एक पार्सल प्यार का

एक पार्सल प्यार का

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डोर बेल बजी ,ट्रिंग ट्रिंग उधर से निशा ने आते हुए कहा,आ रही हूँ रुको। उतने में दूसरी बेल बज जाती हैं।

ओह हो बड़ी जल्दी है लगता हैं। गेट खोला तो देखा एक डिलवरी बॉय पार्सल हाथ मे थमाते बोला, मैंम साइन किजये। ठीक है ,कहाँ करना है साइन। निशा ने पूछा ,मेम यहाँ और उस ने हाथ मे पैन थमा दिया। निशा ने साइन कर गेट बंद करके उत्साहित हो पार्सल खोला। देखा तो उस मे एक चॉकलेट, एक साड़ी और एक चिट्ठी थी। चॉकलेट देखते ही निशा को समझने में देर नही लगी कि ये अमित ने ही भेजा होगा। उस ने चमकती आँखों से ख़त खोला,

दिल की धड़कने बढ़ रही थी, जैसे ट्रैन का इंजन धुधकता है और पढ़ने लगी। ख़त में लिखा था,

सुनो कल 14 फरवरी हैं ,वेलेंटाइन डे है और इस दिन भी तुम मुझसे इतनी दूर हो। जब तक तुम पास थी, कभी महसूस ही नही हुआ कि तुमसे मुझे इतना प्यार हो सकता है। पर उस दिन जब तुम्हें स्टेशन छोड़ ने आया तो जैसे ही गाड़ी में तुम्हें बिठाया,आँखों से अपने आप आँसुओं की बरसात होने लगी। मैने तुम्हें फोन भी लगाया था। पर शायद तुम्हारे नेटवर्क नही थे तो बात नही हो पाई। मैं तुम्हें इस साड़ी में देखना चाहता हूँ और तुम्हारी पसंद की डेरी मिल्क सिल्क भी है। जानता हूँ कि तुम वहाँ से भी ये ख़रीद सकती थी। पर उस मे मेरा प्यार ना होता।

हैप्पी वेलेंटाइन डे डिअर।

तुम मेरा पहला प्यार तो नहीं, पर मेरी जिंदगी हो। मेरे दिल की धड़कन हो ये तो तुम सब जानती ही हो। ये दिखावे करना मुझे नही आता। बस इतना जानता हूँ कि प्यार जज्बात से होता है और जिंदगी जिम्मेदारी से, तो अपना ख्याल रखना। मिलना तो हीर और रांझा की किस्मत में भी नही था। ख़त पढ़ते- पढ़ते निशा की आंखे भींग चुकी थी। वो भी जानती थी कि अमित उस की जिंदगी नही सिर्फ प्यार है और प्यार दिल में होता है।

साथ रहना जरूरी तो नहीं।।


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