Shailaja Bhattad

Abstract

4  

Shailaja Bhattad

Abstract

धूर्त

धूर्त

1 min
352



"यहां प्रतियोगिताओं के परिणाम में बहुत धोखाधड़ी होती है, पिछली बार भी जिसे प्रथम पुरस्कार मिलना था, उसे तृतीय पुरस्कार लेकर ही संतुष्ट होना पड़ा, फिर क्या सोचा है तुमने"?आशा ने पूनम से पूछा। "किस बारे में", 

"यही कि तुम प्रतियोगिता में भाग ले रही हो या नहीं"।

 "हां लूंगी, जरूर लूंगी"।

"तुम्हें सच से अवगत कराने के बाद भी"।

 "सच क्या है, वह तो मैं अच्छी तरह से समझ चुकी हूं आशा"।

 पूनम का जवाब सुन, आशा झेंप गई, क्योंकि पूनम उसकी जीत में सबसे बड़ा रोड़ा थी, अतः उसे अपने मार्ग से हटाने के लिए आशा ने जो जाल फेंका था , पूनम उसमेँ फंसी नहीं, क्योंकि वह आशा की चाल भलीभांति समझ चुकी थी।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract