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Swati Grover

Horror

4  

Swati Grover

Horror

कन्फेशन

कन्फेशन

131 mins
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शुभांगी तुम्हें हमारे साथ चलना ही होगा। यह प्रोजेक्ट हम चारों का है, इसलिए हम चारों जायेंगे । विशाल ने सबको अपना फैसला सुना दिया । विशाल ठीक कह रहा है, जैसे पिछली बार भी हम चारों गए थें, तो इस बार भी यही होना चाहिए । मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है । अब रिया ने भी अतुल की हाँ में हाँ भरी । शुभांगी ने तीनों को गौर से देखा और आराम से कुर्सी पर बैठते हुए बोली कि ," मुझे समझ नहीं आता कि तुम लोग मुझे क्यों फाॅर्स कर रहे हों? मैं सारा थ्योरी वर्क संभल लूंगी, तुम बस जाओ और रिसर्च करो । तुम्हें पता है, मेरी माँ नहीं मानेगी, और फिर मेरे जाने के बाद वो भी अकेली हो जायेगी। शुभांगी दो दिन की बात है, पिछली बार भी तुमने अपनी मम्मी से झूठ बोला था। इस बार भी कह देना कि बिना जाए नंबर नहीं मिलेंगे । विशाल भी उसके पास कुर्सी पर आकर बैठ गया । हाँ, यार ! साथ में मज़ा आएगा । थ्योरी सब मिलकर कर लेंगे और इस बार का यह रिसर्च हमारे प्रोजेक्ट की यू एस पी होगी। अतुल ने भी ज़ोर देते हुए कहा । जब हम पक्षियो की भाषा समझने वाले आदमी के पास गए थे तो हमने अच्छा स्कोर किया था। तो यह तो और दिलचस्स्प है । रिया की बात में दम तो है ।

शुभांगी ज़्यादा मत सोचो, हम लोग इस फ्राइडे उत्तराखंड के धनपुर की रिट्ज वैली जा रहे हैं। मेरी गाड़ी से चलेंगे, और सोमवार को सुबह निकल पड़ेगे । अब विशाल यह कहकर सुनसान हो चुकी लाइब्रेरी से निकल गया और अतुल भी उसके साथ हो लिया । रिया शुभांगी को समझाते हुए बोली, चल न यार पिकनिक हो जायेगी । आंटी इतनी भी सख़्त नहीं है, जितना तू उन्हें समझती है । मेरी माँ बस डरपोक है, मुझे लेकर वो बहुत डरती है। वो तो मैं उन्हें कॉलेज के पेपर्स और नंबर्स का कहती रहती हूँ तो वह चुप हों जाती है । वरना उनका कहना है कि लड़कियाँ शाम को अपने घर ही लौट आनी चाहिए । शुभांगी ने मुँह बनाकर कहा तो रिया को हँसी आ गई । जो भी है, तू आ रही है और मैं अपने बॉयफ्रेंड सागर को भी बुला रही हूँ । बड़े दिनों से हमने साथ में मज़े नहीं किये। वे दोनों इस बात पर हँस पड़े और रिया बाय कह चली गई । शुभांगी ने देखा लाइब्रेरी में कोई नहीं है। सिर्फ बाहर काउंटर पर मेम बैठी होंगी। उसे भी चलना चाहिए। पाँच बज चुके है।

जब उसकी नज़र सामने वाले लॉकर गई तो पॉल एंडरसन के ऊपर लिखी बुक को उसने उठा लिया। बुक के पहले पेज पर एंडरसन की तस्वीर बनी हुई है । पता नहीं, कैसे यह कर लेते होंगे । बड़ी मुश्किल से इन पर लिखी यह बुक मिली है । उसने पहले पन्ने को थोड़ा सा पढ़ा ही है, तभी उसे महसूस हुआ कि लाइब्रेरी में उसके अलावा कोई और भी है । हो सकता है, मेम हो या कोई रह गया हो । आखिर इतनी बड़ी लाइब्रेरी है । यह सोचकर वो फ़िर पढ़ने लगी। मगर इस बार उसे कुछ गिरने की आवाज़ आई तो वह अपनी कुर्सी से खड़ी हो उस तरफ़ जाने लगी, जहाँ से आवाज़ आई थीं । पीछे की तरफ़ उसने जाते हुए चारो ओर नज़र घुमाई, मगर कोई नहीं है। थोड़ा सा आगे बड़ी तो देखा कि चार -पाँच किताबें नीचे गिरी हुई हैं । कोई है ? कौन है ? शुभांगी पूछती गई। तभी एक किताब उसके सामने उड़कर दूसरी तरफ जाने लगी । वह बड़ी बुरी तरह डर गई और ज़ोर से चिल्लाई और अपना सामान उठा बाहर की तरफ भागने लगी । काउंटर पर मेम को न देखकर उसकी हालत और ख़राब हो गई।

शुभांगी कहाँ जा रही हों? साइन तो करके जाऊँ। उसने पीछे मुड़कर देखा तो मेम है । इतनी डरी हुई क्यों लग रही हो ? मेम को देख वह थोड़ा सम्भली । मेम अंदर कोई है ? किताबें हवा में उड़ रही थीं। क्या ? खिड़की खुली रह गई होगी । हवा चल रही होंगी । मेम ने एंडरसन की बुक उसके हाथ से लेते हुए कहा, " इनकी बुक पढ़ोंगी तो डर ही जाऊँगी। यह तो सारी ज़िन्दगी मरे हुए लोगों से बात करते रहे और एक दिन खामोशी से मर गए । कैसे आज तक नहीं पता चला। इनकी बॉडी भी किसी को नहीं मिली। मेम कहती जा रही है । और शुभांगी के चेहरे का रंग बदलता जा रहा है । मेम इस किताब में है क्या? कुछ नहीं बस इनके ज़िन्दगी के कुछ अनुभव। चलो, अब साइन करो। मुझे लाइब्रेरी बंद करनी है। तुम्हारी आदत है, जाते-जाते भी कोई बुक लेकर बैठ जाती हो । इसे कल इशू करवाना। अभी यहीं रहने दो । शुभांगी ने साइन किये और बाहर निकल गई । अँधेरा होने वाला था, सर्दियों में रातें भी जल्दी लम्बी हो जाती है । शुभांगी के घर से लाइब्रेरी ज्यादा दूर नहीं है । साउथ दिल्ली की सड़क साफ़ है। चारों और पेड़ । कभी- कभी उसे दिल्ली की सड़के किसी हिल स्टेशन की सड़कों से कम नहीं लगती । मैंने जो अंदर देखा वो मेरा भ्रम था या सचमुच कुछ ? उसने खुद से सवाल किया । उसका फ़ोन बजा। मोबाइल पर माँ का नाम देखकर उसने कदम जल्दी बढ़ाने शुरू कर दिए । और कुछ ही मिनटों में वह घर के अंदर पहुँच गई। फ़ोन क्यों नहीं उठाती ? माँ ने शुभांगी को झाड़ लगाई।अभी देखा । तू और तेरे बहाने।

माँ शुकवार हम प्रोजेक्ट के सिलसिले में दो दिन के लिए बाहर जा रहे हैं। सोमवार तक आ जायेगे । शुभांगी ने खाना खाते हुए कहा । ऐसे कौन से प्रोजेक्ट पर काम कर रही हों ? जिसमे घर से बाहर जाना पड़ता है । माँ फेलोशिप के लिए यह प्रोजेक्ट " हमारे देश की कुछ अविश्वसनीय बातें " करना पड़ेगा। शुभांगी ने मुँह में चम्मच डालते हुए कहा । कहाँ जाना है ? बस माँ उत्तराखंड की तरफ ज्यादा दूर नहीं है । जल्दी आ जायेगे । जो भी है बेटा, तुझे पता है मुझे बड़ी फ़िक्र लगी रहती है । अब यह बाहर जाने के प्रोजेक्ट बंद करो और क्लास में बैठकर ही पढ़ाई किया करो। माँ की आवाज़ में आदेश है । यह कॉलेज का आख़िरी साल है और ये सब आखिरी सेमेस्टर का पेपर वर्क है। प्रोजेक्ट से मास्टर्स में एडमिशन लेना और भी आसान हो जाएगा । शुभांगी ने खाना खत्म करके अपनी प्लेट उठाते हुए कहा। अब तुझे ज्यादा पता होगा। जा अब सो जा। माँ ने बात वही ख़त्म कर दी ।

शुभांगी अपने कमरे में अपनी किताबें लेकर बैठ गई । जब उसे प्रोजेक्ट का ध्यान आया तो उसने अपना ईमेल चेक किया । विशाल की द्वारा भेजी फाइल खुलते ही उसके होश उड़ गए । हमें पॉल एंडरसन के ऊपर रिसर्च करना है। इनके बारे में लाइब्रेरी में पढ़ रही थीं। पहले तो विशाल ने किसी भगवत भूटा का जिक्र किया था । जो बिना घर देखे वास्तुशास्त्र कर देते हैं। इसने चेंज कब किया। मुझे बताया भी नहीं। इससे बात करती हूँ। यह सब सोचकर ही उसने विशाल को फ़ोन कर लिया । घंटी बज रही है। मगर उसने फ़ोन नहीं उठाया । शुभांगी ने फ़ोन रख अपने लैपटॉप को खोला और इंटरनेट पर एंडरसन बारे मैं पढ़ने लगी। पॉल एंडरसन एक पादरी थें । वे लोगों की मदद करते करते थें । जिनके करीबी मर जाते । वह उनसे उनकी बात कराते थें। यानि अगर हम किसी अपने को अपने मन की बात नहीं बोल पाए तो वह उसकी आत्मा को बुलाकर उनसे लोगों की बात कराते थें। एक तरह से लोग अपने अपनों से किसी अधूरी बात का कॉन्फेशन करते थें । फ़िर न जाने कैसे यह गायब हो गए और कुछ समय बाद इन्हें मरा हुआ मान लिया गया। शुभांगी ने ये सब पढ़कर फ़िर विशाल को फ़ोन किया। मगर इस बार भी उसने फ़ोन नहीं उठाया तो उसने अतुल को फ़ोन किया । हेलो अतुल ! हाँ, शुभांगी , क्या हुआ ? तुमने बताया नहीं कि तुम लोगों ने प्रोजेक्ट बदल लिया है । उसकी आवाज़ में खीज थीं । अरे ! यार वो भगवत भूटा को सुनील एंड ग्रुप ने पहले ही अपने प्रोजेक्ट में शामिल कर लिया । इसलिए हमने पॉल एंडरसन को ले लिया । इनकी वजह से हमारे नंबर भी ज़्यादा आएंगे । किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि हम पॉल एंडरसन की लाइफ थ्योरी लेने वाले हैं । यह सबसे अलग और बढ़िया होगा क्यों क्या कहती हो ? अतुल की आवाज़ में उत्साह है । मुझे नहीं लगता, हमें किसी और को ढूंढ़ना चाहिए । क्या मिलेगा इनकी लाइफ के बारे में खोजकर । शुभांगी अब इतनी जल्दी कुछ और नहीं हों सकता और यकीन मानो हम टॉप करेंगे । शुभांगी कुछ नहीं बोली ।

पहले उसका मन किया वो लाइब्रेरी वाली घटना अतुल को बताये । मगर उसे फ़िर समझ आ गया कि वो मज़ाक उड़ाएगा और वो खुद भी तो पूरी तरह कन्वेन्स नहीं है कि जो उसने देखा वो सच था । कल मिलते हैं । कहकर शुभांगी ने फ़ोन रख दिया। रिया को फ़ोन करना बेकार है। वैसे इसमें बुराई क्या है । अगर हमने टॉप कर लिया तो मास्टर्स में एडमिशन लेना और आसान हो जायेगा। यह आखिरी साल हम सबके लिए बहुत ज़रूरी है। मेरी वजह से किसी को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए। शुभांगी ने लैबटॉप बंद किया और सोने के लिए बिस्तर पर आ गई। कुछ देर बाद उसे नींद आ गई।


 सपने में पॉल एंडरसन को देखकर वह डर की वजह से उठ गई। उसने पानी पिया । अपने कमरे में चारों और देखा एक अलग सा सन्नाटा उसे महसूस हुआ । जैसे कोई कमरे से गुज़र कर निकला हो। उसने सोचा, वह माँ के पास जाए। मगर उसने न जाना ही ठीक समझा । उसने पानी पिया और टेबल पर रखी अपने पापा की फोटो पर उसकी नज़र गई । वह फोटो हाथ में लेकर बड़े प्यार से उन्हें देखने लगी। ढाई साल की वह, अपने पापा की गोद में कितनी खुश लग रही हैं । पापा भी मुझे छोड़कर जल्दी चले गए । यह मेरे साथ उनका आखिरी फोटो है। एक सड़क हादसे में उसके पापा की मौत हो गई थी। यह सब सोचते हुए फोटो पर अपनी उँगलियाँ फेरी । तभी उसे फ़ोटो फ्रेम पर किसी की परछाई महसूस हुई। उसने झटके से पीछे मुड़कर देखा तो कोई नहीं है। बड़ी सावधानी से फ़ोटो को टेबल पर रख दिया और कमरे से निकल कर अपनी माँ के कमरे में चली गई । माँ आराम से सो रही है । उसने सोचा, यही सो जाती हूँ। आज अपने कमरे में सोने का मन नहीं कर रहा है । वह सोती माँ के साथ लिपट कर सो गई। 


सुबह जब कॉलेज पहुँची तो वहाँ विशाल, रिया और अतुल उसकी ही राह देख रहे है । क्यों शुभांगी सारी तैयारी हो गई ? विशाल ने पूछा । कल तुम कॉल क्यों रही थी मैं अनन्या के साथ था। वह हँसते हुए बोला । तुम सब मज़े करने में लगे हों। मगर मुझे लगता है कि हमें इस बार कोई और व्यक्ति ढूंढना चाहिए । तुम्हारे इसी मज़े के चक्कर में मुझे कल रात नींद नहीं आई । उसने कल सपने वाली बात उन्हें बतायी तो रिया बोल पड़ी," यार हम दिन भर जिनके बारे मैं बात करते हैं, वहीं लोग हमारे सपने में आते हैं ।ज़्यादा मत सोच। वह बहुत साल पहले ही मर चुके है और हमें मुश्किल से दो दिन भी वहाँ नहीं रुकना। हम वहाँ से नैनीताल के लिए निकल जायेगे । सो डोंट थिंक मच । रिया ने कहा और सबने उसकी हाँ में हाँ मिलाई। 

शुभांगी कॉलेज की क्लास में बैठे अपने नोट्स बना रही है । थोड़ी देर बाद ज़ोर की हवा चली और क्लॉस के खिड़की दरवाज़े बंद हो गए । उसने अपनी किताबें उठाई और गेट खोल बाहर जाने को हुई। मगर दरवाज़ा खुल ही नहीं रहा है। वह ज़ोर से बोलने लगी कि कोई है? और दरवाज़ा पीटती रही । मगर सिर्फ़ ज़ोर की हवा उसके बाल हिला रही है, जैसे कोई उसकी तरफ़ बढ़ा आ रहा हो। वह अब चिल्लाने लगी। दरवाज़ा खोलो, कोई तो खोलो । मगर दरवाज़ा नहीं खुला और टेबल की किताबें हवा में उड़ने लगी । उसके हाथ से किताबें भी छूट गयी । वह ज़ोर से चिल्लाने लगी, कौन है ? कौन है ? कोई दरवाज़ा खोलो ?? ?? तभी कमरे की लाइट बंद हो गई और शुभांगी को लगने लगा कि कुछ बुरा होने वाला है । तभी धीरे-धीरे कमरे का दरवाज़ा खुलने लगा और वह किसी अनजान डर से दरवाज़े से पीछे हटने लगी। 


2


जैसे ही कमरे का दरवाज़ा खुलता जा रहा है । हवा में तैरती किताबें वापिस अपनी जगह पर आ रही है । शुभांगी पसीना-पसीना हों रही है । अब ज़रूर कोई अंदर आकर उसे मार डालेगा । मगर कौन ? उसने किसका क्या बिगाड़ा है । क्लॉस का दरवाज़ा पूरी तरह खुला और सामने खड़े कॉलेज के कर्मचारी को देख उसकी सांस आई । तुम यहाँ क्या कर रही हों? और दरवाज़ा कैसे बंद हो गया? भैया, हवा चली और दरवाज़ा बंद हों गया। उसके मुँह से आवाज़ नहीं निकल रही है । जाम होना तो नहीं चाहिए था वैसे । अब जल्दी सेमिनार रूम पहुँचो सभी स्टूडेंट्स वहाँ पर है । कॉलेज के चेयरमैन ने एक मीटिंग रखी है। जल्दी जाओ । कर्मचारी ने जैसे ही उसे यह बताया तो वह अपनी किताबें उठाकर बाहर जाने को भागी । अरे ! रुको यह किताब भी लेती जाओ तुम्हारी है न ? उसने किताब देखी पॉल एंडरसन की किताब देख उसका सिर चकरा गया । यह कित्ताब तो उसने लाइब्रेरी में ही छोड़ दी थीं । मगर उसे बिना कुछ कहे काँपते हाथों से कित्ताब पकड़ ली। और बाहर की तरफ भागी। हो न हो यह सब कुछ इन्हीं की वजह से हो रहा है । मैं अभी जाकर उन तीनों को मना कर देती हूँ, कुछ भी हों जाएँ, मैं खुद ही कोई दूसरा टॉपिक ढूँढ लूँगी। कम से कम अजीब तरह की चीज़ें होनी तो बंद हो जाएँगी ।


वह सेमीनार रूम में पहुँची और पीछे वाली कुर्सी पर बैठ गई । मगर उसका दिल अब भी ज़ोर से धड़क रहा है । तभो प्रिंसिपल ने बोलना शुरू किया आप सभी को हमें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हम इस बार अपने फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स को फेलोशिप के लिए विदेश भेजेंगे । अगर सायकोलॉजी के स्टूडेंट्स आगे मास्टर्स में लाइफ स्किल्स करना चाहे तो उन्हें विदेश में पढ़ने के लिए भेजा जाएगा। सारा खर्चा कॉलेज प्रशासन उठाएँगा। मगर आपको फाइनल सेमेस्टर में खुद को साबित करना होगा आपके पेपर्स, थ्योरी, प्रोजेक्ट वर्क सब में आप फर्स्ट थ्री रैंक्स में होने चाहिए । इतना सुनते ही पूरा हॉल तालियों से गूँज उठा । सारे स्टूडेंट्स के चेहरे ख़ुशी से खिल उठे। प्रिंसिपल यह कहकर चले गए पर रिया, विशाल और अतुल शुभांगी के पास आकर कहने लगे, "यह सब किस्मत से मिलता है । हम सबके पेपर्स अच्छे गए है, बस अब यह आखिरी सेमेस्टर का प्रोजेक्ट वर्क निकल जाए तो हम चारो ही फर्स्ट थ्री रैंक्स में आ सकते हैं । विशाल ने चहकते हुए बताया । शुभांगी कुछ रुककर बोली, मुझे नहीं लगता मैं अब तुम लोगों का साथ दे पाऊँगी । में अकेले ही दूसरा कुछ देखती हूँ । क्यों, अब क्या हुआ ? अरे ! यार इस लड़की को कोई समझाए ज़िन्दगी ऐसे मौके सबको नहीं देती । आखिर बताओ तो सही क्या हुआ ? अतुल ने भी पूछा । शुभांगी ने कल से लेकर आज तक की सारी बात बता दीं । यार ! यह तेरा वहम भी हो सकता । रिया ने कहा । तो यह बुक कल लाइब्रेरी में थीं । आज क्लॉस में कैसे पहुंच गई । दरवाज़ा का बंद होना, हवा में बुक का तैरना, लाइट जाना यह सब क्या है ? शुभांगी चिल्लाकर बोली । 


हो सकता है, कोई और भी उस बुक को पढ़ रहा हो। जैसे तुमने बताया कि क्लॉस में और भी बुक्स थीं । दरवाज़ा जाम हो गया होगा । स्पोर्ट्स रूम का दरवाज़ा भी जाम था और लाइट तो अभी पूरे कॉलेज की गई थीं और रहा सवाल किताबों का हवा में तैरना तो अभी तुमने ही कहा है कि हवा चल रही थीं । फिर उड़ गई होंगी । जो भी है, लाइब्रेरी में भी कल यही हुआ था । शुभांगी अब भी अपनी बात दोहराएँ जा रही है । विशाल ने सिर पकड़ लिया । एक काम करते है, आज सब शाम तक लाइब्रेरी में रहते है। अगर ऐसा कुछ हुआ तो हम तुम्हें कुछ नहीं कहेंगे तुम पीछे हट सकती हो और हम तीनों फ़िर सोच लेंगे कि हमें क्या करना है । कम से कम तुम्हारे इस नाटक से हमारी जान छूटेगी । विशाल की बात सबको सही लगी । मैं कोई नाटक नहीं कर रही हूँ । फ़िर भी तुम्हें लगता है, तो ठीक है । आज चलना सब । जब तक लाइब्रेरी बंद नहीं होगी। तब तक वहीं रहेंगे । सब जाने को तैयार हो गए ।


लाइब्रेरी में पहुँचते ही उसने बुक के बारे में पूछा और पूछने पर पता चला कि बुक तो वही है । इसका मतलब कोई और उस बुक को पढ़ रहा होगा । शुभांगी को थोड़ी राहत महसूस हुई । शाम के पाँच बज गए । रिया अपने बॉयफ्रेंड सागर से बात करने लगी। अतुल और विशाल भी मोबाइल पर किसी गेम मैं लगे हुए हैं । शुभांगी यहाँ-वहाँ देख रही हैं । अगर वो गलत साबित हुई तो भी अच्छा है और अगर वो सही निकली तो इस प्रोजेक्ट वर्क से निकलना और भी अच्छा होगा । तभी अतुल बोला, यार! न हवा चल रही है न किताबें हिल रही है । अब बताओ क्या करे । विशाल ने हँसते हुए कहा हम ही किताबों को इधर -उधर कर टाइम पास कर लेते है । तभी मेम ने उन्हें लाइब्रेरी से जाने के लिए कहा । वे सब उठकर बाहर आ गए । शुभांगी अब तो तुम्हें पता चल गया न कि वे सारी बातें तुम्हारा भ्रम थी । फिर भी अगर तुम्हारा मन नहीं है तो हम तुम्हें फाॅर्स नहीं करेंगे । तुम अकेले कुछ और कर सकती हो और अगर हमारे साथ आना है तो कल ठीक सुबह सात बजे अपने घर के बाहर वाली रोड पर मिलना । हम पाँच मिनट तक तुम्हारा इंतज़ार करेंगे, फ़िर अपनी मंज़िल की और निकल जायेगे। विशाल ने शुभांगी की आँखों में देखते हुए कहा । अतुल और रिया भी कुछ नहीं बोले और तीनों ख़ामोशी से चले गए । शुभांगी धीरे-धीरे कदमो से घर आ गई ।

माँ उसके लिए जाने का बैग निकल रही है । मगर उसने मना कर दिया । उसे नहीं पता है कि उसे जाना भी है या नहीं । उसने अपना लैपटॉप ऑन किया और कुछ ढूँढने लगी । क्या पता उसे कोई और स्टोरी मिल जाए । जिसे वह टॉप थ्री रैंक्स में आ जाए । मगर ऐसा कुछ हाथ न लगा जो उसे विदेश में पढ़ाई करने का मौका दे सकता है । वह नहा धोकर जब खाने के लिए पहुँची, तब माँ ने उसका उदास चेहरा सवाल किया । क्या हुआ? बेटा ? कॉलेज में सब ठीक तो है? उसने माँ को सेमिनार रूम की बात बताई । सुनते ही माँ खुश हों गई । यह बहुत बढ़िया बात है । तुम्हें पूरी कोशिश करनी चाहिए । इससे अच्छा मौका नहीं मिल सकता। तुम्हारे पापा ने जो प्रॉपर्टी खरीदी रखी थीं उसी के  किराए से हमारा घर चलता है। मैं तो तुम्हें कभी विदेश पढ़ने के लिए भेज ही नहीं सकती । मेरे पास तो इतने पैसे ही नहीं है । माँ ने मायूस होते हुए कहा । माँ आप उदास क्यों होती है । मुझे कुछ नहीं चाहिए । मैं सब अपने आप मैनेज कर लूँगी । वैसे भी पापा ने हमारे लिए जो छोड़ा है, वहीं हम दोनों के लिए बहुत है। आप चिंता मत कीजिये। सब ठीक हो जायेगा । उसने माँ के हाथ के ऊपर हाथ रखते हुए कहा ।

अगले दिन सुबह सात बजे विशाल अपनी जीप लेकर शुभांगी के घर के बाहर की सड़क पर पहुँच गया । रिया के साथ सागर है । विशाल के साथ अनन्या है । वे लोग बहुत खुश है । मुझे नहीं लगता कि शुभांगी आएगी । हमें अब चलना चाहिए । वहाँ पहुँचने में भी समय लगेगा फिर वहाँ से हमें नैनीताल भी जाना है । अतुल ने कहते हुए जीप को स्टार्ट किया और जाने को हुए । तभी रिया शुभांगी हाथ में बैग लिए नज़र आ गई । लो आ गई मैडम । शुभांगी के जीप में बैठते ही रिया बोल पड़ी । अब सब भूल जा और फ्री माइंड से हमारे साथ एन्जॉय कर । काम भी करेंगे और मज़े भी लेंगे उसने सागर को देखते हुए कहा । क्यों नहीं । शुभांगी उसका इशारा समझ गई । जीप अपनी गति से चल रही है । अतुल ने गाने चला दिए । सब गा रहे हैं, बैठे-बैठे डांस कर रहे हैं । शुभांगी को अब लग रहा है कि वह शायद कोई बुरा सपना देख रही थी । जो अब खत्म हो चुका है । वह भी मस्त होकर गाने की धुन पर गुनगुना रही है । विशाल अनन्या की कमर में बाहे डाल रास्ते में से गुज़रते पेड़ पौधों को छू रहा है । चलो यार ! कुछ खा लेते है । थोड़ा हल्के भी हो जाते हैं । कहते हुए उसने जीप को रोक दिया सब नीचे उतर गए । सड़क से दूर खाने की छोटी सी दुकान देखकर रिया ने सबको वहाँ चलने के लिए कहा । सागर, विशाल , अतुल कही झाड़ियों में फ्रेश होने के लिए निकल गए और शुभांगी, रिया और अनन्या वहीं पास रखी चारपाई पर बैठ गई। मझे बाथरूम जाना है । अनन्या ने कहा । मैं भी तुम्हारे साथ चलती हूँ । रिया उसे लेकर पास बने कच्चे पत्थर के बाथरूम में चली गई । और शुभांगी वहाँ अकेली बैठकर आसपास के वातावरण को देखने लगी । कितनी शांति है, यहाँ पर । दुकान पर दो-तीन लोग चाय पी रहे हैं ।

उसने देखा कि दुकान में एक कम उम्र का लड़का बैठा हुआ है, जो चाय और समोसे दे रहा है । भूख तो मुझे भी लगी है । पर सब आ जाए तो कुछ खा लिया जाए । तभी रिया और अनन्या वापिस आ गए । शुभांगी तुझे जाना है तो तू भी चली जा । दो-तीन घंटे और लग सकते है । हाँ, यार तू सही कह रही है । मैं भी चली जाती हूँ । शुभांगी बाथरूम जाने के लिए खड़ी हो गई । अंदर से टॉयलेट का दरवाज़ा बंद है । उसने बजाया मगर कोई आवाज़ न आने पर वह वहीं खड़ी हों गई । जब उसे लगा अंदर गया व्यक्ति ज़्यादा देर लगा रहा है तो वह बोल पड़ी, जल्दी कीजिये। उसे कुछ अजीब लगा कि अंदर बिलकुल सन्नाटा है, जैसे कोई न हों मगर दरवाज़ा बंद है । उसने इस बार ज़ोर से दरवाज़ा खटखटाया मगर इस बार पानी चलने की आवाज़ आई । उसे लगा अब कोई निकलने वाला है । मगर उसे महसूस हुआ कि कुछ उसके पैरो को गीला कर रहा है । नीचे देखा तो खून की लहर बाथरूम के अंदर से निकल रही है । उसने सबको बुलाया और कहने लगी कि अंदर किसी को चोट लग गई है, कुछ लोगों के साथ-साथ रिया और अनन्या सभी वहाँ आए । दरवाज़ा खोला गया । अंदर कोई नहीं है । कुंडी टूटी हुई है । अंदर तो कोई नहीं है, मैडम ।  लोग बोले, "बेकार में शोर मचाया, भैया अंदर से दरवाज़ा बंद था और खून भी आ रहा था। पर अंदर बिलकुल सूखा है, जैसे कोई था ही नहीं । खून का कतरा तक नज़र नहीं आया । शुभांगी कुण्डी टूटी हुई है, यार ! हमने भी ऐसे ही दरवाज़ा पकड़कर काम चलाया था । तू जा हम यही खड़े है । आप लोग भी जाओ भैया । रिया ने कहा । 

शुभांगी ने संभालते हुए बाथरूम में कदम रखा और दरवाज़ा पकड़ लिया । चल, अब कुछ खाते है । शुभांगी के बाहर आते ही रिया ने कहा और तीनों विशाल, अतुल और सागर की ओर जाने लगे । दुकान से चाय , समोसे , ब्रेड पकोड़ा और कचौड़ी मिल गई । चारपाई पर बैठकर हँसी मज़ाक करते हुए खाने लगे । तभी सागर रिया को हाथ पकड़ कुछ दिखाने के बहाने से ले गया । काफ़ी देर बीत जाने के बाद नहीं आया तो अतुल ने उन्हें फ़ोन किया । मगर फ़ोन मिल नहीं रहा है। ये लोग कहाँ रह गए विशाल ? देर हो रही है । अनन्या ने खीजते हुए कहा । आते ही होंगे। मैं देखकर आऊँ ? अतुल ने कहा । इन्हें चैन नहीं है । दो मिनट और देखते है ।  फ़िर वही चलेंगे । विशाल ने कहा । शुभांगी ने रिया को फ़ोन किया । मगर उसका फ़ोन भी नहीं मिला। तभी दो लोगो ने आकर बताया कि आपके दोस्त वहाँ गिरे पड़े हैं । सब उस और भागे। 


3


सबने वहाँ जाकर देखा कि रिया और सागर ज़मीन पर गिरे पड़े है । तभी किसी ने कहा कि कोई जंगली साँप काट गया है । किस्मत अच्छी है, साँप जहरीला नहीं था । किसी का कोई पालतू साँप हो सकता है । शुभांगी ने रिया के गाल हिलाए, सागर को विशाल और अतुल होश में लाने लगे । तभी किसी स्थानीय खड़े व्यक्ति ने कोई पेड़ से पत्ता तोड़कर उनके पैर पर रगड़ा तभी उन दोनों को होश आ गया। दोनों को सहारा देकर जीप तक लाया गया । अनन्या ने विशाल को रोकते हुए कहा, मुझे तुमसे कुछ बात करनी है । चारों जीप के पास आ गए और विशाल वही अनन्या से बात करने लगा । विशाल तुम्हारे फ्रैंड्स इतने नौटंकी क्यों है। पहले वो शुभांगी फालतू का हल्ला मचा रही थी । अब ये दोनों यहाँ ड्रामा करके बैठ गए। इन्हे क्या ज़रूरत थी, इस तरह अलग होकर यहाँ मज़े करने की, सब्र नहीं होता क्या । अनन्या ने गुस्से में कहा । बात तो तुम्हारी सही है, मेरी जान । पर हो जाता है । इतना गुस्सा नहीं करते । एक बार रिसर्च का काम ख़त्म हो जाए. उसके बाद हम सीधे नैनीताल चलेंगे । फ़िर मैं और तुम। विशाल ने बड़े प्यार से अनन्या के गालों को छूते हुए कहा। अपना पर्स लेने आई शुभांगी ने दोनों की सारी बातें सुन ली। आने दो, इस अनन्या के आशिक़ को फ़िर बताती हूँ। जीप अपनी गति से चलती जा रही है। रिया सागर के कंधे पर सिर रखकर सो रही है । विशाल और अनन्या हँस हँसकर बातें कर रहे हैं । शुभांगी ने बैग खोला और पॉल एंडरसन की बुक ही उसके हाथ लगी । उसने पढ़ना शुरू कर दिया । 

रास्ता पीछे छूटता जा रहा है । अतुल ने जीप की स्पीड बढ़ा दी और वो लोग अपनी मंज़िल पर पहुँच ही गए । जीप से उतरकर सबने आसपास देखा एक खुले पेड़ पौधों से ढके मैदान के बीचो-बीच है, पॉल एंडरसन का घर । जो अब म्यूजियम बन चुका है । मगर कोई चहल-पहल नहीं है । केवल उनके घर के बाहर एक वॉचमैन बैठा हुआ है । अधेड़ उम्र वॉचमैन फ़ोन पर कोई गेम खेल रहा है । उन लोगों को देखकर वह चौंक गया। आप लोग यहाँ ? हाँ, भैया हम लोग स्टूडेंट्स है । पॉल एंडरसन के बारे में जानने के लिए आये है । वॉचमैन ने सबको गौर से देखा, फ़िर बोला, अभी देखकर चले जाओंगे या फिर रुकने का प्रोग्राम है । कल शाम तक यहाँ से चले जायेगे । विशाल ने जवाब दिया । अगर अंदर रुकना है तो रजिस्टर में एंट्री करो और 1000 रुपए दो । और अगर पास वाले आउटहाउस में रुकना है तो रजिस्टर में साइन कर अंदर चले जाओ । अतुल ने एंट्री कर दी । क्या और भी लोग यहाँ आते है ? अतुल ने नाम लिखते हुए पूछा । हाँ आते है, मगर एक दो घण्टे में निकल जाते है । हमने कभी किसी को रुकते हुए नहीं देखा । ठीक है , लो कर दी एंट्री । विशाल आउटहाउस में ही रुकेंगे । अनन्या ने फ़रमान सुना दिया ।

हाँ , वही जायेगे । अभी तो बस अंदर एक चक्कर लगा आए । शुभांगी ने विशाल को घूरा तो वह झेप गया । घर के अंदर पहुँचते ही उन्होंने देखा कि घर में बहुत पुराना सामान है । उनकी किताबें , रेडियो, कोई बिजली के उपकरण और कन्फेशन बॉक्स । ज़रूर वो यही लोगों को बिठाकर उनकी बात उनके रिश्तेदारों की आत्मा से करवाते होंगे । अतुल ने कहा तो सब उस बॉक्स की ओर देखने लगे । पॉल एंडरसन बहुत अच्छे इंसान थे । वह लोगों की मदद करते थे । अब रिया भी बोल पड़ी । मुझे तो यह बेकार काम लगता है । अरे ! भई जो गुज़र गया सो गुज़र गया । क्या ज़रूरत है गड़े मुर्दे उखाड़ने की । अनन्या बेफिक्री से कहा । बिलकुल जान, मगर हर किसी की ज़िन्दगी का कोई न कोई मकसद होता ही है । हो सकता है, उन्हें ये सब काम करके शांति निलती हो । विशाल की बात कसुनकर अनन्या ने मुँह बना लिया । क्या नमूनी लड़की ढूँढ ली, इस गधे ने । शुभांगी ने मन ही सोचा । तभी उसकी नज़र कॉन्फेशन बॉक्स पर गई । उसे लगा अंदर कोई बैठा उन्हें देख रहा है । इतनी डरावनी आंखें उसने कभी नहीं देखी है। उसने कॉन्फेशन बॉक्स की खिड़की को गौर से देखा, मगर अब उसे कोई नज़र नहीं आया । 

अतुल ने कैमरा निकलकर फोटो खींचनी शुरू कर दी । पूरे घर को उसने कैमरे में कैद कर लिया । रिया बुक पढ़ने लगी । कुछ पेपर्स टेबल पर रखे हैं । मगर सब मिटटी से सना हुआ है । लगता है, काफी दिनों से सफाई नहीं हुई है । कौन करेगा सफाई । सरकार कहाँ ध्यान रखती होगी । तभी लोग अपने काम से बचते होंगे। अनन्या फ़िर बोल पड़ी । ऊपर सीढ़ियाँ चढ़कर गए तो वहाँ पॉल एंडरसन का कमरा है । जहाँ बेड, एक आराम कुर्सी और पुरानी घड़ी टंगी हुई थीं । इनका बेड तो आरामदायक है। अतुल जैसे ही बैठने को हुआ । उसे लगा उसे किसी ने ज़ोर से धक्का मारा हों । पर उसे लगा शायद यह हरकत विशाल की है। इसलिए वह चुप रह गया । शुभांगी को तो पूरे घर में अजीब से गंध आ रही है । हो सकता है, यह घर में आई सीलन की वजह से हों । चलो यार ! कल सुबह आते है। आज ज़रूरी फोटो ले ली है। बाहर चलकर उस भैया का इंटरव्यू ले लेते हैं । कुछ पुरानी वीडियो है । चलाकर देखते है, क्या पता चल जाए । अतुल वीडियो हाथ में लिए बोला ।  कल आसपास के लोगों से बात करते हैं। कहकर सब घर से बाहर निकल गए ।

बाहर वाचमैन से प्रश्न पूछने लगे, कुछ बताए मिस्टर एंडरसन के बारे में । विशाल ने पूछा ।  मैं दो साल पहले यहाँ आया हूँ । मुझे ज्यादा कुछ नहीं पता ।  दो साल पहले कुछ दो-चार विदेशी आये थें, कोई फिल्म बनाने । फिर आप आये हों ।  अभी तो आप कह रहे थे कि लोग आते रहते हैं ।  आपके जैसे लोग दो साल पहले आये थें ।  अब तो भूले भटके कोई आये तो आये मगर कोई ज्यादा टिकता नहीं है । देखने के लिए अंदर है भी क्या । क्या उन्होंने कोई फिल्म बनाई ? शुभांगी ने पूछा ।  पता नहीं मैडम, वो मुझे पैसे देकर अंदर गए ।  सुबह मैं आया तो कोई नहीं था ।  शायद चले गए होंगे । यह रजिस्टर आपका रख ले ।  कल दे देंगे ।  रिया ने रजिस्टर लेते हुए कहा और विशाल ने भी उसकी जेब में 100 रुपए डाल दिए ।  वह कुछ कह न सका ।  आउट हॉउस के रिसेप्शन पर बैठी मैडम ने मुसकराते हुए उन्हें कमरे की चाभी सौपी । सब अंदर आ गए ।  अनन्या बैडरूम में चली गई ।  सागर भी सामान उठाकर कमरे में आ गया ।  उनके हटते ही शुभांगी ने कहा, "क्या है, यह लड़की, बत्तमीज़ है बिलकुल ।  कोई दूसरी नहीं मिली तुझे ।  यार ! इस ट्रिप के लिए पटायी है । एक बार काम खत्म हो जाए, बस फ़िर तू कौन मैं कौन ।  विशाल ने बेपरवाह होकर कहा ।  

कमरे में अनन्या ने अपना टॉवल लिया और बाथरूम के अंदर गई ।  बाथरूम तो बहुत बड़ा है ।  बाथ टब भी बहुत गहरा है । उसने अपना टॉवल होल्डर पर तांगा और जीन्स उतारकर बाथ टब की तरफ बढ़ी । उसने देखा की टब में कोई उल्टा लेटा हुआ है ।  उसकी चीख निकल गई।  जिसे सबने सुना और ऊपर की ओर भागे । अनन्या भी चीखते -चिल्लाते हुए बाहर निकल आई । उसकी आँखों से आँसूं निकल रहे हैं । उसने डरते-डरते बताया बाथरूम में कोई है । जब अंदर जाकर देखा तो किसी को कुछ नज़र नहीं आया । हम सबको कुछ खा लेना चाहिए । उसने अनन्या को गले लगाते हुए कहा । जान कभी थकान से भी कुछ हो जाता है । मैं नीचे जाकर कुछ आर्डर करता हूँ । सागर और अतुल कुछ खाने के लिए लेने चले गए ।

रिसेप्शन पर मैडम नहीं है । वे आउटहाउस में किसी को ढूँढने लगे । कमाल है ! कोई है ही नहीं । सागर ने कहा । कोई आता नहीं होगा तो स्टॉफ चला गया होगा । बाहर से कुछ ले आते हैं । अतुल ने कहा । यार ! मैं कह रहा हूँ जितनी जल्दी हो यहाँ से निकल लेते है । मुझे भी कुछ ख़ास अच्छा नहीं लग रहा । मैंने पूरा आउटहाउस देखा कहीं कोई नहीं है । अब वो मैडम भी गायब है। जब मैं और रिया अकेले थे। तब जैसे ही रिया के करीब आया तब किसी ने हमारे सिर पर मारा और हम पत्थर की ठोकर से बेहोश हो गए । पता नहीं, साँप ने कब काटा । सागर की आवाज में संदेह और डर है । ठीक हाँ यार ! कल जल्द से जल्द निकल लेंगे । 

खाने का सामान लेकर वो लोग वापिस आए । सबने खाना खाया । शुभांगी लैपटॉप लेकर बैठ गई। वह खींची हुई फोटो देखना चाहती है । सागर रिया सैर को निकल गए । मेरे सिर में बहुत दर्द है । अनन्या यह कहकर सोने चली गई। विशाल भी उसके पीछे चला गया । अतुल का फ़ोन आ गया। तभी थोड़ी देर बाद विशाल नीचे आया और कहने लगा कि अनन्या अपने कमरे में नहीं है । एक बार पूरा आउट हाउस देख लो । शुभांगी ने बोला । विशाल अतुल को ले उसे ढूंढ़ने लग गया । सभी फोटो अपलोड होने लगे । 

नीचे सागर और रिया ने अनन्या को अंडरसन के घर की तरफ़ जाते देखा। उन्होंने यह बात विशाल और अतुल को बताई और वो चारों वही चले गए । शुभांगी सबसे अनजान प्रोजेक्ट की तैयारी करने के लिए सभी फोटो को अपनी फाइल में कॉपी पेस्ट करने लगी । एक फोटो पर नज़र पड़ते ही उसकी हालत खराब हो गई । उसकी पलके झपकना भूल गई । उसके हाथ लैपटॉप पर रुक गए ।         

  

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-ओ. माई गॉड! शुभांगी का मुँह खुला का खुला रह गया । एक फोटो में उसे पॉल एंडरसन दिखाई दे रहे हैं । दूसरी फोटो छोड़कर तीसरी फोटो में पॉल एंडरसन अपने कॉन्फेशन बॉक्स के पास खड़े है । चेहरे पर एक हँसी है । उनकी उस मुस्कान को देख शुभांगी इतना डर गई कि लैपटॉप से पीछे होकर गिरी। उसने ज़ोर से आवाज़ लगाई, रिया, विशाल तभी उसे कमरे में एक साया महसूस हुआ । उसने लैपटॉप बंद किया और हाथ में लेकर नीचे की और दौड़ी भागकर बाहर मैदान में आ गई । जब उसने देखा कि सामने एंडरसन के घर की लाइट चल रही है, उसे समझ आ गया कि शायद सब वही है । अंदर जाकर देखा तो चारों अंदर थे , रिया , अतुल, विशाल यह देखो ! पॉल एंडरसन ज़िंदा है या फिर उनकी आत्मा । क्या कह रही हों । उसने लैपटॉप खोला फोटो दिखाई । सब के होश उड़ गए । मतलब इस घर में ????? अतुल कहते हुए रुक गया । तभी मैं सोचो मुझे धक्का किसने मारा था । क्या बक रहा है तू यार? एक तो अनन्या नहीं मिल रही है । दूसरा यह सब अब विशाल भी परेशां हो गया । अनन्या! रिया फ़िर चीखी । मुझे लगता है यहाँ से निकलना चाहिए । सागर भी डर चुका है। पर सागर अनन्या को छोड़कर कैसे जाए? रिया ने ज़वाब दिया । कही उसे कुछ हो तो नहीं गया । अपनी बकवास बंद कर। वो ठीक होगी । विशाल सागर पर चिल्लाया । तभी सामने सीढ़ियो से अनन्या उतरती नज़र आई।


 तुम कहाँ थी ? ऊपर तो हमने देखा था ? तुम यहाँ कैसे पहुची ? विशाल इतने सवाल । मुझे घर की लाइट जलती दिखी । नींद नहीं आ रही थीं । फ़िर देखा, कोई यहाँ पर खड़ा मुझे बुला रहा है और मैं यहाँ आ गई । उसने बड़े आराम से कहा । जैसे कुछ हुआ ही नहीं । मगर तुम्हे ऊपर से उतरते हुए देखा नहीं शुभांगी ने सवाल किया । यार ! इन सबका टाइम नहीं है । आउटहॉउस जाकर अपना सामान लेते है और निकलते है यहाँ से। मुझे तो वहाँ भी कोई नज़र आया था । शुभांगी ने सबको बताया। जाना तो पड़ेगा ही जीप की चाभी वहीं है । पैसे , सामान सब वही है । हिम्मत करके निकलते है। घर से निकलकर सीधे वह ऑउटहॉउस पहुँचे। विशाल सीधे कमरे में गया । शुभांगी, रिया अतुल ने भी सामान समेटा । विशाल ने अपना वॉलेट उठाया जीप की चाभी ली । और जाने लगा । मगर उसने देखा कि बाथरूम का पानी कमरे तक आ गया है, अनन्या ने टूटी खुली छोड़ दी क्या ? यह लड़की भी न ? वह बाथरूम के अंदर जाने को हुआ । मगर उसे अनन्या की पहले वाली बात याद आ गई और वह दौड़कर नीचे जाने लगा ।


