Swati Grover

Romance Tragedy Thriller

3  

Swati Grover

Romance Tragedy Thriller

एक लड़की भीगी-भागी सी

एक लड़की भीगी-भागी सी

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मालिनी ने अपने घर खिड़की से बाहर देखा कि बरसात अब भी हो रही है।  आज सुबह से पानी बरस रहा था। टीवी में भी बार-बार यही दिखा रहे थे कि लगातार तीन दिन ऐसे ही झमाझम वर्षा होती रहेगी।  उसने खुद को शीशे में निहारा। कमर तक लम्बे बाल, गुलाबी रंग की साड़ी, गुलाबी बिंदी, गुलाबी लिपस्टिक और मैचिंग झुमके। उसने आँखों में लगी काजल की लकीर को और भी काला किया। मुँह के मेकअप को थोड़ा और गाढ़ा किया। शीशे को प्यार से चूमते हुए अपना मोबाइल फ़ोन उठाया, छतरी उठाई और घर की बत्ती बंद करके दरवाज़े पर ताला लगा दिया। फ़िर छतरी खोल संभलकर धीरे-धीरे सुनसान हुई गली से निकल बाहर मेन रोड की तरफ़जाने लगी। छतरी पर गिरती बारिश से उसने अंदाज़ा लगाया कि  उसकी रफ़्तार थोड़ी कम हुई है। सावन का महीना उसे बेहद पसंद है। वह बचपन से ही बारिश को देख खुश होती थी। जब उसकी माँ काम पर निकल जाती थी तो वह कागज़ की नाव को पानी भरी सड़को पर चलाती। छप- छपा-छप करके पानी में कूदती रहती। तब तक घर के अंदर नहीं आती थी, जब तक माँ वापिस लौट नहीं आती थीं। वह इस सावन के महीने में इतना कमा लेती है कि दो -तीन महीने आराम से गुज़र जाते हैं। फिर सर्दियों का महीना उसकी गर्मियों को आराम से काट देता है। क्योंकि गर्मी के दिनों में उसे काम करना पसंद नहीं है।

रोड पर पहुँचकर उसने साड़ी के पल्लू को अपने सीने से सरकाया, जिससे उसके वृक्ष और नाभ अच्छे से दिख सकें। छतरी टेढ़ी की ताकि बारिश का पानी उसके बदन को हल्का-हल्का भिगोता रहे।  रोड पर से गाड़ियाँ निकलती जा रही है पर कोई रुक नहीं रहा। आज कोई ग्राहक नहीं मिलेगा क्या ? सब उसे ऐसे ही अनदेखा कर चले जायेंगे, तब तो हो गया काम। पैसे लगभग ख़त्म होने वाले हैं। वह बुदबुदाई जा रही है। तभी एक गाड़ी आकर रुकी और उसके चेहरे पर मुस्कराहट आ गई। उसने अपने होंठ दबाए और कदम आगे बढ़ाया। गाड़ीवाले ने शीशा खोला और उसे अंदर बैठने का इशारा किया। मगर इससे पहले वो अंदर बैठती, पीछे की सीट का शीशा भी खुल गया और दो लोग उसे हँसते और घूरते नज़र आए। उसने कदम पीछे खींच लिए। क्या बात है ? अंदर आ जाओ। तीन लोगों के पैसे भी ज्यादा मिलेंगे। आदमी ने गाड़ी का दरवाज़ा खोलते हुए कहा। नहीं, मैं एक के साथ ही जाऊँगी। मुझे तीन नहीं जमता। जाओ, यहाँ से। उसने कोरा सा ज़वाब दिया।

अरे ! आ जा नखरे क्यों करती है। हम ज्यादा खुश हो गए तो कमीशन भी देंगे। अब पीछे बैठने वाला आदमी हाथ हिलाकर बोला। वह गाड़ी की तरफ बढ़ी अपना छाता बंद किया और आगे के खुले शीशे की तरफ़ मुँह नीचा करके बोली, "यहाँ पास जो पुलिस थाना है न, वहाँ भी मेरा ग्राहक है। तू कहे तो घंटी बजाओ। फ़िर जितना खुश होना है, वो तुझे कर देगा।" गाड़ीवाले को उससे ऐसे ज़वाब की उम्मीद नहीं थीं। मगर उसकी बेबाकी और पुलिस का नाम सुनकर उसके होश उड़ गए। पीछे बैठे हुए आदमी ने कहा, "चल यार ! इससे बढ़िया माल मिल जाएगा। " तभी गाड़ी स्टार्ट हों गई और तेज़ी से निकल गई।

