Swati Grover

Comedy Fantasy

4.0  

Swati Grover

Comedy Fantasy

मेरा पति सबका हैं

मेरा पति सबका हैं

4 mins
280


अरे! भाभीजी भैया नहीं है, क्या घर पर ? मोहन दूधवाले ने कहा। क्यों क्या काम है ? परिधि ने पूछा। जी वो आधार कार्ड बनवाना है। दूधवाले ने सकुचाते हुए कहा। "भैया नहीं है, जाओं यहाँ। से यह कहकर परिधि ने दरवाज़ा बंद कर अंदर आ गई। "क्या! मुसीबत है ! इस आदमी को सबका मसीहा बनना ज़रूरी है ? सारे मोहल्ले में सबकी मदद करता फिरता है। काठ का उल्लू ! पता नहीं कैसा पति पल्ले पड़ गया मेरे। पहले सास-ससुर को इतनी मुश्किल से चलता किया था ताकी मुझे रौनक के साथ वक़्त बिताने का मौका मिलेगा। इसकी ज़िन्दगी में पहले इसके वो यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स, माता-पिता, भाई बहन ये अनचाहे पड़ोसी और जो बचा-खुचा रौनक बचता है वो मुझे मिलता है। परिधि ये सब बड़बड़ाते हुए अपने बैडरूम में आ ए.सी. ऑन कर धम्म से बेड पर लेट गई।


अपनी आँखें बंद कर वो सोचने लगी जो हादसा बीत चुका है। "पापाजी मेनू नहीं लगदा , मैं इस मुंडे नाल सारी ज़िन्दगी रह सकदी हान ! परिधि पापाजी की तरफ नज़र झुकाकर बोली। "क्यों पुत्तर की खराबी है दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर में? इस बार तो मैंने पूरी छानबीन भी की है कोई लालची कुत्ते नहीं है जो व्याह दे वेडे (समय ) कुछ भी माँग लें।" पापाजी ने अपनी गर्दन तानकर कहा। "आपके पास पैस की कोई कमी है क्या ? जो एकलौती बेटी को कुछ नहीं दे सकते"। परिधि ने चिढ़कर कहा। "अरे ! पुत्तर जी जो पहले कौड़ा बोले ओह्! बाद विच भी कड़वा बोले। ऐसे रिश्ते नहीं निभते। "वेख! तेरे नाना ने मेरे साथ की कित्ता सी? पता नहीं केडी जात के थें और और मुझे बता दिया "कनवर्टेड पंजाबी" और तेरे मामा की कहंदा सी जीजाजी साडा ता टिम्बर दा बिज़नेस है पता लगा जी.टी रोड सी.पी में जूतियाँ बेचदा सी वो भी फेरी वाले दी तरह। हम्म" पापाजी ने एक सांस में कहा। परिधि हँसने लग गई। पापाजी सारी उम्र मम्मीजी को यही सुनाते रहे और जब वो गुज़र चुकी है तो मुझे लगता है कि उन्हें याद करते हुए यहीं राग गाते है।


मम्मीजी पंजाबी नहीं थी उन्होंने कभी अपने नाम के आगे सरनेम नहीं लगाया मेरा नाम परिधि भी अपनी ज़िद से रखा वरना पापाजी ने तो मेरा नाम मलकीत कौर रखना था। परिधि अपने अकड़े हुए बाप की ओर मुँह करके बोली-, "लीला आंटी भी गुजराती है आपको तो वह बड़ी पसंद है सब सोसाइटी वाले उन्हें लीला बेन कहते है, पर आप तो लीलाजी-लीलाजी कहते नहीं थकते "। परिधि ने मुँह टेढ़ा कर कहा। "बहन होगी सारे मुहल्ले दी मेरी तो दोस्त है। और सुन! पुत्तर टॉपिक चेंज न कर इस बार रौनक से ज्यादा फ़ोन पर बाते करने की कोई ज़रूरत नहीं। तुम नए बच्चे पता नहीं फ़ोन पर क्या स्यापा डाल देते हों की बाद में रिश्ता ख़त्म।" कहकर पापाजी कमरे से निकल गए। ये मेरा पियो खुद सारा दिन फ़ोन पर लीला बेन से बात करते नहीं थकता और आप ढोकले और थेपला खा खाकर कनवर्टेड गुजराती बन चुका हैं। और मुझे सुना रहा है हम !!!!! "वैसे भी इस उम्र में चॉइस भी तो नहीं रह गई। "बेचारे ! पापाजी।" परिधि ने फ़ोन देखा और फ़ोन बज रहा था।


