bisman idrees

Tragedy

4.5  

bisman idrees

Tragedy

एक कहानी

एक कहानी

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जिंदगी में हम बहुत सी नई चीजें सीखते हैं कुछ अच्छी और कुछ बुरी हर चीज सीखने के पीछे हमारा कोई ना कोई कारण होता है और हर चीज सिखाने वाला हमसे कुछ ना कुछ चाहता है।

हम क्या सीख रहे हैं उसी अनुसार हम बहुत से काम करते हैं कुछ काम ऐसे होते हैं जो बहुत ही अच्छे होते हैं और हम उस काम को कभी भूलना नहीं चाहते लेकिन जिंदगी हमें वह काम भुला ही देती है और कुछ काम ऐसे होते हैं जो ना चाहते हुए भी हम करते हैं और उस काम के हो जाने के बाद हम चाहते हैं कि वह काम हम हमेशा हमेशा के लिए भूल जाए लेकिन ऐसा होता नहीं है किस्मत हमें किसी ना किसी तरीके से उस काम के बारे में याद दिलवा ही देती है।ना चाहते हुए भी हम उस बुरे साए से दूर नहीं भाग पाते।

अब अगर जिंदगी के बारे में मैं इतना कुछ बोल रही हूं तो इसके पीछे भी कोई ना कोई कारण होगा मैंने नहीं जिंदगी से कुछ ना कुछ सीखा होगा और कभी ना कभी मैंने भी अपनी किस्मत को कोसा होगा और कभी अल्लाह का शुक्रिया अदा किया होगा अब यह सब मैं बोल रही हूं ना क्योंकि मैंने भी बहुत से ऐसी चीजें देखी है जो मैं कभी भूल नहीं सकती।

ऐसी ही एक बात मुझे हमेशा ही याद रहती है और अक्सर मैं उस बात को कहानी के जरिए दुनिया को बताने की कोशिश करती हूं।

एक कहानी यह कहने के लिए तो दो शब्द है लेकिन मेरी कहानी कुछ ऐसी है जो सिर्फ और सिर्फ दर्द ही नहीं लेकिन प्यार परिवार और अपने खुद के सपनों पर भी है। शुरू कैसे करूं यह तो मुझे भी समझ नहीं आ रहा लेकिन हां कुछ सच दुनिया को पता हो तो ही अच्छा है इसीलिए मैं यह एक कहानी दुनिया को बताना चाहती हूं।

वैसे तो इस कहानी के कई किरदार है लेकिन जिस इंसान की यह कहानी है वह मेरे हिसाब से दुनिया में सबसे अलग इंसान है।

मरियम ऐसी लड़की जो वैसे तो अपने माता-पिता के लिए उनकी शहजादी थी वह से बहुत ही ज्यादा प्यार करते थे इसमें तो कोई शक ही नहीं था। अपनी बेटी के लिए पूरी दुनिया से लड़ने के लिए भी तैयार थे अपनी बेटी को कभी किसी की नजर ना लगे इसकी दुआ खुदा से करते रहते थे। लेकिन कहते हैं ना कि प्यार जब ज्यादा ही हो जाता है तो वह कभी-कभी आपका दंगोट आने लगता है। वैसे तो मां-बाप के फैसले हमेशा अपने बच्चों के लिए सही ही होते हैं और अपने मां-बाप के फैसलों के खिलाफ जाना ही बच्चे के लिए सबसे बड़ी गलती होती है लेकिन कभी-कभी हमारे माता-पिता हमसे इतनी उम्मीदें लगा बैठते हैं कि उनका बोझ हम पर इतना ज्यादा हो जाता है कि हमारी खुशी खत्म ही हो जाती है लेकिन माता पिता को यह बात समझ नहीं आती है।