सब जाने को तैयार है । मगर अब सागर नज़र नहीं आ रहा है । कहाँ गया वो ? मुझे नहीं पता। रिया के चेहरे पर चिंता है । मेरे बाथरूम से पानी निकल रहा है । मगर मैं तो अंदर गया ही नहीं । विशाल ने भी अपनी बात बता दी । यार ! यह पॉल एंडरसन बथरूम की कोई मिस्ट्री क्रिएट कर रहे हैं या उन्हें पानी ज़्यादा पसंद है ? अतुल यह मज़ाक का टॉपिक नहीं है । क्या करे ! सब ऊपर चलते है । मैं सागर को छोड़कर कहीं नहीं जाऊँगी । रिया ने रोते हुए कहा । फिलहाल तो विशाल के कमरे में जाकर देखते हैं क्या पता सागर का पता चले । अतुल ने कहा । सब हिम्मत करके ऊपर पहुँचे । बाथरूम से पानी बंद हो चुका है। विशाल ने दरवाज़ा खोलना शुरू किया । रिया ज़ोर से बोली सागर तुम हों ? कोई आवाज़ न आने पर दरवाज़ा पूरा खोल लिया गया । शुभांगी ने देखा उसके पीछे खड़ी अनन्या फ़िर गायब है । लगता है, नीचे रह गई होगी । तभी सबने बाथरूम में देखा , फ़िर बाथटब में देखा तो हैरान हों गए अनन्या वहां उल्टी लेटी हुई है, अनन्या! सुनते ही उसकी खोपड़ी घूम गई और वह हँसने लगी । सब समझ गए कि अनन्या के साथ क्या हुआ है । भागते हुए नीचे आये । सागर पहले ही जीप में बैठा हुआ है । सागर तुम यहाँ, टाइम नहीं है रिया । बाद में इससे लिपट जाना, अभी बैठो जीप में । अतुल ने बैग सामान जीप में फेंका और विशाल ड्राइव करने लगा ।


शुभांगी मैं तो शुरू से कह रही हूँ कुछ गड़बड़ है । शायद पॉल एंडरसन को पसंद नहीं आया की हमने उन्हें अपने टॉपिक के लिए चुना । शुभांगी ठीक कह रही है । रिया ने सागर को देखते हुए कहा । अब तो सब शुभांगी की साइड लेंगे । अगर हम ज़िंदा बच गए तो यह एक्सपेरीन्स भी बड़ा काम आएगा। अतुल मुँह बंद कर । बेचारी अनन्या हमारे चक्कर में मारी गई । रिया ने मायूसी से ज़वाब दिया । अब हम खतरे के बॉर्डर से बाहर है । यार! गाने चला । विशाल ने गाने चला दिए । रिया ने सागर का हाथ पकड़ लिया । तुम्हें क्या हो गया । आई.एम.सॉरी माय लव । मेरी वजह से तुम इतना कुछ सह रहे हों । उसने प्यार से सागर का हाथ दबा लिया । मगर उसने मुँह पलट लिया । लगता है, सागर नाराज़ है अतुल ने मुस्कुराते हुए कहा । एक काम करो, जीप रोककर इसे कोने में ले जाओ । फिर मान जाएगा । अतुल की बात सुनकर विशाल हँसा । शुभांगी ने उसे एक पीठ पर थप्पड़ मारा । रिया ने अतुल को घूरकर देखा । मगर सागर जो पीछे बैठा हुआ है. उसने आगे होकर जीप का स्टेरिंग घुमा दिया। विशाल उसे रोकता रह गया । पागल साले ! क्या कर रहा है । विशाल और अतुल ने उसे धक्का देने की कोशिश की, मगर वो स्टेरिंग घुमाता रहा । विशाल !! शुभांगी और रिया चीखे । मगर वो लोग अब फिर से एंडरसन के घर के सामने हैं । जीप के रुकते ही सबने सागर को घेरना चाहा। मगर सागर का चेहरा देखते ही देखते बदल गया । उसने अपने हाथ लम्बे कर अतुल की गर्दन पकड़ ली । तीनों समझ गए पॉल एंडरसन अब उन्हें यहाँ से जाने नहीं देंगे ।


अतुल की गर्दन इसे पहले चकना चूर होती। शुभांगी ने बैग से चाक़ू निकाल लिया । और उसके हाथ पर दे मारा और सागर के हाथ का बैलेंस ख़राब हो गया । अतुल की गर्दन छूट गई । अतुल भागो । सब दौड़ने लगे और भागकर ऑउट हाउस पहुँचे । अंदर पैर रखते ही चार-पॉँच विदेशी खड़े उन्हें देख रहे हैं । हमें इनसे मदद माँगनी चाहिए । रिया कहकर उनकी तरफ़ जाने को हुई, मगर शुभांगी ने उसे रोक लिया । ये सब ज़िंदा नहीं हो सकते जब से आए है, तबसे यहाँ कोई था । अब सब यहाँ कैसे ? शुभांगी ठीक कह रही है । विशाल ने कहा। तभी सब उनकी तरफ़ एक साथ बढ़ने लगे। वह वहाँ से मुड़े तो सागर खड़ा है । वह भागकर एंडरसन के घर की तरफ भागे और अंदर घुस गए। सीढ़ियाँ चढ़कर एक कमरे में घुस गए । उन्होंने अपने मोबाइल से टोर्च जलाया तो वहाँ कंकाल दिखे । अतुल ने तब ढूंढकर कमरे की लाइट जला दी । डिम सी लाइट में वे एक दूसरे को देख पा रहे है । अब बचना मुश्किल है, यार ! अतुल मायूस होकर बोला । रिया भी ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी। शुभांगी और विशाल खामोश हों गए। तभी विशाल बोल पड़ा , हम अब भी ठीक है, कोशिश करे तो यहाँ से निकल जायेगे ।

तभी दरवाज़े पर दस्तक हुई । सब काँप गए और एक दूसरे के पास आ गए । खोलो, दरवाज़ा खोलो। मैं बाहर का वॉचमन। आप सब लोग अंदर हो, मुझे पता है । वॉचमैन यह यहाँ क्या कर रहा है । शुभांगी ने टाइम देखा, रात के साढ़े तीन बजे है। अभी इसका टाइम नहीं हुआ आने का और इसे कैसे पता चला कि हम यहाँ है । इसका मतलब यह कोई एंडरसन की ही चाल है, हमें यहाँ से निकालने की। रिया की आवाज़ में खौफ है, और सब उसकी बात से सहमत है। भैया, हम ठीक है। अभी थोड़ी देर बाद खुद ही बाहर आ जायेगे। अतुल ने कहा। देखिए, मुझे आपके साथ आये, सागर साहब ने सब बता दिया है । इसलिए मैं आपकी मदद के लिए आया हूँ । इसे सागर के भूत ने बताया होगा या फ़िर खुद यह ही.. अतुल बोलता हुआ रुक गया । रिया, मैं सागर, दरवाज़ा खोलो । डर क्यों रहे हों ? मैं ही हूँ। मैं तुम लोगों का इंतज़ार नीचे कर रहा था । फ़िर जब तुम लोग चीख रहे थें तो मैं भाग गया । फिर यह वॉचमैन मुझे मिल गए और मैं इनके यहाँ छुप गया। अब जब तुम सबको इस घर में घुसते हुए देखा तो इन्हे लेकर यहाँ आ गया । अब दरवाज़ा खोलो और मुझे अंदर आने दो। 

अब क्या करे ! हो सकता, यह सागर ही हों और वो एंडरसन होंगे, जो सागर बनकर हमारे साथ थें । रिया ने सबको देखते हुए कहा । मुझे लगता है यह एंडरसन हो। शुभांगी ने कहा। मुझे भी यही लगता। विशाल ने कहा। दरवाज़ा खोलना है या नहीं ? अतुल ने पूछा । सब सोच नहीं पा रहे है क़ी क्या करें? पर बाहर से लगातार सागर दरवाजा खोलने के लिए कह रहा है।


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मेरा दिल कह रहा है कि सागर ठीक होगा । मैं दरवाज़ा खोलने जा रही हूँ । रिया दरवाज़ा खोलने के लिए जाने लगी । रिया दरवाज़ा खोलो, मैं तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हूँ । सागर ने जैसे ही यह कहा । शुभांगी ने रिया का हाथ पकड़ लिया । मत खोलो, तुमने शायद ध्यान नहीं दिया । सागर सिर्फ़ तुम्हे खोलने के लिए क्यों कह रहा है । हमारा भी तो नाम ले सकता है और वॉचमैन की आवाज़ आनी बंद हो गई है । रिया सुनते ही रुक गई। अब दरवाज़ा ज़ोर से बजने लगा। उसकी आवाज़ इतनी तेज़ है कि सब को आने वाला खतरा समझ में आ गया । विशाल की नज़र कमरे में रखी रस्सी पर गई । उसने खिड़की का शीशा तोड़कर खिड़की खोली सब बालकनी में आ गए । रस्सी बाँधी और सब उसे पकड़कर नीचे उतरने लगे। दरवाज़ा बजना बंद हो गया । अब वो मैदान से बाहर निकल अपनी जीप की तरफ़ भागे । पर सामने वॉचमैन को देखकर रुक गए। डर से पीछे हटने लगे। आप मेरे साथ चलिए। मैंने आप लोगो को भागते हुए देखा था। किसी को भी वॉचमैन पर भरोसा नहीं है । आप तो सागर के साथ ऊपर थे । अब नीचे आ गए। मैं तो अभी आया हूँ । और कौन सागर ? उसकी बात सुन वो समझ गए कि ऊपर सब ड्रामा था । एंडरसन का ड्रामा। एक घंटे बाद सुबह हो जाएगी। आप सड़क के दूसरे रास्ते से निकल जाना । यह सही कह रहा है । अतुल ने कहा और सब उसकी बात मानकर वॉचमैन के साथ चल दिए । उसका दो कमरों का घर है । आप लोग यहाँ रोको मैं चाय लाता हूँ । 

काश ! हम यहाँ से निकल जाए। मेरी माँ वहाँ अकेली होगी। शुभांगी ने परेशां होते हुए कहा। तो क्या हमारे घरवाले खुश होंगे,अगर हम घर नहीं लौटे। तभी वॉचमैन चाय लेकर आ गया । भैया आपने हमसे झूठ क्यों बोला, यहाँ तो एंडरसन खुद भूत बनकर हमारे पीछे पड़ गए है । मैंने कोई झूठ नही बोला, मैंने कभी भी एंडरसन को यहाँ नहीं देखा । हाँ, पिछले चौकीदार ने मुझे एक बार बताया था कि उसने कुछ आवाजें सुनी थीं । फ़िर कुछ दिन बाद उसकी ड्यूटी हट गयी और मैं आ गया । आज आप लोगों को भागते हुए देखा तो लगा कुछ गड़बड़ है । अब आप आराम करो एक घंटे बाद सुबह होने वाली है । फ़िर निकल जाना यहाँ से । सबने चैन की सांस ली। आराम तो हराम है। एक बात समझ में नहीं आती कि एंडरसन की मौत कैसे हुई थीं । वो अब क्यों लोगों को मार रहे हैं? किससे बदला लेना चाहते है।अतुल ने सवाल किया । सबको पता है कि वह गायब हों गये थें। फ़िर कुछ समय बाद उन्हें लोगों ने मरा हुआ समझ लिया था । मगर उनकी लाश नहीं मिली थीं। रिया भी बोल पड़ी। वॉचमैन ने सोचते हुए ज़वाब दिया कि एंडरसन की मौत उनके घर में हुई थीं । वह गायब नहीं हुए थें । उन्हें किसी ने मारकर उस कॉन्फेशन बॉक्स में डाल दिया था । कुछ लोगों को उनका कंकाल मिला था। जब यह बात स्थानीय सरकार तक पहुँची तो उन्होंने उनके कंकाल को चुपचाप गाड़ दिया और बात वही दबा दी गई। मगर हमने तो उनके घर में कंकाल देखे है । रिया ने कहा। फ़िर वो कंकाल किसके है ? हो सकता है, उन अंग्रेज़ो के होंगे,जो वहाँ फिल्म बनाने आये होंगे । हाँ, वो अंग्रेज़ हमारे पीछे भी पड़ गए थें। अतुल तपाक से बोल पड़ा । 


मेरे मन में एक बात है । शुभांगी ने कुछ सोचते हुए कहा । क्या बात है? बताओ शुभांगी, वैसे भी हम गलत साबित हुए हैं और तुम सही साबित हुई हों। अतुल ने बड़े विश्वास के साथ कहा । क्यों न हम पॉल एंडरसन का अंतिम संस्कार कर दें । मैंने उनकी किताब में पड़ा था कि जब किसी व्यक्ति की ऐसे अनचाहे ढंग से हो जाती है तो हमें उसका आखिरी संस्कार विधि-विधान के साथ करना चाहिए । ताकि उसकी आत्मा को शांति मिले और वो एक सही ढंग से परलोक जा सके। शुभांगी ने अपनी बात ख़त्म कर दी। तुम्हारा दिमाग तो ठीक है न शुभांगी? हमें मरना नहीं है । एक तो हम यहाँ से बाहर नहीं जा पा रहे। दूसरा तुम चाहती हूँ कि हम भी एंडरसन की तरह यहाँ-वहाँ भटक कर लोगों को मारते फिर । और भूत बनकर जीते रहे। वैसे मैडम ठीक कह रही है। अगर यह किया जाए तो उन लोगों को भी मुक्ति मिल सकती है। जो एंडरसन की वजह से भटक रहे हैं। मगर खतरा जान का है । वॉचमैन ने भी अपनी बात कह दी। अगर हम एंडरसन की आत्मा को शांति देना चाहते है तो वो हमें क्यों मारेंगें । अतुल ने सवाल किया । कुछ कह नहीं सकते । अब वो एक शैतान आत्मा बन चुके है । जो भी है, सारी ज़िन्दगी उन्होंने लोगों की मदद की । अब अगर उन्हें मदद की ज़रूरत है, तो हमें यह काम करना चाहिए । शुभांगी की बात सुन सब सोच में पड़ गए । तू कुछ बोल विशाल, तू क्या कहता है ? इतना खामोश क्यों है ? मुझे शुभांगी की बात सही लग रही है । मगर मैं इसे अलग तरीके से देख रहा हूँ , सुनो ! अगर हम यह कर पाए तो हम अपने प्रोजेक्ट को और ज्यादा बेहतर बना सकते है । हम यह भी कह सकते है कि यह एक रियल प्रोजेक्ट है और हमारे कारण पॉल एंडरसन जैसी शख़्सियत की आत्मा को शांति मिली । यह प्रोजेक्ट हमें ख़त्म कर देगा । रिया ने खीजते हुए कहा। मैं केवल पॉल एंडरसन की मदद करने के बारे में सोच रही हूँ। शुभांगी ने अपनी सफ़ाई पेश की । तो ठीक है न, उनकी मदद के साथ हमारा भी काम हो जायेगा । अतुल चहकते हुए बोला।

मैं कहीं नहीं जाऊँगी, रिया ने साफ़ इनकार किया। मत जाओ, यही रहकर हमारा इंतज़ार करो । विशाल ने कहा। भैया आपको पता है कि उनके कंकाल कहाँ दफ़नायें गए थें। ठीक से नहीं पता,लेकिन इतना मालूम है कि कब्रिस्तान के पास जो जंगल है, वहाँ पर कंकाल दफ़नायें गए थें। लेकिन जंगल तो बहुत बड़ा होगा। शुभांगी ने कहा। पूरे जंगल में सिर्फ एक बरगद का पेड़ है, जहाँ से जंगल शुरू होता है। बस वहीं आसपास उन्हें दफनाया गया था। वॉचमैन ने बताया बाकि मैं पुराने चौकीदार से बात करके वही पहुँचता हूँ। आप लोग वहाँ पहुँचो। वॉचमैन यह कहकर अपने घर से निकल गया। तीनों जाने लगे तो रिया ने साथ चलने की बात कही । मैं अकेले नहीं रह सकती। चारों एक दूसरे के साथ चलते हुए जंगल की ओर जाने लगे। शुभांगी ने टाइम देखा, पाँच बजने में अब भी आधा घंटा है। 


दिल दहलाने वाली शांति चारों और पसरी हुई थी । दूर तक फैला घना जंगल और साथ में सटा कब्रिस्तान। सबके दिल की धड़कने तेज़ हो गई। वो जंगल के शुरू में पहुंच अपने साथ लाये टोर्च से बरगद के पेड़ को ढूँढ़ने लगे। विशाल को पेड़ मिल गया । उन्होंने पेड़ की एक लकड़ी काटीा और उसे जलाने की कोशिश करने लगे । मिटटी के तेल से उन्होंने आग जला दी । अतुल के हाथ में फावड़ा है । रिया और शुभांगी ने भी साथ लाये औज़ार से मिटटी को कुरेदना शुरू किया । रिया ने विशाल को औज़ार दे दिया और खुद आसपास देखने लगी । धीरे -धीरे मिटटी खुदती जा रही है । शायद एंडरसन उन्हें अब कुछ नहीं कहेंगे क्योंकि वह भी यही चाहते है। फटाफट सब मिटटी खोदते गए । रिया की नज़र जैसे ही बरगद के पेड़ पर गई । वहाँ एक खौफनाक चेहरा उसे नज़र आया। वह चीखी। क्या हुआ ? पेड़ पर कोई है। भागते है,यहाँ से । उनके फावड़े दूर फेंक दिए गए । अतुल और विशाल हवा में उड़कर दूर जा गिरे । शुभांगी और रिया दोनों काँप गए वो डरवाना चेहरा, बिखरे बाल, हरी आँखें और ज़ोर से दाहड़ना । वह प्रेत दोनों की और बढ़ने लगा। रिया के हाथों पर कीड़े चलने लगे शुभांगी ने आग उठा उस प्रेत के आगे रखा । रिया मिटटी से कीड़ों को हटाओ । उसने रोते हुए कीड़े हटाने शुरू किए। उस आत्मा की गति में थोड़ा फर्क पड़ा । मगर अब ज़ंज़ीरे शुभांगी की ओर बढ़ने लगी । आग का डंडा उसके हाथ से छूट गया । तभी हवा में मिटटी उड़ने लगी । कब्र खाली हो गई, मगर उसमे कंकाल न देखकर दोनों हैरान रह गए । 

वो अब उस कब्र में रिया को फ़ेंक उसे मिटटी से ढकने लगी । विशाल और अतुल ने लोहे के औज़ार उस आत्मा के पर मारे उसने उसे मुड़कर देखा। अतुल शुभांगी की ज़ंज़ीर काटने लगा। अतुल कब्र में कोई नहीं है, रिया को निकालो इस कब्र से । विशाल को बरगद से बाँध दिया गया। उसी फावड़े से उसकी गर्दन काटने जा रही है । विशाल! शुभांगी चिल्लाई। अतुल ने रिया को बाहर निकाला । मैंने कहा था न हम मरेंगे उस वॉचमैन ने हमसे झूठ बोला। रिया रोए जा रही है । शुभांगी ने हिम्मत कर फ़िर आग उस आत्मा की ओर फेंकी । उसने शुभांगी की गर्दन पकड़ने के लिए अपना हाथ लम्बा किया। वह भागी। हाथ लम्बा होता जा रहा है, शुभांगी भागी जा रही है। विशाल ने फावड़े से हाथ पर मारा हाथ कट गया। मगर फ़िर दोबारा आ गया। शुभांगी भागी जा रही है । मैडम रुको ! मैडम रुको ! वॉचमैन शुभांगी के एकदम आगे आ गया । आपने हमसे झूठ बोला । आप भी मिले हुए हैं । दूर हटो। शुभांगी भागकर पॉल एंडरसन के घर पहुँच गई । मैडम सुनो ! रुको । मैंने चौकीदार से पूछा है, कंकाल एंडरसन के घर पर है। शुभांगी रुक गई । 

वहाँ अतुल और विशाल को उस प्रेत ने इतनी ज़ोर से मारा कि वो बेहोश हो गए। रिया का रो-रोकर बुरा हाल है । वह हाथ जोड़कर कह रही, "मुझे छोड़ दो ।" जब हाथ उसकी गर्दन पर पॅहुचे तो अतुल उठ गया उसने आग से उस प्रेत को जलाने की कोशिश की । रिया वहाँ से भाग गई । भागते- भागते उसके सामने सागर और अनन्या प्रेत बन वही खड़े है । वह ज़ोर से चिल्लाई और फिर दूसरी तरफ भागी । 

कहाँ है, कंकाल ? ऊपर वाले कमरे। शुभांगी वहाँ पहुंची। चौकीदार ने उसे तेल दिया। वह कमरे की तरफ़ भागी। यह वही कमरा है, जहाँ हम छुपे हुए थे । काश ! पहले पता होता तो तभी कुछ कर देते। यह सब सोचते हुए उसने माचिस जलाई, मगर तभी वॉचमैन का चेहरा बदल गया । उसने शुभांगी को लात मारी । वह समझ गई। वो प्रेत यहाँ पहुंच गया है।


6


उसने शुभांगी को ऐसा घुमाया कि वह कमरे के हर कमरे में घूम-घूमकर चोटिल हो गई। मगर उसकी सांस अब भी चल रही है । वहाँ जंगल में सागर और अनन्या से डरकर भागती रिया से विशाल और अतुल टकरा गए । अतुल!!! वहाँ सागर और अनन्या उसकी आवाज़ गले में ही अटक गई। इन दोनों को हम देख देख लेंगे । कम से कम एंडरसन के भूत से तो पीछा छूटा । अतुल ने खुद को सँभालते हुए कहा । मुझे लगता है वो शुभांगी के पीछे पड़ गया होगा । हमें शुभांगी के पास पहुँचना होगा । विशाल के यह कहते ही तीनों भागने लगे । मगर अनन्या ने उन्हें रोक लिया और विशाल की कमर पर ज़ोर से वार किया । वह कराहता हुआ वहीं नीचे बैठ गया । अतुल ने मिट्टी अनन्या के चेहरे पर डाल दी । मगर कोई फ़ायदा नहीं हुआ । अनन्या ने अतुल को ज़ंज़ीरो में जकड़ लिया । अब उसका दम घुटने लगा । दोनों दोस्तों की हालत देख रिया जैसे ही भागने के लिए मुड़ी सागर का सफ़ेद पीला चेहरा देखकर वहीं डर के मारे बेहोश हो गई । सागर बेहोश रिया को उठाकर चल दिया । अरे ! कहाँ ले जा रहा है उसे ? छोड़ रिया को अतुल का दम घुटने को है ।

उस प्रेत का चेहरा और डरवाना होता जा रहा है । शुभांगी ने कमरे में रखा टूटा काँच उठाया और उसके मुँह पर दे मारा । खून की धार निकली और फ़िर बंद हो गई । शुभांगी ने तेल ज़मीन पर गिरा दिया और वॉचमैन की जेब से गिरा लाइटर शुभांगी ने देख लिया है । पर अब उसे प्रेत का ध्यान भटकाना होगा ताकि वह लाइटर तक पहुंच सके। मगर अब तो खुद ही उसकी मौत उसके सामने है। वह चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रही है । उसने शुभांगी को एक हाथ से पकड़ा और खिड़की से फेंकने लगा । मगर शुभांगी ने तभी कहना शुरू किया "एंडरसन आप याद कीजिये आप सबकी मदद करते थें । हम आपकी मदद करना चाहते है । आप नहीं चाहते आपको इन सबसे मुक्ति मिल जाए "। यह बात सुन कुछ पल के लिए वह प्रेत रुका और शुभांगी ने मौका देखकर उसे धक्का मारा और लाइटर की तरफ़ लपकी । 

सागर रिया को आग में फेंकने जा रहा है। अतुल पूरी तरह से अनन्या के बस में है। विशाल ने अपने घायल हाथ से अपने पास गिरे औज़ार से अनन्या पर वार किया । जिससे अनन्या ने अतुल की तरफ़ से ध्यान हटा लिया और उसे फ़िर सांस महसूस हुई । मगर अब अनन्या ने विशाल के और अतुल दोनों को एक साथ उठाया और जलती हुई आग की तरफ़ फ़ेंक दिया । सागर ने भी रिया को फ़ेंक दिया। तभी अचानक तीनों नीचे गिर गए और आग में गिरने से बच गए । उन्होंने देखा सागर और अनन्या दोनों जलकर एक धुँआ बन गायब हो गए। अतुल ने अपनी ज़ंज़ीरे खोली, विशाल को खड़ा किया । रिया उठो ! रिया उठो, रिया उठो, दोनों रिया को जगाने लग गए । शुभांगी अपना काम कर चुकी है। उसने लाइटर की चिंगारी ज़मीन पर गिरा दी और सारे कमरे में आग फैल गई । वो कंकाल भी उन्हीं आग की लपटों में आ गये और वो प्रेत जलता हुआ धुँआ बन गायब हो गया । वॉचमैन को जैसे होश आया । मैडम जी सब ठीक है ? शुभांगी ने खाँसते हुए कहा कि हाँ भैया लग तो यही रहा है कि सब ठीक है । 

शुभांगी और वॉचमैन जैसे ही एंडरसन के घर से निकले उसने तीनों दोस्तों को अपनी ओर आते हुए देखा । रिया ने उसे गले लगा लिया । शुभु हम बच गए । हाँ, रिया हम बच गए। अब शुभांगी की भी आँखें भर आई । अतुल और विशाल भी एक दूसरे के गले मिले । जान बची तो लाखों पाए । सुबह हो चुकी है । अब चलना चाहिए । ऑउट हॉउस जाकर अपना सामान ले लेते हैं। विशाल ने कहा । यार ! एक बात समझ नहीं आई कि कंकाल उस कब्र से कैसे निकले? अतुल ने सवाल किया । आपके सारे सवालों के जवाब आप इनसे ले लो । वॉचमैन ने सामने की ओर इशारा किया ।  सबने देखा एक बुजुर्ग आदमी कमर झुकाए और हाथ में लाठी लिए उनकी तरफ़ आ रहा है। यह कौन है ? यह पहले वाले चौकीदार है । नमस्ते बाबा सबने हाथ जोड़े । बुज़ुर्ग ने हाथ उठाकर ज़वाब दिया । अब बताए बाबा असल कहानी क्या है ? अतुल का सवाल है । विशाल ने झट से जेब से फ़ोन निकाल रिकॉर्डर ऑन कर लिया ।  बाबा ने चारों की ओर देखकर बोलना शुरू लिया। दरसअल पॉल एंडरसन भले इंसान थें। सुना है कि अपनी मौत से कुछ दिन पहले वह बड़े परेशान से थें । फ़िर किसी ने उनको मारकर वही कॉन्फेशन बॉक्स में फ़ेंक दिया था । जब उन्हें दफनाया गया तो कुछ समय की बात उनकी लाश कब्र से गायब हो गई । खाली कब्र को मिट्टी से भर दिया गया। मगर जब लोगों को पॉल एंडरसन के घर से आवाजें आने लगी कि "मुझे दफनाओ मत जला दो, वरना मैं ऐसे ही भटकता रहूँगा। मगर जलाते कैसे ?जलाने के लिए चाहिए । फ़िर आवाज़ें आनी बंद हो गई। सब सही चल रहा था, मगर जब सरकार ने उनके घर को म्यूजियम बनाने का फैसला लिया, तब यह कंकाल उन्हें मिले थें । सबने बहुत कोशिश की, मगर कोई इन्हें हाथ नहीं लगा सका था । । पॉल एंडरसन की दर्द्द भरी आवाज़ें कभी-कभी कंकालों से सुनाई देती थीं। लोग का यही कहना था कि वो इसी घर में है । जब मैंने ड्यूटी ज्वाइन की तब इनके घर में सन्नाटे के अलावा मुझे कुछ महसूस नहीं हुआ । मेरे समय में भी लोग इनके घर को देखने आए पर कभी कुछ उन्होंने भी नहीं बताया । फ़िर धीरे-धीरे सब खत्म होता गया । कहते हुए बाबा ने गहरी सांस ली । 

इसका मतलब आज हमने उनकी आखिरी इच्छा पूरी कर दी ? रिया ने सवाल किया । हाँ, उन्होंने शायद तुम्हे ही चुना होगा। बाबा ने जवाब दिया। थैंक्यू बाबा, विशाल ने रिकॉर्डर बंद करते हुए कहा । अपना ध्यान रखना। बाबा ने शुभांगी के सिर पर हाथ रखते हुए कहा। बाबा तो चले गए। मगर शुभांगी सोचने लगी आखिर उन्हें मारा किसने होगा । क्या सोच रही हों शुभांगी ? यही कि एंडरसन के कातिल कौन है ? ज्यादा सोचने की ज़रूरत नहीं है। हमारे प्रोजेक्ट के लिए इतना ही काफी है । विशाल ने शुभांगी को देखते हुए उसकी बात का जवाब दिया। सभी ऑउटहॉउस गए, वहाँ से अपना सामान लिया । ऑउटहॉउस अब शांत है । मगर यह शांन्ति उन्हें अच्छी लग रही हैं। रिसेप्शन पर मैडम देखकर उन्हें धक्का लगा। आप ? सब हैरान है। हाँ, मैं सिर्फ एक-दो घंटे के लिए आती हूँ । अभी आई हूँ। उसने बड़े ही बेफिक्र होकर ज़वाब दिया । आपको यहाँ अकेले डर नहीं लगता ? अतुल ने सवाल किया । कभी- कभार कोई आता है, मगर रात तक कोई नहीं रुकता। एक-दो स्टॉफ है वो भी अब बुलाने पर ही आते हैं। जब आप आये थें, तब शाम हो चुकी थीं। सब जा चुके थें और मैं आपके आने के बाद चली गई। उसने मुस्कुरा कर ज़वाब दिया। आप बता नहीं सकती थी कि रात को यहाँ रुकना नहीं चाहिए। आपको क्या पता कैसे हमारी जान बची है । रिया ने ज़ोर से कहा तो शुभांगी ने उसे चुप रहने का ईशारा किया । मेरा काम डराने का नहीं है और जिनकी किस्मत ख़राब होती है, वे लोग अपने आप ही किसी मुसीबत में फँस जाते हैं । उसने मुँह बनाकर जवाब दिया।

ठीक है, सब चलते है । शुभांगी ने रिया को खीचते हुए कहा। मैं उसका मुँह तोड़ देती। छोड़ न रिया, दफा कर। अपना मूड़ ख़राब मत कर। विशाल ने जीप चला दी और सबने एक बार फ़िर एंडरसन के घर को देखा । वॉचमैन को हाथ हिलाया । रिसेप्शन की मैडम को देखा, उसके चेहरे पर मुस्कान है । एक डरावनी मुस्कान। जिसे देखकर चारों थोड़ा डरे, मगर फिर चलती जीप के साथ पीछे छूटते हुए रास्ते पर अपनी ये खौफनाक यादें छोड़कर आगे बढ़ गए। 

इंतज़ार करती माँ को देखकर शुभांगी ने उन्हें गले लगा लिया और वह नहाने के लिए बाथरूम में चली गई । जब बाहर आई तो उसने खुद को शीशे में देखा । चेहरा अब सूजा हुआ नहीं लग रहा है । उसने अपना लैपटॉप बैग से निकाला । बैग में देखा अरे! हम वीडियो कैसेट और भैया का एंट्री रजिस्टर साथ ले आये । अब इनका क्या काम। मैं इसे बैग में रख देती हूँ । उसने सारा सामान बैग में डाला और अपनी अलमारी के ऊपर रख दिया। माँ की आवाज़ आते ही वह नीचे आ गई और बता कैसा रहा तेरा यह ट्रिप? माँ ने उसकी तरफ खाने की प्लेट सरकाते हुए कहा । बस माँ बीत गया। अब सारा ध्यान फाइनल स्कोर पर है । शुभांगी ने जवाब दिया । मेरा दिल कहता है कि मेरी बेटी ज़रूर विदेश जाकर पढ़ेगी । काश ! ऐसा ही हों । शुभांगी भविष्य के सपने देखने लगी । अब ख़्वाब ही देखती रहेगी या कॉलेज भी जायेगी । माँ ने हँसते हुए कहा । 

कॉलेज पहुँचते ही अतुल मिला । यार! रिया और विशाल कहाँ है ? शुभांगी ने पूछा । उसका आने का मन नहीं कर रहा है। इसलिए वह नहीं आई । अतुल ने जवाब दिया और विशाल अनन्या के कॉलेज उसकी सहेली से मिलने गया है । उसके पेरेंट्स तो यहाँ नहीं रहते न ? नहीं, उसके चाचा-चाची है जो विदेश में है । माँ-बाप तो बचपन में अलग हो गए थे । यहाँ तो वो पीजी में रहती थी। अतुल ने जवाब दिया । ओके, हम क्लॉस में चलते हैं। हाँ चलो, अतुल ने शुभांगी के हाँ में हाँ मिलाई ।

क्लॉस में प्रोफेसर ने उन्हें अपना प्रोजेक्ट देने के लिए पंद्रह दिन और दिए । सभी स्टूडेंट्स अपने-अपने प्रोजेक्ट को लेकर बहुत उत्साहित है । हमारा प्रोजेक्ट तो रियल प्रोजेक्ट हो गया है । अतुल कहकर मुस्कुराया । इतना रियल की हम मर भी सकते थें । क्या शुभांगी अब अच्छा सोचो । पंद्रह दिन के बाद हमारे आखिरी सेमेस्टर के पेपर है, पिछले पेपर भी हम लोगों के बढ़िया गए । फ़िर एक महीने की छुट्टियाँ, रिजल्ट और हम चारों विदेश जायेगें। याहू ! अतुल ख़ुशी से पागल हो रहा है । फिलहाल तो मेरे साथ कैंटीन चल ले । तू चल मैं आया । जल्दी आना कहकर शुभांगी अकेले ही कैंटीन में चली गई।

कैंटीन में अच्छी खासी भीड़ है । उसने काउंटर से एक कप कॉफी ली और खाली हुई चेयर देखकर वहीं कोने में बैठ गई । कॉफ़ी का एक घूँट ही पिया है कि विशाल उसके पास आकर बैठ गया । क्यों क्या हुआ सब ठीक है न ? शुभांगी ने उसे परेशां देखकर पूछा । ठीक है भी और नहीं भी । मतलब ? उसकी फ्रेंड बता रही है कि उसके चाचा मुझ पर पुलिस केस कर सकते हैं । क्या ! उसने कॉफी का कप नीचे रख दिया । हम सब उसके चाचा से बात करते हैं और उन्हें सारी कहानी बताते हैं । मगर हमसे पहले यह कहानी उन्हें कोई और सुना चुका है वो भी इस अंदाज़ में कि कहानी का विलन में हूँ, यानि उनकी भतीजी का मर्डर मेरी वजह से हुआ है । उसकी फ्रेंड ने यह कहानी सुनाई ? नहीं, हमें अपनों ने ही लूटा गैरो में कहाँ दम था, अब पहेलियाँ न बुझा विशाल ? बता कौन ? हमारी अपनी रिया !!!!! विशाल के मुँह से रिया का नाम सुनते ही शुभांगी के हाथ से कॉफी का कप छूट गया। अच्छा है, यह कागज़ का कप था और कॉफी भी खत्म हो चुकी हैं। मगर रिया ने अच्छा नहीं किया। 

                                                                   

                                                                    7.


मैं नहीं मानती, रिया कभी ऐसा नहीं कर सकती है। ज़रूर उसकी फ्रेंड झूठ बोल रही है । शुभांगी अब भी कुछ मानने को तैयार नहीं है । मैं भी यही सोच रहा हूँ मगर उसकी फ्रेंड को थोड़ी न कुछ पता था । अनन्या ने इस ट्रिप के बारे में उसे कुछ नहीं बताया था । बल्कि उसके चाचा ने उसे बताया कि मुझे रिया नाम की लड़की का फ़ोन आया है और वो कह रही है कि अनन्या विशाल के साथ घूमने गई थीं। वही उसने उनकी भतीजी का मर्डर कर दिया । विशाल के चेहरे पर चिंता साफ़ झलक रही है । तभी अतुल आकर वही बैठ गया । क्या हुआ ? दोनों ऐसा क्या सीरियस डिस्कस कर रहें हो । बताओ अब ? उसने फ़िर ज़ोर दिया । अनन्या के चाचा मुझ पर मर्डर केस कर सकते हैं वो भी रिया की वजह से । अब हैरान होने की बारी अतुल की है । शुभांगी ने उसे सही बात बताई । रिया को कॉलेज बुलाते हैं और पूछ लेते है कि सच क्या है । अतुल ठीक कह रहा है । शुभांगी ने रिया को कॉल कर कॉलेज आने के लिए कहा । यार ! क्लॉस में बात करना सही नहीं है । अतुल ने राय दी । लाइब्रेरी में बात करेंगे । ओ ! मैडम लाइब्रेरी में बात करना मना होता है और तू हमेशा लाइब्रेरी में ही क्यों घुसी रहती हैं । अतुल ने चिढ़कर शुभांगी से कहा। हम कॉलेज के पास वाले पार्क में चलते हैं । वो इतना बड़ा है कि कोई न कोई कोना मिल जायेगा । विशाल की बात पर दोनों सहमत हो गए । 

 तीनों रिया का इंतज़ार कर रहे हैं । दनदनाती हुई रिया आई और ज़ोर से विशाल पर चिल्लाने लगी । तूने सागर के पापा को फ़ोन करके मुझे सागर का कातिल बना दिया । तेरा दिमाग ठीक है या अपनी गलफ्रेंड की मौत के सदमे में है । सदमे में तो तू है जो अनन्या के चाचा को फ़ोन कर मुझे उसका कातिल बना रही है । अब विशाल भी चीखा । अतुल और शुभांगी हैरान कि यह क्या हो रहा है । एक मिनट हो सकता है कि कोई तीसरा ही है, जो हम सब की फिरकी ले रहा है । शुभांगी ने भी हैरान होते हुए कहा कि "आख़िर कौन है? जो उस दिन  बारे में जानता है, इसके बारे में तो पता करना पड़ेगा ।"  शुभांगी की बात सुनकर विशाल और रिया सोच में पड़ गए । इसका मतलब विशाल ने कुछ नहीं किया । रिया शायद अब समझ चुकी है । हाँ, यार तू और विशाल दोनों ही बेकसूर हूँ । क्या तुममे से किसी ने हमारी ट्रिप के बारे में किसी को कुछ बताया?अतुल ने सबसे सवाल किया । वैसे भी वो यश एंड ग्रुप तो चाहता ही है कि हमारा ग्रुप इस फ़ेलोशिप से बाहर हो जाए और वो लोग जीत जाए । कहते हुए विशाल ने दांत भींच लिए । मगर हमारे पास कोई प्रूफ नहीं है कि यश एंड ग्रुप इस सब में इन्वॉल्व है । शुभांगी ने एक लम्बी सांस ली । जो भी है, फिलहाल यह हवा में बातें है । किसी की कोई लाश नहीं मिली है और ज़रूरत पड़ेगी तो हम लोग सारी सच्चाई सबको और पुलिस को को बता देंगे । मगर पहले यह देखते है कि हमें फॉलो कौन कर रहा है । कुछ दिनों तक इस तरफ़ ध्यान देते है, क्या पता कोई क्लू मिल जाए । शुभांगी एक ही सांस में बोल गई ।

हमें अपना प्रोजेक्ट सबमिट करना है, सिर्फ़ पंद्रह दिन बचे है । यह न हो हमारा ध्यान भटकाकर कोई बाज़ी मार ले जाए । अतुल ने भी अपनी बात कह दी । कल सब मेरे घर पर मिलते हैं, वहाँ बैठकर प्रोजेक्ट पूरा करना शुरू करते है। शुभांगी ने सुझाव दिया। नहीं, अभी सारा थ्योरी वर्क करते है और फ़िर जब पूरी शार्ट फिल्म बनानी होगी। तब शुभांगी के घर चलेंगे । रिया की बात मान ली गई और सब अपने घर की तरफ निकल गए। रास्ते में चलते हुए शुभांगी को ऐसा महसूस हुआ कि कोई उसका पीछा कर रहा है, उसने पीछे मुड़कर देखा तो सामने यश खड़ा था। शुभांगी उसे देख सकते में आ गई। तुम ? तुम मेरा पीछा क्यों कर रहे हों ? अरे ! इतना चिल्ला क्यों रही हों । पीछा नहीं कर रहा, बस यहाँ से गुज़र रहा था तो तुम्हें देख तुमसे बात करने के लिए आ गया । यश ने सफ़ाई दी। बताओ क्या बात करनी है? कही चले ? शुभांगी ने पहले सोचा उसे मना कर दे। मगर वह जानना चाहती है कि यश को कहना क्या है। ठीक है, पास वाले कैफ़े में चलते है। दोनों कैफ़े में एक खाली जगह देखकर बैठ गए । कुछ आर्डर करे? मुझे ख़ास भूख नहीं है । फ़िर भी एक कॉफी मंगवा लेते हैं । शुभांगी ने मेन्यू वही टेबल पर रखकर कहा। थोड़ी देर में कॉफी आ गई । 

बताओ, क्या कहना है ? कॉफी तो लो बता रहा हूँ । तुम्हे पता है कि घर में माँ मेरी वेट कर रही होंगी तो इसलिए टाइम वेस्ट नहीं करते । ओके यश ने धीरे से कहा । देखो, शुभांगी अब फाइनल के बाद मास्टर्स करने के लिए पता नहीं हम कहाँ होंगे । तो ? शुभांगी ने कॉफ़ी का कप हाथ में पकड़ लिया । मुझे तुम अच्छी लगती हो, क्या हम दोस्ती से आगे कुछ सोच सकते है ? यश ने शुभांगी की आँखों में देखकर सवाल किया । तुम बहुत सीरियस लग रहे हों ? मैं सीरियस हूँ । यश, अभी किसी रिलेशनशिप के बारे में मैं नहीं सोचना चाहती है । अभी लाइफ से बहुत कुछ चाहिए। अगर कभी हम आगे मिले और तुम तब भी इतने सीरियस रहे तो शायद मैं कुछ सोचो । मगर अब कुछ नहीं हो सकता । शुभांगी ने यश की आँखों में देखकर ज़वाब दिया । मुझे जो कहना था मैंने कह दिया । यश ने कॉफ़ी के पैसे वेटर को दिए । उसको देखकर लग रहा है कि वो बहुत बुरा महसूस कर गया है। यश कुछ पूछो ? हाँ, पूछो । क्या तुम अनन्या या सागर को जानते हो ? नहीं, पहली बार तुम्हारे मुँह से सुन रहा हूँ । तुम्हें हमारी फ्राइडे वाली ट्रिप के बारे में पता था ? जी नहीं, तुमने शायद ध्यान नहीं दिया मगर मैं दस दिन बाद कॉलेज आया हूँ । यश का मुँह उतर गया । ओके, मुझे पता नहीं था । चलो चले, तुम्हे देर हो रही है । सारे रास्ते वह यश से घुमा फिराकर अपनी उस ट्रिप के बारे में पूछती रही, मगर उसे सचमुच कुछ नहीं पता था । वह तो शुभांगी की 'न' से काफी मायूस महसूस कर रहा है । 

अपने कमरे में आराम फरमाते वक़्त वो सोच रही है कि यश और उसकी दोस्त तो कहीं नहीं समझ आते । फ़िर कौन है जो? वह अब भी इस गुथी को नहीं सुलझा पा रही है । खैर छोड़ो, प्रोजेक्ट पर ध्यान देना ज्यादा ज़रूरी है । यही सोच वह अपनी फाइल खोल काम में लग गई ।

सभी प्रोजेक्ट की तैयारी में लगे हैं । उनका थॉयरी वर्क पूरा हो गया है । किसी तरह की कोई परेशानी भी अनन्या या सागर की तरफ़ से नहीं हुई । सब वो बात भूल सामान्य हो गए । अब आज शाम को सब शुभांगी के घर प्रैक्टिकल की तैयारी के लिए आने वाले हैं । उसकी माँ ने उन सबके लिए बहुत स्वादिष्ट व्यंजन बनाए हैं ।

घंटी बजते ही सब शोर मचाते हुए अंदर आ गये । नमस्ते आंटी कैसी है आप रिया ने पूछा । अच्छी हूँ, बेटा तुम लोगों को देखकर बहुत खुश हो गई हूँ । हम सब है ही ऐसे अतुल ने इतराते हुए कहा । यह ड्रामे बंद करो और मेरे कमरे में चलो । माँ आप वही कुछ खाने को ले आना । शुभांगी रिया का हाथ पकड़ सबको अपने कमरे में ले गई। यार ! तेरा रूम तो बढ़िया है । विशाल ने बेड पर गिरते हुए कहा । ज़्यादा टाइम नहीं है ।  दो दिन बाद प्रोजेक्ट सबमिट करना है । शुभांगी ने लैपटॉप खोलते हुए कहा । शुक्र है, भगवान का कि हम सब यहाँ तक पहुँचे । रिया ने हाथ जोड़ते हुए कहा । यह सही कह रही है, अब मुझे भी लगता है कोई हमारी फिरकी ही ले रहा था । अब मै राहत महसूस कर रहा हूँ। विशाल ने आँखें बंद कर ली । जो बीत गयी सो बात गई । अब यहाँ कंसन्ट्रेट करते है । शुभांगी ने फोटो अपलोड करना शुरू कर दिया । तभी रिया की नज़र शुभांगी के पापा की तस्वीर पर पड़ी । शुभु यह अंकल है न ? हाँ, उसने धीरे से कहा । सब फोटोज को देखने में लगे हैं, सब सही लग रहा है । कहीं कोई दिक्कत नहीं है । रिया शुभांगी के पापा की तस्वीर हाथ में लिए खिड़की के पास जाती है और नीचे सड़क पर किसी को देख डर जाती है । यार ! वह दौड़कर उनके पास आई कि वहाँ कोई है । पहले तू मेरे पापा की तस्वीर टेबल पर रख दे । शुभांगी ने उसके हाथों से तस्वीर लेते हुए कहा । सब खिड़की के पास पहुँचे पर कोई नहीं दिखा । यहाँ इतने पेड़ है, ज़रूर कोई परछाई देख ली होगी । वैसे भी कई नशेड़ी यहाँ घूमते रहते हैं । शुभांगी ने खिड़की बंद कर दी । मैं कुछ लेकर आती हूँ । कहकर वो कमरे से चली गई । विशाल और अतुल रिकॉर्डर को सुनने लगे, जिसमे उन्होंने वॉचमैन का इंटरव्यू लिया था । 