पता नहीं ऐसे ग्राहक क्यों मिलते है, बारिश का सारा मज़ा ख़राब कर दिया।  चलो, थोड़ा भीग लेती हूँ। कोई मिला तो ठीक, वरना निकले। यह कहते हुए उसने अपने चेहरे को आसमान की तरफ़ किया। आँखें बंद कर बूंदो को अपने चेहरे पर महसूस करने लगी। मानो वह अपने चंचल मन को शांत करना चाहती हों। बारिश पहले से हल्की हो गई। लगता है, बरसात का भी मूड ख़राब हो गया। उसने मोबाइल में टाइम देखा सवा दस बज रहे है। अब चले, भूख लग रही है। आज निकली भी देर से थीं। कल जल्दी निकलेंगी। अभी वह यह सोच ही रही है कि  एक गाड़ी उसके पैर के पास आकर धम्म से रुकी, जिससे उसका बैलंस ख़राब हुआ। क्यों बे ! दिखता नहीं है क्या? पीकर चला रहा है।  साले ! बारिश आई नहीं कि तुम लोग अपनी औकात से ज्यादा पी लेते हों। अभी मैं गिर जाती, मेरा पैर टूट जाता। फ़िर खर्चा तू देता। वह बोले जा रही है, तभी गाड़ी का दरवाज़ा खुला और एक युवक गाड़ी से निकल उसके सामने खड़ा हो गया। मिल गया ग्राहक, वह उसे देख खुश हो गई।

 

2.

मोहतरमा आप सड़क के बीचों-बीच खड़ी होकर बारिश का आनंद ले रहीं है। शायद आपको इसलिए यह याद नहीं रहा कि यह चलता-फिरती रोड है। अगर यह मनोरंजन ख़त्म हो गया हो तो रास्ते से हट जाए। युवक बोलकर चुप हो गया और मालिनी उसकी गाड़ी की जलती-बुझती बत्ती से उसकी शक्ल को देखने की कोशिश करने लगी। सुन्दर सा चेहरा, बड़ी-बड़ी आँखें, घुंघराले बाल, नाक , होंठ सब भगवान ने नाप तोल कर बनाया है। लम्बे अरसे बाद इतना सजीला युवक मिला है।  अगर यह हीरो अकेला है तो वह यह मौका हाथ से नहीं जाने देने वाली। मैं हट ही रहीं थीं कि आप आ गए। कहते हुए मालिनी ने अपने गीले-बिखरे साड़ी के पल्लू को ठीक किया। उसने मालिनी को लिफ़्ट देनी चाही, "आपको कहीं जाना है तो छोड़ देता हूँ ? इस मौसम में टैक्सी मिलना मुश्किल है।  यह सारे नमूने ऐसे ही होते हैं। पहले शराफ़त दिखाते हैं। फ़िर बाद में...... खैर छोड़ो! मुझे यह पसंद है, इतना बहुत है। ठीक है, गाड़ी में कोई और तो नहीं है न? मालिनी के चेहरे पर शंका थीं। नहीं, कोई नहीं है। कहकर उसने गाड़ी का गेट खोल दिया। मालिनी बड़ी ठाट से अंदर बैठ गई। जैसे उसी की गाड़ी हो। उस नौजवान ने मालिनी के साड़ी का पल्लू गेट से अंदर किया और दरवाज़ा बंद कर ड्राइविंग सीट पर आ गया। हाययययय! कितना प्यारा है। इसने मेरा दिल खुश कर दिया।  