ऐसा ही कुछ मरियम के साथ हुआ था उसके माता-पिता उससे बहुत ही ज्यादा प्यार करते थे लेकिन अपनी बेटी से उनकी उम्मीदें बहुत ही ज्यादा थी। उन्होंने हमेशा सोचा कि जो वह अपनी बेटी के लिए फैसला ले रहे हैं वह सही ही है और उनके फैसले से उनकी बेटी का भला ही होगा। उन्होंने अपनी बेटी को हमेशा शहजादी की तरह दो रखा लेकिन कभी उसकी मर्जी क्या है वह जानने की कोशिश नहीं की और हमेशा उसके लिए खुद ही फैसला लेना जरूरी समझा अब यह बात गलत नहीं है क्योंकि हर माता-पिता अपनी बेटी के लिए अच्छा ही चाहता है लेकिन कभी-कभी हमें अपने बच्चों का भी पक्ष जान लेना चाहिए। मरियम के माता पिता चाहते थे कि मरियम एक बहुत ही अच्छी डॉक्टर बने और वह हमेशा उसे पढ़ाते रहते थे वह उसे ज्यादा बाहर भी जाने नहीं देते थे क्योंकि उनको लगता था बाहर जाने से मरियम पढ़ाई की तरफ ध्यान कम दे दी और उनका सपना पूरा नहीं कर पाएगी इसलिए वह मरियम को सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई के बारे में ही सोचने की इजाजत देते थे।

मरियम की वैसे तो बहुत सी चीजों में दिलचस्पी थी जैसे कि बैडमिंटन खेलना, कहानियां सुनाना, वीडियो गेम्स खेलना, चित्रकारी करना और भी कहीं सारी उसके शौक थे।

लेकिन हम हमेशा एक आदर्श बेटी बनकर रहना चाहती थी इसीलिए वह अपने सारे शौक भूल जाती थी और अपने माता-पिता की बात मानकर सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई को लग जाती थी। लेकिन क्या होता है ना कि जब इंसान बड़ा होता है तो उसको किस सब्जेक्ट में दिलचस्पी होगी उसके बारे में वह खुद भी नहीं जानता ऐसा ही मरियम के साथ हुआ वैसे तो मरियम जानती थी कि उसके माता-पिता चाहते हैं कि वह डॉक्टर बने और वह बायो बहुत अच्छे से भी पढ़ना चाहती थी लेकिन ना चाहते हुए भी उसका बायो में इंटरेस्ट बहुत कम हो गया था और मैथ्स में उसका इंटरेस्ट हद से ज्यादा बढ़ गया था उसको सिर्फ और सिर्फ बात पसंद था और वह डॉक्टर बनना ही नहीं चाहती थी। और एक दो बार तो उसने अपनी मां को बोला भी था कि:" मम्मी मुझे आज पसंद है मुझे भाइयों में कोई दिलचस्पी ही नहीं है मैं डॉक्टर नहीं बनना चाहती मैं आगे इंजीनियरिंग करना चाहती हूं।"

लेकिन उसकी मम्मी उसको डांट देती थी और कहती थी कि:" तू तो जानती है ना कि तुझे तेरे पापा ने एक शहजादी की तरह रखा है और तू अपने पापा के लिए इतना भी नहीं कर सकती तेरे पापा जब चाहते हैं कि तू डॉक्टर बने तो क्यों यह फालतू की जिद बांध लेती है सिर्फ और सिर्फ भाइयों पर ध्यान दें मार्च को भूल जा तुझे सिर्फ और सिर्फ डॉक्टर बनना है यह बात समझ लिया कर बात बात पर बहस करती रहती है मरियम।"

यह सब सुनकर मरियम अक्सर उदास रहती थी और फिर चुपचाप बायो पढ़ने लग जाती थी अब वह भी हालात को बदल नहीं सकती थी तो इसीलिए वह हालात के साथ में समझौता कर लेती थी। आखिरकार बायो पढ़कर उसने डॉक्टरी के कॉलेज में एडमिशन ले ही ली उसके माता-पिता हद से ज्यादा खुश थे लेकिन कहीं ना कहीं मरियम उदास ही थी फिर भी अपने माता-पिता को खुश देखकर वह भी खुशी से कॉलेज चले गई।

अब धीरे-धीरे बायो में मन लगाने लगी थी और कोशिश करती थी कि वह बहुत अच्छा कर पाए लेकिन कहते हैं ना जिस चीज से हम नफरत करते हैं उस चीज को स्वीकार करने में हमें समय तो लगता ही है और वही उसके साथ भी हो रहा था एक तरफ माता-पिता का दबाव और दूसरी तरफ टीचर्स का पढ़ाई को लेकर रोज-रोज पानी देना डांटना इन सब चीजों से बहुत बहुत तंग आ गई थी लेकिन फिर भी बर्दाश्त ही करती रहती थी।