जब उन्हें लगा कि इंटरव्यू ख़त्म हो गया है तो वह उसे बंद करने वाले थें । तभी एक आवाज ने उनके होश उड़ा दिए । कुछ साफ़ नहीं सुनाई दे रहा था, आवाज़ इतनी डरावनी है कि लगता है कोई उनके बेहद नज़दीक होकर कान में बोल रहा है। "सब के सबबबबब मरोगेगेगेगे."। यह थोड़े से शब्द सुनकर ही उनकी जान निकल गई हो। आवाज़ बंद हुई और कमरे का दरवाज़ा खुला तो सामने शुभांगी खाने की ट्रे लेकर अंदर आ गई । क्या हुआ तुम लोगो सब मुझे ऐसे क्यों देख रहे हो? और रिया ने डरते हुए कहा कि रिकॉर्डर से कोई कुछ कह रहा है । शुभांगी के कहने पर रिकॉर्डर दोबारा सुना गया । तीन बार सुनने पर भी वैसा कुछ सुनाई नहीं दिया । तुम भी न यार! हद करते हों । सब प्रोजेक्ट का काम ख़त्म कर शुभांगी के घर से निकल गए। विशाल क्या सचमुच आवाज़ थी या हमारा कोई भ्रम था ? अतुल ने सवाल किया । पता नहीं, कुछ समझ नहीं आ रहा। जो भी है, हमें जल्द से जल्द यह प्रोजेक्ट चैप्टर क्लोज़ कर अपने फाइनल के चार पेपर की तरफ ध्यान देना चाहिए। रिया ने अपनी बात रखी । लो मेरा घर आ गया, पैदल चलते-चलते रास्ते का पता ही नहीं चला। प्रोजेक्ट ने तो रात के दस बजा दिए। अतुल ने घड़ी की तरफ़ देखते हुए कहा ।

तुम लोग जाओ, मैं अब घर चली जाऊँगी । चली जायेगी न ?हाँ, विशाल, यह मेरी गली है। यहाँ से रोज़ ही निकलती हूँ और घर भी ज़्यादा दूर नहीं है। ठीक है, बाय ! कहकर रिया गली के अंदर आकर अपने घर की तरफ़ बढ़ने लगी । मेहता अंकल तो घूमने गए है, फ़िर लाइट क्यों जल रही है। यह सोचते हुए वह उनके दरवाज़े के पास आ गई । उनके गार्डन में कुर्सी पर किसी को बैठा देखकर सोचने लगी कि कही कोई चोर तो नहीं है। उसने टोर्च की रोशनी कुर्सी पर मारी । पहले कुछ दिखाई नहीं दिया । कौन है ? वहाँ पर कौन है ? मैं पुलिस को फ़ोन करुँगी। , जल्दी बताओ। रिया बोली जा रही है । उसने फ़िर टोर्च जलाई, मगर इस बार एक चुड़ैल जैसी प्रेत औरत को देखकर भाग खड़ी हुई । उसे लगा, अगर वह तेज़ नहीं भागी तो वह औरत उसे पकड़ लेगी।

माँ, पापा, माँ, पापा। रिया ज़ोर से दरवाज़ा खटखटा रही है । वह प्रेत उसकी तरफ़ बढ़ रही है। नहीं, नहीं नाहीहीहीहीहीही तभी सब कुछ शांत । दरवाज़ा खुला। आ गई तू , इतना क्यों चिल्ला रही थी, खाना खायेंगी ? नहीं खाना, कहती हुई रिया अपने कमरे में चली गई और बेड पर लेटकर ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगी। तू ठीक तो है ? हँस क्यों रही है । कुछ नहीं माँ, बस ऐसे ही आप सो जाओ । रिया ने अपने कमरे से ही ज़वाब दिया । पर उसकी माँ यह सोच रही है कि रिया ऐसे क्यों हँस रही थी, ऐसी हँसी को सुनकर कोई भी डर ही जाए।


                                                                8


अगले दिन कॉलेज में चारों ने टाइम से पहले ही अपना प्रोजेक्ट जमा करवाया । अब चार थ्योरी पेपर के बाद इस प्रोजेक्ट का रिजल्ट भी आ जाएगा। शुभांगी ने कहा । मैं एग्जाम के कुछ नोट्स बनाने लाइब्रेरी जा रही हूँ । रिया चलोगी ? तुम लोगों को तो कहना ही बेकार है । नहीं यार, फाइनल एग्जाम है, अब तो हम भी लाइब्रेरी चल सकते है । अतुल ने मज़ाक किया । ठीक है, चलो। रिया इतनी खामोश क्यों है ? अतुल ने पूछा। रिया ने कोई जवाब नहीं दिया ।

सब लाइब्रेरी में बैठे हुए हैं । रिया खिड़की की तरफ़ खड़ी है । अतुल उसके पास जाकर बोला, "इतनी देर से क्या देख रही हूँ, पढ़ना नहीं है, क्या? अभी मुझे सागर दिखा ? क्या ? कह रही है ? अतुल ज़ोर से बोला । शुभु देख, तेरी दोस्त क्या कह रही है । दोनों भागते हुए आये । रिया ज्यादा मत सोच यार! कल से पेपर शुरू हो जायेगे । शुभु ने उसके बालों पर प्यार से हाथ फेरा तो उंसने हाथ झटक दिया । कितनी ज़ोर की लगी है । शुभु ने हाथ को दबाते हुए कहा । चल यार, अब निकलते है , बहुत देर हो गई है । विशाल ने बात वहीं खत्म कर दी ।

रिया को पहले घर छोड़ा और फ़िर तीनों बात करते हुए चलने लगे । कल तो बड़ी समझदारी की बात कर रही थीं । आज फ़िर वही बहकी-बहकी बात । हो जाता है यार, शायद वो सागर के लिए सीरियस भी थी । तुम नहीं समझोंगे प्यार को खोने का गम क्या होता है । शुभांगी ने गहरी सांस लेते हुए कहा । तुझे बड़ा पता प्यार के बारे में ? कभी कोई बॉयफ्रेंड बनाया है ? हमेशा वर्जिन ही रहियो ? अतुल ने छेड़ा । शटअप। मेरे पापा-मम्मी में बहुत प्यार था । अब भी है । शुभांगी सीरियस हो गई । वैसे मैंने तुम लोगों को एक बात नहीं बताई । कौन सी बात? विशाल और अतुल उसका मुँह देखने लग गए । कुछ दिनों पहले मुझे यश ने प्रोपोज़ किया था । मगर मैंने मना कर दिया । शुभांगी ने उनके बोलने से पहले ही बात खत्म कर दी । क्यों ? लड़का इतना बुरा नहीं है । देख ले, हमारी तरफ़ से कोई मनाही नहीं है । क्यों विशाल ? विशाल ने अतुल की बात सुनकर बोला, " मुझे ज्यादा पसंद नहीं है । शुभु, इससे बेटर डिज़र्वे करती है । आज तुझे बड़ी शंभु की फ़िक्र हो गई । आज से पहले कभी शुभु के लिए कोई लड़का देखा था। अब बेचारा यश हिम्मत कर रहा है तो उसे तू रिजेक्ट कर दें । अतुल अब भी लगातार मज़ाक कर रहा रहा है । यार ! तुम लोगों को कुछ बताने का कोई हाल नहीं है । शुभांगी चिढ़ गई । अब एग्जाम पर ध्यान दो । वो ज़्यादा ज़रूरी है ।

लगातार एक हफ्ते तक उनके पेपर चले । सबके पेपर अच्छे हो गए । इस हफ्ते के दौरान चारों के पास फुरसत नहीं थी कि एक दूसरे से बात करें। मगर आज आखिरी पेपर होते ही अतुल ने पार्टी की घोषणा कर दी । जगह और वक़्त सबको उसने व्हाट्सअप कर दिए । रिया तू आ रही है न ? एग्जाम के चक्कर में मैं तुझे भूल ही गई थीं। शुभु ने बड़े प्यार से कहा। "पर मुझे तो सब याद है ।" रिया को देखकर लगा जैसे उसके होंठ नहीं बल्कि आँखें बोल रही हों । तू ठीक है ? उसने फ़िर पूछा । "शाम को मिलते है । "कहकर रिया चली गई और शुभांगी उसे जाते हुए देखने लगी। शाम की पार्टी शहर के फेमस पार्टी कैफ़े रोज़मेरी में है । शुभांगी, अतुल और विशाल वहाँ पहुंच चुके है । यार ! वो देखो नंदिता मैं तो अब एक कोना ढूँढ रहा हूँ । तुम एन्जॉय करो । कहकर विशाल हँसते हुए चला गया । "देख, यश तुझे ही देख रहा है शुभु ।  तू भी अब एक कोना पकड़ लें । अतुल ने ड्रिंक पीते हुए कहा। अपना मुँह बंद कर । रिया नज़र नहीं आ रही ? आती होगी। तू ड्रिंक ले और उसे देख । मुझे भी कोई बुला रहा है । सामने खड़ी दो लड़कियों की तरफ़ इशारा करके अतुल चला गया। रिया को उसने फ़ोन मिलाया । मगर कॉल नहीं लगी । पार्टी शुरू हो चुकी है। यश ने शुभु को डांस के लिए पूछा और वो मना नहीं कर पाई। ब्लैक ड्रेस में बहुत अच्छी लग रही हो। थैंक्यू, शुभु ने मुस्कुरा कर ज़वाब दिया । तभी यश करीब आ गया और उसने शुभांगी के होंठो पर किस कर ली । शुभू समझ नहीं पाई कि यह क्या हुआ । उसने यश के मुँह पर ज़ोरदार थप्पड़ दे दिया और वहाँ से चली गई । 

यश शुभांगी के पीछे-पीछे आया, वह कैफ़े के टेरेस पर चली गई । शुभांगी वो क्या था ? उसने उसकी बाजू पकड़ ली । क्या मतलब वो क्या था, वो एक थप्पड़ था, अगर दोबारा ऐसी हरकत की तो अच्छे से बताऊँगी, समझे । मैंने तुम्हारे साथ डांस क्या कर लिया तुम अपनी हद भूल गए । शुभु ने गुस्से से कहा। हद ? जब मुझे पता चला कि तुम भी मुझे पसंद करती हो और तुम्हारी हाँ समझकर ही मैंने तुम्हे किस की थी । रिया का दिमाग ख़राब हो गया है क्या ? मैंने उसे तुम्हारे बारे में बताया ही नहीं । हाँ, अतुल और विशाल को ज़रूर बताया था, मगर मुझे पता है वो ऐसा कुछ नहीं कर सकते । क्योंकि मैंने उन्हें बताया था कि मैं तुम्हारे बारे में ऐसा कुछ नहीं सोचती । मैं उनसे बात करके आती हूँ । 

शुभांगी डांस फ़्लोर से पहले अतुल को खींच लिया ।  फ़िर विशाल जो नंदिता के साथ किसिंग सीन एन्जॉय कर रहा है, उसे भी घसीटा । शुभांगी क्या रही है यार ! सारा मूड क्यों ख़राब कर रही है । पहले यह बताओ तुममे से किसी ने रिया को कुछ बताया था । हमने एक हफ्ते से उससे बात नहीं की। दोनों ने अपनी सफ़ाई दी । तभी सामने रिया को देखकर वह उसकी ओर लपकी और उसे खींचते हुए दोबारा छत की ओर ले गई । रिया बता, तुझे किसने बताया कि मैं यश को पसंद करती हूँ और मैंने तुझे यश के बारे में कभी कुछ कहा ही नहीं । फ़िर तेरी हिम्मत कैसे हुई कि तू यह हरकत करें । अब चुप क्यों है ? जवाब दें । उसने रिया का हाथ हिलाया । तभी खामोश रिया को गुस्सा आ गया । उसकी आँखों का रंग बदल सा गया । "तेरी यह हिम्मत कि तू मुझे हाथ लगाये", उसने शुभांगी को हाथ से उठाया और छत से फेंकने के लिए नीचे लटका दिया। रिया !!!!! शुभांगी चिल्लाई उसने नीचे देखा, अगर यहाँ से गिरी तो मर ही जायेगी। रिया ! मुझे डर लग रहा है। छोड़ मुझे, क्या हो गया तुझे। एक बार फ़िर शुभांगी ने विनती की । मगर रिया ने उसे नहीं छोड़ा बल्कि हँसते हुए उसे झुलाने लगी। रिया ! शुभांगी की हालत खराब हो गई । कोई बचाए मुझ । वह फ़िर चिल्लाई। तभी यश पीछे से आया और उसने रिया को पीछे की ओर धकेला और शुभांगी का हाथ पकड़कर उसे ऊपर की ओर खींच लिया । 

तुम ठीक तो हों ? शुभांगी रोते हुए यश के गले लग गई और तभी विशाल और अतुल भी ऊपर आ गए। रिया जा चुकी थीं। इससे बात करनी पड़ेगी । अतुल ने गुस्से में कहा । बाद में कर लेना पहले शुभांगी को घर छोड़ आओ । यश ने दोनों को देखते हुए कहा । थैंक्स यार ! दोनों ने उसे गले लगा लिया । शुभांगी ने भी नाम आँखों से उसे थैंक्स कहा और वो तीनो कैफ़े से निकल गए । यार ! मुझे लगता है कि कहीं कोई गड़बड़ है। वो रिया नहीं लग रही थीं । शुभु वह रिया ही थीं, जिसने ऐसी नीच हरकत की है । कल उसके घर चलते हैं । वहीं जाकर बात करेंगे । अगर कोई प्रॉब्लम है तो खुलकर बता । यह नाटक क्या लगा रखा है । विशाल की आवाज़ में गुस्सा है । 

शुभांगी को रात भर नींद नहीं आई । उसे बार- बार रिया की हँसी और आँखें याद आ रही थीं । वह अपनी माँ के कमरे में चली गई पर माँ को उसने उठाना ठीक नहीं समझा । वह वापिस अपने कमरे में आ गई। कुछ तो है, जो अजीब है और हमारी समझ से बाहर है। या वो रिया सचमुच किसी डिप्रेशन में है । इसी सोच में सुबह हो गई। "क्या बात है शुभु, ठीक से सोई नहीं ? आँखें इतनी लाल क्यों है। माँ ने उसे टोस्ट देते हुए कहा। बस माँ ऐसे ही । "अब छुट्टियों में क्या करने का इरादा है, कुछ सोचा है ? नहीं देखते है, फिलहाल कोई प्लान नहीं है। शुभांगी अब भी थका हुआ महसूस कर रही है । तभी फ़ोन पर अतुल का नंबर देख, वह माँ को रिया के घर जाने का बोलकर घर से निकल गई। अतुल और विशाल उसका इंतज़ार कर रहे हैं। यार ! मुझे कल सारी रात नींद नहीं आई । हम समझ सकते है , शुभु पर आज इस रिया से बात करकर ही रहेंगे और उसे तुझसे माफ़ी माँगनी होगी। अतुल ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा । उसके घर की डोरबेल बजाई तो उसकी कामवाली ने बताया की रिया दीदी तो सुबह से बाहर ही है।

यह मैडम कहाँ घूम रही है । वैसे "मैं तुम लोगों को बताना भूल गया । मैं आज शाम अपने चाचा के फार्महाउस पर जा रहा हूँ और कुछ दिन वहीं रहूँगा ।" विशाल की खीजी हुई आवाज़ शांत हो गई। हमें भी ले चल यार ! मुझे पता है तू मज़े लेने जा रहा होगा । अतुल ने छेड़ते हुए कहा । अब वो तो वहीं जाकर पता चलेगा । बाकी सच तो यह है कि वहाँ कोई काम चल रहा है । चाचा जी के पास टाइम नहीं है । उनके बच्चे भी नहीं है । इसलिए उन्होंने मुझे कहा तो मैं मना न कर सका । अगर मुझे मौका मिला तो तुम्हें ज़रूर बुला लूँगा । विशाल ने अपनी बात खत्म की। मैं पेंटिंग सीखूँगी, मुझे मत बुलाना । शुभांगी ने मना कर दिया । अब मुझे काम है, मैं निकलता हूँ । रिया से बाद में बात करेंगे । विशाल चला गया । शुभु मेरी म्यूजिक क्लॉस है । ठीक है, अतुल मुझे पेंटिंग के सर से मिलना है। इसलिए मैं भी चलती हूँ ।

विशाल अपनी गाड़ी में बैग रख अपने फार्महाउस की ओर निकल गया । रास्ते में म्यूजिक चलाता हुआ वह अपनी धुन में जा रहा है । फार्म हाउस पहुँचकर उसने देखा कि आसपास ख़ास आबादी नहीं है । मगर कुछ परिवार है, जिनसे थोड़ी बहुत रौनक है । मज़दूर काम करके अगले दिन आने का कहकर जा चुके हैं । चाँद निकल आया है । उसने बियर की बोतल उठाई और टीवी खोलकर पीने बैठ गया । अतुल का नंबर मोबाइल पर देखकर उसने फ़ोन उठाया । " क्यों बे ! मज़े ले रहा होगा तू तो " मज़े लेने के लिए कोई फिलहाल नहीं है । नंदिता से पूछा था तो मैडम ने कहा, "देखती हूँ।" मैं भी दो-चार दिन रुककर आ जाऊँगा । विशाल ने ड्रिंक पीते हुए ज़वाब दिया । तू वहाँ भी किसी न किसी को पटा ही लेगा । चल रखता हूँ, मेरा परसो एक म्यूजिक शो है । बाद में बात करते हैं । अतुल ने बाय कहकर फ़ोन रख दिया । विशाल ने दरवाज़े खिड़की अच्छे से चेक किए । तभी उसे लगा बाहर सड़क पर कोई है,। गौर से देखने पर उसे वो अनन्या जैसी लगी । वह डर गया । यार ! यह क्या ड्रामा है । वह खिड़की से पीछे हट गया।


                                                                       9.


विशाल हिम्मत करके फ़िर से खिड़की की तरफ़ गया । उसके होश उड़ चुके हैं । उसने बाहर देखा तो कोई नहीं है । कहीं मैंने ज़्यादा तो नहीं पी ली है । उसने हॉल की लाइट बंद की और अपने बैडरूम के अंदर चला गया । टाइम देखा तो रात के ग्यारह बज चुके हैं । वह एकदम से बिस्तर पर गिर गया और थोड़ी देर में उसे नींद आ गई । कुछ आवाज़ आने पर उसकी नींद खुल गई उसने बैडरूम की लाइट जलाई । फिर घड़ी की तरफ़ देखा तो दो बज रहे है । यह हॉल से कैसी आवाजें आ रही हैं। वह फ़िर हिचक सा गया। उसने बैडरूम का दरवाज़ा खोला तो देखा टीवी चल रहा है और कोई टीवी देख रहा है । पीछे से देखने पर उसे कोई लड़की लगी । खुले बालों में लगातार अपने हाथ मार रही है । उसे अनन्या का ख्याल आया। इसका मतलब बाहर सचमुच अनन्या थीं । अब उसकी जान निकल गई । उसका मन किया कि वहाँ से भाग जाए। वह बाहर के दरवाज़े की ओर लपका। मगर एकदम से गिर गया । "कहाँ भाग रहा है ? " मुँह उठाकर देखा तो ज़ोर से बोला , " रिया तू " यहाँ? वह उठ खड़ा हुआ। तू यहाँ क्या कर रही है ? वो भी इतनी रात को ? और तुझे कैसे पता चला कि मैं यहाँ हूँ ? वह बोले जा रहा है । "सांस तो ले ले । मैं तुझसे उस दिन पार्टी में जो कुछ हुआ उसको लेकर माफ़ी माँगने आई हूँ ।" रिया ने बड़ी रोती हुई आवाज़ में कहा । मुझसे क्यों माफ़ी मांग रही है । शुभु से माफ़ी मांग न और हम वापिस आकर बात कर सकते थें। विशाल की आवाज़ तीखी हो गई।


मैं क्या करती यार! शुभु और अतुल मुझसे बात नहीं कर रहे हैं । मैं इतनी परेशां थी कि समझ नहीं आ रहा था कि किससे बात करो। मुझे लगा तू समझेगा इसलिए यहाँ चली आई । तू अंदर कैसे आई? "दरवाज़े से " रिया ने दरवाज़े की ओर इशारा किया और विशाल देखकर हैरान रह गया कि दरवाज़ा पूरा खुला हुआ है । मैंने तो दरवाज़े खिड़की बंद किये थें । वह सोचने लग गया । खैर अब तू आ गई है तो उस कमरे में आराम कर । कल सुबह बात करते हैं। कहकर विशाल ने फ़िर अच्छे से दरवाज़ा बंद किया और टीवी बंद करते हुए बोला, आई थी तो मुझे जगा देती । टीवी की आवाज़ सुनकर मैं डर ही गया था । क्यों तुझे लगा कि अनन्या आई है । रिया के मुँह से अनन्या का नाम सुनकर वह चौंक गया। मुझे क्यों लगेगा । अब अगर ऐसे आएगी तो कोई भी डर जायेगा । जा, सो जा । कहकर वह अपने कमरे में गया। अतुल से बात करो क्या ? "सुबह बात करता हूँ । वैसे कह रही है कि अतुल मुझसे बात नहीं कर रहा। फिर यहाँ का पता इसे किसने बताया । शायद घरवालों ने बताया हों । मेरी सारी उतर चुकी हैं ।" तभी उसके बेडरूम का दरवाज़ा खटका । यार ! रिया सो जा । विशाल ने अंदर से ज़वाब दिया । एक बार खोल तो सही । मुझे डर सा लग रहा है । डर लग रहा है तो टीवी देख ले या मोबाइल देखकर टाइमपास कर लें। वैसे मैंने नहीं कहा था यहाँ आने के लिए। पर मेरी नींद मत ख़राब कर । विशाल ने अंदर से ही ज़वाब दिया। वह अब खीज रहा है।


तभी उसने दरवाज़ा इतनी ज़ोर से पीटा कि वह खड़ा हो गया। तोड़ेगी क्या ? उसने दरवाज़ा खोल दिया । वह रिया को देख हैरान रह गया । टूपीस में रिया को देखकर वह ठिठक गया । हलकी सी पारदर्शी जैकेट और उसके नीचे सिर्फ़ टूपीस । वह पीछे खिसक गया । रिया अपने कमरे में जा । मैं यही सो जाती हूँ । नहीं यार, यहाँ मत सो दो-तीन घंटे में सुबह हो जायेगी । उसका गला सूख रहा है । तू पीछे क्यों हट रहा है । रिया उसकी तरफ बढ़ती जा रही है । उसकी समझ में नहीं आ रहा कि यह ऐसे क्यों कर रही है । रिया हम दोस्त है । जा यार ! अपने कमरे में जा । रिया उसके बहुत करीब आ गई । उसने उसकी आँखें देखी तो गहरी नीली । रिया की आँखों का रंग तो काला है या शायद लेंस पहन रखे हैं । उसने उसे पीछे धकेला और किचन में पानी पीने चला गया ।


यह लड़की आज मेरी इज़्ज़त ही लूट लेती और तो और इसे हो क्या गया है। कहीं सागर का प्यार मुझ पर तो शिफ्ट नहीं हो गया । काफ़ी देर तक विशाल ऐसे ही किचन में खड़ा रहा। जब उसे बाहर से आवाज़ आनी बंद हो गई तो वह सीधे अपने कमरे में गया और अंदर से लॉक कर लिया।  पाँच बज चुके है । वह सो गया और मज़दूरों की खटखट ने उसकी नींद खोल दी । घड़ी देखी तो सुबह के दस बज रहे है। फ्रेश होकर वह किचन में गया और उसने आवाज़ लगाई, " रिया!रिया! नाश्ता बन रहा है, अब उठ जा" । पता नहीं, कब सोई होगी । नाश्ता कराकर इसे चलता करता हूँ । यहाँ ज्यादा रही तो मैं कब तक खुद पर काबू कर पाऊँगा । उसने टोस्ट खाते हुए फ़िर रिया को आवाज़ लगाई। बार-बार बुलाने पर जब वो नहीं आई तो उसके कमरे में जाकर देखा तो वहाँ कोई नहीं था । लगता है, चली गई । चलो, जान छूटी । वह वॉक करने के लिए बाहर निकल गया । साफ़ मौसम हल्की-हलकी ठण्ड। शहर से दूर यह जगह कितना सकून दे रही है । मगर यहाँ इस तन्हाई बाँटने के लिए कोई होना भी चाहिए। तभी उसने अपने फ़ोन नंबर चेक किये। मगर फ़िर फ़ोन बंद कर लिया । अपनी तो किस्मत ही खराब है। कोई हीरोइन इस हीरो के नसीब में नहीं है । यह सोचते हुए जा ही रहा है कि सामने से एक लड़की उसे एक सड़क के कोने में पत्थर पर बैठी हुई मिली । हैल्लो, मेरा नाम विशाल

है। आप इस तरह सुनसान सड़क के कोने में क्या कर रही है। अगर कोई हेल्प चाहिए तो कोई मदद कर दो । | " उसने नज़दीक जाकर पूछा। "मैं यही रहती हूँ, यह रास्ते मुझे जानते है"। लड़की ने विशाल की तरफ बिना देखे जवाब दिया । " फ़िर मैं चलता हूँ ।" वह जैसे ही जाने को हुआ । वह बोल पड़ी, "साथ चल सकते हैं, अगर कोई प्रॉब्लम न हो तो । " वह मुस्कुरा दिया और दोनों हँसते हुए साथ चलने लगे । काफी समय एकसाथ गुज़ारने के बाद उसने उसको शाम को अपने फार्म हाउस पर आने के लिए कह दिया।


अतुल मैं आज एक लड़की से मिला नाम है उसका 'अवनी' । बड़ी मस्त लड़की है यार ! मैंने आज शाम उसे फार्महाउस भी बुलाया है । देखो, क्या होता है । वाह ! मेरे शेर तू सही छुटियाँ एन्जॉय कर रहा है, अपनी । अतुल ने हँसते हुए कहा । अच्छा एक बात सुन कल रिया यहाँ आई थीं और बड़ी अजीब हरकते कर रही थीं । मतलब ? मतलब कि वह कम कपड़ो में मेरे कमरे में आकर तू समझ रहा है न यार ! विशाल के आवाज़ में झिझक है। "तुझे पता है, तू क्या कह रहा है । पहली बात रिया को किसने बताया कि तू यहाँ पर है । हमें तो पार्टी के बाद से मिली नहीं और वो तेरे साथ ऐसा कुछ सोचे, मैं मान ही नहीं सकता । हम आज के दोस्त थोड़ी न है यार। स्कूल के दिनों से एक दूसरे को जानते है । तू नशे में होगा। जब तू अकेला होता है तो ज़्यादा पी लेता है।" हो सकता है, उसे अतुल ने विशाल को समझाया । "घर से पता चल गया हो या शुभु ने कुछ कहा होगा ।" तूने हमें अपने फार्म हॉउस का अड्रेस बताया भी है, जो हम किसी को बता पायेगे । तू अपने ही घर पर एक बार फ़ोन करके पूछ ले । मुझे लगता है, कि तुझे कोई ग़लतफहमी हो गई है । अतुल को अब भी यकीन नहीं आ रहा है। चल ठीक है, बात करता हूँ । कहकर विशाल ने फ़ोन रख दिया। जब उसने घर कॉल किया तो सबने साफ़ मना कर दिया कि यहाँ कोई नहीं आया न उन्होंने किसी को कुछ कहा। "छोड़ न यार! मुझे अपना दिमाग खराब नहीं करना है । आज मूड थोड़ा ठीक हुआ है ।"


अतुल जैसे ही म्यूजिक की क्लॉस से निकला । तब सामने रिया खड़ी है । रिया तुम यहाँ ? "हाँ, अतुल मैं पार्टी वाली रात के लिए माफ़ी माँगने आई हूँ। तुम कल विशाल से मिलने गई थी क्या ? नहीं वो तो मुझसे बात ही नहीं कर रहा । रिया ने बड़ी ही बेचारी सी आवाज़ में ज़वाब दिया। एक काम करते है, आज मेरा बैंड परफॉर्म करने वाला है । आज रात वो शो देखने आ जाओ और शुभु को भी वही बुला लेते है । वहाँ उससे माफ़ी माँगकर बात खत्म कर देना । अतुल को रिया पर दया आ है कि कही यह अकेली न रह जाए । "ठीक है मिलते है, आज रात ।" रिया की आवाज़ बड़ी सख़्त लगी । अतुल ने शुभु को कॉल किया, "मैं नहीं आ पाऊँगी। माँ की तबीयत ठीक नहीं है । हम कल मिल लेंगे।" आंटी का ध्यान रखना 'टेक केयर' । अतुल ने फ़ोन काट दिया।


उसका म्यूजिक बैंड अच्छे से परफॉर्म कर रहा है । भीड़ भी अच्छी-खासी आ गई है । शो ख़त्म होते ही उसने रिया को देखा, "तू आई मुझे अच्छा लगा।" शुभांगी से कल मिल लेंगे । चलो. तुम्हें घर छोड़ देता हूँ, रात भी बहुत हो गई है । अतुल ने रिया को गाड़ी में बिठाया और उसे छोड़ने उसके घर की तरफ चल दिया । "यह गाड़ी क्यों रुक गई, मैं तुम्हें पैदल ही छोड़ आता हूँ । ठीक है, रिया मान गई । वैसे रिया तुमने उस दिन वो हरकत क्यों थीं ? अतुल ने पूछा । "मुझे खुद नहीं पता चलता कि आजकल मेरे साथ क्या हो रहा है ।" रिया सड़क की तरफ देखकर बोली । तुम कहो तो किसी डॉक्टर या मेरा मतलब साइकोलॉजिस्ट से बात करें । अतुल धीरे से बोला । रिया ने उसे घूरकर देखा उसकी आँखों का गहरा नीला रंग देखकर वो सहम गया। यार ! कैसे लेंस लगा रखे हैं । "क्यों अतुल डर गए। कभी-कभी हमें खुद नहीं पता चलता कि हो क्या रहा है और यह तो सबके साथ हो सकता है। जैसे तुमने सोचा नहीं होगा। मगर अभी तुम्हारे पीछे दस लोग भागने लगेंगे । रिया हँसते हुए बोली । वह बोला, पागल है क्या ! देख! मेरे पीछे कोई भी नहीं है । अतुल पीछे मुड़ा, तब उसके पीछे कोई नहीं था, मगर जब रिया की तरफ देखा तो वह हँस रही है और देखते देखते दस लोग उनके पीछे हो लिए । वह डर गया । अजीब चेहरे वाले लोग । रिया भागो! कहते हुए वह दौड़ने लगा । मगर रिया हँसती जा रही है। ऐसी हँसी जो डरा रही है तभी उसका चेहरा बदलता गया । नीले-पीले चेहरे वाली रिया को देखकर उसके पसीने छूटने लगे । वह भागता जा रहा है और दस लोग अतुल के पीछे ऐसे दौड़ रहे है कि वह उसे मारकर आज उसका किस्सा ही ख़त्म कर देंगे । "बचाओ ! कोई है !"


                                                                       10 

अतुल भागता जा रहा है और वो लोग उसके पीछे भाग रहे हैं। वह लगातार चिल्लाए जा रहा है। तभी जैसे ही वो एक आदमी की पकड़ में आने लगता है । सामने मैन रोड से आती गाड़ी से टकरा जाता है और वही गिर जाता है । अतुल को लगता है कि उसकी मौत हो गई है। उसकी आँखों के आगे अँधेरा छाया हुआ है । वह अपनी आँखें खोलने की कोशिश करता है और धीरे -धीरे अपने सामने रखी चीज़ो को देख पाता है । एक नर्स और एक डॉक्टर उसके पास खड़े हैं । इसका मतलब मैं हॉस्पिटल में हूँ, यानि मैं बच गया । चैन की सांस लेता हुआ वह फ़िर से आंखें बंद कर लेता है । "आप ठीक है ?" डॉक्टर ने उसके सिर पर हाथ रखते हुए पूछा । जी, डॉक्टर मगर मेरा पूरा बदन टूट रहा है । अतुल की आँखें अभी बंद है । आप मरते-मरते बचे हैं। वो तो पुलिस आपको यहाँ समय पर ले आई वरना आपकी जान भी जा सकती है । "यह तो मुझे पता है , मगर मैं अपना पाँव नहीं हिला पा रहा हूँ ।" अतुल करहाते हुए बोला। "आपके दाएं पैर का माँस फट गया है । सिर पर भी चोट लगी है । अब आप आराम करिए।अगर किसी को बुलाना है तो आप नर्स को बता सकते है। अभी थोड़ी देर में पुलिस भी पूछताज के लिए आएगी । तब तक आप आराम करें ।" कहकर डॉक्टर चला गया । अतुल सोचने लगा पुलिस को वह क्या बतायेगा कि उसके साथ हुआ क्या था। उसने नर्स को अपने घर का नंबर देकर बहन को बुलाने के लिए कहा । थोड़ी देर बाद उसकी बहन और उसका पति चले आये । मैं तो कहती हूँ, अतुल तू मम्मी-पापा के पास रुड़की चला जा। यहाँ रहेगा तो कुछ न कुछ गड़बड़ करता रहेगा। ठीक है, निम्मी पहले इसे ठीक हो जाने दो फ़िर डाँट लेना। नकुल ने अतुल की ओर देखते हुए कहा। जीजू सही कह रहे हैं, दीदी आप फिलहाल मुझे यह सब मत कहो । तभी पुलिस अतुल का बयान लेने पहुँच गई।


पुलिस :: आप ऐसे क्यों भाग रहे थें?

अतुल : जी वो, मुझे कुछ काम याद आ गया था तो मैं बस जल्दी में ऐसी हारकर कर गया । अतुल के सामने रात का मंज़र आ गया और डरकर उसने आंखें बंद कर ली । 

पुलिस : फिलहाल तो हम जा रहे हैं । मगर ज़रूरत पड़ी तो फ़िर बात करेंगे । आप लोग मेरे साथ आये उन्होंने उसके दीदी और जीजू को कहा । 


इस तरह अतुल के दिन अस्पताल में बीतने लगे । शुभांगी उससे मिलने आई। यह सब कैसे हो गया । उसके चेहरे पर चिंता है । उसने उस दिन की सारी बात शुभु को बता दी । " क्या कह रहा है । सच में ?" शुभु को अब भी यकीन नहीं हो रहा है कि अतुल कह क्या रहा है । "यार ! अब तो मुझे भी लगता है कि रिया के साथ कोई गड़बड़ है । अतुल के चेहरे पर डर और शंका थी । यह भी हो सकता है कि वो किसी मेन्टल डिसॉर्डर से गुज़र रही हूँ और उसे खुद नहीं पता है कि वह क्या कर रही है।" शुभु ने उसे तस्सली देते हुए कहा । "बाकी सब तो ठीक है, मगर वो लोग कहाँ से आए । अतुल हो सकता है कि सागर की आत्मा उससे यह सब कुछ करवा रही हो । शुभांगी ने सोचते हुए बी कहा । यार ! अब फ़िर से शुरू मत हो जा, पॉल एंडरसन के साथ यह किस्सा वहीं खत्म हो गया था । ऐसे तो फ़िर अनन्या को भी हमें परेशां करने के लिए अब तक आ जाना चाहिए था ।" अतुल ने खीजकर कर कहा । कल मैं रिया के घर जाती हूँ और उससे बात करती हूँ । हो सकेगा तो उसके घरवालों से भी बात करूँगी।" "शुभु मुझे लगता है कि हमें रिया को अब अकेला छोड़ देना चाहिए । तुझे पता है विशाल भी कह रहा था कि रिया उसके फार्महाउस पहुँच गई और अजीब हरकते करने लगी ।" 'क्या '! शुभु का मुँह खुला का खुला ही रह गया । उसे किसने बताया ? मुझे नहीं पता न ही मुझे जानना है । "मैं तुझे भी यहीं कहूँगा कि उसको उसके हाल पर छोड़ो और अपने बारे में सोचो ।" अतुल अब भी खीज रहा है । तू आराम कर, मैं चलती हूँ । शुभु उसे बाय! बोलकर चली गई ।


आखिर यह पहेली क्या है ? अतुल की बात मान लेनी चाहिए या फ़िर रिया को सचमुच हमारी मदद की ज़रूरत है । नहीं, मैं एक बार तो रिया से बात करकर रहूँगी । इस तरह हमारी इतनी पुरानी दोस्ती नहीं टूट सकती । तभी सामने से यश को आता देखकर उसने अपनी सोच को विराम दिया । 


यश : अतुल कैसा है ?


शुभु :: ठीक है, थोड़ा परेशां भी है । शुभु ने लम्बी सांस लेते हुए कहा । 


यश :: हो जाता है, हादसे इंसान पर बुरा प्रभाव डालते है । यश ने शुभु को तस्सली की नज़रों से देखते हुए कहा ।


शुभु :: मेरे साथ रिया के घर चलोगे ?


यश :: हाँ, ज़रूर । कहते हुए उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई । 


दोनों रिया के घर पहुँच गए । इस बार उसकी मम्मी ने दरवाज़ा खोला । " अरे ! शुभु बेटा अंदर आओ । आंटी यह यश है । शुभु ने परिचय करवाया । यश ने नमस्ते कहा । "नमस्ते बेटा, और शुभु तुम्हारी मम्मी कैसी है ?" "ठीक है, आंटी । पिछले कुछ दिनों से तबीयत थोड़ी ढीली थी। मगर अब बेहतर है ।" "आंटी रिया कहाँ है ? बेटा वो सो रही है । तू कह तो उठा दो ?" नहीं आंटी, रहने दो । "उसकी तबीयत तो ठीक है न । " हाँ, तबीयत तो ठीक है, पर आजकल अपने आप हँसती रहती है । शायद खुद से बातें भी करती रहती है। कभी-कभी मुझे अजीब सी आवाज़ें उसके कमरे से आती है, अंदर जाती हूँ तो कोई नहीं होता । रिया की मम्मी की आवाज़ में हैरानी है । "आंटी आप परेशान मत हो। ' शुभु ने रिया की मम्मी के कंधे पर हाथ रखकर कहा । मैंने इसके पापा को कहा है कि अगर यहीं हाल रहा तो रिया को किसी अच्छे डॉक्टर को दिखाते है । चले शभु, अब देर हो रही है । यश ने घड़ी देखते हुए कहा । अच्छा आंटी हम चलते है, कोई ज़रूरत लगे तो कॉल करना। "ओके बेटा, रिया उठती है तो मैं उसे बता दूँगी कि तुम लोग आए थें । 


"मैं तुम्हें भी घर छोड़ देता हूँ, मुझे पापा की फैक्ट्री जाना है । इसलिए चलने को कहा । यश ने सफ़ाई दी । "कोई नहीं, तुम जाओ मैं चली जाऊँगी ।" "नहीं, तुम्हें घर छोड़कर वहाँ से चला जाऊँगा ।" यश ने ज़ोर देते हुए कहा । 'थैंक्स यश।" "तुम थैंक्स मत कहो, पराया सा लगता है।" यश ने प्यार से शुभु की आँखों में देखते हुए कहा तो शभु ने शरमाते हुए अपनी नज़रे हटा ली । वैसे उस दिन के लिए सॉरी, मैंने बिना तुमसे पूछे तुम्हें किस कर दिया था । कोई बात नहीं, मैंने भी तो ओवर रियेक्ट कर दिया था । शुभु के चेहरे पर मुस्कान है । दोनों अपनी ही लय में बात करते हुए जा रहे है । शुभु के घर पहुँचकर उसने उसे बाय कहा और शुभु ने भी बड़े प्यार से ज़वाब दिया । यश को लग रहा है कि शायद शुभु दोस्ती से आगे बढ़ जाए । वह उसका इंतज़ार कर सकता है । हाँ !! कर सकता है । उसने जैसे खुद को ही ज़वाब दिया । 


जब फर्स्ट ईयर में उसने शुभु को देखा था, तभी उसे शुभु अच्छी लग गई थीं। गोल चेहरा, भूरी आंखें, छुईमुई सी मुस्कान । एक आकर्षक व्यक्तित्व। हमेशा आत्मविश्वास से भरी हुई, सबकी मदद करने वाली प्यारी सी लड़की। मगर वह हमेशा मुझे एक क्लासमेट ही समझती रही । अपने इन्ही दोस्तों के साथ घूमती रहती। मगर आज लग रहा है, शुभु को भी उसकी ज़रूरत है ।

 

शुभु ने अपने घर की बेल बजाई । उसकी माँ ने दरवाज़ा खोला । माँ के चेहरे पर अज़ीब हाव-भाव है । क्या हो गया माँ , ऐसे क्यों देख रही हों ? माँ ने कोई ज़वाब नहीं दिया । अंदर गई तो सामने सोफे पर रिया को बैठे देखकर हैरान हो गई । तू यहाँ ?? तू तो अपने घर सो नहीं

 रही थीं ?? शुभु को अचानक रिया को अपने घर पर देखना उसकी समझ से बाहर है ।


"रिया बड़ी देर से तेरा इंतज़ार कर रही है।" माँ ने बताया । "मैं तेरे घर गई थीं। आंटी ने बताया कि तू सो रही है। अब तो मुझे मेरे घर ही दिखाई दे रही है ।" शुभु ने रिया से सवाल किया । पहले मैं सो ही रही थीं फ़िर मैं उठ गई  । शायद मम्मी को पता नहीं चला होगा । रिया ने मासूमियत से कहा । "तुम लोग बात करो । मैं अंदर हूँ।" कहकर माँ चली गई । "यार ! मैं तुझसे उस दिन के लिए माफ़ी मांगने आई हूँ । "अतुल से मिली तू ? वो हॉस्पिटल में है । तुझे तो पता ही होगा । " शुभु ने उसकी बात को अनसुना कर अपना सवाल कर दिया । "हाँ , मैंने सुना उसका एक्सीडेंट हो गया है, मैं जाऊँगी उससे मिलने । रिया की आँखों में एक चमक है । जैसे उसे शुभु की बात सुनकर मज़ा आया हों । "पर तू भी तो वही थी ?" उसने बताया । हम साथ तो चल रहे थे, मगर वो अपने रास्ते निकल गया । अतुल ने ,मुझे सब बताया है वो कह रहा है कि तू हंस रही थीं, तेरा चेहरा अजीब सा था और वो लोग भी नार्मल नहीं थें और मुझे उस दिन टेरेस पर भी तू नार्मल नहीं लगी । तू विशाल से भी मिली थीं? शभु को रिया ने अपनी बातों से घेर दिया है । एक अलग एनर्जी रिया में शुभु को दिखाई दीं । उसने मुँह फेर लिया और कहने लगी, मुझे तुम लोग नार्मल नहीं लग रहे  । अतुल, तू और विशाल बदल गए हों । तेरी मम्मी भी बदल गई है क्या । वो भी तुझे लेकर परेशान हो रही थीं । माँ का क्या है चाहे वो तेरी हो या मेरी परेशान तो रहेगी ही । रिया ने शुभु को देखा तो उसकी आँखें गहरी नीली हो चुकी है । मैं अब चलती हूँ, मुझे नहीं लगता कि तुम लोगों को मेरी माफ़ी की ज़रूरत है । कहकर रिया जाने लगी और जब उसने पीछे मुड़कर शुभु को देखा तो उसे कोई और ही दिखा । वह दहल सी गई । वह रिया को रोकना चाहती थीं, मगर उसकी हिम्मत नहीं हुई ।


 शभु माँ की आवाज़ सुनकर वह थोड़ा सम्भली । खाने की टेबल पर माँ बोल पड़ी " तूने बताया नहीं कि तेरा प्रोजेक्ट पॉल एंडरसन पर था और तुम लोग मरते-मरते बचे । माँ की आवाज़ में गुस्सा है । माँ वो , क्या ! क्या माँ शुभु ,तुझे मुझे बताना चाहिए था । माँ का इतना ज़ोर से चिल्लाते देख "वह बोली पहले आप शांत हो जाओ, फ़िर बात करते है।" नहीं अभी बात करनी है। आज से तेरा घर से निकलना बंद, समझी। माँ ने शुभु को उसके कमरे में धकेल दिया और बाहर आकर ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी। माँ को क्या हो गया । इतनी बड़ी बात नहीं है। शुभु माँ को रोता देखकर सोचने लगी।


माँ रोते हुए कह रही है कि "मैंने उन्हें भी मना किया था, मगर वो भी मेरी बात नहीं माने थें । वो भी नहीं माने थे।" माँ रोई जा रही है। माँ किसे मना किया था। कुछ बताओ, उसने माँ के पास जाकर पूछा।


                                                                      11.


