यार मेरी जिन्दगी

यार मेरी जिन्दगी

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उन दिनो की याद आते ही मन अभिभूत होजाता है! कैसे  वो सुनहरे दिन जैसे गुजर गये पता ही नही चला हमे , वो सुनहरे पल बित गये ,जैसे हात से रेत छुटती है!


लगबग चालीस साल पहले की बात है !हम काँलेज के तीसरे या चौथे वर्ष में पढ रहे होंगे! हमेशा की तरह हम पिरीयड के छुट्टी के वक्त में काँलेज कँटीन में चाय की चुस्कीया ले रहे थे!

देश की,काँलेज की,राजकारण,लडकीयों की, सभी पहलु पर चर्चा होने के बाद,बातोबातो में सफर पर जाने की बात निकल पडी,और आँन दी स्पाँट माथेरान को जाना तय हुआ ! कितने दिन,खर्चा,काँन्ट्र्युबिशन सब तय हो गया था !


हमारे ग्रुप के सहयोगी कुछ पुना में पढ रहे थे ! उन से फोन पर वार्तालाप कर के,तारिख भी निकल गयी थी! हमारे साथ,हम उम्र एक नये शिक्षक भी आ रहे थे !


हम पुना के लिये,बस से निकल पडे और पुना में शिवाजीनगर बसस्टँड से सीधे गव्हर्मेंट काँलेज आँफ इंजिनिअरींग के बाँईज होस्टेल पर गये थे ! वहाँ रात का हमारा खाना वही पर हो गया था ! वहाँ के मेस में हम दोस्तों के मेहमान जो थे ! हमारी ट्रेन रात को थी ! 

हम अपना सामान लेकर पुना स्टेशन पर गये ! वहाँ से हम को नेरल जाना था ! 


इतने में हमारी ट्रेन भी आ गयी ! हमारी बोगी और सीट मिलते ही,हमारी मस्ती,हँसी मजाक,नाँन व्हेज जोक्स भी शुरू हो गये ! उन दिनो ट्रेन में इतनी भीड नही होती थी! जनरल दुसरे वर्ग में भी आसानी से जगह मिल जाती थी !


रात का जर्नी होने से हम लोणावला और खंडाला के निसर्ग सौंदर्य का अवलोकन नही कर सके थे! लगबग रात को दो बजे हम नेरल को पहुँचे थे ! देर रात तक गप्पे हाकने से,नींद भी आ रही थी ! नेरल स्टेशन के प्लटफाँर्म पर हमारे पथारी डालकर सो गये.थे!


सुबह हम को तीन रुलवाली माथेरान की फेमस ट्रेन से ,माथेरान में जाना था !

माथेरान यह हिल स्टेशन अँग्रेजो ने,अपने कमांडरों के आराम के लिये बनवाया ! इंग्लड की तरह वहाँ का वातावरण ठंड होने की वजह से, वो उसे पसंद करते थे ! माथेरान मुंबई से नजदिक होने की वजह से,उस पर पर्यटकों का तांता हमेशा लगा रहता है!इस हिल स्टेशन के निर्माण में पारसी नगरसेठों का बहुत बडा योगदान रहा है!


ट्रेन दिन में सिर्फ दो बार ही आ जा करती थी ! हमे देर से जागने की वजह हमारी ट्रेन तो चुक गयी ! देर से जाने का मतलब,एक दिन सफर का बढाना,हमारे बजेट से मेल नही खा रहा था,सो हमने पैदल चलने का फैसला लिया !


जवानी का जोश था,भोर की ठंडी हवाये,हमे उल्हसित कर रही थी !खुल्ली हवा में हम बारह दिवाने सफर पर पैदल चल पडे थे !


जैसे ही सुरज की किरणे पेडों के सर को छूने लगी,हम जी भर के, प्राकृतिक सौंदर्य का आस्वाद लेने लगे ! सुरज की किरणे ठंड में हम को अच्छी लगती थी ! पर जैसे जैसे सुरज उपर जाने लगा ,हमे प्यास और थकान की वजह से,हम से बोला भी नही जा रहा था ! हम माथेरान के बाहर आ चुके थे की अचानक,एक स्कुल गर्ल्स की छोटी बच्चीयों की समुह ने हमे घेर लिया !


मेरे पास एक लडकी आयी,वो उन सब में.धैर्यवान थी उस ने मुझे पुछा," आप का नाम क्या है,भैय्या "

मैं भी मुस्कुराते हुए बोला," बेबी,पहले आप का नाम बताओ मुझे"

वो बोली," मैं जिनी हुँ!"

उस वक्त बाँलीवुड में मेहमुद कि जिनी और जाँन बहुत जोरोशोरो से चल रही थी ! नाम ठिक से याद नही अब मुझे !मुझे मजाक सूचा,मैंने कहाँ," जाँन "! सब हँसने लगे ! वो छोटी लडकी गुस्से से लाल हो गयी ! और मेरे पीठ पर अपने हाथो से गुद्दा मारा ! मैं भी उसे हँसते हँसते झेल गया था !


इस प्रसंग से हमारी थकान चली गयी और हम मानसिक तौर पर फ्रेश हो गये थे !


माथेरान में पहुँचते ही,वहाँ एक गुजराती धर्मशाला में डेरा डाल दिया,जो हमारे प्लाँन के अनुसार ही था !


लगबग सुबह 12 या एक का समय होगा ,हमे जोरो की भुक भी लगी थी ! वहाँ हम गुजराती भोजनालय में गये,जो मध्यमवर्गीय लोगों के लिये एकमेव ही था ! और कुछ होंगे,पर उस क हमें पता नही था!

खाने में हमने खिचडी,कढी,साग,फुलके,ढोकला,समोसा आदी गुजराती व्यंजनों का आस्वाद लिया ! घर में मैं उस वक्त ये चीजे को हात भी नही लगाता था,पर भुख के आगे उस खाने पर टुट पडा था !

खिचडी और कढी भी स्वादिष्ट हो सकती है,इस का मुझे नया नया ही पता चला था!


फिर बाद में हम जो सो गये तो चार ही बजे ही उठ पाये ! फिर चाय पिकर ताजातरीन हो गये ! जक दो पाँईंट देखकर हम सनसेट पाँईंट पर गये ! वहाँ से कुदरत का नजारा देखकर भावभोर हो गये ! गरम सेंगदाणे मुँह में डालते हुए,गोल्डस्पाँट पिकर एंजाय किया ! वहाँ हाँर्स रायडिंग भी की थी ! 

हमारे जैसे कितने ही पर्यटक वहाँ मौजुद थे ! कोई आईसक्रीम खा रहे थे ! कोई अपने कँमेरे से वो सनसेट का पल कँमेरे में कैद कर रहे थे ! हमारे किसी के पखस में खुद का कँमेरा नही था ! मेरे पिताजी के पास एक पुराना कँमेरा था,वो अपने सिवा किसी के भी हात में नही देते थे ! उस का फोटो रोल ,उस जमाने में बहुत महँगा होता था ! आमतौर फँक्शन में फोटोग्राफर का बहुत महत्व होता था! आजकाल मोबाईल के युगवाले क्या जानेंगे उस की अहमियत !


फिर हम वहाँ से,लौट आये,फिर रात को एक दो घंटे वहाँ के गार्डन में बिताये ! वहाँ एक पुराना बँड स्टँड था ! ब्रिटीशों के जमाने में सोल्जर मिलिटरी बँड के, म्युझिक पर गार्डन में थिरकते थे !

अब वहाँ सिर्फ बाँलीवुड फिल्म का टेपरेकॉर्डर बजता था !



रात को खाना खा कर हम सो गये !


सुबह जल्दी उठकर हम माथेरान घुमने निकल पडे,छोटी छोटी अँग्रेजी छावनी की लाल खपरिले छप्पर की वो वो पुरानी बँगलीया चारो तरफ थी ! अभी भी अच्छे स्थिती में थी ! ये इंग्रजो की हमें सिख है,की चीजों को कैसे संभालकर रहना चाहिये ,वरना हम हमारे इतिहास ,गौरव ,गड किल्लों को,अच्छी तरह से नही संभाल पाये,हाँ जोधपुर और जयपुर में किल्लों का फाईव्ह स्टार हाँटेल का रूपांतर जरूर हुआ है !


