Priya Kanaujia

Horror

4.3  

Priya Kanaujia

Horror

दहशत चुड़ैलों की

दहशत चुड़ैलों की

3 mins
532


भूत,प्रेत, चुड़ैल और पिशाच क्या होते हैं इन सबसे मैं अनजान थी । बात मेरे बचपन की है तब मैं काफी छोटी थी यहीं कोई 4-5 साल की।तब हम अपने गांव में रहा करते थे। हमारे गांव में उस वक्त काफी चर्चा थी इस बात की कि चुड़ैलों ने गांव में आतंक मचा रखा है। मेरे घर में 2 आंगन थे । पीछे वाले आंगन की रोड़ की तरफ एक घर था जिसमें एक पीपल का पेड़ था। गांव वालों का मानना था कि उस पीपल पर 7 चुड़ैलें रहती हैं। ये बहुत ही डरावनी कहानी हुआ करती थी मेरे लिए।

मुझे उस वक्त भूतों और चुड़ैलों से बहुत डर लगा करता था। एक दिन मेरी पड़ोस की सहेली ने मुझे बताया कि उसने कल रात पीपल के पेड़ पर चुड़ैल को देखा। फिर उसने मुझे बताना शुरू किया, वो बोली-- मैं जब रात को अपनी सहेली के घर से सिनेमा देखकर आ रही थी तो मैं जब पीपल के पास पहुंची तो मुझे किसी की डरावनी हंसी की आवाज सुनाई दी, कोई बोला सरिता मेरे पास आओ, मैंने धीरे से ऊपर देखा तो मेरी जान निकल गई , मेरे सामने एक चुड़ैल पीपल पर बैठी थी जिसके काले घने , लम्बे बाल लहरा रहे थे, डरावनी शक्ल लम्बे नाखून और ड्रैकुला की तरह बाहर निकले दांत थे । अचानक से वहां बहुत जोर से हवा चलने लगी और असाधारण सी घटनाएं होने लगी, कुत्ते भौंकने लगे,भयानक चीखें सुनाई देने लगी। मैंने वहां से भागने की कोशिश की तो ऐसा लगा जैसे मेरे पैर जम गये हों। मैंने तुरंत अपना गले का भगवान वाला लाकेट माथे में लगाया और हनुमान चालीसा जोर-2 से पढ़नें लगी। वो चुड़ैल चीखने लगी और मैं अपनी पूरी जान लगा कर वहां से भाग आयी।" मेरी सहेली ने जैसे ही अपनी बात पूरी की और मुझे हाथ लगाया तो मैं चीख पड़ी।

सरिता अपने घर चली गई और मुझे सोच में डाल गई क्योंकि हमारे घर का शौचघर पीछे वाले आंगन में ही था। मैं अब रोज शाम को जल्दी से सबकुछ निपटाकर सो जाती थी। मेरी चादर एक इंच भी मेरे सर के नीचे नहीं होती थी और हनुमान चालीसा तो कंठस्थ हो गया था।एक दिन सुनने में आया कि पीपल जिस घर में था उसका मालिक उसे काटने जा रहा है । मैं अपनी छत पे चढ़ गई और देखा कि जैसे ही उसने एक डाल काटी उस पीपल की वो धड़ाम से नीचे आ गिरा और सब उसे अस्पताल ले गए। अब तो लोगों में पीपल की चुड़ैलों की दहशत और भी बढ़ गई थी। लोगों ने शाम के बाद वहां से निकलना बंद कर दिया था। मेरे अंदर दिन ब दिन खौफ पैदा हो रहा था और फिर वो रात आई जिसका मुझे डर था। रात के 3 बज रहे थे और मुझे शौचघर जाना था मगर डर से जान निकली जा रही थी। फिर मैंने जानें की हिम्मत जुटाई और धीरे-2 कदम बढ़ाने लगी। कई बार ऐसा लगा जैसे मेरे पीछे कोई चल रहा हो, छम्म छम्म की आवाज सुनाई दी। हिम्मत करके पीछे देखा तो कोई नहीं था और जैसे ही मैं आंगन में पहुंची शौचघर की तरफ भागी। फिर जब वहां से निकली तो मेरा मन हुआ आज चुड़ैल को देखकर ही जाऊंगी और मैं आंगन में खड़े होकर पीपल को निहारने लगी। मैं वहां काफी देर खड़ी रही लेकिन मुझे कोई चुड़ैल नहीं दिखाई दी, उस दिन मैंने जाना कि भूत प्रेत और चुड़ैल सब हमारे मन का वहम होता है और कुछ नहीं। उस दिन से आजतक मुझे कभी किसी चीज से डर नहीं लगा।



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Horror