अतुल को अस्पताल से छट्टी मिल गई। वह सीधे शुभांगी के घर पहुँच गया । शुभु की माँ ने अतुल को घूरकर देखा कि अतुल पूछे बिना नहीं रह सका "यार ! आंटी ऐसे क्यों घूर रही है ।" पूछ मत, मुझे बाहर जाने के लिए मना कर दिया और तो और उस दिन रिया ने घर आकर पॉल एंडरसन की बात भी मम्मी को बता दी । तबसे यह ऐसे ही गुस्से में घूम रही है । " शुभु ने मुँह बनाते हुए कहा । "बढ़िया है,आजकल रिया हमें हर जगह सरप्राइज कर रही है ।" पर माँ कुछ ज्यादा ही डर गयी थीं । वह बार-बार कह रही थी कि मैंने उन्हें भी मना किया था, मगर वह माने नहीं। मेरे पूछने पर कहने लगी कि मैं तुम्हारी बात ही कर रही हूँ । इसका मतलब तेरी मम्मी भी पॉल एंडरसन के बारे में कुछ जानती है। अब अतुल भी सीरियस हो गया था । पता नहीं क्या मालूम, गुस्से और परेशानी में बोल गई होगी । शुभु ने बात वहीं खत्म कर दी । जो भी है, तू टेंशन मत ले । विशाल से बात हुई? शुभु ने पूछा । मैं खुद फ़ोन करके बताओ कि भाई मेरा एक्सीडेंट हो गया है, मेरा हाल-चाल पूछ लें । कमीना कही का, मस्ती मार रहा होगा और क्या । तेरी बात हुई ? मैंने कॉल किया था, मगर फ़ोन नहीं मिला । यार ! तेरा दोस्त मौत के मुँह से निकलकर आया है और तू उसे बोर कर रही है । अतुल ने उसे ताना देते हुए कहा । इस कैद से कैसे निकलो, मम्मी कही नहीं जाने देगी । कुछ भी कर चल, यश को भी बुला लेंगे संध्या और समीर को भी बुलाकर किसी कैफ़े में पार्टी करते हैं । वैसे तेरा आईडिया बुरा नहीं है । मगर मैं मैं ???शुभु कहते-कहते रुक गई । अच्छा एक आईडिया है, आंटी को कहते है कि लाइब्रेरी जाना है, बुक्स नहीं लौटाने पर रिजल्ट रोक दिया जाएगा । अतुल का आईडिया सुनकर शुभु के चेहरे पर स्माइल आ गई । वाह ! दम तो है । उसने जैसे ही माँ को लाइब्रेरी वाली बात बताई । पहले वह झिझकी, मगर फ़िर बाद में वह यह कहकर मान गई कि जल्दी घर आ जाना, वरना वो लाइब्रेरी पहुँच जायेगी।


दोनों अपने प्लान की कामयाबी पर ख़ुशी मानते हुए कैफ़े पहुँच गए । वहाँ पर यश, संध्या और समीर पहले ही उनका इंतज़ार कर रहे हैं। पार्टी शुरू हो चुकी है, सब नाच-गए रहे हैं । यश भी शुभु का हाथ -पकड़े डांस फ्लोर पर थिरक रहा है । अतुल भी बाकी दोस्तों के साथ डांस कर रहा है । कितने दिनों बाद सब खुश है । सब तनावमुक्त लग रहे हैं, सब खुश है । अतुल के जोक्स पर सब हँस रहे हैं। जब शुभु का फ़ोन बजा तो उसने माँ का नंबर देखा तो उसे याद आया कि वह झूठ बोलकर आई हुई है, सब खुश है । अतुल मम्मी का फ़ोन आ रहा है। मैं जा रही हूँ। मैं भी चलता हूँ, यश उठ खड़ा हुआ । कैफ़े से निकलते ही रिया की मम्मी का फ़ोन आया कि रिया दोपहर से कहीं निकली हुई है, मगर अभी तक घर नहीं आई । आंटी आप फ़िक्र न करे वो आ जायेगी । हमारे साथ तो है नहीं। कहकर शुभु ने फ़ोन रख दिया । यार ! यह रिया भी न? पता नहीं कहाँ चली जाती है । उसने यश को देखते हुए कहा । तुम घर पहुँचो, तुम्हारी मम्मी तुम्हें देख रही होगी । यश की बात सुनकर दोनों तेज़-तेज़ चलने लगे । अपने घर के पास पहुँचकर उसने देखा कि रिया उसके घर के अंदर से निकल रही है। यह यहाँ क्या कर रही है ? अब ज़रूर मेरी ख़ैर नहीं । शुभु के चेहरे पर टेंशन आ गई । मैं चलो तुम्हारे साथ अंदर ? यश ने शुभु के चेहरे को देखते हुए पूछा । नहीं यार , मैं खुद संभाल लूँगी। बाय ! यश ने भी बाय का ज़वाब दिया ।


अंदर पहुँचते ही उसे लगा कि अब फ़िर कोई नई आफत आने वाली है, मगर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ । माँ रिया क्या कर रही थीं यहाँ ? रिया ? वह तो नहीं आई । माँ ने साफ मना कर दिया। माँ झूठ क्यों बोल रही है । मैंने खुद देखा है, यहाँ से निकलते हुए । शुभु मन ही मन सोचने लगी। अतुल की गाड़ी में संध्या और समीर है । समीर और अतुल आगे फ्रंट सीट पर बैठे हैं । यार ! आज सच में मज़ा आ गया है । तभी सड़क के किनारे रिया को देखकर कहता है, यार ! देख रिया, लगता है ऑटो का इंतज़ार कर रही है । चल. इसे घर छोड़ देते हैं । रहने दे न यार ! चली जायेगी अपने आप अतुल ने मना किया । क्या बात है, लड़ाई हो गई है क्या ? नहीं, चल तू कहता है तो पूछ लेते है । दोनों ने गाड़ी वहीं उसके पास रोक दी । आजा रिया घर छोड़ देते हैं. अतुल ने बैठे-बैठे ही पूछा । ठीक है, कहकर वह गाड़ी में बैठ गई । रिया क्या बात है, इस समय कहाँ जा रही हो । समीर ने पूछा। मम्मी ने कहीं भेजा था, उनका काम करके लौट रही हूँ। अतुल खिड़की से बाहर देख रहा है, वह रिया की बातों की तरफ़ बिलकुल ध्यान नहीं दे रहा है । समीर ही उसे बतियाने में लगा हुआ है । वह गाड़ी के सामने वाले शीशे से जब-जब देखता है तो उसकी आँखों में एक चमक होती है और वह वैसे ही ज़ोर से हँसने लगती है । रिया समीर ने कोई जोक तो नहीं सुनाया फ़िर किस बात पर हँसी तुम ? अतुल ने चिढ़कर कहा । मैं तो नहीं हँसी, अब रिया की आंखें वैसे ही काली है । हाँ , यार ! वो नहीं हँसी तेरे कान बज रहे है क्या । लगता है, अतुल के दिमाग पर असर हुआ है, संध्या ने भी मज़ाक किया । बच जो गया है, मगर कब तक। रिया के मुँह से यह सुनकर अतुल का गला सूखने लगा। यार ! यही रोक मेरा घर आ गया । अतुल गाड़ी से उतर गया । समीर और संध्या को बाय ! बोल घर के अंदर चला गया । तभी शुभु का फ़ोन आया उसने रिया की मम्मी की बात बताई । वह मैडम तो अपनी मम्मी के काम से ही बाहर निकली हुई थीं और अब समीर उसे घर छोड़ रहा है । अतुल ने बताया तो शुभु ने फ़ोन रख दिया ।


वह अपने कमरे में बेड पर लेटे हुए सोच रही है कि रिया मेरे घर आई थीं या उसे कोई वहम हो गया था । तभी अपने घर का दरवाज़ा खोलने की आवाज़ सुनकर वह चौक गई । वह नीचे उतरी तो देखा घर का मैन दरवाज़ा खुला हुआ है । यह कैसे खुला रह गया । दरवाज़ा बंद करने पर हुई तो देखा उसकी माँ बाहर जा रही है । माँ इतनी रात को कहाँ जा रही है । ऐसे तो कभी नहीं हुआ । उसका मन किया कि वह माँ को आवाज़ लगाए, मगर रुक गई । क्या पता सड़क तक ही गई हों । मैं इंतज़ार करती हूँ । यही सोचकर वह इंतज़ार करने लगी । मगर थोड़ी देर में ड्राइंग रूम का चक्कर काटकर वह अपने कमरे में आ गई । उसकी आँख लग गई, जब सोकर उठी और माँ का ध्यान आया तो वह माँ के कमरे में गई। उसने देखा माँ सोई हुई है । गेट तो मैंने अंदर से बंद कर दिया था, फ़िर माँ अंदर कैसे आई । चलो, कल सुबह बात करती हूँ । यही सोच वह अपने कमरे में वापिस आ गई ।


 सुबह नाश्ते के टेबल पर उसने माँ से सवाल किया कि आप रात को कहाँ गई थी ? मैं कहाँ जाऊँगी, अपने कमरे में ही सो रही थीं । ज़रूर तूने कोई सपना देखा होगा । लगता तो नहीं है कि मैंने कोई सपना देखा था, हो सकता है, मैं शायद गलत हूँ। उसने सोचते हुए सेब का एक टुकड़ा मुँह में डाला । तभी घंटी बजी। दरवाज़ा खोलने पर अतुल था, अतुल इतना घबराया हुआ क्यों है । यार ! तुझे पता है क्या हुआ ? उसकी आवाज़ गले में अटक रही हैं । पहले तू बैठ पानी पी । उसने पानी का गिलास भरा और उसमे पानी डालकर अतुल को दे दिया ।" ले पहले पी, फ़िर बता हुआ क्या है ?" अतुल ने पानी का घूँट पिया और हड़बड़ाते हुए बोलने लगा कि यार ! संध्या और समीर मर गए । क्या !! शुभु का मुँह खुला का खुला रह गया । मगर शुभु की माँ अलका ज़ोर से हँसी । दोनों उनकी तरफ़ देखने लगे। माँ आप हँसी क्यों । मैं ? नहीं वो तो अखबार में कुछ पढ़ा तो हँसी आ गई । तू बता, कैसे कब हुआ यह सब ? मुझे क्या पता शुभु, आज सुबह ही मुझे फ़ोन आया कि दोनों की गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया और दोनों की मौत हो गई । उनके घर चलते हैं। माँ हम जा रहे हैं । कहकर दोनों निकल गए । अतुल ने शुभु की माँ को देखा तो उनके चेहरे पर कोई भाव नहीं है ।


दोनों समीर के घर पहुँचे । वहाँ उन्हें यश भी मिला । बड़ा ग़मगीन माहोल है । पुलिस भी आई हुई है । पुलिस ने अतुल से सवाल करना शुरू किया। कल आप लोग थे, इन दोनों के साथ । जी, हम सब एक पार्टी में साथ थें । फ़िर इसने मुझे घर छोड़ा और मैं अपने घर चला गया । सर, एक्सीडेंट कैसे हुआ । शुभु ने सवाल किया, शायद गाड़ी की ब्रेक्स फेल हो गई थी । अभी तहकीकात ज़ारी है । कहकर पुलिस चली गई । यार! एक बात बोलों, गाड़ी की ब्रेक्स तो बिलकुल ठीक थीं । अतुल परेशान हो गया । तू कह रहा था न कि रिया भी तुम्हारे साथ थीं? क्या पता उसे कुछ पता हों । सर, एक सेकंड अतुल ने पुलिस को रोककर सवाल किया । सर, एक्सीडेंट कब हुआ ? यही कोई 12 से -12-30 के बीच में । पुलिस ने जवाब दिया। क्यों कुछ कहना है । नहीं सर, अतुल ने गर्दन हिलाकर मना कर दिया । यार ! उसने मुझे 10 बजे छोड़ा था । हो सकता है, रिया को छोड़ने के बाद उसकी गाड़ी का बैलेंस ख़राब हो गया हों । यश ने कहा । बात हज़म नहीं होती । नई मॉडल हौंडा सिटी जो दस दिन पहले शो रूम से आई है। इतनी जल्दी साथ छोड़ देगी । अतुल बोला । अभी तहकीकात चल रही है, न पता चल जाएगा । शुभु ने समझाते हुए कहा । एक बार रिया से मिले क्या ? शुभु ने सुझाव रखा । हाँ, मिलना तो चाहिए यश ने हाँ में हाँ मिलाई । पहले संध्या के घर चलते हैं। संध्या के घरवाले भी बहुत दुखी है । उसकी मम्मी-पापा का रो रोकर बुरा हाल है । जो हुआ, अच्छा नहीं हुआ । यश ने कहा ।


रिया के घर के पास पहुँचते ही अतुल बोल पड़ा, रहने दे यार मुझे नहीं लगता ,उससे बात करकर कुछ होने वाला है । एक बार बात तो करनी बनती है । कल मैंने इसे अपने घर से भी निकलते हुए देखा था । जब माँ से पूछा तो उन्होंने मना कर दिया । शुभु ने बताया । तुझे एक बात बताओ, बुरा मत मान जाइयो । क्या ! अतुल बोल । आज न आंटी बिल्कुल ऐसे हँसी जैसे रिया हँसती है । मैं कुछ समझी नहीं, शुभु ने बताया । मेरा मतलब मैंने ऐसे रिया को भी हँसते हुए देखा है । अतुल ने साफ लफ्ज़ो में कहा । हँसी तो किसी की भी एक जैसी हो सकती है। तू मेरी मम्मी को बीच में मत ला । तभी यश ने डोरबैल बजा दी और रिया की मैड ने दरवाज़ा खोला और वह लोग अंदर आ गए । रिया कहाँ है ? दीदी तो अपने कमरे में है । उसने ज़वाब दिया । घर के बाकी लोग आंटी, अंकल उसका भाई, कोई नहीं है घर पर ? शुभु ने सवाल किया। उसने धीरे से कहना शुरू किया, कल बहुत लड़ाई हुई थीं । रिया दीदी रात को घर आई तो उनके मम्मी पापा ने उन्हें बहुत डाटा । मैं तो तब घर चली गई और सुबह काम पर आई तो घर में कोई नहीं था । सिर्फ रिया दीदी की ही आवाज़ आ रही थीं । जब उनसे पूछा तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया । एक ही सांस में कामवाली ने उन्हें सारी कहानी सुना दीं । लेकिन वह तो आंटी के काम से बाहर गयी थीं, फ़िर डांटा क्यों ? उनकी मम्मी ने उन्हें कहीं नहीं भेजा था। आप उन्हें मत बताना कि मैंने आपको सब बता दिया है । कामवाली ने विनती की।


मुझे तो लग ही रहा था कि वो झूठ बोल रही थीं । अतुल ने जवाब दिया । एक बार उसे बात करनी तो बनती है । अब यश ने कहा । तीनों उसके कमरे में गए मगर दरवाज़ा लॉक नहीं था । उन्होंने बाहर से झाँका रिया रोते हुए बोल रही है, मुझे छोड़ दो, मुझे जाने दो । तभी ज़ोर से चिल्लाने लगती है । उसका चेहरा बदल गया है, आँखें गहरी नीली हो चुकी है । वह अपने कमरे में हवा में घूम रही है । तभी धड़ाम से ज़मीन पर गिर जाती है। ये सबकुछ देखकर उनकी हालत ख़राब हो जाती है । वे अपनी पलके झपकाना ही भूल जाते हैं । शुभांगी हिम्मत करके बोलती है, हमें रिया की मदद करनी चाहिए । अतुल और यश उसे रोकते हैं । " शुभु निकल यहाँ से" अतुल ने उसे खींचते हुए कहा । यश ने शुभु का हाथ पकड़ा और दोनों उसके घर से निकल गए । अतुल, मैं उस दिन भी कह रही थीं न उसे सागर की आत्मा परेशां कर रही है । शुभु के चेहरे पर पसीना है । इसका मतलब sagar is back । ओह नो, फ़िर से ।  


                                                              12


यार ! यह क्या मुसीबत है। अब क्या होगा? अतुल ने घबराते हुए कहा । यह सागर कौन है ? यश ने सवाल किया। भाई, बड़ी लम्बी कहानी है। फ़िर कभी सुनाऊँगा। पर अब हम कर ही क्या सकते हैं ? अतुल ने बालों पर हाथ फेरते हुए कहा । उसके मम्मी-पापा तक तो उसे छोड़कर भाग गए। हमें कुछ तो करना ही चाहिए । हो सकता है, आंटी-अंकल किसी काम से बाहर गए हों। शुभु ने समझाने की कोशिश की। मैं शायद कुछ मदद कर सकता हूँ । यश ने कहा । क्या ? यश बताओ, " यही कि मैं किसी को जानता हूँ, जो रिया को इन सबसे बचा सके । कौन है? कोई है ? जहाँ हमारी फैक्ट्री है, वो वहाँ पीछे रहते हैं, मेरी फैक्ट्री के मजदूरो ने इनके बारे में बताया था । एक बार मिल लेते हैं । मैं नहीं जाऊँगा, मैं तो मम्मी-पापा के पास रुड़की जाने की सोच रहा हूँ । अतुल ने घबराते हुए कहा । अगर तू ऐसे मुसीबत में होता तो क्या हम तुझे छोड़कर चले जाते? शुभु ने सवाल किया । ठीक है, शुभु तेरे लिए चल पड़ता हूँ क्योंकि मुझे पता है कि अगर मैं मुसीबत में होता तो तू कभी मुझे छोड़कर नहीं जाती। यह सुनते ही शुभु के चेहरे पर मुस्कान आ गई । इसका मतलब संध्या और समीर को रिया ने मारा है ? यश ने जैसे ही यह कहा तो शुभांगी और अतुल एक दूसरे का मुँह देखने लगे । कोई ज़रूरी नहीं है । शभु ने कहा । तभी अतुल के मोबाइल पर फ़ोन आया और उससे बात करके उसने उन दोनों को बताया कि पुलिस का कहना है कि समीर की गाड़ी के सामने कोई आ गया था । जिससे उसका बैलेंस ख़राब हुआ और गाड़ी सीधे खम्भे से टकरा गई थी और गाड़ी में सिर्फ संध्या ही थी ।


मैंने कहा था न रिया ने कुछ नहीं किया होगा । यह भी शुक्र है कि उनकी मौत खुद उनकी वजह से हुई है । कम से कम किसी ने उनके साथ इतना बुरा नहीं किया। अतुल ने लम्बी सांस ली । कल हम सब वहीं चलेंगे, जहाँ यश ने बताया है । शुभु ने अपना फैसला सुना दिया । ठीक है, चलते है । जाते हए उन्होंने रिया के घर की तरफ़ देखा तो उनकी कामवाली घर की बॉलकनी में खड़ी है और देखते - देखते उसने नीचे छलाँग मार दीं । उन तीनों की तो आवाज़ ही बंद हो गई । मगर हिम्मत कर सब भागते हुए जाते है, उसकी साँसे अब भी चल रही है । उसे हॉस्पिटल पहुँचाते हैं, डॉक्टर का कहना है वो अभी आई.सी. यू में है। उसके पति को उसके पास छोड़कर वहाँ से निकल जाते हैं । अब इसने ऐसे क्यों छलाँग मार दी । यश परेशां था। अब ऐसे भूतिया घर में रहेगी तो छलाँग तो मरेगी ही । बेचारी ! अतुल ने मुँह बनाते हुए कहा । अपना मुँह बंद कर । हम इस प्रॉब्लम का कोई न कोई हल ढूँढ लेंग । एक बार विशाल से भी बात करनी चाहिए। पता नहीं, कहाँ जंगल में जाकर रह रहा है । जब भी फ़ोन मिलाओ, मिलता ही नहीं है । अब तो शायद वापिस आने वाला होगा । कल सब मेरे घर के बाहर मिलते हैं । कहकर शुभु ने बात खत्म कर दी । 

  

दोनों शुभांगी को उसके घर पर छोड़कर अपने घर की तरफ़ निकल गए । शुभांगी ने अपने कमरे में जाकर देखा तो सारी चीजे कमरे में फैली हुई हैं। उसने देखा उसकी माँ अलमारी में कुछ ढूँढ रही है। आप मेरी अलमारी में क्या ढूँढ रही है । उसकी माँ ने कोई ज़वाब नहीं दिया । माँ मैं आपसे कुछ पूछ रही हूँ, आप मेरी अलमारी से क्या लेना चाहती है। इस बार उसने आवाज़ ऊँची करके पूछा तो उसकी माँ ने ज़वाब दिया, मेरी कोई चीज़ थी, मुझे लगा शायद वो तेरी अलमारी में आ गई हो। माँ अब भी ढूँढ रही है। आप हटिए मैं , देखती हूँ बताए क्या ढूँढ़ना है ? कुछ नहीं, मैं कहीं और देख लेती हूँ। कहकर माँ चली गई । उन्होंने मेरा पूरा कमरा बिखेर दिया । सारी अलमारी खराब कर दी । उसने अलमारी ठीक की और धड़ाम से अपने बेड पर गिर गई। वह यश के बारे में सोचने लग गई । कितनी मदद कर रहा है, वो हमारी । वैसे वो इतना बेकार भी नहीं है, जितना मैंने सोचा था। शुभु सोचकर मुस्कुराने लगी। शुभु खाना खा ले । खाने की टेबल पर शुभु ने कहा, माँ गाड़ी का बैलेंस ख़राब होने से मौत हो गई। किसकी ? मैं संध्या और समीर की बात कर रही हूँ । आपका ध्यान कहाँ ह । शुभु ने सवाल किया। अच्छा ! सुनकर बुरा लगा । माँ ने चम्मच मुँह में डालते हुए कहा। वैसे आप अपनी क्या चीज़ ढूँढ रही थीं ? मैं वो एक घड़ी ढूँढ रही थीं। काफी पुरानी है क्या? पापा ने दी थी, आपको क्या ? माँ के चेहरे का रंग उड़ गया । नहीं, तेरे पापा ने नहीं दी थी । वो तो बस खरीदी थीं, आजकल ऐसे डिज़ाइन मिलते कहाँ है। शुभु पॉल एंडरसन लिखते भी थें? शुभु चौंक पड़ी । उनकी किताब लाइब्रेरी में देखी थीं । उनके जीवन के अनुभव के बारे में काफ़ी कुछ था , उसके अंदर। पर मैं पूरी किताब नहीं पढ़ पाई । आपको पता है माँ, उनकी मौत आज भी एक रहस्य बनी हुई ह। पता नहीं, उस भले इंसान को किसने इतनी बेरहमी से मारा होगा। वह अपनी लय में बोली जा रही थी, उसने देखा ही नहीं कि माँ के हाव-भाव बदल चुके हैं । वह बड़ी ही ज़ोर से चमच्च से आवाज़ कर रही है। जैसे अभी फेंककर शुभांगी के मुँह पर मारगी। माँ आप ठीक तो है न? माँ को जैसे होश आया । आप जाओ, आराम कर लो । शुभु की माँ अलका उठकर कमरे में चली गई ।


आज अचानक माँ पॉल एंडरसन के बारे में क्यों पूछ रही है । शुभु ने किचन में बर्तन धोते हुए कहा। रात हो चुकी है। शुभु को नींद नहीं आ रही। वह बार-बार रिया के बारे में सोच रही है। हमें लगा था, शायद सागर और अनन्या भी आज़ाद हो गए है । मगर अब यह नई कहानी शुरू हो गई। या यूं कहो , पुरानी कहानी का एक सिरा फ़िर से शुरू हो गया । यही सब सोचते हुए वह खिड़की पर आ गई। उसने देखा कि उसकी माँ फ़िर घर से बाहर जा रही है। उसने टाइम देखा तो 12: 15 बजे है । यह तो आज भी बाहर जा रही है । कहीं इन्हे नींद में चलने की बीमारी तो नहीं लग गई । वह नीचे आई और बाहर निकली मगर माँ का दूर-दूर तक कोई पता नहीं । आज आने दो इन्हे, अब बताऊँगी कि मैं कोई सपना नहीं देख रही हूँ । वह बेसब्री से माँ का इंतज़ार कर सोफे पर ही सो गई । सुबह उठी तो माँ किचन में काम कर रही है। आज पहले रिया का किस्सा निपटा लूँ। फ़िर बात करती हूँ ।


उसके घर के बाहर दोनों खड़े है। शुभांगी अतुल और यश फैक्ट्री की तरफ बढ़ने लगे । वहाँ के स्थानीय लोगों से पूछकर , वह वहाँ पहुँचे जहाँ वो आदमी रहता है। ईटो की छोटी सी झोपड़ी है । अंदर एक बत्ती जल रही है और एक अधेड़ उम्र का आदमी आखें बंद करके बैठा है । तीनों पहले चुप रहते है । तभी उस आदमी की आंखें खुलती है । वह तीनों को देखकर कहता है-


यहाँ क्या करने आये हूँ ?


वो हमारी सहेली मुश्किल में है । शुभु उसे सारी बात बताती है । 


ठीक है, चलकर देखते है । 


वह उसे लेकर रिया के घर पहुँचते हैं । यार ! मुझे डर लग रहा है । अतुल ने रिया के घर में घुसते हुए कहा । डर क्यों लग रहा है । याद है, हम पॉल एंडरसन की भी मदद कर चुके हैं । हाँ, याद है तभी तो डर लग रहा है । चुपकर यार ! कुछ नहीं होगा ।


उसे आवाज़ दो


किसे ?


अपनी सहेली को । रिया ! रिया शुभु ने आवाज़ लगाई । थोड़ी देर बाद रिया वाइट टॉप और जीन्स में आराम से सीढ़ियाँ उतरकर आई।

यार शुभु सब ठीक है । अरे ! आज तो यश भी आया है । यह अंकल कौन है ? रिया बिलकुल नार्मल लग रही है , एकदम ठीक। वही काली आंखें, वही आवाज़, वही चाल । बाल भी तरीके से बंधे हुए। उस आदमी ने रिया को गौर से देखा और सोचते हुए बोला, " तुम्हारी सहेली बिलकुल ठीक लग रही है । प्रेत को तो हम सूंघकर पहचान लेते हैं। " प्रेत कौन प्रेत ? रिया ने हैरान होकर सवाल किया।

मैं जा रहा हूँ, आगे से मेरा समय मत खराब करना । यह कहकर वह गुस्से से चला गया । यह सब क्या है, शुभु, अतुल । रिया ने मासूमियत से पूछा । रिया को पहले की तरह देखकर सब खुश हो गए । अतुल ने उसे कल वाली बात बताई ।


मैंने एक थिएटर ग्रुप ज्वाइन किया है। बस वही प्रैक्टिस कर रही थीं। मगर तू हवा में भी उड़ रही थीं। शुभु ने पूछा, वो एयरबैग्स आते है न बस वही थें। कल तेरी नौकरानी भी बालकनी भी गिर गई थीं। तुझे पता है ? वह डिप्रेशन की मरीज़ है। उसके पति ने नहीं बताया तुम्हें। शाम को मैं भी गई थी, उसे हॉस्पिटल देखने और तेरे मुम्मी पापा? शुभु के सवाल अभी जारी है। मामा के घर गए हैं, नीतू दीदी की शादी है। कल मैं भी निकल जाऊँगी। अब अगर तेरे सवालों का सिलसिला खत्म हो गया हूँ तो कुछ लाओ तुम्हारे लिए । यश पहली बार मेरे घर आया है। कहकर रिया किचन में चली गई और शुभु भी उसकी मदद करने लगी ।


थैंक गॉड सब ठीक है। कल अगर हम रिया से बात कर लेते तो मैं सारी रात सो सकता था। अतुल ने यश को देखते हुए कहा। हाँ, शायद तू ठीक कहता है । दोनों मेरे हाथ में स्नैक्स और ड्रिंक लेकर आ गई । यार ! हमें लगा तुझे सागर की आत्मा परेशां कर रही है । अतुल ने कोल्डड्रिंक का गिलास हाथ में लेते हुए कहा । यार ! तुम लोग भी न कुछ भी सोच लेते हों वैसे तुमने मेरे बिना पार्टी की इसलिए, मैं तुम सबसे बहुत नाराज़ हूँ । रिया ने मुँह बनाते हुए कहा । अरे यार ! हमे लगा कि तू कुछ अजीब हो गयी है । सॉरी शुभु ने स्नैक्स खाते हुए कहा । मेरी तरफ़ से भी सॉरी । चल अब हम एक काम करते है, तेरे मम्मी पापा नहीं है तो आज यहाँ पार्टी करते हैं । संध्या और समीर की भी याद आएगी । मुझे छोड़ने के बाद वो लोग लॉन्ग ड्राइव पर निकल गए थें । रिया को बुरा लग रहा है । हाँ, यार ! दुःख तो हमे भी बहुत है । मगर क्या कर सकते हैं, अतुल को भी बुरा लग रहा है। जो भी है, आज लग रहा है, दोस्तों का रीयूनियन हुआ है। बहुत दिनों से टेंशन चल रही थी, इसलिए आज तो पार्टी बनती हैं । "चियर्स" सबने अपने ड्रिंक हाथ में उठाये और हँसने लगे । तो फ़िर तय हुआ कि आज रात रिया के घर पार्टी है । तुम लोग जा ही क्यों रहे हों । यही रुको, पार्टी की तैयारी करते है । क्यों शुभु ? क्या कहती है ? अभी थोड़ा काम है, मैं शाम को आऊँगा । यश जाने को हुआ । मैं भी बाकी दोस्तों को बुला लेता हूँ । अतुल भी उठ खड़ा हुआ । मुझे माँ से बहुत ज़रूरी बात करनी है. मैं भी शाम को आऊँगी। लेकिन इन लोगों से पहले आ जाऊँगी। पक्का अब शुभू भी उठ खड़ी हुई । ठीक है, तब तक मैं भी बाज़ार से कुछ सामान ले आओ । पार्टी शानदार होनी चाहिए ।


सब उसके घर से निकलते है। रिया उन्हें दरवाज़े से बाय कहती है । तुझे माँ से क्या बात करनी है ? मुझे लगता है माँ को नींद में चलने की बीमारी हो गई है । शुभु के चेहरे पर चिंता थीं । हो जाता है , ठीक हो जायेगी यश ने शुभु को सांत्वना दी । यार ! तूने रिया से अपने एक्सीडेंट की बात क्यों नहीं की । छोड़ न शुभु, आज सब बढ़िया है। फ़िर यह एक्सीडेंट की बात करके क्या फ़ायदा । रात गई, बात गई । यह भी ठीक है । आज की रात तो मज़ा आने वाला है । वह घर पहुँचकर माँ को डॉक्टर के पास चलने के लिए कहती है, उसकी माँ साफ़ मना कर देती हैं । तेरा दिमाग ठीक है, मैं बिलकुल ठीक हूँ, खबरदार! मुझे कहीं नहीं जाना । उसकी माँ के हाव-भाव बेहद सख्त है। शुभु ने अभी बात आगे बढ़ाना ठीक नहीं समझा ।


शुभु रिया के घर पहुँची । रिया के घर के बाहर गार्डन में कुछ सूटकेस रखे हैं। शुभु ने ध्यान से उन बैग्स को देखा । तभी उसे सामने से कामवाली का पति आते दिखा । भैया आप ? सब ठीक तो है ? आपकी बीवी की सेहत में सुधार हुआ कुछ ? वह रोते हुए कहने लगा , बहनजी वो तो मर गई । क्या ! उम्मीद थी कि वो बच जायेगी। मगर वह बोलते हुए चुप हो गया । उसे डिप्रेशन भी तो था, भैया ऐसे मरीज़ को अकेले नहीं छोड़ते । वह तो बिलकुल ठीक थी । कल रिया दीदी उनसे मिलने आयी और उन्हें देखते ही उसकी सांस उखड़ने लगी और वो मर गई ।


                                                                      13


रिया दीदी से मदद मांगने आया था, वह कह रही है, "पापा आएंगे तभी कुछ हो पायेगा । उसने अपने आँसू पोछे । सब ठीक हो जाएगा भैया, आप चिंता न करें । वो मुझे एक दिन कह भी रही थी कि इनके घर कोई गड़बड़ है । मगर मैंने ध्यान नहीं दिया । वरना मै उसे काम पर ही नहीं भेजता । उसने खीजकर कहा । कैसी गड़बड़ ? पता नहीं बहनजी, बस यही कि रिया दीदी कभी हवा में लटक जाती है तो कभी ज़मीन से चिपक जाती है । पता नहीं क्या-क्या बोलती है । भैया वो तो सब एयरबैग्स का कमाल था । शुभु ने उसे सच बताया । अब ये बड़े लोग जाने कि क्या मामला है, हमें इतना पता है कि हमारी बीवी चली गयी। उसकी आँखों में फ़िर आसूँ आ गए।

शुभु अंदर आ गई, उसने देखा कि रिया किचन में स्नैक्स बनाने में लगी बनाते हुए गीत गुनगुना रही है । वह उसे देखकर खुश होकर बोली, "रिया बाहर यह सूटकेस क्या कर रहे हैं? यह तो सामान है, कुछ पापा ने मंगवाया था। अपने साथ लेकर जाना है । तू म्यूजिक देख, मैं लाइटिंग ब्राइट करती हूँ। रिया तुझे पता है, इस बारे में कि वो कामवाली मर गई । शुभु ने हाथ में सी.डी उठाते हुए पूछा । हाँ, पापा आएंगे तो कुछ मदद कर पाएंगे उसकी। मैंने थोड़े से पैसे दे दिए हैं । रिया ड्राइंग रूम की लाइट्स लगाते हुए बोली। शुभु को उसकी बात सुनकर तसल्ली हुई कि रिया को सब पता है और उसे उससे हमदर्दी भी है ।

शाम को अतुल, यश, मेघा, विनय और बहुत सारे दोस्त रिया के घर इकठ्ठे हो गए । कमरे की चकाचौध और म्यूजिक को सुनकर अतुल तो जैसे ज्यादा ही खुश हो गया । आज तो सचमुच पार्टी का मज़ा आने वाला है। वह चहकते हुए बोला । यश और शुभांगी कपल डांस कर रहे हैं । उन्हें देखकर और फ्रेंड्स भी फ़्लोर पर आ गए। तभी अतुल ने म्यूजिक बदल दिया और सभी लोग डांस फ्लोर पर झूम-झूमकर नाचने लगे। अतुल ने रिया को भी खींचा और रिया बड़े मज़े से डांस करने लगी। खाने की चीज़े टेबल पर सर्व हो रही हैं । शुभु थककर अपना ड्रिंक्स का गिलास लेकर सोफे पर जा बैठी। क्या हुआ? और डांस नहीं करना ? यश ने शुभू के नज़दीक आते हुए पूछा । अब मेरे पैर जवाब दे रहे हैं। आज मैं ज़रूरत से ज्यादा नाची हूँ । शुभु ने अपने पैर पकड़कर उसे जवाब दिया । कुछ ज्यादा ही शोर है । छत पर चले ? थोड़ा आराम मिलेगा । शुभु ने यश की ओर गौर से देखा । फ़िर मुस्कुराई और धीरे से 'हाँ' बोल दी । यश उसका हाथ पकड़कर छत पर ले आया । ठंडी -ठंडी हवा चल रही है । पूरा चाँद सितारों के साथ, आज रात कितनी खूबसूरत है । शुभु ने आसमन की तरफ देखते हुए कहा । जब दिल खुश हो तो सबकुछ अच्छा लगता है । यश ने उसके चेहरे को गौर से देखते हुए कहा । आज तुम्हें घर जाने के लिए देर नहीं हो रही। आज पता नहीं कैसे मम्मी ने ज्यादा कुछ नहीं पूछा और कहा, "जब तुम्हारा दिल करे चली आना । शुभु ने बड़ी ही उत्सुकता से बताया । वाह ! आज आंटी ने तो कमाल ही कर दिया । मैं भी हैरान हूँ, माँ का ऐसा जवाब सुनकर । पर मैं रिलैक्स हूँ, वैसे भी हम कोई बाहर तो है नहीं, रिया के घर पर है । शायद इसलिए उन्हें मेरी ज़्यादा फ़िक्र नहीं थीं । हो सकता है, शुभु क्या मैं तुमसे वही पुराना सवाल पूछ सकता हूँ , अगर तुम्हें बुरा न लगे तो ? यश ने शुभु को अपने नज़दीक लाते हुए कहा । "यश, तुम मुझे अच्छे लगने लगे हो ।" यह कहते ही शुभु के चेहरे पर मुस्कान आ गई।

इतना सुनते ही यश शुभांगी के और करीब आ गया और वे सबसे बेखबर एक दूसरे की आँखों में देखने लगे । फ़िर यश ने धीरे से शुभु के होंठो पर किस कर दिया। दोनों और करीब आ गए और लगातार प्यार को जताने का यह सिलसिला चलता रहा । तभी शुभु को ऐसा महसूस हुआ कि कोई उनके बहुत करीब खड़ा है । उसे किसी तीसरे व्यक्ति की अनुभूति हुई और वह पीछे हट गई । यश संभलते हुए बोला , क्या हुआ? मुझे लगा छत पर कोई है । यश ने गौर से देखा, हमारे अलावा कोई नहीं है। खुद, देख लो । उसने भी नज़र घुमाई, मगर सचमुच कोई नहीं है । यश ने उसका हाथ पकड़ा, "अब नीचे चलते है। कुछ खा लेते है । "यश ने मुस्कुराते हुए कहा तो शुभु हँस दी । "आज तो हमारे पास पूरी रात है । यश, इतना खुश होने की ज़रूरत नहीं है। तुम्हें अभी घर भेज दिया जाएगा । शुभु ने उसके गाल खींचते हुए कहा । नीचे गए तो कोई डांस कर रहा है, तो कोई खाना खा रहा है । अतुल फ़ोन पर है:::::::

हाँ , हेलो विशाल मेरी आवाज़ आ रही है ।

विशाल: हाँ, अब आ रही है । कहाँ हो तुम लोग?

अतुल : हम रिया के घर पार्टी कर रहे है, तुझे इतने दिनों से फ़ोन कर रहे हैं । तेरा फ़ोन नहीं मिलता ।

विशाल: चाचा के काम से ही धक्के खा रहा हूँ । यहाँ बहुत नेटवर्क इशू है ।

अतुल : वापिस कब रहा है ? तेरी उस मैडम का क्या हुआ ?

विशाल : यार ! मुझे लगा आएगी । मगर उस दिन के बाद नहीं आई। मैं शायद परसो वापिस आ जाओ।

तभी फ़ोन कट गया । लगता है, फिर नेटवर्क प्रॉब्लम हो गई होगी। अतुल ने फ़ोन रख दिया । शुभु विशाल का फ़ोन था, वो परसो आ रहा है । अच्छा है। 11 बज रहे हैं, घर नहीं जाना ? अतुल ने पूछा । कुछ खा लूँ, फ़िर चलते है । शुभु ने कहा। सभी दोस्त बाय! बोल धीरे-धीरे करके चले गए । "तुम लोग आज रात यहीं रुक जाओ ।" रिया ने शुभु और यश की तरफ़ देखते हुए कहा । नहीं यार! घर में माँ अकेली होगी । शुभु ने ज़वाब दिया । कोई नहीं, आज रिया ने इतनी अच्छी पार्टी दी है । बहुत एन्जॉय किया । अतुल ड्रिंक पी रहा है। अब खा लिया हो तो चले, अतुल ने खड़े होते हुए पूछा। हाँ,चल चले। अच्छा ! रिया बाय! दोनों ने उसे गले लगाया । यश ने भी हाथ मिलाया । रिया उन लोगों को बाहर तक छोड़ने तक आई। कल तू जा रही है न ? हाँ, यार ! सुबह जल्दी निकल जाऊँगी ।

तीनों बाहर निकल गए । यह सूटकेस कितने बड़े है। ऐसा क्या सामान लेकर जा रही है। शुभु अब भी उन बैग्स को देख रही है । शादी वाला घर है । बहुत कुछ चाहिए होता है । अतुल ने गाड़ी में बैठते हुए ज़वाब दिया । यश ने गाड़ी स्टार्ट की ।

तुम्हारे पापा कुछ नहीं कहेंगे यश ? नहीं, मैं बताकर आया था । यश शीशे से देखते हुए शुभु को बोला। मेरे दीदी और जीजू भी कुछ नहीं कहेंगे । तुमने पूछा नहीं शुभू, मैं फिर भी बता रहा हूँ । वह हँसते हुए बोला। आज माँ ने कोई कॉल नहीं की । इसलिए मैंने उन्हें अपने घर आने के बारे में कॉल करके बता दिया।" शुभु मोबाइल देखते हुए बोली । अब तक तो आंटी सो गई होगी । वो लोग बातें करते हुए जा रहे है । तभी यश की नज़र सड़क पर पड़ती है । शुभु यह आंटी जैसी लग रही । पीली साड़ी में अपनी माँ को देख वो हैरान रह गई । मैंने इन्हें कहा भी था कि इन्हे नींद में चलने की बीमारी हो गयी है, मगर यह मेरी बात सुनती ही नहीं। यश ज़रा गाड़ी घुमा दो ।" यश ने गाड़ी घुमा दी । शुभु की माँ अलका की चाल बहुत तेज़ हो चुकी है । ऐसे लग रहा है तेरी मम्मी अपनी मर्ज़ी से चली जा रही है । जैसे किसी ने बुलाया हो और आंटी लेट हो रही हों। अतुल सड़क पर देखकर बोले जा रहा है । समझ नहीं आता, यह नींद में इतना लम्बा चल ली । अब शुभु भी हैरान है। यश ने गाड़ी की स्पीड बहुत धीरे कर दी है । अगर शुभांगी तुम चाहो तो मैं गाडी आंटी के पास रोक लो । नहीं यार! देखती हूँ, मम्मी कहाँ जाती है । उसने यश को गाड़ी रोकने से मना कर दिया।

उन्होंने देखा कि अल्का चलते-चलते एक घर के पास रुक गई है । जब उन्होंने घर की तरफ़ देखा तो वह घर तो रिया का है । रिया ! का घर देखकर सब हैरान रह गए । कहीं ऐसा तो नहीं है कि शुभु आंटी तुझे लेने पहुँच गई हो । अतुल घर के अंदर जाती आंटी को देख रहा है । उसने अतुल की बात का कोई ज़वाब नहीं दिया उसका ध्यान रिया के घर की तरफ़ है। अल्का घर के अंदर गई और दो मिनट बाद निकलकर वह सूटकेस खींचने लगी । दो सूटकेस को उठाती हुई, वह चलने लग गई । तीनों को समझ नहीं आ रहा है कि वह यह क्यों कर रही है। माँ रिया के सूटकेस कहाँ ले जा रही है। मैं जाकर बात करो, नहीं पहले देख लेते हैं। फ़िर बात करेंगे। यश की बात सुनते ही शुभांगी ने गाड़ी का गेट बंद कर दिया । उन्होने गाड़ी अल्का के पीछे लगा दी । मगर तभी अल्का ने पीछे ऐसे देखा कि उनकी गाड़ी के आगे अँधेरा छा गया। उन तीनों को कुछ नज़र नहीं आया । सड़क पर लगी स्ट्रीट लाइट जल रही है। मगर उनकी गाड़ी के सामने केवल अँधेरा है । यार ! यह क्या आंटी कहाँ गई? जब यश ने गाड़ी की लाइट ऑन की । तब भी अँधेरा नहीं गया । ऐसे लग रहा है गाड़ी किसी अँधेरे कुँए में जा रही हो । यश चिल्लाया । तभी गाड़ी की लाइट जल गई और सामने का दृश्य दिखने लगा । तुमने तो यश डरा ही दिया था, मम्मी तो नज़र नहीं आ रही । कही वो किसी मुसीबत में तो नहीं है । चलो, जल्दी से गाड़ी घर ले चलो । शुभु ने यश को आदेश दिया ।



गाड़ी सरपट भागती हुई शुभांगी के घर के पास रुक गई । शुभु ने दरवाज़ा खटखटाया, दरवाज़ा अंदर से बंद है। माँ ! माँ कहाँ हो तुम ? दरवाज़ा खोलो । तेरी मम्मी तो बाहर है वो अंदर कैसे होगी । अतुल ने समझाया। अगर मम्मी बाहर है तो अंदर फ़िर कौन है ? शुभु डर गई । घबराओ नहीं, हम खिड़की के रास्ते अंदर चलते हैं । यश का सुझाव है। तीनों खिड़की की तरफ़ भागने लगते है, तभी दरवाज़ा खुलता है और आंटी बोलने लगती है, शुभु , बड़ी देर कर दी तूने ? और चिल्ला क्यों रही है ? शुभु ने देखा माँ तो ठीक है और उन्हें देखकर लग रहा है कि वो सो ही रही थी । उन्होंने सफ़ेद गाउन पहना हुआ है। जो वो रात को पहनकर सोती है । आंटी आप रिया के घर नहीं गई ? अतुल जल्दी से बोल पड़ा । मैं क्यों जाऊँगी। शुभु ने बता दिया था कि वह वहाँ से निकलने वाली है । वह बोलते हुए अंदर आ गई । सब एक दूसरे का चेहरा देखने लगे । शुभु, अब सोना है या अपने दोस्तों के साथ बातें करनी है । मैं अंदर जा रही हूँ । माँ ने तीनों को घूरकर देखा और फ़िर अंदर चली गई।

शुभांगी अभी हमें चलना चाहिए । तुम कल आंटी से बात कर लेना । क्यों अतुल ? हाँ, यश सही कह रहा है । रिया के घर की सारी दारू उतर गई। अतुल ने अपने बालों में हाथ फेरा और शुभु के गंभीर चेहरे की ओर देखने लगा । ठीक है, जाओ । कल मिलते है । दोनों निकल गए और शुभु दरवाजा बंद करके अपने कमरे में आ गई । यश हम तीन लोग तो गलत नहीं हो सकते । आंटी को हमने रिया के घर के बाहर देखा था। क्यों? हाँ, देखा तो था, मगर शुभांगी की मम्मी को देखकर नहीं लगता कि वह कोई पदयात्रा करके आई है । एक काम करते है, कल सुबह सूटकेस देखने रिया के घर चलते हैं। अगर सूटकेस वहाँ नहीं होंगे तो इसका मतलब आंटी झूठ बोल रही है । अतुल सोचता हुआ बोला । तुझे याद नहीं है कि रिया ने कहा था कि वो सुबह जल्दी अपने मामा के घर निकल जायेगी । यश ने गाड़ी में बैठते हुए कहा । अब मेरे घर से भी फ़ोन आ रहा है । फिलहाल तो भाई अपने घर ही चलते है । कल सोचेंगे क्या करना है । अब तुझे भी छोड़ देता हूँ । यश की गाड़ी अतुल के घर की तरफ़ मुड़ने लगी ।