फ़ोन बजे जा रहा था रौनक का नाम देखते ही वह फिर वर्तमान में वापिस आ गई। "हेलो ! हाँ परिधि आज मेरे कुछ स्टूडेंट्स खाने पर आ रहे हैं रौनक की बात को बीच में काटते हुए बोली,-"मेरे सिर में बहुत दर्द है, मैं खाना नहीं बना सकती। "अरे ! बाहर से आर्डर कर लेंगे, तुम सिर्फ तैयार होकर मुस्कुराते हुए उनका स्वागत कर देना बस!" कहकर रौनक ने फ़ोन रख दिया। "लो बीवी न हो गयी शोरूम मैं खड़ी कोई सेल्सगर्ल हो गई।" परिधि फ़ोन पटक फिर आँखे बंदकर लेट गई। "रौनक से फ़ोन पर कम बात हुई थीं वो भी सिर्फ प्रोफेशनली जैसे कोई इंटरव्यू हूं। तभी कहा था, बोरिंग है, शादी नहीं करनी। मगर हुआ क्या! दो महीने में रिश्ता पक्का और शादी-बर्बादी ! सच है मेरे दो रोके टूट चुके है मगर मुझे कोई अफ़सोस नहीं। पहले का नाम था,' रणबीर' बिलकुल फ़िल्मी। ख़ूब फ़ोन पर बातें हुई थीं घूमना-फिरना, मूवी-शूवी सब हुआ था। उसने अपने अफेयर के बारे में बताया फ़िर मैंने भी बताया और हो गयी लड़ाई। ह्य्पोक्रेटे अपना सही और मेरा गलत। क्या हुआ! जो मेरे अफेयर उससे ज़्यादा थे। परिधि मुँह बिचकाकर बोली। और दूसरे का नाम भी ऋतिक था वो थोड़ा कम फ़िल्मी था, मगर उसके बाप ने मेरे पापाजी से एक फ्लैट माँग लिया था, वैसे पापाजी के लिए कोई बड़ी बात नहीं थी। वो प्रॉपर्टी डीलर है। कई फ्लैट है उनके पास। मगर उन्हें ऋतिक के घरवालों का फ्लैट मांगना उन्हें बुरा लगा था। खुद पापाजी ने भाई की शादी में भाभी के घरवालों से बड़ी गाड़ी माँगी थीं पर यही तो है अपनी बेटी के लिए कुछ दूसरे की बेटी के लिए कुछ। इसलिए ऋतिक भी आउट। 


परिधि ने टाइम देखा तैयार हुई और शाम को रौनक के स्टूडेंट्स घर आए और सबने डिनर किया और जाते-जाते कह गए कि "मेम आप बहुत लकी है जो, आपको सर जैसे लाइफ पार्टनर मिले।" परिधि ने मन ही मन सोचा हाँ इतनी लकी कि मेरे ही चेहरे की रौनक चली गयी है।" रौनक तो सो गया और परिधि रौनक को घूरते हुए बोली-"फिजिक्स के प्रोफेसर को केमिस्ट्री और बायोलॉजी की नॉलेज कैसे होगी?और फिर कहानी फ़्लैश बैक मैं जहाँ परिधि हनीमून पर उत्तरखंड और सिक्किम के आर्गेनिक खेती कर रहे किसानों के साथ खड़ी और रौनक उनके बीच विज्ञान का आदान -प्रदान हो रहा है। "हाइयो रब्बा फेसबुक और इंस्टा पर तो नाक कट जाएँगी। मेरी अपनी सारी शार्ट ड्रेसज और बिकनी क्या इन खेतों में पहनकर घूमो। कल शार्ट ड्रेस क्या पहनी तो किसान भी फावड़ा छोड़ पता नहीं क्या पकड़ कर बैठ गया था"। "रौनक यहाँ से गोवा चलते है, क्रूज पर एन्जॉय करेंगे मुझे इस जगह पर चक्कर आ रहे हैं।" परिधि ने खेतों में गिरकर कहा। "परिधि यहाँ का एनवायरनमेंट बहुत इक्को-फ्रेंडली है तुम्हें इतना ताज़ा खाना और शुद्ध हवा कहाँ मिलेंगी।" रौनक ने परिधि को उठाते हुए कहा। "मुझे नहीं खानी ये ताज़ा सब्ज़ी और हवा। "आई लव नॉनवेज मुझे समुद्र पसंद है न कि पहाड़ , चलो यहाँ से।" परिधि ने चिढ़कर कहा। "ठीक है गोवा चलते है, अपनी फ्लाइट बुकिंग करवाते है। रौनक परिधि से लिपटते हुए बोला। मगर कॉलेज में कोई रिसर्च और सेमीनार आने पर हम घर आ गए और शादी को आठ महीने हो चुके है और हम कहीं नहीं गए। कभी सास-ससुर, रिश्तेदार स्टूडेंट्स बहुत बिजी है मेरा पति जो मेरा न होकर सबका है। परिधि ने गुस्से से रौनक को ज़ोर से लात मारी मगर नींद में डूबा रौनक खर्राटे मार सोता रहा। और परिधि को महसूस हो गया कि वो अपने घर पर है।