इन सब चीजों में एक ही चीज अच्छी थी कि उसको बहुत ही अच्छे अच्छे दोस्त मिले थे जिनके साथ रहकर अपने सारे दुख दर्द भूल जाती थी और कुछ समय के लिए खुश हो जाती थी। लेकिन आजकल दोस्ती भी मतलब के लिए की जाती है उसके दोस्त भी कुछ ऐसे ही थे जब मरियम को उनकी हद से ज्यादा जरूरत थी तब वह उसके साथ नहीं थे। बाद में आंसू बहाने से क्या होता है जिस समय मरियम को उन सब की सबसे ज्यादा जरूरत थी उस समय तो वह वहां से चले गए थे।

आप सोच रहे होंगे ऐसा मैं क्यों बोल रही हूं? आखिर ऐसा क्या हुआ कि मरियम के दोस्तों का साथ ना मिलने की वजह से मरियम दुखी हो गई और उसके साथ हुआ क्या?

इसका जवाब यह है कि मरियम पढ़ाई में वैसे तो बहुत ही अच्छी थी लेकिन बायो उससे हो नहीं पा रही थी डॉक्टरी की पढ़ाई बहुत मुश्किल होता है लेकिन उसका दिल उस पर लगता ही नहीं था अपने दुख को अपने दोस्तों के साथ बात तो देती थी उसके दोस्त थोड़ी देर के लिए उससे ठीक भी कर देते थे लेकिन कभी किसी दोस्त ने उसे यह नहीं बताया कि किस तरीके से वह बायो को पढ़ ले और अच्छे अंको से पास हो जाए। उसके दोस्त भी बस उसकी कहानियां सुनते रहते थे और कुछ भी नहीं करते थे उनके लिए तो अब मरियम की कहानी एक टाइम पास ही हो गया था।

अक्सर अकेले में यह बातें भी करते रहते थे कि:" मरियम नहीं आई अब तक टाइम पास नहीं हो रहा मरियम आए थोड़ा सा उसका रोना धोना देखेंगे उसको थोड़ी सी मनाने की कोशिश करेंगे और थोड़ा सा हसाएंगे उससे हमारा भी टाइम पास हो जाएगा और मरियम को भी ऐसा लगेगा कि उसके साथ भी कोई है।"

एक लड़की जिसको मरियम बहुत अच्छी लगती थी वह उन सबको बोलती थी:" यार तुम लोग क्या करते रहते हो हम सब को तो मिलकर मरियम को थोड़ा सा पढ़ाना भी चाहिए उसको बताना चाहिए कि आखिर वह ऐसा क्या करें जिससे उसका मन लग जाए पढ़ाई में तो तो बस उसका मजाक उड़ा रहे हो यहां पर तुम्हें जरा भी अंदाजा है कि वह बेचारी कैसे जी रही है यार कॉलेज में अगर पढ़ाई नहीं आती तो टीचर्स के ताने सुन सुनकर और घर पर माता-पिता के ताने सुन सुनकर उस बेचारी का क्या हाल होता है वह हम सबको बताती तो है लेकिन फिर भी इन सब चीजों को नजरअंदाज कैसे कर सकते हो?"

उसके बाकी दोस्त फिर उस लड़की को कहते थे :"यार तू चुप क्यों कर दूं क्या बात बात पर उसका साथ देती रहती है अब हम तो टीचर नहीं है ना छोटी सी बच्ची तो है नहीं कि उसको हम दिखाएंगे कि कैसे पढ़ाई में दिल लगाया जाता है हो सकता है कि अगर उसका पढ़ाई में दिल नहीं लग रहा तो क्या पता उसका दिल कहीं और लग रहे हो बस ऐसे ही उसके लिए परेशान होती रहती है चुप हो जाया कर।"

वह लड़की भी मजबूर थी और अपने दोस्तों को ज्यादा कुछ बोलती नहीं थी हां ऐसे मरियम की कभी-कभी मदद कर देती थी लेकिन वह अकेली बेचारी क्या करें।

मरियम हमेशा ही उसका शुक्रिया अदा करती रहती थी और कोशिश करती थी कि जो वह कह रही है वही करें। 