शुभु की आँखों में दूर दूर तक नींद नहीं है । वह अपने कमरे में टहलकर बेड पर लेट जाती है । माँ झूठ बोल रही है। ज़रूर कुछ बात है। वह रिया के घर क्या करने गई थीं? सभी सवालों के जवाब मुझे माँ से चाहिए । यही सोच उसने आँखें बंद कर दी । तभी उसके दरवाज़े पर दस्तक हुई । शुभु! दरवाज़ा खोल, शुभु ! मैं माँ , उसने आखें खोली। "माँ ?"। उसने घड़ी देखी चार बजने ही वाले है । "आ रही हूँ," यह कहते हुए उसने दरवाज़ा खोल दिया । क्या हुआ माँ? शुभु , तू जानना चाहती है न मैं बाहर क्या कर रही थी । शुभु ने गौर से माँ को देखा, वही पीली साड़ी, बाल बिखरे हुए आंखें गहरी नीली, आवाज़ सुनकर लगा कि दो व्यक्ति बोल रहे है । हाँ, माँ लेकिन तभी उसकी माँ ने उसका हाथ इतनी ज़ोर से खींचा कि उसकी हाथ में निशान पड़ने लगे। माँ छोड़ो तुमने इतनी ज़ोर से क्यों हाथ पकड़ा है, वह अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करती है । मगर अल्का उसे घसीटते हुए अपने कमरे में लाई, सूटकेस खोला, शुभु हैरान 'यह वहीं सूटकेस है' । उसने माँ को देखा, उनका चेहरा बदल चुका है, उसने उसकी गर्दन दबाई ।


शुभु की आवाज़ गले में अटक गई। वह खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रही है, हल्के से उसके मुँह से निकला माँ !माँ ! तभी अल्का ने उसे पकड़कर उस सूटकेस में डाल दिया और सूटकेस बंद कर ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगी । वो शुभु की माँ नहीं लग रही है । कोई और ही है ।


                                                                    14



शुभांगी सूटकेस के अंदर से ही चिल्ला रही है। मगर उसकी माँ अल्का लगातार हँसती जा रही है। 'माँ! माँ!' कहते हुए उसकी आँख खुल गई और उसने देखा कि वह अपने कमरे में ही है । उसने अपनी गर्दन पर हाथ लगाया, अपने हाथ को छुआ तो उसे दर्द महसूस हुआ । आसपास कोई नहीं है । इसका मतलब वो सपना देख रही थीं, उसने चैन की सांस ली । सपना ही होगा, आखिर उसकी अपनी माँ कैसे उसके साथ ऐसा कुछ कर सकती है। पाँच बज चुके है । उसने पानी पिया और खिड़की से बाहर देखने लग गई । हमेशा की तरह उनके पड़ोसी इतनी सुबह वॉक पर निकल जाते हैं। मुझे भी जल्दी उठकर सैर करनी चाहिए । इसे मन थोड़ा तरोताजा रहेगा । मुझे अब नींद नहीं आने वाली । सूर्य देवता का आगमन लगभग हो ही चला है । जैसे ही वह वापिस मुड़ी कुत्तों के भौंकने की आवाज़ आने लगी । उसने फ़िर खिड़की से नीचे देखा तो कुत्ते उसके घर के बाहर जो छोटा सा गार्डन है, वहाँ देखकर भौकें जा रहे है । कोई घुस तो नहीं गया अंदर की तरफ़ । यही सोचकर वह नीचे की तरफ भागी । उसने दरवाज़ा खोला, अपने गार्डन की तरफ़ नज़र घुमाई । उसकी माँ उसे पानी देती हुई नज़र आई । उसकी माँ ने कुत्तों को घूरकर देखा तो वे भाग खड़े हुए। माँ ये कुत्ते भौंक क्यों रहे थे, तुम्हें तो यह जानते है, तुम तो हमेशा इन्हें रोटी डालती हूँ । शुभांगी ने सवाल किया । मुझे क्या पता। माँ अब भी पौधों को पानी दे रही है । माँ कल हम तीनो ने तुम्हें रिया के घर जाते हुए देखा था और तो और तुम उसके गार्डन में रखे सूटकेस लेकर कहीं जा रही थी। शुभांगी एक ही सांस में बोल गई । माँ के चेहरे के हाव-भाव बदले जैसे गुस्से में अभी चिल्ला पड़ेगी और फ़िर सामान्य होकर बोली, "तुम रिया से पूछ लो न कि कल मैं उसके घर आई भी थी या नहीं ।" माँ के चेहरे के होंठों की हँसी देखकर चुप हो गई ।

शुभु नाश्ते की टेबल पर बैठी है । माँ खाने को कुछ ला रही हो ? तुम आज नाश्ता खुद बना लो । मुझे कुछ काम है । ठीक है, वह किचन में गई। बाथरूम से नल चलने की आवाज़ आ रही है । माँ अभी तक नहा रही है। माँ बाथरूम में हो क्या ? हाँ, कपड़े धो रही हूँ । बाथरूम से आवाज़ आई। उसने दो अंडे लिए अपना ऑमलेट तैयार किया , फ़िर टोस्ट बनाया और कॉफी लेकर टेबल पर आ गई । माँ आप भी आ जाओ, नाश्ता बन गया है। उसकी माँ ने कोई ज़वाब नहीं दिया । अपना नाश्ता ख़त्म कर उसने बैग उठाया और बाहर निकल गई । मैं पेंटिंग क्लॉस जा रही हूँ । जब वह घर से बाहर निकली उसने मुड़कर घर की तरफ़ देखा । माँ छत पर कपड़े सुखा रही है । ओह ! माँ छत पर है. तभी कुछ नहीं बोली । वह छत की ओर देख रही है। उसकी माँ ने अपनी पीली साड़ी सुखाई, फ़िर उसने देखा, माँ ने कुत्ते रस्सी पर टाँगने शुरू कर दिए। बिलकुल बेजान मरे हुए से वहीं कुत्ते, जो सुबह भौक रहे थें, एक नहीं पूरे चार कुत्ते । उसके होश उड़ गए । उसके हाथ से बैग छूट गया । उसका मोबाइल बज रहा है । दीदी आपका मोबाइल । पड़ोसी के बेटे सोनू ने उसे कहा । उसका ध्यान हटा, उसने सोनू को देखा। फ़िर छत पर देखा तो कपड़े ही कपड़े है। "शुभु तू कही जा रही है "? माँ पूछ रही है । मैं वो पेंटिंग क्लॉस!!! उसकी आवाज़ गले में अटक गई । उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा और वह चलती-चली गई। गई। इतना भयानक और अटपटा दृश्य याद कर उसे उल्टी आने को हु । वह वही सड़क के किनारे उलटी करने लगी । उसका मोबाइल फ़िर बज रहा है ।

शुभांगी: हेलो, उसकी आवाज़ बड़ी धीमी है ।

यश : शुभांगी तुम ठीक तो हो? यश की आवाज़ में फ़िक्र है ।

शुभांगी:: हाँ, अभी तक तो हूँ ।

यश : कहाँ हो तुम ? मैं तुम्हारे पास आ रहा हूँ ।

शुभांगी : मैं अपनी पेंटिंग क्लॉस के बाहर बैठी हूँ, उसे लगा वो अभी रो पड़ेगी ।

शुभांगी सड़क के किनारे बेंच पर बैठ गई । उसने रूमाल से अपना चेहरा साफ़ किया । तुम क्लॉस के अंदर नहीं गई? यश ने उसके पास बैठते हुए पूछा । मन बहुत बैचैन हो रहा है । शुभांगी ने यश के कंधे पर सिर रख दिया। तुम्हें वो आदमी याद है, जिसे हम रिया के घर ले गए थे। "हाँ " वह कल रात मर गया । क्या ! शुभु ने सिर उसके कंधे पर से उठाते हुए कहा । हां, उसकी मौत बड़ी बुरी तरह हुई । किसी ने उसे रस्सी से उल्टा टाँगकर मार दिया । सारे बदन पर चोट के निशान है । यश की आवाज़ बहुत धीमी हो गई । उसकी मौत कब हुई । पुलिस तो कल रात का समय ही बता रही है । शुभु सोच में पड़ गई । कल मैंने भी बुरा सपना देखा कि मेरी माँ मुझे मारने की कोशिश कर रही है और अभी थोड़ी देर पहले जो हुआ वो भी उसने यश को बता दिया । यश न शुभु को कसकर गले लगा लिया । तुमने रात के साथ सुबह भी सपना देखा होगा । परेशान मत हो, मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ । यश ने उसका सिर चूम लिया और शुभांगी एक बच्चे की तरह लिपट गई । अब जब पेंटिंग क्लॉस नहीं जाना तो कहीं घूमने चलते है । मूड ठीक हो जाएगा । यश ने उसका हाथ पकड़ उसे उठाते हुए कहा।

दोनों हाथों में हाथ डाले सड़क के किनारे-किनारे आराम से चलने लगे । तुमने अतुल को उस आदमी की बात बताई । नहीं,पहले तुमसे ही बात की । यश ने उसकी बात का जवाब देते हुए कहा । अच्छा किया, अतुल वैसे भी हँसता-खेलता अच्छा लगता है । सीरियस तो वह बिलकुल अजीब लगता है । शुभु हँसने लगी । कल वह रिया के घर जाने के लिए कह रहा था कि चलकर सूटकेस देखते है । मगर मैंने मना कर दिया । रिया तो निकल चुकी होगी । क्या करना है, उसके घर जाकर। मेरा तो अपने घर जाने का मन ही नहीं कर रहा । वो अब किसी पार्क में बैठ गए । फ़िर मेरे घर चलो, यश के चेहरे पर शरारती मुस्कान है । हाँ , हाँ क्यों नहीं । शुभु ने मुँह चिढ़ाते हुए कहा। कम से कम तुम्हारा मूड ठीक तो हुआ । अब दोनों एक दूसरे को ऐसे छेड़ते हुए हँस रहे है । खुश लग रहे है । बात करते-करते काफ़ी समय बीत गया । यश ने घड़ी देखी तो दोपहर के एक बज रहे हैं। चलो, कहीं लंच करने चलते हैं । हम्म्म, भूख भी लग रही है ।

शुभांगी और यश दोनों लंच कर रहे हैं । तभी शुभु का फ़ोन बज उठा। अतुल का नंबर देख उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई । हाँ, अतुल हम कैफ़े में है । तू भी आ जा ।

अतुल -- शुभु मैं लाइब्रेरी जा रहा हूँ । दो-चार बुक वापिस करनी है । फ़िर पंद्रह दिन में रिजल्ट भी आने वाला है । मार्कशीट देने में दिक्कत करेंगे । तुझे चलना है?

शुभु ::: मैं आज नहीं जा रही। वैसे पॉल एंडरसन वाली किताब मुझे वापिस करनी है । मगर मैं रिजल्ट वाले दिन ही कर दूँगी ।

अतुल """ तू एन्जॉय कर । शाम को मिलते है। यह कहकर अतुल ने फ़ोन रख दिया ।

अतुल ने शुभांगी का फ़ोन रखा और लाइब्रेरी की ओर निकल गया । कॉलेज की छुट्टियों की वजह से लाइब्रेरी में एक दो-तीन लोग ही है। लाइब्रेरी वाली मैडम लंच करने गई है । अतुल ने लाइब्रेरी में पूरा चक्कर लगाया और फिर चेयर लेकर बैठ गया । सामने शेल्फ पर रखी मैगजीन पर उसकी नज़र गई और वो दो-तीन मैगजीन लेकर उसके पन्ने पलटने लगा । "ये कॉलेज वाले सेक्सी मैगज़ीन क्यों नहीं रखते है । इनमें छुटपुट फ़ोटो आती है, मगर इनसे दिल थोड़ी न भरता है। यह मैडम पता नहीं कहाँ रह गई । ज़रा कॉलेज का चक्कर लगा लूँ । एक बार निकल गए तो फ़िर सब याद ही बनने वाला है। "कहते हुए पूरे कॉलेज में घूमने लग गया । हॉल के पास पहुँचते ही उसे लगा कि अंदर कोई है । अब कौन होगा ? क्या पता कोई स्टूडेंट का ग्रुप कोई प्रैक्टिस कर रहा हों । उसने हल्का सा दरवाज़ा खोलकर देखा, मगर अंदर कोई नहीं है। हॉल की स्क्रीन पर प्रेजेंटेशन चल रही है । मगर हैरानी की बात यह कि वो दिखाया जा रहा है जो उनके साथ वहाँ हुआ था । वहीं जंगल का सीन कैसे वो बचकर भाग रहे हैं । उसका मुँह खुला का खुला रह गया। उसके मुँह से निकला "अंदर कोई है ? कौन है? " मगर कोई आवाज़ नहीं आई और वह डरकर हॉल का दरवाज़ा बंदकर वहाँ से भागने को हुआ । जब लाइब्रेरी की तरफ़ जाने वाले गेट के पास गया तो वहाँ का दरवाज़ा बंद है। यह दरवाज़ा किसने बंद कर दिया ? "मेम दरवाज़ा खोलो" वह चिल्लाया । पर कोई फ़ायदा नहीं हुआ । वह बाहर मैन गेट की तरफ़ भागा । उसने देखा क्लॉस के अंदर किताबे हवा में तैर रही है। यह सब शुभु के साथ भी हो चुका है । उसने कदम जल्दी से आगे बढ़ाए ।

उसके चेहरे पर पसीना आ चुका है । उसका गला सूख रहा है। आज कॉलेज का गेट इतना दूर क्यों लग रहा है। वह खीजने लगा । रिसेप्शन पर उसने देखा कि वहीं ऑउटहॉउस वाली मैडम मुस्कुराते हुए उसकी तरफ़ बढ़ रही है । नहीं ! नहीं ! चिल्लाता हुआ, वह एक क्लॉस में घुसा और अंदर से गेट बंद कर लिया । उसकी सांस उखड़ रही है । उसने अपना मोबाइल उठाया और शुभु को फ़ोन लगाया । मगर उसका फ़ोन नहीं मिला। उसने फ़िर यश को फ़ोन किया । मगर उसका फ़ोन बीजी जा रहा है। उसने पुलिस को फ़ोन करके यहाँ का पता बता दिया । कम से कम पुलिस तो आ ही जायेगी । यहीं सोचकर उसे सांस आई । तभी उसने देखा कि ब्लैकबोर्ड पर चॉक अपने आप चलने लगा और लिखा गया । "आज नहीं बचोगे।" उसने दरवाज़ा खोला, फ़िर वह दूसरी क्लॉस में घुस गया । "मैन गेट के पास तो वह मैडम खड़ी है । मैं कॉलेज आया क्यों? यह सब क्या हो रहा है ।" वह सिर पकड़ कर ज़मीन पर बैठ गया । थोड़ी देर बाद बिलकुल सन्नाटा हो गया, अंदर और बाहर कहीं से कोई आवाज़ नहीं आ रही है। क्या सब ख़त्म हो गया । क्या वो बाहर निकल सकता है । तभी उसे बाहर से आवाज़े आने लगी । शुभु के चीखने की । उसने सोचा दरवाज़ा खोले, मगर चीख बंद हो गई । उसने फ़िर शुभु को कॉल किया । मगर फ़ोन बंद जा रहा है । उसने कान लगाकर ध्यान से सुना तो बाहर से उन सबकी आवाज़ें आ रही है । यह तो वही बातचीत है जो वो लोग पॉल एंडरसन के घर में कर रहे थें । यार ! यह क्या हो रहा है ? तभी यश का फ़ोन आया उसने फ़ोन उठाते ही बोला," यश अभी कॉलेज पहुँच । मैं मुसीबत में हूँ ।

यश :::: क्या हुआ ?

अतुल : कुछ पूछ मत, बस जल्दी आ । यश ने फ़ोन काट दिया ।

फ़िर आवाज़ें आनी बंद हो गई । उसने फ़ोन में टाइम देखा छह बज रहे है । मैं कितनी देर से यहाँ पर हूँ । पता नहीं क्या होने वाला है । अतुल बोला । "अतुल दरवाज़ा खोलो मैं हूँ ?"

मैं कौन ? यह किसी लड़की की आवाज़ है ।

"मैं रिया" जल्दी खोलो ।"

रिया? वह खोलने ही लगा था, तभी उसे याद आया" रिया तुम अपने मामाजी के घर नहीं गई?

"पापा ने मना कर दिया" कहा कि "कल आना ।" "तुम्हें कैसे पता मैं यहाँ हूँ ?"

"शुभु ने बताया।"

अब अतुल को विश्वास हो गया कि रिया ही आई है । उसने दरवाज़ा खोल दिया । सामने रिया को देख उसकी जान में जान। मगर यह क्या ? उसके चेहरे का रंग बदलने लगा। आखें गहरी नीली हो गई । वह ज़ोर से हँसी । अतुल काँप गया । रिया तुम्हे क्या हो गया। वह ज़ोर से हँसी और उसकी ओर लपकी। वह भागता हुआ कॉलेज की छत पर आ गया । वह छत का दरवाज़ा बंद करने ही वाला था । तभी रिया ने उसे लात मारी और वह उड़कर छत पर दूर जा गिरा । अतुल समझ गया कि आज वो मरने वाला है। "रिया तुम मुझे क्यों मारना चाहती हो। मैंने तेरा क्या बिगाड़ा है, यार! मुझे जाने दे। मगर वह उसके पास आती जा रही है और वह छत पर ही इधर-उधर पागलों की तरह भाग रहा है । वह चिल्लाता रहा। मगर क्या फायदा, रिया ने उसकी गर्दन पकड़ी और उसे नीचे फ़ेंक दिया।


                                                             15


अतुल नीचे गिर ही रहा है, तभी यश और पुलिस कॉलेज के गेट के अंदर घुसते हैं। यश अतुल को नीचे गिरते देख वहीं पास ग्राउंड में पड़े जुडो-कराटे करने वाले गद्दे खींचकर अतुल के नीचे गिरने वाली दिशा में रख देता है और पुलिस भी इन गद्दों के चारों तरफ़ खड़ी हो जाती है। अतुल उनपर गिरता है। इतनी ऊँचाई से गिरने के कारण अतुल उछल पड़ता है और बेहोश हो जाता है। पुलिस उसे अपनी जीप में डालकर हॉस्पिटल ले जाती है । पूरे दो घंटे बाद उसे जब होश आता है तो उसे यकीन नहीं आता कि वो ज़िंदा है । वह भावुक होकर यश के गले लग जाता है । यार ! आज तूने बचा लिया । मैं तो मर ही गया था । अतुल बोलते-बोलते भावुक हो गया । "तू नीचे कैसे गिरा ?" यह तो हम भी जानना चाहते है ? पुलिस वाले ने अंदर आकर सवाल किया । पता नहीं, मेरा पैर फिसल गया था, शायद । अतुल की आवाज़ में एक हिचक है । देखिए मिस्टर अतुल, अगर आप इसी तरह लापरवाही करते रहे तो एक दिन आप ज़रूर मर जायेगे । अगली बार आपके पास कोई सही वजह नहीं हुई तो हम फ़िर अपने तरीके से कार्यवाही करेंगे । कहकर पुलिस वाले चले गए । तू उन्हें बता क्यों नहीं देता कि सच क्या है। क्या सच बताओ कि रिया ने मुझे धक्का मारा । मेरे पास कोई सबूत नहीं है और शुभु सही कह रही थी। यह अपनी रिया नहीं है । ज़रूर इस पर सागर या अनन्या का प्रेत है । कौन सागर ? कौन अनन्या ? यश ने ज़ोर देकर पूछा । अतुल ने उसे सारी बात बता दी। पॉल एंडरसन की कहानी सुनकर यश हैरान हो गया । तुमने एक प्रोजेक्ट के लिए इतना कुछ झेला । तुम तो सचमुच प्राइज के हकदार हो। यश ने अतुल के कंधे पर हाथ मारते हुए कहा । इतनी शाबाशी भी मत दे हमें, आज जो कुछ हमारे साथ हो रहा है न, उसके ज़िम्मेदार हम ही है। विशाल ने शुरुआत की थी, हमें लगा बस रिसर्च करके अपना प्रोजेक्ट पूरा कर लेंगे । मगर हमें क्या पता था कि हमारी जान पर बन आएगी । शुभु विशाल को मना भी कर रही थी कि कुछ और ढूँढ़ते है। मगर विदेश की स्कॉलरशिप के चक्कर में किसी ने उसकी नहीं सुनी । अब देखो! हम यहाँ मरने को पड़े है और वो वहाँ मज़े कर रहा है। कहते हुए अतुल का मुँह लटक गया । ये सब बातें छोड़ और चल यहाँ से दस बजने को है । वैसे भी वो कल वापिस आ ही रहा है । उसे सच पता चलेगा तो वह भी सदमे में आ जाएगा। यश ने समझाते हुए कहा ।   


विशाल अपना सामान समेट रहा है और सामान पैक करते हुए बोलते जा रहा है । "चाचाजी ने कुछ ज्यादा ही मुझे बोर कर दिया । सब मेरा मज़ाक बनायेगे कि मैंने अपनी छुट्टियाँ इन मजदूरो के साथ बिता दी । अब जरा वापिस जाकर अपनी ज़िन्दगी को रंगीन बनाओ । तभी उसके दरवाज़े की घंटी बजती है, अब कौन आया होगा ? सामने अवनी को देखकर ख़ुश भी हुआ और हैरान भी। तुम ? इतने दिनों से नहीं आई और आज रात दस बजे मुझे ऐसे सरप्राइज करने पहुँच गई । विशाल ने उसका हाथ पकड़कर उसे अंदर खींच लिया । अवनी ने उसके करीब आते हुए कहा कि "कहीं फँस गई थी " । मुझे कब फ़साने का इरादा है ।" विशाल ने अब भी अवनी का हाथ नहीं छोड़ा। अब अंदर चले या दरवाज़े पर ही बात करते रहेंगे । क्यों नहीं, क्या लोंगी ? उसने फ्रीज़ से वाइन की बोतल निकाली और गिलास में डाल दी । जो है, वही पिला दो । अवनी ने सोफ़े पर लेटते हुए कहा। फ़िर यह गिलास पकड़ो । "मैं कल वापिस जा रहा हूँ, अगर तुम्हारा मूड मुझे रोकने का हो तो बता दो ।" विशाल ने वाइन का घूँट भरकर उसे देखते हुए बोला। "फिलहाल तो आज रात साथ गुज़ार लेते है, कल का मैं कुछ कह नहीं सकती ।" अवनी ने उसकी बात का ज़वाब भी वाइन पीते हुए दिया । उस दिन तुमने बताया था कि तुम कॉल सेंटर में काम करती हों । हाँ, तभी तो कह रही हूँ कि मेरी शिफ्ट्स बदल सकती है इसलिए जो है यही पल है । विशाल ने वाइन का गिलास रखा और उसका हाथ पकड़ सीधे बैडरूम में ले गया ।


बैडरूम में पहुँचकर ही उसने अवनी को बेतहाशा चूमना शुरू कर दिया और अवनी भी पूरी तरह विशाल से लिपट गई । दोनों ने एक दूसरे के कपड़े उतारने शुरू किए और फ़िर रात को रंगीन बनाने का सिलसिला शुरू हो गया । अवनी विशाल की बाहों में देह सुख का आनंद ले रही है तो विशाल भी उसके अंदर समां चुका है । जब कुछ देर बाद विशाल उससे अलग हुआ तो अवनी उसके सीने पर सिर रखकर लेट गई और वह अपनी उँगलियो से उसके बाल सहलाने लगा । "अब भी पूछ रहा हूँ कि तुम कहूँगी तो मैं रुक जाऊँगा ।" विशाल ने धीरे से उसके कानों में कहा तो उसने कोई जवाब नहीं दिया । अवनी अब सोच रही है कि रुकने के लिए कहे या नहीं । तभी उन दोनों को कुछ खटका हुआ और वह उठकर बैठ गए । कोई और भी है क्या घर में ? अवनी ने खुद को चादर से ढकते हुए पूछा। नहीं, मेरे सिवा तो कोई नहीं है । तुम रुको मैं देखता हूँ । उसने अपना पजामा पहना और शर्ट टी-शर्ट पहनकर कमरे से बाहर आ गया । उसने देखा मैन गेट वो बंद करना ही भूल गया था । उसने दरवाज़ा बंद किया और पीछे मुड़ा तो सामने रिया को देखकर भोंचका रह गया। रिया तुम यहाँ क्या कर रही हो ?" वह उसे अचानक देखकर ज़ोर से चिल्लाया । चिल्ला क्यों रहे हो? मैं अपने मामा के घर जा रही हूँ, रास्ते में सोचा तुमसे मिलती चलो । कभी आने से पहले टाइम तो देख लिया करो । अब बैठो यहाँ आराम से , मैं अंदर सोने जा रहा हूँ । वह पैर पटकता हुआ अंदर चला गया । कौन है ? अवनि ने नाईट गाउन पहनते हुए पूछा। "तुम मेरी चाची के नाईट गाउन में सुन्दर लग रही हो। " "बताओ न कौन है ?" "मेरी कॉलेज की फ्रेंड है, अपने मामा के घर जा रही है तो मेरे यहाँ भी आ गई । तुमने वक़्त देखा है, कहीं ऐसा तो नहीं कि तुमने उसे बुलाया है ।" अवनी अब चिढ़ गई । नहीं यार ! उसने प्यार से अवनी का चेहरा पकड़ते हुए कहा, जब से उसका बॉयफ्रेंड मरा है ,तबसे तो थोड़ा डिप्रेशन में है । उसे ख़ुद नहीं पता होता वो क्या कर रही है। चलो अब सो जाए । वो खुद ही चली जाएगी। बेचारी ! अवनी ने अपना सिर विशाल के सीने पर रखते हुए कहा । थोड़ी देर में वे दोनों नींद के आगोश में चले गए । तभी अवनी की आँख खुली उसने महसूस किया कि उसे बहुत तेज़ प्यास लगी है।


वह उठी उसने विशाल को एक नज़र देखा वो बेसुध सो रहा है । दरवाज़ा खोलकर हॉल में आकर किचन की तरफ़ जाने लगी । उसने  फ्रिज खोला, बोतल निकाली और गिलास में पानी डालने लगी । पूरी एक बोतल पानी पीकर भी उसकी प्यास नहीं बुझी । उसने एक बोतल और पानी पिया। मगर फ़िर तीन -चार बोतलों की संख्या बढ़ती गई। उसका गला जलने लगा। गला पकड़कर चिल्लाने लगी । सामने उसे रंग बदलती रिया नज़र आई। उसने अपना हाथ लम्बा किया और अवनी की गर्दन तक पहुँचा दिया और थोड़ी देर में उसका शरीर जलने लगा ।


सुबह जब विशाल की आँख खुली तो उसने देखा कि अवनी अपने बिस्तर पर नहीं है। लगता है, जल्दी चली गई होगी । रिया को भी पूरे घर में न पाकर वो समझ गया कि यह सचमुच किसी डिप्रेशन का शिकार है । वरना ऐसे आना और जाना कौन करता है । छोड़ो यार ! कल रात सचमुच मस्त गुज़री । यह कहते हुए वह बाथरूम में घुस गया । तैयार हुआ। अपना सामान उठाया और हॉल में रख दिया । कुछ पेट-पूजा करके निकला जाए । यह सोच वह किचन की तरफ़ बढ़ा और उसने देखा कि खाली बोतले किचन टेबल पर है । लगता है, दोनों मैडम सारा फ्रिज खत्म कर गई है । कही ऐसा तो नहीं है, रिया ने उसे कुछ बोला और वो बिन बताए गुस्से में चली गई । विशाल के यह सोचकर चेहरे के भाव बदल गए । खैर, अब क्या किया जा सकता है। रिया ने तो कर ही दिया अपना काम । उसने कॉर्न फ्लैक्स निकाला और दूध में डालकर खाया । फ़िर अपना बैग उठाया । मैन गेट बंद किया और बाहर की तरफ़ आ गया । मजदूरों को अपने जाने के बारे में बताया । गुनगुनाता हुआ गाड़ी की तरफ़ बढ़ा । गाड़ी में रिया पहले से ही बैठी हुई है । तुम गई नहीं ?अभी तक ? तुम मुझे अपने मामा के घर छोड़ डोंगे । यहाँ से ज्यादा दूर नहीं है । ठीक है, रिया छोड़ देता हूँ । उसने गाड़ी स्टार्ट की । तुम्हारी अवनी से बात हुई थी ? विशाल अब भी बेचैन है । कौन अवनी ? मैं किसी अवनी से नहीं मिली । रिया खिड़की से बाहर देख रही है । तुम मामाजी के अचानक क्यों जा रही हूँ ? अचानक नहीं, पहले से ही जाना तय था, तुम्हें अब पता चला है । रिया ने लापरवाही से कहा । विशाल ने उसके हाव -भाव देखकर उससे आगे कुछ नहीं पूछा । 


गाड़ी अपनी गति चलती जा रही है । रिया कहाँ छोड़ो तुम्हें ? जल्दी बताओ ? विशाल ने गाड़ी रोककर पूछा । सामने जो मकान है न तुम मुझे वहीं छोड़ दो । उसने वहीं गाड़ी रोक दी । अंदर चलोगे? नहीं, मैं अब जाऊँगा । चलो न । रिया ने ज़िद । नहीं यार ! मैं अब घर निकलूंगा । कहते हुए जैसे ही उसने गाड़ी स्टार्ट की । गाड़ी चली नहीं । अब इसे पता नहीं क्या हो गया ? मैं मामाजी को कहती हूँ वो किसी को भेज देंगे । तब तक तुम मेरे साथ अंदर आ जाओ । जब तक गाड़ी ठीक नहीं होती । न चाहते हुए भी विशाल रिया के साथ उस घर में चला गया । मगर अंदर कोई नहीं है । अंदर आते ही रिया भी किसी कमरे में चली गई । घर में कोई दिखाई नहीं दे रहा । उसने रिया को आवाज़ लगाई।  पर उसने कोई ज़वाब नहीं दिया । जब उसे एक कमरे से रोने की आवाजे सुनाई दी तो वह धीरे कदमों से उस कमरे की तरफ़ बढ़ा । दरवाज़ा खोला तो एक लड़की खिड़की के पास खड़ी है । थोड़ी और पास जाने पर वह उसे पीछे से अवनी जैसी लगी । अवनी और यहाँ ? नहीं यार ! यह तो हो नहीं सकता । मगर यह नाईट गाउन तो अवनी का  ही है । मैंने ही उसे अपनी चाची का गाउन पहनने के लिए दिया था । मगर यह यहाँ क्या कर रही है? यहीं सोच वो रुक गया । 


अवनी ! अवनी! उसने धीरे से आवाज़ लगाई। मगर उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा । वह उसकी ओर बढ़ने लगा । उसने फ़िर आवाज़ लगाई अवनी ! इस बार उंसने मुड़कर देखा। उसका जला हुआ चेहरा, आखें गहरी नीली । वह डरकर पीछे हो गया और चिल्लाते हुए नीचे की ओर भागा । उसने दरवाज़ा खोला, अपनी गाड़ी स्टार्ट की। तेज़ चलाता हुआ, वह अपने शहर के पास पहुँच गया । उसका गला सूख रहा है । लगातार उसने तीन घंटे गाड़ी चलाई है । उसने सड़क के कोने में गाड़ी रोकी और पास की चाय -सिग्रेट की दुकान से पानी माँगने लगा। पानी की बोतल लेकर उसने पानी पिया । मगर उसकी प्यास नहीं बुझी । दो-तीन चार कितनी बोतल पानी पी लिया । "बाबू सारी पानी की बोतल तुम ही पियोगे । " दुकान वाले ने कहा । विशाल ने उसे पैसे दिए और फ़िर गाड़ी चलाने लगा । अपने घर पहुंचकर उसने राहत की सांस ली । मगर एक बात अब भी समझ के बाहर है कि अवनी को मारा किसने? और रिया अचानक कहाँ गई ? यही सब सोचते हुए वह अपने बिस्तर पर लेट गया । उसे याद आया कि उसके चाचा जी ने फार्म हॉउस के अंदर कैमरे लगवा रखे थें और उसने कैमरे के नेटवर्क को अपने लैपटॉप से जोड़ लिया था । उसने लैपटॉप में कल की सारी घटना दिखाई दी । वह डर गया और समझ गया कि रिया अब वो रिया नहीं रही । 


उसने शुभांगी को कॉल किया । मगर शुभांगी तो खुद अपना फ़ोन साइलेंट पर रखकर अपनी माँ का पीछा कर रही है । आज मैं सच पता लगाकर ही रहूँगी। आख़िर माँ जाती कहा है ? उसकी माँ वहीं पहुँच गई, जहाँ वो प्रेत भगाने वाला आदमी रहता था। माँ ? यहाँ ? उसने छुपकर देखा कि उसकी माँ ने तीन सूटकेस खोल जो रिया के घर के बाहर थें । तभी वहाँ रिया आई। उसकी माँ सिर झुकाकर घुटनों के बल बैठ गई । फ़िर रिया ने अल्का के मुँह पर ज़ोर-ज़ोर से तीन थप्पड़ मारे । ये क्या हो रहा है । रिया ने माँ को क्यों मारा ?


                                                               16.


शुभांगी का मन हुआ वह बाहर निकले और ज़ोरदार चाटा रिया के मुँह पर दे मारे। वह जैसे ही उसकी तरफ़ जाने को हुई तो उसकी नज़र सूटकेस पर पड़ी , उसने देखा कि रिया के मम्मी, पापा उसके भाई की लाशें उन सूटकेस में है । वह हैरान हो गई । तभी उसे वह आदमी भी एक किल पर लटका नज़र आया । ओह माई गॉड ! इन सबको रिया ने मार दिया । जब उसने रिया को देखा तो उसका चेहरा बदलता गया। उसकी आँखें गहरी नीली हो गई । वह एक डरावनी प्रेत बन चुकी है । उसने अल्का को कुछ कहा और वह जाने को हुई । शुभांगी अपनी माँ से पहले घर पहुँचना चाहती है । वह भागती हुई घर पहुंची और अपने कमरे को अंदर से बंद कर लिया । उसकी माँ एक प्रेत के वश में है । मगर वह प्रेत है कौन ? सागर? अनन्या ? या फ़िर कोई और? तभी शुभांगी का फ़ोन बजा और उसने विशाल का नंबर देखा । "हाँ , शुभु फ़ोन क्यों नहीं उठा रही थी । तुझे और अतुल को कुछ बताना है । विशाल एक सांस में ही बोल गया ।" मुझे भी कुछ बात करनी है । कल मेरी पेंटिंग क्लॉस के बाहर मिलते हैं। कहकर शुभांगी ने फ़ोन रख दिया ।


अगले दिन चारों पेंटिंग क्लॉस के बाहर मिले । यश को देखकर विशाल को हैरानी हुई। मगर अतुल के कहने पर कि यह सब जानता है, वह कुछ नहीं बोला । विशाल ने उस दिन की सारी बात बताई। अतुल ने भी कॉलेज की घटना बता दी । शुभु ने बोलना शुरू किया। एक बात तो साफ़ है कि रिया पर किसी प्रेत का साया है और उसके कब्ज़े में मेरी माँ आ चुकी है । कल मैंने रिया के परिवार की लाशें देखी है । वह आदमी भी मारा गया है । अवनी को भी उस प्रेत ने मारा है । इसका मतलब पॉल एंडरसन के साथ यह कहानी ख़त्म नहीं हुई है । कोई प्रेत हमारे पीछे पड़ चुका है । अतुल ने शुभांगी की बात को पूरा कर दिया । सब के सब परेशान है । मुझे मेरी माँ की फ़िक्र हो रही है । जब मैं घर से निकली तो उनके कमरे में झाँका । अजीब ढंग से सो रही थीं । मेरी हिम्मत अंदर जाने को नहीं हुई । शुभांगी बेंच पर सिर पकड़कर बैठ गई । ऐसे डर कर नहीं बैठ सकते । "हमें कुछ करना पड़ेगा । यश ने सबकी ओर देखते हुए कहा । हाँ, तुम सही कह रहे हो । लेकिन हमें सबसे पहले रिया को बचाना होगा । फ़िर मेरी माँ अपने-आप ठीक हो जायेगी ।" शुभु ने यश की बात का जवाब दिया । "हमें किसी की मदद लेनी पड़ेगी । हम पहले भी मदद लेने गए थे । मगर हुआ क्या ? वह भी मारा गया।" अतुल ने मुँह बनाते हुए कहा । क्यों न चर्च चले । वहाँ फादर एंड्रू से बात की जा सकती है। यश ने कहा तो सबको उसकी बात सही लगी । सब फादर से मिलने चर्च पहुँचे । मगर फादर वहाँ नहीं मिले । पूछने पर पता चला कि वह दो-तीन दिन के बाहर गए हुए हैं । अब क्या करे ! दो-तीन दिन में आ जायेगे । विशाल ने शुभु को हिम्मत दी ।


"शुभु तू अपनी माँ के साथ रह लेगी ?" अतुल ने सवाल किया । हाँ रह लूँगी । वैसे भी मैं अपनी माँ को इस हाल में अकेला नहीं छोड़ सकती । फ़िर एक काम करते है, सब शुभु के घर जाकर रहते है । साथ रहेंगे तो डर नहीं लगेगा । अलग रहने पर वो प्रेत हमें मारने का कोई न कोई तरीका ढूँढ़ ही निकालेगा । क्यों क्या कहते हो ? मेरे पास एक बेहतर आईडिया है, क्यों न तुम सब शुभु के पास वाले खाली घर में रहो और वहाँ से शुभु अपनी मम्मी को भी देख पाएगी । शुभु तुम कह देना कि रिजल्ट आने वाला है इसलिए आउटिंग पर तीन दिन के लिए जा रही हूँ । यश ने अपनी बात ख़त्म की । "ओ ! हीरो, वो घर तेरे बाप का है क्या ? जो हम वहाँ आराम से रहेंगे । विशाल ने चिढ़कर कहा । नहीं मेरे अंकल का है । वो अगले महीने वहाँ शिफ्ट होंगे । मैं उनसे चाभी माँग लेता हूँ, क्यों क्या कहती हूँ शुभु । यश सही कह रहा है । दो-तीन की बात है, फ़िर कोई न कोई रास्ता निकला जायेगा । अतुल ने सहमति दी । ठीक है, मैं तैयार हूँ । शुभु ने यह कहते हुए घर पर फ़ोन लगाया और फ़ोन स्पीकर पर कर दिया , "हेल्लो माँ मैं अपने फ़्रैंड्ज़ के साथ दो दिन के लिए बाहर जा रही हूँ । आप परेशान मत होना। मैं जल्दी आ जाऊँगी । बेटा, ऐसे अचानक कहाँ जा रही हूँ । मुझे फ़िक्र हो रही है । बस माँ विशाल के फार्म हॉउस तक जा रहे हैं । ठीक है, जाओ अपना ध्यान रखना ।।" यह सुनते ही शुभु ने फ़ोन काट दिया । वैसे अब लग नहीं रहा कि आंटी किसी खतरनाक प्रेत से घिरी हुई है । अतुल की बात सुनकर शुभांगी ने उसे घूरकर देखा। गुस्सा क्यों हो रही है? मैं तो इसलिए कह रह था कि हो सकता है कि आंटी सिर्फ रात को ही....... कहते हुए अतुल चुप हो गया। 


सब शुभांगी के पास वाले घर में पहुँच गए । बालकनी से घर साफ़ नज़र आ रहा है । यश सबके लिए खाना लाया । सब खाना खाकर बालकनी में आ गए और शुभु के घर की तरफ़ देखने लगे । रात हो चुकी है । शुभु को पता है कि अभी माँ घर से निकल जायेंगी । मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ ।और सब थककर सो गए । क्योंकि वो और नहीं जाग सकते है । अगले दिन भी वे सब बालकनी में खड़े हुए । शुभु की माँ घर से निकलकर कहीं जाने लगी । चारों ने बिना वक़्त गवाएँ यश की गाड़ी में बैठकर माँ का पीछा करना शुरू कर दिया । उन्होंने देखा कि उनकी माँ रिया के घर पहुँची । दरवाज़ा खुला और वह अंदर घुस गई । थोड़ी देर बाद अंदर से चीखने की आवाज़ आई। अंदर क्या हुआ ? कहीं मेरी माँ को कुछ हो तो नहीं गया । कहकर शुभांगी गाड़ी से निकल गई । शुभु अंदर जाना ठीक नहीं है । विशाल ने उसे रोका । मगर वह नहीं मानी और अंदर चली गई। उसके पीछे यश और अतुल भी चले गए । मगर विशाल गाड़ी में ही बैठा रहा ।


बाहर विशाल गाड़ी में बैठा हुआ है । उसे फ़िर से बहुत ज़ोरो की प्यास लगने लगी । उसने गाड़ी में रखी पानी की बोतल से अपनी प्यास बुझाई। मगर अब भी उसका गला जलने लगा । वह न चाहते हुए भी घर के अंदर चला आया । अंदर उसे कोई नज़र नहीं आ रहा है । उसने फ्रिज खोला और पानी पीकर अपनी प्यास बुझाई । उसने आवाज़ दी अतुल ! शुभु । मगर किसी ने कोई ज़वाब नहीं मिला । वह हर कमरे में देखने लगा। मगर उसे कोई नज़र नहीं आया । वह छत पर जाने को हुआ । तभी उसे किसी ने नीचे खींचा । पीछे मुड़ा तो देखा यश है । तू ऊपर क्यों जा रहा है । तुम लोग कहाँ हो ? तुमने तो डरा दिया । विशाल पसीना पोंछते हुए बोला । हम स्टोर रूम में है । चल, वहाँ भी कुछ है । कहते हुए यश विशाल को अपने पीछे ले गया । स्टोर रूम में सब एक घेरा बनाकर खड़े हुए है । यह आदमी कौन है ? विशाल ने पूछा । रिया की कामवाली का पति । कुछ दिनों पहले वो छत से गिरकर मर गई थी और अब यहाँ यह मरा पड़ा है । अतुल ने जवाब दिया । क्या आंटी ने इसे ? विशाल आगे कुछ बोल नहीं पाया । पर शुभांगी की आँखों में आंसू आ गए ।


चलो ! निकलते है, यहाँ से। यश ने कहा तो सब बाहर जाने को हुए। मगर यह क्या ! दरवाज़ा बंद । तभी घर की लाइट भी जलने-बुझने लगी । सबका डर के मारे बुरा हाल है । तभी अतुल को ऊपर वाले फ्लोर पर कोई घूमता हुआ नज़र आया । उसने सबका ध्यान उस और आकर्षित किया। शुभु कहीं यह तेरी मम्मी तो नही है? नहीं अतुल मुझे नहीं लगता, पर कुछ कह नहीं सकते । पूरे घर से चीखने की आवाज़ें आने लगी । यार ! यह तो रिया की चीख है । मुझे बचाओ ! कोई बचाओ मुझे ! यह सब ड्रामा है, मेरे साथ भी ऐसा हो चुका है । चीखे बुरी तरह बढ़ने लगी । यार! हमें उसकी मदद करनी चाहिए , वो मुसीबत में है । सबने शुभु की ओर देखा, फ़िर सब उसी कमरे की तरफ़ बढ़ गए । जहाँ से चीखें आ रही है । रिया ! तू ठीक है ? उसने आवाज़ दी । मगर कोई ज़वाब नहीं मिला । चीखें आनी बंद हो गई । मैंने कहा था न सब ड्रामा है । चलो ! यहाँ से निकलने की सोचो। एक काम करते है, किसी तरह नीचे गार्डन पर छलांग मार देते है । ज्यादा ऊँचा भी नहीं है । सब यही सोचकर कमरे से लगी ग्रिल की तरफ़ गए पर वहाँ पर रिया के पापा का प्रेत खड़ा है । "आ जाओ, बच्चों इधर आओ ।" वे वहाँ से भागे और नीचे देखा तो रिया की मम्मी, नौकरानी, उसका पति और वो भूत भगाने वाला बाबा सब प्रेत बनकर खड़े है । उन्हें काँटो तो खून नहीं । सबकी गहरी नीली आंखों से निकली आग उनकी तरफ बढ़ती है । उस आग से बचते हुए वह रिया के कमरे में ही आ गए और दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया ।


आज तो हम नहीं बचते । अतुल पसीना -पसीना हो चुका है । हमें हिम्मत नहीं हारनी । तेरी मम्मी हमें यहाँ फँसा के चली गई । उन्हें पता था कि हम उनका पीछा कर रहे है । विशाल ने जब यह बताया तो सब सोचने लग गए । विशाल ठीक कह रहा है । यश ने भी हामी भरी । "कुछ भी हो यहाँ से निकलना है ।" शुभु कहते हुए कमरे में इधर-उधर टहलने लगी । थोड़ी देर बाद उन्हें महसूस हुआ कि अलमारी से किसी के सांस लेने की आवाजें आ रही है । वे कमरे से भी निकलना चाहते है । मगर तभी अलमारी खुली तो अंदर से संध्या और समीर का प्रेत निकल आया । उनके मुँह खुले के खुले रह गए । वे दरवाज़ा खोलकर छत की तरफ़ भागे । छत का दरवाज़ा बंद किया । हम जितने भी दरवाज़े बंद कर ले, मौत हमारे पास आ ही जाती है । अतुल घबराता हुआ बोला । इसका मतलब समीर और संध्या भी मारे गए । यश ने सिर पर हाथ रखते हुए कहा । हम्म यार ! मुझे भी यही लगता है । एक्सीडेंट के पीछे का सच तो यह है । अतुल ने कहा । एक काम करते है, छत से कूद जाते  है । नहीं अतुल ऊँचाई ज्यादा है । हड्डी  टूट गई तो भाग भी नहीं सकेंगे और इन सभी प्रेतों का शिकार बन जायेगे ।