 अभी उन बंगली में माथेरान की नगरपालिका का आँफिस है !


 वहाँ के बाजार में हम घुमकर आये, सब जगह पर लोणावला चिक्की का बोलबाला था ! वेत से बनाई हुई हँट हमने खरेदी की !


फिर वहाँ से हम फिर एकबार घोडागाडी कर के पाँईंट देखने के लिये निकल पडे !   

दख्खन के पठार सह्याद्री का वो अलौकिक सौंदर्य देखकर हम फुले ना समाये !हमे गर्व महसूस हुवा था !


लगबग सभी पाँईंट , अँग्रेज गव्हर्नरों के नाम के थे ! और उन हर एक का विशेष इतिहास भी गाईड ने हमे बताया था!


फिर दोपहर खाना खा कर हम,उस ट्रेन से नेरल स्टेशन के लिये निकले ! ट्रेन बिल्कुल खाली थी ! ये ट्रेन बहुत ही खाली थी ! हमारे बाजुवाले एक खिडकी के पास हमारे जैसा ही एक ग्रुप था ! उन के ग्रुप में एक व्होयोलिन वादक भी था ! उस के सूरेल गीतोके संगीत से हमारी दोपहर सुरेल कर दी थी!

एक सुंदर नवयौवना भी खिडकी से बाहर झाँक रही थी ! जब भी मेरी और उस की आँखे टकराती थी,तो वो हलकेसे मुस्कुराती थी !

मैंने आजुबाजु देखा तो हमारे शिक्षक महोदय और साथी भी,उस से नैन मटका खेल रहे थे !



मुझे बहुत मजा आ रहा था ! ट्रेन घाटी में बहुत ही थिमे गती से आगे बढती थी ! उस के बाहर एक फुटरेस्ट भी था ! मैं उस के फुटरेस्ट पर पाँव रख कर खडा हो गया और बिम को पकडकर एक गीत गाना शुरू किया," अजी ऐका मौका फिर कहाँ मिलेगा..

अँन व्हिनिंग इन पँरीस, गाना भी गाने लगा ! मुझे मुख पाठ था वो गाना,फिर क्या मेरे सारे दोस्त भी राँक करने लगे ! जश्न का माहौल तयार हो गया,सब हमारी तरफ भी देख रहे थे,वो व्हायोलिनवाला भी हमारे साथ हो गया ! हाँ कुछ पँसैंजर को तकलिफ हो रही थी,पर जवानी का जोश किसे मानता है !



नेरल से हम लोनावला गये,इस बार दिन में हमे खंडाला की घाटी का मनोहर दृश्य नजर आया ! और फिर एक बार हम हिरव्या हिरव्या रानात खंडाळ्याचा घाट इस मराठी गीत पर झुम उठे ! ये माहोल बदलनेवाला गीत,सब को लुभाता है ,आज भी !

उस दिन हमने लोणावला व खंडाला के सभी पाँईंट,प्राणीसंग्रहालया आदी चीजे देखा ! फिर लोणावला में चिक्की चखते हुए,जी भर के मार्केट में शाँपिंग किया ! और हम रिटर्न जर्नी को निकले ! पुना आनेतक हम ने जी भर के अंताक्षरी खेली थी! पुना में हमारे लगबग आधे साथी रूक गये,तो हम रूआँसे हो गये !यारों से बिछड जाने का दुख यार ही जानते है !


 देर रात को पुना से हम अपने गाँव को लौट आये ! दोस्तों के साथ बितायी हुई,ये सफर इतने साल बाद भी मेरे दिलो दिमागपर ताजा है,जैसे हमने कल ही यात्रा की हो ! इसलिये तो जंजीरवाला गीत मशहुर हुआ,यारी है इमान मेरा,यार मेरी जिन्दगी!




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