“समय के साथ तुम्हारा जाना मुझे हर बार रिक्त कर देता है।” “समय के साथ तुम्हारा जाना मुझे हर बार रिक्त कर देता है।”
मैंने खा जाने वाली निगाह से राहुल को देखा और मुस्करा कर दोनों से विदा ली। मैंने खा जाने वाली निगाह से राहुल को देखा और मुस्करा कर दोनों से विदा ली।
लेखक : अलेक्सान्द्र कूप्रिन अनुवाद : आ. चारुमति रामदास। लेखक : अलेक्सान्द्र कूप्रिन अनुवाद : आ. चारुमति रामदास।
आज के लिए बस इतना ही मिलते हैं कल फिर "मेरी संगिनी। आज के लिए बस इतना ही मिलते हैं कल फिर "मेरी संगिनी।
ये बात मालूम नहीं हुआ उन दोनों को और वो....। ये बात मालूम नहीं हुआ उन दोनों को और वो....।
बड़ी जद्दोजहद के बाद उसे इंजीनियर बनाने का मौका मिला था बड़ी जद्दोजहद के बाद उसे इंजीनियर बनाने का मौका मिला था