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Sandhya Chaturvedi

Tragedy

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Sandhya Chaturvedi

Tragedy

प्यार के साथ दंड भी जरूरी

प्यार के साथ दंड भी जरूरी

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रमा को बेटे का बदलता व्यवहार परेशान कर ही रहा था। वह सोच ही रही थी कि सोनू पहले से ज्यादा जिद्दी और बतमिज होता जा रहा है।वैसे तो सोनू रमा और विजय की इकलौती औलाद है तो दोनों ने उसे बहुत लाड़ और प्यार से पाला है।अब हो भी क्यों ना रमा और विजय इतनी मेहनत से जो कमाते है, वो सोनू के लिए ही तो है और फिर इन दोनों के माँ बाप ने इन्हें इतना लाड़ प्यार नही दिया।

हर बात के लिए ढंग से रहना और जिद ना करने के लिए ही कहा जाता था।दोनों की सोच हो गयी कि जीवन होता ही मजे करने को हैं।हर बात पर रोक टोक से क्या फायदा और पैसा होता है सुख लेने को तो क्या अच्छा और क्या बुरा।

इन सब चीजों ने सोनू को जिद्दी के साथ बिगड़ैल भी बना दिया।ना तो पैसों का बंधन ना ही कोई नजर रखने वाला तो हर काम को करने की लत ने सोनू को नशे का आदि बना दिया।माँ बाप को पता जब चला जब सोनू ने शराब के नशे में अपनी ही साथी का बलात्कार कर दिया और पुलिस ने उसे पकड़ लिया।

पुलिस ने रमा और विजय को घटना की जानकारी दी और समझाया कि बच्चों की हर जिद पूरी करना उनकी आपराधिक प्रवर्ति को बढ़ावा देना है।हर डिमांड को पूरा करने से बच्चा अपनी इच्छाओं को कंट्रोल करना नही सिख पाता है और कभी कोई इच्छा पूरी ना होने पर अनैतिक भी हो जाता है।

बाल मनोविज्ञान में जहाँ दंड और सम्मान विधियों से सीखने पर जोर दिया जाता है, उस का एक मात्र कारण है कि अधिक प्यार और प्रसंशा से बच्चे बिगड़ जाते है।दंड देना भी जरूरी है, ताकि उन्हें अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण करना आये और गलत करने पर दंड मिलेगा इस से वो अपराधी नही बनेंगे और अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण करेंगे।


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