V Aaradhya

Tragedy Classics Inspirational

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V Aaradhya

Tragedy Classics Inspirational

दिल उदास है नाउम्मीद नहीं

दिल उदास है नाउम्मीद नहीं

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हैलो , अमला कैसी हो ? कल रात रिद्धि नहीं रही। कोरोना लील गया उसे।" बोलते बोलते आकाश एकदम रोँआसा हो गया।

और अमला।।। हतप्रभ।रिद्धि उसकी छोटी ननद और अभिन्न सहेली।इस साल ही तो तीस की हुई थी। अबकी बार होलीपर जब मुलाक़ात हुई थी तो सात माह का गर्भ था। अमला ने उसे छेड़ा भी था कि लगता है लड़की होगी तभी तु इतनी सुन्दर होती जा रही है। तो रिद्धि शरमाकर चुप रह गई थी और उसकी सास ये पंक्तियाँ सुनाकर खुद के कवयित्री होने का परिचय देने को बेताब थी।"किलकारी गूंजे पर सिसके ना कोईहँसे गाए पर हदसे ना कोई।"और आज उसी हदस में रिद्धि चली गई इस दुनियाँ से। अपने अंदर एक नन्हीं सी जान लेकर।अमला का मन चित्कार कर उठा।

जैसे पागलों की तरह खुद से ही बातें किये जा रही थी।हदस रहे हैँ लोग। मेरा अंतस भी शांत कहाँ है ?एक जानलेवा वायरस ने लोगों की ज़िन्दगी के साथ आनेवाली खुशियों को भी जैसे लील लिया है।और अब अपनी बहन और अमला की सबसे प्रिय सहेली रिद्धि की मौत के अगले दिन आकाश पूछ रहा है कि कि आज का अख़बार देखा क्या ?

और इस सवाल का क्या जवाब दे अमला जब इतने कठिन समय में भी आकाश पूछ रहा है उससे कि,"तुम कैसी हो ? तुम ठीक तो हो ना ?"तो एकबारगी अमला को लगा कि,"आकाश इतना हृदयहीन कैसे हो सकता है ? "भला जिसकी बहन की अकाल मृत्यु एक दिन पहले हुई हो वो उसे अख़बार देखने क्यूँ क़ह रहा है।

पगली अमला अपने दुःख में इतनी दुखी थी कियह भी नहीं समझ पाई कि आकाश को कितनी चिंता है। तभी बहन का दुःख किसी तरह सीने में दबाकर उससे सामान्य होकर बात करने की कोशिश कर रहा है।और अख़बार। उस अख़बार में रिद्धि के पति राजीव जो कोरोना से ठीक हो गए थे उनके प्लाज़्मा डोनेट करने की खबर छपी थी। जिसकी पत्नी का देहांत एक दिन पहले हुआ था, वो अपना प्लाज़्मा दान कर औरों की जान बचाने की कोशिश कर रहा था। भला इतने महान हृदय कितने लोग हैं आज ?अमला राजीव की बातों का मर्म ना समझ अपने मन की भड़ास निकालती रही थी।पर आकाश ने उसे बीच में रोका नहीं ताकि उसका मन हल्का हो जाए।

अमला बोलती रही थी और आकाश बस सुनता रहा था। शायद उसका मर्म समझना चाह रहा था।आखिर पति से एक माह से दूर रह रही संवेदनशीलपत्नी अपना दुःख कहे भी तो किससे ?

कोरोना की वजह से सोशललाइफ है ही नहीं।ऐसे में जब कभी अमला का मन दुखता वो दूर मेरठ गए हुए अपने पति आकाश से मन की सारी बातें करके हल्की हो जाती।उसकी ननद रिद्धि और उसके पति राजीव दोनों को कोरोना हो गया था। वो तो अच्छा हुआ कि किसी काम से आकाश मेरठ गया तो रिद्धि के बारे में पता चला।