पता नहीं मुझे आजकल इतनी प्यास क्यों लग रही है । विशाल ने गले पर हाथ रखते हुए कहा । किसी को हमारे खून की प्यास है तो किसी को पानी की । अतुल यह कहते हुए ज़मीन पर बैठ गया । कुछ तो करना होगा । पर शुभु क्या करे ? यश ने छत से नीचे देखते हुए कहा । अतुल ने जब मुँह नीचे किया तो उसे खून के धार नज़र आई । वह ज़ोर से चिल्लाकर खड़ा हो गया । सबने देखा कि खून की धार पूरी छत पर फैल गई उनके पैरो के नीचे खून आ गया तो वे फिर शोर मचाते हुए उन्होंने छत का गेट खोला और नीचे भागे । जो पहला कमरा सामने आया, उसमे घुस गए । अंदर देखा तो उसकी आँखों को विश्वास नहीं हुआ । शुभु ने दरवाज़ा पकड़ लिया, "शुभु सम्भालो अपने आपको ।" यश ने उसे पकड़ते हुए कहा । हमने अपनी दोस्त को हमेशा के लिए खो दिया । कहते हुए शुभु रोने लगी । पंखे से लटकती रिया का यह दर्द और खौफ से भरा जीवन समाप्त हो गया । उसकी बाल बिखरे हुए। चेहरे पर चोट के निशान है, आँखें और ज़बान दोनों बाहर निकल चुकी है । "Riya is dead" । अतुल बोला । ज्यादा सोचने का वक़्त नहीं है । हमें यहाँ से निकलना होगा । विशाल के मुँह से यह सब सुन वे तीनों होश में आये ।


सब अब बाहर के दरवाज़े की ओर लपके । एक लम्बे हाथ ने अतुल की गर्दन पकड़ ली । सबने देखा तो सिर्फ़ हाथ है, कोई नहीं है । यश किचन में गया उस हाथ पर चाकू दे मारा । अतुल की पकड़  छूटते ही वह हाथ यश की तरफ़ लपका । यश और बाकी सब भागे और गेट खोलकर बाहर आ गए । गाड़ी में बैठकर भागे । उनकी गाड़ी के पीछे सभी प्रेत भाग रहे है । एक ने लम्बा हाथ कर गाड़ी को पीछे खींचना शुरू कर दिया । यश ने पूरी स्पीड से गाड़ी भगा दी। गाड़ी के पीछे का शीशा टूटा और एक प्रेत शुभु को खीचने लगा । अतुल ने प्रेत की हाथ पकड़ लिया । मगर कोई फ़ायदा नहीं हुआ । शुभु चीखने लगी । विशाल को फ़िर प्यास महसूस होने लगी । यश ने बॉक्स से नेलकटर निकाला और यश को दिया । तेज़ धार हाथ में लगते ही पकड़ ढीली हुई । यश ने गाड़ी की स्पीड इतनी बढ़ा दी कि वो फादर एंड्रू के घर के सामने ही रुके । सबने पीछे मुड़कर देखा तो कोई नहीं है । सबको राहत महसूस हुई ।


                                                                        17


सभी ने फादर एंड्रू के घर की घंटी बजाई, दो-चार बार दरवाज़ा खटखटाने पर उन्होंने दरवाज़ा खोला । फादर एंड्रू 55 -60 के आसपास है । उनकी सफ़ेद दाढ़ी और काले भूरे बाल है । आँखों का रंग भी भूरा है । सफ़ेद पोशाक पहने हुए फादर के गले में चर्च का लॉकेट है । तुम लोग कौन ? और इतनी रात को क्या कर रहे हो ? उन्होंने सवाल किया । फादर हम बहुत मुसीबत में है । प्लीज हमारी मदद कीजिये । शुभु ने विनय करते हुए कहा । फादर ने चारों को देखा और फ़िर उन सबको अंदर बुला लिया । बताओ बच्चो ? क्या बात है ? यहाँ बैठ जाओ। चारों सोफ़े पर बैठ गए । उनको ऐसा डरा और घबराया हुआ देखकर उन्होंने पानी मंगवाया । सबने उनकी ओर उम्मीद भरी नज़रों से देखा और फ़िर पानी पिया । जब उन्हें लगा कि वो बात करने की हालत में है तो शुभु ने बोलना शुरू किया । फादर कोई प्रेत या डरावनी रूह हमारे पीछे पड़ गई है । मैं कुछ समझा नहीं । खुलकर बताओ कि हुआ क्या है । अब अतुल भी बोल पड़ा और उसने शुरू से लेकर अब तक की सारी कहानी सुना दी ।


फादर एंड्रू ने चारों को गौर से देखा और सोच में पड़ गए । समझ नहीं आ रहा कि तुम लोगों से क्या कहो, तुमने पॉल एंडरसन की मदद की । उसके लिए तुम्हारी तारीफ़ करो या तुम्हारी बेवकूफी की वजह से इतने लोगों की जान चली गई उसके लिए तुम्हे डाट लगाओ । यह बोलते हुए फादर उनके सामने वाले सोफे पर बैठ गए । हमें पता है कि हमसे कोई न कोई गलती हो गई है, मगर क्या वो समझ नहीं आ रहा है। शुभु ने झिझकते हुए कहा । तुम्हें पॉल एंडरसन के यहाँ जाने से पहले मुझसे बात करनी चाहिए थी । शायद तब मैं तुम्हारी मदद कर पाता, मगर अब तो बहुत मुश्किल है । उन्होंने साफ जवाब दिया । सबका मुँह उतर गया । सब एक दूसरे की शक्ल देखने लग गए । तो क्या आप हमारे लिए कुछ नहीं कर सकते ? यश का सवाल है । देखो, जो तुम्हारे पीछे पड़ा है, वह कौन है । यह जानना जरुरी है । तभी कुछ किया जा सकता है । एंड्रू ने यह कहते हुए कोई किताब उठाई और कुछ बोलना शुरू कर दिया । उन्हें इस तरह ध्यान करते देखकर सब खामोश हो गए । मगर विशाल को प्यास लग रही है । वह किचन में पानी की तलाश में चला गया ।


थोड़ी देर बाद फादर एंड्रू ने आँखें खोली और कहा कि उसका कोई तुमसे सम्बन्ध है, जिसके चलते वह तुम्हारे पीछे है । तो इसका मतलब की सागर, अनन्या ये लोग हमारे पीछे नहीं है । अतुल ने शुभु को देखते हुए सवाल किया । नही, वो लोग तुम्हारे पीछे नहीं है। यह कोई और ही है । जो शुरू से लेकर अब तक तुम्हारे पीछे है, और तबसे है, जबसे तुम लोग इस प्रोजेक्ट से जुड़े हो । आप कहना चाहते है कि पॉल एंडरसन ने हमे कभी भी परेशान नहीं किया । हाँ, नहीं किया एंडरसन और तुम्हारे दोस्त तो उसके हाथो की कठपुतली थें । एंडरसन तो तुम्हारे ज़रिए खुद उस से छुटकारा पाना चाहते थें। तुम्हारे साथ जों कुछ हुआ या हो रहा है । वह सब वही कर रहा है । मगर वह कौन है और हमारे पीछे क्यों है ? शुभु एंड्रू की बात सुनकर बेचैन हो गई । मैं उसे बुलाने की कोशिश करता हूँ, अगर वो आया तो खुद ही बता देगा । कहकर एंड्रू ने कमरे की लाइट डिम की और अपनी किताब से देखकर कुछ पढ़ने लगे । यार ! यह विशाल कहाँ रह गया । कुआँ खोदने गया है क्या । अतुल ने इधर -उधर देखते हुए कहा । मैं देखकर आओ उसे ? यश जाने के लिए खड़ा हो गया । मगर फादर ने उसे बैठने का ईशारा किया और वो तीनों वही बैठ एकसाथ  गए। वे ध्यान से फादर को देख रहे हैं । वे बड़े ध्यान से उस किताब से कुछ बोलते हुए अपने गले के क्रॉस के लॉकेट पर हाथ रखे हुए हैं ।


पता नहीं क्या होने वाला है, अगर फ़िर कोई अनहोनी घटित हो गई तो हम लोग गए काम से । अतुल की आवाज़ में डर है। तभी फादर एंड्रू ने आंखें खोली और शुभांगी की ओर देखते हुए बोले, तुम्हारे घर में जो किताब है उसमे इस प्रेत का सच है । जाओ और जाकर वो किताब ले आओ। उसी से कोई रास्ता निकल सकेगा । सबने एंड्रू की बात सुनी और एक दूसरे का मुँह देखने लगे । ठीक है. फादर मैं लेकर आती हूँ । कहकर वो उठ खड़ी हुई । क्या हम कॉलेज की लाइब्रेरी से वो किताब नहीं ला सकते । यश ने पूछा । कहीं से भी किताब ले आओ, खतरा तो दोनों तरफ है। बस वक़्त का ध्यान रखना । कल दोपहर बारह बजे से पहले किताब ले आना । सब जाने के लिए खड़े हुए तो उन्हें विशाल की याद आई । उसे पूरे घर में खोजा पर वह कहीं नहीं मिला । फादर एंड्रू ने बस इतना ही कहा कि "तुम्हें हर किसी से सावधान रहने की ज़रूरत है और यह रख लो। यह गोल कॉइन तुम्हारी रक्षा करेगा। सबने वो कॉइन रख लिया ।


एंड्रू के घर से निकल वह सोचने लगे कि अब क्या किया जाए । सुबह के छह बज रहे है । यह अचानक से विशाल कहाँ गायब हो गया । अतुल ने इधर-उधर देखते हुए कहा । कहीं उसे कुछ हो तो नहीं गया । यश ने घबराकर कहा । मुझे उसकी चिंता हो रही है और डर भी लग रहा है । अतुल ठीक कह रहा है, पर अभी हमें वो किताब लानी होगी। तभी हम उसे बचा पाएंगे । शुभु ने अपनी बात कहीं । मैं घर जाकर किताब ले आती हूँ । नहीं शुभु, तुम अकेले नहीं जाऊँगी । जहॉ भी जाना है हम सब साथ चलेंगे । मेरी माँ मुझे कोई नुकसान नहीं पहुँचाएगी । शुभु, अभी आंटी को खुद नहीं पता कि वो क्या कर रही है । इसलिए रिस्क लेना ठीक नहीं है । यश ने उसे रोकते हुए कहा । एक काम करते है, लाइब्रेरी से ले आते है । कॉलेज की लाइब्रेरी सुबह आठ बजे खुल जाती है । वहाँ ढूँढ़नी पड़ेगी और अब पता नहीं, वहाँ वो किताब है भी या नहीं। मैं तो पहले ही वहाँ जाकर मरते-मरते बचा हूँ । अतुल गंभीर होते हुए बोला । घर ही चलते है, शुभु ने अतुल की बात सुनकर कहा। तीनों घर का सोचकर गाड़ी की तरफ़ बढ़ने लगे । गाड़ी में विशाल को बैठा देखकर वे हैरान हो गए । "तू यहाँ क्या कर रहा है?अंदर से कहाँ चला गया था ।" पता नहीं यार ! बहुत प्यास लग रही थी और अंदर कुछ अच्छा नहीं लगा रहा था इसलिए बाहर आ गया । अब चले ? सबने उसकी बात सुनी और सब गाड़ी में बैठ गये । "शुभु के घर चलना है ।" गाड़ी शुभु के घर के पास आकर रुकी । तीनों अंदर जाने को तैयार हो गए । क्यों विशाल, तू नहीं चलेगा । नहीं, मैं नहीं जा रहा । मैं गाड़ी में बैठकर तुम लोगों का इंतज़ार करता हूँ। कोई बाहर भी तुम लोगों को भगाने के लिए तैयार रहना चाहिए । ठीक है , तू यही रुक । कहकर शुभु , यश और अतुल तीनों घर के अंदर चले गए।


दरवाज़ा खुला है । शुभु की माँ खाना बनाने में लगी हुई है । "अरे ! शुभू तुम लोग आ गए । मुझे तो लगा कि तुम अभी और अपने दोस्तों के साथ घूमूंगी । अल्का ने खाने का सामान टेबल पर रखते हुए कहा । माँ आप ठीक तो है न ? हाँ, मुझे क्या हुआ है ? मैं तो बिलकुल ठीक हूँ । तुम अपने दोस्तों के साथ खाना खाने के लिए बैठो । सबने एक दूसरे का मुँह देखा पर कोई कुछ नहीं बोला । शुभु ने दोनों को ईशारा किया और वो दोनों कमरे में जाने के लिए उसके पीछे हो लिए । माँ, हम लोग मेरे रूम में जा रहे हैं । तीनों शुभु के कमरे में पहुँच गए और शुभु ने अलमारी के ऊपर से बैग निकाला । बैग के अंदर पॉल एंडरसन की किताब, वीडियो कैसेट और बाबा का एंट्री रजिस्टर है । शुभु ने पूरा बैग ही उठा लिया । बैग उठाते हुए वे नीचे आ गए । मम्मी आप खाना शुरू करो। हम सब अभी थोड़ी देर में आते हैं । कहते हुए शुभु और उसके दोस्त जाने को हुए तो एक आवाज़ सुनकर चौक गए । "ज़िंदा बचोगे तो आओंगे न" पीछे मुड़कर देखा तो अलका के चेहरे का रंग बदल गया, उसकी आंखें गहरी नीली हो चुकी है । वो इतनी डरावनी लग रही है कि उसे ऐसा देखकर तीनों के होश उड़ गए हैं । वे भागने को हुए, मगर दरवाज़े पर अल्का पहुँच गई । वे जहाँ -जहाँ भाग रहे है, वहाँ पर अल्का पहुँचती जा रही है । उसकी हँसी उन्हें और डरा रही है ।


उसने अतुल और यश को मारने के लिए हाथ लम्बे किये पर वे पीछे हो गए । मगर उसके हाथ और लम्बे होते गए । एक हाथ से उसने अतुल को पकड़ा और ज़मीन पर दे पटका । उसकी चीख निकल गई। अब उसने यश के साथ भी ऐसा किया । तभी शुभु के हाथ से बैग छीन लिया गया । बैग किचन में जलती आग पर फ़ेंक दिया गया । शुभु भागकर वहाँ पहुँची और बैग को जलने से बचाने लगी । मगर आधे से ज़्यादा बैग जल चुका है । उसने गैस की फ्लेम बंद की और बैग उठा लिया । तभी उसके हाथों ने अतुल और यश की गर्दन को पकड़ लिया । शुभु ज़ोर से चिल्लाई । "माँ इन्हें छोड़ दो ।" मगर उसकी इस आवाज़ का उस पर कोई असर नहीं हुआ । उन दोनों की आवाज़ गले में अटक गई । एक मिनट की देरी और उनकी जान जा सकती है । एकदम से उसे याद आया कि अतुल और यश की जेब में कॉइन है । उसने पीछे के पॉकेट से कॉइन निकाला और अपनी प्रेत बनी माँ के सामने ला दिया । गर्दन की पकड़ ढीली हो गई । उसने उन दोनों को छोड़ दिया पर यह क्या! अब वह बहुत गुस्से में है । वे ज़ोर से गुर्राई और उसने खुद के मुँह पर चाटे मारने शुरू कर दिए । इतने चाटे मारे कि मुँह में से खून निकलने लगा । किसी की समझ में नहीं आ रहा है कि आख़िर हो क्या रहा है । "मुझे मत मारो, "अब यह आवाज़ अल्का की है । " मेरी माँ को क्यों मार रहे हो ? उसने क्या बिगाड़ा है, तुम्हारा ।" अब अपनी माँ को खुद से पिटता देखकर शुभु आगे बढ़ी ।


"छोड़ दो, मेरी माँ को " । तभी शुभु को ज़ोर का झटका लगा, वह दीवार पर जा गिरी । यश उसकी ओर लपका । पर वो प्रेत अलका को खींचते हुए ऊपर ले गया । शुभु  उठी और उसके पीछे भागी । अतुल और यश भी पीछे हो लिए । प्रेत अल्का को छत पर ले गया । माँ ! माँ ! शुभु भाग जा यहाँ से । भाग शुभु । माँ ! नहीं मैं तुम्हे छोड़कर कही नहीं जाऊँगी । तभी अल्का के गले में रस्सी बंध गई। वह दर्द से चिल्ला रही है । "मेरी बेटी!मेरी बेटी! शुभु भाग यहाँ से " वह बोले जा रही है पर रस्सी बहुत बुरी तरह उसके गले में कसती जा रही है । फिर उस प्रेत ने जो उन्हें अभी तक नज़र नहीं आ रहा है । मगर उसके होने का  एहसास उन्हें हो गया है। उसने अल्का को हवा में ऊपर की ओर खींचा और फ़िर नीचे गिरा दिया । माँ !!! शुभु ज़ोर से बोली । अब उसकी माँ लहूलुहान हो चुकी है । माँ ! माँ ! शुभु माँ के पास गई । मगर उसने कोई जवाब नहीं दिया। उसकी आंखें खुली है। गले में रस्सी है । मगर उसकी सांसें रुक चुकी है और चारों तरफ के सन्नाटे को देखते हुए लग रहा है कि वह प्रेत अपना काम करके जा चुका है। शुभु पागलों की तरह रो रही है । यश उसे सँभालने में लगा हुआ है । अतुल की आँखों में भी आँसू आ गए । शुभु अपनी माँ के मरे हुए शरीर से लिपटते हुए बार -बार बोले जा रही है । "ये सब मेरी वजह से हुआ है । आखिर सब मेरा कसूर है । मैंने ही अपनी माँ को मार डाला है। " अतुल से यह देखा नहीं जा रहा है, वह टहलता हुआ वहाँ से हटने लगा । काश ! हम यह प्रोजेक्ट न करते तो शायद आज आंटी ज़िंदा होती । यही सब सोचते और डरते हुए उसने छत से नीचे झाँककर देखा तो विशाल अब भी गाड़ी के अंदर ही बैठा हुआ है और उसे देखकर ऐसा लग रहा है कि उसके गले में बहुत दर्द हो रहा है । उसने अपना गला पकड़ा हुआ है ।


                                                                 18.


अतुल तू एक काम कर ! तू यह बैग लेकर फादर एंड्रू के चला जा । मैं शुभु के साथ रहता हूँ । हम आंटी की अंतिम यात्रा को पूरा करते है । तू विशाल के साथ जाकर इस किस्से को भी खत्म करने की शुरुवात । यश ने शुभु को सँभालते हुए कहा । शुभांगी रोए जा रही है । अब भी उसको यहीं लगता है कि उसकी माँ जाग जाएंगी । अतुल ने यश की बात सुनी, फ़िर कुछ सोचकर बोला, "यार ! कह तो तू ठीक रहा है, मगर अपना और शुभु का ध्यान रख लियो और जल्द से जल्द वहाँ पहुँचने की कोशिश करियो । हाँ, चाहे मेरी जान चली जाये, मगर शुभु को कुछ नहीं होने दूँगा । यार ! ऐसे मत बोल,हम पहले भी मौत के मुँह से निकल आये थे, इस बार भी हम बच जायेगे । अतुल ने यश को हिम्मत बंधाते हुए कहा। ठीक है, अब टाइम ख़राब मत कर। निकल यहाँ से। यश की बात सुनकर अतुल निकल गया। यश ने शुभु को गले लगाया । फ़िर कहीं फ़ोन करने लगा। शुभु ने माँ की आँखें बंद की । गले से रस्सी निकाली और माँ का सिर अपनी गोद में रख लिया ।


अतुल ने बैग लिया । अंदर खोलकर देखा तो लगा ज़्यादा नुकसान नहीं हुआ है । वह भागता हुआ गाड़ी की तरफ़ बढ़ा। चल यार ! फादर एंड्रू के चलते है। अंदर क्या हुआ ? आंटी हमें छोड़कर चली गई । शुभु का रो-रोकर बुरा हाल है, यश उसके साथ है । थोड़ी देर में वो वहाँ पहुँच जायेगा। अतुल एक ही सांस में सब बोल गया । विशाल गाड़ी चलाते समय भी अपना हाथ गले पर रखे हुए है । पता नहीं, मुझे इतनी प्यास क्यों लगने लग जाती है । अभी इतनी बोतल पानी पी चुका हूँ । उसने ईशारा ख़ाली बोतलों की तरफ़ किया । भाई ! एक बार हम वहाँ पहुँच जाये, तब और पानी पी लियो । फिलहाल तो गाड़ी की स्पीड बढ़ा दें । तभी एक झटका सा लगा और गाड़ी रुक गई । आसपास देखा तो सड़क के किनारे एक-दो ईट-पत्थर के मकान है । यार ! यहाँ गाड़ी क्यों रोक दी । अतुल ने विशाल की ओर देखा । मैंने नहीं रोकी, रुक गई । विशाल ने गाड़ी का दरवाज़ा खोला और बाहर निकल आया । क्या यार ! अतुल ने टाइम देखा तो 10 बज चुके है । दोनों गाड़ी से बाहर खड़े हैं। विशाल ने बोनट का दरवाज़ा खोलकर इंजन चेक किया । इंजन  गरम हो गया है । वैसे भी गाड़ी कब से भाग रही है । कहीं से पानी लाना होगा । विशाल ने आसपास देखा।  दूर एक पान-बीड़ी और सिगरेट की दुकान है । इसके पास ज़रूर पानी होगा । अतुल ने दुकान को देखते हुए कहा । यह रास्ता कौन सा है ? हम यहाँ से थोड़ी न आये थे । हम यहाँ से नहीं आये थे, मगर शॉर्टकट के चक्कर में मैंने गाड़ी यहाँ घुमा ली । 


बहुत बढ़िया, अब उस दुकान पर चलते है । अतुल और विशाल दोनों दुकान की तरफ़ बढ़ने लगे । इन मकानों में कोई रहता भी या यूँ ही कोई बनाकर छोड़ गया है । हमें क्या करना है, गाड़ी शुरू हो तो हम यहाँ से निकले । विशाल ने चिढ़कर कहा । भैया ! पानी है क्या ? गाड़ी में डालना है। पीछे जो नल है, उसे भर लो । अतुल साथ लाई, खाली बोतल लेकर पानी भरने चला गया और विशाल वहीं बैठकर सिगरेट पीने लगा। अतुल के आते ही उसने बोला, तू भी कुछ खा या पी ले । चिंता मत कर, हमें देर नहीं होगी । अतुल भी सिगरेट सुलगाने लगा । अच्छा भैया, इन घरों में कोई रहता है? पता नहीं, हम तो दो महीने से ही यह छोटी सी दुकान खोलकर बैठे है । दुकान वाले ने पैसे गिनते हुए ज़वाब दिया। यार! हम यहाँ चिट-चैट करने नहीं बैठे है, कोई पिकनिक पर नहीं जा रहे हैं। चल जल्दी, अतुल ने सिगरेट को पैर के नीचे कुचला और जाने के लिए खड़ा हो गया । तू गाड़ी के पास पहुँच, मैं पानी की बोतल लेकर आता हूँ । विशाल ने दुकानवाले को पैसे दिए और 8-10 बोतल खरीद ली । तभी पान वाले के पास एक लड़की आई उसने उसे बोतल माँगी । विशाल ने उसे गौर से देखा। खुले गले का सलवार-सूट, इतना गाढ़ा मेकअप, चुन्नी गले से चिपकी हुई है । वह पसीने -पसीने हो रही है । जब उसने विशाल को अपनी तरफ़ देखते हुए देखा तो उसे पीछे चलने का ईशारा किया । पहले तो विशाल ने अतुल को देखा जो बोनेट को खोलकर उसमे पानी डाल रहा है । फ़िर उस लड़की को देखा तो उसकी नीयत ख़राब हो गई । 


वह लड़की उसका हाथ पकड़कर उसे मकान के पीछे ले गई। उसने अपनी पैंट की ज़िप खोल दी और दीवार से लड़की को टिका दिया । जैसे ही उसे लगा वह अब अपने जिस्म की प्यास बुझा सकता है तभी उसका गला जलने लगा। उसे प्यास लगने लगी । वह परे हटकर अपने साथ लाई पानी की बोतल से पानी पीने लगा । लड़की उसे एकटक घूरती जा रही है । उसके चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान है । सारी प्यास पानी से बुझाओगे या फ़िर कुछ करने का इरादा भी है । लड़की ने अपने बालों की लट को छेड़ते हुए कहा । विशाल ने बोतल खाली की और फ़िर लड़की की तरफ़ पूरे गरमजोशी के साथ देखा । अब उसे लगा कि वह ठीक है तो उसने फ़िर उसके क़रीब जाना शुरू किया। मगर दोबारा उसका गला जलने लगा। वह दुकान की ओर जाने को हुआ तो लड़की ने उसका हाथ पकड़ लिया। कहाँ जा रहे हो, पानी मेरे पास भी है । यह कहते हुए उसने पानी की बोतल विशाल के मुँह से लगा दी। कुछ सेकंड्स बाद उसने देखा कि पानी खून में बदल गया । वह खून पिए जा रहा है । उसने बोतल हटानी चाही, मगर ऐसा नहीं हुआ। लड़की ज़ोर -ज़ोर से हँसने लगी और उसकी शक्ल बदल गई । उसने झटके से बोतल अपने मुँह से हटा ली। जब उसने लड़की की तरफ देखा तो उसका चेहरा जला हुआ है। आधे जले हुए चेहरे को देखकर वह समझ गया कि यह अवनि है। वह भागने को हुआ मगर अवनि ने उसे पकड़ लिया। 


फिर उसे पकड़ कर अपने दांतो से उसके जिस्म को चूमने लगी । वह चिल्लाया, क्योंकि उसके दांत उसकी देह के अंदर तक पहुँच रहे हैं । वह पूरी तरह उस प्रेत अवनि के वश में है ।  तभी वह उसे खींचती हुई मकान के अंदर ले गई । वहाँ अतुल गाड़ी के अंदर से निकल विशाल को यहाँ -वहाँ देख रहा है।  मगर विशाल का कहीं कुछ पता नहीं । वह हारकर दुकान वाले के पास पहुँच गया । दुकान वाले से पूछने पर उसने बता दिया कि साहब किसी लड़की के साथ उस मकान के पीछे गए हैं । यार ! यह विशाल को ज़रा शर्म नहीं है । यहाँ जान पर बन आई है और वो मज़े लेने में लगा हुआ है ।  मैं जा रहा हूँ, जाये भाड़ में। यही सब सोचते हुए वो जाने को हुआ, मगर फ़िर अपनी पुरानी दोस्ती का ख्याल आते ही वह उस मकान की ओर चल दिया ।  बाहर से ही आवाज़ लगा लूंगा, आएगा तो ठीक वरना मैं निकल जाऊँगा । मकान के बाहर से उसने विशाल को आवाज़ लगाई । विशाल ! विशाल ! अंदर है तो भाई आजा। वरना में निकल जाऊँगा । अतुल ने तीन -चार बार आवाज़ लगाई मगर जवाब नहीं मिला । वह जाने को हुआ तो तभी दरवाज़ा खुल गया । वह थोड़ा सकुचाते हुआ अंदर घुसा ।  पता नहीं, किसका घर है ? कहीं भी शुरू हो जाता है । अंदर सिर्फ़ अँधेरा है । एक कमरे में रोशनी जल रही रही है । उसने फ़िर आवाज़ लगाई । विशाल ! वहाँ है, क्या ? तभी उसे कोई कमरे से निकलता हुआ दिखाई दिया । मगर अँधेरे क कारण उसका चेहरा साफ़ नज़र नहीं आया । विशाल चल यार ! ड्रामे मत कर ! बहुत देर हो रही है । "तू इधर आ जा। " जब उसने विशाल की आवाज़ सुनी तो वह झललाता हुआ उसकी ओर गया पर तब तक वह परछाई वहाँ से गायब हो चुकी है । वह रोशनी वाले कमरे की में गया । अंदर गया तो उसके होश उड़ गए । उसने देखा की नग्न अवस्था में विशाल हवा में लटका पड़ा है । उसके पूरे शरीर पर खून ही खून है । गले में रस्सी लटकी हई है । उसकी हालत देखी नहीं जा रही है।  अतुल को उलटी होने को हुई। वह कमरे में उबकाया पर सामने एक परछाई को देखकर बाहर की ओर लपका । 


मगर जाये कैसे ? हर जगह तो सिर्फ परछाई ही परछाई है । एक खुली खिड़की देखकर वो कूदने को हुआ तो उसे पीछे की तरफ ज़ोर से देखा धकेला गया। उसने देखा पर उसे कोई नज़र नहीं आया । वह महसूस कर चुका है कि कोई है जो इस घर में है । वह समझ गया कि यह सब उसी प्रेत का किया धरा है। विशाल की आवाज़ भी उसने निकाली थी । वह उठा दरवाज़े पर गया । मगर दरवाज़ा खुला नहीं । उसे फ़िर धक्का लगा । अबकी बार उसे कोई पैर से खींचता हुआ लेकर जा रहा है । उसने खुद को उसके चंगुल से छुड़ाने की बहुत कोशिश की । मगर कुछ नहीं हुआ। अब उसका दम घुट रहा है । उसका हाथ उसकी जेब में गया और उसने फादर एंड्रू का दिया कॉइन निकाला और अपने मुँह के सामने रख दिया। पकड़ अपने आप ढीली हो गई । उसकी सांस में सांस आई । वह भागा । मगर दरवाज़ा अब भी जाम है । वह खिड़की से कूदकर गाड़ी की तरफ भागा । रास्ते में उसने देखा कि दुकानवाला नहीं है । तभी उसका पैर पेड़ के तने से टकराया और वह ज़मीन पर गिर गया । जब उठकर उसने पेड़ की तरफ देखा तो दुकान का भैया पेड़ पर लटका हुआ है । उसकी जीभ बाहर निकली हुई है । उसने अपने भागने की स्पीड और दुगनी कर दी । अब तो उसने गाड़ी में बैठकर ही सांस ली । उसने गाड़ी स्टार्ट की पर हुई नहीं । उसने फ़िर कोशिश की । अबकी बार गाड़ी चल पड़ी। विशाल पता नहीं कौन से शोर्टकट से लाया था । समझ नहीं आ रहा है । वह गाड़ी को इधर -उधर घुमाता रहा और फ़िर वो मैन रोड पर आ गया । चलो ! शुक्र है । यह अपनी जानी पहचानी रोड है। आधा घंटा बचा है। मुझे जल्द से जल्द फादर एंड्रू के पास पहुंचना होगा ।

मुझे

यश, शुभु और उसके कुछ रिश्तेदारों ने अल्का का अंतिम संस्कार का कार्य संपन्न किया । सारे रिश्तेदार उसे दिलासा देते हुए चलते गए। यश ने शुभु का हाथ नहीं छोड़ा । मैं कभी भी शुभु को अकेले नहीं छोड़ सकता । वह अब मेरी ज़िम्मेदारी है । यश यह सब सोच ही रहा है, तभी उसकी नज़र घडी पर गई । अतुल और विशाल कबके वहाँ पहुँच चुके होंगे । हमें अब चलना चाहिए । यश ने शुभु से बात की, जो अब भी माँ की तस्वीर के आगे बैठकर आँसू बहा रही है । उसने उसे सहारा दिया और चलने के लिए कहा। जाने से पहले शुभु अपनी माँ के कमरे में गई । कमरे को उसने बड़े प्यार से देखा जैसे अपनी माँ को उसी कमरे में ढूँढ रही हो । तभी उसकी नज़र टेबल पर रखी पापा की तस्वीर पर गई । तस्वीर के नीचे एक डायरी है । उसने डायरी खोली तो शुरू के पन्नो पर कुछ लिखा हुआ है । हैंडराइटिंग तो माँ की लग रही है । उसने पढ़ना शुरू किया ।



 आगे के पन्नों में शुभु ने अपने बचपन के बारे में पढ़ा। किस तरह मेरी माँ ने मुझे कठिनाई से पाला और मैंने,,,,,, शुभु फ़िर सिसक- सिसक कर रो पड़ी। उसने दूसरा पन्ना पलटा और उस पर जो लिखा था उसे पढ़कर उसे विश्वास नहीं हुआ ।


"मैंने शांतनु को मना भी किया था, मगर वह मेरी बात नहीं माने और वहाँ चले गए । दुनिया की नज़रो में भले ही वो एक्सीडेंट हो पर मुझे पता है कि यह सबकुछ कोई हादसा नहीं है । फ़िर सुधीर ने मुझे जो कुछ बताया उसके हिसाब से तो शांतनु अपनी मौत नहीं मरे है। "इस डायरी को पढ़कर ऐसा ही लग रहा है कि मेरे पापा की मौत एक्सीडेंट में नहीं हुई है।"


डायरी के अगले पन्ने में सुधीर का पता है।


इसका मतलब मेरे पापा का भी मर्डर हुआ था । वह एक्सीडेंट में नहीं मरे। उसने जल्दी से यश से फ़ोन लिया और सुधीर के पत्ते की फोटो खींच ली । क्या मेरे पापा का कोई दुश्मन था या फ़िर यह जो कुछ हमारे साथ हो रहा है, उसका सम्बन्ध पापा की मौत से है। शुभु हमें निकलना चाहिए देर हो रही है । यश ने ज़ोर देते हुए कहा तो शुभु जाने के लिए खड़ी हो गई ।



                                                                     19


अतुल ने देखा कि गाड़ी का पेट्रोल ख़त्म होता जा रहा है। दो मिनट बाद गाड़ी बंद हो जाएगी। उसने आसपास देखना शुरू किया कि कहीं कोई पेट्रोल पंप दिख जाए । तभी सड़क के कोने में उसे एक पेट्रोल पंप दिखाई दिया । उसने गाड़ी वहीं रोक ली । भैया, टैंक फुल कर दो । पेट्रोल भरवाकर उसने गाड़ी फादर एंड्रू क्वे घर की तरफ़ मोड़ दीं । उसे अपनी गाड़ी में किसी के सांस लेने की आवाज़ सुनाई दी । उसने आगे वाले शीशे से पीछे देखा तो कुछ नहीं है । उसने डर के मारे गाड़ी की स्पीड और बढ़ा दी । यश का नंबर अपने फ़ोन पर देखकर उसने फ़ोन उठाया । यश तू पहुँच गया ? मैं और शुभु अभी निकले हैं । तू और विशाल पहुँच गए न ? मैं पहुँच ही रहा हूँ, बाकि बात तुझे आकर बताता हूँ। इससे पहले वो कुछ ओर बोलता उसकी गर्दन किसी ने पकड़ ली । उसके हाथों से फ़ोन छूट गया। खून से लथपथ हाथ उसकी गर्दन को दबाए जा रहे हैं। स्टेरिंग से उसकी पकड़ ढीली हो गई । उसने जैसे -तैसे गाड़ी का गेट खोला और खुद को छुड़ाने की कोशिश करने लगा । पर अब उसकी साँसे उखड़ने लगी है । उसने अपना पूरा ज़ोर लगा दिया और गाड़ी से कूद गया । कूदते ही उसकी पीठ पर चोट लगी । मगर एक मिनट भी गँवारा न करते हुए उसने भागना शुरू कर दिया और सीधे एंड्रू के घर घुसकर ही उसने दम लिया । फादर! उसने मेरी जान ही निकाल दी थीं । अगर आज आप न होते तो विशाल की तरह मैं मर ही जाता । अतुल ने उखड़ी सांसो से ज़वाब दिया ।


क्या ! विशाल मर गया ? उसने देखा कि शुभु और यश वहाँ पहले से ही मौजद है । शुभु ने फ़िर पूछा, क्या विशाल मर गया ? हाँ, अतुल ने उसे सारी बात बता दी । बोलते समय उसकी आँखों में आँसू आ गए । यश ने अतुल को संभाला । मुझे लग ही रहा था कि उस लड़के पर शैतान का साया पड़ चुका है । शैतान ! सबने एक साथ कहा । वो प्रेत आत्मा कोई साधारण आत्मा नहीं रह गई है । इतनी मौतों के बाद तो वह शैतान बन चुकी है । एंड्रू ने सबको सच से अवगत कराया । फादर, मुझे लगता है कि मेरी पापा की मौत किसी हादसे में नहीं हुई है । मैंने अपनी माँ की डायरी पढ़ी है । उन्हें यही लगता है कि उनकी मौत एक्सीडेंट में नहीं हुई है । हो सकता है, पर अभी फ़िलहाल पॉल एंडरसन की किताब पढ़कर इसे शैतान आत्मा से बचने का कोई तरीका ढूँढना है । उन्होंने किताब के पन्ने पलटने शुरू कर दिए । आधे पन्ने जल चुके है । जब आखिरी चैप्टर पर पहुँचे तो फादर ने पढ़ना शुरू किया। 


"मैंने शांतनु को कहा भी कि यह सब ठीक नहीं है । जो हो चुका है, उसे भूल जाओ । मगर वह ज़िद कर कर रहा है कि वह एक बार बात करके अपने किये की माफ़ी माँगना चाहता है । मैं पॉल एंडरसन के जीवन पर लिख रहा हूँ और कई बार उनसे मिल भी चुका हूँ । यह बात शांतनु जानता है । तभी तो वह रोज़ मेरे पास आ जाता है और मैं उसे टालने की कोशिश भी करता हूँ । मैंने अल्का को भी बताया पर वह भी उसे बहुत समझा चुकी है, मगर उसे तो जैसे पॉल एंडरसन के पास जाना ही जाना है । फादर एक मिनट रुकिए, शांतनु और अल्का मेरे मम्मी-पापा के नाम है । यह कहते ही उसने किताब उनसे ले ली और लेखक का नाम पढ़ा तो 'सुधीर सिद्धार्थ पटेल' पढ़कर वो समझ गई कि यह वहीं सुधीर है जिसके बारे में माँ की डायरी में लिखा हुआ है । क्या हुआ शुभांगी ? सब ठीक है । माँ की डायरी में यहीं नाम लिखा हुआ है 'सुधीर' । शुभांगी ने सबको बताया । वह आगे पढ़ने लगी, मगर यह क्या अधूरा और जला-जला सा पन्ना ठीक से अपनी बात कह नहीं पाया ।


बस आखिरी पन्ने के शब्द कि "उस आत्मा को पॉल एंडरसन ही वापिस भेज सकते है । उनके अलावा और कोई दूसरा रास्ता नहीं है," मगर बहुत दिनों से पॉल एंडरसन से बात भी नहीं हुई है । लोग उनके बारे में तरह-तरह की बातें कर रहे हैं कि वो अब ज़िंदा है भी या नहीं । मेरी ईश्वर से यही प्रार्थना है, वह जहाँ भी हो ठीक हों । "


आखिरी में लेखक का परिचय और किताब का नाम लिखा हुआ है । ये आधी-अधूरी जानकारी ने सच को अब भी अपने अंदर छुपा लिया । शुभु ने ध्यान से देखने की कोशिश की, मगर उसे सफलता नहीं मिली । फादर अब हम क्या करेंगे । मुझे अब समझ में आया कि उस प्रेत शैतान का ज़रूर कोई न कोई सम्बन्ध मेरे पापा से भी है । एक बार मैंने अपनी माँ को इस किताब को ढूंढ़ते हुए देखा था, शायद मेरी माँ में छुपी वो शैतान आत्मा अपनी मौत के राज़ को उजागर नहीं करना चाहती होगी । शुभांगी ने सोचते हुए अपनी बात खत्म कर दीं । इसका मतलब यह है कि हमें अब पॉल एंडरसन ही बचा सकते है, पहले हमने उनकी मदद की अब वो हमारी मदद करेंगे । अतुल ने सिर पकड़ लिया । तुम लोगों ने गलती यह कि तुम लोग वहाँ चले गए । तुम लोगों को पहले सुधीर से बात करनी चाहिए थीं या मेरे पास आते । एंड्रू ने अतुल को देखते हुए कहा । जो भी है, फादर अब बात तो मेरे परिवार से जुड़ी हुई है । मैं अब सच्चाई का पता लगाकर ही रहूँगी । शुभांगी ने अपना इरादा पक्का कर लिया । पहले हमें सुधीर से मिलना होगा । उसके बाद हम एंडरसन को मदद के लिये बुलाएंगे । एंडरसन के घर चलना होगा वो यहाँ नहीं आने वाले एंड्रू ने साफ़ शब्दों में कहा । ठीक है , पहले सुधीरजी के चलते है ।


एंड्रू अतुल, यश और शुभांगी सुधीर से मिलने के लिए निकल गए । गाड़ी शहर से दूर जा रही है । भीड़, शोर और ट्रैफिक सब पीछे छूटता जा रहा है । आगे यश और एंड्रू बैठे हुए है और पीछे शुभु और अतुल बैठे हुए हैं । शुभु अपने पापा के बारे में ही सोच रही है । अतुल का ध्यान सड़क के दोनों तरफ़ के उजड़े बियाबान जंगल की तरफ़ है । एंड्रू हर चीज को गौर से देखते जा रहे है, जैसे महसूस कर रहे हो कि कोई उनका पीछा तो नहीं कर रहा है । शाम हो गई है । यार ! भूख लगी है, कुछ खा लेते है । वरना, यही जान निकल जाएगी । अतुल की बात सुनते ही यश ने गाड़ी सड़क के किनारे रोक दी। सब बाहर निकल गए । उसने डिक्की से बैग निकाला और बिस्कुट अतुल को दिए । यार! इससे क्या होगा । सामने वो  परिवार चूल्हे पर रोटी बना रहा है , उनसे बात करते हैं । अतुल ने उस तरफ़ ईशारा किया । फादर आप चलिए न मेरे साथ । आप साथ होंगे तो डर नहीं लगेगा और मरने से बच जाऊँगा । जब मौत लिखी होगी तो कोई न कोई बहाना बन ही जायेगा । तुम्हारे पास वो कॉइन है न । बस, वही तुम्हारी रक्षा करेगा । एंड्रू ने रुखा सा जवाब दिया । अतुल यश को साथ लेकर चला गया।


फादर आपको क्या लगता है, जो शुरू से हमारे साथ हो रहा है, वह यह शैतान आत्मा कर रही है । शुभांगी, अगर यह बात तुम्हारे पापा से जुड़ी है तो ज़रूर वो शैतान तुमसे कुछ न कुछ चाहता होगा। एक बात बताओ, विशाल को किसने कहा था कि वो यह प्रोजेक्ट करें । पता नहीं फादर, हमने कुछ पूछा ही नहीं । सबको स्कॉलर्शिप चाहिए, सबको विदेश जाना है। यहीं सोचकर हमने किसी और बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया । शुभांगी ने लम्बी सांस ली ।


अतुल ने उस परिवार से पूछा, हमें कुछ खाने को मिल सकता है ? उस बूढ़े ने अपनी पत्नी को देखा और कहा, "हाँ बिलकुल मिल सकता है। उसकी पत्नी और बच्ची अंदर से दोनों के लिए खाने को कुछ ले आये । अतुल और यश ने दाल-चावल को खाना शुरू कर दिया । खाते हुए अचानक से यश की नज़रे उस आदमी की बेटी पर गई जो उन दोनों को लगातार बिना पलक झपकाए देखी जा रही है । यश को थोड़ा अज़ीब लगा । उसने अतुल को चलने के लिए धीरे से कहा । उसने थोड़ा खाना पन्नी में डाला और धन्यवाद बोलकर दोनों चलने को हुए । अरे ! बाबूजी गरीब को कुछ देते जाये । आप लोग तो बड़े घर के लगते हो । यश ने जेब में हाथ किया । यार ! मैं तो अपना पर्स गाड़ी में ही भूल गया । तू दे दे । अतुल ने अपनी जेब चेक की तो 20 रुपए निकले। बीस रुपए से क्या होगा । 100 -200 का खाना खा लिया और होटल की तरह पैक भी करवा लिया । अब बिल दे रहे हो 20 रुपया । अतुल ने वही खाना रख दिया । लो भाई, अपना खाना लो । हमारा पर्स गाड़ी में है । अगर चलना है तो साथ चलो, वरना इसी से काम चलाओ। कहकर दोनों जाने लगे । उस आदमी और उसकी बीवी ने गंडासा निकाल लिया । उन दोनों की हैरानी का ठिकाना नहीं है । तभी उसने सीटी बजाई तो दो चार लोग और आ गए ।


ओह ! बाबू यहाँ से चोर बस्ती शुरू होती है । अब जल्दी से जेब ढीली करो नहीं तो हम यही काटकर फ़ेंक देंगे । अतुल और यश 6-7 लोगों से घिर चुके है । हमने कहा है कि गाड़ी वहाँ है, तुम में से कोई हमारे साथ चलो। वहाँ से पैसे ले लेना । यश ने घबराते हुए कहा । अपनी घड़ी, लॉकेट जूते सब उतारो । दोनों एक दूसरे को देखने लगे, मगर जब उसने धमकाते हुए कहा तो दोनों ने वही करना शुरू किया । ऐ ! हरिया इसकी जेब चेक कर । दोनों की जब से एंड्रू का दिया हुआ कॉइन निकला । ये तुम्हारे किसी काम का नहीं है । यह मुझे वापिस दे दो । अतुल ने कॉइन लेते हुए कहा तो हरिया ने उसे धक्का मारा और अतुल नीचे गिर गया । अब हमें जाने दो । ठीक है, गाड़ी के पास चलो । बाकी माल भी हमें दो । हरिया इनके साथ हो लिया। आगे-आगे अतुल और यश और पीछे हरिया हाथ में गंडासा लिए। अभी वो थोड़ी दूर ही गए थे तो एक शोर से उन तीनों ने पीछे मुड़कर देखा कि उस आदमी की बेटी सबको आग में फ़ेंक रही है । यह मुनिया को क्या हो गया है, ए का कर रही है । हरिया भयभीत होते हुए बोला । पर अतुल और यश समझ गए कि मुनिया को क्या हो गया है । भाग अतुल! यश ने कहा और दोनों भागने लगे, पीछे-पीछे हरिया भी भागने लगा ।


कहाँ भाग रहे हो, तुम लोग ? हरिया उनके पीछे दौड़ रहा है। अबे ! हरिया तुझे नहीं पता कि शैतान ने तेरे सब लोगों को मार दिया है। अब जान बचानी है तो भाग यहाँ से । यश भागता हुआ कह रहा है । यार! बिना जूतों के तो भागा नहीं जा रहा है । अतुल की स्पीड धीमे हो गई । यार ! बस गाड़ी तक पहुँचने वाले है । एक ज़ोरदार वार की आवाज़ सुनकर उन्होंने मुड़कर देखा तो हरिया की उसी के गंडासे से गर्दन कट चुकी है और मारने वाली कोई नहीं बल्कि मुनिया है । उसकी आँखें गहरी नीली हो चुकी है,चेहरे का रंग लाल हो गया है । वह चिल्लाती हुई उनके पीछे पड़ गई है । दोनों तेजी से गाड़ी की तरफ़ भाग रहे है । अतुल ने चिल्लाना शुरू कर दिया । फादर एंड्रू! बचाओ । आवाज़ एंड्रू और शुभु के कानों तक पहुंची । फादर ने आंखें बंद कर कुछ बोलना शुरू किया । इतने में मुनिया दोनों के सामने आ गई उसने गंडासा चलाया ही है कि एंड्रू वहाँ आ पहुँचे । छोड़ दो बच्चों को ! एंड्रू की आवाज़ सुनकर मुनिया बनी प्रेत ने उन्हें घूरकर देखा और गंडासा उनकी तरफ फेंक दिया । मगर एंड्रू ने कॉइन निकालकर गंडासे की तरफ किया और अलग दिशा की तरफ हो गए । अब एंड्रू कॉइन लेकर उस प्रेत की तरफ़ बढ़ने लगे । उसकी आंखें अब लाल हो चुकी है । आँखों से खून बह रहा है । चेहरा काला और पीला हो चुका है । वह चीखी और बेहोश हो गई । यह क्या मर गई ? अतुल ने पूछा। नहीं लगता है, शैतान ने इसे छोड़ दिया । यश लड़की के करीब गया । उसके करीब जाते ही लड़की ने आँखें खोली और यश की गर्दन पकड़ ली । शुभु ने झटके से गंडासा उठाया और लड़की की पीठ पर वार किया । लड़की फ़िर चीखी और शांत होकर ज़मीन पर गिर पडी । एंड्रू ने कुछ बोलते हुए यश को खड़ा किया और कहा, अब चलो यहाँ से। यश, शुभु और अतुल उनके पीछे चलने लगे। यश अब सांस लेने की कोशिश कर रहा है ।


                                                                  20


यश ने गाड़ी पूरी स्पीड से दौड़ा दी। अब गाड़ी पर ब्रेक सुधीर के घर पहुँचने पर ही लगे। सबकी सांस में सांस आई। यह सुधीरजी शहर से इतनी दूर कैसे रहते होंगे । अतुल ने थकी आवाज़ के साथ कहा। सुधीर का घर पेड़-पौधों से घिरा हुआ है। बाहर लगी प्लेट पर लिखा था, 'सुधीर सिद्धार्थ पटेल', यहाँ एक अजीब सी शांति है, शुभु ने चारों ओर देखते हुए कहा । यश भी चारों और देखते हुए बोला, "मुझे तो लगता है कि यहाँ पर कोई हादसा होकर गुज़रा है। पता नहीं, हमसे मिलने तक सुधीर जी ज़िंदा भी है या नहीं? अतुल ने यश की बात को मानो ख़त्म किया। नहीं वो बिलकुल ज़िंदा है, मैं हवाओ में महसूस कर सकता हूँ । एंड्रू के चेहरे के हाव-भाव बता रहे है कि वह उस प्रेत शैतान की आहट को पहचान चुके है। सब धीरे -धीरे कदमो से उनके घर की तरफ़ बढ़ने लगे। तभी किसी की आवाज़ सुनकर वह चौंक पड़े। पीछे मुड़कर देखा तो एक पेड़ पर चील और बाज़ दोनों बैठे हैं । इन दोनों पक्षियो को कभी साथ नहीं देखा जाता । बड़े -बड़े गमलो से ढका यह दरवाज़ा। दरवाज़ा काफ़ी पुराना है। बाहर की कुण्डी पर जंग लगा हुआ है । उन्होंने घंटी बजाई पर किसी ने दरवाज़ा नहीं खोला। बार-बार घंटी बजाई पर अब भी दरवाज़ा बंद है ।

एक काम करते है, हाथ से दरवाज़ा खटखटाते है। पता नहीं, अंदर कोई है भी या नहीं । अतुल ने जवाब जानने के लिए सबको देखा तो फादर एंड्रू ने हाँ में सिर हिला दिया । तीनों यहीं सोच रहे है कि कहीं इस बार भी वह निराश न हो जाए । अतुल ने ज़ोर से दरवाज़ा खटखटाया, अब जाकर दरवाज़ा खुला तो सामने देखा कि अधेड़ उम्र से ज़्यादा का आदमी कुरता -पजामा पहने हुए खड़ा है। चेहरे पर सफ़ेद दाढ़ी है । आँखों में मोटी लेंस का चश्मा है । शारीरिक संरचना से दुबले-पतले है ।

"आप लोग कौन ?"

