क्या कसूर था निशा का
क्या कसूर था निशा का
रात के दस बजे थे कि निशा के फोन की घँटी बजी। अननोन नम्बर से फोन था। निशा ने फोन उठाया और हेलो बोली। किसी लड़के की आवाज़ आई,
हेलो जान, कैसी हो?
निशा डर गई, बोली आप कौन ?
किसे फोन किया है?
लड़का मस्ती में था, बोला आप को ही किया है जान।
अपने आशिक़ को भूल गयी क्या?
निशा घबरा गई और फोन काट दिया। सुबह उठ कर पति को बताना चाहा, पर काम में भूल गयी। रात 11 बजे सब सो गए थे कि अचानक फिर फोन बजा, निशा ने नींद में फोन उठाया, वो ही लड़का था। फिर से वही बातें बोलने लगा। निशा ने पति को उठाया और फोन की बात बताई।
उस समय तो पति ने निशा को कुछ नहीं कहा और सो जाने को बोला, पर जब रोज रात को फोन आने लगा तो पति का दिमाग में शक आ गया और वो निशा को गलत समझने लगा, हर बात पर ताना देने लगा कि तुम्हारा ही आशिक़ होगा कोई, तभी तो रात को ही कॉल आती है उस की।
घर वालो से छुप कर बातें करती होगी, फिर हम से झूठ बोलती हो, निशा ने समझाने की कोशिश भी की पर किशन सुनने को तैयार ही नहीं था।
रोज के तानों से तंग आ कर निशा ने ख़ुदकुशी कर ली। एक शक जिंदगियाँ तबाह कर देता है।