आप सीट बेल्ट बाँध लीजिये। मैं गाड़ी स्टार्ट कर रहा हूँ।  गाड़ी अपनी गति से चलने लगी। बारिश की गति पहले से तेज़ हों गई। आज सुबह से बरस रहा है। ऐसे मौसम में ड्राइविंग करना भी एक चैलेंज है। उसने मालिनी की ओर देखते हुए कहा। तभी थोड़ा दूर पर भीड़ देख गाड़ी रोकनी पड़ गई। पता चला किसी का एक्सीडेंट हों गया है। उसने गाड़ी दूसरी सड़क की तरफ़ मोड़ दीं।  जहाँ रास्ते के दोनों तरफ़ सिर्फ़ पेड़ ही पेड़ है। बिलकुल सही जा रहा है। अब यही किसी कोने में गाड़ी रोक देगा। जल्दी से जिस्म की आग शांत हो तो मैं पेट के बारे में सोचो। क्या सोच रही है आप ? घबराइए मत।  यहाँ से हम दूसरे रोड पर आ जायेगे। फ़िर आप जहाँ कहेगी, वहीं आपको छोड़ दूँगा। देखा न आपने, कितने हादसे हो रहे हैं।  इतने ख़राब मौसम में यूँ घर से निकलना भी खतरे से खाली नहीं है। वह फ़िर बोलने लगा। मुझे आदत है। वैसे मेरे हिसाब से यह रास्ता बुरा नहीं है। यहीं कही गाड़ी रोक लो या तुम्हारा मन है तो किसी होटल में भी जा सकते हैं। मगर उसके पैसे ज्यादा लगेंगे। पर मुझे पहले कहीं खाना खिलाना होगा। भूखे पेट करने से तुम्हें संतुष्टि नहीं मिलेगी।  

ये सब सुनते ही उसने ब्रेक लगा दीं। लगभग चिल्लाते हुए बोला, "क्या है, यह सब? क्या का, क्या मतलब? बहुत हुआ ड्रामा। अब यह शराफत का नक़ाब हटाओ और जो करने के लिए लाए हो वो करो। अगर ज्यादा पैसे नहीं भरने तो यहीं ठीक है। गाड़ी की पीछे वाली सीट पर चलना है या आगे? उसने साड़ी का पल्लू हटाया और अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी। तुम्हारा दिमाग ख़राब है क्या ? चिल्लाते हुए वह गाड़ी से बाहर निकल गया। बाहर निकलो, अभी के अभी।  और हाँ, अपने कपड़े ठीक करके बाहर निकलना। उसने दरवाज़े को ज़ोर से पटका। फिर मुझे यहाँ क्यों लाए हो ? मालिनी साड़ी समेट बाहर आ गई। वह गुस्से से पागल हो रही है। आज किसका मनहूस चेहरा देखा था।  जो सुबह से ऐसे हलकट ग्राहक मिल रहे हैं। मालिनी ने सड़क पर थूकते हुए कहा। बादल अब भी झमाझम बरस रहा है। ग्राहक यू मीन कस्टमर? तुम एक कॉल गर्ल हों ? ओ। माय गॉड, मुझे पहले समझना चाहिए था।  उसने सिर पर हाथ रखकर कहा। मैंने तुम्हें लिफ़्ट दी और तुम्हें लगा मैं तुम्हारे साथ......... यार ! कहाँ फँस गया। वह बोलते-बोलते रुक गया। अले-अले कितना भोला है, मेरा महबूब। मालिनी ने उसके गाल खींचते हुए कहा। मेरा मन कर रहा है कि तुम्हें खा जाओ। इससे पहले वो उसके होंठों को चूमती, उसने उसे पीछे धकेलते हुए कहा, " दूर हटो और जाओ यहाँ से।  शो ख़त्म।  

ऐसे-कैसे शो ख़त्म। मेरा इतना टाइम बर्बाद किया। अब मुझ वापिस वही छोड़ कर आ, वरना यहाँ से थोड़ी दूर जो पुलिस स्टेशन है न, वहाँ भी मेरा ग्राहक है।  उसे बुला लिया तो किसी को लिफ्ट देने के लायक नहीं रहेगा। कहाँ है, मेरा मोबाइल ? वह बोलते हुए गाड़ी की तऱफ मुड़ी।  ठीक है, चलो वापिस। दोनों गाड़ी मैं बैठ गए, मगर गाड़ी स्टार्ट नहीं हुई। देखने पर पता चला इंजन में ख़राबी आ गई है। वह गाड़ी में बैठते हुए बोला, "गाड़ी मैं कुछ गड़बड़ हो गई है। एक काम करते है, पैदल चलकर मैन रोड तक जाते हैं।  वहाँ से मैं तुम्हें किसी टैक्सी में बिठा दूँगा और पैसे भी मैं ही दे दूँगा। वह मालिनी के चेहरे के हाव-भाव समझते हुए बोला। मालिनी को अपनी छतरी याद आई, जिसे वो उसी रोड पर भूल गई है। मेरे पास छतरी है। तुम तो बहुत समझदार हो। फ़िर तो वो छतरी भी होगी, तुम्हारे पास? उसने होंठ दबाये। बाहर निकलो और बकवास बंद करो। दोनों उसी बाहर वाले रास्ते की ओर चलने लगे। उसकी पूरी कोशिश है कि छतरी में भी मालिनी से दूरी बनाए रखे। ठंडी-ठंडी हवाएँ मालिनी की ज़ुल्फ़ों और साड़ी को उड़ा रही है।  उसका काजल फैल चुका है।  उसका रंग भले ही गेहुआँ है, मगर उसके नैन नक्श बहुत सुन्दर है। ऐसा महसूस हो रहा है कि मुझे इतने करीब देखकर तुम्हारा दिल पिघल रहा रहा है।  अगर कहो तो ... मालिनी ने उसे धक्का देते हुए कहा। तमीज़ से चलो। यह दिल बहुत पहले ही किसी के लिए पिघल चुका है। उसने , मालिनी की आँखों में देखकर कहा।  उसकी आँखों की सच्चाई को देख वह पूछ बैठी क्या नाम है, उसका? 'मैत्री' और तुम्हारा? 'मृणाल'। हम पहुँच गए। अब तुम अपने रास्ते और मैं अपने रास्ते। मृणाल ने बड़े इत्मीनान से ज़वाब दिया।