अगले दिन अपनी ऑनलाइन कैंडल सेल की वेबसाइट पर देखा तो किसी ने 50 कैंडल के आर्डर दे रखे थें। "मेरा बिज़नेस अच्छा चल रहा है। " परिधि ने वही किसी हर्षित जिसने इतना आर्डर दिया था, उसे सन्देश भेज उसका पता पूछा। "आप खूबसूरत कैंडल बनाती है, मैंने आपका इंस्टा और फेसबुक पेज भी देख लिया है। जल्द ही कोई बड़ा आर्डर आपको दूँगा।" और हुआ भी वही हर्षित ने परिधि को 500 कैंडल का आर्डर दिया और परिधि बहुत खुश। उसकी हर्षित से चैट शुरू हो गई उसने उसके साथ सनेप चैट पर बात करना शुरू कर दिया। वह केवल इंस्टा के बिज़नेस वाले पेज से बात करती और व्हाट्स नंबर से क्योंकि उसे कोई रूचि नहीं थी कि वो अपना मैरिटल स्टेटस किसी के साथ शेयर करें। "मुझे तो अभी सिंगल वाली फीलिंग आती है।" परिधि ने हंसकर अपनी सहेली रिया को बताया। "कबतक चलेगा ?" "जब तक चल सकता है तब तक।" परिधि ने रिया को आँख मारते हुए कहा। हर्षित से मिलने लगी और रौनक को अब गंभीरता से लेना बंद कर दिया। सोच लिया , अगर जिस दिन हर्षित ने प्रपोज़ किया उस दिन रौनक को टाटा-बाय ! बाय ! बाय !!


एक दिन हर्षित परिधि को एक सुनसान जगह पर ले गया। परिधि का दिल ज़ोर से धड़क रहा था उसने सोचा आज उसकी ज़िन्दगी में टवीस्ट आने वाला है। और जब हर्षित ने परिधि का हाथ पकड़ उसे कहना शुरू किया-, "परिधि मुझे माफ़ कर दो, सच तो यह है कि मैं शादीशुदा हूँ। मेरी बीवी हर वक्त मायके जाती रहती है बस उसे सबक सिखाने के लिए ही मैंने तुमसे दोस्ती की थीं।" यह सुन परिधि को ज़ोर से हँसी आ गयी। वह हर्षित को अच्छा दोस्त बना घर लौट आयी और खूब हॅसी। शाम को रौनक ने पहली वेडिंग एनिवर्सरी पर उसे मालद्वीव ले जाने की बात ही नहीं की। बल्कि उसे ले भी गया। और पिछले सारे गिले-शिकवे भूल उसने अपना रियल हनीमून एन्जॉय करना शुरू कर दिया।


वापिस आने पर "भाभी जी भैया से बात करवा दो वो अपना घर का पता बिजली के बिल पर ठीक करवाना था ज़रा अंग्रेजी में कोई काग़ज़- चिट्ठी बड़े बाबू को लिख देते तो बड़ी मेहरबानी हो जाती। दूधवाले ने हाथ जोड़कर कहा। "अरे ! बहू रौनक से कहना इस बार पंजाब आये तो दिल्ली के चांदनी चौक से हमारे लिए शॉल ले आये।" सांस ने फ़ोन पर आदेश सुना दिया। " मैम कल हमारी फेयरवेल है आपको ज़रूर आना है हमने सर को भी बोल दिया है कि आपको ज़रूर लाएं। रश्मि रौनक की स्टूडेंट ने व्हाट्स पर कहा। रौनक आज शाम को जल्दी घर आ गया और मूवी दिखाने ले गया।


मेरा पति सुधर रहा है, सबका होते हुए भी मेरा ही हैं। यह सोच परिधि कल की फेयरवेल पार्टी के लिए ड्रेस खोजने लगी।    


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