एक रोमांटिक कहानी
एक रोमांटिक कहानी
एक गबरू भूत बहुत दिन से एक खूबसूरत चुड़ैल का पीछा कर रहा था। एक दिन हिम्मत करके वह चुड़ैल के पास वाली पीपल की डाल पर आकर बैठ गया और उससे भयंकर बातें करने लगा।बातें करते- करते भूत ने अपनी पसलियों की बात ( दिल नहीं था न ) कहने के लिए भूमिका बनानी शुरू की।
" तुम जानती हो मैं तुम्हारे लिए क्या फील करता हूँ?", भूत ने अपनी लाल आंखों को पीला करते हुए कहा।
" जानती हूं। " चुड़ैल ने लापरवाही से अपने पास घूमते एक कीड़े को पकड़कर मुँह में डालते हुए कहा।
" सच... तो तुम्हीं बताओ न। ", भूत अपनी डाल से उड़कर चुड़ैल के पास आकर बैठ गया।
अपनी गर्दन पर अपनी खोपड़ी को पीछे की ओर घुमा कर एक झटके से अपने हाथ में लेने के बाद चुड़ैल ने कहा, " मैं जानती हूं कि तुम्हारी रीढ़ की हड्डी का सबसे अंतिम वाला टुकड़ा उछल के तुम्हारे गले में फंस जाता है फिर उसकी खांसी से तुम्हारी सारी पसलियां कंकाल तंत्र से बाहर भागने के लिए तैयार हो जाती हैं जिनको एक एक करके तुमको हाथों से पकड़ कर वापिस सेट करना पड़ता है इस चक्कर मे तुम्हारी खोपड़ी में फंसी आंखे भी उनके कोटरों से निकल कर गिर जाती हैं जमीन पर जिसके कारण तुम खुद को ठीक से नहीं देख पाते और उनको बड़ी मुश्किल से अंदाजे से खोजते हो। "
" तुम तो सब जानती हो। ", भूत ने हैरानी से अपनी पूंछ से पीपल की ऊपर वाली डाली को लपेट कर हिलाते हुए कहा जिसके कारण पीपल के पत्ते खड़खड़ का शोर करने लगे कि तभी चुड़ैल ने उनको घूरा और वे सहम कर चुप हो गए।
"पिछली बार जब तुम्हारी आंखे गिरी थीं तो एक बकरी ने चरना शुरू कर दिया था उन्हें । बकरी के मुँह से अपनी गिरी हुई आंखों को बहुत मुश्किल से निकाल पाए थे तुम, इस कारण तुम्हारी आधी आंख चबी हुई दिखती है।", चुड़ैल ने हवा में अपनी खोपड़ी को उछाल कर वापिस अपनी गर्दन पर कैच कर लिया।
उसके इस रहस्योदघाटन और करतब पर भूत की आँखें हैरानी से वापिस उसके कोटरों से गिरने वाली थी लेकिन उसने वापिस उनको सम्भाल लिया।
चुड़ैल ने अपनी खोपड़ी को घूमा कर वापिस सेट करके गर्दन पर कस लिया।
" मुझे यह भी पता है तुम्हारे पंजे की तीन उंगलियां आज तक मिसिंग हैं जिनको पिशाच पुलिस ढूंढ रही है पर देर इसलिये हो रही है क्योकि तुमने उनको रिश्वत में किसी लड़की की आतें लाकर नहीं दी। इसकी वजह यह है कि तुम सम्मोहन विधा में कमजोर हो। "
" वह...वह.. मैं...", भूत शर्मिंदा होकर हकलाने लगा। दरसल वह अभी नया- नया भूत बना था और श्मशान में आते ही इस चुड़ैल का दीवाना हो गया था।
" चिंता मत करो, श्मशान में जाकर तीन काले कुत्तों की हड्डी के साथ उल्लू की आंखों में देखते हुए कापालिक साधना करो।", अपने दांतों को किटकिटाते हुए चुड़ैल ने कहा।
" एक बात कहूँ। ", भूत ने फिर से अपनी पसलियों की बात कहनी चाही। चुड़ैल ने सहमति में अपनी खोपड़ी हिलाई। "तुम डैम ब्यूटीफुल हो।", कहकर भूत शर्म से नीला हो गया।
" मैं डैम में नहीं रहती हूं। ", चुड़ैल ने खूंखार भोलेपन से कहा। ", डैम में तो एक हड्डी वाली चुड़ैल है।वही कूदी थी उसमें जब तुमने उससे शादी के लिए मना कर दिया था।दिल टूट गय
ा था उसका जिसे तल के खा गई वह... नींबू चाटमसाला डालके।"
" अच्छा....", इस बार वह अपनी आंखों को गिरने से नहीं बचा पाया लेकिन चुड़ैल ने फुर्ती दिखाते हुए अपने हाथ लम्बे करके उन्हें जमीन पर गिरने के पहले ही पकड़ लिया और अपनी लपलपाती जीभ से उनका स्वाद लेने लगी।
" अभी.. अभी मुझे जरूरत हैं उनकी। ", यह देखकर दहशत में आते हुए भूत ने मिमियाते हुए कहा।
" ओह, सॉरी। ", कहकर चुड़ैल ने उसकी आंखें वापिस कर दी।
" कल रात को मिलते हैं। ", कहकर भूत जाने ही वाला था कि चुड़ैल ने उसे आवाज देकर रोक लिया।
" मुझे पता है कि तुम एक डेट पर जा रहे हो।जरूर तुमको आज इमली वाली पिशाचनी ने डेट पर बुलाया है। है न...!"
