एक बुरा ख्वाब
एक बुरा ख्वाब
ये दो साल पहले की बात है, दिल का दौरा पडने से मैं हाॅस्पिटल में था, और बाद में मेरी बायपास सर्जरी हुई थी!
उस पहले हप्ते में मुझे बुरे बुरे ख्वाब आते थे, पहले चार दिन तो पानी तक नहीं दिया था! मेरे गले में एक ट्युब डाली थी! मैं चिल्लाया तो मेरी आवाज तक बाहर नहीं आती थी!
मेरे माॅनीटर की पर जो धकधक चल रही थी, वो मुझे स्मशान की नाचती हुई दिवटीसम प्रतित होती थी और भुत और चुडैलों की आवाजें घुम रही थी!
मैं संकेत से ही कुछ माँगता था! मेरी सेवा करनेवाली केरली नर्स मुझे चुडैल जैसी प्रतित होती थी!
जब भी वो मुझे इंजेक्शन देने या कुछ देने आती मैं असहकार करता था!
मुझे लगता था, मैं आखरी स्टेजपर हुँ और सब मेरे ही जाने की राह देख रहे है!
मेरी बिवी वही के वही खडी थी, तब मैं अब ये मुझे वापस नहीं दिखेगी, ये सोच के गदगद हो जाता था! वो जब दुर जाती थी, तो बायबाय करता, न जाने ये आखरी बार हो!
चार दिन बाद मुझे स्पेशल रूम में शिफ्ट किया था, अब मैं पुरा सुध में था!
उस दिन मैं टिवी पर शशि कपुरजी के इन्तकाल की खबर सुन रहा था, रात का समय था, इसलिये रूम की लाईट आॅफ थी!
तब मेरे शरीरपर बँडेजेस थे! क्योंकि पाँव की नस निकालकर दिल में लगाई थी!
टिवी देखते देखते, कब मुझे नींद आयी मालुम ही नहीं पडा था! नींद में अचानक मेरे पाँव निर्जीव और भारी हो गये ऐसा भास होने लगा! धीरे धीरे वो भारीपन, मेरे पुरे शरीर पर, पसरने लगा! और एक पल ऐसा आया मुझे लगा की, मेरा देहांत हो गया!
मैं अभी भी उस शरीर के अंदर था, पर बाहरवालों को मृत प्रतित हो रहा था, पर मेरी आत्मा शरीर के अंदर फँसी हुई थी, वो बाहर जाने को बेताब थी!
मेरा इन्तजार खतम हो गया और दो गरूड समान दिखनेवाले छोटे पक्षी कहाँ से तो आये! वो अपनी धारदार चोच से मेरे छाती पर प्रहार करने लगे!
थोडी देर बाद वो दिल की गहराई में उतर गये! मुझे मरणांतिक वेदना हो रही थी और मेरा दिल छटपटा रहा था! थोडी देर बाद, उन्होंने मेरा आत्मा मेरे देह से निकाला, जो बिल्कुल उनके जैसा था!
आत्मा शरीर से दुर होते ही, शरीर ने एक बार झटका दिया, फिर शांत हो गया!
इधर उस स्थिती में मुझे तरह तरह की आवाजे आने लगी थी! मैं वो सुनने लगा! मुझे मेरी बिवी का स्वर सुनाई दिया था! मेरे चाचा आये थे, वो पुछ रहे थे, “कब हुआ ये?" रोते रोते बीवी बोली, “बस अभी ही! अब आगे का बन्दोबस्त करना होगा,सब को इतल्ला करना होगा!"
मुझे लगा, उन्हें मेरे जाने का कोई मलाल नहीं है, पर आगे की पडी है!!धीरे धीरे शोर बढता गया और लगभग सभी रिश्तेदार वहाँ जमा हो रहे थे! अभी उनकी बोलचाल बढ रही थी! कोई कहता, “कभी तबीयत की परहेज नहीं करता था! मैंने कितनी तो दफा उसे, मीठा खाने से रोका था!” मैं मन ही मन कहता भी जीते जी कभी प्यार से बात नहीं की और आज व्यंगोक्ती कस रहे है!