"नमस्ते अंकल! क्या हम अंदर आ सकते हैं?" शुभु ने हाथ जोड़कर पूछा।

पहले तो वो कुछ देर खामोश रहे, मगर फ़िर उन्होंने सिर हिला दिया ।

चारों अंदर आ गए । अंदर से घर साधारण है । ज्यादा चीज़े नहीं है । उन्होंने उन्हें सोफे पर बैठने का ईशारा किया । पानी लाने के लिए घर के घेरलू नौकर को बोला और अब उनकी तरफ़ देखकर बोले, "आप लोग कौन और यहाँ कैसे ? "

"अंकल मेरा नाम शुभांगी है । मैं अल्का और शांतनु की बेटी हूँ ।" शुभु ने थोड़ा धीरे से कहा ।

'अल्का और शांतनु' का नाम सुनते ही उनकी आँखें बड़ी हो गई । उनके चेहरे के हाव-भाव बदल गए । वह एकदम उठ खड़े हुए । नौकर पानी रखकर चला गया । तभी उन्होंने गहरी सांस ली और सोचकर बोले, "सोचा नहीं था कि तुमसे कभी मुलाकात होगी । मैं तो यह सोच रहा था कि खैर ! छोड़ो !" उन्होंने बात वहीं ख़त्म कर दी । "बताए न आप क्या सोच रहे थें ?" शुभु ने ज़ोर देकर पूछा।

"कुछ नहीं, बस यहीं कि तुम लोग यह शहर छोड़कर जा चुके होंगे ।"

"हम कहाँ जाते ? हमारा तो कोई ख़ास रिश्तेदार भी नहीं है ।" शुभु ने उनकी बात का जवाब दिया ।

क्यों तुम्हारे नाना -नानी अब नहीं है ?

नाना-नानी ? मम्मी ने कभी उनका ज़िक्र नहीं किया। कहाँ कि जब मैं छोटी थी, वो लोग तभी मेरे मामा के साथ दुबई चले गए थे और मैंने कभी मम्मी को उनसे बात करते नहीं देखा ।

सुधीर ने फ़िर कुछ सोचा और बोले,"यहाँ क्या करने आई हो ? और ये सब लोग ?"

"जी, यह यश, अतुल और फादर एंड्रू।" शुभु ने सबका परिचय कराया ।

सुधीर ने एक निगाह सब पर डाली, मगर तुम यहाँ क्या करने आई हो ।

मुझे पता चला है कि मेरे पापा किसी एक्सीडेंट में नहीं मरे बल्कि उन्हें शायद,,,,,, वह बोलते हुए चुप हो गई ।

"ये सब अपनी माँ से पूछो, उसके लिए यहाँ आने की ज़रूरत नहीं थीं ।" सुधीर सोफे से उठ खड़े हो गए । शुभु ने उनका ऐसा व्यवहार देखा तो बोल पड़ी, मेरी माँ अब नहीं रही। मरने के बाद उनकी डायरी देखी और आपकी पॉल एंडरसन पर लिखी किताब पढ़ी इसलिए यहाँ चले आए ।"

पॉल एंडरसन का नाम सुनते ही उन्हें इतना धक्का पहुँचा कि वह फ़िर सोफे पर बैठ गए।

"जिस बात को तुम्हारी माँ ने नहीं बताया तो उसे मैं कैसे बता सकता हूँ । तुम भी अब अपने जीवन के बारे में सोचो और आगे बढ़ो । पीछे जाने का कोई फायदा नहीं है।|" वह मुँह फेरकर खिड़की की तरफ देखने लगे ।

ज़िंदा बचेंगे तो आगे बढ़ेंगे न यह आवाज़ एंड्रू की है । ये बच्चे बहुत मुसीबत में है और कितने लोग अपनी जान गँवा चुके है और यह बच्ची शुभु बड़ी उम्मीद लेकर आपके पास आई है । इसका पूरा हक़ बनता है कि वो जाने सच क्या है ।

सुधीर ने फादर एंड्रू की तरफ़ देखकर पूछा, "आप इन लोगों के साथ क्यों आये हैं ?"

यश ने कहा, "मैं बताता हूँ ।" यह कहकर यश ने पूरी बात सुधीर को बता दी । सारी बात सुनकर सुधीर का गला सूखने लगा, उन्होंने टेबल पर रखा पानी का गिलास उठाया और बिना रुके सारा पानी पी गए।

"सच बड़ा कड़वा होता है, शुभांगी" सुधीर ने उसे देखते हुए कहा ।

"इतने अपनों को खोने के बाद, अब क्या थूको और क्या निगलो ? सब एक सा है, अंकल । आप बिना किसी संकोच के मुझे सब बताए । "

"ठीक है, फ़िर सुनो !"

"बात बाइस-तेइस साल पुरानी है । अब तो मैं साल गिनना भी भूल गया हूँ ।" उन्होंने लम्बी सांस लेते हुए कहा । फ़िर आगे बोलना शुरू किया ।'"तुम्हारे पापा शांतनु और मैं अच्छे दोस्त हुआ करते थे । कॉलेज के दिनों से साथ थें । मुझे लिखने का शौक था, मैंने इसी को अपना प्रोफेशन बना लिया और तुम्हारे पापा बिज़नेस से अच्छा कमा रहे थें । दोनों अपनी ज़िन्दगी में ऐसे व्यस्त हुए कि काफी लम्बे समय तक तो हमारी कोई बात या मुलाकात नहीं हुई । फ़िर एक दिन शांतनु की शादी का कार्ड मिला और मैं अपनी बीवी को लेकर उसकी शादी में गया । वहाँ जाकर पता चला कि तुम्हारे पापा की लव मैरिज हो रही है । मुझे आज भी वो दिन याद है उसने मुझे देखकर गले लगा लिया था और खुश होते हुए अपनी बीवी से मिलवाया था। ........ सुधीर की आँखों के सामने बाइस-तेइस साल पुरानी तस्वीरें ज़िंदा हो गई । मानो वह उसी गुज़रे हुए वक़्त में चले गए हो । उनके होठ बोल रहे है, मगर उनके प्राण शांतनु की शादी में पहुँच गए है।

"आखिर तू आ ही गया मेरी शादी में, अगर न आता तो अपनी दोस्ती खत्म थी, समझ ।" शांतनु ने सुधीर को गले लगाते हुए कहा ।

"कैसे नहीं आता यार ! मेरी शादी तो दूसरे शहर में अचानक हो गई ।" मैं तुझे बुला नहीं पाया । सुधीर ने सफ़ाई दी।

कोई नहीं, तू अपनी मैडम को साथ लाया न ? 'नमस्ते भाभी ' शांतनु ने हँसते हुए कहा ।

सुधीर की बीवी ने मुस्कुराकर नमस्ते का जवाब दिया । चल, अपनी वाली से मिलवाता हूँ । यह कहकर शान्तनु उसे खींचकर ले गए और वह थोड़ी देर में एक प्यारी सी लड़की जो दुल्हन के जोड़े में खड़ी शर्मा रही है, हाथ जोड़कर बोली, 'नमस्ते' इन्होने आपके बारे में बताया था ।

"क्यों यार ! मेरी क्या चुगली कर रहा था ।" सुधीर ने कोनी मारते हुए पूछा । "कुछ नहीं, मैं तो इसे बता रहा था कि मेरी ज़िन्दगी में एक पागल सिरफिरा राइटर भी है।" शांतनु अब दुल्हन की तरफ देखकर बोला, "सुधीर इनसे मिल यह है, मेरी ज़िन्दगी, मेरा इकलौता प्यार 'नूरा'।

नूरा सचमुच बेहद खूबसूरत है । गहरी नीली आँखें, गोल चेहरा कोई देखे तो देखता रह जाए । "भाभी, आपने कहाँ से इस लंगूर को पकड़ लिया।" सुधीर ने व्यंग्य किया । नूरा हँसते हुए बोली, "अब दिल आया गधे पर तो परा क्या चीज़ है ।" सुनकर तीनों हँसने लगे ।

सुधीर अब भी बोले जा रहे है और सब उनकी बातें ध्यान से सुन रहे हैं, पर शुभु को समझ नहीं आ रहा है कि सुधीर कहना क्या चाह रहे हैं, वह तो यही समझती आई है कि उसकी माँ ही शांतनु की पत्नी है । सुधीर ने शुभु के चेहरे को पढ़ लिया और कहने लगे, "सुनती जाओ, शुभांगी तुम्हे तुम्हारे हर सवाल का जवाब मिल जायेगा ।"

"दिन बीतते गए, शांतनु और नूरा दोनों अपनी शादीशुदा ज़िन्दगी में खुश थें। मैं और मेरी पत्नी अंजू हम दोनों उन लोगों से मिलते रहते । कभी-कभार एक दूसरे के घर जाना भी हो जाता था । मैंने देखा था, शांतनु नूरा पर जान छिड़कता था । नूरा भी यही चाहती थी कि शांतनु उसके सिवाय किसी और को नहीं देखे । शादी के कुछ महीने बाद शांतनु ने बताया कि वो पिता बनने वाला है । दोनों इस नन्हे मेहमान के आने का इंतज़ार करने लगे । नूरा को डॉक्टर ने कम्पलीट बेडरेस्ट बोल दिया था। उसकी देखभाल के लिए शांतनु की माँ ने गॉंव से एक लड़की भेजी ताकि ठीक-ठाक से बच्चे की डिलीवरी हो जाये । शुरू में सब कुछ ठीक रहा था, पर एक दिन शांतनु मेरे पास आया और वो बहुत ही परेशां था ।

थोड़ी देर सुधीर शांत रहे और फिर अतीत का वो पन्ना खोले लगे । जिसके बारे में शुभु ने सोचा भी नहीं होगा ।

"क्या बात है, शांतनु ? बताता क्यों नहीं ? चार चाय पी चुका है । बता न, यार! क्या बात है ? नूरा भाभी तो ठीक है ?"

हाँ , वो ठीक है, अब तो बच्चे का जन्म भी नज़दीक है" कहते हुए शांतनु रुक गए ?

"जब सबकुछ ठीक है ? फ़िर क्या परेशानी है ?"

मेरे बहुत कहने पर शांतनु ने मुझे बताना शुरू किया ।

"यार ! वो लड़की जिसे माँ ने भेजा था ।"

अच्छा वो, जिसे पढ़ने का बड़ा शौक है और तू उसे शायद पढ़ा भी रहा है ।

"हाँ, वही यार ! मुझे पता ही नहीं चला कि कब वो मेरे इतने करीब आ गई कि हम अपनी मर्यादा भूल बैठे और अब तो कई बार एक दूसरे के साथ सम्बन्ध बना चुके हैं ।" कहते हुए शांतनु रुक गया । उसके चेहरे पर पछतावा साफ़ नज़र आ रहा है । यह सुनते ही सुधीर के चेहरे का रंग फीका पड़ गया । उसने अपने लफ्ज़ो को ढूंढ़कर कहना शुरू किया । "यार ! यह तो ठीक नहीं हुआ । तू नूरा भाभी से इतना प्यार करता था और ये सब क्या है ?" सुधीर की आवाज़ में गुस्सा है ।

"मैं नूरा से अब भी बहुत प्यार करता हूँ और हमेशा करूँगा । बस मेरे कदम बहक गए या यूँ कह ले मैं कमज़ोर पड़ गया। नूरा बेड से उठती नहीं है। प्रेगनेंसी के कारण थोड़ी चिड़चड़ी भी हो गई है । उसके तुनक मिज़ाज़ रैवये के कारण दूरी आ गई थी । तब उस लड़की ने मुझसे थोड़ी हमदर्दी दिखाई और फ़िर".,,,,,,कहते हुए वो रुक गया । |"यार ! यह नार्मल होता है, इससे दूरिया नहीं आनी चाहिए । हाँ, मुझे पता है अब क्या करो ?"

"करना क्या है, उस लड़की को वापिस भेज दे । बात यहीं ख़त्म हो जायेगी । मैं भी कुछ नहीं कहूँगा ।" सुधीर ने शांतनु के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा।

कुछ दिन बाद मैं शांतनु से मिलने गया । मैंने देखा कि नूरा भाभी और शांतनु दोनों खिलखिलाकर हंस रहे थें । मुझे तसल्ली हुई कि सबकुछ ठीक है । वैसे नूरा की हँसी सबसे अलग थी । वह जब हँसती थी तो पूरा घर हँसता था ।

अतुल को रिया और शुभु की माँ की हँसी याद आ गई । याद करते ही वह काँप गया ।

सुधीर ने फिर बोलना शुरू किया । "मुझे शांतनु ने बताया कि सब ठीक है, मैंने उसे वापिस गॉंव भेज दिया है ।" अब यह राज़ तुम्हें कभी भी नूरा को नहीं बताना ।" मैंने उससे कह दिया कि "मैं कभी भी नूरा को कुछ नहीं कहूंगा ।" मैं होने वाले बच्चे की बधाई देकर घर लौट आया ।

एक दिन मुझे नूरा का फ़ोन आया । फ़ोन पर वो रोये जा रही थी ।

"सुधीर आप जानते थे कि शांतनु मुझसे बेवफाई कर रहे हैं,. फ़िर भी आपने मुझे कभी नहीं बताया ।" मैं यह सुनकर सकते में आ गया । मैंने उसे बहुत समझाया पर वह नहीं मानी और उसने फ़ोन काट दिया। मैंने शांतनु को फ़ोन किया तो उसने बताया कि वो नूरा को लेकर हॉस्पिटल जा रहा है क्योंकि मुझसे बात करने के बाद वो बेहोश हो गई थीं।

मैं भी हॉस्पिटल पहुँचा । "शांतनु! क्या हुआ यार ?

"नूरा को सब पता चल गया । उस लड़की के माँ-बाप घर आये थे । उसे हमारे घर छोड़कर चले गए । उन्होंने ही नूरा को सब बता दिया ।" यह कहते हुए वह रोया जा रहा है । "तू रो मत, सब ठीक हो जायेगा । उस लड़की की शादी करवा देंगे । नूरा भाभी से मैं बात करूँगा ।" मैंने उसे दिलासा देते हुए कहा । "वो लड़की माँ बनने वाली है ।" शांतनु ने मेरी आँखों में देखते हुए बताया ।

तब मुझे लगा कि सचमुच शांतनु की ज़िन्दगी में कोई तूफान आ गया है ।"जानती हो, शुभांगी वो लड़की कौन थी ? सुधीर ने शुभु को देखते हुए कहा। "तुम्हारी माँ अल्का ।"


   'अल्का' नाम सुनकर शुभांगी को ज़्यादा हैरानी नहीं हुई क्योंकि कहीं न कहीं वो समझ गई थी कि उसकी माँ इस कहानी की मुख्य किरदार नहीं है, मगर फ़िर भी इस सच को सुनकर उसे सदमा लगा । क्या सचमुच वह किसी पुरुष के कदम बहकने का नतीज़ा है । उसकी आँखों में पानी देखकर सुधीर बोले, "तुम्हें उदास होने की ज़रूरत नहीं है । तुम्हारा जन्म तो विधाता की होनी है ।" शुभु कुछ नहीं बोली । कुछ देर तक कमरे में सन्नाटा रहा। फ़िर सुधीर ने शुभु की तरफ दोबारा देखा तो उसने हाँ में अपनी डबडबाई आँखें झपका दी ।

नूरा को तो डॉक्टर ने बचा लिया पर उसका बच्चा नहीं बचा पाए । वह बिलकुल टूट गई थी । उसने शांतनु से बात करना बंद कर दिया । वह माँ-बाप के पास जाना नहीं चाहती थी और शांतनु के साथ रह नहीं सकती थीं । इस गम ने उस बिलकुल बेजान कर दिया था । मैंने तुम्हारे पिता के कहने पर अल्का को उसी शहर में किराए पर एक कमरा दिलवा दिया । उसके रहने, खाने-पीने का सारा इंतज़ाम शांतनु के जिम्मे आ गया था । ये सब कहते हुए शांतनु ने एक बार शुभु पर नज़र डाली उसकी आँखों में अब भी नमी है । तुम्हारे पापा ने सोच लिया था कि वह अल्का को कहेंगे कि वो अपना बच्चा गिरा दे । फ़िर जब एक दिन डॉक्टर ने शांतनु को बताया कि अब अगर नूरा माँ बनेगी तो उसकी जान चली जाएगी तो उसने डॉक्टर की यह बात मुझ बताई। पहले तो मुझे खुद कुछ समझ नहीं आ रहा था । मगर फ़िर हालात को ध्यान में रखते हुए मैंने नूरा से बात की । उसे समझाया कि वह अल्का के बच्चे को अपना ले और हम बाद में उसकी शादी किसी और से करवा देंगे । अब उसकी हालत दोबारा माँ बनने जैसी नहीं है । पहले तो वह बहुत रोई-चिल्लाई मगर अपनी कमज़ोरी जानकर उसने हालात के आगे घुटने टेक दिए ।

अब तुम्हारे पापा अल्का को अपने घर ले आए ताकि वह उनकी नज़रो के सामने रहे और वह उसका और उसके बच्चे का ख्याल रख सके । क्योंकि अब यह बच्चा शांतनु और नूरा का होने वाला था । तुम सुन रही हो न शुभु ! ? सुधीर ने धीमी आवाज़ में पूछा । हाँ, अंकल में सुन रही हूँ और समझ भी रही हूँ । शुभांगी ने अब अपने आँसू पौंछ लिए । अल्का को देखभाल और तवज़्ज़ो की ज़रूरत थी, जों शांतनु दे रहा था । नूरा उससे नहीं बोलती और अल्का उससे बात करते हुए कतराती थीं । शांतनु को अल्का के करीब देखकर नूरा को बहुत बुरा लगता। जब उससे उनकी नजदीकियाँ देखी नहीं गई तो उसने शांतनु को कह ही दिया---

अल्का:: शांतनु तुम उस लड़की को घर से निकालो । मुझे अपनी जान की परवाह नहीं है ।

शांतनु ::: तुम कैसी बातें करती हो नूरा, मैं तुम्हे खो नहीं सकता । एक बार बच्चा पैदा हो जाए फिर मैं वादा करता हूँ उसे कहीं दूर भेज दूंगा ।

नूरा :::: तुम मुझे खो चुके हो, मुझसे कोई उम्मीद मत रखना। बस मैं अपना बच्चा देखना चाहती हूँ । इसकी वजह से तुम्हारे साथ हूँ । वरना इस भरी दुनिया में कोई आसरा तो मुझे मिल ही जाता । कहकर वह रोने लगी ।

शांतनु :: वो बच्चा भी तो हमारा ही होगा । शांतनु ने उसे चुप कराने की कोशिश की ।

नूरा:: मुझे उससे नफरत है और उसकी संतान से भी नफरत ही होगी। सुना! तुमने, मैं अब तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ कि तुम उसे यहाँ से निकालो । कहकर नूरा ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी।

शांतनु ::: ठीक है, मैं तुम्हे खो नहीं सकता । यह कहकर शांतनु ने उसे गले लगाना चाहा, मगर नूरा ने उसे पीछे धकेल दिया ।

शांतनु ने अल्का से कहा तो वह भी रोने लगी और उसने भी शांतनु के आगे हाथ जोड़ दिए । शांतनु सच में अपनी करनी का फल भोग रहा था । वह एक जंजाल में खुद को फंसा महसूस कर रहा था । उसने नूरा को बताया कि बच्चा गिराने के बाद वह अल्का को शहर से दूर छोड़ आया है।

शांतनु , क्या वो लड़की तुम्हें भूल जाएगी या तुम उसे भूल जाओगे? बताओ ज़वाब दो ।

नूरा तुम मुझे कुछ कहने का मौका तो दो, मैं हमेशा से ही तुम्हारा था और तुम्हारा रहूँगा। अब वो यहाँ से चली गई है। इसलिए सबकुछ भूलकर हम नई शुरुआत करते हैं । तुम चाहो तो हम कोई बच्चा गोद ले लेंगे । फ़िर तुम जैसा कहोगीं, मैं वैसा ही करूँगा। शांतनु नूरा के पैरों में गिरकर गिड़गिड़ाने लग गया । ठीक है, जैसी तुम्हारी मर्ज़ी ।


तो क्या मेरे पापा मेरी माँ को दूर छोड़ आए और मेरा क्या हुआ ? शुभांगी ने सुधीर से पूछा ।

ज़िन्दगी अगर हमारे हिसाब से चलने लग जाये तो हमें उससे कोई शिकायत नहीं होगी । इसलिए आगे भी सुनती जाओ शुभांगी । सुधीर ने फ़िर बोलना शुरू किया ।

शान्तनु तुम्हारी माँ को शहर से दूर अपने फार्महाउस में छोड़ आया । जिसक बारे में नूरा को भी नहीं पता था। शांतनु उसकी हर बात मानता, उसे खुश रखने की पूरी कोशिश करता । नूरा को लगने लगा था कि अल्का उसकी ज़िन्दगी से दूर चली गई है । शायद तभी वह थोड़ा अच्छा महसूस करने लगी थी । फ़िर वह दिन आया जिसके बारे में हममें से किसी ने नहीं सोचा था । एक दिन शान्तनु जब शाम को घर लौटा तो उसने देखा कि. ;;;;; सुधीर कहते हुए चुप हो गए ।

अंकल क्या देखा? यह आवाज़ अतुल की है । नूरा ने पंखे से लटककर खुद को फाँसी लगा ली थीं और मरने से पहले उसने लिखा था "मुझे सब पता चल गया है । अब मैं तुम्हारे साथ नहीं रह सकती और तुम्हें कभी माफ़ भी नहीं करूंगी । अब जाओ, तुम आज़ाद हो ।

उन्हें क्या पता चल गया था ? सुधीर ने अतुल की तरफ देखते हुए कहा "यही कि शांतनु ने उससे झूठ बोला, वह अल्का को छोड़ने के बाद भी उससे संपर्क में था । एक बार शांतनु के लिए अल्का की दाई का फ़ोन आया था, जिसने उसे अल्का की देखभाल के लिए रखा था। उसने नूरा को सब बता दिया था और जिस डॉक्टर के बारे में उसने नूरा को बताया था, वह दरसअल नूरा की कोई परिचित थी । उसी ने बताया कि शांतनु किसी बच्चे को गिराने के लिए कभी उसके पास आया ही नही था । इसका मतलब शुभांगी तुम्हारा अस्तित्व ख़त्म नहीं हुआ था।

सब खामोश थे । मगर सुधीर अब भी बोले जा रहे हैं । नूरा के जाने के बाद तो शांतनु बिलकुल टूट गया । मेरे कहने पर वो अल्का को घर ले आया । मगर उसने उससे शादी नहीं की । वह नूरा की आत्मा को दुःखी नहीं करना चाहता था । जब तुम पूरे दो साल की थी, तब शांतनु मुझसे मिलने आया और मैंने बातों-बातो में उससे पॉल एंडरसन के बारे में बता दिया । तब से वो उनसे मिलने की ज़िद करने लगा । वह नूरा से एक बार बात करना चाहता था, उससे अपने किये का बहुत पछतावा था । मैंने उसे मना कर दिया, मगर वह नहीं माना । मैंने तुम्हारी माँ से भी बात की पर वो भी उसे समझा नहीं पाई । आख़िर मुझे उसकी ज़िद के आगे झुकना पड़ा ।

मैं उसे लेकर पॉल एंडरसन के पास पहुँच गया । पॉल एंडरसन ने उसकी हालत देखी, उन्हें उस पर तरस आ गया । उन्होंने नूरा को बुलाने की शुरुवात की तो नूरा ने बात करने से मना कर दिया । पॉल एंडरसन ने तब शांतनु को कहा भी कि वो चला जाये । कुछ कर्मो की कोई माफ़ी नहीं होती है। चाहे दिल टूटने की आवाज़ न हो, मगर उसका दर्द मरते दम तक नहीं जाता है । पर तुम्हारे पापा पॉल एंडरसन के आगे हाथ जोड़ने लगे, तब बहुत कोशिशों के बाद उन्होंने नूरा को बुला ही लिया ।

इसका मतलब मेरे पापा पॉल एंडरसन के पास गये थे । यह सुनते ही अतुल ने अपने साथ लाए बैग से रजिस्टर खोलकर देखा तो शुरू के पन्नो में शांतनु का नाम लिखा था, उसने शुभु को दिखाया । तो क्या मेरे पापा की नूरा से बात हुई थीं।

हाँ हुई थी । वो दृश्य भी सुधीर के सामने आ गया ।

शांतनु :: मुझे माफ़ कर दो नूरा । तुम्हें खुदखुशी नहीं करनी चाहिए थी । हम साथ रहते तो सब ठीक कर लेते ।

नूरा::::: मैं तुमसे नफरत करती हूँ । माफ़ी की उम्मीद मत रखना, जाओ यहाँ से । नूरा की चीख पूरे कमरे में फैल गई ।

पॉल एंडरसन :: नूरा, माय चाइल्ड माफ़ करना आत्मा और मन को शांति देना है ।

तभी कमरे की कुर्सी हवा में उछली और ज़मीन पर आ गिरी । सारा सामान इधर से उधर होने लगा ।

आप लोग जाओ, वो यहाँ आ गई है । मैं इसे वापिस भेजता हूँ । सुधीर ने शांतनु का हाथ पकड़ उसे जाने के लिए उठाया । मगर वह नूरा! नूरा! कर रहा था । नूरा ! नूरा ! मेरे पास आओ । पॉल एंडरसन कुछ न कुछ बोले जा रहे हैं । तभी सबकुछ शांत हो गया । क्या वो चली गई? सुधीर ने पॉल एंडरसन से पूछा ।

मैंने उसे अभी यही रोक लिया है । आप जाए यहाँ से । यह कहते हुए उन्होंने अपना कॉन्फेशन बॉक्स बंद कर दिया ।

सुधीर ने शांतनु को खींचा मगर वो कॉन्फेशन बॉक्स की तरफ गया और उसने एकदम से गेट खोल दिया । फ़िर वैसी ही हलचल शुरू हो गई और एकदम सन्नाटा ।

यह अच्छा नहीं हुआ । आज तक कभी ऐसा नही हुआ था । अब पता नहीं क्या होगा । फिलहाल तो मैं इसे वापिस भेजने की तैयारी करता हूँ । आप निकले यहाँ से। यह कहकर वह किताब में कुछ खोजने लग गए । तभी सुधीर शांतनु को बाहर ले आया । खुश ! कर लिया पागलपन । तुझे कहा था कि रहने दे । बेकार की ज़िद मत कर । देखा ! क्या हुआ । भूल जा नूरा को और अपने नए परिवार पर ध्यान दे । तभी फ़ोन की घंटी बजी । हाँ, अंजू ठीक है, मैं आ रहा हूँ । तू गाड़ी लेकर घर पहुँच । शालू को एडमिट करना पड़ रहा है । मैं यहाँ से टैक्सी लेकर हॉस्पिटल के लिए निकलता हूँ । तो मेरे साथ चल, मैं भी तेरी बेटी को देखने हॉस्पिटल चलूँगा । शांतनु ने कहा । नहीं , अंजू अपने मायके में है । यहाँ से उल्टा रास्ता पड़ेगा । तू घर निकल । यह सुनकर शांतनु गाड़ी में बैठ गए और सुधीर ने टैक्सी ले ली ।

शांतनु कुछ दूर चला ही था कि उसका एक्सीडेंट हो गया । पुलिस ने बताया था ," गाड़ी में कोई खराबी नहीं थीं ।"

मगर वो एक्सीडेंट नहीं था, मेरी माँ की डायरी में यह लिखा था । शुभु बीच में बोल पड़ी । उस एक्सीडेंट के कुछ दिनों बाद मेरी पॉल एंडरसन से बात हुई थी । उन्होंने मुझे बताया कि शांतनु का एक्सीडेंट कोई दुर्घटना नहीं है, उन्हें लगता था कि नूरा ने उन्हें मारा है । फ़िर कुछ दिनों बाद पॉल एंडरसन भी कहीं चले गए । मैंने तुम्हारी रोती -बिलखती माँ को यह सच्चाई बता दी थी। सबकुछ तो शांतनु ने नूरा के नाम कर रखा था । बड़ी मुश्किल से कुछ प्रॉपर्टी किराए पर चढ़ाकर तुम्हारे जीवन यापन का प्रबंध करके मैं अपने परिवार के साथ अमेरिका चला गया । मैंने तुम्हारी माँ को कहा भी था, वो अपने माँ-बाप के पास चली जाए ।

अब तो मेरी पत्नी ब्रेन ट्यूमर की वजह से हमेशा के लिए' मुझे छोड़कर जा चुकी है । एक बेटी है, उसकी शादी मैंने वही कर दी । और फिर मैं वापिस भारत आ गया । कहकर शांतनु खिड़की के पास रखी कुर्सी पर ऐसे बैठे मानो कोई सफर करके आये हो और बहुत थक गए हो ।


क्या मेरे पापा मुझसे प्यार करते थे ? शुभु ने पूछा ।

बिल्कुल करते थे। इन सब में तुम्हारी क्या गलती है। पर नूरा से भी वो बहुत प्यार करते थे । इसी प्यार के चलते उन्होंने अपनी जान गवा दी । क्योंकि मुझे हमेशा से ही लगता था कि अगर वो पॉल एंडरसन के पास जाने की ज़िद न करते तो आज मैं उनसे मिल रहा होता । मगर अब क्या कर सकते हैं । सुधीर की पलके भी गीली हो गई । फादर एंड्रू भी अब बोल पड़े, इसका मतलब नूरा ही वो शैतान प्रेत है, जो तुम लोगों के पीछे है और कितने लोगो को मार चुकी है। सुनते ही सुधीर खड़े हो गये । आप कहना क्या चाहते हैं? अतुल ने उन्हें पूरी बात बता दी । यह सब सुनते ही सुधीर जमीन पर गिरते-गिरते बचे और सिर पकड़कर बोले, यह तो बहुत बुरा हुआ। इसका मतलब गुज़रा वक़्त आज वर्तमान पर हावी हो रहा है। हमने आपकी किताब में पड़ा था कि पॉल एंडरसन ही उसे वापिस भेज सकते हैं । हम लोग पॉल एंडरसन के घर जा रहे हैं । मेरी किताब जब पढ़ ली थी तो यहाँ क्यों आए ? हम सिर्फ शुरू और आखिरी का पन्ना ही पढ़ पाए । बाकि तो जल गई थीं । मुझे पता था कि पॉल एंडरसन ही उसे वापिस भेज सकते हैं । इसलिए मैंने किताब में इस बात का ज़िक्र किया। सुधीर ने गहरी सांस ली ।

हमारे पास ज्यादा वक़्त नहीं है, हमें अब यहाँ से जाना होगा । फादर एंड्रू ने सबको देखते हुए कहा । अतुल ने बैग संभाल लिया । अंकल आप चाहे तो हमारे साथ आप चल सकते हैं, शुभु ने यह कहा तो सुधीर उसके कंधे पर हाथ रखकर बोले, "नहीं बेटा, तुम जाओ । मैं यही ठीक हूँ । नफरत की आग सब कुछ राख कर देती हैं । इसलिए अपना ध्यान रखना । शुभु ने कुछ नहीं कहा । वे सब उन्हें अलविदा कर बाहर निकलने ही वाले थें कि सुधीर के मुँह से निकला नूरा !!!! और सब चौंककर उनकी तरफ देखने लगे।


                                                                  22


सुधीर की आँखों को यकीन नहीं आ रहा है कि वह नूरा को सामने' देख रहा है । उसके हाथ-पैर काँपने लग गए। उसकी जबान लड़खड़ाने लग गई । नूरा का नूर से भी ज्यादा चेहरा चमक रहा है, उसकी वही गहरी नीली आंखें जिसे शांतनु देखते नहीं थकता था । नूरा ने सुधीर को देखा और देखते ही देखते उसके चेहरे' का रंग' बदल गया । काले रंग ने उसके चेहरे के नूर को ढक लिया । वह पहले ज़ोर से दहाड़ी, फ़िर उसने सुधीर को घूरकर देखा और तभी सुधीर के मुँह से एक चीख निकली । उन्होंने अपनी गर्दन पर हाथ रखा जैसे उनकी कोई गर्दन दबा रहा हो । यश, शुभांगी, अतुल भागकर सुधीर की तरफ दौड़े। मगर नूरा पहले ही सुधीर को हवा में खींचकर उसे ऊपर लगे पंखे पर टांग चुकी थीं । अंकल! तीनों के तीनों चिल्लाये, मगर तब तक बहुत देर हो चुकी है। सुधीर के प्राण हवा में ही निकल गए । उसकी जीभ बाहर आ गई। सुधीर हवा में लटका हुआ है । सबने आज नूरा की झलक देख ही ली । शुभांगी को विश्वास नहीं हो रहा है कि उसके जीवन से जुड़ा यह अतीत कितना भयानक और जानलेवा हो सकता है। नूरा ने सब पर एक नज़र डाली उनके साथ खड़े फादर एंड्रू को भी देखा और एकदम से गायब हो गई । बाहर पेड़ पर बैठे चील और बाज़ दोनों एक आवाज़ सुनाकर साथ ही उड़ गए । बाहर एकदम सन्नाटा है। शुभांगी के आँसू निकल आए । अब तो उसके बीते हुए कल का आखिरी किरदार भी हमेशा के लिए चला गया है । यश से शुभु की हालत देखी नहीं गई, उसने रोती हुई शुभु को गले लगा लिया । फादर एंड्रू ने उन लोगों को चलने के लिए कहा ।

अब चलो यहाँ से, अब भी हम खतरे से अलग नहीं हुए हैं । अतुल ने एंड्रू की बात सुनी तो यश के कंधे पर हाथ रख, उन्हें चलने के लिए कहा। उनके देखते ही देखते सुधीर की लाश टुकड़े-टुकड़े होकर फर्श पर बिखर गई । इनकी कितनी भयानक मौत हुई है, सचमुच वह गुस्से और बदले की आग में जल रही है । फादर एंड्रू के मुँह से यह शब्द सुनकर वे तीनों डर से काँप गए । वे बड़े भारी कदमो से बाहर की तरफ़ निकले । और अपनी गाड़ी की तरफ चलने लगे। पेड़ पर बैठे पंछी उन्हें घूरकर देख रहे हैं । पक्षियो को भी हम पर दया आ रही है । अतुल उनकी तरफ देखकर बोला । ये सब पक्षी मर चुके हैं, यह तो उस शैतान प्रेत को पल -पल की खबर देने वाले उसके ग़ुलाम है। फादर एंड्रू ने अपनी बात खत्म की तो अतुल और बाकी सब के सब हैरानी से उन्हें देखने लगे और बिना समय गवाएं गाड़ी में बैठ गए और अतुल ने गाड़ी चला दी ।

अब गाड़ी पॉल एंडरसन के घर की तरफ जा रही है । रास्ते में अतुल ने पूछा, "अगर पॉल एंडरसन भी उस प्रेत को वापिस न भेज पाए तो हमारा क्या होगा?" फादर एंड्रू ने गहरी साँस ली और कहा, "जो आदमी उसको यहाँ बुला सकता है, वो उसे वापिस भेज भी सकता है । ज़रूर नूरा को वापिस भेजने की प्रक्रिया में ही उनकी मौत हुई होगी। अतुल को फादर एंड्रू की बात सुनकर तसल्ली हुई, मगर शुभांगी अब भी अपने अतीत के बारे में सोच रही है । कभी सोचा नहीं था कि मेरी ज़िन्दगी में ऐसा कोई राज़ होगा । मेरे मम्मी-पापा एकसाथ होकर भी कभी साथ नहीं थें । शुभांगी यह सोचते ही फफक का रो पड़ी । जो होना होता है, वो होकर ही रहता है । यश ने उसके आँसू पौछते हुए कहा । यश ठीक कह रहा है, वह तो इंतज़ार कर रही थी कि कब वो बदला ले। और जब तुम लोग पॉल एंडरसन से जुड़े तो उसके आने का रास्ता खुल गया । फादर एंड्रू ने गाड़ी में लगे शीशे में देखते हुए कहा । थोड़ी देर बाद गाड़ी पॉल एंडरसन के घर के बाहर रुक गई है । वही जगह, वही घर और वहीं बड़ा सा पेड़ -पौधों से घिरा ऑउटहॉउस, जहाँ वे पहले रुके थे । शुभु और अतुल को लगा जैसे उनकी नज़रो के सामने वहीं बीते हुए वो भयानक पल आ गए है । दोनों एक दूसरे का मुँह देखने लगे । अब पॉल एंडरसन के घर के बाहर कोई बैठा नहीं है। अतुल ऑउट हॉउस की तरफ मुड़ा तो फादर ने पूछा, "वहाँ क्यों जा रहे हो ?" "क्या हम सीधे पॉल एंडरसन के घर जायेगे? पहले कुछ देर यहाँ रुक जाते हैं । अभी-अभी तो एक मौत देखकर आए हैं।" अतुल ने घबराते हुए कहा।

"भागना किसी चीज का हल नहीं है , फ़िर भी तुम्हारा मन है तो तुम वहाँ पर रुक जाओ, ।" फादर एंड्रू ने बड़े ही शांत भाव से कहा । अतुल क्यों परेशान हो रहा है ? कोई बात है तो मुझे अभी बता दे । क्या तेरे मन में कुछ चल रहा है ? अतुल ने शुभु की बात सुनी और उसे देखते हुए कहने लगा, " यार ! शुभु मुझे मरना नहीं है। पहले लगता था कि पॉल एंडरसन का किस्सा खत्म नहीं हुआ, मगर अब वो नूरा का सुनकर मुझे लग रहा है कि इस सब में मेरी क्या गलती है? तुम लोग उस प्रेत को रोको। मैं यहाँ से वापिस अपने मम्मी-पापा के पास निकल जाऊँगा । अतुल एक ही सांस में बोल गया। यश ने अतुल को देखते हुए कहा, "इसका मतलब तू दोस्ती तोड़ रहा है?" नहीं यार ! बस मैं इन सबसे छुटकारा पाना चाहता हूँ । अतुल ने उसकी तरफ़ देखते हुए कहा । ठीक है, अतुल तुम सही हो । तुम चाहो तो यहाँ से जा सकते हो। शुभु ने अपने आँसू छुपाते हुए कहा । फादर ने अपनी जेब में रखा आखिरी कॉइन अतुल को देते हुए कहा कि "यह लो, इसे रखो अपने पास । सूरज ढलने से पहले ही इस शहर से बहुत दूर निकल जाना और शहर के अंदर कहीं भी मत रुकना । प्यास लगे, तब भी गाड़ी कहीं मत रोकना। क्योंकि शहर की ये सीमाएं उसके वश में है, अगर शहर से निकल गए तो बचने की पूरी उम्मीद है।

अतुल ने शुभु को गले लगा लिया । यार ! शुभु मुझे गलत मत समझियो, मैं तुझे ऐसे नहीं छोड़ना चाहता । पर मुझे माफ़ कर दें शुभु। क्या यार ! दोस्त भी बोल रहा है और माफ़ी भी मांग रहा है। मेरा कोई हक़ नहीं बनता कि में तेरी ज़िन्दगी को खतरे में डालो । उसने गले लगे अतुल को अपने से अलग करते हुए कहा । अपना ख्याल रखियो, जैसे फादर एंड्रू ने कहा है, वैसा ही करियो, समझा । अब जा, तुझे यहाँ रुकने की कोई ज़रूरत नहीं है। अतुल ने एक बार सबको देखा और अपनी भीगी पलकों से गाड़ी की तरफ़ जाने लगा । तभी शुभु ने उसे आवाज देते हुए कहा, "सुन अतुल ! रुक । वह रुका और उसने पीछे मुड़कर देखा तो शुभांगी ने यश का हाथ पकड़ते हुए कहा, "यश को भी अपने साथ लेता जा । यश ने शुभु को देखा और बोला, "तुम्हें लगता है, मैं तुम्हें छोड़कर कहीं जाऊँगा । प्यार अपनी जगह है, मगर जिन्दा रहोंगे तो ज़िन्दगी में कुछ कर पाओगे । शुभु ने उसे समझाते हुए कहा । नहीं, तुम्हारे बिना तो ज़िंदा रहने का सवाल ही नहीं है । अगर साथ होगा तो तुम्हारा ही होगा । देखो ! यश तीन-चार दिन बाद रिजल्ट आने वाला है । तुम्हारे सामने पूरी ज़िन्दगी पड़ी है । यह मेरा सफर है, इसे मुझे अकेले तय करने दो । शुभु ने तेज आवाज़ में कहकर अपना मुँह मोड़ लिया । इस सफर में तुम्हे किसी हमसफ़र की ज़रूरत है । यश ने प्यार से शुभु को अपनी तरफ मोड़ा और उसकी आँखों में देखते हुए कहा । अतुल तू जा यार, मुझे यकीन है कि हम तीनों फ़िर ज़रूर मिलेंगे । यश की बात सुनकर सबके चेहरे पर मुस्कान आ गई और अतुल ने सबको हाथ हिलाते हुए अलविदा कहा ।

थोड़ी देर में वह आँखों से ओझल हो गया । अब एंड्रू, शुभु और यश पॉल एंडरसन के घर की ओर बढ़ने लगे । अंदर अँधेरा ही अँधेरा है । यश ने लाइट जला दी । पहले की तरह सभी सामान अपनी जगह रखा था, वो कन्फेशन बॉक्स भी वहीं अपनी जगह पर है । एंड्रू ने पूरे घर को देखा, वहाँ की हर चीज उन्हें अपनी ओर खींच रही है । धूल-मिट्टी से सारा घर का सामान सना हुआ है । यश ने दीवार की ओर देखकर पूछा," यह है , पॉल एंडरसन?" "हाँ, यही है ।" यश ने शुभु की आवाज में दर्द महसूस किया । यश बाथरूम ढूंढ़ता हुआ जब ऊपर गया तो एक कमरे की तरफ़ उसकी नज़र गई । उसने थोड़ा झिझकते हुए दरवाज़ा खोला तो उसकी चीख निकल गई । उसकी आवाज़ सुनकर दोनों ऊपर पहुँचे तो देखा कि पंखे पर एक आदमी लटका पड़ा है । शुभु उसे पहचानते हुए बोली, यह तो इस घर की रखवाली करने वाला वॉचमन है। तीनों ने उसकी लाश को देखा और फादर एंड्रू ने उन्हें नीचे चलने की तरफ़ ईशारा किया।

अब सबसे पहले हमें पॉल एंडरसन को बुलाना पड़ेगा । पर वो हमारे बुलाने पर आएंगे? शुभु ने पूछा । आना तो चाहिए, वैसे भी नूरा को वापिस भेजने की जिम्मेदारी पॉल एंडरसन की है । फादर एंड्रू ने उनकी तस्वीर को देखते हुए कहा । फादर एंड्रू ने कमरे की लाइट्स को बंद कर एक टेबल पर चार-पाँच मोमबतियाँ जला दी । पूरे कमरे में अँधेरा है और रौशनी सिर्फ उस टेबल के आस-पास ही है । उन्होंने अपने गले में पड़े क्रॉस को छूते हुए पॉल एंडरसन को बुलाने की प्रक्रिया शुरू कर दी । वह पॉल एंडरसन को लगातार बुलाने में लगे हुए है, शुभु यश को और यश फादर एंड्रू को देख रहा है । कमरे में कुछ आवाजें आनी शुरू हो गई है। डर के कारण शुभु ने यश का हाथ पकड़ लिया । उन्होंने देखा कि कन्फेशन बॉक्स का दरवाज़ा अपने आप बंद - खुल रहा है । शुभु और यश का ध्यान वही चला गया । यश का दिल कह रहा है कि वो फादर एंड्रू को आवाज लगाए मगर वो आँखें बंद करके सिर्फ पॉल एंडरसन को बुलाने में लगे हुए हैं । तभी उन्हें महसूस होने लगा कि कमरे में कोई है । मगर कौन ? एंडरसन या नूरा ?

