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Anil Chandak

Drama

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Anil Chandak

Drama

मानो या न मानो

मानो या न मानो

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मानो या ना मानो,  हम अपनी आम जिन्दगी में इतनी अंधश्रध्दा पालते है की, उसका जवाब नहींं !

राह चलते कभी बिल्ली आडे गयी तो, हम तुरंत, आज जरूर अशुभ होगा ऐसे मान के चलते है !

कभी अचानक सर पे पाल पड जाये तो, बुरा मानते है !

औरतों का काम पुछो ही नहीं, कभी अचानक पाल दिख गयी तो जोर से चिल्लाती है !

एकबार क्या हुआ, मैंं टी वी के सामने बैठा था और अचानक, अंदर से बीवी चिल्लाई, रात के ग्यारह बजे थे, मैं दौड के गया तो देखा, पाल को देख के, बीवी परेशानी में आ गयी थी !

" देखोजी इसे निकालो, नहीं तो ये मेरे किचन को खराब करेंगी !"

मैंने भी उस पाल को हटाने का ट्राय किया, पर पाल फ्रिज के पिछे लप गयी ! मैंने ऐसे तैसे, उस पाल को, गँलरी का दरवाजा खोल के बाहर कर दिया तो वो अचानक मेरे उपर पडी ! मेरे हात में डंडी थी, और जमीनपर पडते ही मैंंने उस पाल पर प्रहार किया तो, बीवी इतनी जोर से चिल्लायी के सामने रहनेवाले पडोसी, भी आ गये !

रात का समय, मेरे हात में डंडी और बीवी का चिल्लाना, ये सब से वो कुछ, अलग ही समज बैठे

मैंं तो शरम के मारे पानी पानी हो गया, मैंं मुँह से पाल पाल इतना ही बोल पाया !

अमावस्या, को हम कभी शुभ काम की शुरवात नहीं करते है !एक दिपावली की अमावस्या छोडकर, क्युँ की लक्ष्मी का आगमन होना होता है !

वैसे देखा जाये तो, वो एक खगोलिय घटनाक्रम है, पर हम उस दिन शनी और मारूती भगवान को तेल चढाते है और संकट से हमे बचाये रखने की प्रार्थना करते है !

वास्तु को किसी की नजर न लगे, इसलिये अमावस्या को, लिंबु मिर्च टंगवाते है ! हम.जब बाईक पे होते है, तो रस्ते पे फेकी हुई लिंबु मिर्च दिखी तो भी ब्रेक दबाते है ! कभी कभी अचानक ब्रेक लगानेसे, पिछेवाला धडकता है, और अपनी एक भुल दुर्घटना में परिवर्तीत होती है !

शादी सगपन की बात हो तो, अपना बर्ताव और भी अलग हो जाता है ! पत्रिका मिलाते समय,  लाखो मिल पर रहनेवाले शनी, मंगल, राहु केतु हमारे आड आते है ! पंडित ये शान्ती करना पडेगी, वो करना पडेगा ! इतना खर्चा लगेगा, उतना लगेगा, ऐसा डर बनाते है ! भावनाविवश हो के हम भी उन के कहने में आ जाते है ! पंडित ये बात अच्छी तरह से जानते है, पर लोगों की भावना का फायदा उठाना, उन का बिझीनेस हो गया है !

कहीं बाहर जाते वक्त कोई छिंक दे तो भी अपशगुन मानते हैं !

मानो या ना मानो,  हम अपनी आम जिन्दगी में इतनी अंधश्रध्दा पालते है की, उसका जवाब नहीं !

राह चलते कभी बिल्ली आडे गयी तो, हम तुरंत, आज जरूर अशुभ होगा ऐसे मान के चलते है !

शादी ब्याह और मृत्युपरांत भोजन भर हम इतना खर्च करते है, उस पैसों से किसी गरिब का घर बस.जाये, किसी अनाथ, गरिब का निवाला बन जाये ! मानो या न मानो हम ऐसा करते नहीं है ! अपने पुर्वजों को, जो स्वर्गलोग में है, उन को तर्पण करते है, जो इतनी दुरी से कैसे मिलता है ! बस ये हमारी भावना के नाम पर ठगी है !