फिर हम उस दृश्य से दूर दूर होते गये और, वो दुत मुझे कही तो भी ले गये! आसमान में एक अंतराल स्टेशन था! और मेरे जैसी कई आत्मायें वहाँ पे खडे खडे अगले आदेश की राह देख रहे थे! अब पहलेवाले दुत जा के दुसरे दुत आये और मुझे एक लम्बे चौडे हाॅल में खडा किया था! उपर सिंहासन पर एक व्यक्ती बैठी हुई थी! पर उसकी आभा इतनी थी की, मैं उनका मुँह नहीं देख पाया था! उन्होने मेरे दुत को कुछ आदेश दिये, फिर मुझे वो वापस दुसरी जगह पे ले गये और वहाँ पे सिनेमा हाॅल जैसा हाॅल था और स्क्रीन भी था! उन्होंने मुझे अलग अलग देश के लोगों की फोटो दिखाई और मेरी जबान में कहाँ, "अगला जन्म कहाँ पसन्द करोगे! विलायत, आफ्रिका, अमरिका, चायनीज, जपनीज आदी।”
पहले से पंजाब और वहाँ की संस्कृती मुझे भाती है! उनकी वीरता, देश के लिये मर मिटने की आन-बान-शान मुझे पसन्द है!
मैंने उस पर टिक किया, तो उन्होंने मुझे पंजाब का वो घर दिखाया था! वो एक फौजी का घर था! गेहु और सरसों की खेतो के बिच, एक हवेलीनुमा कोठी थी और वहाँ एक प्रेग्नन्ट औरत छटपटा रही थी!
फिर वो दुत मुझे एक मशिन के पास ले गये! और मेरी याददाश्त टेस्ट करने लगे थे!
मेरा मन वापस मेरे पुराने घर के पास घुम गया, मेरा मुहल्ला, मेरा घर, मेरा गाँव, मेरे साथी, मेरी बिवी, बच्चे सब नजर आ रहा थे! मैंने देखा मेरे रिश्तेदार मेरी बिवी और बच्चे को मार रहे थे! मेरे शव के सामने ही वो झगडा लेके बैठ गये थे!
मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था अपनी मजबुरीपर, पर मैं क्या कर सकता था! मेरी दिमाग की नसे फटने लगी और मैं अपने इष्टदेव को पुकारने लगा!
अचानक एक चमत्कार हो गया, लगता है भगवान ने मेरी सुन ली! मेरे देहपर, आत्मापर ठंडे तेल की धाराओं की बरसात होने लगी, मुझे मेरे गतजन्म याद आने लगे! वहाँ एक साधु समान व्यक्ती मेरे पास बैठे थे! मुझे ऋषी, मुनी, महापुरूषों के भी दर्शन हुए! अचानक स्फुट स्वरो में ज्ञानेश्वरी की ओवी मेरे मुँह से निकलने लगी थी!
मैं अचरज में पड गया, कब मैंने ये पाठ किया और अचानक कैसे मैं ये बोल रहा हूॅं!
अचानक मुझे शीतलता का आभास होने लगा और जैसे उन सद्गुरु समान पुरूष ने मेरे सर पर हात फेरा और बोला, “जा बेटा जा, वापस अपने जनम में, अभी तुझे बहुत अधुरे काम करने बाकी है!”
अचानक मेरी आँख खुल गयी, मैंने देखा मैं हाॅस्पिटल के बेड पर ही हूँ! मेरी बिवी नजदिक ही खर्राटे ले रही थी! रात के तिसरे प्रहर में उसकी आवाज रातकिडे के गुनगुन के साथ रूम में घुम रही थी!
मैं पसीने से नहाया हुआ था! और मैंने अनबन में मेरे बँडेज निकाल के फेक दिये! और बेड पर से नीचे उतरकर खडा हो गया था! मुझे अपने शरीर में नयी शक्ती का संचार हुआ ऐसा लगा और मैं बाथरूम में खुद चलकर गया, इतने दिनो में मैं किसी के सहारे बिना कभी नहीं चल सका था!
बाथरूम के दरवाजे की आवाज देखकर मेरी बिवी जाग गयी और मेरे पिछे आयी, “आप कहाँ जा रहे थे, मुझे क्यो नहीं उठाया आपने! और ये क्या, आप जानते है ना आपका आॅपरेशन हुआ है! आपको भागदौड करने से डाॅक्टरने मना किया है!”
उसकी शिकायत भरी नजरें देखकर मैं मन ही मन मुस्कुराया, उसे क्या पता था मैं एक बुरे ख्वाब से गुजर चुका हुँ!