दोनों ने डरते हुए मुड़कर देखा तो एक काली सी परछाई उनके पीछे खड़ी है । वे वहाँ से हटकर एंड्रू के पीछे आ गए । तभी एक दीवार पर लटक रहा पुराना और आधा टूटा झूमर उनकी तरफ़ आने लगा । वे ज़ोर से चीखे फादर ! मगर एंड्रू ने अपनी आँख नहीं खोली । झूमर उनके ऊपर गिरता इससे पहले वे एक तरफ हट गए । इस तरह घर का सामान भी हवा में तैरता हुआ उनकी तरफ़ बढ़ने लगा । धार वाला कोई औज़ार यश और शुभु की तरफ़ आने लगा तो यश शुभु का हाथ पकड़कर भागने लगा । भागते हुए वह ऊपर की तरफ गए तो वॉचमन का प्रेत उन्हें मारने दौड़ा । यश और शुभु ने वहाँ रखी पुरानी घड़ी को उसकी ओर फेंका । इतने में शुभु और यश किचन में घुसे तो शुभु लाइटर खोजने लगी । उसने एक लकड़ी तोड़ी और आग लगाकर उनकी तरफ़ बढ़ते हुए वॉचमैन पर फेंकी । वह चिल्लाता हुआ गायब हो गया । अच्छा हुआ, यहाँ से अतुल चला गया । शुभु ने राहत की सांस लेते हए कहा । तुम घबराओ मत शुभु, हम भी यहाँ से बचकर निकलेंगे । यह कहते हुए उसने शुभु को गले लगा लिया ।

नीचे चलते है, शुभु ने यश का हाथ पकड़ा और उसे नीचे की तरफ ले गई । मगर सीढ़ियों में पहुँचते ही यश को हवा में खींच लिया गया । वह ज़ोर से चिल्लाने लगी । यश भी हवा में तैरता हुआ चिल्लाया जा रहा है । तभी फादर एंड्रू की आँख खुल गई । उन्होंने अपने गले के क्रॉस को पकड़ यश की तरफ़ किया और यश ज़मीन पर आ गिरा। "यश तुम ठीक हो ? " यह पूछते हुए शुभु यश की तरफ दौड़ी और यश की उठने में मदद करने लगी । एंडरसन आ गये क्या? उनके आने से पहले नूरा यहाँ पहुँच गई है । एंड्रू ने शुभु की बात का ज़वाब दिया।


23


अतुल अपने ही रो में बहता हुआ गाड़ी चला रहा है । वह खिड़की से देखता है तो अब उसे रास्ते में पेड़ और हरियाली नज़र नहीं आते । उसे आबादी दिखनी शुरू हो चुकी हैं । वह जल्द से जल्द अपने माँ-पिता के पास रुड़की पहुँचना चाहता है । एक बार वो वहाँ पहुँच जायेगा तो उसकी जान में जान आ जाएगी । फ़िर तीन बाद तो रिजल्ट आने ही वाला है, उसके बाद उसकी ज़िन्दगी का नया सफ़र शुरू हो जायेगा । काश ! विशाल, रिया, शुभु और यश सब साथ होते तो ज़िन्दगी का मज़ा ही कुछ और होता । यही सब सोचता हुआ, वह तेज़ गति से गाड़ी चला रहा है । उसने तभी महसूस किया कि उसे प्यास लगी है । उसने पास रखी पानी की बोतल उठाई और पानी पीकर फ़िर गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी । । यार ! भूख भी बहुत लगी है, मगर उसे फादर एंड्रू के शब्द याद आ रहे है कि "कहीं भी गाड़ी मत रोकना ।" उसके सामने से खाने-पीने की कितनी दुकाने निकल चुकी है । उसका मन तो कर रहा है कि दो मिनट गाड़ी रोककर वह फटाफट कुछ खरीद लेगा और गाड़ी में बैठकर ही खा लेगा । ऐसा ख्याल आते ही उसने गाड़ी रोक दी । उसने गाड़ी के अंदर बैठे हुए ही कुछ स्नैक्स खरीदने चाहे । उसने जेब में हाथ मारा तो उसके वॉलेट में मात्र 50 रुपए है । उसने देखा कि करीब आधे घंटे बाद पेट्रोल भी ख़त्म हो जायेगा । पेट्रोल की पेमेंट वो कार्ड से  कर देगा । यहीं ध्यान में रखते हुए उसने एक पानी की बोतल और खाने का सामान खरीद लिया । अब खाने के लिए तो कहीं न कहीं गाड़ी को किनारे लगाना ही पड़ेगा । उसने एक किनारे गाड़ी रोकी और ख़रीदा हुआ बर्गर, पेट्टी खाना शुरू कर दिया । खाते हुए उसने अपना फ़ोन देखा तो अभी शाम के 5 बजे है । बस एक घंटे में वो इस शहर से निकल जायेगा । 

उसने जल्दी-जल्दी खाया और फ़िर गाड़ी चलानी शुरू कर दी । अब अपनी बोरियत दूर करने के लिए उसने रेडियो चला लिया । रेडियो में बज रहे गाने की धुन को वह खुद भी गुनगुनाने लगा । तभी गाना बजना बंद हो गया तो उसने चैनल बदला, उस पर कोई तीन -चार लोग बात कर रहे हैं । उसने सुनने की कोशिश की तो उसे याद आया कि ये बातें तो उन लोगों ने पॉल एंडरसन के घर पर की थीं । वह घबरा गया उसने गाड़ी के ब्रेक मारे और मुड़कर पीछे की सीट पर देखा तो कोई नहीं है । उसने गाड़ी की स्पीड तेज़ कर दी और फ़िर पेट्रोल कम होता देखकर उसने गाड़ी पेट्रोल पंप के पास रोक दी । क्या मेरे कानो को कोई वहम हो गया था या सचमुच में मैंने ऐसा कुछ सुना था। उसने पेट्रोल वाले को अपना कार्ड दिया तो वह काम नहीं कर रहा है, उसे गाड़ी से उतरना पड़ा । उसने दूसरा कार्ड दिया तो वह भी नहीं चल रहा है । उसने हारकर पेट्रोल भरने वाले वर्कर से कहा, "भाई, पता नहीं कार्ड को क्या हो गया है, तू मुझे अपना नंबर दे दें, मैं घर पहुँचते ही तुझे पैसे ट्रांसफर कर दूँगा ।" 1000 रुपए का पेट्रोल डलवा लिया, अब पैसे देने के समय नाटक कर रहा है, हमें भी तो जवाब देना पड़ता है । उसने खुद को टटोला तो उसके पास कुछ नहीं है, जिसे वह देकर अपनी जान छुड़ा सके । उसने फ़िर कोशिश की, तू मेरा फ़ोन नंबर ले ले, मैं पक्का पैसे वापिस दे दूंगा । अतुल की आवाज़ सुनकर दो-चार वर्कर और आ गए उन्होंने भी अतुल से पैसे देने के लिए ज़ोर डालना शुरू कर दिया। ठीक है, तुम लोग गाड़ी से पेट्रोल निकाल लो और मेरी जान छोड़ो, अतुल ने चिढ़कर कहा । 

तेरे बाप का पेट्रोल पंप है क्या, साले ! तुम लोग, पहले मस्ती करने के लिए गाड़ी घुमाघुमाकर लड़कीबाजी करते हो, उसके बाद पैसे देने के टाइम ड्रामा करते हो, तेरी तो। वह वर्कर चिल्लाकर बोला। " ओह! संभलकर बोल, मैं आराम से बात कर रहा हूँ, अपनी औकात में रह, अब तो अतुल को भी गुस्सा आ गया । हमें बताएगा औकात ठहर साले, अभी तुझे बताते है, यह कहते ही सबने मिलकर उसे पीटना शुरू कर दिया । अतुल ने भी जवाब देने की पूरी कोशिश की। मगर वे चार लोग उस अकेले पर हावी हो गए । वे उसे घेरकर बुरी तरह मारने लगे । उसने शोर मचाया, मगर आसपास कोई होता तो आता । तभी एक वर्कर ने कोई नुकीली चीज़ से अतुल की पीठ पर वार कर दिया । वह लड़खड़ाता हुआ ज़मीन पर गिर गया । उसने देखा कि चारो की आँखों में खून उतर आया है, वे उसे जान से मारकर यहाँ फ़ेंक भी देंगे तो भी किसी को कुछ पता नहीं चलेगा । मार-पीट में उसकी जेब से वो कॉइन निकल गया । वह कॉइन लेने के लिए लपका तो एक वर्कर ने उसके पैर खींच लिए, क्यों बे ! कहाँ भाग रहा है, आज तो तेरा किस्सा ख़त्म ही कर देंगे । उसने देखा चारों वर्कर की आँखों का रंग बदल गया है। वे तीनो अब इंसानी रूह वाले प्रतीत नहीं हो रहे हैं, उनमे अलग ही शक्ति आ चुकी है । जो अतुल की जान लेने पर तुली हैं । अतुल की साँसे उखड़ने लगी, उसे लगने लगा वह अब मर ही जायेगा। वह किसी तरह खुद को बचाता हुआ कॉइन तक पहुँचा, उसके हाथ में कॉइन देखते ही वे चारों रुक गए। उसने खुद को खड़ा किया । जैसे-तैसे उठकर वह गाड़ी में बैठा और गाड़ी वहाँ से निकाल ली । मगर अब उसमें वो हिम्मत नहीं है कि वो ड्राइव कर सकें । उसकी हालत काफ़ी नाज़ुक है, उसने गाड़ी सड़क के बीचो-बीच रोक दी । अँधेरा हो चुका है । अब तो यहाँ से जाने की आस भी ख़त्म समझो । काश ! मैं शुभु को अकेला छोड़कर नहीं आता, वही रह जाता । पर अब अगर उसे कोई लिफ्ट मिल जाए तो वह यहाँ से निकल सकता है । किसी तरह उसने गाड़ी सड़क के किनारे लगाई और खुद बाहर आकर वह गुज़रती हुई गाड़ियों को हाथ देने लगा । 

कुछ देर गाड़ियों को हाथ देने के बाद एक गाड़ी आकर रुकी, उसमे एक लड़का और लड़की बैठे हुए है । अरे ! आपकी हालत तो काफ़ी ख़राब आपको हॉस्पिटल छोड़ दे ? लड़के ने पूछा । आप फिलहाल मुझे इस शहर के बाहर पहुँचा दे, मैं फ़िर अपने लिए कोई डॉक्टर देख लूँगा । अतुल ने दयनीय स्वर में कहा । लड़की ने उस लड़के को ईशारा किया और उसने सहारा देकर अतुल को गाड़ी में बैठा लिया । अतुल पीछे वाली सीट पर लेट गया । उन्होंने गाड़ी चला दी । आप घबराइए मत, कुछ ही देर में हम यहाँ से बाहर होंगे । लड़के ने शीशे में देखते हुए कहा, आपकी यह हालत किसने की ? लड़की ने पूछा । किसी से मारपीट हो गई थीं । बड़ी बुरी तरह मारा है , आपने पुलिस में कंप्लेंट नहीं की? उन दोनों ने सवाल किया । वो सब छोड़िये, अनजान शहर में क्या इन सबमें पड़ो । अतुल दर्द से कराह रहा है, उसकी हालत ऐसी नहीं है कि वो अब ज्यादा बोल सके, वह चुप हो गया । गाड़ी अपनी स्पीड से भागी जा रही है । अँधेरा बढ़ता जा रहा है। थोड़ी देर तक तो गाड़ी में कोई कुछ नहीं बोला, फ़िर थोड़ी देर बाद उसने ही हिम्मत करके पूछा कि कहाँ पहुँच गए? लड़के ने धीमी आवाज़ में जवाब दिया, आप आराम करे, जैसे ही गाड़ी रुकेगी, हम आपको बता देंगे। अतुल ने यह सुनकर तसल्ली से आँखें बंद कर ली । तभी जब गाड़ी रुकी तो उसकी आँख भी खुल गई। क्या हम पहुँच गए ? नहीं, हमने गाड़ी किसी केमिस्ट के पास रोक दी है। आपकी ऐसी हालत हमसे देखी नहीं जा रही है । कुछ फर्स्ट ऐड ले लेते हैं । लड़की ने जवाब दिया । इसकी कोई ज़रूरत नहीं है । अतुल अब भी कराह रहा है । कराहते हुए उसने अपना हाथ जेब में डाला तो उसे याद आया कि वो कॉइन तो वहीं गाड़ी में भूल आया है। उसकी तकलीफ और बढ़ गई । हो सकता है, खतरा अब टल गया हो, ये लोग सही लग रहे हैं । क्या पता कि वो पहुँचने ही वाला हो।  

तभी लड़का एक मेडिसिन और पानी की बोतल लेकर गाड़ी में आया और उसने गोली पकड़ाते हुए अतुल को कहा, ये ले लीजिये, यह एक पैन किलर है, थोड़ा दर्द तो कम होगा । अतुल ने पहले तो मना किया, मगर जब दोनों ज़िद करने लगे तो उसने अपने जख्मी हाथों से गोली पकड़ ली और ले ली । पानी पीने की बाद उसने उन्हें थैंक्यू कहा । मैं आप लोगों को कभी नहीं भूल पाऊँगा । आपने मेरी बहुत मदद की है। अपना नाम तो बतायें, कभी ज़िन्दगी में दोबारा मिलना हुआ तो शायद मैं भी आपके कुछ काम आ पाओ। अतुल ने कराहते हुए कहा । अतुल को लगने लगा कि दवाई का असर हो रहा है । उसकी पलके भारी होने लगी है। कहीं उसे नींद आ गई तो उसने जबरदस्ती अपनी आंखें खोलनी चाही । मेरा नाम विशाल और मेरा रिया । इतना सुनते ही अतुल काँपने लगा और वो लोग ज़ोर से हँसे और उनकी डरावनी हँसी को सुनते ही अतुल को नींद ने अपने आगोश में ले लिया । उनकी हँसी उसके कानों में गूंज रही है । मगर उसकी चेतना ख़त्म हो चुकी है । अतुल को समझ आ गया कि यह उसका आखिरी सफर है । 

करीब आधा घंटे बाद अतुल की आंख खुली तो गाड़ी में कोई नहीं है । गाड़ी खाली पड़ी हुई है । उसे याद आया कि आखिरी शब्द उसने रिया और विशाल सुने थें । वह घबराता हुआ गाड़ी से निकला और जब उसने देखा तो उसके होश ही गुम हो गये । अतुल लौटकर पॉल एंडरसन के घर के बाहर पहुँच गया है । उसने अंदर से चीख सुनी तो वह अपने घायल शरीर को खींचता हुआ अंदर आ गया । अंदर आकर उसने देखा कि कोई नहीं है । उसने आवाज लगाई शुभु! यश ! फादर एंड्रू ! थोड़ी देर तक ऎसे ही चिल्लाता रहा और धम्म से ज़मीन पर गिर गया। शुभांगी ने अतुल की आवाज़ सुनी तो कहने लगी, यह तो अतुल है, वह तीनो एक कमरे में खुद को बंद कर पॉल एंडरसन को बुलाने में लगे हुए हैं। नहीं शुभु, अतुल तो नहीं हो सकता, वह तो कबका अपने घर पहुँच गया होगा । हो सकता है, वह वापिस आ गया हो । चलो! चलकर देखते है, शुभु ने कहा । फादर एंड्रू अब भी एंडरसन को बुलाने में लगे हुए हैं । दोनों भागकर ऊपर वाले कमरे से नीचे आ गए तो अतुल को ऐसे घायल देखकर उसकी ओर भागे। अतुल ने दोनों को देखा और कहने लगा शुभु! यश ! यार मैं नहीं जा पाया, मुझे बचा लो यार ! इतना सुनते ही अतुल को किसी ने खींचा और हवा में लटका दिया । अतुल की आँखों का रंग बदल गया । वह डरावनी हँसी हँसने लगा, उसने फिर कहा, शुभु मुझे बचाओ ! उसकी आवाज़ में दर्द है । जैसे रिया की आवाज़ में था। वह चीखी अतुल! , अतुल! अतुल ! यश भी चिल्लाया । मगर तभी उसकी साँसे रुक गई और वह ऊपर लगे झूमर में लटक गया । उसका चेहरा सफ़ेद पड़ गया और उसका पूरा शरीर एक कंकाल की तरह दुबला हो गया । वह तभी नीचे गिरा और शुभु का रोना फूट पड़ा । दोनों मरे हुए अतुल की तरफ बढ़े । अतुल ! वह ज़ोर -ज़ोर से रोने लगी । यश की आँखों में भी आँसू आ गए।  

शुभु तभी अचानक रोते हुए चीखी, क्यों मेरे सारे अपनों को तुमने मार डाला, तुम्हे जान ही लेनी है तो मेरी ले लो । यश ने उसे संभाला । तभी उन्हें सामने हवा में लटकती नूरा दिखाई दी, नूरा उन्हें घूर रही है । नूरा की ऑंखें गहरी नीली हो चुकी हैं । उसने गुस्से से दोनों को देखा, दोनों बुरी तरह डर गए और फ़िर उसने वहीं झूमर दोनों की तरफ़ फेंका, यश ने शुभु को खींचा और उठाते हुए ऊपर एंड्रू के कमरे की तरफ़ ले गया। मगर एंड्रू का कमरे का दरवाज़ा बंद है । नूरा उनके पीछे वहाँ भी आ गई । उसने शुभु को हवा में खींचा तो यश ने उसे पकड़ लिया । उसने यश का सिर दरवाज़े पर दे मारा और शुभु ज़ोर से चिल्लायी यश ! । वह संभलकर उठा । अब एक बड़ा सा हाथ यश की तरफ आया और तभी एंड्रू का दरवाज़ा खुल गया और अंदर एक रोशनी दिखने लगी । एंडरसन आ गए ! एंड्रू की आवाज़ सुनते ही हाथ गायब हो गया । वे दोनों जल्दी से उठकर कमरे में आ गए । 


                                                                      24


कमरे में रोशनी का प्रकाश फैला हुआ है । धीरे-धीरे एक आकृति उन तीनों के सामने आ गई । यश और शुभु को यकीन नहीं हो रहा है कि वो पॉल एंडरसन को देख रहे हैं, शुभु की आँखों में आँसू आ गए । आपके होने का एहसास तो हमें पहले भी हो चुका है । मगर पहले तो आपने हमें डरा दिया था, शुभु ने उनको देखकर कहा । पॉल एंडरसन ने शुभु को देखा, उनकी आँखों में एक अनोखा तेज़ है । चेहरे पर अदम्य शांति है । उनके बालों की सफेदी उनके अनुभव को दर्शा रही है । एंडरसन ने बोलना शुरू किया, "मैं सही मायने में तो अब आया हूँ । पहले तो मेरी आत्मा बंधक बनी हुई थीं ।" फादर हम कुछ समझे नहीं ? यश का सवाल है । तब एकदम अचानक शुभु से भी रहा नहीं गया और वो भी बोल पड़ी । आप मुझे मेरी पापा शांतनु के बारे में बता सकते हैं? एंडरसन ने दोनों को देखा, फ़िर एक नज़र एंड्रू पर डाली और बोले, तुम्हारे पापा के कहने पर नूरा को बुलाया गया था । वह उससे अपनी किए गुनाह का कॉन्फेशन करके माफी की उम्मीद रख रहे थे, मगर वो तो नफरत और बदले की आग में जल रही थी, और अब भी अशांत है । क्या आपको भी.;;;;;;? बोलते-बोलते यश रुक गया । जब शांतनु यहाँ से चले गए तो मैंने उसे वापिस भेजने की कोशिश करनी शुरू कर दी । मगर उसने तो सबसे पहले तुम्हारे पापा की ही जान ले ली । वह एक मौत से शक्तिशाली हो गई थीं । उसने मुझे परेशान करना शुरू कर दिया था, मैंने उसे वापिस भेजने के लिए खुद को एक कमरे में बंद कर लिया था, लोगों को लगा मैं गायब हो गया हूँ । मुझे अब भी वो दिन याद है, जब मैं उसे वापिस भेजने वाला था, उसने शैतान की मदद से मुझे मारकर मेरी आत्मा को बंधक बना लिया और लोगों ने मेरी देह को दफना दिया था । पर मेरी आत्मा उसकी कैद में थी इसलिए मेरे शरीर को दफनाने की बाद भी चैन नहीं लेने दिया गया । मैं रोज़ तड़पता और पुकार करता कि कोई मुझे संस्कार करके मुक्ति दे दें। क्योंकि जब तक मेरा शरीर अग्नि में सम्मलित नहीं होता । तब तक मैं ऐसे ही गुलाम बनकर तड़पता रहता । फ़िर मैंने उम्मीद छोड़ दी और लोगों को पुकारना बंद कर दिया । जो मेरे कंकालों को हाथ लगाता, उन्हें वो शैतान मार डालता ।

कितने साल बीत गए, फिर एक दिन तुम्हारा दोस्त विशाल यहाँ आया और मेरे बारे में खोजबीन करने लगा । तब नूरा को अपना बदला लेने का रास्ता मिल गया। उसने मेरी बंधक आत्मा को तुम्हारे पीछे लगा दिया । वे शैतान के साथ मिलकर तुम्हें मार डालती, मगर तुमने मुझे उसे मुक्ति दिला दी । क्या ? विशाल यहाँ पहले आया था? शुभु हैरान हो गई । मगर उसने कभी नहीं बताया । शुभु को फादर की बात का यकीन नहीं हुआ। उस बच्चे का क्या कसूर उसकी तो गाड़ी ख़राब हो गई थीं और वह होनी से अनजान अंदर चला आया था । एंडरसन के चेहरे पर भावुकता और कोमलता थीं । जो होना होता है, वह होकर रहता है, फ़िर चाहे बहाना कोई भी हो ? तुम सही कह रहे हो यश। किस्मत तो देखो, जिस दिन विशाल की गाड़ी ख़राब हुई होगी, उस दिन यहाँ चौकीदार भी नहीं था, वरना वो विशाल को उस दिन पहचान जाता । शुभु ने गहरी सांस लेते हुए कहा । एंडरसन जब सब कुछ इतना खतरनाक है तो कई लोग यहाँ से बचकर भी निकले है । वो कैसे ? एंडरसन ने शुभु को देखते ज़वाब दिया, सिर्फ वही लोग मरते थे, जो मेरे कंकाल को छेड़ते या मेरे कॉन्फेशन बॉक्स को खोलने की कोशिश करते । क्या विशाल ने कॉन्फेशन बॉक्स खोल दिया था? यश ने पूछा । उस बच्चे ने तो नूरा के आने का रास्ता खोल दिया था । फादर, क्या आप उसे फ़िर से वापिस भेज पाएंगे? एंड्रू ने पूछा ।

मैं नूरा को वापिस नहीं भेज सकता । एंडरसन ने एंड्रू की बात का जवाब दिया। यह सुनकर तीनों मायूस हो गए । कोई रास्ता तो होगा एंडरसन? नूरा को शांतनु ही वापिस भेज सकते हैं । सबने सुना तो एंडरसन को देखने लग गए । एक वो ही थे, जिन्हें अपने मरने का कोई अफ़सोस नहीं था और जो लोग ख़ुशी से मरते है, उनकी आत्मा के पास ताकत होती है कि वो ऐसी शैतान रूह को रोक सके । तो क्या मेरे पापा? शुभु की आँख भर आई । क्या उन्हें बुलाना पड़ेगा? नूरा उन्हें आने नहीं देगी और वो नूरा के सामने बेबस है । एंडरसन ने अपनी बात पूरी की । फ़िर तीनों चुप हो गए, हताशा उनके चेहरे पर साफ़ झलक रही है । इससे अच्छा होगा कि मैं मर जाती हूँ क्योंकि उसका बदला तो मुझसे ख़त्म होगा । शुभु के यह बोलते ही सब हैरान हो गए । यह कोई सुलझा हुआ रास्ता नहीं है । नूरा शैतान के साथ है और शैतान अब उसे अपनी शक्तियाँ देकर इस दुनिया के निर्दोष लोगों की बलि देना शुरू कर देगा । नूरा तुम्हें मारकर अपना बदला ले लेगी और सदा के लिए उसकी आत्मा शैतान बन भटकती रहेगी, उसे भी तो उसकी सही जगह पहुँचाना ज़रूरी है । एक बार वो यहाँ से चली गई तो शैतान का मकसद भी खत्म हो जायेगा । शैतान का मकसद क्या है ? यश ने एंड्रू से पूछा, वह पहले लोगों की आत्मा को ग़ुलाम बनायेगा । फ़िर उन्हें मारकर इस दुनिया पर हावी होता चला जायेगा । लोग डरकर एक दिन उसके आगे सरेंडर कर देंगे और फ़िर विनाश ही विनाश । एंड्रू के चेहरे पर ख़ौफ़ और चिंता है । मेरे दोस्तों और मेरी मम्मी के साथ भी यही हुआ है । प्रत्यक्ष को प्रमाण की ज़रूरत नहीं होती । एंड्रू ने शुभु को गंभीरता से देखते हुए कहा। एंड्रू ठीक कह रहे हैं । यह आवाज़ एंडरसन की है ।

अब क्या किया जाए ? रात तो और गहराती जा रही है । यश ने चिंता प्रकट की। एंडरसन आप तो मुझसे भी ज्यादा भगवान की दया को समझते हैं । प्रभु अपनी सृष्टि को मुसीबत में नहीं छोड़ सकते । एंड्रू के स्वर में विनती है । आप एक घंटा और नूरा का सामना कीजिए । मुझे यकीन है, गॉड हमें मायूस नहीं करेंगे । उसे हमें मारने के लिए एक घंटा ज्यादा है । उसकी दी हुई मौत भी दर्दनाक होती है । वह सबको लटकाकर मारती है, क्योंकि वो खुद भी ऐसे ही मरी थीं । एंडरसन ने उनकी बात को ख़त्म किया । मुझे यकीन है, आप उसे रोक पायेगे और आप मेरे साथ संपर्क बनाए रखियेगा एंड्रू। अब मैं चलता हूँ, कहकर एंडरसन चले गए । उनके जाते ही चहल-पहल शुरू हो गई । शुभु ने यश का हाथ कसकर पकड़ लिया । हमें इसी कमरे में एक साथ रहना होगा । एंड्रू ने दोनों के डरे हुए चेहरे देखकर उन्हें समझाया ।

कमरे के बाहर से रोने-हँसने आवाजे आ रही है । आवाजें इतनी डरावनी है कि दोनों काँप रहे है और एंड्रू ध्यानमग्न है । तभी दरवाज़े पर खटखट हुई । शुभु ! बेटा दरवाज़ा खोल । देख में तेरी माँ बेटा तुझसे मिलने आई हूँ । शुभु ने माँ की आवाज़ सुनी तो जाने को हुई । पागल हो गई हो । तुम्हारी माँ नहीं है, उसकी कोई चाल है, हमें किसी भी हाल में इस कमरे से बाहर नहीं निकलना । यश ने उसका हाथ पकड़ लिया । थोड़ी देर बाद , अतुल की आवाज आई । यश, मुझे बचा ले यार ! । यश ने खुद को मजबूत किया । लगातार दरवाज़ा बजता रहा । मगर उन्होंने दरवाज़ा नहीं खोला । पर जब एक आवाज सुनी तो यश बैचैन हो गया । यश बेटा मैं तेरा पापा। मुझे बचा बेटा, मुझे जबरदस्ती यहाँ लाया गया है । पापा ! मेरे पापा यहाँ। शुभु ने यश को जाने से रोका । तुम्हारे पापा यहाँ कहा आएंगे। समझो! हम किसी मुसीबत में फँस जायेगे । यश रुक गया । फिर यश बेटा, मैं तेरी मम्मी, बेटा बचा मुझे, यह हमें मार डालेगी । अपनी माँ की दर्द भरी आवाज़ सुनकर यश से रहा नहीं गया, अगर इन्हे कुछ हो गया तो मैं खुद को कभी माफ़ नहीं कर पाउँगा । यह कहते हुए उसने दरवाज़ा खोल दिया । शुभु चिल्लाई , यश !!

यश ने दरवाज़ा खोलकर देखा तो बाहर कोई नहीं है । यश अंदर आ जाओ । शुभु फ़िर चिल्लाई। जैसे ही यश अंदर आने को हुआ तो नूरा उसके सामने खड़ी है । यश काँप गया । उसने यश का गला पकड़ा । यश चिल्लाया, शुभु अंदर रहो, बाहर मत निकलना । उसने तब तक यश को नीचे फ़ेंक दिया । अब क्या करो ? यश को कुछ नहीं होगा । यह कहते हुए उसने एंड्रू का टेबल पर रखा क्रॉस उठाया और नूरा के सामने ला दिया । नूरा वहाँ से चली गई । यश खुद को संभालता हुआ फ़िर कमरे की तरफ जाने के लिए सीढ़ियाँ चढ़ने लगा । शुभु भी यश को देखने की लिए नीचे आने को हुई और दोनों सीढ़ियो में मिल गए । मगर तभी शुभु को धक्का लगा और वो यश पर गिरी और दोनों लुढ़कर नीचे आ गए । दोनों ने देखा कि पूरा कमरा संध्या, समीर, रिया अतुल, विशाल, सागर , अनन्या, अवनि वो तांत्रिक बाबा, दोनों वॉचमन, सुधीर और यहाँ तक कि मरे हुए कुत्तो से भर गया है । सब उन्हें मारने आ रहे है । यश अब क्या होगा ? यश ने शुभु को कसकर पकड़ लिया । शुभु तुम क्रॉस की तरफ बढ़ो मैं इनका ध्यान अपनी तरफ खींचता हूँ । उसने गिरे हुए क्रॉस की तरफ़ ईशारा किया । वह जानबूझकर उन प्रेतों से लड़ने लगा । मौका देखकर शुभु उस क्रॉस की तरफ़ भागी । सारे प्रेत यश को घेरकर उसका गला घोटने के लिए तैयार हो गए । तभी शुभु क्रॉस लिए बीच घेरे में आ गई और वह सभी पीछे हटने लगे । दोनों दोबारा कमरे की तरफ़ भागे । मगर दरवाज़ा नहीं खुला। कहीं नूरा ने उन्हें कुछ कर तो नहीं दिया । शुभु के चेहरे पर चिंता है । दोनों वहाँ से दूसरे कमरे की तरफ़ बढ़ गए । उन्होंने कमरे में देखा कि किताबें ही किताबें है । यश ने दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया । शुभु ने किताबें देखना शुरू कर दिया । एक किताब पर उसकी नज़र पड़ी । यश ! यह देखो यह तो आत्मा को बुलाने की किताब है। यश ने किताब को गौर से देखा।

शुभु ने किताब में लिखे मन्त्र को पढ़ा । तभी दरवाज़ा खटका, मैं एंड्रू । बाहर आओ । यश ने बिना समय गवाए दरवाज़ा खोल दिया । एंड्रू मुँह मुड़कर खड़े हैं । फादर आप अंदर आये देखे, ये कैसी किताबें है । हमने आपकी बात नहीं मानी तो आप नाराज़ तो नहीं है । यश ने उनके कंधे पर हाथ रखा तो उन्होंने पलटकर देखा तो नूरा का चेहरा था, वह ज़ोर से दहाड़ी । यश चिल्लाया और शुभु को लेकर दूसरे कमरे में धुस गया। वो कमरा छोटा है । दोनों एक दूसरे को देखने लगे। इसका मतलब फादर मर गए ? कुछ समझ नहीं आ रहा है। यश ने पसीना पोंछते हुए कहा । क्रॉस कहाँ है ? वो तो उसी कमरे में गिर गया । शुभु ने सिर पकड़कर कहा । अब क्या करेंगे । मैंने कितने सपने देखे है, और अब मैं नहीं बचूँगा। यश परेशान हो गया । यश तुम चिंता मत करो, कुछ नहीं होगा । मैं किताब पढ़ती हूँ शायद कुछ हो जाये । शुभु ने मंत्र पढ़ा तभी दरवाज़ा टूट गया । उसने देखा सामने उसके पापा खड़े है । वह रोने को हुई, इससे पहले वो उनके पास जाती । नूरा वहाँ पहुँच गई और उसके पापा की आत्मा बैचैन होकर वहाँ से चली गई । अब शुभु को नूरा ने हवा में खींचा। यश आगे बढ़ा तो उसे परे धकेल दिया । शुभु का दम घुटने लगा, वह हवा में लहराने लगी । मगर यश दीवार पर गिरने से बेहोशी की हालत में पहुँच गया । यश ! पापा! पापा ! उसने पुकारा मगर नूरा ने उसे हवा में घुमाना शुरू कर दिया । वह उसे कभी ज़मीन पर गिराती तो कभी हवा में उछालती। वह लहूलुहान होती जा रही है। यश को होश आया तो वह शुभु की मदद करने के लिए उसकी तरफ बढ़ा ।

मगर नूरा ने उसे फिर से कमरे में रखे सामान की तरफ फेंका अब तो उसकी शक्ति ख़त्म हो चुकी है। उसे नहीं लगता अब वो ज़िंदा बच पायेगा। यश ! पापा ! शुभु फ़िर चिल्लाई । मगर अब गुस्साई नूरा के हाथ लम्बे होकर शुभु की गर्दन तक पहुँच गए और उसका दम घुटने लगा । हवा में लटकी शुभु को अपनी मौत का आभास हो गया। उसका चेहरा शीथल हो गया और उसे अपने पैरो में कमज़ोरी महसूस होने लगी ।


                                                                     25


शुभांगी की ज़ोर से चीख निकली और तभी पॉल एंडरसन सामने आ गए। उन्होंने क्रोध और नफरत की आग में जलती नूरा पर एक दृष्टि डाली। नूरा ने भी उन्हें देखा , मगर शुभांगी को अपने चंगुल से आज़ाद नहीं किया । यश भी घुटनों का सहारा लेकर खड़े होने की कोशिश करने लगा। मगर फिर गिर गया । चिल्लाती और दहाड़ती नूरा को एक आवाज़ ने आकर्षित किया । पॉल एंडरसन के हाथों में नवजात शिशु है । उन्होंने कहना शुरू किया, नूरा यह तुम्हारा बच्चा है, जो जन्म लेते वक़्त मर गया था, मैं इसे परम पिता परमात्मा से मांगकर लाया हूँ । नूरा ने उस शिशु को देखा तो उसकी शुभांगी की गर्दन पर पकड़ ढीली हो गई । उसका तमतमाता चेहरा शांत होने लगा । पकड़ ढीली होने के कारण वह ज़मीन पर गिर गई। नूरा उस बच्चे की और लपकी, मगर पॉल एंडरसन ने यह कहकर उसे रोक दिया कि इन बच्चों और शैतान को छोड़ना पड़ेगा । तभी तुम अपने बच्चे को स्पर्श कर पाऊँगी । नूरा ने ज़मीन पर गिरी शुभांगी को देखा और अपने सामने लटकते शैतान को, जिसे वो और एंडरसन देख पा रहे हैं । शैतान ने नूरा को अपनी ओर खींचा । मगर उसकी ममता अब उस पर हावी हो गई । वह ज़ोर से चिल्लाई और लपककर उस नन्हे शिशु को पकड़ लिया । मुस्कुराते शिशु को देखते ही नूरा अपने असली रूप में सबको नज़र आने लगी । शुभांगी ने देखा, नूरा सचमुच खूबसूरत है, गहरी नीली बड़ी आंखें और चेहरे पर नूर । उसे देखकर नहीं लग रहा है कि यह औरत अभी थोड़ी देर पहले शैतान थीं ।

ममता और प्यार से उस शिशु को निहारती नूरा एक माँ और अपने पिता की प्रेयसी प्रतीत हो रही है। उसके इस रूप में आते ही शैतान का अस्तित्व शून्य हो गया । पॉल एंडरसन यह सब देखकर मुस्कुराए । तभी एंड्रू भी उनके सामने आकर उन्हें देखकर मुस्कुराने लगे और आँखों की भाषा में उन्हें धन्यवाद दिया । शुभु के पिता शांतनु उसके पास आए और उसके सिर पर हाथ रख दिया । वह नूरा के पास गए और उससे हाथ जोड़कर माफ़ी मांगी । इस दफा नूरा के चेहरे पर उभरी शांति बता रही है कि उसने उन्हें माफ़ कर दिया। पापा ! शुभु की आवाज़ है। अब मैं चलूँगा, अपना ख्याल रखना । उनके इतना कहते ही शांतनु, नूरा और एंडरसन शुभु को एक नज़र देखकर चले गए । उनके जाते ही सभी नकरात्मक शक्तियाँ भी उस घर को छोड़ गई । अब सही मायने में यह पॉल एंडरसन का घर लग रहा है, शांत, सौम्य और सकरात्मक ऊर्जा से भरपूर । एंड्रू ने पूरे घर पर नज़र डालते हुए कहा । उसे यकीन नहीं आ रहा है कि वह और यश ज़िंदा है । अब उसके सभी सपने पूरे होंगे । यहीं सोच उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई । वह घायल पड़े यश की तरफ़ बढ़ने लगी । तभी यश ज़ोर से चिल्लाया। शुभु मुझे बचाओ ! मुझे बचाओ ! शुभु और एंड्रू यश की तरफ दौड़े । मगर वह दौड़ते हुए नीचे गिरे सामान से टकराई और यश पर आ गिरी। यश के हाथ में जो टूटा हुआ काँच का टुकड़ा था, वह उसके पेट में घुस गया और उसकी चीख निकल आई । शुभु! शुभु! को लहूलुहान देख वह चीखा। शुभु !! फादर !! शुभु को बचाओ । कहते हुए वह पागलों की तरह एंड्रू को ज़ोर-ज़ोर से हिलाकर शुभु को बचाने के लिए कहने लगा । यश ! यश मेरी बात सुनो ! अब यहाँ कोई नहीं है । कोई नहीं है । तुमने शीशा क्यों उठाया था ? एंड्रू, यश का हाथ पकड़ उसे समझाते हुए पूछने लगे। मगर यश होश में नहीं है । वह लगातार कह रहा रहा है, शैतान ने मारा! शैतान ने मारा। यहाँ कोई नहीं है. यश होश में रहो । वह उसे पकड़ने की कोशिश करते हैं और तभी यश के हाथ में जो काँच का टुकड़ा है, वह एंड्रू के पेट में लग जाता है । वह भी वहीं गिरने लगते हैं और फादर को सँभालते हुए यश भी उसी कांच से जख्मी होकर ज़मीन पर गिर जाता है ।

शुभु! शुभु! यश ज़ोर से चिल्लाया, जब यश की आँख खोली तो वह हॉस्पिटल में है। मेरी शुभु कहाँ है ? वह चिल्लाया और उठने को हुआ। आप आराम से लेट जाए । आपके सिर और हाथों पर गहरी चोट है । नर्स ने उसे समझाते हुए कहा। पहले बताए, मेरी शुभु कहाँ है ? फादर एंड्रू कहाँ है?वे दोनों तो अब नहीं रहे । नर्स ने उसको बिस्तर पर लिटाते हुए कहा । शुभु !!!!!! यश फ़िर चिल्लाते हुए चीख-चीखकर रोने लगा। उसने आज शुभांगी को हमेशा के लिए खो दिया है ।


एक हफ्ते बाद सभी स्टूडेंट्स हॉल में बैठे है, यश का मुँह उतरा हुआ है । उसकी आँखों में नमी है । वह फादर एंड्रू और शुभु की मौत से बेहद दुःखी है । वह उनकी सदमे में है । तभी तालियाँ बजती है और उसका नाम पुकारा जाता है । यश अपने तीन दोस्तों के साथ बुझे मन से स्टेज पर जाता है । कॉलेज के चेयरमैन कह रहे है, हम अपने कई मेहनती और होनहार स्टूडेंट्स को खो चुके हैं । आज अगर शुभांगी, विशाल, रिया और अतुल ज़िंदा होते तो इस ईनाम के असली हकदार वो होते । उनका पॉल एंडरसन पर बना प्रोजेक्ट सचमुच प्राइज के काबिल है । मगर अब कॉलेज कमेटी ने यह डिसिशन लिया है कि यश एंड ग्रुप को आगे की पढ़ाई के लिए यू.के. जाने का मौका कॉलेज की तरफ से दिया जायेगा क्योंकि शुभांगी एंड ग्रुप के बाद यश का प्रोजेक्ट ही विनर घोषित किया जाता है ।कॉलेज की तरफ से स्कॉलर्शिप और लगातार वहाँ तीन साल रहने का खर्चा मैनजमेंट देगी । सेकंड आए यश एंड ग्रुप को आज किस्मत ने फर्स्ट कर दिया है । यह सुनते ही सब ज़ोर से तालियाँ बजाने लगे । यश ने भारी मन से मार्कशीट , स्कॉलर्शिप और ट्रॉफी हाथ में ले ली ।

वह हॉल की उस दीवार को देख रहा है, जिस पर शुभांगी, रिया, विशाल, अतुल, संध्या और समीर की तस्वीर लगी है और कैप्शन में लिखा है, " ग्रेट सौल रेस्ट इन पीस" यश की आँखों में आँसू आ गए । तभी प्रभात उसे गले लगाता हुआ बोला, तेरी तो लाइफ बन गई यार, तेरा बाप तो तुझे मुंबई नहीं भेज पा रहा था और अब कहा तू और तेरे चिरकुट दोस्त यू.के. में ऐश करोंगे । मैंने अपना प्यार हमेशा के लिए खो दिया। क्या फायदा इस स्कॉलर्शिप से। यश का चेहरा गंभीर है। शुक्र मना, उनमे से कोई नहीं बचा। अगर एक भी बच जाता तो हम यहीं इंडिया की ख़ाक छानते, मैंने खुद मैनेजमेंट को कहते सुना है । चेतन ने यश से हाथ मिलाते हुए कहा । छोड़ न यार ! क्या फर्क पड़ता है । मेरी शुभु नहीं तो कुछ नहीं । कहते हुए यश आँसू पोंछता हुआ कॉलेज से निकल गया। सभी को उससे हमदर्दी है।

तीन हफ्ते बाद यश यू.के. की फ्लाइट में बैठा हुआ है । अब वह अपने तीन दोस्तों के साथ आगे की पढ़ाई के लिए विदेश जा रहा है। मगर उसका चेहरा बता रहा है कि वो बहुत उदास है। उसका दोस्त चेतन उसके साथ बैठा है । बाकी दो दोस्त पीछे की सीट पर है। वह लगातार प्लेन की खिड़की से नीचे देख रहा है । तभी एयर होस्टेस उनके पास ड्रिंक रखकर चली जाती है । पी ले यार ! सॉफ्ट ड्रिंक है । कब तक मुँह लटककर बैठा रहेगा। चेतन उसे गिलास पकड़ाते हुआ बोला । उसने गिलास पकड़ा और गहरी सांस लेते हुए कहा। मिस यू शुभु! और एक ही सांस में ड्रिंक पी गया। फ़िर चेतन की तरफ देखने लगा तो चेतन की हँसी छूट गई। और वह भी ज़ोर से हँसने लगा। साले! दोबारा बोलियों, आई मिस यू शुभु! चेतन के यह कहते ही दोनों दोस्त फ़िर हँसे और पूरा प्लेन उनके ठहाकों से गूंज उठा।


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