Dinesh Divakar Stranger

Romance Horror

2.5  

Dinesh Divakar Stranger

Romance Horror

दिव्य दृष्टि- एक रहस्य 3

दिव्य दृष्टि- एक रहस्य 3

7 mins
1.0K


अब तक...

प्रेम के उपर पंखा गिरने वाला था लेकिन किसी अंजान शक्ति ने उसकी मदद की और फिर रात को अचानक कमरे में बदबू और घुटन फैलने लगा लेकिन थोड़ी ही देर में बदबू की जगह फूलों की खुशबू कमरे में फैलने लगा। सुबह प्रेम के बाथरूम में खून के नदी ने प्रेम को डुबो दिया था लेकिन फिर किसी ने उसकी मदद किया और उसकी जान बच गई फिर प्रेम और जैसिका की दोस्ती धीरे धीरे प्यार में बदलने लगा था और जो थियेटर में हुआ और एक बात जो प्रेम के मन में खौफ़ पैदा कर दिया है कि उसे कोई मारने की धमकी देता है।


अब आगे.....

प्रेम- "कुछ करो यार मैं नहीं जानता कि वो मुझसे क्या चाहती है और किस बात का बदला ले रही है।"

रोहन- "क्या तुम्हारे पिछले जिंदगी में ऐसा कुछ हुआ है जो नहीं होना चाहिए था।"

"प्रेम- मुझे कुछ नहीं याद आ रहा है यार मेरे पिछले जिंदगी में क्या हुआ था।"

"रोहन- अच्छा तू टेंशन मत ले, मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूँगा, मेरे पापा एक बहुत बड़े बाबा का जिक्र किया करते थे जो बड़े से बड़े भूत प्रेत को भगा चुके हैं, पहले वे एक बहुत बड़े पैरानार्मल एक्सपर्ट थे फिर पता नहीं ऐसा क्या हुआ कि वे अचानक पहाड़ीयों में जाकर रहने लगे।"

प्रेम- "तो बुला ना उस बाबा को, क्या नाम है उनका ?"

रोहन- "सहस्त्रबाहु नाम है उनका, लेकिन वे अब भूत प्रेत भगाने का काम नहीं करते।"

प्रेम- "क्यों वो अब भूत प्रेत भगाने का काम नहीं करते।"

रोहन- "ये राज तो कोई नहीं जानता वे अचानक ही अपना काम छोड़कर पर्वत की ओर निकल पड़े कुछ दिनों तक वे वहीं अपना काम करते रहे फिर वे अपना काम पूरी तरह से त्याग कर वहां रहने लगे।"

लेकिन एक बात है उनसे अच्छा भूत प्रेत भगाने का कार्य कोई नहीं कर सकता, लेकिन फिर भी मैं उन्हें मानने और यहां लाने का प्रयास करूँगा और कोई न कोई उपाय ज़रूर लेकर आऊंगा।

प्रेम-" प्लिज यार, अब तो वे सहस्त्रबाहु ही आखिरी उम्मीद है।"

रोहन- "अच्छा मैं अभी उनके तलाश में जाता हूं, मुझे वापस आने में चार पांच दिन लग सकते हैं तब तक तुम सम्हल कर रहना।"


सुबह सुबह प्रेम तैयार होने लगता है तभी जैसिका का फोन आता है

जैसिका- "हाय प्रेम ! कैसे हो"

प्रेम- "मैं ठीक हूं जैसिका तुम बताओ"

जैसिका- "मैं भी ठीक हूं"

प्रेम- "तो बताओ आज हमारी याद कैसे आ गई"

जैसिका- "भूल गए, उस दिन मैंने कहा था सिर्फ मूवी दिखाने से कुछ नहीं होगा।"

प्रेम- "तो आज क्या हुक्म है मेरे आका"

जैसिका- "हा हा हा, आज मौसम बड़ा सुहाना है तो क्यों ना कहीं घूमने जाये।"

प्रेम- "वो तो ठीक है लेकिन आज मुझे आँफिस में बहुत काम है।"

जैसिका - "मुझे पता था मेरे लिए तुम्हारे पास टाइम नहीं है तुम तो मुझे अपना दोस्त ही नहीं मानते।"