मरियम ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की और पढ़ाई भी बहुत अच्छे से की लेकिन अब बार-बार उसका रिजल्ट अच्छा नहीं आता था तो उस बेचारी की उसमें कोई कसूर नहीं था हा कहीं ना कहीं वह कुछ ना कुछ कमी रख रही थी लेकिन हर बार उस कमी से उभरने की पूरी पूरी कोशिश करती थी लेकिन कोई भी उसको समझ नहीं पाता था सब के सब उसका मजाक उड़ाते रहते थे। 

मरियम के माता-पिता भी अपनी लाडली शहजादी को समझ नहीं पाते थे और वह भी सोचने लग गए थे कि कहीं ऐसा तो नहीं कि मरियम किसी गलत काम में अपना ध्यान लगा रही है कहीं ऐसा तो नहीं है ना कि मरियम को कोई लड़का पसंद आ गया है यह सब सोच सोच कर गुस्से में आ जाते थे और कभी-कभी मरियम को बहुत ज्यादा डरने लगते थे लेकिन फिर भी मरियम सब कुछ बर्दाश्त करती थी और पढ़ाई करने की कोशिश करती रहती थी।

मरियम को कभी भी किसी और चीज में कोई भी दिलचस्पी नहीं थी और ना ही मैं किसी लड़के में दिलचस्पी लेती थी वह सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई करना चाहती थी और अपने माता-पिता का सपना पूरा करने की पूरी कोशिश करती थी लेकिन फिर भी उसे कोई समझ नहीं पाता तो उल्टा सबको गलतफहमिया ही होती थी और इस बात से मरियम बहुत ही उदास रहती थी और कोशिश करती थी कि वह सब को यकीन दिलवा पाए कि वह कभी भी कुछ भी गलत नहीं करती थी लेकिन दुनिया का दस्तूर है कि वह सही इंसान को कभी भी सही नहीं कहेंगे उसको गलत ही समझेंगे वैसा ही मरियम के साथ होता था मरियम को हमेशा गलत ही समझा जाता था और वह कुछ भी कर ले जब तक वह अच्छे नंबर नहीं लाती थी तब तक उसको सब की कड़वी बातें सुननी पड़ती थी।

वह लड़की जसको मरियम बहुत अच्छी लगती थी वह पूरी कोशिश करती थी कि :"मरियम इन सब बातों पर ध्यान ना दें और मरियम को बोलती भी थी मरियम तू एक बहुत ही अच्छी लड़की है तू बस कोशिश कर थोड़ी और मेहनत कर तू पढ़ लेगी दूसरों की बातों पर ध्यान मत दे हम सब तेरे साथ है यह मजाक मस्ती तो अपनी जगह है लेकिन पढ़ाई तुझसे हो जाएगी तो डर मत।"

मरियम उसका शुक्रिया अदा करती थी और फिर से पढ़ाई करने की पूरी कोशिश करती थी लेकिन दूसरों की बातों का असर उस पर फिर भी रहता था। बाहर से वह कितना भी दिखाने की कोशिश करें कि उसको किसी की किसी बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है लेकिन अंदर ही अंदर तिल तिल कर वह मर रही थी और यह सब कोई नहीं देख पा रहा था ना वह लड़की ना उसके बाकी के दोस्त और ना ही उसके माता-पिता। 

कितनी ही रातें मरियम जागी कितने ही दिन उसने अपनी हर चीज को बुलाकर सिर्फ पढ़ाई में दिए लेकिन फिर भी कोई भी उसे अच्छे से समझ नहीं पाता था और सबको बस यही था कि लास्ट में मरियम का रिजल्ट क्या होगा और उसी हिसाब से वह उसको फिर शाबाशी देनी है कि डालना है इस बारे में सोचते रहते थे। इन सब चीजों को मरियम जितना भी भूलने की कोशिश करती थी उतना ही यह बातें बार-बर उसके सामने आ जाती थी और इन चीजों से डर डर कर वह अपनी पढ़ाई करती थी। 