3

कोई टैक्सी या ऑटो रुक नहीं रहा। मगर बारिश पूरी तरह रुक चुकी है। एकाएक मालिनी अपना पेट पकड़ सड़क पर बैठ गई। यह क्या ड्रामा है ? उठो यहाँ से, लोग गलत सोचने लग जायेगे। मृणाल मालिनी को उठाते हुए बोला। जब मुझे भूख लगती है तो पेट में दर्द शुरू हो जाता है।  अरे यार! अब रात के साढ़े ग्यारह बजे क्या मिलेगा? तभी उसकी नज़र कोने की एक दुकान पर गई। वहाँ तक चलो, शायद कुछ खाने को मिल जाए। दुकान पर दाल-रोटी के पतीले देख मालिनी को होंसला हुआ। वही स्टूल और टेबल पर दोनों दो प्लेट लेकर बैठ गए। तुम्हारा नाम क्या है? 'मालिनी' उसने खाते हुए ज़वाब दिया। यह सब काम? उसने खाना रोका और ज़वाब दिया, कोई कहानी नहीं है। मेरी माँ भी यहीं करती थीं। मेरी मैत्री को हरे रंग की साड़ी पहनना बहुत पसंद है। हम भी सड़क के किनारे बने ढाबों पर बैठकर कुछ न कुछ खाते रहते थें। इतनी सादा-सीरत कि उसके होंठ नहीं आँखें बोलती थीं। पहली बार हम ऐसी ही किसी बारिश में मिले थें। वो बस का इंतज़ार कर रही थीं और मैं बाइक पर था। उसको बेचैन देख, मुझसे रहा नहीं गया। मैंने लिफ़्ट के लिए पूछा और उसने मना नहीं किया। मृणाल को खाने में कोई रुचि नहीं है वो तो मैत्री की बातें करता जा रहा है। और मालिनी सुनती जा रही है। मतलब, यह तुम्हारी आदत है, सबको लिफ़्ट देना? मालिनी ने हँसकर कहा। तुम जब होंठ दबाते हुए हँसती हो तो अच्छी लगती हों। मालिनी सुनकर थोड़ा शरमा गई।  मुझे लगा, तुम बेशर्म हो। मगर तुम्हें तो शर्म भी आती है। मृणाल ने दुकान वाले को पैसे देते हुए कहा।  अभी तुमने मेरी बेशर्मी देखी कहाँ है? तुम तो किसी मैत्री के आशिक हों। मालिनी ने अपने होंठों पर लगे खाने को साफ़ करते हुए कहा। हाँ, वो तो हूँ। यह कहकर उसने एक टैक्सी रोक दीं।