कहते है, मरणोपरान्त जीव कौए का रूप धारण कर के अन्न ग्रहण करता है, ये सब आदमी की कल्पनाविलास ही है !

रात्र को जब कुत्ता रोता है, तो हम समजते है, जरूर आज कोई अप्रिय घटना होनेविली है ! मानो या न मानो कोई कहते है की, यमराज के दुत नजर आते है, उन को !

अक्सर समाज में आप धारणा है की सांप और नाग, को जब कभी हम छेडते है, तो वे दुश्मनी पालकर हमारे पीछे लगते है ! 

गारूडी की बीन पर वो नृत्य करता है !

असल में साँप को सुँघने की शक्ती होती है, वो भी नजदिक आनेपर, और उस की आँखो में इतनी शक्ती नहीं होती की वो आदमी की छबी ध्यान में रख सके ! 

और नागपंचमी के दिन हम साँप को दुध पिलाते है ! वो भी गलत है, साँप मेडख, चुहे, पाल, छोटे सर्प, जैसे प्राणी उस के खाद्य है !

और वो दंश तब ही करता है, जब कोई उस के नजदीक आहे, वो भी अपना बचाव हेतु करता है !

नागके बारे में और धारणा है की, उस के सर पें मणी होता है, उस का नाम इच्छा मणी होता है ! वो बदला लेने के लिये जब चाहे मनुष्यरूप धारण कर सकता है ! इसपर बाँलीवुड में कई सारी फिल्मे आई, वो सिर्फ लोकों की धारणा पर कस जमा करने हेतु ही होती है !

साँप हम को कही नजर आये, तो हम तुरंत उस को मार देते है ! पर असल में साँप हमारा मित्र है ! खेत में वो चूहों को खा कर हमारे अनाज की रक्षा करता है !

इसलिये किसानो में धारणा है की, उन के पुर्वज साँप बन के खेत की रक्षा करते है !

पैसा धन संपत्ती के लिये आदमी कुछ भी करने को दौडता है ! मांत्रिक के कहने पर नरबली देने पर भी प्रवृत्त हो जाते है !

अक्सर अपनी आंतरिक इच्छा पुर्ण न होनेपर आदमी ढोंगी साधू फकीर ने कहने में आ जाते है ! औरतों की औलाद की चाहत का फायदा लेकर उस का यौन शोषन करते है !

मानो या न मानो, इतने सारे किस्से सुनकर भी हम उन के झाँसे में आते है !

सोने का लोभ तो हमारे समाज में बहुत है, इस का फायदा गुंड बदमाश लोग उठाते है ! कभी बाजार से आधे भाव में या कभी जो सोना है, उस का डबल कर देने का झाँसा देते है, और लालच में पडे व्यक्ती का माल उस को मार धमकाकर लुट लेते है ! पाँलिश करने के बहाने भी ये लोग असली सोने के बहाने हात की सफाई से नकली रख देते है !

कभी इसी उत्सव में गणपती की मुर्ति दूध पीती है, अफवा उठाकर भक्तों से चंदा वसुलती है !

कभी हमे मोबाईल पर मेसेज आता है की आप माता के नाम एक हजार बार लिख के कम सै कम पचास लोगों को भेजा दो, आपपर माता की किरपा बनी रहेगी, नहीं लिखा तो मुसीबतों का पहाड टुट पडेगा !

आज काल गुरू रामरहीम, सतपाल नित्यानंद जैसे अनगिणत साधु फकीरों की पोल खुल चुकी है !

हुंडे के लालच में हम स्री भृण की हत्या कर के निसर्ग का स्री पुरूष का संतुलन बिगाड दिया है !

हुंडे के लालच में, इक्किसवी सदी में भी, बहुयें को जलाने की खबरे सुनने को मिलती है !

वासना का नंगानाच इतना चलता है कि, बहू बेटियाँ, स्त्रियाँ हमारे देश में सुरक्षित नहीं है !

मानो या न मानो, आज औरत इतनी सशक्त होकर भी पुरूषी वर्चस्व के कारण, उसे बंधन में रहने पडता है !

इन सब से हम जब सिख लेंगे तब वो हम सबपर उपकारक होगा ! हम हमारी धारणाओं को विज्ञान, सामान्य ज्ञान की कसौटी पर अजमायेंगे तो हम सब का भला होगा !


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