जब मरियम के फाइनल एग्जाम हुए उसने पूरी पूरी रात जाग जा कर पढ़ाई की और एग्जाम दिए लेकिन मरियम के मन में हमेशा यह डर रहता था कि पता नहीं उसका रिजल्ट कैसा आएगा और वह अपने माता-पिता को क्या जवाब देगी अगर रिजल्ट खराब आया तो। वैसे तो एग्जाम्स के बाद उसके माता-पिता उसका काफी ध्यान रखते थे और उसको कहते रहते थे कि:" वह उनकी जान है और वह जानते हैं कि वह अच्छा ही करेगी तो मरियम को बोलते रहते थे की टेंशन लेने की कोई जरूरत ही नहीं है तुम हमेशा से एक अच्छी इंसान रही हो और अच्छी इंसान ही रहोगी।" 

एग्जाम के बाद फ्री होती थी मरियम इसीलिए अक्सर अपने दोस्तों के साथ घूमने भी चले जाती थी कभी-कभी अगर उसके दोस्त लेट हो जाए तो वह अकेले में खुद के साथ थोड़ा बहुत समय बिताती रहती थी।

लेकिन वह क्या जानती थी इस अकेलेपन को लोग क्या नाम देने वाले हैं। जब उसका रिजल्ट आया तो अनफॉर्चूनेटली वह फेल हो गई उसके माता-पिता को बहुत ही ज्यादा दुख हुआ लेकिन वह उसको कह रहे थे:" कोई बात नहीं फिर से कोशिश करो तुम कर लो गी।" यह सब सुनकर मैं बहुत ज्यादा खुश हूं वह जाती थी कि उसके माता-पिता को उस पर यकीन है और वह अच्छे से मेहनत करने की कोशिश फिर से शुरू कर रही थी लेकिन उसको क्या पता था कि कुछ ऐसा हो जाएगा जिसकी वजह से उसके माता-पिता ही उस पर गलत आरोप लगाएंगे। 

बाजार के कुछ लोगों ने उसके माता-पिता को कहा:" अक्सर मरियम बाहर अकेली रहती थी वैसे तो कोई लड़की अकेली रहती नहीं है इसका मतलब मरियम कोई ना कोई गलत काम कर रही थी तभी तो वह पास नहीं हो पाई वरना आप ही सोचिए जो लड़की इतना अच्छा पढ़ती थी वह फेल कैसे हो सकती है अब मरियम कोई भी बहाने दे दे लेकिन हमें तो लगता है मरियम गलत ही काम कर रही थी आप को कम से कम इस बात की तफ्तीश तो करनी ही चाहिए वैसे तो वह आप की शहजादी है लेकिन शेष दादी को इतनी छूट देना भी अच्छा नहीं है आपको एक बार पता कर लेना चाहिए कि वाकई ही वह अकेली रहती थी कि नहीं।"

यह सब सुनकर उसके माता-पिता को उस पर संदेह होना शुरू हो गया और उसके माता-पिता एक दिन उसके दोस्तों के पास गए और उनसे पूछने लग गए कि:" सच-सच बताना मरियम कहां रहती थी तुम्हारे साथ होती थी कि नहीं।"

मरियम के सारे दोस्त डर गए और उनको लगा कि अगर मरियम के बारे में वह सच बोल भी दे तो उसके माता-पिता यकीन नहीं करेंगे इसीलिए उन्होंने झूठ बोल दिया कि उनको कुछ पता ही नहीं है मरियम किन के साथ होती थी। उन्होंने तो साफ-साफ बोल दिया कि वह मरियम को कभी अपने साथ लेकर जाते ही नहीं थे वह तो सिर्फ कॉलेज में उसके साथ बातें करते थे बाकी वह नहीं जानते कि मरियम कहां थी कैसी थी क्या करती थी। 

उस दिन डर के मारे उसकी दूसरी दोस्त ने भी कुछ नहीं बोला और मरियम का साथ नहीं दिया।

मरियम के माता-पिता ने यह सब सुना तो उन्होंने मरियम से पूछा:" अब सच सच बताना तुम कहां थी क्या क्या करती थी क्योंकि तुम्हारे सारे दोस्तों ने बोला है कि तुम कभी भी उनके साथ गई ही नहीं।"