जाइये मैडम, पैसे मैंने दे दिए है। मालिनी जैसे ही टैक्सी में बैठने को हुई तो शराब की गंध ने उसके कदमों को रोक लिया। ड्राइवर ने पी रखी है। मैं नहीं बैठ सकती। भैया, आप जाओ हमें नहीं जाना। टैक्सी वाले ने मृणाल के पैसे लौटाएँ और मुँह बनाकर आगे निकल गया। फ़िर मृणाल ने एक ऑटो रोका और मालिनी को उसमें बिठाकर साथ खुद भी बैठ गया। मैं तुम्हें घर छोड़ देता हूँ। तुम्हें अकेले भेजना ठीक नहीं हैं। मालिनी ने बड़े प्यार से मृणाल को देखा। दोनों ऑटो में बातें करते रहे और मालिनी को इतना भी होश नहीं रहा कि कब मृणाल को उसने बातों-बातों में अपना घर का पता बताया और वो लोग वहाँ पहुँच गए। चाय पीने का मन हो तो अंदर ~~~~ मालिनी की आवाज़ में झिझक है। नहीं, अब मैं चलता हूँ।  मैत्री को बुरा लगेगा न? जब उसे पता चलेगा कि तुम मेरे साथ.... बोलते-बोलते वो रुक गई। नहीं, उसे बुरा नहीं लगेगा। क्यों ? क्योंकि अब मैत्री मेरे साथ नहीं है। मगर उसका प्यार हमेशा मेरे साथ है। मृणाल ने बड़े विश्वास के साथ ज़वाब दिया।

मालिनी ने सुना तो हैरान हों गई आजकल कौन किसी को इतना प्यार करता है। कोई और होता तो यह रात कभी बेकार नहीं करता। मृणाल चला ही है कि मालिनी बोल पड़ी, कल मिलोगे ? मृणाल ने मालिनी को गौर से देखा मानो कोई फैसला कर रहा हो। फ़िर सोचकर बोला, "अगर तुम्हारा वो पुलिसवाला कुछ न कहे तो कल वहीं मिलना जहाँ आज मिले थें। मालिनी ने हँसते हुए ज़वाब दिया, ठीक है, मैं इंतज़ार करुँगी। यह कहकर उसने मृणाल के होंठो को चूम लिया। तुम सच में बड़ी उतावली हों। मृणाल ने मालिनी के गालों को प्यार से हाथ लगाते हुए कहा।

अगले दिन मालिनी ने हरी साड़ी पहनी, लम्बे बालों को बाँधा। आज वह किसी ग्राहक से नहीं, बल्कि अपने मन के मीत मृणाल से मिलने जा रही है। उसका मन है, बारिश में मृणाल के साथ खूब नाचे। उसने अपना मोबाइल उठाया और घर से निकल आई। आज बादल तो है पर अभी बरसात नहीं है। देख! बादल आज बरसाना पड़ेगा। वह आसमान की तरफ़ देखकर कहने लगी। क्यों बरसेगा ? सामने पुलिसवाला खड़ा है। तू यहाँ क्या कर रहा है? रास्ता काटना ज़रूरी है ? मालिनी गुस्से में बोली। आज गज़ब की सुंदरी लग रही है। कोई मोटी पार्टी फँसी है क्या ? पुलिस वाले ने नज़दीक आते हुए कहा। अपने काम से काम रख। मालिनी ने उसे एक तरफ़ किया और बाहर मैन रोड की तरफ़ जाने लगी। सुन ! उसने मालिनी को रोका। कल तेरे घर के बाहर कौन था? तुझे क्या करना है? मालिनी अब तेजी से बढ़ने लगी। अब भी कह रहा हूँ, संभलकर, मुझे वो आदमी~~~ मालिनी उसकी बात को अनसुना कर कल वाली जगह पर आ गई।

कुछ देर बाद मृणाल की गाड़ी आकर रुकी और मालिनी उसमे बैठ गई। हरी साड़ी में तुम बेहद खूबसूरत लग रही हो। मैत्री की तरह। मैत्री की बात करनी ज़रूरी है क्या ? मालिनी ने चिढ़कर कहा। ओह ! तुम तो बुरा मान गई। मृणाल हँसा। यहाँ तो आबादी न के बराबर है।

