Divyanjli Verma

Abstract

4.5  

Divyanjli Verma

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एक गांव मे दो मांझी

एक गांव मे दो मांझी

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एक गांव मे दो मांझी

करते गुजर बसर 

दो जून की रोटी को 

वो लेके नौका साथ 


लोगों को करते कभी 

कभी करते समान को आर पार 

कभी सूखी लकड़ी लाने 

जाते नौका से उस पार 


प्रकृति की मधुर छवि 

करती उनका स्वागत हर बार

एक गांव मे दो मांझी 

करते गुजर बसर 


कभी ले जाते लोगों को 

कभी समान को करते उस पार।


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