दुश्मन से प्यार - भाग ५
दुश्मन से प्यार - भाग ५
प्रतियोगिता को अब दो ही दिन रह गए थे । अब अंकुश और बिंदु के दिल मिल गए थे तो रिहर्सल में तालमेल भी अच्छा होने लगा था । जब कभी रिहर्सल करते हुए दोनो की नज़रें मिल जातीं तो बिंदु शरमा कर झट से नज़रें हटा लेती । एक दूसरे को मिलने के लिए अब वो बेताब रहने लगे । एक दूसरे को देखते ही दोनो की धड़कनें बढ़ जातीं । पर अभी भी दिल की बात जुबाँ पर नहीं आई थी ।
प्रतियोगिता का दिन भी आ गया । दोनो ने बहुत ही बढ़िया तालमेल से गाना गया । अब वो रिज़ल्ट का इंतज़ार कर रहे थे । अंकुश,बिंदु,अमित और अर्चिता स्टेज के पास ही खड़े थे कि रिज़ल्ट की अनाउन्स्मेंट हो गयी । ये सुन कर उनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा कि दोनो ने अपनी अपनी स्पर्धा में और डूएट तीनों में प्रथम स्थान प्राप्त कर लिया था । अंकुश ने अचानक बिंदु को ख़ुशी से बाहों में भर दिया और उसे बधाई देने लगा । बिंदु एक दम से झेंप गयी।उन दोनो की नज़रें मिलीं और प्यार का इजहार हो गया ।अब कुछ कहने की ज़रूरत नहीं रह गयी थी । पीछे खड़े अमित और अर्चिता मुस्कुरा रहे थे ।
हॉस्टल जाते ही अर्चिता बिंदु को चिढ़ाने लगी कि लगता है जानी दुश्मन अब जानी दोस्त बन गए। बिंदु बोली ऐसी कोई बात नहीं है । पर वो अपने प्यार को छुपा नहीं पा रही थी । उधर जब अमित ने अंकुश से पूछा भाई अब तो बता दो कि तुम्हारा बिंदु से दुश्मनी का रिश्ता है या प्यार का तो अंकुश को समझ नहीं आया वो क्या कहे । वो ना तो हाँ में जबाब देना चाहता था ना ही ना में । रात में बिंदु ने अपनी माँ से फ़ोन पर बात की कि उसे सिंगिंग में प्रथम पुरस्कार मिला है तो माँ बहुत ख़ुश हुईं । जब उसने बताया की अमित के साथ गाने में भी उसे मेडल मिला है तो माँ को थोड़ी फ़िकर हुई पर जब बिंदु ने बताया कि अमित और वो अब अच्छे दोस्त हैं तो माँ ने बस ये कहा कि वो अपने पापा को ये ना बताए । हालाँकि अभी भी बिंदु अपने मन की बात छुपा गयी थी ।कुछ देर बाद पहले साल की परीक्षा आरम्भ होने वाली थी तो बिंदु को पढ़ाई की नसीहत देकर माँ ने फ़ोन रख दिया ।
बिंदु और अमित भी अब पढ़ाई में लग गए। कभी कभी दोनो इकट्ठे भी लाइब्रेरी में पढ़ते थे ।दोनो पढ़ाई में तो अच्छे थे ही , जब रिज़ल्ट आया तो अमित क्लास में प्रथम था और बिंदु दूसरे नम्बर पर थी । दोनो ने एक दूसरे को बधाई दी । क्लास में सब लोग उनसे पार्टी मांग रहे थे तो दोनो ने सब को मिल कर ही पार्टी दी । रात को जब बिंदु ने पापा को फ़ोन करके बताया की वो क्लास में दूसरे नम्बर पर आई है तो वो बहुत ख़ुश हुए । उन्होंने बिंदु से पूछा की फ़र्स्ट कौन आया है ।जब बिंदु ने अमित का नाम बताया तो उनकी ख़ुशी एक दम से ग़ायब हो गयी बल्कि वो बिंदु को डाँटने लगे कि अगर वो थोड़ी सी मेहनत और कर लेती तो दुश्मन का बेटा फ़र्स्ट ना आता । बिंदु को पापा का ये व्यवहार बड़ा अटपटा लगा । उस की आँखों से आँसू आने ही वाले थे की दूसरी तरफ़ उसकी माँ जो कि उनकी बातें सुन रही थी उन्होंने फ़ोन अपने हाथ में लिया और बिंदु को कहा की तुम अपने पापा की बात का बुरा मत मानना, बस मन लगा कर पढ़ना ।
अब मेडिकल का दूसरा साल चल रहा था और पढ़ाई का बर्डेन थोड़ा कम हो गया था । बिंदु,अंकुश,अमित और अर्चिता का एक ग्रूप बन गया था और वो अक्सर कैंटीन में बैठ कर गप्पें मारते रहते थे ।अक्सर वो गेट वे ओफ इंडिया या मरीन ड्राइव पर भी घूमने चले जाते थे ।अंकुश और बिंदु का प्यार भी धीरे धीरे परवान चढ़ रहा था । कहते है कि प्यार अंधा होता है कुछ नहीं देखता । अंकुश और बिंदु भी अपनी ख़ानदानी दुश्मनी भूल कर अब एक दूसरे के हो गए थे ।उन्हें इस बात की भी कोई परवाह नहीं थी की उनके घर वालों को पता लगने पर क्या होगा । वो अब दो आज़ाद पंछी थे जो दुश्मनी के पिंजरे से बाहर निकल आए थे । कभी कभी जब बिंदु अंकुश से ये बात करती कि अगर हमारे घर वाले ना माने तो हम क्या करेंगे तो अंकुश उसे कह देता कि चिंता मत करो जो होगा देखा जाएगा और हम उन्हें किसी तरह मना लेंगे ।
वो लोग अब ऐम बी बी ऐस के तीसरे साल में आ गए थे । अंकुश ने एक मोटर साइकल भी ख़रीद ली थी और कई बार तो वो दोनो ही मरीन ड्राइव पर निकल जाते थे और घंटों वहाँ बैठे रहते थे ।वो दोनो प्यार में पागल हुए अपनी आगे की ज़िंदगी के सपने बुन रहे थे ।
to be continued

