देवपुरुष
देवपुरुष
बेटा तुम तो जानते ही हो कि अभी कुछ ही दिन पहले ही मेरी अस्पताल से छुट्टी हुई है।और शरीर मे अब भी बेहद कमजोरी महसूस होती है।
इसलिए बहुत चाहकर भी मैं घर मे नियमित पूजा पाठ नही कर सकती।अतः जबतक मैं पूरी तरह ठीक न हो जाऊं घर के मंदिर में पूजा का कार्य अब तुम्हे ही करना होगा।
बिस्तर पर लेटी गौरी ने उसके बेटे को समझाते हुए कहा,तब माँ की बात सुन फिर बेटा बोला।पर माँ हमारे साइंस टीचर कहते है,की विज्ञान केवल उसे ही मानता है।
जिसे वह अपनी आंख से देखता है,और फिर भगवान को तो आजतक किसी ने कभी देखा ही नही।फिर आखिर ये पूजा पाठ आदि क्यो,क्या आपने कभी भगवान को देखा है माँ?।
फिर बेटे के इस प्रश्न को सुन गौरी कुछ पल उसके चहरे को निहारते हुए उससे बोली।
बेटे जब मुझे हार्ट अटैक आया और तेरे पापा मुझे अस्पताल ले गए, तब मैं सारे रास्ते उस ईश्वर को ही याद करती रही।
पर अस्पताल पहुचने के पहले ही मैं अचेत हो चुकी थी।
फिर उस अचेतन अवस्था में ही जैसे किसी ने मुझसे कहा,की तुम डरो ना गौरी मैं तुम्हारे साथ ही हूँ।
और फिर जब मुझे होश आया तो जैसे वही एक देवपुरुष के रूप में, सफेद कोट पहने मेरे सामने खड़े मुस्कुरा रहे थे।
और फिर मुझसे बोले अब चिंता की कोई बात नही तुम ठीक हो।अब तू ही बता बेटा की किसी मरते में प्राण तो सिर्फ भगवान ही डाल सकते है ना।
इतना कहते गौरी की पलको से मोती ढलक गए, और बेटा बिना कुछ कहे मंदिर वाले कमरे की ओर हो लिया।