रिद्धि और राजीव होम आइसोलेशन में थे इसलिए वो दूर से ही मिलकर कुछ ज़रूरी सामान पहुँचाकर चला आया था। वैसे राजीव को ठीक हुए पंद्रह दिन हो चुके थे पर वो रिद्धि की जी जान से सेवा कर रहा था। माँ को रिद्धि के सम्पर्क में आने से दूर रख रहा था क्यूँकि इस उम्र में उनकी रोग निरोधक क्षमता अपेक्षाकृत कम थी।रिद्धि गर्भवती थी इसलिए उसकी सास भी उसके पास आई हुई थी।उसी शहर में उसके मम्मी पापा भी रहते थे।पिछले दिनों कबूतर बहुत परेशान कर रहे थे। माँ के कई फोन आ चुके थे कि कुछ करो। तो बालकनी में जाली लगवाने आकाश लखनऊ आया था कि कोरोना का प्रकोप बढ़ने से लॉकडाउन हो गया।

वैसे उसे माँ बाबूजी के साथ रहना अच्छा तो लग रहा था पर इतने दिन के लिए अमला लखनऊ में अकेली रह गई थी इसीकी चिंता थी। सबसे ज़्यादा ये कि अभी तीन महीने पहले ही अमला का दूसरी बार गर्भपात हो गया था और डॉक्टर ने उसके आगे माँ बनने की संभावना को एकदम समाप्त बताया था जिससे अमला एकदम अवसादग्रस्त हो गई थी।आकाश को पता था, बच्चे को खोने के बाद अमला टूट सी गई है। इसलिए वो जब तब फ़ोन करके उसका हालचाल पूछता रहता था।पर आज अपनी छोटी बहन के आकस्मिक निधन से आकाश भी एकदम अधैर्य हो गया था।

और अमला तो बस अपने होशो हवास खोकर कुछ भी बोले जा रही थी।वो आकाश के सामने ही अपना मन खोल पाती थी।इसलिए आज भी जब अमला अपना दर्द , मन की सारी बातें धराप्रवाह बोलती चली गई तो आकाश चुपचाप सुनता रहा।अमला का मन इतना भारी था कि अगर वो आकाश से नहीं बोलती तो मन ही मन और घुट जाती।बोल तो वो आकाश से रही थी। पर अपने मन में उठते तमाम सवालों का जवाब जैसे खुद को दे रही थी।आकाश ने सिर्फ इतना ही तो पूछा था कि"तुम ठीक हो ना ? "और अमला कहती चली गई।"कैसे कहूँ कि ठीक हूँ जबकि चारों ओर एक आतंक सा है। सुबह से ही मेरा मन कई तरह की आशंकाओं से डर जाता है।

जैसे कि।।।इन दिनों सुबह का अख़बार डराता है मुझे।न्यूज़ चैनल पर आए दिन कोरोना में अपना जीवन ना बचा पाने वाले लोग, हॉस्पिटल में बेड ना मिल पाने की वजह से मरते हुए लोग और ऑक्सीजन की कमी से मरते हुए लोग!मैं नहीँ पढ़ना चाहती रोज एक ही तरह का समाचार।नहीं देखना चाहती लाचार, मज़बूर होकर मरते हुए लोगों क़ो।पर मेरे आँख मुंद लेने से थोड़ी ना अंधेरा हो जायेगा ?इसलिए एक बार फिर हिम्मत करती हूँ और पढ़ती हूँ देखती हूँ समाचार।

अपनों की खैरियत फोन पर पूछती हूँ। माँ की कमज़ोर आवाज़ और पिता की झूठी हँसी मुझे उनकी ज़िन्दगी क़ो लेकर और डरा देती है।सोचती हूँ ,साँस लेने को हवा भी दुर्लभ। जो ऑक्सीजन यूँ ही हवा में व्याप्त था वो भी विलुप्त। सिलिंडरों में कैद।कैसे ख़ुश रह सकती हूँ मैं इस मौत के तांडव के बीच ?कैसे कहूँ कि ठीक हूँ मैं।मेरे चेहरे पर लगा हुआ डबल मास्क ना तो ज़्यादा दिन तक मुझे कोरोना से बचा पायेगा और ना ही लोगों की दोहरी मानसिकता से। जो सिर्फ अपनेबारे में सोचते हैँ। कोरोना महामारी ने जहाँ एक कोहराम मचा रखा है, वहीं लोगों को आत्मकेंद्रित और स्वार्थी भी बना रहा है।कोरोना वैक्सीन की कमी मुझे डराती है।रोगी क़ो समय पर एम्बुलेंस ना मिलना भी मुझे बहुत चिंतित करता है।