मरियम ने रो-रोकर सब कुछ सच बताया साफ-साफ बताया लेकिन उसके माता-पिता ने उस पर यकीन नहीं किया। मरियम ने अपने दोस्तों को भी बोला कि:" सच क्यों नहीं बोल रहे यह सब झूठ बोलकर तुम सब को क्या मिल रहा है तुम तो मेरी इतनी अच्छी दोस्त हो उस लड़की को भी मरियम ने बोला कि यार तू ऐसा क्यों कर रही है तू तो मेरी सबसे अच्छी दोस्त है तू तो मुझे जानती है फिर क्यों मेरे साथ ऐसा कर रही है प्लीज मेरे माता-पिता को बता कि मैं तुम लोगों के साथ होती थी मैं कभी कोई गलत काम नहीं करती थी।"

लेकिन मरियम के दोस्त कुछ नहीं बोले और शांत रहे।

और यह सब देखने के बाद मरियम के माता-पिता को बहुत ही ज्यादा गुस्सा आया और जो नहीं होना चाहिए था वही हुआ मरियम के माता-पिता ने जिस मरियम को अपनी शहजादी बना रखा था उसी पर हाथ उठा दिया और यह सब मरियम बर्दाश्त नहीं कर पाई।

अगली सुबह मरियम के माता-पिता ने उसका दरवाजा खटखटाया लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं आया तुम मरियम के पिता ने वह दरवाजा तोड़ा और देखा कि मरियम मर चुकी है। मरियम के दोस्त भी वहां पर आए और रोने लग गए और सब के सब सिर्फ एक ही चीज चिल्लाने लग गए कि काश उन्होंने उस वक्त सच बोला होता तो आज उनकी दोस्त उनके साथ होती। यह सब सुनकर मरियम के माता-पिता भी बहुत ज्यादा रोने लग गए और कहने लगे कि :"काश उन्होंने अपनी शहजादी पर यकीन रखो होता और दुनिया की बातों को नजरअंदाज किया होता।"

मरियम ने मरने से पहले सिर्फ एक ही छोटी सी चिट्ठी लिखी थी जिसमें उसने लिखा था कि:" मैं इस दुनिया को छोड़कर जा रही हूं लेकिन इसका यह कार्य नहीं है कि मैं फेल हो गई बल्कि इसका यह कारण है कि जिन लोगों के लिए मैंने अपनी पूरी जिंदगी कुर्बान कर दी उन्होंने आखिर में मुझ पर भरोसा नहीं किया। मैंने कभी भी अपने माता-पिता से कुछ नहीं कहा उनकी शहजादी बनकर ही रहे और उनके हर सपने को पूरा करने की पूरी कोशिश की अपने हर सपने का गला घोट कर मैंने अपने माता-पता के सपने पूरे किए लेकिन कहीं ना कहीं कमी रहने की वजह से अक्षर में पीछे रह जाती थी लेकिन इसका यह मतलब नहीं था कि मैं कोई गलत काम कर रही हूं लेकिन मेरे ही माता-पिता ने मुझ पर यकीन नहीं किया और अपनी ही शहजादी पर हाथ उठा दिया जो मैं बर्दाश्त नहीं कर पा रही हूं। और मेरे वह दोस्त जिनके लिए मैं सब कुछ कुर्बान कर देती थी उन्होंने भी आखिर में सच बोलने की जगह अपनी मनगढ़ंत कहानियां बता दे मेरा साथ ही नहीं दिया यह सब भी मैं बर्दाश्त नहीं कर पा रही हूं। जाने से पहले मैं खुदा से सिर्फ एक ही चीज की दुआ करती हूं कि मेरे सारे के सारे दोस्त खुश रहे और मेरे माता-पिता भी खुश रहे और एक और चीज उनसे मांगना चाहती हूं कि अब दुनिया में ऐसी मरियम फिर से पैदा ना हो जो बेचारी अपनी जिंदगी दूसरों के लिए कुर्बान कर दे लेकिन बदले में उसे कुछ भी ना मिले। मेरे जाने के बाद शायद मेरे माता-पिता को और मेरे दोस्तों को दुख होगा लेकिन उनसे मैं सिर्फ एक ही चीज कहना चाहूंगी कि मैं आपसे नाराज नहीं हूं मैं आज भी आप सब से प्यार करती हूं बस अब अपनी जिंदगी से प्यार नहीं रहा इसीलिए अपनी जिंदगी को खत्म कर रही हूं आप सब ने मेरे लिए जितना भी किया जो भी किया उसके लिए शुक्रिया और मेरी तरफ से आखरी अलविदा।"

               


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