Ashish Dalal

Abstract

5.0  

Ashish Dalal

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दोस्त

दोस्त

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‘अब इस वक्त कहाँ जा रही हो ?’ उसे रोकते हुए उसका हाथ पकड़ते हुए उसने पूछा।

‘केतन शायद अपने कमरे की लाइट चालू रखकर सो गया है। देखकर आती हूँ।’ अपने कपड़े व्यवस्थित करते हुए उसने जवाब दिया।

‘तुम सो जाओ। मैं जाकर आता हूँ।’ कहते हुए वह उठा और बदन पर शर्ट चढ़ाकर उसके बटन बंद करते हुए कमरे से बाहर निकल गया।

बाजू के कमरे के दरवाजे की दरार से रोशनी छन कर बाहर आ रही थी। उसने धीमे से दरवाजे को धक्का दिया। आहट पाकर बिस्तर पर लेपटॉप लेकर बैठा केतन घबराकर हड़बड़ाहट में लेपटॉप की स्क्रीन लॉक करने लगा। कुछ गलत होने की आशंका से वह फुर्ती से केतन के पास जाकर बैठ गया। लेपटॉप की हैंग हो चुकी स्क्रीन की ओर उसने देखा और फिर लेपटॉप एक ओर रखते हुए केतन की ओर नजरें घुमा ली। केतन ने शर्म और डर से अपनी आँखें बंद कर ली।

‘ये क्या चल रहा था ?’ अपने गुस्से पर काबू करते हुए उसने कड़क स्वर में पूछा।

‘सॉरी पापा। गलती हो गई।’ कहते हुए ए.सी. की ठण्डक में भी उसके माथे से पसीने की बूंदें उभर आई।

‘कितने साल का हो गया है तू ?’

‘सोलह।’ उसके पूछने का भावार्थ न समझते हुए डरते हुए उसने धीरे से जवाब दिया।

‘तेरी उम्र अब तुझे मारकर धमकाने की नहीं रही।’ उसने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा।

‘सॉरी पापा। फिर ऐसी गन्दी हरकत नहीं करूँगा।’ एक अपराधभाव से घिरते हुए वह बार बार माफी मांगे जा रहा था। उसके इस अप्रत्याशित व्यवहार से उसे डर से ज्यादा घबराहट हो रही थी।

‘इस उम्र में इन सब बातों के लिए उत्सुकता होना स्वाभाविक है पर अपनी उत्सुकता मिटाने का यह तरीका गलत तो है और समय की बर्बादी भी है।’ उसने लेपटॉप की ओर इशारा कर उसे समझाते हुए कहा।

वह अब भी नीची नजरें किए हुए फर्श पर अपने पैर का अंगूठा घिस रहा था।

‘यह उम्र गर्म गैस पर रखे प्रेशर कुकर की तरह होती है। एक निश्चित समय से पहले कुकर खोलने की भूल करने से एक बड़ी दुर्घटना होने की सम्भावना होती है वैसे ही सेक्स के बारें में समय से पहले जान लेना और गलत तरीके से जान लेना घातक होता है बेटा। जीवन में भूख और प्यास के अलावा बढ़ती उम्र के साथ सेक्स भी जीवन की जरुरत बन जाता है पर उसके लिए सही वक्त का होना जरूरी है।’ उसने उसके बालों को सहलाकर अपनी जगह से खड़े होते हुए कहा।

‘थेंक्यू पापा।’ एक विश्वास के साथ उसने उसकी आँखों को देखा और उससे लिपट गया।


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