Ritu Garg

Abstract Inspirational

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Ritu Garg

Abstract Inspirational

दहलीज

दहलीज

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कविता, कविता तुम कहां हो, अचानक आई आवाज से कविता सहम गई।

सोचने लगी आज भैया को क्या हुआ है? आज तक तो ऐसी कभी घबराए हुए देखा नहीं।

उमड़ घुमड़ कर खुद से ही सवाल करने लगी थी। ऐसा क्या है जो भैया को विचलित कर रहा है। क्या मुझसे कोई गलती हुई मैंने ऐसा कोई कार्य किया जिससे मुझे आज भैया से डांट पड़ने वाली है।

खुद से ही सवाल किए जा रही थी। तभी अचानक भैया नेआ कर झकझोरा, तू ठिक है ना।

भैया मुझे क्या होगा आप ऐसे घबराएं हुए क्यों हो।

मुझे बताओ क्या हुआ क्या मुझसे कोई गलती हुई।

बंटी स्वयं को संभालते हुए बोला नहीं नहीं कुछ नहीं?

सुनो तुम अपना ख्याल रखना और घर से बाहर कोई भी काम हो तो मुझे बताना।

मैं तुम्हारे सारे काम कर दूंगा।

क्यों भैया मैं भी तो कर सकती हूं?

कविता समझ नहीं पाई थी अचानक भैया को क्या हुआ।

इसी बीच कविता अतीत में जाकर सोच रही थी।

जब उसका जन्म हुआ तब घर में कितनी रोनक इतनी खुशियां छाई थी।

क्योंकि वह पांच भाइयों की लाडली जो थी।

सभी के लाड प्यार के बीच पली बढ़ी। कुछ भी बोलने से पहले ही उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण की जाती है।

वह अपने आप को भाग्यशाली मानती।

बचपन में जब भी कुछ बाहर का काम होता तो उसे ही बोला जाता जा तू जल्दी से कर आ।

मां भी उससे छोटे-मोटे काम करवाती।

कभी मंदिर से पंडिताइन को बुलाना तो कभी पड़ोस से आंटी को बुलाना।

कभी सभी घरों में प्रसाद बांटना इत्यादि।

समय कैसे भी जाता है पता ही नहीं चला।

स्कूल में जाने के लिए भी वैन लगवा दी गई।

वह अब बड़ी क्लास में हो गई थी।

यह धीरे-धीरे बड़ी हो रही थी। लेकिन वह इस बात से बेखबर थी।

वही हंसी खुशी, वही मुस्कान वही आजादी वाली बातें।

कभी भी मां बाबा ने भाइयों ने कभी किसी बात के लिए मना नहीं किया।

वह हंसते खिलखिलाते जीवन की उस दहलीज पर खड़ी हो गई थी। जहां पर भाइयों का चिंतित होना स्वाभाविक था।

बंटी अभी अभी बाहर से वह सभी देख कर आ रहा था जो वह अपनी बहन को बताने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था।

अपने घर में कविता को सुरक्षित देखकर उसने राहत की सांस ली।

बाहर जो भी हुआ वह डरावने सपने जैसा उसकी आंखों के सामने बार-बार आ रहा था।

दिनदहाड़े बीच बाजार में एक लड़की को सरेआम लूटा गया। और अंत वही उसके बदन को एक कपड़े से पूर्णतः ढक दिया गया।

वह डर गया था। उसने मन ही मन निर्णय कर लिया था।

वह नहीं चाहता था उसकी बहन को किसी की नजर लगे।

लेकिन डर रहा था,कविता को कुछ भी बताने कि इतनी हिम्मत नहीं थी।

वह सोच रहा था, अपनी बहन की सभी जिम्मेदारियां बखूबी निभा आएगा।

अब उस दहलीज को उसे पार नहीं करने देगा।

उसके इस डर को कविता समझ नहीं पा रही थी।

वह इतने लाड प्यार में पलने के बाद भी बहुत संस्कारी थी। वह बात को समझ चुकी थी कि जरूर किसी घटना ने भैया को झकझोर दिया है।

एक औरत होने के नाते उसकी जिंदगी पर कोई प्रश्न चिह्न नहीं लगे वह यह अच्छी तरह जानती थी।

अपने भाइयों का मान रखते हुए उसने कहा अच्छा हुआ भैया आपने मुझे स्कूल के लिए वैन का प्रबंध किया।

उस दहलीज का उसने हमेशा सम्मान किया।

कविता ने अपना संपूर्ण ध्यान पढ़ाई पर केंद्रित किया और वह अब आई पी एस ऑफिसर बन चुकी थी।

अब भाइयों को भी बिना कहे सभी कुछ बता दिया कि यदि आत्मा में बल हो तो कोई भी मुसीबत उसके नजदीक नहीं आ सकती।

उसे पूरे शहर में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता।

वह सभी की प्रेरणा बन चुकी थी। उसने दहलीज की मर्यादा को ध्यान में रखते हुए।

अपने परिवार के स्नेह और प्यार का सम्मान बढ़ाते हुए। आत्मविश्वास के द्वारा अपने भाइयों को जग में रहने की रीति से अवगत करवाया।

वह जान गई थी महिलाओं का जीवन कितना दुष्कर होता है। उसने स्वयं से तभी प्रतिज्ञा कर ली थी कि वह भयभीत हो कर अपने जीवन को विराम नहीं देगी।

वह महिलाओं की रीड की हड्डी बन उन्हें संबल प्रदान करेगी।

आज उसके साथ साथ उसके भाई बहुत गौरवान्वित थे। जिस डर ने उन्हें बांधा हुआ था। उनसे उसने मुक्त किया और स्वयं ही स्वतंत्रता से आकाश की ओर उड़ चली ।

इन सभी को समझा रही थी, अनकहे शब्दों में बता रही थी।

कुरीतियों से लड़ो, गलत का विरोध करो। स्वयं में विश्वास रखो और आगे बढ़ो।

यही तुम्हारी दहलीज और यही तुम्हारी मर्यादा है।

दहलीज का अर्थ सभी को बता रही थी।

नारी होने का सही अर्थ वह समझा रही थी जब तक मनोबल नहीं होगा तब तक तुम्हें इस जग में कोई जीने नहीं देगा। अपने हक के लिए अंतर्मन को मजबूत बनाकर कठिनाइयों को पार करते हुए आगे बढ़ना है। सभी को बता देना है कि महिलाएं कमजोर नहीं होती । वह जानती है दहलीज की मर्यादा का ख्याल रखना। दहलीज का अर्थ अपने शब्दों में बता रही थी, सभी का सम्मान करना और अपने जीवन के सपनों को भी ऊंची उड़ान भरने देना। दहलीज के आर पार की दुनिया को बखुबी समझा रही थी।

कविता बहुत खुश थी और अब है उस दलील को पार कर दी थी जहां उसे एक नया संसार बसाना था। उसके परिवार उसके भाई सभी बहुत खुश थी। उसे डोली में बिठाकर दहलिज पार करवा रहे थे।

उन्होंने जान लिया था की कविता की जिंदगी में दहलीज का क्या महत्व है।


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