यह कहकर जैसिका ने अपना फोन ज़मीन पर पटक दिया, प्रेम जैसिका को फोन करता रहा लेकिन जैसिका का फोन नाट रिचिबल आ रहा था।

जैसिका अपने कमरे में उदास बैठी थी तभी गाड़ी की हार्न सुनाई दिया जैसिका खिड़की से बाहर देखी तो प्रेम गाड़ी में बैठकर उसे बुला रहा था वह नीचे आईं और बोली- "वाव ! गाड़ी तो मस्त है कब लिया।"

प्रेम- "लिया नहीं है यह तुम्हारे पापा ने दिया है कंपनी के तरफ़ से।"

जैसिका बनावटी गुस्से से बोली- "तो जाओ यहां क्यों आये हो" 

प्रेम- "अब माफ़ भी कर दो मैं तुम्हारे लिए अपना सारा काम छोड़कर आया हूं, चलो ना कहीं लौंग ड्राइव पर चलते है"

जैसिका - "ओ.के. मैं एक ही शर्त पर चलूंगी कि गाड़ी मैं चलाऊंगी "

प्रेम- "ठीक है बाबा, अब चलो"

दोनों दिन भर एक साथ घूमते हैं और ख़ूब एन्जाय करते हैं, शाम को दोनों एक रेस्टोरेंट में काफी पीते है।

प्रेम- "मैं एक मिनट में आता हूं।"

प्रेम थोड़ी देर के लिए कहीं चला जाता है फिर वापस आकर बड़े रोमांटिक ढंग से जैसिका को गुलाब देते हुए बोला- "आईं लव यू जैसिका, विल यू मैरी मी"

जैसिका थोड़ी खुश हो जाती है लेकिन फिर उदास होकर कहती है- सॉरी प्रेम, काश तुमने ये बात पहले कही होती, दो दिनों बाद मेरी सगाई है।"

प्रेम उदास हो जाता है और फिर एक भी शब्द नहीं बोल पाया फिर दोनों वापस आ जाते हैं, प्रेम का मन कहीं भी नहीं लग रहा था ऐसे ही बैठे बैठे दो दिन निकल जाते हैं।


शाम को जैसिका का फोन आता है

जैसिका - "हैलो प्रेम, तुम अभी तक नहीं आए"

प्रेम- "मेरा मन नहीं है जैसिका" 

जैसिका - "देखो प्रेम अगर तुम नहीं आए तो मैं भी सगाई में नहीं जाउंगी।"

प्रेम- "ओके बाबा, मैं दस मिनट में आता हूं"

प्रेम तैयार हो जाता है लेकिन उसका चेहरा से साफ़ पता चलता है कि वो कितना दुखी है।

वह जैसिका के घर पहुंच जाता है।

जैसिका प्रेम से थोड़ी देर बात करती रहती है तभी जैसिका के पापा अनाउंसमेंट करते हैं- "हैलो दोस्तों, आज आप सब यहां आए उसके लिए मैं आपका आभारी रहूँगा आज मेरी प्यारी बेटी जैसिका की सगाई होने जा रही है।"

ये सुनकर प्रेम जाने लगता है

तभी जैसिका के पापा प्रेम को रोकते हुए बोले- "अरे दुल्हे राजा आप कहाँ जा रहे हैं आपके बिना ये सगाई कैसे होगी।

ये सुनकर प्रेम चौक गया और पीछे मुड़कर जैसिका की तरफ देखता है, जैसिका भी हाँ में सिर हिलाती है और माफ़ी मांगती है।

हाँ दोस्तों मेरी प्यारी बेटी की सगाई मेरे कंपनी के नये मैनेजर प्रेम के साथ होने जा रहा है लेट्स सेलीब्रेट। ये सुनकर प्रेम के चेहरे पर खुशी छा जाता है वह झुम उठता है, वह जैसिका को बनावटी गुस्से में बोला- "ऐसा कोई करता है क्या, मेरा तो जान ही निकाल दी थी।

जैसिका भी कान पकड़ कर बोली- "अच्छा सारी बाबा, मैं तो तुम्हें सरप्राइज देना चाहतीं थी"