' मर गए, इसे कैसे पता चला।', भूत कुछ कहना चाहता था पर उसे शब्द नहीं मिले। चुड़ैल सदियों पुरानी थी, वह सब जान सकती थी पर इस बात का भूत को पता नहीं था।
"आज मैंने उसे भयंकर पार्लर में देखा था। वह अपनी खोपड़ी की पॉलिश करवा रही थी और उसने हड्डियों पर भी उसने खुशबूदार पीब की मालिश करवाई थी।", चुड़ैल ने अपने दांत रहस्यमय ढंग से किटकिटाए। "आज उसने कंटीली विग भी लगा रखी है और नाखूनों पर भी खुनपोलिश लगाई है।"
" वह मेरे पीछे पड़ी थी... जबरदस्ती बुलाया है उसने। मैं जाना नही चाहता था....!", भूत अपना बिगड़ा हुआ इम्प्रेशन बनाने की कोशिश कर रहा था।
" तुम उसी टेढ़े खंडहर में जा रहे हो न जहां अक्सर प्लाज़्मा की हुक्का बार चलती है?...हुक्का लेने के पहले सेनेटाइज जरूर कर लेना। ", चुड़ैल ने ठंडे स्वर में कहा।
" और सुनो डांस करते वक्त उसके कंधों पर हाथ मत रखना वह क्या है कि उसके कंधे सस्ते में उधार वाले है ,जगह जगह से चटखे हुए। तुम्हारी नाजुक हथेली में चोट लग सकती है।"
" ठीक ... है..। सुनो... तुम भी साथ चलो न। "
" मैं क्या करूँगी वहां। ", भयंकर स्वर में चुड़ैल ने कहा जिसे सुनकर सारे चमकादड़ फड़फड़ाते हुए वापिस आकर पेड़ की डालियों से उल्टे लटक गए।
" हम जवान गर्म खून के कप के साथ चीयर्स करेंगे। मुझे पता है बुड्ढे खून की ठंडक से तुम्हारी अस्थमा की दिक्कत बढ़ जाती है। ", भूत ने अपनी पूंछ को धीरे- धीरे हिलाते हुए चुड़ैल की लाल आंखों में झांका।
" तुमको तो मेरे बारे में बहुत कुछ पता है। ", कहकर चुड़ैल ने अपनी बांह पर लटके मांस को नोच कर खाने के पहले उसका एक हिस्सा तोड़कर भूत को भी दिया।
सन्नाटे में दूर कहीं कुत्ते भौंकने लगे थे और चांद भी बादलों के पीछे छिप गया था। चुड़ैल ने खुशी में भरकर अपने दो लम्बे दांत बाहर निकाल लिए।
" तुम सच में मुझे पसन्द करते हो। " भूत के सफेद हाथ को छूते हुए चुड़ैल ने पूछा।
" बहुत।.... तुम हाँ करो तो मैं हमेशा तुम्हारे साथ इस पीपल के पेड़ पर रहने को तैयार हूं।" भूत सफेद से नीला होता जा रहा था और चुड़ैल की लाल आंखे शर्म से पीली होती जा रही थी। पीपल के पत्ते और सियार दोनों उनकी खुशी में समवेत स्वर से जोर से आवाजें निकाल रहे थे। श्मशान में दूर एक दिलजला पिशाच गा रहा था " दो पसली मिल रही हैं मगर चुपके -चुपके......"