कौन सी जगह है? मालिनी ने गाड़ी से उतरते हुए कहा। यहाँ जहांगीर और नूरजहाँ घूमने आते थे। क्या सच में ? लोग तो यही कहते हैं। तुम भी मेरे लिए किसी शहज़ादे से कम नहीं हों। माँ कहती थी कि सड़क पर सिर्फ मर्द मिलते है, कोई राजकुमार नहीं। उसने मृणाल के गले में बाहें डालते हुए कहा। मैं नहीं चाहता कि अब तुम किसी और मर्द से बात भी करो, मिलना तो दूर की बात है। उसने मालिनी की पकड़ को और कस लिया। जो हुक्म सरकार। मृणाल मालिनी की गोद में सिर रखकर उसके बंधे बालों को खोल उसकी ज़ुल्फो से खेलने लग गया। मेरा एक सपना है।  कौन सा ? किसी एक की होकर इस बारिश में भीगने का। ऐसा ही होगा। वैसे भी तुम्हारी जुल्फों की काली घटा अब बिखर चुकी है, कभी भी बरसात हो सकती है। मृणाल ने मालिनी के बालों को छेड़ते हुए कहा। मालिनी ने अपने होंठ उसके माथे पर रखते हुए पूछा, "तुम और मैत्री अलग क्यों हुए ? तुम अब भी उससे प्यार करते हो?

मृणाल ने मालिनी का हाथ पकड़ते हुए कहा, "वो मेरा पहला प्यार थीं और तुम आख़िरी प्यार बन के रहो। " उसकी आँखों की कशिश ने मालिनी को और दीवाना कर दिया। कुछ खा लो, वरना तुम्हारे पेट में दर्द हो जाएगा। यह कहकर वह कुछ खाने को लेने चला गया। उसने देखा काले बादल है, अब झमाझम वर्षा होगी और वो अपने शहज़ादे के साथ खूब भीगेंगी।

तभी बारिश शुरू हों गई।  आज मुझे अकेले नहीं भीगना।  यहीं सोच वह गाडी की तरफ़ गई, मगर उससे दरवाज़ा नहीं खुला। शायद डिकी में छाता हों। उसने गाड़ी की डिकी खोल दीं। डिकी में तरपाल देखी, उसे कुछ अज़ीब सी महक महसूस हुई। ज़रूर यह मेरे लिए कुछ ख़ास करने वाला है।  यह सोचकर ही शरारत भरी मुस्कान उसके चेहरे पर आ गई।  उसने तरपाल हटाई।  तरपाल हटाते ही उसकी आँखें फटी की फटी रह गई। उसे यकीन नहीं हों रहा है कि वो क्या देख रही है। मिल ली मैत्री से ? पीछे मुड़कर देखा तो सामने मृणाल पेस्ट्री और सैंडविच लिए खड़ा है।  यह मैत्री है ?? मालिनी के होंठ काँपने लगे, जीभ लड़खड़ा रही है। तुम पूछ रही थी न मैं और मैत्री कैसे अलग हुए ? उसने खाने के समान को अलग रखते हुए कहा, "कितनी सुन्दर है, मेरी मैत्री। मैंने इसे चमेली के फूलों से सजाया है। इसके लिए क्या-क्या नहीं किया।  जो माँगती थीं, वह लाकर देता था।  घरवाले तक छोड़ दिए थे। दादी हमारे रिश्ते के ख़िलाफ़ थीं। उन्हें छत से फ़ेंक दिया। बारिश और तेज़ हो रही है और यह सब सुनकर मालिनी के होश उड़ते जा रहे है।  मगर मेरी जान मैत्री, मुझसे ब्रेकअप कर किसी और से शादी कर रही थीं।  मैं कैसे इसे किसी और का हो जाने देता। मुझे तो इसका किसी लड़के से बात तक करना पसंद नहीं था। इसलिए तुमने इसे मार दिया? मालिनी की आवाज़ में डर और गुस्सा है।

अब जो हो गया सो हो गया।  कल तुम्हें देखकर ही मैंने तभी सोच लिया था कि अब मैत्री को अलविदा कर तुम्हारे साथ रहूँगा। फ़िर मैं तुम्हारे सपना का शहज़ादा भी हूँ। उसने मालिनी के कांपते बदन को छूते हुए कहा।  कल तुम मुझे अपना सब कुछ देने को तैयार थीं। आज मैं तुम्हे पाना चाहता हूँ।  चलो, गाड़ी में बैठते हैं। उसने मालिनी का हाथ पकड़ा।  मालिनी ने हाथ छुड़ाते हुए कहा, "गाड़ी में लाश है, तुम कातिल हो और तुम मेरे साथ सुहागरात के सपने देख रहे हों।  पागल हों क्या? मालिनी वहाँ से भाग जाना चाहती ह। मैत्री भी यही कहती थीं कि मैं पागल हूँ।  घबराओ मत। मैत्री कुछ नहीं कहेगी, हमारे बीच सब ख़त्म हों गया है। उसने मालिनी को और क़रीब कर लिया। क्या यह सचमुच पागल है? लाश भी कुछ कहती है क्या। बेचारी मैत्री या बेचारी मालिनी, जो कल खुद ही इस पगलेट की गाड़ी में बैठ गई। मगर मुझे यहाँ से निकलना होगा।  उसने मन ही मन सोचा।  तुम सोचती बहुत हो। यह कहते हुए मृणाल मालिनी को गाड़ी के अंदर ले गया। उसने सीट नीचे की और अपनी शर्ट उतारने लगा। बारिश पूरे जोरों पर है।  बिजली कड़कने लग गई। क्यों न इस पगलेट के साथ एक रात गुज़ारकर इसे चलता कर दो। फ़िर कुछ दिनों के लिए कहीं और चली जाऊँगी। यही सोच वह खुद को तैयार करने लगी।  