प्रेम- "अच्छा तो चलो अब एक प्यारी सी पप्पी तो दो ज़रा"

"अच्छा जी ! जनाब थोड़ा इंतजार कीजिए इंतजार का फल मीठा होता है" - जैसिका मुस्कुराते हुए बोली

फिर सगाई का कार्यक्रम शुरू हो जाता है, दोनों एक दूसरे को रिंग पहनाते हैं और सब रस्म खत्म हो जाने के बाद प्रेम जैसिका से कहता है- "अच्छा जैसिका मैं अभी जाता हूं, रात भी बहुत हो चुकी है।"

जैसिका- "रात के बारह बज रहे हैं, इतनी रात को तुम जाओगे,यही रूक जाओ ना"

प्रेम- "डोन्ट वरी मैं चला जाऊँगा"

जैसिका- "ओके सम्हल कर जाना और ये लो तुम्हारे सब्र का फल"

रात के बारह बजे गाड़ी फूल स्पीड में चल रहा था तभी गाड़ी के आगे से कोई गुजरा, प्रेम ज़ोर से ब्रेक दबाया, सामने एक भिखारी प्रेम को देखकर चिल्लाया- "ये तूने ठीक नहीं किया, इसका बदला वो लेकर रहेगी, तेरी सजा अब सब भुगतेंगे, वो आ गई है।"

प्रेम थोड़ा डर गया फिर गाड़ी साइड से लेकर आगे बढ़ गया, थोड़ी ही देर में वह घर पहुंच गया। घर का दरवाज़ा खोलकर वह अंदर गया लाइट नहीं था, वह मोबाइल का टार्च जलाकर मोमबत्ती ढूंढने लगा, तभी पीछे से कोई मोमबत्ती जलाकर आ रही थी साथ में उसके मुंह से डरावनी आवाज़ के साथ गाना गा रही थी..

अनजान है कोई, बदनाम है कोई

किसको खबर , कौन है वो

अंजान है कोई..


प्रेम डरते हुए पीछे मुड़ा सामने मोमबत्ती के साथ एक भयानक डायन खड़ी थी प्रेम उसे देखकर चिल्लाया- "क क कौन हो तुम क्या चाहती हो क्यो मेरे पीछे पड़ी हो।" ये सुनकर वह डायन रोने लगी फिर बड़ी ही आक्रोश आवाज़ में बोली- "मुझे भूल गए जिसने तुम्हें अपना सब कुछ माना उसे भूल गए, अब इसकी सजा मिलेगी, भुगतोगे तुम भी भुगतोगे, नहीं छोडूंगी। मैंने तुमसे कहा था ना कि उस लड़की से दूर रहो तुम सिर्फ मेरे हो अब जब मैं तुम्हारी न हो सकी तो उसे भी मैं तुम्हारा नहीं होने दूंगी" - ऐसा कहकर वह गायब हो गई।

तभी किसी ने दरवाज़ा खटखटाया प्रेम दरवाज़ा खोला तो सामने जैसिका खड़ी थी।

"जैसिका तुम! प्रेम चौक गया, तुम यहां कैसे, क्या बात है?"

लेकिन जैसिका सिर झुकाए खड़ी थी प्रेम उसे फिर से पूछा- "जैसिका क्या हुआ ?"

जैसिका रोते हुए बोली- "प्रेम ये तुमने क्या किया, मुझे बचा लो ये मुझे मार डालेगी।"


प्रेम कुछ समझ पाता इससे पहले जैसिका अपना सिर उठाया उसकी आँखें लाल हो गई थी जैसे खून की प्यासी हो, चेहरा एकदम डरावना और अपने ही होठों को चबाएं जा रही थी। फिर अचानक से वह प्रेम के उपर चढ़ गई प्रेम नीचे गिर पड़ा वह उसके उपर बैठकर बोली- "कैसा लग रहा है अपनी माशूका की ऐसी हालत देखकर ऐसे ही ये मरेगी उसके बाद तुम भी मरोगे। अब पहचाना मुझे दृष्टि हूं मैं,"

"क्या" प्रेम चौक गया, "दृष्टि", नहीं ऐसा नहीं हो सकता तुम तुम तो ...


      


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance