा के लाता है। बिजनेस मैंन रंजीत, श्रवण की बहादुरी और ईमानदारी देख के बहुत खुश होते है। और उसे अपनी कंपनी मे नौकरी करने का ऑफर देते है। श्रवण भी इस नौकरी के लिए हां कह देता है।

लेकिन श्रवण का हमेशा से एक ही सपना था कि वो अपने जैसे अनाथ बच्चों के लिए एक अनाथालय खोले। और जो उसने सहा है वो उन बच्चों को न सहना पड़े।

    कुछ दिनों में श्रवण अपना अनाथालय खोल लेता है। और सारा समय उसी अनाथालय और वहां के बच्चों को देने लगता है। लेकिन जब श्रवण की शादी हो जाती है तो उसकी पत्नी को श्रवण का सारा समय अनाथालय में देना अच्छा नहीं लगता है तो वो श्रवण को समझाने की कोशिश करती है कि अब उसका परिवार अनाथालय नहीं बल्कि उसकी पत्नी है। इसपर श्रवण उससे कहता है कि नहीं वो अनाथालय और वहां के बच्चे ,सब मेरा परिवार है। तुम जानते हो ना कि मैं भी एक अनाथ हू। और मैं नहीं चाहता कि अब कोई बच्चा मेरी तरह अनाथ कि जिंदगी जिए। इसलिए मैं उन्हें वो सब देना चाहता हू जो मुझे नहीं मिला। तुम मेरी पत्नी हो इसलिए तुम्हें भी ये समझना होगा कि वो अनाथालय और वहां के सभी बच्चे हमारा परिवार है।

श्रवण कि पत्नि को श्रवण कि बात सुनकर उन बच्चों पर दया और प्यार आ जाता है और वो भी श्रवण के साथ अनाथालय में समय बिताने लगती है। इस तरह वो अनाथालय उनका घर बन जाता है और वहां के बच्चे उनके अपने बच्चे।


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