आज कोई है कल उनकी जगह कोई और हो सकता है।"और यही राक्षस मेरी रिद्धि मेरी प्रिय सहेली जैसी ननद को भी खा गया। मुझे मत पूछो कि मैं कैसी हूँ, मैं बिल्कुल ठीक नहीं हूँ। "बोलते बोलते साँस फूल गई अमला की।शायद रो रही थी वह।आकाश ने थोड़ी देर उसे संयत होने दिया फिर बोल पड़ा,"देखो अमला ! माना कि ये हम सबके जीवन का एक कठिन दौर है। पर हर अँधेरी रात के बाद एक रुपहली सुबह होती है। तुमने मेरी पूरी बात नहीं सुनी। "आकाश ने अपनी आवाज़ को भरसक मुलायम बनाते हुए कहा।।।"रिद्धि तो चली गई। डॉक्टर्स उसे नहीं बचा पाए पर अपनी गुड़िया को छोड़ गई। उसने अपनी मौत से लगभग पाँच घंटे पहले एक स्वस्थ और प्यारी सी बच्ची को जन्म दिया था जो अभी हॉस्पिटल में ही है।

उसके सास ससुर चाहते हैँ कि उस बच्ची कालालन पालन अब तुम करो। उनका बहुत विश्वास है तुम पर । और रिद्धि की तो सबसे प्रिय सहेली रही हो तुम।""और राजीव जीजाजी की फोटो और प्रशंसा छपी है अख़बार में जो इस दुःख की घड़ी में भी अपना दुःख भूलकर लोगों की जान बचाने के लिए अपना प्लाज्मा दान कर रहे हैँ। "आकाश ने इसबार ज़रा जोर से कहा।

आकाश ने महसूस किया अमला उसकी बात अब ध्यान से सुन रही है क्यूँकि उसकी सिसकियाँ अब बँद हो गईं थी।तो आकाश ने आगे अपने स्वर में उत्साह लाते हुए कहा,"और तैयार रहना सात दिन के बाद एक नन्हीं परी को लेकर आ रहा हूँ और साथ में अम्मा भी आ रही हैँ। इस तरह तुमको खुद एक माँ की ज़िम्मेदारी निभाने का मौका मिलेगा और एक अनुभवी माँ का मार्गदर्शन भी मिलेगा। तुम क्या सोच रही हो ?

कुछ तो बोलो प्लीज।अब तक अमला संभल चुकी थी। राजीव को भी हिम्मत करके फोन किया उसे ढांढस बंधाया कि नन्हीं गुड़िया को वो देख लेगी। राजीव बार बार भरे गले से अमला का शुक्रिया अदा कर रहा था तो बेहद रोई हुई आँखों के साथ होंठों पर एक स्मित सी मुस्कुराहट आई कि अब वो भी मातृत्व का सुख पा सकेगी।

खुद की कोखजाई ना सही, एक बेटी की माँ बन सकेगी। अमला को अचानक यूँ लगा जैसे एक छोटी सी गुलाब की पंखुड़ी जैसी बच्ची उसकी गोद में खिलखिला रही हो।"आकाश, जल्दी से उस परी को ले आओ। मेरी रिद्धि की निशानी। मैं उसे बहुत प्यार करुँगी। और रिद्धि को अपने जेहन में हमेशा ज़िंदा रखूँगी।"

"हाँ, अमलामैं लेकर आ रहा हूँ रिद्धि की निशानी को "आकाश भी भावुक होकर बोला।थोड़ी देर में अमला रिद्धि की फोटो के सामने दिया जलाकर उसकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना कर रही थी। और सोच रही थी निराशा में आशा की किरण बनकर रिद्धि का बालरूप और उसका बचपन वापस लौट कर आनेवाला है।नाउम्मीद हो गए तो ज़िन्दगी नाकाम हो जाएगी। जब ऐसी अनिश्चय की स्थिति है कि कल क्या होगा इसका किसीको अंदाजा नहीं तो मन में एक उम्मीद का दिया ज़रूर जलाए रखना होगा।

"माना , आज सब ठीक नहीं। जल्दी ही सब कुछ ठीक हो जायेगा।"आनेवाला कल ज़रूर उजालों भरी नई सुबह लेकर आयेगा !


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