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Ritu Garg

Abstract

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Ritu Garg

Abstract

सेलिब्रेशन

सेलिब्रेशन

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उचपन के दिन फिर लौट आए थे ,आज जब तीनों दोस्त खाने की टेबल पर बहुत दिनों बाद एक साथ बैठे तो बातों का सिलसिला उन्हें बचपन की गलियों में ले गया ।वह भी क्या दिन थे जहां मस्ती और प्यार था। सामने बैठी विभा,रेखा ,सलोनी उनकी बातें सुन सुनकर ठाकर लगा रही थी ।किस तरह 10 पैसे से प्रमोशन होकर ₹1, 50 पैसे इत्यादि उन्हें मिलते और वह इसका उपयोग गुपचुप इत्यादि खाने में करते। सभी दोस्त एक जगह इकट्ठा होते तो गुपचुप वाले का सारा ठेला समाप्त कर देते। एक बार फिर लौट आया था बचपन, सभी बहुत खुश थे उनकी खुशी को देखकर तीनों की पत्नियां बहुत खुश थी। उनके बचपन के किस्से उन्हें भाव विभोर कर रहे थे। वह चाहकर भी अपना बचपन नहीं भुला पा रहे थे। पिताजी के द्वारा दिए गए काम के लिए कुछ पैसों को बचाना अच्छी तरह जानते थे। पैदल चल कर काम करना और पैसे बचा लेना फिर दोस्तों के साथ कभी बैट बॉल तो कभी गुल्ली डंडा खरीदना । गुजरा जमाना भी कहां लौटकर आता है बातों के साथ भावनाओं में बहता रहता है। मन को फिर बच्चा बना देता है। खेलना मस्ती पढ़ाई सभी कुछ साथ साथ होता। सुबह आंख खोलने के साथ-साथ एक दूसरे के साथ खेलने के बहाने खोजते।

समय के साथ-साथ बड़े हुए। अब वह नुक्कड़ वाले चार दोस्त बन चुके थे। हर शाम एक दूजे के साथ कुछ समय बिताते हंसी मजाक करते आनन्द मनाते ओर जीवन की खुशियां बटोरते। उनके स्वास्थ्य होने का राज भी शायद यही था। एक दोस्त को अपना काम किसी अन्य शहर में व्यवस्थित करना पड़ा। इनकी दोस्ती शहर में अब एक मिसाल बन चुकी थी। दोस्त के शहर के बाहर चले जाने पर भी वह हर रोज उससे बातें करके मिलना नहीं भूलते थे। अपने एक दोस्त के बिना तीनों स्वयं को अधूरा महसूस करते लेकिन जानते थे जीवन में किसी भी मोड़ पर कुछ भी हो सकता है।

बहुत दिनों बाद दोस्त का बर्थडे बना रहे थे खुद से की बचपन की कमियों को पूरा कर रहे थे। बचपन में कहां होता था, जन्मदिवस कहां होता था केक,यह सब बातें उन्हें गुदगुदा रही थी।

सभी अपने बच्चों के साथ रहकर जान गए थे कि बचपन में सेलिब्रेशन कितना जरूरी है।

 बड़े होकर बचपन को जीना उन्हें सुकून दे रहा था और दे रहा था होठों पर मीठी मुस्कान। जीवन में उत्सव का होना उन्हें आनंदित कर रहा था। सभी अपनी-अपनी पत्नियों के साथ एक दूजे के लिए स्वस्थ और दीर्घायु रहने की मंगल कामना कर रहे थे ।बच्चों की तरह खिल खिलाकर डांस करके बर्थडे बना रहे थे और खुशियों से सरोबार होकर अपने मन में उल्लास लिए हुए आज बचपन को जी रहे थे। दोस्त होने पर बहुत गौरवान्वित थे। लाला, कालू, डब्लू, महेशू, नाम बहुत ही प्यारे थे। चारों ही दोस्तों के किस्से गज़ब न्यारे थे।

बस यही मुख से निकल रहा था दोस्त बना लो एक ऐसा जो जीवन के सुख दुख को समझे।



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