अब मृणाल मालिनी के ऊपर होकर उसके गालों , होंठों और गर्दन को बेतहाशा पागलों की तरह चूमने लगा। मालिनी का फ़ोन बजते ही मृणाल को जैसे होश आया। उसने मालिनी के हाथ से फ़ोन लिया तो देखा कि पुलिसवाला लिखा हुआ है।  यह पागल मेरा ग्राहक है। तुम्हारा कोई ग्राहक नहीं हैं। बस मैं हूँ, समझी। यह कहकर उसने स्पीकर ऑन कर दिया। सुन! मालू फ़ोन मत रखना। कल जिसके साथ तुझे देखा था, वह अपनी प्रेमिका को शादी वाले दिन किडनैप करके ले गया था।  उसके घरवाले और दोस्त कह रहे है कि उसका दिमाग ठीक नहीं है।  पता चला है. उसने अपनी दादी को छत से फ़ेंक दिया था। तू  सुन रही है न ? तू कहाँ है? अपना पता बता मैं आ रहा हूँ। इसे पहले वो कुछ कहती मृणाल ने फ़ोन बंद कर दिया। तुम इसकी बात पर ध्यान मत देना, यह पुलिसवाला है। सब पर शक करता है। हम अपनी रात क्यों खराब करें। उसने मृणाल को अपनी तरफ खींचा। जैसे ही मृणाल मालिनी की नाभ को चूमने लगा, उसने आँखें बंद कर ली। क्योंकि वह अब कुछ और नहीं सोचना चाहती है। उसे अपने इस नादान इश्क़ का खमियाज़ा नहीं भुगतना। तभी उसके मुँह से ज़ोर की चीख निकली उसने आँखें खोली तो देखा खून की लहर उसके बदन पर बह रही है।  उसकी सांस उखड़ने लगी। मृणाल के हाथ में बड़ा सा खंज़र देखकर वह समझ गई कि हुआ क्या है। मेरी जान तुम भी किसी और की मालू हों। तुम्हारा आशिक़ तो मुझे मरवा देगा। इसलिए मैं ब्रेकअप कर रहा हूँ, सॉरी जानेमन। यह कहकर उसे मालिनी के होंठ चूम लिए।  

बारिश अब भी थमी नहीं है। मृणाल की गाड़ी के वाइपर तेज़ चल रहे है। उसने देखा कि सफ़ेद सूट में एक लड़की किताबें और छाता लिए सड़क पार करने की कोशिश कर रही है।  मगर ट्रैफिक की वजह से कर नहीं पा रही।  मैं आपको सड़क पार करवा दूँ ? मृणाल ने गाड़ी रोककर पूछा।  पहले उसने मना किया।  फ़िर गाड़ी में बैठ गई। "एक लड़की भीगी भागी सी सोती रातों में जागी सी मिली एक अजनबी से तुम भी कहो यह कोई बात है " आप गाते अच्छा है।  क्या नाम है आपका? मेरा मनपसंद गाना है। वैसे मेरा नाम मृणाल है। मैं मीशा। आज कुछ ज़्यादा ही बारिश है। पर मुझे बारिश पसंद है।  मेरी एक्स गर्लफ्रेंड को भी बहुत पसंद थीं।  एक्स? जी, अब नहीं है।  मालिनी नाम था, उसका।  कहकर मृणाल ने गाड़ी की स्पीड बढ़ा दीं। अब डिकी में मैत्री की जगह मालिनी की लाश है। 

समाप्त  


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