Vijaykant Verma

Abstract

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Vijaykant Verma

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डियर डायरी 29/04/2020

डियर डायरी 29/04/2020

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क्या इंसान मुर्गी बन सकता है? आप सोच रहे होंगे कि यह कैसा प्रश्न है ! इंसान मुर्गी तो बन ही नहीं सकता ! लेकिन दोस्तों अगर मुर्गियों की तरह इंसान भी खेतों में एक-एक दाना चुनने लगे, तो आप क्या कहेंगे उसे? यह डरावनी सच्चाई सामने आई है राजस्थान के खेत और खलिहानों से !

कोरोना के कारण देश में लॉकडाउन से सबसे ज्यादा त्रस्त है गरीब परिवार, मजदूर, जो रोज कमाते हैं और रोज खाते हैं ! लेकिन महीनों से न उन्हें कोई काम मिला है और न उनके घर में अनाज है ! ऐसे में करें भी तो क्या करें?

दिल को आहत करने वाली यह खबर राजस्थान में बारां, बूंदी, भीलवाड़ा, सवाई माधोपुर, करौली आदि जिलों की है, जहां सुबह से ही महिलाएं अपने बच्चों के साथ कई किलोमीटर का सफर कर उन खेतों में पहुंचती है जहां कटाई हो चुकी है और खेतों में छितरे हुए कुछ अन्न के दानों को एक एक कर ये बीनती हैं, फिर उन्हें घर लाकर चक्की में पिसती हैं और उनकी रोटी से अपने बच्चों का अपने परिवार का पेट भरती है !

इन महिलाओं और बच्चों की भीड़ को लोग देखते हैं मीलों का सफर कर गांव शहर से खेतों में जाते, लेकिन सिर्फ उन लोगों को ये भीड़ नहीं दिखती, जो इन गरीबों को को मुफ्त में दोनों टाइम मुफ्त में राशन और भोजन के पैकेट बांटने का दावा करते हैं?

बाकी असली भूखे, बेबस और लाचार लोगों के नाम पर जो लाखों और करोड़ों रुपये निकल रहे हैं, और जो अन्न और भोजन के पैकेट बंट रहे हैं, वो इनके नसीब में क्यों नहीं है, इसका उत्तर देने वाला कोई नहीं है !

गरीबों के नाम पर इस देश में हमेशा लूट होती है !

मदद तो दूर, लॉक डाउन तोड़ने पर अक्सर पुलिस भी उन्हें कूट देती है !


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